RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 8 स्थानीय शासन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 8 स्थानीय शासन Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Political Science Solutions Chapter 8 स्थानीय शासन

RBSE Class 11 Political Science स्थानीय शासन InText Questions and Answers

प्रश्न 1. 
क्या इस तरह के उदाहरण नहीं हैं जहाँ गाँव की पंचायत के पुरुष सदस्य ने महिला सरपंच को परेशान किया हो ? जब महिलाएँ अधिकार के पद पर बैठती हैं तो पुरुषों को इससे खुशी क्यों नहीं होती ? 
उत्तर:
हाँ इस तरह के कई उदाहरण हैं जहाँ गाँव की पंचायत के पुरुष सदस्य ने महिला सरपंच को परेशान किया है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आज भी हमारा समाज पुरुष प्रधान है जबकि संविधान में पुरुष-स्त्री दोनों को समान अधिकार प्राप्त हैं। जब महिलाएँ अधिकार के पद पर बैठती हैं तो पुरुषों को इसलिए खुशी नहीं होती क्योंकि अब उन्हें उन महिलाओं के अधीन ही कार्य करना होगा। वे यह सोचते हैं कि यह उनके वर्चस्व और आत्मसम्मान के विरुद्ध होगा।

RBSE Solutions for Class 11 Political Science Chapter 8 स्थानीय शासन  

प्रश्न 2. 
क्या यह संभव है कि हमारे यहाँ सरकार सिर्फ स्थानीय स्तर पर हो और राष्ट्रीय स्तर पर इसके समायोजन का निकाय हो ? मुझे लगता है कि महात्मा गाँधी ने इसी तरह की कोई बात कही थी।
उत्तर:
ऐसा होना सम्भव नहीं है कि हमारे यहाँ सरकार सिर्फ स्थानीय स्तर पर हो और राष्ट्रीय स्तर पर इसके समायोजन का निकाय हो। महात्मा गाँधी ने कहा था-आजादी का मतलब समूचे भारत की आजादी से होना चाहिए और इसकी शुरुआत सबसे नीचे से होनी चाहिए। इस तरह हर एक गाँव गणराज्य होगा इससे हर एक गाँव आत्मनिर्भर बनेगा और अपने मामलों को खुद निपटायेगा। 

प्रश्न 3. 
स्थानीय शासन लोकतंत्र को मजबूत बनाता है कैसे?
उत्तर:
स्थानीय शासन एक सीमित क्षेत्र हेतु कार्य करता है तथा हस्तान्तरित अधिकारों का प्रयोग करता है। स्थानीय शासन का सम्बन्ध क्षेत्र के लोगों की दैनिक जरूरतों तथा समस्याओं से होता है तथा स्थानीय संस्थायें लोगों के हितों की पूर्ति में अपनी सार्थक भूमिका का निर्वाह करती हैं। लोकतंत्र का मतलब भी सार्थक भागीदारी से है। लोकतंत्र का रिश्ता जवाबदेही से भी है। इसलिए हम कह सकते हैं कि जीवंत और मजबूत स्थानीय शासन सक्रिय भागीदारी और उद्देश्यपूर्ण जवाबदेही को सुनिश्चित करता है तथा लोकतंत्र को मजबूत बनाता है।

प्रश्न 4. 
ऊपर जो उदाहरण दिया गया है उसमें तमिलनाडु सरकार को आपके हिसाब से क्या करना चाहिए था ?
उत्तर:
इस उदाहरण में तमिलनाडु सरकार को स्थानीय लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए मशविरा करना चाहिए था। उनकी राय जाननी चाहिए थी कि वे अपनी ग्राम की जमीन आवंटन के पक्ष में हैं या नहीं। लेकिन तमिलनाडु सरकार ने स्थानीय लोगों की राय जाने बिना अपना फैसला सुना दिया जिसका विरोध हुआ और सरकार को पीछे हटना पड़ा।

प्रश्न 5. 
जब सभी राजनैतिक दलों और यहाँ तक कि मेरी कक्षा में भी गुटबाजी चलती है तो गाँव में मौजूद गुटबाजी से लोग इतना डरते क्यों हैं ?
उत्तर:
गाँव में मौजूद गुटबाजी का एक अलग ही रूप होता है। जैसा कि हम जानते हैं हमारा देश अनेक विविधताओं से भरपूर है जिसमें अनेक तरह की जातियाँ विद्यमान हैं और यह विभिन्न स्वार्थों के कारण आपस में गुटबाजी का निर्माण करती हैं। यह गुटबाजी कभी-कभी हिंसा का रूप ले लेती है। इसलिए लोग गाँव की गुटबाजी से डरते हैं।

प्रश्न 6. 
नेहरू और डॉ. अम्बेडकर दोनों स्थानीय शासन के निकायों को लेकर खासे उत्साहित नहीं थे। क्या स्थानीय शासन को लेकर उनकी आपत्तियाँ एक जैसी थीं ?
उत्तर:
नेहरू और डॉ. अम्बेडकर दोनों स्थानीय शासन के निकायों को लेकर खासे उत्साहित नहीं थे लेकिन दोनों की आपत्तियाँ भिन्न थीं। नेहरू मानते थे कि अति-स्थानीयता राष्ट्र की एकता व अखण्डता के लिए खतरा बन सकती है जबकि डॉ. अम्बेडकर का मत था कि ग्रामीण भारत अनेक जाति-पाँति में बँटा हुआ है तथा उसमें आपसी फूट का बोलबाला है। ऐसे माहौल में स्थानीय शासन का उद्देश्य ही मिट्टी में मिल जायेगा।

प्रश्न 7. 
सन् 1992 से पहले स्थानीय शासन को लेकर संवैधानिक प्रावधान क्या था ? (पाठ्य पुस्तक पृ. सं. 182)
उत्तर:
सन् 1992 से पहले भी स्थानीय शासन को लेकर कुछ प्रावधान किये गये थे। जैसे कि 1952 में 'सामुदायिक विकास कार्यक्रम' की शुरुआत की गई इसका उद्देश्य था कि स्थानीय विकास की विभिन्न गतिविधियों में जनता की भागीदारी सुनिश्चित हो। सन् 1960 के दशक से कुछ प्रदेशों-जैसे गुजरात तथा महाराष्ट्र ने निर्वाचन द्वारा स्थानीय निकाय की प्रणाली अपनायी। प्रश्न 8. सन् 1960 और 1970 के दशक में किन प्रदेशों में स्थानीय शासन की स्थापना हुई ?
उत्तर:
सन् 1960 और 1970 के दशक में गुजरात और महाराष्ट्र में स्थानीय शासन की स्थापना हुई।

प्रश्न 9. 
क्या ग्राम सभा पूरे गाँव के लिए एक लोकतांत्रिक मंच का काम करती है ? क्या ग्राम सभा सचमुच नियमित रूप से बैठती है ?
उत्तर:
ग्राम सभा पूरे गाँव के एक लोकतांत्रिक मंच का काम तभी कर सकती है जब वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अनुसरण करते हुए उसका पालन करे। 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम सुनिश्चित करता है कि ग्राम स्तर पर ग्रामसभा ऐसी शक्तियों का संव्यवहार और कर्तव्यों का निर्वाह कर सकेगी जो राज्य विधानमण्डल अधिनियम द्वारा सुनिश्चित करे। यह तभी सम्भव है जब लोकतांत्रिक प्रक्रिया का आदर किया जाये। ग्राम सभा नियमित रूप से बैठती है या नहीं इसका निर्धारण स्थानीय स्तर पर होता है पर इसके दो बार के आयोजन का प्रावधान है।

प्रश्न 10.
सिर्फ राज्य सूची के विषयों को ही हस्तांतरित किया जाता है ? हम केन्द्र सूची में दर्ज विषयों को क्यों हस्तांतरित नहीं कर सकते ?
उत्तर:
सिर्फ राज्य सूची के विषयों को हस्तांतरित इसलिए किया जाता है क्योंकि इनका सम्बन्ध स्थानीय स्तर पर होने वाले विकास और कल्याण के कार्यों से होता है जबकि केन्द्र सूची में दर्ज विषयों को हस्तांतरित इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि उनका सम्बन्ध सम्पूर्ण राष्ट्र-हित से होता है।

प्रश्न 11. 
प्रदेशों की सरकार तो खुद ही गरीब है। पिछले अध्याय में हमने पढ़ा था कि वें केन्द्र सरकार से धन माँगती हैं। ऐसे में स्थानीय शासन को वे धन कैसे दे सकती हैं ?
उत्तर:
यह सही है कि प्रदेश की सरकार आर्थिक एवं वित्तीय सहायता हेतु केन्द्र पर निर्भर रहती है। इसके बावजूद आय के कुछ ऐसे मद होते हैं जिनसे केवल प्रदेश सरकार ही धन प्राप्त करती है।

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RBSE Class 11 Political Science स्थानीय शासन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
भारत का संविधान ग्राम पंचायत को स्व-शासन की इकाई के रूप में देखता है। नीचे कुछ स्थितियों का वर्णन किया गया है। इन पर विचार कीजिए और बताइए कि स्व-शासन की इकाई बनने के क्रम में ग्राम पंचायत के लिये ये स्थितियाँ सहायक हैं या बाधक ?
(क) प्रदेश की सरकार ने एक बड़ी कम्पनी को विशाल इस्पात संयंत्र लगाने की अनुमति दी है। इस्पात संयंत्र लगाने से बहुत-से गाँवों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा। दुष्प्रभाव की चपेट में आने वाले गाँवों में से एक की ग्राम सभा ने यह प्रस्ताव पारित किया कि क्षेत्र में कोई भी बड़ा उद्योग लगाने से पहले गांववासियों की राय ली जानी चाहिए और उनकी शिकायतों की सुनवाई होनी चाहिए।

(ख) सरकार का फैसला है उसके कुल खर्चे का 20 प्रतिशत पंचायतों के माध्यम से व्यय होगा।

(ग) ग्राम पंचायत विद्यालय का भवन बनाने के लिए लगातार धन माँग रही है लेकिन सरकारी अधिकारियों ने माँग को यह कहकर ठुकरा दिया है कि धन का आवंटन कुछ दूसरी योजनाओं के लिए हुआ है और धन को अलग मद में खर्च नहीं किया जा सकता।

(घ) सरकार ने डूंगरपुर नामक गाँव को दो हिस्सों में बाँट दिया है और गाँव के एक हिस्से को जमुना तथा दूसरे को सोहना नाम दिया है। अब डूंगरपुर नामक गाँव सरकारी खाते में मौजूद नहीं है।

(ङ) एक ग्राम पंचायत ने पाया कि उसके इलाके में पानी के स्रोत तेजी से कम हो रहे हैं। ग्राम पंचायत ने फैसला किया कि गाँव के नौजवान श्रमदान करें और गाँव के पुराने तालाब तथा कुओं को फिर से काम में आने लायक बनाएँ।
उत्तर:
(क) प्रदेश सरकार द्वारा एक कम्पनी को विशाल इस्पात संयंत्र लगाने की अनुमति देना एवं ग्रामवासियों से सलाह न करना स्थानीय स्वशासन में सहायक न होकर एक बड़ी समस्या है। ग्राम पंचायत की सहमति के बिना इस्पात संयत्र लगाना ग्राम पंचायत की गतिविधियों में बाधक बनेगा। स्थानीय समस्याओं के समाधान के लिए ग्राम पंचायत से राय लेना आवश्यक होना चाहिए।

(ख) इस फैसले से पंचायत मजबूत होगी। सरकार के खर्चे का 20% पंचायतों के द्वारा प्राप्त होने से लोगों को शासन का अनुभव प्राप्त होता है। और स्थानीय समस्याओं का निराकरण ठीक प्रकार से होगा।

(ग) सरकारी अधिकारियों द्वारा ग्राम पंचायत की माँग को ठुकराने से ग्राम पंचायत कमजोर होगी। स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर पंचायत ने विद्यालय भवन की माँग की। ग्राम पंचायत सरकारी अधिकारियों की अपेक्षा लोगों के हितों के बारे में अधि क जानकारी रखती है। अत: विद्यालय भवन के लिए धन नहीं देना सही नहीं है।

(घ) इस कथन से स्पष्ट है कि डूंगरपुर नामक गाँव को सरकार ने दो हिस्सों में बाँट दिया है। जिसमें एक का नाम जमुना तथा दूसरे का सोहना रखा है। यह कार्य सरकार के अधिकार-क्षेत्र में आता है। यह स्थिति ग्राम पंचायत के लिए सहायक है क्योंकि अब पहले की अपेक्षा दोनों गाँवों का विकास अधिक होगा।

(ङ) ग्राम पंचायत के लिए यह स्थिति सहायक है। इसमें पानी की कमी को दूर करने के लिए ग्राम के नौजवानों का सहयोग लेकर पुराने कुओं एवं तालाबों को फिर से काम में आने लायक बनाने का प्रयास किया गया है।

प्रश्न 2. 
मान लीजिए कि आपको किसी प्रदेश की तरफ से स्थानीय शासन की कोई योजना बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ग्राम पंचायत स्व-शासन की इकाई के रूप में काम करे इसके लिए आप कौन-सी शक्तियाँ देना चाहेंगे ? ऐसी पाँच शक्तियों का उल्लेख करें और प्रत्येक शक्ति के बारे में दो-दो पंक्तियों में यह भी बताएँ कि ऐसा करना क्यों जरूरी है ?
उत्तर:
माना कि प्रदेश की तरफ से स्थानीय शासन को एक 'बाँध बनाने की योजना सौंपी गई जिसमें बरसात का पानी रोकना है जो खेती तथा गाँव के अन्य कार्य में उपयोग हो सके। इस कार्य में ग्राम पंचायत स्व-शासन की इकाई के रूप में कार्य करे इसके लिए हम उन्हें निम्न शक्तियाँ प्रदान करेंगे
(1) अपनी योजना के लिए राज्य की सहायता/परामर्श का अधिकार-बाँध बनाने की योजना में सफलता मिले इसके लिए सरकार की ओर से अधिक-से-अधिक प्रोत्साहन निर्देशन तथा सहायता मिले क्योंकि सरकार के पास प्रशासकीय ज्ञान एवं अनुभव अधिक होता है स्थानीय जनता इतनी अनुभवी नहीं होती।

(2) सरकार से समुचित निरीक्षण कराने की शक्ति-वर्षा के पानी को रोकने के लिए जो योजना स्थानीय स्तर पर ग्राम पंचायत चला रही है। उस कार्य में कोई त्रुटि न रह जाय इसलिए शासकीय अधिकारी उन कार्यों का समय-समय पर निरीक्षण करके उन्हें उत्तम कार्य का सुझाव दें।

(3) पंचायतों के वित्तीय स्रोतों को एकत्र करना-ग्राम की आर्थिक दशा हमेशा कमजोर रहती है। अत: ग्राम के सभी स्रोतों का समुचित उपयोग करना चाहिए और ग्राम पंचायत को सरकार द्वारा विकास के लिए आवश्यक धन देना चाहिए।

(4) जनता की स्थानीय मामलों में पहल की शक्ति-कोई भी योजना जो स्थानीय स्व-शासन के अन्तर्गत चल रही है उसे सरकार कितना ही प्रोत्साहन तथा सहायता क्यों न दे नागरिक उदासीन हैं तो स्थानीय संस्थाएँ सफल नहीं हो सकी। इसलिए जनसाधारण को अपने मामलों में पहल करने की शक्ति दी जाए।

(5) दयनीय आर्थिक स्थिति से उबरने की शक्ति-स्थानीय संस्थाओं के पास आय के अधिक स्रोत नहीं होते हैं। धनाभाव के कारण अनेक योजनाएँ असफल हो जाती हैं। अतः उनको आर्थिक स्थिति से उबरने के लिए कुछ शक्तियाँ राज्य सरकार से प्रदान कराई जाएँगी जिससे वे अपनी योजना को असफल न होने दें।

प्रश्न 3. 
सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए संविधान के 73वें संशोधन में आरक्षण के क्या प्रावधान हैं ? इन प्रावधानों से ग्रामीण स्तर के नेतृत्व का खाका किस तरह बदला है ?
उत्तर:
संविधान के 73वें संशोधन में आरक्षण का प्रावधान-सभी पंचायती राज संस्थाओं में एक-तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। तीनों स्तरों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। यह व्यवस्था अनुसूचित जाति जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में की गई है। यदि प्रदेश की सरकार आवश्यक समझे तो वह अन्य पिछड़े वर्ग को भी सीटों में आरक्षण दे सकती है। यह आरक्षण पंचायत के मात्र साधारण सदस्यों की सीट तक सीमित नहीं है। तीनों ही स्तर पर अध्यक्ष पद तक आरक्षण दिया गया है। इस प्रकार सरपंच का पद कोई दलित या आदिवासी महिला धारण कर सकती है। इन प्रावधानों से ग्रामीण स्तर के नेतृत्व में निम्नलिखित परिवर्तन आया है

  1. आरक्षण की व्यवस्था और इस व्यवस्था से प्राप्त लाभों के परिणामस्वरूप अनुसूचित जातियों तथा जनजातियों में चेतना का उदय हुआ है।
  2. अनुसूचित जातियाँ और जनजातियाँ अपने प्रति अत्याचार तथा शोषण से मुक्ति प्राप्त करती जा रही हैं। 
  3. सामाजिक समानता के लिए सकारात्मक पहल हुई है।
  4. अनुसूचित जातियों और जनजातियों को प्रदान की गई विशेष सुविधाओं के कारण ये लोग राष्ट्र और समाज की मुख्य धारा में मिले हैं तथा इनके जीवन-स्तर में सुधार हुआ है।
  5. आरक्षण के कारण ही महिलाओं में राजनीतिक चेतना का विकास हुआ है तथा देश-प्रेम की भावना प्रबल हुई है।
  6. महिलाओं का समाज में सम्मान बढ़ा है और उन्होंने नगर निगम तथा पंचायती राज के विकास में पूर्ण योगदान दिया है। ग्रामीण क्षेत्र में इससे पर्दा प्रथा पर असर पड़ा है।

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प्रश्न 4. 
संविधान के 73वें संशोधन से पहले और संशोधन के बाद के स्थानीय शासन के बीच मुख्य भेद बताएँ। 
उत्तर:
संविधान के 73 वें संशोधन से पहले और संशोधन के बाद स्थानीय शासन के बीच मुख्य विभेद निम्नलिखित हैं

  1. आर्थिक स्थिति-73वें संविधान संशोधन से पूर्व ये संस्थाएँ आर्थिक रूप से कमजोर थीं परन्तु अब आर्थिक रूप से सुदृढ़ हैं
  2. संवैधानिक मान्यता- 73वें संविधान संशोधन से पहले स्थानीय शासन को संवैधानिक दर्जा प्राप्त नहीं था। परन्तु 73वें संशोधन के द्वारा स्थानीय शासन को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई।
  3. नियमित चुनाव- 73वें संविधान संशोधन से पहले स्थानीय शासन के चुनाव नियमित रूप से नहीं होते थे। परन्तु 73वें संशोधन के पश्चात् स्थानीय शासन में चुनावों को नियमित रूप से कराने की व्यवस्था की गई।
  4. ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की परिभाषा- 73वें संशोधन से पहले ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की परिभाषा नहीं दी गई थी जोकि 73 वें संशोधन द्वारा दी गई।
  5. आरक्षण की व्यवस्था- 73वें संशोधन से पूर्व स्थानीय शासन में कमजोर वर्गों व महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी। परन्तु 73वें संशोधन द्वारा स्थानीय शासन में कमजोर वर्ग व महिलाओं के लिए आरक्षण की उचित व्यवस्था की गई।
  6. वित्त आयोग की व्यवस्था- 73वें संशोधन से पहले स्थानीय शासन के लिए किसी वित्त आयोग की व्यवस्था नहीं थी। जबकि 73वें संशोधान द्वारा स्थानीय शासन के लिए वित्त आयोग की व्यवस्था की गई।

प्रश्न 5. 
नीचे लिखी बातचीत पढ़ें। इस बातचीत में जो मुद्दे उठाए गए हैं उसके बारे में अपना मत दो सौ शब्दों में लिखें।
आलोक-हमारे संविधान में स्त्री और पुरुष को बराबरी का दर्जा दिया गया है। स्थानीय निकायों में स्त्रियों को आरक्षण देने से सत्ता में उनकी बराबर की भागीदारी सुनिश्चित हुई है। नेहा-लेकिन महिलाओं का सिर्फ सत्ता के पद पर काबिज होना काफी नहीं है। यह भी जरूरी है कि स्थानीय निकायों के बजट में महिलाओं के लिए अलग से प्रावधान हो। जयेश-मुझे आरक्षण का यह गोरखधंधा पसंद नहीं। स्थानीय निकाय को चाहिए कि वह गाँव के सभी लोगों का ख्याल रखे और ऐसा करने पर महिलाओं और उनके हितों की देखभाल अपने आप हो जायेगी।
उत्तर:
आलोक नेहा और जयेश के मध्य हुई बातचीत में जो मुद्दे उठाये गए हैं। उनके बारे में हमारा मत निम्न प्रकार से है यह बातचीत मुख्य रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण से सम्बन्धित है! प्रायः देखा जाता है कि सभी राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों के साथ-साथ महिला संगठन भी लगातार इस बात पर बल देते हैं कि जब तक स्थानीय संस्थाओं विधानमंडलों व संसद में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त नहीं होगा तब तक महिलाओं की स्थिति में सुधार नहीं हो सकेगा। 73वें 74वें संशोधन द्वारा ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय संस्थाओं में महिलाओं के लिए कुल निर्वाचित पदों का एक तिहाई भाग आरक्षित किया गया है।

इससे महिला सशक्तिकरण आंदोलन को बल मिला। संसद एवं राज्य विधान मंडलों में महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित रखने के लिए कई बार प्रयास किये जा रहे हैं। परंतु यहाँ यह बात भी उल्लेखनीय है कि महिलाओं को केवल स्थानीय स्तर पर आरक्षण देने से बात नहीं बनेगी अपितु उन्हें वित्तीय निर्णयों में भी भागीदारी लेनी चाहिए। यद्यपि ग्राम पंचायत सभी वर्गों के विकास के लिए कार्य करती है। फिर भी महिलाओं के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाने आवश्यक है इससे न केवल महिलाओं में राजनीतिक जागृति ही पैदा होगी बल्कि उनमें राजनीतिक नेतृत्व का भी विकास होगा। उनकी सामाजिक स्थिति सुधरेगी तथा उन्हें रोजगार मिलना भी आसान होगा।

प्रश्न 6. 
73वें संशोधन के प्रावधानों को पढ़ें। यह संशोधन निम्नलिखित सरोकारों में से किससे ताल्लुक रखता है ? 
(क) पद से हटा दिये जाने का भय जन-प्रतिनिधियों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है। 
(ख) भूस्वामी सामंत और ताकतवर जातियों का स्थानीय निकायों में दबदबा रहता है। 
(ग) ग्रामीण क्षेत्रों में निरक्षरता बहुत ज्यादा है। निरक्षर लोग गाँव के विकास के बारे में फैसला नहीं ले सकते हैं।
(घ) प्रभावकारी साबित होने के लिए ग्राम पंचायतों के पास गाँव की विकास योजना बनाने की शक्ति और संसाधन का होना जरूरी है।
उत्तर:
73वाँ संविधान संशोधन खण्ड 'घ' के कथन से संबंध रखता है।

प्रश्न 7. 
नीचे स्थानीय शासन के पक्ष में कुछ तर्क दिये गए हैं। इन तर्को को आप अपनी पसंद से वरीयता क्रम में सजायें और बताएँ कि किसी एक तर्क की अपेक्षा दूसरे को आपने ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों माना है ? वेंगैवसल गाँव की ग्राम पंचायत का फैसला निम्नलिखित कारणों में से किस पर और कैसे आधारित था ?
(क) सरकार स्थानीय समुदाय को शामिल कर अपनी परियोजना कम लागत में पूरी कर सकती है।
(ख) स्थानीय जनता द्वारा बनायी हुई विकास योजना सरकारी अधिकारियों द्वारा बनायी गई विकास योजना से ज्यादा स्वीकृत होती है।
(ग) लोग अपने इलाके की जरूरत समस्याओं और प्राथमिकताओं को जानते हैं। सामुदायिक भागीदारी द्वारा उन्हें विचार-विमर्श करके अपने जीवन के बारे में फैसला लेना चाहिए।
(घ) आम जनता के लिए अपने प्रदेश अथवा राष्ट्रीय विधायिका के जन-प्रतिनिधियों से सम्पर्क कर पाना मुश्किल होता है।
उत्तर:
1. (ग) लोग अपने इलाके की जरूरत समस्याओं और प्राथमिकताओं को जानते हैं। सामुदायिक भागीदारी द्वारा उन्हें विचार-विमर्श कर अपने जीवन के बारे में फैसला लेना चाहिए क्योंकि ग्राम पंचायत और स्थानीय निकायों का निर्माण इसी उद्देश्य से किया गया है।

2. (ख) स्थानीय जनता द्वारा बनाई गई विकास योजना सरकारी अधिकारियों द्वारा बनाई गई विकास योजना से ज्यादा स्वीकृत होती है क्योंकि स्थानीय जनता अपनी समस्याओं स्थितियों तथा परिस्थितियों को जानती है।

3. (क) सरकार स्थानीय समुदाय को शामिल कर अपनी परियोजना कम लागत में पूरी कर सकती है। यह कथन सत्य है क्योंकि स्थानीय समुदाय के लोग अपनी समस्याओं और परिस्थितियों से भली-भाँति परिचित हैं। उनको अपनी परियोजना में कम लागत लगानी पड़ेगी।

4. (घ) आम जनता के लिए अपने प्रदेश अथवा राष्ट्रीय विधायिका के जन-प्रतिनिधियों से सम्पर्क कर पाना मुश्किल होता है क्योंकि अधिकतर विधायक प्रदेश की राजधानी में रहते हैं तथा योजनाओं में व्यस्त रहते हैं। जनता के बीच आने का उन्हें कम ही अवसर मिलता है।

वेगवसल गाँव की पंचायत का फैसला 'ग' उदाहरण पर आधारित है जिसमें यह व्यक्त किया गया है कि स्थानीय लोग अपनी समस्याओं हितों व प्राथमिकताओं को बेहतर समझते हैं। अतः उन्हें अपने बारे में निर्णय लेने का स्वयं अधिकार प्रदान करना चाहिए।

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प्रश्न 8. 
आपके अनुसार निम्नलिखित में कौन-सा विकेन्द्रीकरण का साधन है ? शेष को विकेन्द्रीकरण के साधन के रूप में आप पर्याप्त विकल्प क्यों नहीं मानते?
(क) ग्राम पंचायत का चुनाव कराना। 
(ख) गाँव के निवासी खुद तय करें कि कौन-सी नीति और योजना गाँव के लिए उपयोगी है। 
(ग) ग्राम सभा की बैठक बुलाने की ताकत।
(घ) प्रदेश सरकार ने ग्रामीण विकास की एक योजना चला रखी है। खण्ड विकास अधिकारी (बीडीओ) ग्राम पंचायत के सामने रिपोर्ट पेश करता है कि इस योजना में कहाँ तक प्रगति हुई है ?
उत्तर:
उपर्युक्त कथनों में खण्ड 'क' कथन विकेन्द्रीकरण का साधन है। क्योंकि ग्राम पंचायत का चुनाव करके सत्ता स्थानीय स्तर को सौंपी जाती है। इससे ही स्थानीय जनता लोकतन्त्रात्मक व्यवस्था के सही अर्थ को समझ पाती है और उन्हें अपने उत्तरदायित्वों का ज्ञान होता है। अपने स्थानीय विकास में उनकी विशेष भागीदारी होती है। सही मायने में ग्राम पंचायत का चुनाव ही लोकतन्त्रात्मक व्यवस्था में सत्ता का विकेन्द्रीकरण है। शेष को विकेन्द्रीकरण के साधन के रूप में हम निम्न कारणों से नहीं मानते
(1) खण्ड 'ख' का कथन बताता है कि गाँववासी खुद तय करें कि कौन-सी नीति'और योजना गाँव के लिए उपयोगी है। यह कार्य ग्राम पंचायत चुनाव के बाद बने संगठन का है और ग्राम पंचायत के उत्तरदायित्व में आता है। यह विकेन्द्रीकरण का साधन नहीं है।

(2) खण्ड 'ग' का कथन बताता है कि ग्राम सभा की बैठक बुलाने की ताकत ग्राम प्रधान (सरपंच) का अधिकार है। यह विकेन्द्रीकरण का साधन नहीं है।

(3) खण्ड 'घ' का कथन बताता है कि प्रदेश सरकार ने ग्रामीण विकास की एक योजना चला रखी है। खण्ड विकास अधिकारी (बीडीओ) ग्राम पंचायत के सामने एक रिपोर्ट पेश करता है कि इस योजना में कहाँ तक प्रगति हुई है। यह कार्य खण्ड विकास अधिकारी के उत्तरदायित्व के अन्तर्गत आता है। अतः यह कार्य विकेन्द्रीकरण का साधन नहीं है।

प्रश्न 9. 
दिल्ली विश्वविद्यालय का एक छात्र प्राथमिक शिक्षा के निर्णय लेने में विकेन्द्रीकरण की भूमिका का अध्ययन करना चाहता था। उसने गाँववासियों से कुछ सवाल पूछे। ये सवाल नीचे लिखे हैं। यदि गाँववासियों में आप शामिल होते तो निम्नलिखित प्रश्नों के क्या उत्तर देते ? गाँव का हर बालक-बालिका विद्यालय जाए इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कौन-से कदम उदाए जाने चाहिए। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ग्राम सभा की बैठक बुलाई जानी है।
(क) बैठक के लिए उचित दिन कौन-सा होगा इसका फैसला आप कैसे करेंगे ? सोचिए कि आपके चुने हुए दिन में कौन बैठक में आ सकता है और कौन नहीं ?
(अ) खण्ड विकास अधिकारी अथवा कलेक्टर द्वारा तय किया हुआ कोई दिन।
(ब) गाँव का बाजार जिस दिन लगता है (स) रविवार (द) नाग पंचमी/संक्रान्ति। 
(ख) बैठक के लिए उचित स्थान क्या होगा ? कारण भी बताइए। 
(अ) जिला कलेक्टर के परिपत्र में बताई गई जगह 
(ब) गाँव का कोई धार्मिक स्थान।
(स) दलित मोहल्ला (द) ऊँची जाति के लोगों का टोला (ध) गाँव का स्कूल।
(ग) ग्राम सभा की बैठक में पहले जिला-समाहर्ता (कलेक्टर) द्वारा भेजा गया परिपत्र पढ़ा गया। परिपत्र में बताया गया था कि शैक्षिक रैली को आयोजित करने के लिए क्या कदम उठाये जाएँ और रैली किस रास्ते होकर गुजरे। बैठक में उन बच्चों के बारे में विद्यालय भवन की दशा के बारे में और विद्यालय के खुलने-बन्द होने के समय के बारे में भी चर्चा नहीं हुई। बैठक रविवार के दिन हुई इसलिए कोई महिला शिक्षक इस बैठक में नहीं आ सकी। लोगों की भागीदारी के लिहाज से इसको आप अच्छा कहेंगे या बुरा ? कारण भी बताएँ।
(घ) अपनी कक्षा की कल्पना ग्राम सभा के रूप में करें। जिस मुद्दे पर बैठक में चर्चा होती थी उस पर कक्षा में बातचीत करें और लक्ष्य को पूरा करने के लिए कुछ उपाय सुझायें।
उत्तर:
(क) दिन का निर्णय - (ब) गाँव का बाजार जिस दिन लगता है।
(ख) बैठक का स्थान (स्कूल) - (ध) गाँव का स्कूल।
(ग) शैक्षिक रैली का आयोजन - इस बैठक में लोगों की भागीदारी सन्तोषजनक नहीं रही। इसलिए इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता है। बैठक में नागरिकों को अपने बच्चों के प्रति जागरूकता की कमी भी देखी जा रही है क्योंकि

  1. बैठक में उन बच्चों के बारे में चर्चा नहीं हुई जो कभी स्कूल नहीं आते। 
  2. बैठक में बालिकाओं की शिक्षा के बारे में चर्चा नहीं हुई। 
  3. बैठक में विद्यालय भवन की दशा के बारे में चर्चा नहीं हुई। 
  4. बैठक में विद्यालय के खुलने और बंद होने के समय के बारे में चर्चा नहीं हुई। 
  5. बैठक में महिला शिक्षक भी नहीं आ सकी।

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उपर्युक्त स्थितियों को जानने से पता चलता है कि शिक्षा के प्रति ग्रामवासियों में जागरूकता नहीं है और न अपने बालक/बालिकाओं को साक्षर बनाने की विशेष रुचि है। अतः बैठक केवल खानापूर्ति रही क्योंकि बैठक में कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये और न लोगों ने विशेष रुचि ली। ग्रामवासियों को चाहिए था कि बैठक अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसमें खण्ड विकास अधिकारी कलेक्टर शिक्षक-शिक्षिकाएँ गाँव के प्रबुद्ध लोग साक्षर लोग आदि सभी की भागीदारी निश्चित होनी चाहिए और उनके विचार तथा सुझाव सार्थक बनकर विद्यालय के अच्छे प्रबन्ध के लिए कारगर होने चाहिए तभी बैठक सफल मानी जाती। इस सफलता के लिए सभी ग्रामवासियों को इन्हें इकट्ठा करने का संकल्प लेना चाहिए था। इस बैठक में उन समस्त बातों का अभाव रहा। अत: यह बैठक मात्र एक औपचारिकता रही। 

(घ) यदि हमारी कक्षा एक ग्राम सभा में परिवर्तित हो जाए जिसमें चर्चा का विषय स्थानीय लोगों का कल्याण व भागीदारी हो तो इस बात का सर्वसम्मति से निर्णय करने का प्रयास किया जाएगा कि शक्तियों के विकेन्द्रीकरण के उद्देश्य को हासिल किया जाए। इसके लिए हम निम्नलिखित उपाय सुझाएँगे

  1. ग्राम विकास में स्थानीय लोगों की सहभागिता होनी चाहिए। 
  2. शक्तियों का अधिकाधिक विकेन्द्रीकरण हो। 
  3. महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो। 
  4. कमजोर वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। 
  5. सरकार की ग्रामों तक सीधी पहुँच हो।
Prasanna
Last Updated on Aug. 30, 2022, 9:35 a.m.
Published Aug. 29, 2022