RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन

 Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Physics Solutions Chapter 14 दोलन

RBSE Class 11 Physics दोलन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
नीचे दिये गये उदाहरणों में कौन आवर्ती गति को निरूपित करता है ?
(i) किसी तैराक द्वारा नदी के एक तट से दूसरे तट तक जाना और अपनी एक वापसी यात्रा पूरी करना।
(ii) किसी स्वतंत्रतापूर्वक लटकाये गये दंड चुम्बक को उसकी N-S दिशा से विस्थापित कर छोड़ देना।
(iii) अपने द्रव्यमान केन्द्र के परितः घूर्णी गति करता कोई हाइड्रोजन अणु।
(iv) किसी कमान से छोड़ा गया तीर।
उत्तर:
(i) यह आवर्ती गति को निरूपित नहीं करता है चूंकि तैराक निश्चित बिन्दुओं के बीच आता-जाता है, लेकिन उसका समय निश्चित नहीं है।
(ii) यह आवर्ती गति है चूंकि स्वतंत्रतापूर्वक लटकाया गया चुम्बक एक बार N-S दिशा से विस्थापित करने के पश्चात् माध्य स्थिति के दोनों ओर दोलन करता है। अतः यह सरल आवर्त गति भी है।
(iii) यह आवर्ती गति है।
(iv) यह आवर्ती गति नहीं है।
∵ कमान से छोड़े तीर की गति परवलयाकार पथ पर होती है तथा दोहरायी नहीं जाती।

प्रश्न 2. 
नीचे दिये गये उदाहरणों में कौन ( लगभग ) सरल आवर्त गति को तथा कौन आवर्ती परन्तु सरल आवर्त गति निरूपित नहीं करते हैं?
(i) पृथ्वी की अपने अक्ष के परितः घूर्णन गति।
(ii) किसी U नली में दोलायमान पारे के स्तम्भ की गति।
(iii) किसी चिकने वक्रीय कटोरे के भीतर एक बॉल बियरिंग की गति जब उसे निम्नतम बिन्दु से कुछ ऊपर के बिन्दु से मुक्त रूप से छोड़ा जाये।
(iv) किसी बहु परमाणुक अणु की अपनी साम्यावस्था की स्थिति के परितः व्यापक कम्पन।
उत्तर:
(i) यह आवर्ती गति है लेकिन सरल आवर्ती गति नहीं। चूंकि निश्चित बिन्दु के दोनों ओर इधर-उधर गति नहीं होती है।
(ii) यह सरल आवर्त गति है।
(iii) यह सरल आवर्त गति है।
(iv) यह गति आवर्ती है लेकिन सरल आवर्ती गति नहीं। एक बहु परमाण्विक अणु में कई नैसर्गिक आकृतियाँ होती हैं और आम तौर से विभिन्न आवर्ती वाले S.H.M. की परिणामी गति आवर्ती है परन्तु सरल आवर्त गति नहीं।

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प्रश्न 3. 
चित्र में किसी कण की रैखिक गति के लिये चार x t आरेख दिये गये हैं। इनमें से कौन-सा आरेख आवर्ती गति का निरूपण करता है? उस गति का आवर्तकाल क्या है (आवर्ती गति वाली गति का)
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उत्तर:
(a) यह आवर्ती गति निरूपित नहीं करता क्योंकि गति न तो पुनरावृत्ति होती है न ही यह माध्यस्थिति पर आता है। 
(b) यह आवर्ती गति 2s के आवर्तकाल को निरूपित करता है। 
(c) यह गति आवर्ती नहीं है चूंकि यह समान रूप से पुनरावर्त नहीं होता। है।
(d) यह आवर्ती गति विरूपित करता है जिसका दोलनकाल 2sहै।

प्रश्न 4. 
नीचे दिये गये समय के फलनों में कौनसा (a) सरल आवर्त गति (b) आवर्ती परन्तु सरल आवर्त गति नहीं, तथा (c) अनावर्ती गति का निरूपण करते हैं। प्रत्येक आवर्ती गति का आवर्तकाल ज्ञात कीजिये ( कोई धनात्मक अचर है।)
(a) sinωt - cosωt
(b) sin3ωt
(c) 3cosimm
(d) cost + cos 3ωt + cos 5ωt
(e) exp(-ωt2)
(f) 1 + ωt + ω2t2
उत्तर:
दिया गया फलन आवर्ती गति निरूपित करेगा यदि यह समान रूप से निश्चित समय अन्तराल के पश्चात् पुनरावर्त होता है और इसको यदि अनुपम रूप से cos \(\left(\frac{2 \pi}{\mathrm{T}} \mathrm{t}+\phi\right)\) या sin\(\left(\frac{2 \pi}{\mathrm{T}} \mathrm{t}+\phi\right)\) S. H.M. होगा।
पर T दोलनकाल है, निरूपित करते हैं तो यह
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∴ यह दोलन चाल T = 2π/ ω का S.H.M. निरूपित करता है,
इसका कला कोण (-π/4) या 7/4π है।

(b) sin3ωt = 1/4(3sinωt - sin3ωt )
sin 3A = 3sin A - 4sin3A
अतएव sint तथा sin 3ωt प्रत्येक पद स्वयं में S.H.M. निरूपित करता है परन्तु यह दो S. H.M. का आरोपित परिणाम है। अतः यह केवल 2π/ω दोलन काल की आवर्त गति निरूपित करेगा न कि S.H.M.

(c) 3cos(π/4 - 2ωt) = 3cos(2ωt - π/4)
∵ cos(-θ) = cosθ
स्पष्ट है कि यह S. H.M. निरूपित करता है और इसका दोलनकाल 2π/2ω = π/ω है।

(d) cosωt + cos3ωt + cos5ωt
स्पष्ट है कि यह आवर्ती गति पर सरल आवर्त गति निरूपित नहीं करता। इसका आवर्तकाल 2π/ω है।
यहाँ पर यह ध्यान देने योग्य है कि प्रत्येक फलन एक आवर्ती फलन दर्शाता है लेकिन अलग कोणीय आवृत्ति की। चूँकि आवर्तकाल वह न्यूनतम समय है जिसके पश्चात् गति पुनरावर्त होती है,
cosωt का आवर्तकाल T = 2π/ω,  cos3ωt का आवर्तकाल 2π/ω = T/3 और cos5ωt का आवर्तकाल = 2π/5ω = T/5 है। दोनों न्यूनतम सूत्र उनके आवर्तकाल के समाकल के गुणक के पश्चात् पुनरावर्त होते हैं। इस प्रकार योग में प्रत्येक पद T समय के पश्चात् पुनरावर्त होता है। अतः योग एक आवर्ती फलन है जिसका आवर्तकाल 2π/ω1 हैं।

(e) exp(-ω2t2)
या -ω2t2
स्पष्ट है कि दिया गया फलन एक चर घातांकी है। यह फलन कभी भी पुनरावर्त नहीं होता है इसलिये यह अनआवर्ती गति निरूपित करता है।

(f) 1 + ωt + ω2t2
यह फलन अनआवर्ती गति निरूपित करता है। भौतिक रूप से यह मान्य नहीं है क्योंकि जब 100 फलन अनन्त की ओर बढ़ता है। 

प्रश्न 5. 
कोई कण एक दूसरे से 10 सेमी. दूरी पर स्थित दो बिन्दुओं तथा B के बीच रैखिक सरल आवर्त गति कर रहा है। A से B की ओर की दिशा को धनात्मक दिशा मानकर वेग, त्वरण तथा कण पर लगे बल के चिन्ह ज्ञात कीजिये जबकि यह कण
(a) A सिरे पर है 
(b) B सिरे पर है
(c) A की ओर जाते हुए AB के मध्य बिन्दु पर है। 
(d) A की ओर जाते हुए B से 2 सेमी. दूर है। 
(e) B की ओर जाते हुए A से 3 सेमी. दूर है तथा 
(f) A की ओर जाते हुए B से 4 सेमी. दूर है।
उत्तर:
यहाँ पर A और B एक S.H.M. में दो सिरों को निरूपित करते हैं। वेग के लिये, A से B की दिशा को धन दिशा माना गया है। त्वरण और बल के लिये धन दिशा AP के अनुदिश और ऋण दिशा BP के अनुदिश ली जाती है।
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(a) A सिरे पर कण S.H.M. करते हुए क्षणिक रूप से विराम में होता है क्योंकि यह गति का सिरा है, अतः इसका वेग शून्य है, त्वरण धन AP के अनुदिश है। बल भी धनात्मक दिशा में है क्योंकि यह AP के अनुदिश है, अत: उत्तर 0++
(b) B सिरे पर वेग शून्य है, यहाँ त्वरण और बल दोनों BP के अनुदिश होने के कारण ऋणात्मक हैं। अत: उत्तर (0) +, +
(c) AB के मध्य बिन्दु पर A की ओर जाते हुए कण मध्य स्थिति O पर है, और इसकी प्रवृत्ति BA के अनुदिश चलने की होती है, अर्थात् ऋण दिशा में, इसलिये वेग ऋणात्मक और त्वरण तथा बल दोनों ही शून्य हैं। अत: उत्तर - 0.0
(d) B से 2 सेमी. दूरी पर A की ओर कण Q पर है और इसकी प्रवृत्ति QP के अनुदिश चलने की है, जो ऋण दिशा है। इसलिये वेग, त्वरण और बल सभी ऋण हैं। अतः उत्तर ---
(e) B की ओर जाते हुए A से 3 सेमी. दूरी पर कण अब P पर है। जिसकी प्रवृत्ति PO के अनुदिश चलने की है। इस कारण से वेग, त्वरण और बल सभी धनात्मक हैं। अतः उत्तर + + +
(f) B से 4 सेमी. दूरी पर A की ओर जाते हुए कण T पर है और इसकी प्रवृत्ति TP के अनुदिश चलने की है, जो वेग के लिये ऋण दिशा है। इसलिये वेग ऋणात्मक, त्वरण और बल भी TP की ओर है। इस कारण से दोनों ऋण हैं।
अतः उत्तर - - -

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प्रश्न 6. 
नीचे दिये गये किसी कण के त्वरण a तथा विस्थापन x के बीच संबंधों में से किससे सरल आवर्त गति संबद्ध है:
(a) a = 0.7 x
(b) a = 200x2
(c) a = - 10x
(d) a = 100x3
उत्तर:
यदि त्वरण a निम्न शर्तों को पूरा करता है तो हम कहेंगे कि कण S. H.M. करता है।
(i) a x 
(ii) a = - w2x ....... (1)
यहाँ पर a त्वरण है और x विस्थापन है जो कि माध्य स्थिति से लिया जाता है।
(a) a = 0.7x समीकरण (1) को संतुष्ट नहीं करता है इस कारण से कण S. H.M. को निरूपित नहीं करता।
(b) a = 200x? यह समीकरण (1) को संतुष्ट नहीं करता इसलिये यह S. H.M. को निरूपित नहीं करता।
(c) a= - 10x, समीकरण (1) को संतुष्ट करता है। अतः कण S. H.M. निरूपित करता है।
(d) a= 100x' भी समीकरण (1) को संतुष्ट नहीं करता है। अत: यह S. H.M. प्रदर्शित नहीं करता।

प्रश्न 7. 
सरल आवर्त गति करते किसी कण की गति का वर्णन नीचे दिये गये विस्थापन फलन द्वारा किया जाता है,
x(t) = A cos (ωt + Φ)
यदि कण की आरंभिक (t = 0) स्थिति 1 सेमी. तथा उसका आरम्भिक वेग rcm/s है, तो कण का आयाम तथा आरंभिक कला कोण क्या है? कण की कोणीय आवृत्ति / s है। यदि सरल आवर्त गति का वर्णन करने के लिये कोज्या (cos) फलन के स्थान पर हम ज्या (sin) फलन चुनें, x = B sin (cot + ot) तो उपरोक्त आरंभिक प्रतिबंधों में कण का आयाम तथा आरंभिक कला कोण क्या होगा?
उत्तर:
दिया है:
समीकरण
x(t) = A cos (ωt + b) ............ (1)
तथा t = 0 पर x = 1 सेमी. एवं v = πसेमी./से. तथा ω = π
प्रति सेकण्ड तब समीकरण (1) का समय के सापेक्ष अवकलन करने पर
कण का वेग
V = dx/dt = -Awsin (ωt + Φ) ...(2)
अतः समय t = () के लिये समीकरण (1) व (2) से
1 = A cos Φ
तथा
π = -AωsinΦ
⇒ AcosΦ = 1 ..............(3)
तथा AsinΦ = -π/ω = -π/π = 1 ...............(4)
समीकरण (3) व (4) का वर्ग करके
A2 cos2Φ + A2 sin2Φ = (1)2 + (1)2 = 2
A2 (cos2Φ + sin2Φ) = 2
⇒ A = \(\sqrt{2}\) समी .............. (5)
समीकरण (4) में समीकरण (3) का भाग देने पर
tan Φ = -1
अर्थात् Φ = 3π/4 था  Φ = 7π/4
पुनः यदि समीकरण
x = B sin (cot + α) हो तो
वेग v = dx/dt = d/dt[B sin(ωt + α)
v = B ω cos (ωt + α)
1= 0 के लिये, x = 1 सेमी. वेग v = πसेमी./से.
तथा ω = π प्रति से. रखने पर
B sin α = 1 तथा Bωcos α = π
⇒ B cos α = π/ω = π/ω = 1
⇒ B cos α = 1
अत: (B sin α)2 + (B cos α) 2 = 12 + 12 = 1 + 1 = 2 
B 2 (sin2 α + cos2 α) = 2
⇒ B2 = 2 ⇒ B = √2
और
\(\frac{B \sin \alpha}{B \cos \alpha}=\frac{1}{1}=1\)
tanα = 1
α = tan-1(1) = π/4

प्रश्न 8. 
किसी कमानीदार तुला का पैमाना 0 से 50 kg तक अंकित है और पैमाने की लंबाई 20 cm है। इस तुला से लटकाया गया कोई पिण्ड, जब विस्थापित करके मुक्त किया जाता है, 0.6s के आवर्तकाल से दोलन करता है। पिण्ड का भार कितना है?
उत्तर:
दिया गया है:
m = 50kg
अधिकतम प्रसार
y = 20 - 0 = 20cm
y =  20 × 10-2 m
T = 0.6 second
∴ अधिकतम बल
F = mg
= 50 × 9.8
= 490.0N
कमानी के लिये
F = ky
∴ k = F/y
मान रखने पर
\(\mathrm{k}=\frac{490}{20 \times 10^2}\)
k  = 2450N/m
हम जानते हैं
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m' = 22.36kg
∴ पिण्ड का भार
w = mg
= 22.36 × 9.8
= 219.1N

प्रश्न 9. 
1200 Nm-1 चित्र में दर्शाए अनुसार किसी कमानी- स्थिरांक की कोई कमानी क्षैतिज मेज से जड़ी है। कमानी के मुक्त सिरे से 3kg द्रव्यमान का कोई पिण्ड जुड़ा है। इस पिण्ड को एक ओर 2.0cm दूरी तक खींच कर मुक्त किया जाता है।
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(i) पिण्ड के दोलन की आवृत्ति, 
(ii) पिण्ड का अधिकतम त्वरण, तथा 
(iii) पिण्ड की अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए। उत्तर दिया गया है-
k = 1200N/m.,m = 3.0kg
अधिकतम विस्थापन
A = 2.0cm = 2 × 10-2 m
(i) हम जानते हैं आवर्तकाल
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आवृत्ति n = 3. 18 
प्रति सेकण्ड = 3.2 प्रति सेकण्ड

(ii) त्वरण a = -ω2A = -K/m A
या \(\left|a_{\max }\right|=\frac{k}{m}\left|\mathbf{A}_{\max }\right|\)
यहाँ पर \(\omega=\sqrt{\frac{k}{m}}\) द्वारा निरूपित करते हैं।
जब विस्थापन अधिकतम होगा तब त्वरण भी अधिकतम होगा।
अर्थात्
A = 0.02m
a = 1200/3 x 0.02
= 8.0m/s2

(iii) जब यह मध्य बिन्दु से गुजरेगा तब अधिकतम द्रव्यमान की चाल
\(\mathrm{v}_{\max }=\mathrm{A} \omega=\mathrm{A} \sqrt{\frac{k}{m}}\)
मान रखने पर \(=0.02 \times \sqrt{\frac{1200}{3}}=0.02 \sqrt{400}\)
= 0.02 × 20 = 0.40m/s.

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प्रश्न 10. 
प्रश्न 9 में, मान लीजिए जब कमानी अतानित अवस्था में है तब पिण्ड की स्थिति x = 0 है तथा बाएं से दाएं की दिशा x अक्ष की धनात्मक दिशा है । दोलन करते पिण्ड के विस्थापन x को समय के फलन के रूप में दर्शाइए, जबकि विराम घड़ी को आरंभ (t = 0) करते समय पिण्ड,
(a) अपनी माध्य स्थिति,
(b) अधिकतम तानित स्थिति, तथा
(c) अधिकतम संपीड़न की स्थिति पर है।
सरल आवर्त गति के लिए ये फलन एक-दूसरे से आवृत्ति में, आयाम में अथवा आरंभिक कला में किस रूप में भिन्न हैं?
उत्तर:
x = 0 पर x की दिशा में विस्थापन का समीकरण
x = Asin ωt
चूँकि x = 0 पर आरम्भिक कला Φ= 0 है।
प्रश्न 9 से
A = 2 cm = 0.02 मीटर
k = 1200N/m
\(\omega=\sqrt{\frac{k}{m}}=\sqrt{\frac{1200}{3}}\)
= 20 रेडियन/से.

(a) जब द्रव्यमान मध्य स्थिति पर है तब समीकरण (1) से
x = 0.02 sin 20t ....(2)
∵ A = 0.02 और ω = 20 रेडियन / से. है उत्तर

(b) जब
Φ = π/2
x = Asin (ωt + Φ)
= 0.02 sin (20t + π/2) = 0.02 cos 20t
x = 0.02cos 20t ....(3)

(c) अधिकतम संपीड़ित स्थिति में
Φ = π/2 + π/2  = 2π/2 = π
∴ x = Asin(ωt + Φ)
= Asin(ωt + 2π/2) = -A cosωt
∴ x = -Acosωt = -0.02cos20t .............. (4)
समी. (2), (3) तथा (4) से हम पाते हैं कि फलन केवल आरम्भिक कला में ही भिन्न है क्योंकि
उनके आयाम (A = 0.02 मीटर) और दोलन काल समान हैं अर्थात्
T = 2π/ω = 2π/20 = π/10

प्रश्न 11. 
चित्र में दिए गए दो आरेख दो वर्तुल गतियों के तदनुरूपी हैं। प्रत्येक आरेख पर वृत्त की त्रिज्या, परिक्रमण काल, आरंभिक स्थिति और परिक्रमण की दिशा दर्शायी गई है। प्रत्येक प्रकरण में, परिक्रमण करते कण के त्रिज्य- सदिश के
तदनुरूपी सरल आवर्त गति ज्ञात कीजिए।
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उत्तर:
चित्र a से
t = 0 पर x- अक्ष से OP π/2 कोण बनाता है चूंकि गति घड़ी की
सुई की दिशा में है अतः imm = +2
रेडियन है। इस प्रकार t समय पर OP का x अक्ष पर प्रक्षेप्य S. H.M. का
समीकरण देगा।
जो
x = Acos(2πt/T + Φ)
= 3cos(2πt/2 + π/2) है।
 ∵ A = 3 cm, T = 2s
या
x = 3cos(πt + π/2)
= -3sinπt
∴ x = - 3sinπt सेमी.
चित्र (b) से
T = 4s, A = 2 m
t = 0 समय पर x अक्ष की धन दिशा से OP , π का कोण बनाती है 
Φ = +π
∵ x = Acos(2πt/T t + Φ)
= 2cos(2πt/4t + π) = - 2 cos(π/2t)
था x = -2cos(π/2t)m

प्रश्न 12. 
नीचे दी गई प्रत्येक सरल आवर्त गति के लिए तदनुरूपी निर्देश वृत्त का आरेख खींचिए। घूर्णी कण की आरंभिक (2 10) स्थिति, वृत्त की त्रिज्या तथा कोणीय चाल दर्शाइए। सुगमता के लिए प्रत्येक प्रकरण में परिक्रमण की दिशा वामावर्त लीजिए। (x को cm में तथा कोs में लीजिए।)
(a ) x = - 2 sin (3t + π/3)
(b) x = cos (π/6 - 1 )
(c) x = 3sin (2πt + π/4)
(d) x = 2cosπt
उत्तर:
(a) दिये गये समीकरण से
x = - 2 sin (3t + π/3)
= - 2 sin (3t + π + π/3) ...........(1)
समीकरण (1) की तुलना x = Asin (ωt + Φ) से करने पर
Φ = π + π/3  = 4π/3  
A = 2cm. ω = 3 रेडियन/से.
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(b) x = cos(π/6 - t) = cos(t - π/6)
[∵ cos(-θ) = cosθ]
x = 1cos(t - π/6) ................. (2)
तदनुरूपी निर्देश वृत्त को चित्र में दर्शाया गया है। समीकरण (2) की तुलना निम्न समीकरण से करने पर
x = Acos (ωt + Φ)
A = 1 सेमी,
ω = 1 रेडियेन / से., T = 2 π से. तथा Φ = π/6 प्राप्त करते हैं।

अतः दी गई समीकरण निम्न वृत्त आरेख के द्वारा व्यक्त कर सकते
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(c)
x = 3sin (2πt + π/4) सेमी. ....(4)
समीकरण (4) की तुलना x = Asin (ωt + Φ) से करने पर
आयाम A = 3 सेमी ω = 2π
T = 2π/ω = 1से, Φ = -π/4
तदनुरूपी निर्देश वृत्त को नीचे चित्र में दर्शाया गया है,
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(d) x = 2 costπt
= 2 cos (πt + 0 ) सेमी. ....(5)
तदनुरूपी निर्देश वृत्त को चित्र में दर्शाया गया है। समीकरण (5) की तुलना x = A cos ωt से करने पर
A = 2 सेमी ω = π T = 2 से  Φ = 0 प्राप्त करते हैं।
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प्रश्न 13. 
चित्र (a) में बल स्थिरांक की किसी कमानी के एक सिरे को किसी दृढ़ आधार से जकड़ा तथा दूसरे मुक्त सिरे से एक द्रव्यमान m जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के मुक्त सिरे पर बल F- आरोपित करने से कमानी तन जाती है। चित्र (b) में उस कमानी के दोनों मुक्त सिरों से द्रव्यमान जुड़ा दर्शाया गया है। कमानी के दोनों सिरों को चित्र (b) में समान बल F द्वारा तानित किया गया है।
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(a) दोनों प्रकरणों में कमानी का अधिकतम विस्तार क्या होगा? 
(b) यदि (a) का द्रव्यमान तथा (b) के दोनों द्रव्यमानों को मुक्त छोड़ दिया जाए, तो प्रत्येक प्रकरण में दोलन का आवर्तकाल ज्ञात कीजिए। 
उत्तर:
दिया गया है:
k = कमानी का बल नियतांक
m = मुक्त सिरों पर द्रव्यमान
F = कमानी के मुक्त सिरों पर उत्पन्न बल
स्थिति I
(a)
F = ma ................... (1)
यदि कमानी में उत्पन्न विस्तार ) है
तब
F = -ky1
∴ समीकरण ( 1 ) तथा (2) से
ma = - ky1
\(\begin{aligned} m \frac{d^2 y}{d t^2} & =-k y_1 \quad \because a=\frac{d^2 y}{d t^2} \\ \frac{d^2 y}{d t^2} & =\frac{-k}{m} y_1=\frac{-k}{m} y \end{aligned}\)
यहाँ पर विस्थापन y = y1 है।
अतः
a = -ω2y  ............ (4)
प्राप्त करते हैं। .... (5)
समीकरण (3) तथा (4) से
\(\omega^2=\frac{k}{m} \text { } \omega=\sqrt{\frac{k}{m}}\)
∴ डोरी में उत्पन्न अधिकतम विस्तार
y1 = y
या
y1 = F/K
(b) समीकरण (4) से हम देखते हैं कि acy है और द्रव्यमान S.H.M. कर रहा है।
∴ यदि द्रव्यमान का दोलनकाल T, है तब
,\(\begin{aligned} & \mathrm{T}_1=\frac{2 \pi}{\omega}=2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}} \\ & \mathrm{~T}_1=2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}} \end{aligned}\)


स्थिति II
(a) माना कमानी में उत्पन्न विस्तार का मान द्रव्यमानों को जोड़ा जाता है। क्योंकि द्रव्यमान समान है। द्रव्यमान से y विस्तार उत्पन्न किया जाता है
y2 = y + y = 2y ............. (7)
Y2 = F/k
∴ F/k = 2y
या
y = 1/2F/k
अर्थात् प्रत्येक द्रव्यमान का विस्थापन
y = 1/2F/k
y2 = 2 F/2K = F/k
∴ प्रत्येक द्रव्यमान में उत्पन्न त्वरण, तब
\(\frac{d^2 y_1}{d t^2}=\frac{-\mathrm{F}}{m}=\frac{-2 k \mathrm{y}^1}{m}\)
लेकिन S. H.M. में
d2y1/dt2 = -ω2y1
अतः \(\omega^2=\frac{2 k}{m}\)
या \(\omega=\sqrt{\frac{2 k}{m}}\)

(b) यदि प्रत्येक द्रव्यमान का दोलनकाल T, है तब
\(\begin{aligned} & \mathrm{T}_2=\frac{2 \pi}{\omega}=\frac{2 \pi}{\sqrt{\frac{2 k}{m}}} \\ & \mathrm{~T}_2=2 \pi \sqrt{\frac{m}{2 k}} \end{aligned}\)

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प्रश्न 14. 
किसी रेलगाड़ी के इंजन के सिलिंडर हैड में पिस्टन का स्ट्रोक ( आयाम का दो गुना ) 1.0mm का है। यदि पिस्टन 200 rad/min की कोणीय आवृत्ति से सरल आवर्त गति करता है, तो उसकी अधिकतम चाल कितनी होगी?
उत्तर:
पिस्टन का स्ट्रोक माना आयाम = A तथा स्ट्रोक की लम्बाई 2A और 
दिया गया है [ स्ट्रोक की लम्बाई = 1 mm दिया है।]
∴ 1 = 2A या A = 1/2 m
कोणीय आवृत्ति ω = 200 रेडियन/मिनट 
Vmax अधिकतम चाल = ?
Vmax = 0A = 200 x 1/2 = 100m/min
\(=\frac{100}{60} \mathrm{~m} / \mathrm{s}=\frac{5}{3} \mathrm{~m} / \mathrm{s}\)
= 1.67m/s.

प्रश्न 15. 
चन्द्रमा के पृष्ठ पर गुरुत्वीय त्वरण 1. 7ms है। यदि किसी सरल लोलक का पृथ्वी के पृष्ठ पर आवर्तकाल 3.5s है, तो उसका चन्द्रमा के पृष्ठ पर आवर्तकाल कितना होगा? (पृथ्वी के पृष्ठ परg = 9.8ms2 )
उत्तर:
दिया गया है:
gm = 1.7m/s2
8e = 9.8m/s?
Tm = ? और Te = 3.5 से.
सूत्र का प्रयोग करने पर
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= 3.5 × 2.4
∴ Tm = 8.45
अतः चन्द्रमा के पृष्ठ पर आवर्तकाल = 8.45 सेकण्ड

प्रश्न 16. 
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
उत्तर
(a) किसी कण की सरल आवर्त गति के आवर्तकाल का मान उस कण के द्रव्यमान तथा बल- स्थिरांक पर निर्भर करता है imm कोई सरल लोलक सन्निकट सरल आवर्त गति करता है। तब फिर किसी लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर क्यों नहीं करता?
(b) किसी सरल लोलक की गति छोटे कण के सभी दोलनों के लिए सन्निकट सरल आवर्त गति होती है। बड़े कोणों के दोलनों के लिए एक अधिक गूढ़ विश्लेषण यह दर्शाता है कि T का मान 2/1/g से अधिक होता है। इस परिणाम को समझने के लिए किसी गुणात्मक कारण का चिंतन कीजिए।
(c) कोई व्यक्ति कलाई घड़ी बाँधे किसी मीनार की चोटी से गिरता है। क्या मुक्त रूप से गिरते समय उसकी घड़ी यथार्थ समय बताती है?
(d) गुरुत्व बल के अंतर्गत मुक्त रूप से गिरते किसी केबिन में लगे सरल लोलक के दोलन की आवृत्ति क्या होती है?
उत्तर:
(a) साधारण लोलक के लिये, बल का मान स्थिर रहता है और कमानी गुणक या बल नियतांक का मान द्रव्यमान के समानुपाती है और m अंश तथा हर में से आपस में कट जाता है। इस कारण से साधारण लोलक का दोलनकाल गोलक (बॉब) के द्रव्यमान से स्वतंत्र है।
सरल लोलक के लिये
F = -mg/l y = -ky
∴ k = mg/l
यहाँ पर k = कमानी गुणांक या बल नियतांक है जो कण के
द्रव्यमान के समानुपाती है। 
सरल लोलक के सूत्र से
\(\begin{aligned} \mathrm{T} & =2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}} \\ & =2 \pi \sqrt{\frac{m}{m g / l}}=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}} \end{aligned}\)
अतः स्पष्ट है कि साधारण लोलक का दोलन काल गोलक (बॉब) 'द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
(b) सरल लोलक पर प्रभावी प्रत्यानयन बल

F = - mg sinθ जहाँ पर sinθ = θ और
सरल लोलक के दोलन काल का व्यंजक

\(\mathrm{T}=2 \pi \sqrt{\frac{l}{\mathrm{~g}}}\)द्वारा दिया जाता है।

θ के अधिक मान के लिये अब हम
F = - mgsinθ लेते हैं जो वास्तव में
 

प्रश्न 16. 
नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(a) किसी कण की सरल आवर्त गति के आवर्तकाल का मान उस कण के द्रव्यमान तथा बल- स्थिरांक पर निर्भर करता है: \(\mathrm{T}=2 \pi \sqrt{m / k}\) कोई सरल लोलक सन्निकट सरल आवर्त गति करता है। तब फिर किसी लोलक का आवर्तकाल लोलक के द्रव्यमान पर निर्भर क्यों नहीं करता?
(b) किसी सरल लोलक की गति छोटे कण के सभी दोलनों के लिए सन्निकट सरल आवर्त गति होती है। बड़े कोणों के दोलनों के लिए एक अधिक गूढ़ विश्लेषण यह दर्शाता है कि T का मान \(2 \pi \sqrt{l / g}\) से अधिक होता है। इस परिणाम को समझने के लिए किसी गुणात्मक कारण का चिंतन कीजिए।
(c) कोई व्यक्ति कलाई घड़ी बाँधे किसी मीनार की चोटी से गिरता है। क्या मुक्त रूप से गिरते समय उसकी घड़ी यथार्थ समय बताती है?
(d) गुरुत्व बल के अंतर्गत मुक्त रूप से गिरते किसी केबिन में लगे सरल लोलक के दोलन की आवृत्ति क्या होती है ?
उत्तर:
(a) साधारण लोलक के लिये, बल का मान स्थिर रहता है और कमानी गुणक या बल नियतांक का मान द्रव्यमान के समानुपाती है और m अंश तथा हर में से आपस में कट जाता है। इस कारण से साधारण लोलक का दोलनकाल गोलक (बॉब) के द्रव्यमान से स्वतंत्र है।
सरल लोलक के लिये
F = -mg/l y = -ky
∴ k = mg/l
यहाँ पर k = कमानी गुणांक या बल नियतांक है जो कण के द्रव्यमान के समानुपाती है। सरल लोलक के
सूत्र
\(\begin{aligned} \mathrm{T} & =2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}} \\ & =2 \pi \sqrt{\frac{m}{m g / l}}=2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}} \end{aligned}\)
अतः स्पष्ट है कि साधारण लोलक का दोलन काल गोलक (बॉब) के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
(b) सरल लोलक पर प्रभावी प्रत्यानयन बल
F = -mg sinθ जहाँ पर sinθ = θ और
θ सरल लोलक के दोलन काल का व्यंजक
T = \(2 \pi \sqrt{\frac{l}{g}}\) द्वारा दिया जाता है।
θ के अधिक मान के लिये अब हम
F = - mgsinθ लेते हैं जो वास्तव में
< mg क्योंकि θ के अधिक मान के लिये sinθ < θ है। इस प्रकार अधिक 6 के लिये g का प्रभावी मान gsinθ हो जाता है। अतएव स्पष्टतया
gsinθ < g चूंकि \(\mathrm{T} \propto \frac{1}{\sqrt{\mathrm{g}}}\) अतः θ के अधिक मान के लिये g का प्रभावी मान कम हो जाता हैं। इसलिये T का मान \(2 \pi \sqrt{\frac{l}{\mathrm{~g}}}\) बहुत बढ़ जाता है।
(c) हाँ, चूंकि कलाई घड़ी का कार्य कमानी के कार्य पर निर्भर है अर्थात् लिपटी हुई कमानी वाली घड़ी कमानी में संचित स्थितिज ऊर्जा (P.E.) से चलती है। घड़ी के कार्य में गुरुत्व की कोई भूमिका नहीं है। इसलिये यह सही समय देती है।
(d) साधारण लोलक की दोलन आवृत्ति
\(n=\frac{1}{\mathrm{~T}}=\frac{1}{2 \pi} \sqrt{\frac{\mathrm{g}}{l}}\)
अर्थात्
(आवृत्ति n ) \(\propto \sqrt{g}\)
मुक्त रूप से गिरने से g = 0 अतः सरल लोलक की आवृत्ति शून्य होगी।

RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन

प्रश्न 17. 
किसी कार की छत से / लम्बाई का कोई सरल लोलक, जिसके लोलक का द्रव्यमान M है, लटकाया गया है। कार R त्रिज्या के वृत्तीय पथ पर एक समान चाल से गतिमान है। यदि लोलक त्रिज्य दिशा में अपनी साम्यावस्था की स्थिति के इधर-उधर छोटे दोलन करता है, तो इसका आवर्तकाल क्या होगा?
उत्तर:
चूँकि लोलक त्रिज्य दिशा में अपनी साम्यावस्था की स्थिति के इधर-उधर दोलन कर रहा है इसके ऊपर एक अतिरिक्त त्वरण R त्रिज्या के वृत्तीय मार्ग पर कार का अभिकेन्द्रीय त्वरण v2/R है यहाँ पर R कार की एक समान चाल है। कार्य करता है। इस प्रकार लम्बवत् दिशाओं में कार्य करने वाले दो त्वरण लोलक पर कार्य करते हैं-
(i) गुरुत्व जनित त्वरण (g)
(ii) a. अभिकेन्द्रीय त्वरण (V2/R)
परिणामी त्वरण \(\begin{aligned} a & =\sqrt{g^2+a_c^2}=\sqrt{g^2+\left(\frac{v^2}{R}\right)^2} \\ & =\sqrt{g^2+\frac{v^4}{\mathrm{R}^2}} \end{aligned}\)
यदि लोलक का दोलनकाल है तब
\(\begin{aligned} \mathrm{T} & =2 \pi \sqrt{\frac{l}{\mathrm{a}}} \\ \mathrm{T} & =2 \pi \sqrt{\frac{l}{\sqrt{g^2+\frac{\mathrm{v}^4}{\mathrm{R}^2}}}} \end{aligned}\)
अर्थात् गुरुत्व जनित प्रभावी त्वरण क्षैतिज दिशा में त्रिज्यीय त्वरण V2/R के कारण लघुकृत हो जाता है।

प्रश्न 18. 
आधार क्षेत्रफल A तथा ऊँचाई के एक कॉर्क का घनत्व के किसी द्रव में तैर रहा है। कॉर्क को थोड़ा नीचे दबाकर स्वतंत्र छोड़ देते हैं, यह दर्शाइए कि कॉर्क ऊपर-नीचे सरल आवर्त दोलन करता है जिसका आवर्तकाल
\(\mathrm{T}=2 \pi \sqrt{\frac{h \rho}{\rho_1 g}}\)
यहाँ कॉर्क का घनत्व है (द्रव की श्यानता के कार P अवमंदन को नगण्य मानिए )।
उत्तर:
माना
h = बेलनाकार कॉर्क की ऊँचाई 
A = बेलनाकार कॉर्क की अनुप्रस्थ काट 
p = बेलनाकार कॉर्क के पदार्थ का घनत्व 
x = द्रव में तैरते हुए बेलन की संतुलित स्थिति है
कॉर्क का द्रव्यमान = m = vp = Ahp
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 14
W1 = कॉर्क की अनुप्रस्थ काट द्रव में डूबे बेलन की लम्बाई x द्रव का घनत्व x g 
= A x l x p1 x g
W1 = Alp1g
तैरने के नियम के अनुसार
W = W1
या
Ahpg = Alp1g
या
h = lp1/p ....(1)
माना बेलन को PQ = y दूरी से द्रव में धकेला जाता है। तब बेलन पर कार्यरत प्रत्यानयन बल
या
F = -(Ay)p1 x g
= - (Ap1g) y
F = -ky ....(2)

जहाँ k = Ap1g बल नियतांक है।
हम जानते हैं कि \(\mathrm{T}=2 \pi \sqrt{\frac{\mathrm{m}}{\mathrm{k}}}\)
m तथा k का मान रखने पर
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 15

प्रश्न 19. 
पारे से भरी किसी नली का एक सिरा किसी चूषण पंप से जुड़ा है, तथा दूसरा सिरा वायुमंडल में खुला छोड़ दिया गया है। दोनों स्तंभों में कुछ दाबान्तर बनाए रखा जाता है। यह दर्शाइए कि जब चूषण पंप को हटा देते हैं, तब नली में पारे का स्तंभ सरल आवर्त गति करता है।
उत्तर:
चूषण पम्प दाबान्तर उत्पन्न करता है। इस प्रकार U नली की एक भुजा में पारा चढ़ जाता है। जब इसे हटा लिया जाता है तो पारे के द्रव स्तम्भ के स्तर में अन्तर होने लगता है और द्रव स्तम्भ S. H.M. करता है, जैसा नीचे समझाया गया है।
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 16
माना P = पारे का घनत्व
L = दोनों भुजाओं में पारे के स्तम्भ की कुल लम्बाई 2h 
A = U नली की आन्तरिक अनुप्रस्थ काट
m = U नली में पारे का द्रव्यमान = LAp
RQ' =2y
∴ 2y भुजा की लम्बाई में पारे का बन्द आयतन = A x 2y 
∴ m = A × 2y x p
यदि 2y लम्बाई के स्तम्भ में भरे द्रव का भार W है।
तब
W = mg = A × 2y x p x g
यह भार प्रत्यानयन बल (F) उत्पन्न करता है जो पारे को पुनः साम्य अवस्था में लाने का प्रयास करता है।
F = -2Aypg
F = -(2Apg)y
इस समीकरण की तुलना F = kx से करने पर
k = 2Apg
सम्पूर्ण द्रव का द्रव्यमान = m = vp = A(2h) (p)
k तथा m के उपरोक्त द्रव्यमान \(2 \pi \sqrt{\mathrm{m} / \mathrm{k}}\) में रखने पर
\(T=2 \pi \sqrt{\frac{\mathrm{A}(2 h)(\rho)}{2 A \rho g}}\)
\(\mathrm{T}=2 \pi \sqrt{\frac{\mathrm{h}}{\mathrm{g}}}\)
इससे सिद्ध होता है कि जब चूषण पम्प को हटा देते हैं तब U नली में पारे का स्तम्भ सरल आवर्त गति करता है।

अतिरिक्त अभ्यास:

प्रश्न 20. 
चित्र में दर्शाए अनुसार आयतन के किसी वायु कक्ष की ग्रीवा (गर्दन) की अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A है। इस ग्रीवा मेंm द्रव्यमान की कोई गोली बिना किसी घर्षण के ऊपर-नीचे गति कर सकती है। यह दर्शाइए कि जब गोली को थोड़ा नीचे दबाकर मुक्त छोड़ देते हैं, तो वह सरल आवर्त गति करती है। दाब आयतन विचरण को समतापी मानकर दोलनों के आवर्तकाल का व्यंजक ज्ञात कीजिए। 
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 17
उत्तर:
माना आन्तरिक अनुप्रस्थ काट A की लम्बी गर्दन वाले वायु से भरे कक्ष का आयतन = v
माना ? = C स्थिति में गर्दन में फिट की गई गोली का द्रव्यमान है।
माना Pa = गोली के दोनों ओर दाब वायुमण्डलीय दाब जहाँ गोली पर थोड़ा-सा दाब बढ़ाने पर वह D स्थिति पर नीचे आ जाती है, जहाँ CD = y है।
इस प्रकार वायुकक्ष में वायु का आयतन V से कम है और दाब P से अधिक हो जाता है।
यदि ∆V = कक्ष के अन्दर वायु के आयतन में कमी = Ay
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 18
यहाँ पर ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है कि दाब में वृद्धि कक्ष में
वायु के आयतन में कमी दर्शायेगी
अब \(P=\frac{-E A}{V} y\) .................. (1)
दाब आधिक्य के कारण, गोली पर कार्यरत प्रत्यानयन बल
\(\mathrm{F}=\mathrm{P} \times \mathrm{A}=\frac{-\mathrm{EAy}}{\mathrm{V}} \mathrm{A}=\frac{-\mathrm{EA}^2}{\mathrm{~V}} \mathrm{y}\) .............. (2)
समीकरण (2) की तुलना F = ky से करने पर
k = EA2/V
आवर्तकाल के सूत्र में k मान रखने पर
\(\begin{aligned} \mathrm{T} & =2 \pi \sqrt{\frac{\mathrm{m}}{\mathrm{k}}} \\ \mathrm{T} & =2 \pi \sqrt{\frac{\mathrm{mV}}{\mathrm{EA}^2}} \end{aligned}\)

RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन

प्रश्न 21. 
आप किसी 3000 kg द्रव्यमान के स्वचालित वाहन पर सवार हैं। यह मानिए कि आप इस वाहन की निलंबन प्रणाली के दोलनी अभिलक्षणों का परीक्षण कर रहे हैं। जब समस्त वाहन इस पर रखा जाता है, तब निलंबन 15 cm आनमित होता है। साथ ही, एक पूर्ण दोलन की अवधि में दोलन के आयाम में 50% घटोतरी हो जाती है। निम्नलिखित के मानों का आकलन कीजिए:
(a) कमानी स्थिरांक, तथा
(b) कमानी तथा एक पहिए के प्रघात अवशोषक तंत्र के लिए अवमंदन स्थिरांक b है।
यह मानिए कि प्रत्येक पहिया 750 kg द्रव्यमान वहन करता है।
उत्तर:
दिया गया है:
(a) वाहन का द्रव्यमान
M= 3000kg
m = प्रत्येक पहिये द्वारा वहन द्रव्यमान
M = 750 kg
y = 15cm = 15 x10m = 0.15m
a = त्वरण = g
k = कमानी स्थिरांक = ?
हम जानते हैं
\(\frac{m}{k}=\frac{\mathrm{y}}{\mathrm{a}}=\frac{\mathrm{y}}{\mathrm{g}}\)
या 
mg  = ky
या
k = mg/y
मान रखने पर
\(\mathrm{k}=\frac{750 \times 9.8}{0.15}\)
= 4.9 × 104 N/m
= 5 × 104 N/m

(b) अवमन्दन स्थिरांक
आवर्तकाल \(\mathrm{T}=2 \pi \sqrt{\frac{m}{k}}\)
या
\(=\frac{2 \times 3.14 \times 86.60}{700}\)
T = 0.776 सेकण्ड
एक चक्र में आयाम आधा रह जाता है, अत:
\(\mathrm{A}=\mathrm{A}_0 \mathrm{e}^{\frac{-b t}{2 m}}\) से,
t = T में A = A2 रखने पर
\(\begin{aligned} \frac{\mathrm{A}_0}{2} & =\mathrm{A}_0 \mathrm{e}^{\frac{-b \mathrm{~T}}{2 m}} \\ 2 & =\mathrm{e}^{\frac{b \mathrm{~T}}{2 m}} \end{aligned}\)
⇒ अवमन्दन स्थिरांक 
\(\begin{aligned} b & =\frac{2 m \times 0.693}{T} \\ & =\frac{2 \times 750 \times 0.693}{0.77} \end{aligned}\)
= 1350 किग्रा./से.
b = 1350 किग्रा./से.

प्रश्न 22. 
यह दर्शाइए कि रैखिक सरल आवर्त गति करते किसी कण के लिए दोलन की किसी अवधि की औसत गतिज ऊर्जा उसी अवधि की औसत स्थितिज ऊर्जा के समान होती है।
उत्तर:
माना m द्रव्यमान का कोई कण आवर्तकाल T के लिये सरल आवर्त गति करता है। माना क्षण पर जब समय को, माध्य स्थिति से मापा जाता है, कण का विस्थापन
y = asin ωt ........... (1)
द्वारा दिया जाता है।
हम जानते हैं v = कण का वेग
= dy/dt = d/dt (a sin ωt)
v = aωcosωt .............. (2)
KE E = 1/2mV2 = 1/2 m (aωcosωt)2
= 1/2 ma2w2 cos2 ωt
PE, Ep = 1/2ky2 = 1/2k (asinωt)2
Ep = 1/2ka2 sin2ωt
= 1/2mω2a2sin2ωt
∵ k = mω2
(Ex)av = एक चक्र पर औसत गतिज ऊर्जा
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 19

∴ sinnπ  = 0 n = 0,1,2........
(Ek)av = 1/4ma2ω2 .............. (3)
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 20
इस प्रकार समीकरण (3) तथा (4) से हम देखते हैं कि एक दोलनकाल पर औसत K.E. और उसी काल में औसत P.E. के तुल्य है।

प्रश्न 23.
10 kg द्रव्यमान की कोई वृत्तीय चक्रिका अपने केन्द्र से जुड़े किसी तार से लटकी है। चक्रिका को घूर्णन देकर तार में ऐंठन उत्पन्न करके मुक्त कर दिया जाता है। मरोड़ी दोलन का आवर्तकाल 1.5s है। चक्रिका की त्रिज्या 15 cm है। तार का मरोड़ी कमानी नियतांक ज्ञात कीजिए। [ मरोड़ी कमानी नियतांक α संबंध τ = -αθ द्वारा परिभाषित किया जाता है, यहाँ θ प्रत्यानयन बल युग्म है तथा  ऐंठन कोण है।]
उत्तर:
दिया गया है:
m = 10 kg
R = 15 cm = 0.15m
T = 1.5 Second
α = ?
वृत्तीय चक्रिका का जड़त्व आघूर्ण
I = 1/2mR2
I = 1/2 x 10 x (0.15)2 kgm2
I = 5 x 225 x 10-4 किग्रा. मी.
RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 14 दोलन 21
α = 1.976 Nm / radian

प्रश्न 24. 
कोई वस्तु 5 cm के आयाम तथा 0.2 सेकण्ड की आवृत्ति से सरल आवृत्ति गति करती है। वस्तु का त्वरण तथा वेग ज्ञात कीजिए जब वस्तु का विस्थापन (a) 5 cm (b) 3 cm (c) 0cm हो। 
उत्तर:
दिया गया है:
A = 5 cm = 0.05m
= 5 × 10-2m
T = 0.2 second
\(\omega=\frac{2 \pi}{T}=\frac{2 \pi}{0.2}\) = 10πradian/s
जब विस्थापन y है तब त्वरण a = - ω2 A
वेगv = Vimm
स्थिति (a) जब y = 5 cm = 0.05m
a = ( 10π) 2 x 0.05
= - 5π2m/s2
वेग v = 10π \(\sqrt{(0.05)^2-(0.05)^2}\)  = (0 मी./से. उत्तर
स्थिति (b) जब y = 3 cm = 0.03m तब त्वरण a = - ω2
a =  - (10 π)2 × 0.03
= - 3ω22m/s2
v = 10π x \(\sqrt{(0.05)^2-(0.03)^2}\)
= 10π x 0.04 = 0.4rm/s

स्थिति (c) जब y = 0, A = -(10π) 2 x 0 = 0 मी./से.
v = 10π \(\sqrt{(0.05)^2-(0)^2}\)
= 10π x 0.05
= 0.57m/s

प्रश्न 25. 
किसी कमानी से लटका एक पिण्ड एक क्षैतिज तल में कोणीय वेग से घर्षण या अवमंदन रहित दोलन कर सकता है। इसे जब x दूरी तक खींचते हैं और खींचकर छोड़ देते हैं तो यह संतुलन केन्द्र से समय 1 = 0 पर, वेग से गुजरता है। प्राचल -x तथा v के पदों में परिणामी दोलन का आयाम ज्ञात करिये । [ संकेत : समीकरण.x = acos (ωt +0) से प्रारंभ कीजिए। ध्यान रहे कि प्रारंभिक वेग ऋणात्मक है।]
उत्तर:
माना किसी समय पर
x = A cos (ωt + θ)
यहाँ A = आयाम, 6 प्रारम्भिक कला कोण है।
वेग, dx/dt = -Aωsin(ωt +  θ)
जब t= (0), x  = x और dx/dt = -vo
∴ x0 = A cosθ
-vo = -Asinθ
या
asinθ = vo/ω
समीकरण (1) तथा (2) का वर्ग करके जोड़ने पर
या
(Acosθ)2 + (Asinθ) = x2 + (vo/ω)2
A2 (cos2θ+ sin2θ) \(x_0^2+\frac{v_o^2}{\omega^2}\)
\(\begin{array}{r} \mathrm{A}^2 \times 1=x_0{ }^2+\frac{\mathrm{v}_0^2}{\omega^2} \\ \mathrm{~A}=\left(x_0{ }^2+\frac{\mathrm{v}_0{ }^2}{\omega^2}\right)^{\frac{1}{2}} \end{array}\)

Prasanna
Last Updated on March 10, 2023, 10:29 a.m.
Published March 8, 2023