RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5 यायावर साम्राज्य

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5 यायावर साम्राज्य Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 History Solutions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

RBSE Class 11 History यायावर साम्राज्य InText Questions and Answers

प्रश्न 1. 
यदि यह मान लें कि जुवैनी का बुखारा पर कब्जे का वृत्तान्त सही है, कल्पना करें कि आप बुखारा और खुरासान के निवासी हैं और ऐसा भाषण सुन रहे हैं तो उस भाषण का आपके ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा ?
उत्तर:
माना कि हम बुखारा और खुरासान के निवासी हैं। हमने बुखारा नगर के उत्सव में चंगेज़ खान का भाषण सुना जिसका हम पर यह प्रभाव पड़ा कि हमें गरीबों का शोषण कर अनुचित तरीकों से धन-सम्पत्ति एकत्रित नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने वाले लोगों को ईश्वर कब दण्डित कर दे पता नहीं चलता। मंगोल लड़ाकुओं की तरह कोई भी हमारी सम्पत्ति लूटकर ले जा सकता है और शारीरिक हानि भी पहुँचायी जा सकती है।

RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5 यायावर साम्राज्य  

प्रश्न 2. 
पशुचारकों और किसानों के स्वार्थों में संघर्ष का क्या कारण था ? क्या चंगेज़ खान खानाबदोश कमांडरों को देने वाले भाषण में इस तरह की भावनाओं को शामिल करता ?
उत्तर:
मंगोल यायावर समुदाय मध्य एशिया के स्टेपी प्रदेश में निवास करता था। इनके निवास क्षेत्र में कृषि योग्य अनुकूल परिस्थितियों के अभाव के कारण इन लोगों ने कृषि के स्थान पर पशुचारण को अपनाया। कुछ मंगोल लोग शिकार भी करते थे। शीतकाल में मंगोल पशुपालक अपने पशुओं को शीतकालीन निवासस्थल से ग्रीष्मकालीन चारण भूमि की ओर लेकर चले जाते थे। वहाँ उन्हें पर्याप्त मात्रा में पशुओं के लिए चारा एवं खाने के लिए खाद्य पदार्थ प्राप्त हो जाते थे। इन पशुपालकों को वर्षा न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने पर तथा शिकार सामग्रियों के समाप्त हो जाने पर अन्य चारागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।

कई बार पशु स्थानीय कृषकों की फसलों को भी नुकसान पहुंचाते थे, इससे कृषक नाराज हो जाते थे। तब ये पशुचारकों को अपनी कृषि भूमि से दूर रहने के लिए कहते थे, ताकि उनकी फसल को कोई नुकसान न पहुँचे। इसी कारण से पशुचारकों एवं कृषकों के स्वार्थों में संघर्ष की स्थिति बनी रहती थी। दूसरी ओर चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलुई के वंशज गज़न खान ने खानाबदोश कमांडरों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि किसानों को लूटा न जाए। उन्हें परेशान करने की अपेक्षा उनकी रक्षा की जाए। हाँ, चंगेज़खान भी 13वीं शताब्दी में यदि शासन कर रहा होता तो वह भी अपने खानाबदोश कमांडरों को देने वाले भाषण में इसी प्रकार की भावनाओं को शामिल करता। 

प्रश्न 3. 
क्या इन चार शताब्दियों में यास का अर्थ बदल गया, जिसने चंगेज़ खान को अब्दुल्लाह खान से अलग कर दिया? हफ़ीज-ए-तानीश के अनुसार अब्दुल्लाह खान ने मुसलमान उत्सव मैदान में किए गए धार्मिक अनुपालन के सम्बन्ध में चंगेज़ खान के यास का उल्लेख क्यों किया ? 
उत्तर:
बुखारा पर विजय प्राप्त करने के पश्चात चंगेज़ खान वहाँ के उत्सव मैदान में गया जहाँ पर बुखारा नगर के धनी व्यापारी एकत्रित थे। उसने धनी लोगों की कटु निन्दा की और उन्हें पापी कहा। उसने चेतावनी दी कि इन पापों के प्रायश्चितस्वरूप उनको अपना छिपा हुआ धन उसे देना पड़ेगा। 'यास' का अथ था-चंगेज़ खान की विधि संहिता। यास मंगोल जनजाति की ही प्रथागत परम्पराओं का एक संकलन था। यह विधि संहिता मंगोलों के समान आस्था रखने वालों के आधार पर एक-दूसरे से जोड़कर रखने में सफल रही। यास ने मंगोलों को अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने और अपने नियमों को पराजित लोगों पर लागू करने का आत्मविश्वास दिया। सोलहवीं शताब्दी के अन्त में चंगेज़ खान के सबसे बड़े पुत्र जोची का एक दूर का वंशज अब्दुल्लाह खान बुखारा के उसी उत्सव मैदान में गया। चंगेज़ खान के विपरीत उसने वहाँ छुट्टी की नमाज अदा की।

वहाँ मौजूद अब्दुल्लाह के इतिहासकार हफ़ीज-ए-तानीश ने अपने इतिवृत में एक आश्चर्यचकित करने वाली टिप्पणी की “कि यह चंगेज़ खान के यास के अनुसार था।हफ़ीज-ए-तानीश द्वारा अब्दुल्लाह खान के मुसलमान उत्सव मैदान में किए गए धार्मिक अनुपालन के सम्बन्ध में चंगेज़ खान के 'यास' का उल्लेख करने के पीछे उसके बदलते हुए अर्थ को लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना था। इन चार शताब्दियों में 'यास' का अर्थ बदल गया है जिसने अब्दुल्लाह खान को चंगेज़ खान से अलग कर दिया है। परवर्ती मंगोल सभ्य लोगों पर शासन करते-करते काफी विनम्र, परिष्कृत एवं सभ्य हो गये थे। अब वे चंगेज़ खान के कठोर नियमों को अपनी प्रजा पर लागू नहीं कर सकते थे। मंगोल शासकों को तनावपूर्ण स्थितियों से बचने के लिए अपने आपको परिवर्तित करना पड़ा। अब्दुल्लाह खान इसका उदाहरण है। लेकिन मंगोलों ने 'यास' में समयानुकूल परिवर्तन कर उसे बनाए रखा।

RBSE Class 11 History यायावर साम्राज्य Textbook Questions and Answers 

संक्षेप में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1. 
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्वपूर्ण था ?
उत्तर:
मंगोल साम्राज्य स्टेपी क्षेत्र में स्थित था। यहाँ घास के मैदान थे। अतः पशुपालन के लिए यहाँ पर उन्हें हरी घास के मैदान और प्रचुर मात्रा में छोटे-मोटे शिकार अनुकूल ऋतुओं में ही उपलब्ध हो जाते थे। इस पूरे क्षेत्र के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में बहुत अंतर पाया जाता था। यहाँ कठोर और लम्बी चलने वाली शीत ऋतु के बाद अल्पकालीन और शुष्क गर्मियों की अवधि आती थी। वार्षिक वर्षा का औसत भी कम रहता था, फलस्वरूप वर्ष की सीमित अवधियों में यहाँ कृषि करना सम्भव नहीं था। अतः मंगोल लोगों को अपने जीवनयापन के लिए व्यापार ही एकमात्र सहारा लगा। स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों के अभाव के कारण मंगोलों को व्यापार के लिए चीनवासियों के पास जाना पड़ता था। मंगोल खेती से प्राप्त उत्पादों एवं लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे एवं घोड़े, फर व स्टेपी में पकड़े गये शिकार को चीनियों को देते थे। यह व्यवस्था मंगोलों व चीनियों दोनों के लिए लाभदायक थी। उक्त समस्त कारणों से मंगोलों के लिए व्यापार इतना महत्वपूर्ण था।

प्रश्न 2. 
चंगेज़ खान ने यह क्यों अनुभव किया कि मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता है ?
उत्तर:
स्टेपी प्रदेश में कई मंगोल कबीले निवास करते थे। इनकी अपनी अलग-अलग पहचान थी। चंगेज़ खान मंगोलों के विभिन्न जनजातीय समूहों की अलग-अलग पहचान को समाप्त करके उन्हें एकीकृत करना चाहता था। पुरानी पद्धति में कुल, कबीले और सैनिक दशमलव इकाइयाँ एक साथ अस्तित्व में थीं। चंगेज़ खान ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित करके उनके सदस्यों को नवीन सैनिक इकाइयों में विभक्त कर दिया। उसने अपनी सेना को स्टेपी क्षेत्र की प्राचीन दशमलव पद्धति के अनुसार गठित किया जिसे दस, सौ, हजार व दस हजार सैनिकों की इकाई में विभक्त किया। इसमें सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई लगभग 10,000 सैनिकों की थी, जिसे 'तुमन' कहा जाता था। इसमें अनेक कबीलों व कुलों के लोग सम्मिलित थे। चंगेज़ खान ने स्टेपी क्षेत्र की पुरानी सामाजिक व्यवस्था को भी परिवर्तित कर दिया और विभिन्न वंशों व कुलों को एकीकृत किया। सभी को एक नई पहचान नवीन श्रेणी के रूप में प्रदान की।

प्रश्न 3. 
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज़ खान की स्मृति के साथ जुड़े हुए उसके तनावपूर्ण सम्बन्धों को उजागर करता है ?
उत्तर:
यास या यसाक उन जटिल विधियों का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करता है, जो चंगेज़ खान की स्मृति को बनाए रखने के लिए उसके उत्तराधिकारियों ने प्रस्तुत की थी। यास वह नियम संहिता थी जिसके बारे में कहा जाता है कि यह चंगेज़ खान ने 1206 ई. में लागू की थी। चंगेज़ खान के वंशजों ने इसे 'चंगेज़ खान की विधि-संहिता' का नाम दिया था। सम्भवतः ऐसा उन्होंने अपने पूर्वज चंगेज़ खान को सम्मान देने के लिए किया होगा। तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोलों ने एक विशाल साम्राज्य का निर्माण कर लिया था। उन्होंने अत्यन्त जटिल शहरी समाजों पर शासन किया जिनके अपने-अपने इतिहास, संस्कृतियाँ एवं नियम थे।

यद्यपि मंगोलों को अपने साम्राज्य यायावर साम्राज्य 159) के क्षेत्रों पर राजनीतिक प्रभुत्व प्राप्त था लेकिन फिर भी वे संख्यात्मक रूप से अल्पसंख्यक थे। परवर्ती मंगोलों ने अपने दो शताब्दियों के शासन काल में सभ्य लोगों पर शासन किया, जिस कारण उनका क्रूर व निर्दयी स्वभाव विनम्रता में परिवर्तित हो गया था। उन्होंने 'यास' की नियमावली को उदारतापूर्ण बनाया। अब वे एक ओर सभ्य लोगों पर शासन करते हुए बहुत सभ्य बन चुके थे वहां वे अपने पूर्वज चंगेज़ खान के कठोर नियमों के कारण उसकी आलोचना भी नहीं कर सकते थे। अतः परवर्ती मंगोलों के मन में तनावपूर्ण एवं दुविधापूर्ण भावना उत्पन्न हुई।

प्रश्न 4. 
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ? क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ा कर संख्या क्यों बताई है?
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो यायावर शासकों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। इसका मुख्य कारण यह है कि यायावर समाज नगरों पर धावा बोलकर उनमें खूब लूटमार करते थे। इसके अतिरिक्त वे नगरों में रहने वाले निर्दोष लोगों की क्रूरतापूर्वक हत्या भी कर देते थे। इसलिए नगरों में रहने वाले लोग उनसे घृणा करते थे। नगरों में रहने वाले साहित्यकार यायावर समाज के बारे में ऐसा चित्र प्रस्तुत करते हैं कि यायावर लोग क्रूर, बर्बर, हत्यारे व नगरों को नष्ट करने वाले थे। यही बात फ़ारसी इतिहासकारों पर भी लागू होती है। वे भी मंगोलों से घृणा करते थे क्योंकि वे इस्लामी दृष्टिकोण से प्रभावित थे। मंगोलों के द्वारा अनेक इस्लामी राज्यों को नष्ट करने से भी वे दुखी थे। वे मंगोलों को बर्बर तथा हत्यारा मानते थे, इसलिए उन्होंने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई है। संक्षेप में निबन्ध लिखिए

RBSE Solutions for Class 11 History Chapter 5 यायावर साम्राज्य  

प्रश्न 5. 
मंगोल और बेदोइन समान की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह उनके ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे? इन भिन्नताओं से जुड़े हुए कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देंगे?
उत्तर:
मंगोल और बेदोइन की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उनके ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से निम्न प्रकार से भिन्न थे
(i) मंगोल और बेदोइन समाज की भौगोलिक विशेषताओं में बहुत अंतर था। मंगोलों का निवास क्षेत्र अत्यधिक मनोरम, क्षितिज अत्यन्त विस्तृत और लहरिया मैदानों से घिरा हुआ था, जिसके पश्चिमी भाग में अल्ताई पहाड़ों की बर्फीली चोटियाँ थीं तथा दक्षिणी भाग में गोबी का रेगिस्तान स्थित था। उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में ओनोन और सेलेंगा नदियाँ और बर्फीली पहाड़ियों से पिघलकर अनेक झरने बहते थे। पशुचारण के लिए यहाँ ओनोन हरी घास के मैदान, आमोद-प्रमोद के लिए अनेक प्रकार के मनोरंजक खेल उपलब्ध हो जाते थे, जबकि अरब के बदू अपनी भेड़-बकरियों को रेतीले मरुस्थलों में चराते थे। रेगिस्तान में कहीं-कहीं ही पानी मिलता था तथा वहाँ पर कुछ खजूर के पेड़ तथा काँटेदार झाड़ियाँ पायी जाती थीं। धीरे-धीरे बदू लोग इनके आसपास ही अपनी बस्तियाँ बनाकर रहने लगे।

(ii) मंगोलों की अनेक प्रजातियाँ थीं। कुछ मंगोल तो पशुपालक तथा कुछ आखेट-संग्राहक थे। पशुपालक मंगोल घोड़े, भेड़-बकरी, ऊँट आदि को पालते थे। दूसरी ओर बढ्दू लोग अरब प्रदेश में रहते थे। ये लोग खाद्य पदार्थ, खजूर तथा ऊँटों के लिए चारे की तलाश में रेगिस्तान के सूखे क्षेत्रों से हरे-भरे क्षेत्रों की ओर आते-जाते रहते थे।

(iii) बौद्धिक रूप से बव् मंगोलों से अधिक बुद्धिमान थे। बद् यायावर लोगों ने विश्व को शिक्षा, साहित्य, कला, धर्म तथा संस्कृति के क्षेत्र में अद्भुत देन प्रदान की है। बदू यायावर लोगों के राजनीतिक एवं धार्मिक नेता पैगम्बर मुहम्मद ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की, लेकिन यह साम्राज्य मंगोलों के पारमहाद्वीपीय साम्राज्य से छोटा था, जो अरब और सहारा रेगिस्तान तक फैला हुआ था।

(iv) मंगोल और बदू (बेदोइन) दोनों के स्वभाव की प्रवृत्ति में काफी अन्तर था। मंगोल बहुओं की तुलना में बहुत अधिक कठोर, क्रूर तथा खूखार थे। मंगोल युद्धों में सफल लड़ाकू योद्धा होते थे तथा घुड़सवारी और तीरंदाजी में उनका कोई मुकाबला नहीं था।

(v) मंगोल आखेट संग्राहक लोग पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरिया के वनों में रहते थे। ये .. पशुपालक लोगों की अपेक्षा अधिक विनम्र तथा सभ्य स्वभाव के थे। परन्तु पशुपालकों की तुलना में गरीब ही होते थे।

ये लोग पशुओं की चमड़ी (खालें) तथा फर आदि का व्यापार करते थे। ये चीन से खाद्य सामग्री मँगाते थे। मंगोल यायावरों के क्षेत्र में शीत ऋतु लम्बी होती थी। चूँकि पहाड और नदियाँ बर्फ से ढकी रहती थीं जबकि गर्मी अल्पकालीन होती थी। अत: चारागाह क्षेत्र में वर्ष की सोमित अवधि में ही कृषि कार्य हो सकता था लेकिन मंगोलों ने कृषि कार्य को नहीं अपनाया था इसलिए यहाँ जनसंख्या का घनत्व कम था और इन क्षेत्रों में कोई नगर नहीं उभर पाये। मंगोल लोग तम्बुओं और जरों में रहते थे तथा शीत ऋतु में अपने पशुओं के साथ ग्रीष्मकालीन चारागाह क्षेत्रों की ओर चले जाते थे।

जबकि बेदोइन क्षेत्रों में रहने वाले बदू लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि था। छोटे व बड़े किसान जमीन के मालिक होते थे। जमीन कृषि की इकाइयों में बँटी हुई थी। चारागाह क्षेत्र, जो बाद में कृषि व्यवस्था की स्थिति में आ गये थे तथा जमीन गाँव की साझी सम्पत्ति थी। यहाँ मक्का, मदीना, यमन तथा दमिश्क जैसे कई नगर थे। हज यात्रा तथा व्यापार ने इन खानाबदोशों और बसे हुए कबीलों के एक-दूसरे के साथ बाचतीत करने और अपने विश्वासों, रीति-रिवाजों, परम्पराओं को आपस में बाँटने का मौका दिया।

मंगोल और बेदोइन समाज की भिन्नतओं से जुड़े कारणों को समझने के लिए हमारा स्पष्टीकरण निम्न प्रकार से है उपर्युक्त बातों के होते हुए भी यह भी सत्य है कि मध्य एशिया के मंगोल यायावरों एवं अरब के बेदोइन (बद्) खानाबदोशों दोनों ने ही विशाल साम्राज्य की स्थापना की। इन लोगों ने विश्व के अनेक देशों से सम्पर्क स्थापित किया। पड़ोसी देशों से व्यापारिक गतिविधियों का आदान-प्रदान किया। अन्य तत्कालीन राज्यों एवं समाजों से बहुत कुछ सीखा और धीरे-धीरे वे सभ्य और प्रगतिशील बनते चले गए। वे ऐतिहासिक परिवर्तनों से भी अछूते न रह सके। उन्होंने सामाजिक और राजनीतिक परम्पराओं को रूपान्तरित करके एक महान सैनिक तंत्र और विशाल साम्राज्य की स्थापना की। यूरोप और एशिया तो यायावरों से प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी थे, उनके सामने नतमस्तक होते गये।

प्रश्न 6. 
तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित 'पैक्स मंगोलिका' का निम्नलिखित विवरण उसके चरित्र को किस तरह उजागर करता है?
एक फ्रेन्सिसकन भिक्षु, रूब्रुक निवासी विलियम को फ्रांस के सम्राट लुई IX ने राजदूत बनाकर महान खान मोंके के दरबार में भेजा। वह 1254 ई. में मोंके की राजधानी कराकोरम पहुँचा और वहाँ वह लोरेन, फ्रांस की एक महिला पकेट के सम्पर्क में आया जिसे हंगरी से लाया गया था। यह महिला राजकुमार की पत्नियों में से एक पत्नी की सेवा में नियुक्त थी, जो नेस्टोरियन ईसाई थी। वह दरबार में एक फारसी जौहरी ग्वीयोम् बूशेर के सम्पर्क में आया, जिसका भाई पेरिस के 'ग्रेन्ड पोन्ट' में रहता था। इस व्यक्ति को सर्वप्रथम रानी सोरगकतानी ने और उसके उपरान्त मोंके के छोटे भाई ने अपने पास नौकरी में रखा। विलियम ने यह देखा कि विशाल दरबारी उत्सवों में सर्वप्रथम नेस्टोरियन पुजारियों को उनके चिह्नों के साथ तथा इसके उपरान्त मुसलमानों, बौद्ध और ताओ पुजारियों को महान खान को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित किया जाता था।
उत्तर:
उपर्युक्त विवरण 13वीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित पैक्स मंगोलिका अर्थात् शान्त मंगोलिया अथवा इसके लोगों के चरित्र का बड़े ही सुन्दर ढंग से तथा उनकी धार्मिक सहिष्णुता की नीति का चित्रण करता है। इसके निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं
(1) फ्रांस के शासक लुई IX ने 1254 ई. में अपने राजदूत रूब्रुक को महान खान मोंके की राजधानी कराकोरम भेजा। इससे यह स्पष्ट होता है कि मंगोल शासकों के अपने पड़ोसी देशों से अच्छे कूटनीतिक सम्बन्ध थे। यह घटना मंगोलों के कूटनीतिक एवं सभ्य स्वभाव का होने का प्रमाण देती है।

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(2) सर्वप्रथम रूब्रुक कराकोरम में हंगरी से लाई गई ईसाई महिला पकेट के सम्पर्क में आया, जो राजकुमार की एक पत्नी की सेविका थी।
इसके बाद वह फारसी जौहरी ग्वीयोम् बूशेर से मिला। इससे यह स्पष्ट होता है कि मंगोल शासक बड़ी शानो-शौकत के साथ रहते थे। वे अपनी सेना में सेवक-सेविका, स्वर्णकार, दस्तकार रखते थे, जिन्हें दुनिया के कोने-कोने से बुलाया या लाया जाता था। इनको उचित वेतन एवं पुरस्कार देते थे अतः मंगोल बहुत सभ्य, सुसंस्कृत एवं सम्पन्न थे।

(3) विशाल दरबारी-उत्सवों में सर्वप्रथम नेस्टोरियन पुजारियों तदुपरान्त मुसलमानों, बौद्धों एवं ताओ पुजारियों को आमन्त्रित किया गया। यह बात स्पष्ट करती है कि शासक धार्मिक कट्टरता में विश्वास न करके सहिष्णुता की नीति के प्रतिपालक थे। वास्तव में मंगोलिया के लोग बहु-जातीय, बहु-भाषीय एवं बहु-धार्मिक थे। साथ ही यह भी स्पष्ट होता है कि शासक अपने शासन के कुशल संचालन हेतु सभी धर्मों के आशीर्वाद की अभिलाषा रखते थे।

उपर्युक्त विवरण से यह स्पष्ट होता है कि पैक्स मंगोलिका, मंगोलों के उत्कृष्ट चारित्रिक पहलुओं को उजागर करता है, वहाँ चारों ओर शान्ति स्थापित थी। चोर-लुटेरों और डाकुओं का अस्तित्व नहीं था। मंगोल अपने पूर्वजों की प्रारम्भिक अवस्था में खुद लूटपाट करते थे किन्तु अब लम्बे शासन के उपरान्त बहुत परिष्कृत एवं सभ्य तथा शान्तिप्रिय बन चुके थे। वे विभिन्न देशों से कूटनीतिक सम्बन्ध बनाए रखते थे।    

Prasanna
Last Updated on July 27, 2022, 9:12 a.m.
Published July 26, 2022