RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 19 सबसे खतरनाक

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 19 सबसे खतरनाक Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Hindi Solutions Aroh Chapter 19 सबसे खतरनाक

RBSE Class 11 Hindi सबसे खतरनाक Textbook Questions and Answers

कविता के साथ -

प्रश्न 1. 
कवि ने किस आशय से मेहनत की लूट, पुलिस की मार, गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना? 
उत्तर : 
कवि ने मेहनत की लूट को, पुलिस की मार को तथा गद्दारी-लोभ को सबसे खतरनाक नहीं माना है। ये बातें बुरी हैं, खतरनाक भी हैं परन्तु सबसे खतरनाक नहीं हैं। कवि मानता है कि मेहनत का उचित फल नहीं मिला तो अच्छा नहीं हुआ परन्तु सदा ऐसा होगा यह जरूरी नहीं है। पुलिस की मार तथा लोभ-लालच भी हमेशा हमें नहीं सताते। ऐसा कभी-कभी ही होता है। इनका प्रभाव सीमित क्षेत्र में ही होता है। इससे हानि भी सीमित ही होती है। भविष्य में इनसे बचा जा सकता है। संसार में इनसे भी अधिक खराब बातें हैं, जिनका प्रभाव मनुष्य पर स्थायी होता है तथा जो दीर्घगामी प्रभाव उस पर छोड़ती हैं। उनकी तुलना में ये बातें कम खतरनाक हैं। 

प्रश्न 2. 
सबसे खतरनाक शब्द के बार-बार दोहराये जाने से कविता में क्या असर पैदा हुआ? 
उत्तर : 
कवि ने कविता में 'सबसे खतरनाक' शब्द को बार-बार दोहराया है। कहीं उसने कहा है-'बुरा तो है', कहीं कहा है-'सबसे खतरनाक नहीं होती' और कहीं कहा-'सबसे खतरनाक है। इन कथनों से पाठक के मन में जिज्ञासा उत्पन्न होती है। वह यह जानना चाहता है कि सबसे खतरनाक बात क्या है ? वह विभिन्न स्थितियों की आपस में तुलना करता है तथा इस निष्कर्ष पर पहुँचना चाहता है कि सबसे खतरनाक बात क्या है ? 

RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 19 सबसे खतरनाक

प्रश्न 3. 
कवि ने कविता में कई बातों को बुरा है' न कहकर बुरा तो है' कहा है। 'तो' के प्रयोग से कथन की भंगिमा में क्या बदलाव आया है ? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
कवि ने कविता में कई बातों को 'बुरा है' नहीं कहा। उसने इसके स्थान पर 'बुरा तो है' कहा है। 'तो' शब्द के प्रयोग मात्र से कथन में तुलनात्मक प्रभाव उत्पन्न हो गया है। 'झूठ बोलना बुरा है' --कहने से उस बात में कोई सन्देह नहीं रहता कि झूठ बोलना बुराई है। परन्तु यदि कहा जाये--'झूठ बोलना बुरा तो है'-तो इस कथन में सन्देह पैदा हो जाता है। बुरा है कहने से वाक्य तथा उस सूचना में सम्पूर्णता का भाव पाया जाता है परन्तु तो का प्रयोग होने से वाक्य तथा सूचना दोनों ही अपूर्ण रह जाते हैं। उदाहरण के लिए-'झूठ बोलना बुरा तो है'-इस अधूरे वाक्य को पूरा करने के लिए कह सकते हैं—'परन्तु झूठ कौन नहीं बोलता', परन्तु आप आत्मरक्षा में झूठ बोल सकते हैं, परन्तु मैं झूठ नहीं बोलूँगा-इत्यादि। तो के प्रयोग मात्र से एक सतत् जिज्ञासा बनी रहती है। 

प्रश्न 4.
'मुर्दा शांति से भर जाना' और 'हमारे सपनों का मर जाना'-इनको सबसे खतरनाक माना गया है। आपकी दृष्टि में इन बातों में परस्पर क्या संगति है और ये क्यों सबसे खतरनाक हैं? 
उत्तर : 
शांति का अर्थ निष्क्रियता नहीं होता। मृत व्यक्ति में जीवन का या सक्रियता का कोई लक्षण नहीं होता। अतः मुर्दा शांति का अर्थ है-व्यक्ति का निराशा और उदासीनता से भर जाना। परम शान्ति तो मरने पर ही मिलती है, परन्तु जीते-जी इस शान्ति से मरने का आशय है-बुराई के प्रति प्रतिक्रिया न होना, अच्छाई-बुराई में किसी का पक्ष न लेना, तटस्थता, बुराई को देखकर-सुनकर भी उसका विरोध न करना, अच्छाई के पक्ष में दृढ़ता से खड़ा न होना। 

इसी प्रकार हमारे सपनों का मर जाना' का अर्थ है-जीवन को उद्देश्य के लिए न जीना अर्थात् लक्ष्यरहित जीवन जीना; भविष्य के प्रति आशा और आकांक्षाओं का मन में न रहना; जाति और देश के उत्थान के लिए कुछ करने की भावना ही मन में न होना; एक नीरस और उद्देश्यहीन जीवन जीना। ये दोनों बातें समान हैं। इनमें परस्पर गहरी संगति है। ये दोनों ही बातें सबसे खतरनाक हैं, क्योंकि इन पर हमारा, हमारी भावी पीढ़ी तथा हमारे देश का भविष्य टिका हुआ है। 

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प्रश्न 5. 
सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है/जो आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो आपकी निगाह में रुकी होती है।' इन पंक्तियों में घड़ी शब्द की व्यंजना से अवगत कराइए। 
उत्तर : घड़ी एक यन्त्र है जो समय बताता है। इसे हाथ की कलाई पर बाँधा जाता है। घड़ी लगातार चलती है और समय निरन्तर आगे बढ़ रहा है - यह सन्देश देती है। घड़ी यहाँ जीवन का प्रतीक है, जीवन भी घड़ी की तरह चल रहा है। समय के महत्व पर ध्यान न देना, समय के साथ कदम मिलाकर न चलना मनुष्य को बहुत हानि पहुंचा सकता है। चलती घड़ी को रुका मान लेना, समय की उपेक्षा है। एक ढर्रे पर चलती जिंदगी. बिताने की आदत मनुष्य के लिए बहुत घातक हो सकती है। यथास्थिति में भरोसा करने वाले लोगों को कवि ने विवेकहीन माना है। उनका जीवन चल रहा है, परन्तु फिर भी ये प्रकृति के इस सत्य को झुठलाना चाहते हैं। सुमित्रानन्दन पन्त ने लिखा है - 

आज बचपन का कोमल गात, जरा का पीला पात। 
चार दिन सुखद चाँदनी रात, और फिर अन्धकार अज्ञात।
 

प्रश्न 6. 
वह चाँद सबसे खतरनाक क्यों होता है ? जो हर हत्याकाण्ड के बाद आपकी आँखों में मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है। 
उत्तर : 
हत्याकाण्ड के पश्चात् भी चाँद हत्याकाण्ड वाले मकान के आँगन में चाँदनी बिखेरता है। उसमें परिस्थिति के अनुरूप कोई अंतर नहीं आता। लोग पीड़ित के परिजनों से सहानुभूति तो व्यक्त करते हैं पर उसे ईश्वर की मर्जी कहकर सांत्वना बंधाते हैं। वे अमानवीय कृत्य पर क्रोध में उसके परिजनों के साथ दृढ़ता से खड़े नहीं होते। इस तरह की निरर्थक सहानुभूति अमानवीयता के विरुद्ध क्षोभ और आक्रोश नहीं उत्पन्न होने देती। अत: चाँद जैसी प्रवृत्ति वाले लोगों से सदा सावधान रहने की आवश्यकता है। 

कविता के आस-पास -

प्रश्न 1.
कवि ने मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती' से कविता का आरम्भ करके फिर इसी से अन्त क्यों किया होगा? 
उत्तर : 
कवि ने कविता का आरम्भ 'मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती' से किया है। कविता के अन्त में भी यह पंक्ति दुहराई गई है। कवि यह कहना चाहता है कि परिश्रम का फल न मिले यह बात बुरी है परन्तु इससे भी अधिक खतरनाक बातें दुनिया में होती हैं। लोगों को इन छोटी बातों को छोड़कर खतरनाक बातों की ओर ध्यान देना चाहिए जो समाज और देश को अन्दर से जर्जर करती हैं। अपनी बात पर बल देने लिए ही कवि ने इस पंक्ति से कविता का आरम्भ तथा अन्त किया है। 

प्रश्न 2. 
कवि द्वारा उल्लिखित बातों के अतिरिक्त समाज में अन्य किन बातों को आप खतरनाक मानते हैं? 
उत्तर : 
कवि द्वारा अनेक बातों को समाज के लिए खतरनाक माना है। कवि द्वारा उल्लिखित इन बातों के अतिरिक्त कुछ अन्य बातें भी समाज के लिए खतरनाक होती हैं। जैसे प्रजातान्त्रिक देश में राष्ट्रीय चरित्र का न होना, नेताओं का स्वार्थी, धन-लोलुप तथा भ्रष्ट होना, जनता का कर्त्तव्यविमुख होना, केवल अधिकारों की माँग करना, समाज से जाति व्यवस्था हटाने के बजाय उसे बढ़ावा देना है, आरक्षण को निरन्तर बढ़ाते हुए उच्च बौद्धिकता की उपेक्षा करना, 'गरीबी हटाओ' के नाम पर गरीबों का शोषण होना इत्यादि भी समाज के लिए खतरनाक है। 

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प्रश्न 3. 
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए आपके पास क्या सुझाव हैं ? 
उत्तर : 
समाज में मौजूद खतरनाक बातों को समाप्त करने के लिए अनवरत प्रयास करने की आवश्यकता है। इसमें पक्षपात तथा ढील नहीं होनी चाहिए। दण्ड-व्यवस्था न्यायपूर्ण तथा कठोर बनाई जाय तथा उसको शक्तिशाली हाथों के प्रभाव से मुक्त रखा जाय। हमारे देश में उच्च पदों पर बैठे नेता तथा अधिकरी भ्रष्ट आचरण करने पर भी दण्डित नहीं होते। यदि उनको दण्ड मिलने लगे तो अनेक खतरनाक बातें स्वतः ही समाप्त हो जायेंगी। इसके साथ ही सामाजिक व नैतिक उत्थान की महती आवश्यकता है।

RBSE Class 11 Hindi सबसे खतरनाक Important Questions and Answers

अति लघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. 
'सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है'-का भाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
कवि कहना चाहता है कि अत्याचार को देखकर डर जाना तथा विरोध करने के स्थान पर चुप रहना बुरा तो है अर्थात् अत्याचार का विरोध होना ही स्वाभाविक एवं उचित बात है, परन्तु लोग परिस्थितिवश ऐसा नहीं करते और चुप रहते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। 

प्रश्न 2. 
'मेहनत की लूट' से कवि का क्या तात्पर्य है ? 
उत्तर : 
वर्तमान आर्थिक व्यवस्था में परिश्रम करने वाले को उसके श्रम का उचित फल नहीं मिलता। उसके श्रम का शोषण होता है। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में श्रम के इस शोषण को कवि ने मेहनत की लूट कहा है। 

प्रश्न 3. 
'जुगनू की लौ में पढ़ना' का आशय स्पष्ट कीजिये। 
उत्तर : 
जुगनू एक कीट होता है, जो उड़ते समय प्रकाश छोड़ता है। यहाँ जुगनू अल्पज्ञानी अथवा अज्ञानी गुरु का प्रतीक है। इस कथन का आशय है कि अज्ञानी गुरु से सच्चा एवं पूर्ण ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता। 

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प्रश्न 4. 
'चलती हुई घड़ी जो आपकी निगाह में रुकी होती है' को सबसे खतरनाक क्यों बताया गया है ? 
उत्तर : 
घड़ी चल रही है-समय निरन्तर आगे बढ़ रहा है। संसार में सदा कुछ-न-कुछ नया परिवर्तन हो रहा है। परिवर्तनशीलता के इस सत्य से इन्कार करना सबसे खतरनाक बात है। 

प्रश्न 5. 
कवि ने किन-किन बातों को सबसे खतरनाक बताया है ? 
उत्तर : 
कवि ने निम्नलिखित बातों को सबसे खतरनाक बताया है - मनुष्य में प्रतिक्रिया का अभाव हो जाना, बुराई से व्याकुल न होकर उसे सहन करना, उद्देश्यहीन जीवन जीना, यथास्थितिवादी बने रहना, बुराई का विरोध न करके तटस्थ रहना, भीषण नरसंहारों में भी अन्धविश्वास पर अविचलित रहना, आत्मिक प्रकाश का नष्ट हो जाना इत्यादि। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न -

प्रश्न 1. 
'मेहनत की लूट' तथा 'पुलिस की मार' को कवि ने सबसे खतरनाक क्यों नहीं माना है ? 
उत्तर :  
'मेहनत की लूट' अर्थात् श्रम का शोषण बुरा तो है परन्तु सबसे खतरनाक नहीं है। श्रम के शोषण का विरोध किया जा सकता है। श्रमिकों के संगठन उससे मुक्ति दिला सकते हैं। अत: यह बुराई सबसे खतरनाक नहीं है। पुलिस द्वारा पीटा जाना भी बुरी बात है परन्तु वह खतरनाक नहीं है। पुलिस की पिटाई भयानक होती है। उससे शरीर को कष्ट पहुँचता है परन्तु उसको भी रोका जा सकता है। उसका प्रभाव सीमित क्षेत्र में होता है। सबसे खतरनाक वे बातें होती हैं, जो समस्त समाज के चरित्र को दूषित करती हैं तथा. देश की प्रगति में बाधक होती हैं एवं जिनका प्रभाव दूरगामी होता है। 

प्रश्न 2.
'कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना' का भाव लिखिए। 
उत्तर : 
कपटी और स्वार्थी लोग शोर मचाकर अपनी बात मनवा लेते हैं। शोर या आतंक के सामने अपनी सही बात को भी नहीं कह पाना उचित आचरण नहीं है। यह आत्मबल की कमी दर्शाता है। फिर भी इसे सबसे बड़ा दुर्गुण नहीं कहा जा सकता।

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प्रश्न 3. 
'मुट्ठियाँ भींचकर वक्त निकाल लेना' से कवि का क्या तात्पर्य है ? 
उत्तर : 
मुट्ठियाँ भींचना क्रोध की अभिव्यक्ति है। जब मनुष्य को किसी बात पर गुस्सा आता है तो उसकी अंभिव्यक्ति कुछ अनुभावों द्वारा होती है। क्रोध की शान्ति बुरा काम करने वाले को दण्ड देकर ही होती है परन्तु यदि बुराई करने वाला हमसे अधिक शक्तिशाली, धनवान या पदवाला है तो हम केवल मुट्ठियाँ भींचकर ही अपना समय निकाल लेते हैं। कवि का इससे यहाँ आशय यह है कि बुराई के प्रति सक्रिय विरोध न करके केवल विरोध का दिखावा करना अच्छी बात नहीं होती।

प्रश्न 4.
केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिये -
सबसे खतरनाक होता है 
मुर्दा शान्ति से भर जाना। 
उत्तर : 
मुर्दा शान्ति से तात्पर्य उस शान्ति से है जो मुर्दाघरों में पाई जाती है। निर्जीव मनुष्य इस तरह शान्त होता है कि वह किसी भी अच्छी या बुरी बात पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता। जब यह बात किसी जीवित मनुष्य में उत्पन्न हो जाती है ते का दुर्गुण माना जाता है। शालीनता की प्रशंसा करना और दुष्टता पर क्रोधित होना मानवीय आचरण है। जब किसी को न बुराई पर गुस्सा आता है और न अच्छाई उसके चित्त को प्रसन्नता देती है, तब हम कहते हैं कि वह मुर्दा शान्ति से भर गया है अर्थात् जीवित होते हुए भी वह निर्जीव है। बुराई, अत्याचार, असत्य, शोषण इत्यादि के विरुद्ध संघर्ष करना ही जीवन है और ऐसा न करके चुप बैठे रहना सबसे खतरनाक बात है। कवि ने भी इसी को 'मुर्दा शान्ति से भर जाना' कहा है।

प्रश्न 5.
'हमारे सपनों का मर जाना'-से कवि का क्या आशय है ? 
अथवा 
कवि ने हमारे सपनों को मर जाने को सबसे खतरनाक क्यों माना है ? 
उत्तर :
कवि ने कहा है कि हमारे सपनों का मर जाना सबसे खतरनाक होता है। सपने भविष्य की स्वर्णिम कल्पना के प्रतीक हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने देश और समाज की प्रगति की कल्पना करता है। प्रत्येक पीढ़ी भावी पीढ़ी के लिए सुखद वातावरण की आकांक्षा रखती है। सुनहरे भविष्य की कल्पना, कल्याणकारी भावी समाज की सोच व अपनी सन्तान के लिए सुख-समृद्धि से पूर्ण भावी जीवन की इच्छा ही वे सपने हैं, जो प्रत्येक व्यक्ति और समाज देखता है। सपने या महत्त्वाकांक्षाएँ ही मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा और उत्साह प्रदान करते हैं। यदि मनुष्य हताश और उदासीन होकर बैठ जाएगा तो जीवन में कुछ भी नया, महत्वपूर्ण और प्रशंसा योग्य नहीं पा सकेगा।

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प्रश्न 6.
सबसे खतरनाक वह आँख होती है 
जो सब कुछ देखते हुए भी जमी बर्फ होती है 
उपर्युक्त पंक्तियों में कवि का आशय क्या है ? आँख को जमी हुई बर्फ क्यों कहा गया है? 
उत्तर : 
आँखें शरीर का एक अंग हैं जो वस्तुओं को देखकर उनका ज्ञान कराती हैं। आँख को ज्ञानेन्द्रियाँ कहा गया है। यदि आँख अपना यह कार्य बन्द कर दे, किसी वस्तु को देखकर भी उसको अनदेखी करे, उसके बारे में ज्ञान न कराये, किसी की दीन दशा को देखकर भी उसमें आँसू न डबडबायें तो वह जड़ पदार्थ ही कही जाएगी। पराये दुःखों पर द्रवित होना ही सज्जनों की पहचान है। (पर दुःख द्रवहिं सन्त नवनीता-तुलसी।) जमी बर्फ ठोस होती है, वह पिघलती नहीं। जो आँख दूसरों की पीड़ा से नहीं पिघलती। वह आँख कवि की दृष्टि में सबसे अधिक खतरनाक होती है। 

प्रश्न 7. 
कवि ने सबसे खतरनाक गीत किसको कहा है ? 
उत्तर :
पंजाबी भाषा के कवि पाश मानते हैं कि सबसे खतरनाक वह गीत होता है जो किसी की मृत्यु पर मरसिया के रूप में पढ़ा जाता है तथा जो गुण्डों की तरह किसी के द्वार पर जाकर अकड़ता है। कवि का आशय यह है जो गीत किसी दुःखी के दुःख को, करुणा के वातावरण को और अधिक बढ़ाते हैं, जो किसी भयभीत व्यक्ति को और अधिक आतंकित करते हैं, वह गीत सबसे अधिक खतरनाक होते हैं। कवि की दृष्टि में कविता का उद्देश्य लोगों को उत्साहित करना, उनके दुःखित निराश मन में आशा और प्रसन्नता का संचार करना एवं उन्हें जीवन का संबल देना है, उन्हें निराश तथा आतंकित करना नहीं है। 

प्रश्न 8. 
'सबसे खतरनाक वह दिशा होती है 
जिसमें आत्मा. का सूरज डूब जाए।' 
- कवि पाश ने किस दिशा को सबसे खतरनाक माना है तथा क्यों? 
उत्तर : 
मानव जीवन उल्लास और उमंग से चलता है जो आत्मा के प्रकाश की देन है। जब आशा का प्रकाश नष्ट हो जाता है, तो जीवन उसी प्रकार अज्ञान से भर जाता है जिस प्रकार सूर्य के छिपने पर संसार अन्धकार में डूब जाता है। इसी कारण कवि ने आत्मज्ञान के नष्ट होने की अवस्था को सबसे अधिक खतरनाक बताया है। इसके अभाव में मनुष्य अन्धविश्वासों और रूढ़िवादिता का शिकार हो जाता है। 

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प्रश्न 9. 
'किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है'-प्रस्तुत पंक्ति में अन्तर्निहित भाव को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
जुगनू से निकलता प्रकाश किसी उपयोग में नहीं आ सकता। इसी प्रकार अल्पज्ञानी या अकुशल मार्गदर्शक का आश्रय लेना भी व्यक्ति के लिए उपयोगी न होकर संकट का कारण बन सकता है। अत: मार्गदर्शक ऐसा चुना जाना चाहिए जो अनुयायी के जीवन को प्रकाशमय और सार्थक बना सके। कवि का मानना है कि गुरु, नेता, मार्गदर्शक, प्रशासक के चुनाव में भूल करना बुरा है किन्तु यह सबसे बड़ी बुराई नहीं हैं। 

प्रश्न 10.
कवि ने कुछ बातों को बुरा तो है' कहकर सबसे खतरनाक नहीं माना है। कवि के अनुसार वे बातें कौन-सी 
उत्तर : 
कवि ने कुछ बातों के लिए 'बुरा तो हैं' वाक्यांश का प्रयोग किया है परन्तु उनको खतरनाक नहीं माना है। वे बातें निम्नलिखित हैं - 
किसी की मेहनत का फल न मिलना, पुलिस की मार पड़ना, लालचवश किसी को धोखा देना, अकारण पकड़े जाना, भय के कारण मौन रहना, कपट के कारण सत्य का पक्ष न लेना, अल्पज्ञानी गुरु से शिष्यत्व ग्रहण करना, शोषित के पक्ष में तनकर खड़े न होना-उसका साथ देने का केवल दिखावा करना इत्यादि। कवि ने इन बातों को बुरा तो माना है, किन्तु सबसे खतरनाक नहीं माना है।

प्रश्न 11. 
कवि ने कुछ ऐसी बातें बताई हैं जो सबसे खतरनाक होती हैं। उनकी एक सूची बनाइए तथा बताइए कि वे खतरनाक क्यों हैं ? 
उत्तर : 
बुराई-भलाई पर कोई प्रतिक्रिया न करना, बुराई देखकर बेचैन न होना, सब बातों को बिना विरोध के स्वीकार कर लेना, एक ढर्रे पर चलने वाली जिन्दगी जीना तथा भविष्य में उन्नति-प्रगति की कोई आकांक्षा न होना-ये मनुष्य के वे दुर्गुण हैं जो सबसे खतरनाक होते हैं। इनसे देश और समाज को हानि पहुँचती है। 

परिवर्तन को नैसर्गिक नियम मानकर भी यथास्थितिवादी बने रहना, किसी के दुःख में संवेदना व्यक्त न करना, लोगों से स्नेहपूर्ण व्यवहार न करना, परम्परा और अन्धविश्वास के मार्ग पर चलना, किसी भयानक हत्याकाण्ड के बाद भी उदास लोगों से उपदेशात्मक कष्टकारी बातें करना, कविता द्वारा लोगों के दुःख और भय को और अधिक बढ़ाना, आत्मज्ञान का नष्ट हो जाना इत्यादि बातें ही कवि ने सबसे खतरनाक मानी हैं। इनको सबसे खतरनाक मानने का कारण यह है कि इनसे जो हानि होती है, वह स्थायी होती है तथा उसकी क्षतिपूर्ति नहीं हो पाती। 

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निबन्धात्मक प्रश्न -

प्रश्न :
पाश की कविता 'सबसे खतरनाक' का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर : 
पंजाबी भाषा के कवि पाश की कविता 'सबसे खतरनाक' प्रगतिवादी काव्यधारा की रचना है। कवि ने कहा कि संसार में कुछ ऐसी बातें होती हैं, जो समस्त मानवता के लिए अहितकर होती हैं। इस प्रकार की बातों को ही कवि ने सबसे खतरनाक कहा है तथा लोगों को प्रेरित किया है कि इनके विरुद्ध सक्रिय होकर संघर्ष करें। 

श्रम का सही मूल्य नहीं मिलता, लोभवश किसी व्यक्ति अथवा देश के प्रति गद्दारी। अकारण पकड़े जाना तथा भय के कारण - मौन रहना। कपट के कारण सही बात का समर्थन न करना, किसी अल्पज्ञ से शिक्षा प्राप्त करना और केवल मुट्ठियाँ भींचकर बुराई का विरोध करना, ये बातें बुरी तो हैं, परन्तु सबसे खतरनाक नहीं। 

सबसे खतरनाक होता है-बुराई के प्रति प्रतिक्रिया न होना, बेचैनी न होना, सब कुछ बिना विरोध किए सह लेना, एक बँधी हुई-सी जिन्दगी जीना तथा भविष्य के प्रति मन में उत्साह-उमंग का न होना। परिवर्तन प्रकृति का नियम है, इसे न मानकर यथास्थिति में बने रहना, मनुष्य का संवेदनहीन हो जाना, अन्धविश्वासों और रूढ़ियों का पालन करना भी सबसे खतरनाक होता है। 

जो कविता करुण भावों के वर्णन द्वारा दु:खी लोगों के दर्द को और बढ़ाती है अथवा भयभीत लोगों को और भयभीत करती है, वह भी सबसे खतरनाक होती है। पीड़ित के घरवालों को सांत्वना देने की खानापूर्ति करते हैं और अपने पूर्व विश्वासों पर चलते रहते हैं। अमानवीय आचरण का मन में न खटकना भी सबसे खतरनाक होता है। ज्ञान के प्रति जिनका मन-मस्तिष्क बन्द है और जिनकी आत्मा पर अन्धविश्वास छाया रहता है, वे लोग सबसे खतरनाक होते हैं। जिस दिशा में आत्मा का प्रकाश छिप जाता है और अज्ञान का अँधेरा मनुष्यत्व को ढंक लेता है, वह दिशा भी बहुत खतरनाक होती है। 

कवि मानता है कि जो बातें बुरी तो हैं, वे हमें इतनी अधिक हानि नहीं पहुँचातीं। परन्तु जो बातें सबसे खतरनाक हैं, उनका दुष्प्रभाव समाज में व्यापक एवं दीर्घकालीन होता है।

सबसे खतरनाक Summary in Hindi

कवि-परिचय :

पाश समकालीन पंजाबी साहित्य के एक महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उनकी कविता में विचारों और भावों का सुन्दर संयोजन मिलता है। 

जीवन-परिचय - पाश का जन्म सन् 1950 में पंजाब के जालंधर जिले के तलवण्डी सलेम गाँव में हुआ था। उनके पिता किसान थे। उनका वास्तविक नाम अवतार सिंह संधू है। उनकी शिक्षा स्नातक तक हुई किन्तु घर की परिस्थितियों के कारण वह नियमित ढंग से नहीं हो सकी। सन् 1967 में पाश का जुड़ाव बंगाल के नक्सलवादी आन्दोलन के साथ हो गया। उन्होंने सामाजिक बदलाव का लक्ष्य लेकर चलने वाले आन्दोलनों में भाग लिया। फलत: उनको जेल-यात्रा करनी पड़ी। वह कुछ समय अमेरिका में भी रहे। अलगाववादी शक्तियों के विरुद्ध लड़ते हुए यह योद्धा कवि सन् 1988 में शहीद हो गया। 

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साहित्यिक परिचय - पाश एक जनवादी कवि हैं। उनकी कविताओं में यथास्थिति के प्रति विद्रोह का भाव है। उनमें विचारों और भावों का सुन्दर समन्वय है। उनकी कविताओं में लोक-संस्कृति और परम्परा का गहरा बोध मिलता है। उनकी कविताओं में तटस्थता न होकर समस्याओं से गहरा जुड़ाव है, फलत: उनमें पीड़ा, निष्ठा और क्रोध की स्पष्ट व्यंजना हुई है। पाश ने अनेक साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये तथा उनके माध्यम से जनता को सतर्क किया। पाश ने सिआड़, हेमज्योति, हॉक, एंटी-47 आदि पत्रिकाओं का सम्पादन किया। पाश की कविता में विद्रोह का तीखापन है परन्तु वह सृजनात्मक है। 

रचनाएँ  - पाश पंजाबी भाषा के साहित्यकार हैं। 'लौहकथा', 'उड़दें बाजां मगर', 'साडै समिया बिच', 'लड़ेंगे साथी' आदि आपकी पंजाबी कृतियाँ हैं। ‘बीच का रास्ता नहीं होता' तथा 'लहू है कि तब भी गाता है' आपकी अनूदित रचनाएँ हैं।
 
सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण तथा सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर -

1. मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती 
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती 
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती 

शब्दार्थ : 

  • मेहनत = परिश्रम। 
  • लूट = धन-सम्पत्ति बलपूर्वक छीनना। 
  • मेहनत की लूट = शोषण, परिश्रम का उचित फल न मिलना। 
  • गद्दारी = किसी व्यक्ति, शासन अथवा देश को धोखा देना। 
  • लोभ = लालच। 
  • खतरनाक = भयावह। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित कवि अवतार सिंह 'पाश' की कविता 'सबसे . खतरनाक' से लिया गया है। कवि मेहनत की लूट, पुलिस की मार और गद्दारी को बुरा तो मानता है लेकिन सबसे खतरनाक नहीं मानता।
 
व्याख्या - कवि कहता है कि मनुष्य को उसके श्रम का उचित मूल्य प्राप्त न होना बुरी बात है परन्तु यह सबसे खतरनाक बात नहीं है। पुलिस द्वारा पकड़ा जाना और पीटा जाना खतरनाक है परन्तु कुछ बातें इससे भी अधिक खतरनाक हैं। लोभ-लालच में पड़कर देश के साथ द्रोह करना अच्छी बात नहीं है परन्तु वह भी सबसे खतरनाक काम नहीं है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
'मेहनत की लूट' का क्या तात्पर्य है ? 
उत्तर :
मेहनत की लूट का तात्पर्य है-श्रमिक का शोषण होना। जब श्रमिक को उसके श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता तो उसको मेहनत की लूट कहते हैं। पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में श्रमिकों को उनके श्रम के अनुरूप मजदूरी नहीं दी जाती और उनकी मजबूरियों का लाभ उठाया जाता है। कवि ने इसको ही श्रम की लूट कहा है। 

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प्रश्न 2. 
कवि ने शोषण को सबसे खतरनाक क्यों नहीं माना है ? 
उत्तर :
कवि ने शोषण को सबसे खतरनाक नहीं माना है। कवि मानता है कि शोषण का दुष्प्रभाव स्थायी नहीं होता। इससे होने वाली क्षति की पूर्ति भी हो सकती है। इस समस्या का निदान भी संभव है। श्रम कानून के तहत इसका उपचार किया भी जा रहा है। 

प्रश्न 3. 
'गद्दारी-लोभ की मुट्ठी' का अर्थ स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी का अर्थ है-लोभ-लालच में आकर देशद्रोह करना। लोभ-लालच मनुष्य के अवगुण हैं। जब वह विवेकशून्य होकर इसकी जकड़ में फंस जाता है तो उसका परिणाम अच्छा नहीं होता। देशद्रोह देश के प्रति सबसे बड़ा अपराध होता है। 

प्रश्न 4. 
पुलिस की मार सबसे खतरनाक क्यों नहीं होती है ? 
उत्तर : 
पुलिस अपराधी को तो पीटती ही है वह बहुत बार निरपराध व्यक्ति को भी पकड़ लेती है और उसको पीटती है। यह काम अवैधानिक है। परन्तु ऐसा नहीं है कि इससे मानवता के मौलिक रूप को क्षति पहुँचती है। सबसे खतरनाक काम वे हैं जो मनुष्यता को स्थायी क्षति पहुँचाते हैं। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
प्रस्तुत काव्यांश में प्रयुक्त छंद कौन-सा है ? 
उत्तर : 
प्रस्तुत काव्यांश की रचना में प्रचलित छंद-परंपरा का पालन नहीं हुआ है। इसमें मुक्त छन्द का प्रयोग है। मुक्त छन्द वह होता है जिसमें मात्रा अथवा वर्ण सम्बन्धी नियंत्रण नहीं होता। इस पद्यांश में प्रवाह है तथा इसकी पंक्तियाँ तुकान्त हैं। 

प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा सम्बन्धी विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की मूल रचना पंजाबी भाषा में हुई है। प्रस्तुत रचना उसका हिन्दी अनुवाद है। इसमें सरल तथा प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली का प्रयोग हुआ है, शब्द सुबोध हैं। भाषा में भावों को व्यक्त करने की सामर्थ्य है। कविता में आवेगपूर्ण मौलिक शैली है, मुक्त छन्द है। 'सबसे खतरनाक नहीं होता' एवं 'बुरा तो है' पदों की पुनरावृत्ति कविता में एक विशेष प्रभाव एवं जिज्ञासा उत्पन्न करती है। 

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2. बैठे-बिठाए पकड़े जाना-बुरा तो है 
सहमी-सी चुप में जकड़े जाना-बुरा तो है 
पर सबसे खतरनाक नहीं होता 
कपट के शोर में 
सही होते हुए भी दब जाना-बुरा तो है 
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना-बुरा तो है 
मुट्टियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना-बुरा तो है 
सबसे खतरनाक नहीं होता 

शब्दार्थ : 

  • बैठे-बिठाए = अकारण। 
  • सहमी = भयभीत हुई। 
  • चुप = मौन, शब्दहीनता।
  • जकड़े जाना = बँध जाना, कपट, छल। 
  • शोर = तेज आवाज। 
  • दब जाना = अन्याय सहना। 
  • जुगनू = खद्योत, एक कीट जो प्रकाश पैदा करता है। 
  • लौ = रोशनी। 
  • मुट्ठियाँ भींचना = क्रोध को मन में दबा लेना। 
  • भींचना = कसना। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित अवतार सिंह 'पाश' की कविता 'सबसे खतरनाक' से लिया गया है। इस अंश में कवि ने कहा है कि अकारण बंदी बनाया जाना, भय से मुँह बंद करना पड़ना आदि बातें दुःखदायी तो हैं लेकिन ये संकट स्थायी नहीं होते। ये सबसे अधिक हानि नहीं पहुँचाते हैं।
 
व्याख्या - अपने प्रेरक कथन के सन्दर्भ में कवि कुछ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहता है कि अकारण ही पुलिस द्वारा पकड़ लिया जाना बुरी बात तो है मगर वह सबसे खतरनाक बात नहीं है। बुराई के विरुद्ध तनकर खड़े न होना और सहमकर चुप रह जाना भी बुरी बात है परन्तु उसको सबसे खतरनाक बात नहीं कहा जा सकता। 

जब चारों ओर छल-कपट और अन्याय का वातावरण हो, शोषण और अनाचार फैला हो तो उसका विरोध न करके चुप रहना अच्छी बात नहीं है। किसी अत्यन्त साधारण और अपरिपक्व व्यक्ति का नेतृत्व स्वीकारना, अनुयायी बन जाना उचित नहीं होता, यह सही है। आँखों के सामने ही अन्याय-अत्याचार होते देखते रहना तथा केवल मुट्ठियाँ भींचकर समय निकालना बुरा है। तात्पर्य यह है कि अन्याय को देखकर भी सहन करना मानवोचित गुण नहीं है। ये सभी बातें अच्छी नहीं होतीं परन्तु उनको हम सबसे खतरनाक नहीं कह सकते। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
'बैठे बिठाए पकड़े जाना' से कवि का क्या आशय है ? 
उत्तर : 
'बैठे बिठाये पकड़े जाना' का आशय है-अकारण दण्ड का पात्र बनना। कवि का आशय अपराध न करने पर भी अथवा अकारण ही पुलिस द्वारा पकड़ लिए जाने से है। पुलिस की दोषपूर्ण कार्य-प्रणाली में ऐसा होना असंभव भी नहीं है। 

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प्रश्न 2. 
'सहमी-सी चुप' का क्या अर्थ है ? 
उत्तर : 
सहमने का अर्थ है-भयभीत होना। जब कोई व्यक्ति किसी भय के कारण चुप रहता है तथा सत्य कहने से परहेज करता है, तो उसको सहमी-सी चुप कहा जा सकता है। ऐसा प्राय: देखने में आता है कि किसी शक्तिशाली व्यक्ति के अपराध को जानकर भी उसके भय के कारण हम प्रकट नहीं कर पाते हैं। 

प्रश्न 3. 
'जुगनू की लौ' का प्रतीकार्थ क्या है ? 
उत्तर : 
जुगनू एक कीट है। वर्षा ऋतु के बाद वह हरियाली में दिखाई देता है। उससे एक प्रकार का प्रकाश निकला करता है, जिसे वह अपने साथी को आकर्षित करने के लिए छोड़ता है। यह प्रकाश धीमा और क्षणिक होता है। यहाँ इसका प्रयोग ऐसे व्यक्ति के लिए किया गया है जो जरा सी चमक-दमक देख आकर्षित हो जाता है या अल्पज्ञानी व्यक्ति का अनुयायी बन जाता है। 

प्रश्न 4. 
मुट्टियाँ भींचकर बस वक्त निकाल लेना' का आशय स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
'मुट्टियाँ भींचकर वक्त निकाल लेने का आशय यह है कि किसी पर अत्याचार होते देखकर मन में अत्याचारी का विरोध करने की इच्छा तो उत्पन्न हो किन्तु उसका विरोध सक्रिय रूप से न किया जाये, केवल कुछ आंगिक क्रियाएँ जैसे मुट्ठी भींचना आदि ही प्रकट में दिखाई दें। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
'किसी जुगनू की लौ में पढ़ना' की काव्यगत विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर : 
किसी जुगनू की लौ में पढ़ना एक लाक्षणिक प्रयोग है। इसमें लक्षणा शब्द-शक्ति है। इसका लाक्षणिक अर्थ है कि अल्पज्ञ अथवा अज्ञानी शिक्षक से शिक्षा प्राप्त करना। अज्ञानी अथवा अल्पज्ञानी गुरु या नेता सच्ची शिक्षा दे नहीं सकता। उसके शिष्य या अनुयायी को इससे हानि ही उठानी होती है। 

प्रश्न 2. 
'कपट के शोर' में कौन-सा अलंकार है ? 
उत्तर : 
कपट और शोर में अभिन्नता स्थापित किए जाने के कारण यहाँ रूपक अलंकार है। साम्य न होने पर भी उपमेय और उपमान में अभिन्नता होने पर रूपक अलंकार होता है। शोर में आवाज दब जाती है, कपट भी उसी प्रकार सत्य बोलने से रोक देता है। इसके साथ ही 'कपट के' में अनुप्रास अलंकार है।

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3. सबसे खतरनाक होता है 
और काम से लौटकर घर आना 
मुर्दा शान्ति से भर जाना 
सबसे खतरनाक होता है 
न होना तड़प का सब सहन कर जाना 
हमारे सपनों का मर जाना 
घर से निकलना काम पर 

शब्दार्थ : 

  • खतरनाक = भयानक। 
  • मुर्दा शान्ति = श्मशान जैसी शान्तिा 
  • तड़प = बेचैनी, व्याकुलता। 
  • सपना = भविष्य के प्रति आशावान होना। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह में संकलित अवतार सिंह 'पाश' की कविता 'सबसे अधिक खतरनाक' से लिया गया है। इस अंश में कवि ने जीवन के उन प्रसंगों को उद्धृत किया है जो उसकी आत्मा को बलहीन बना देते हैं। ये ही कवि की दृष्टि में सबसे खतरनाक स्थितियाँ होती हैं। 

व्याख्या - कवि कहता है कि मनुष्य के लिए सबसे खतरनाक बात यह है कि वह श्मशान जैसी शान्ति से भर जाय। शोषण के प्रतिकार की उसकी भावना ही मर जाय। अन्याय के विरोध में हाथ-पाँव चलाने के स्थान पर वह मुर्दे की तरह चुपचाप स्थिर और शान्त पड़ा रहे। वह समस्त अन्यायपूर्ण बातों को बिना विरोध किये सहन करता रहे और अनाचार को देखकर भी उसके मन में बेचैनी का भाव पैदा ही न हो। वह एक बँधे-बंधाए क्रम वाले जीवन को ही जीना समझे। सवेरा होने पर काम के लिए घर से निकले और काम पूरा करके शाम को अपने घर लौट आये। इस तरह एक नीरस, कोल्हू के बैल जैसे जीवन को ही वह अच्छा समझे और अपने मन में आशा-आकांक्षाओं को उठने का अवसर ही न दे। उसकी आँखों में भावी जीवन का कोई सुनहरा सपना ही न हो-ऐसी अवस्था मनुष्य के लिए और उसके देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक होती है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
मुर्दा शान्ति का क्या अर्थ है ? 
उत्तर : 
मुर्दा शान्ति का अर्थ है - किसी मरे हुए मनुष्य की तरह शान्त और निष्क्रिय हो जाना। जब मनुष्य के मन में बुराई के प्रतिकार के भाव उठना बंद हो जायें, बुरी बातें उसको बुरी न लगें, बुराई के विरोध में वह न कुछ कहे, न सुने और न कुछ करे, तो इसको हम मुर्दा शान्ति कहेंगे। 

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प्रश्न 2.
तड़प शब्द का प्रयोग कवि ने किस मनोभाव के लिए किया है ? 
उत्तर : 
तड़प का अर्थ है-बेचैनी। अपने सामने बुरा काम होते देखकर मनुष्य के मन में उसके प्रतिकार की भावना पैदा होकर उसको व्याकुल कर देती है। वह बुराई का विरोध करने के लिए तैयार हो जाता है। बुराई को रोकने तक उसका मन बेचैन रहता है। यह मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। कवि ने यहाँ तड़प शब्द को बुराई के विरोध के लिए व्याकुल होने की भावना के लिए किया है।

प्रश्न 3. 
घर से निकलना.........घर आना। प्रस्तुत पंक्ति का प्रतीकार्थ क्या है ? 
उत्तर : 
घर से निकलना काम पर और काम से लौटकर घर आना। प्रस्तुत पंक्ति का प्रतीकार्थ है, एक बँधी-बँधाई जिन्दगी जीना। सवेरे घर से निकलकर काम पर जाना और शाम को काम से घर लौटना यह अधिकांश लोगों के जीवन का एक क्रम होता है। इसका अर्थ है-एक ढर्रे पर चलना, एक नीरस जीवन व्यतीत करना। हिन्दी में इसके लिए सटीक मुहावरा है-कोल्हू का बैल होना।

प्रश्न 4. 
सपनों के मर जाने का क्या तात्पर्य है ? 
उत्तर : 
सपनों के मर जाने का तात्पर्य है-जीवन में आशा-आकांक्षा का समाप्त हो जाना। सपने सुन्दर भविष्य की कल्पना होते हैं। जब सुन्दर भविष्य की कल्पनाएँ मन में उठना बन्द हो जाती हैं तथा परिस्थितियों की भीषण जकड़ के कारण मन निराशा से भर जाता है, तब उस स्थिति को सपनों का मर जाना कहते हैं।

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1.
प्रस्तुत पद्यांश की रचना किस छंद में हुई है? 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश जिस कविता से लिया गया है उसकी रचना मूलतः पंजाबी भाषा में हुई है। यह कविता उसका हिन्दी अनुवाद है। पद्यानुवाद करते समय अनुवादक ने इसके लिए मुक्त छंद को अपनाया है। इसकी पंक्तियों की तुक मिलती है। अत: इसको तुकान्त मुक्त छंद कहा जा सकता है। 

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प्रश्न 2. 
'सपनों का मर जाना' में किस शब्द-शक्ति का प्रयोग है ? 
उत्तर : 
भाव-व्यंजना में शब्द-शक्तियों का महत्वपूर्ण स्थान है। शब्द-शक्तियाँ तीन होती हैं-अभिधा, लक्षणा तथा व्यंजना। प्रस्तुत पंक्ति में लक्षणा शब्द-शक्ति का प्रयोग हुआ है। सपनों का मर जाना का लक्ष्यार्थ भविष्य के प्रति सुखद कल्पनायें मन में पैदा न होना, मन में गहरी निराशा पैठ जाना इत्यादि हैं। मुख्यार्थ में बाधा होने पर शब्द का चमत्कारपूर्ण अर्थ लक्षणा शब्द शक्ति से निकलता है। 

4. सबसे खतरनाक वह घड़ी होती है 
जिसकी नजर दुनिया को मुहब्बत से चूमना भूल जाती है 
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो 
जो चीज़ों से उठती अंधेपन की भाप पर ढुलक जाती है। 
आपकी निगाह में रुकी होती है जो 
रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई 
सबसे खतरनाक वह आँख होती है 
एक लक्ष्यहीन दुहराव के उलटफेर में खो जाती है 
जो सब कुछ देखती हुई भी जमी बर्फ होती है 

शब्दार्थ :

  • घड़ी = समय बताने वाला एक यन्त्र। 
  • कलाई = हाथ के पंजे से ऊपर का भाग। 
  • निगाह = दृष्टि। 
  • मुहब्बत = प्रेम। 
  • रोजमर्रा = प्रतिदिना 
  • क्रम = सिलसिला। 
  • लक्ष्यहीन = निरुद्देश्य। 
  • दुहराव = एक ही बात को बार-बार बोलना, पुनरावृत्ति। 
  • उलटफेर = परिवर्तन, बदलाव। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित अवतार सिंह 'पाश' की रचना 'सबसे अधिक खतरनाक' से लिया गया है। इस अंश में कवि कहता है वह दृष्टि जो समय की उपेक्षा करती है, संवेदनाशून्य और हानिकारक वस्तुओं के प्रति आकर्षित होती है, वह सबसे अधिक खतरनाक हुआ करती है। 

व्याख्या - हाथ की कलाई पर बंधी हुई और चलती हुई घड़ी जीवन का प्रतीक है। कलाई पर बँधी घड़ी निरन्तर चल रही है, जीवन भी चल रहा है, परन्तु यदि मनुष्य की दृष्टि में वे रुके हुए हैं या वह समय के साथ नहीं चल पा रहा है तो यह सबसे खतरनाक बात है। बीत गए समय की भरपाई संभव नहीं होती। आँखों से मनुष्य संसार की प्रत्येक वस्तु को देखता और जानता है कि इसके लिए दृष्टि का संवेदनशील होना आवश्यक है। यदि दृष्टि जमी हुई बर्फ के समान जड़ और संवेदनशून्य होगी तो यह सबसे खतरनाक बात मानी जायेगी। 

जो संसार को प्रेम से चूमती नहीं वह दृष्टि सबसे खतरनाक होती है। जो दृष्टि अन्धविश्वास की भाप से उत्पन्न धुंधलेपन को चीरकर वस्तु के वास्तविक स्वरूप को देखने में असमर्थ होती है तथा जीवन में प्रतिदिन के सिलसिले को, एक निश्चित ढरें को स्वीकार कर लेती है, बार-बार उन्हीं बातों को दोहरांती जाती है, वह सबसे खतरनाक होती है। जो व्यक्ति निरुद्देश्य परिवर्तन में पड़े रहते हैं; थोड़े-बहुत हेर-फेर के साथ पुरानी बातों को दोहराते रहते हैं वह समाज को कुछ दे नहीं पाते। ऐसा दृष्टिकोण अत्यन्त खतरनाक होता है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1.
कवि ने किस वस्तु को सबसे खतरनाक बताया है ? 
उत्तर : 
कवि के अनुसार बीत रहे समय पर ध्यान न देना या समय के अनुकूल अपने को न ढाल पाना, उसके जीवन के लिए एक अभिशाप के समान होता है। 

प्रश्न 2. 
हाथ की कलाई पर बँधी हुई और चलती हुई, घड़ी किस बात का प्रतीक है? 
उत्तर : 
हाथ की कलाई पर बँधी हुई घड़ी चल रही है जो यह प्रगट कर रही है कि संसार में जीवन चल रहा है। कलाई पर बँधी हुई घड़ी जीवन के चलते रहने का प्रतीक है।

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प्रश्न 3. 
सबसे खतरनाक किस आँख को बताया गया है ? 
उत्तर : 
जो आँख अत्याचार-अनाचार होते हुए देखती रहती है परन्तु जमी हुई बर्फ के समान चेतनाहीन होती है वह सबसे खतरनाक होती है। इसका संकेतात्मक अर्थ है-बुराई को होते हुए देखकर भी उसका विरोध न करना सबसे खतरनाक बात है। 

प्रश्न 4. 
'जो रोजमर्रा के क्रम को पीती हुई' वाक्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
वह जीवन-पद्धति सबसे खतरनाक है जिसमें एक बँधे-बँधाये क्रम को अपनाया जाता है, केवल लकीर पीटी जाती है, कुछ भी नया नहीं किया जाता। थोड़ा-बहुत परिवर्तन यदि होता है तो उद्देश्यहीनता के कारण उसका कोई लाभ नहीं होता। यह लक्ष्यहीनता जीवन का आनन्द ही समाप्त कर देती है।

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
'अन्धेपन की भाप' में कौन-सा अलंकार है ? 
उत्तर : 
इस प्रयोग में 'अंधेपन की भाप' उपमान है लेकिन इसके समान बताये जाने वाली वस्तु का उल्लेख नहीं है। अतः यहाँ 'उपमेय लुप्तोपमा' अलंकार है। पूर्ण उपमा के लिए उपमेय, उपमान, वाचक शब्द और समान धर्म चारों का उल्लेख होना चाहिए।

प्रश्न 2. 
प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य के तीन बिन्दु लिखिए। 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य के तीन प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं - 

  1. इस पद्यांश की रचना के लिए कति ने मुक्त छन्द का प्रयोग किया है। इसमें तुक का ध्यान रखा गया है। 
  2. कविता में कवि ने प्रतीकों के द्वारा अपनी बात कही है, उदाहरणार्थ-जमी बर्फ संवेदनहीनता का प्रतीक है। 
  3. प्रस्तुत पद्यांश में लक्षणा शब्द-शक्ति का सफलतापूर्वक प्रयोग हुआ है। लक्ष्यार्थ के कारण काव्य में आकर्षण उत्पन्न हो गया है। 

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5. सबसे खतरनाक वह चाँद होता है 
वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है 
जो हर हत्याकाण्ड के बाद 
पर आपकी आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है।
 

शब्दार्थ : 

  • चाँद = चन्द्रमा। 
  • हर = प्रत्येक। 
  • हत्याकाण्ड = हत्या की घटना। 
  • वीरान = सूना, जनशून्य। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित अवतार सिंह ‘पाश' की रचना 'सबसे अधिक खतरनाक' से लिया गया है। इस अंश में कवि ने उस चन्द्रमा को बताया है जो हत्याकाण्ड के बाद उदास और वीरान स्थान पर भी पहले की तरह चमकता हुआ उदित होता है। 

व्याख्या - संसार में भीषण दुर्घटनाएँ और हत्याकाण्ड घटित हो जाते हैं। इन स्थानों पर एक अजीब-सी शून्यता और उदासी छाई रहती है। लोग इन स्थानों पर जाते समय साधारण वेशभूषा अपनाते हैं। पीड़ितों को सांत्वना देते हैं। परन्तु कुछ लोग उस चाँद के समान होते हैं जो अगले दिन उसी चमक के साथ वहाँ उदित होता है। उसमें तनिक भी फीकापन या उदासी नहीं दिखती। ऐसे लोगों के प्रति हर संवेदनशील व्यक्ति के मन में आक्रोश पैदा हो जाता है। यदि ऐसे लोगों को देखकर हमारे मन में बेचैनी नहीं होती तो यह बड़ी खतरनाक स्थिति है। ये चन्द्रमा जैसा आचरण करने वाले लोग कवि के अनुसार सबसे खतरनाक होते हैं। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
कवि ने चाँद का प्रयोग किस भाव को व्यक्त करने के लिए किया है ? 
उत्तर : 
कवि ने चन्द्रमा को उन लोगों का प्रतीक बनाया है जो पीड़ित लोगों के प्रति असंवेदनशील होते हैं। ऐसे लोगों के आचरण के प्रति हमें उदासीन नही होना चाहिए।

प्रश्न 2. 
'आँखों को मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है। इसका आशय क्या है ? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
चाँद जैसे लोगों का अनुचित आचरण भी हमें विचलित नहीं करे तो यह चिंताजनक स्थिति है। इसके लिए चाँद जैसे लोग ही दोषी हैं। 

प्रश्न 3. 
कवि लोगों से किस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा करता है ? 
उत्तर : 
कवि लोगों से चाहता है कि वे धर्म के नाम पर शांति की मीठी-मीठी बातें करने वाले लोगों से बचें। ऐसे लोगों के आस्था और विश्वास के नाम पर दिये जाने वाले उपदेश अत्यन्त खतरनाक होते हैं। इनसे सुनने वाले को कोई लाभ नहीं होता। अत: लोगों को इन छद्म धर्मात्मा लोगों की बातों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। 

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प्रश्न 4. 
'वीरान हुए आँगनों में चढ़ता है' इस काव्य पंक्ति में वीरान हुए आँगनों से कवि का आशय क्या है ?
उत्तर : 
भीषण दुर्घटना अथवा नरसंहार होने के स्थानों पर एक सुनसान-सा वातावरण और हृदय को गहराई से प्रभावित करने वाली खामोशी छाई रहती है। वहाँ चमक-दमक के साथ आने वाले लोगों के प्रति संवेदनशील व्यक्तियों में एक आक्रोश और तिरस्कार की भावना जागती है। इन घटना स्थलों को ही कवि ने 'वीरान आँगन' कहा है।

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य की तीन विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं 

  1. प्रस्तुत पद्यांश में सशक्त प्रतीक विधान है। प्रतीकों के कारण काव्य की मोहकता में वृद्धि हुई है। 
  2. जो हर हत्याकांड.......... चढ़ता है-एक सशक्त प्रयोग है। 
  3. पद्यांश की शैली मौलिक तथा प्रवाहपूर्ण है। 

प्रश्न 2. 
'मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है' में कौन-सा अलंकार है ? 
उत्तर : 
उपमेय चाँद की उपमान मिर्गों से तुलना की गई है। 'गड़ना' सामान्य धर्म तथा 'तरह' वाचक शब्द है। उपमा के समस्त अंग उपस्थित होने के कारण मिर्चों की तरह नहीं गड़ता है में उपमा अलंकार है। 

6. सबसे खतरनाक वह गीत होता है 
तंकित लोगों के दरवाजों पर 
आपके कानों तक पहुँचने के लिए 
जो गुंडे की तरह अकड़ता है। 
जो मरसिए पढ़ता है 

शब्दार्थ :

  • मरसिए = शोक गीत, किसी की मृत्यु पर लिखी जाने वाली कविता। 
  • आतंकित = डरे हुए, भयभीत। 
  • अकड़ता है = ऐंठता है, रौब दिखाता है। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित अवतार सिंह 'पाश' की कविता 'सबसे अधिक खतरनाक' से लिया गया है। इस अंश में कवि उन लोगों को सबसे खतरनाक बता रहा है जो मृत्यु होने पर सहानुभूति दिखाने और अपनी उपस्थिति जताने आते हैं। 

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व्याख्या - कवि कहता है कि किसी की मृत्यु पर शोकगीत पढ़ा जाता है' से तात्पर्य है कि किसी पीड़ित और दुःखी व्यक्ति के सामने करुणाभरी सहानुभूति की बातें करना उसी शोकगीत की तरह हैं। दु:खी व्यक्ति को प्रभावित करने के लिए सहानुभूति की ये औपचारिक बातें करने वाले लोग खतरनाक हो सकते हैं। ऐसे व्यक्ति बातें तो बहुत करते हैं, परन्तु उसके साथ सच्चे मन से खड़े नहीं होते, दुःख में उसका साथ नहीं देते। ये लोग शोकमग्न लोगों के सबसे बड़े हितैषी और सहायक होने का ढोंग और दम्भ किया करते हैं। ये चाहते हैं कि अन्य कोई व्यक्ति पीड़ित परिवार को प्रभावित न कर पाए। पीड़ित के घर आने वालों के साथ असभ्यता से भी पेश आते हैं। ऐसे लोगों से बहुत सावधान रहना चाहिए। इनकी सहानुभूति के पीछे कोई-न-कोई स्वार्थ छिपा होता है।

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
मरसिया किसे कहते हैं ? गीत के मरसिये पढ़ने से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर : 
किसी की मृत्यु पर लिखे जाने वाले गीत को उर्दू में मरसिया कहा जाता है। इसे शोकगीत कहते हैं। गीत के मरसिये पढ़ने से तात्पर्य है कि गीत में ऐसी भावनायें व्यक्त करना जो शोक को और अधिक बढ़ाने वाली हों। 

प्रश्न 2. 
शोक गीत को खतरनाक मानने का क्या कारण है ? 
उत्तर : 
शोक गीत किसी की मृत्यु होने पर पढ़ा जाता है। शोक गीत से लोगों के मन में भय और आतंक पैदा होता है। वे कोई प्रतिकार करने की बजाय भयभीत हो जाते हैं तथा शांत और मूक बने रहते हैं। 

प्रश्न 3. 
आतंकित लोगों ......... अकड़ता है। इस पंक्ति का प्रतीकार्थ क्या है ? 
उत्तर : 
शोक सभाओं में मरसिए पढ़ने वाले और पीड़ित व्यक्ति के स्वयंभू संरक्षक बन जाने वाले लोग अन्य आगन्तुकों के साथ अशिष्ट व्यवहार करने पर भी उतारू हो जाते हैं। 

प्रश्न 4. 
गीतकार से इस पद्यांश में क्या अपेक्षा की गई है ? 
उत्तर : 
गीतकार को अपने गीत द्वारा लोगों में अत्याचार तथा अत्याचारी का आतंक पैदा नहीं करना चाहिए। उनको डराने के स्थान पर अत्याचारी के प्रति विरोध की भावना गीतकार को उत्पन्न करनी चाहिए। लोगों में अत्याचारी के विरोध का साहस उत्पन्न करना चाहिए। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
'सबसे खतरनाक वह गीत ......... मरसिये पढ़ता है' में कौन-सा अलंकार है ? 
उत्तर : 
गीत एक काव्य-रचना विधा है। प्रस्तुत पंक्ति में उसको किसी सजीव मनुष्य की तरह मरसिये पढ़ते हुए चित्रित किया गया है। जब किसी निर्जीव पदार्थ अथवा अमूर्त भाव को मनुष्य की तरह कार्य करते हुए दिखाया जाता है तो वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है। गीत यहाँ गीतकार को सूचित करता है।

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प्रश्न 2.
प्रस्तुत पद्यांश की काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी तीन विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश की काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

  1. इस पद्यांश में मानवीकरण तथा उपमा अलंकार का प्रयोग हुआ है। गीत के द्वारा मरसिये पढ़ने तथा गुंडे की तरह अकड़ने में मानवीकरण तथा उपमा अलंकार है।
  2. इस पद्यांश में मुक्त छन्द का प्रयोग हुआ है। इसके चरण तुकान्त हैं। 
  3. प्रस्तुत पद्यांश की भाषा सरल और भावानुकूल तथा शैली प्रतीकात्मक है। 

7. सबसे खतरनाक वह रात होती है 
जो जिन्दा रूह के आसमानों पर ढ़लती है
जिसमें सिर्फ़ उल्लू बोलते और हुआँ-हुऔं करते गीदड़ 
हमेशा के अँधेरे बन्द दरवाजों-चौगाठों पर चिपक जाते हैं। 

शब्दार्थ : 

  • जिन्दा = जीवित। 
  • रूह = आत्मा।
  • चौगाठों = चौखटों। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित अवतार सिंह 'पाश' की कविता 'सबसे अधिक खतरनाक' से लिया गया है। इस अंश में कवि ने सबसे खतरनाक रात के बारे में बताया है। 

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व्याख्या - कवि कहता है कि वह रात सबसे खतरनाक होती है, जो जीवित आत्माओं के आकाश में घिरा करती है। इस रात में उल्लुओं की बोली तथा गीदड़ों की हुआँ-हुआँ की आवाजें सुनाई दिया करती हैं। ये आवाजें सदा अन्धकार से घिरे हुए बन्द दरवाजों तथा उनकी चौखटों पर आकर चिपक जाती हैं। आशय यह है कि अन्धविश्वास और रूढ़िवादिता अत्यन्त खतरनाक बातें हैं। ये बातें जीवित व्यक्तियों को भी प्रभावित करती हैं। इन अन्धविश्वासों से ग्रस्त लोग उनसे मुक्त नहीं हो पाते। ये रूढ़ियाँ उनके मन-मस्तिष्क से चिपकी रहती हैं। ये रूढ़ियाँ अज्ञानी लोगों पर अधिक प्रभाव डालती हैं। उनके मस्तिष्क के दरवाजे सदा बन्द रहते हैं। उनमें ज्ञान का प्रकाश प्रवेश नहीं कर पाता है। उल्लुओं की बोली तथा गीदड़ों के हुआँ-हुआँ रूपी रूढ़ियाँ इन दरवाजों और चौखटों पर चिपकी रहती हैं। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 
 
प्रश्न 1. 
कौन-सी रात खतरनाक होती है ? 
उत्तर : 
'रात' प्रतीकात्मक प्रयोग है। कवि ने अन्धविश्वासों तथा रूढ़ियों को रात कहा है। अन्धविश्वास और रूढ़िवाद समाज के विकास में बाधक हैं। रात में जिस प्रकार प्राणी जगत निष्क्रिय हो जाता है उसी प्रकार अन्धविश्वास तथा रूढ़ियाँ समाज की प्रगति को रोकती हैं। वे सबसे खतरनाक होती हैं। 

प्रश्न 2. 
अन्धविश्वास तथा रूढ़िवाद से समाज को क्या खतरा है ? 
उत्तर : 
जब कोई समाज रूढ़िवादी और अंधविश्वास में फँस जाता है तो उसका विवेक नष्ट हो जाता है। वह सही दिशा में सोच नहीं पाता। उसके लिये क्या बात हितकर है तथा क्या अहितकर, इसका ज्ञान उसको नहीं रहता। परिणामस्वरूप उसका विकास नहीं हो पाता और उसका भविष्य अन्धकारमय हो जाता है। 

प्रश्न 3. 
'जिन्दा रूह के आसमान' का क्या आशय है ? 
उत्तर : 
जिन्दा रूह के आसमान का आशय जीवित मनुष्यों के मन-मस्तिष्क से है। उनके मन में अंधविश्वासरूपी अँधेरा हमेशा छाया रहता है। विवेकशून्य और अज्ञानी मनुष्य ही अंधविश्वास से अधिक प्रभावित होते हैं। 

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प्रश्न 4. 
प्रस्तुत पद्यांश का निहितार्थ स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
कवि कहना चाहता है कि अंधविश्वास तथा रूढ़िवादिता का प्रभाव अत्यन्त प्रबल होता है। कभी-कभी विवेकवान तथा पढ़े-लिखे लोग भी इससे प्रभावित हो जाते हैं। कवि की ऐसी दृष्टि में ऐसी अवस्था समाज के लिए हितकर नहीं होती। वह बहुत घातक होती है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश के प्रतीक विधान पर विचार कीजिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में प्रतीक-विधान अत्यन्त सशक्त है। कवि ने अंधविश्वास तथा रूढ़िवादिता को घातक माना है। रात अंधविश्वास का प्रतीक है। जिन्दा रूह के आसमान जीवित लोगों के मन-मस्तिष्क को सूचित करता है। उल्लू बोलना तथा गीदड़ों का हुआँ हुआँ करना रूढ़ियों के प्रतीक हैं। अंधेरे बंद दरवाजे चौंगाठ लोगों के विवेकशून्य मानस के द्योतक हैं।

प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा-शैली सम्बन्धी विशेषता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा भावानुकूल तथा प्रवाहपूर्ण है। इसमें उर्दू शब्दों का खूब प्रयोग किया गया है। ये शब्द कविता के भावों की अभिव्यक्ति में सहायक हैं। शैली प्रतीकात्मक है। कवि ने अपनी बात को प्रतीकों के माध्यम से सफलतापूर्वक व्यक्त किया है। चित्रात्मक होने के कारण काव्यांश में सुन्दर शब्दचित्र बन सका है। 

8. सबसे खतरनाक वह दिशा होती है 
जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाए 
और उसकी मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा 
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए 

शब्दार्थ : 

  • आत्मा = रूह। 
  • मुर्दा = मृत, निर्जीव। 
  • जिस्म = शरीर। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित अवतार सिंह 'पाश' की कविता 'सबसे अधिक खतरनाक' से लिया गया है। इस अंश में कवि ने सबसे खतरनाक दिशा के बारे में बताया है। 

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व्याख्या - कवि कहता है कि मनुष्य को अपनी आत्मा की आवाज सुननी चाहिए। जीवन की वह दिशा बड़ी खतरनाक होती है जिसमें आत्मा का सूरज डूब जाता है तथा व्यक्ति के अन्दर अँधेरा छा जाता है। आत्मा की आवाज के प्रकाश में ही मनुष्य को सन्मार्ग दिखाई देता है। आत्मा के सूरज के डूबने के बाद जो धूप मर जाती है उसका कोई भी टुकड़ा मनुष्य के शरीर की पूर्व दिशा में काँच के टुकड़े की तरह छिंद जाता है। आशय यह है कि आत्मा की आवाज न सुनने से जो विचारधारा बनती है, वह अन्धविश्वास से भरी होती है तथा मनुष्य को प्रगति की दिशा में ले जाने के स्थान पर अधोगति की ओर ले जाती है। यह विचारधारा मनुष्य को जीवनभर कष्ट देती रहती है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
आत्मा का सूरज डूबने का तात्पर्य क्या है ? 
उत्तर : 
मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है। आत्मा का सूरज मनुष्य के विवेक को सूचित करता है। जब मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है, जब वह अपनी अन्तरात्मा की बात सुनना बंद कर देता है तो वह स्वयं संकटों को आमंत्रित कर लेता है। आत्मा का सूरज डूबने पर अज्ञानता-अँधेरा उसके मन में छा जाता है। 

प्रश्न 2. 
यहाँ 'दिशा' से क्या आशय है ? 
उत्तर : 
दिशा का अर्थ है-जीवन की दिशा अर्थात् विवेक को बलहीन बना देने वाली जीवन शैली। जीने का ढंग जो मनुष्य की आत्मा को दुर्बल बनाए। दिशा का आशय मनुष्य के उन विचारों से है, जो उसको दिग्भ्रमित करते हैं, उसे गलत रास्ते पर ले जाते हैं। 

प्रश्न 3. 
'मुर्दा धूप का कोई टुकड़ा' से कवि का क्या तात्पर्य है ? 
उत्तर :
जब आत्मा का सूरज तेजहीन हो जाता है तो विवेक नष्ट हो जाता है। तात्पर्य यह है कि मनुष्य की आत्मा का सत्यान्वेषण का गुण नष्ट हो जाता है। वह विकारग्रस्त हो जाती है तो मनुष्य का सच्चा मार्गदर्शन नहीं कर पाती है। सत्य, अहिंसा, त्याग, प्रेम इत्यादि आदर्श भी मनुष्य को प्रेरित नहीं कर पाते और वह इन आदर्शों को लेकर केवल लकीर पीटता रहता हैं।

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प्रश्न 4. 
उपर्युक्त पद्यांश में कवि क्या संदेश देना चाहता है ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में कवि अन्तरात्मा की बात सुनने पर बल देना चाहता है। मनुष्य को प्रत्येक अवस्था में अपनी अन्तरात्मा की आवाज़ को सुनना चाहिए तथा विवेक का प्रयोग करना चाहिए। किसी धार्मिक उपदेशक अथवा विचारधारा के फेर में पड़कर अपनी सोचने-समझने की क्षमता की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। हर पुरानी विचारधारा अच्छी नहीं होती, उसके कारण नवीन उपलब्धियों से मुख मोड़ना ठीक नहीं है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
आत्मा का सूरज में कौन-सा अलंकार है ? 
उत्तर : 
यहाँ उपमेय और उपमान की अभिन्नता प्रदर्शित की गई है। आत्मा पर सूरज का आरोप है। आत्मा उपमेय है तथा सूरज उपमान। जब इन दोनों की अभिन्नता प्रदर्शित की जाती है तो वहाँ कविता में रूपक अलंकार होता है। आत्मारूपी सूरज डूबने से मनुष्य के मन पर अज्ञान का अंधेरा छा जाता है। 

प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश की तीन काव्यगत विशेषताएँ लिखिए। 
उत्तर : उपर्युक्त पद्यांश की तीन काव्यगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

  1. आत्मा का सूरज तथा जिस्म का पूरब में रूपक अलंकार है। 
  2. पद्यांश की भाषा भावानुरूप तथा प्रवाहशील है। उसमें खतरनाक, सूरज, मुर्दा, टुकड़ा, जिस्म इत्यादि उर्दू शब्द प्रयुक्त हुए हैं। कविता के भाव सफलतापूर्वक व्यक्त हुए हैं। 
  3. शैली प्रतीकात्मक तथा चित्रात्मक है। प्रतीकों की सुन्दर व्यवस्था है। रचना के लिए तुकान्त मुक्त छन्द का प्रयोग हुआ है। 

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9. मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती 
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती 
गद्दारी-लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती। 

नोट - उपर्युक्त पद्यांश के संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या तथा अर्थग्रहण एवं काव्य सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर के लिए इस पाठ का पहला पद्यांश देखिए।

Prasanna
Last Updated on July 23, 2022, 4:30 p.m.
Published July 23, 2022