RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 15 घर की याद

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 15 घर की याद Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Hindi Solutions Aroh Chapter 15 घर की याद

RBSE Class 11 Hindi घर की याद Textbook Questions and Answers

कविता के साथ -

प्रश्न 1. 
पानी के रातभर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या सम्बन्ध है? 
उत्तर : 
कवि जेल में है और सावन के महीने में रातभर पानी बरस रहा है। वर्षा की झड़ी के साथ उसका मन भी घर की यादों से भर उठा है। इधर वर्षा हो रही है उधर कवि के मन में स्मृतियों के बादल उमड़-घुमड़ रहे हैं। वर्षा की ऋतु ही ऐसी है कि कवि के मन में अपने भाई-बहिनों तथा माता-पिता से अलग होने की पीड़ा उभर आई है। वर्षा ऋतु को वियोग का उद्दीपक माना गया है। यहाँ भी वियोग है, परन्तु वह प्रियतम या प्रेयसी का न होकर एक पुत्र का अपने माता-पिता तथा एक भाई का अपने भाई-बहिनों से वियोग है। 

प्रश्न 2. 
मायके आई बहिन के लिए कवि ने घर को 'परिताप का घर' क्यों कहा है? 
उत्तर :
कवि की बहिन अपने मायके आई है। वह यह सोचकर प्रसन्न है कि माँ के घर. उसकी भेंट भाइयों तथा बहिनों के साथ माता-पिता से होगी। वहाँ पहुँचने पर उसे पता चलता है कि उसका एक भाई आजादी के आन्दोलन में जेल चला गया है, तो उसकी प्रसन्नता गायब हो जाती है। उसको अपने एक भाई से न मिल पाना दुःखदायी लगता है। उसको अपने बाप का घर परिताप अर्थात् दुःखों का घर प्रतीत होता है। लगता है जैसे कि वह अपने पिता के घर नहीं दुःखों के घर आई है।

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प्रश्न 3. 
पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है ? . 
उत्तर : 
घर की याद' कविता में जेल में बन्द कवि ने अपने घर से सम्बन्धित यादों को चित्रित किया है। इनमें कवि के भाइयों, बहिनों, माँ तथा पिता की यादें सम्मिलित हैं। पिता की स्मृतियाँ कवि को विशेष विह्वल करती हैं। कवि के पिता के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ इस कविता में उकेरी गई हैं - 

स्वस्थ एवं साहसी - कवि के पिता वृद्ध हैं परन्तु उनके तन-मन पर वृद्धावस्था का प्रभाव नहीं है। वह दौड़कर. चलते हैं, खिल-खिलाकर हँसते हैं, मौत से डरते नहीं, शेर से बिचकते नहीं। उनकी वाणी बादल के समान गर्जना भरी तथा कार्य आँधी-तूफान जैसे वेग वाले होते हैं।

बोल में बादल गरजता काम में झंझा लरजता। 

संयमित जीवन - कवि के पिता का जीवन संयम भरा है। वह प्रात: उठकर गीता का पाठ करते हैं तथा नियमित रूप से दंड-बैठक और मुगदर वाला व्यायाम करते हैं। उससे उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है तथा मन शान्त रहता है।

भावुक व्यक्ति - पिताजी अत्यन्त भावुक हैं। अपने सबसे छोटे पाँचवें बेटे के जेल में होने के कारण वे व्याकुल हो उठते हैं, उनके नेत्र आँसुओं से भर जाते हैं। वे अपने पाँचवें बेटे को सोने में सुहागा कहकर उसकी तारीफ करते हैं और उससे अत्यन्त स्नेह करते हैं। उनको रोते देखकर कवि की माँ उनको समझाती हैं - 

आँख में किसलिए पानी वहाँ अच्छा है भवानी। 

प्रश्न 4. 
निम्नलिखित पंक्तियों में 'बस' शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइये -
मैं मजे में हूँ सही हैं, घर नहीं हूँ बस यही है 
किन्तु यह बस बड़ा बस है। इसी बस से सब विरस है। 

उत्तर : 
1. इन पंक्तियों में 'बस' का पहली बार प्रयोग दूसरी पंक्ति में हुआ है। यहाँ इसका अर्थ केवल या मात्र है। आशय यह है कि कवि मजे में है, केवल इतनी-सी बात है कि वह घर पर नहीं है, जेल में है। 

2. तीसरी पंक्ति में इस शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है। पहली बार इसका अर्थ वही है जो द्वितीय पंक्ति में है-केवल घर पर न होना, दूसरी बार इस शब्द का अर्थ है-बड़ा दुःख या कष्ट। अर्थात् केवल यह कि कवि घर पर नहीं है जेल में है, कवि के लिए बड़ा दुःखदायी है। उसे घर की याद निरन्तर सताती है। 

3. चौथी पंक्ति में 'बस' शब्द का एक बार ही प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ वही है, जो तीसरी पंक्ति के दूसरी बार प्रयुक्त हुए बस का है-बड़ा दुःख या कष्ट। आशय है कि इस बड़े दुःख ने कवि के जीवन में सब कुछ रसहीन या नीरस बना दिया है। 

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प्रश्न 5. 
कविता की अन्तिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए कि कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है ? 
उत्तर : 
'घर की याद' कविता की अन्तिम 12 पंक्तियों में कवि ने सावन के माध्यम से अपने पिता को सन्देश भेजा है जिर अपनी मनोदशा का वर्णन किया है तथा निर्देश दिया है कि इसके बारे में वह उसके पिता को न बताये। भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण-कवि जेल में निरुद्ध है। वहाँ रहते हुए उसे अपने घर की याद बहुत सताती है। इस कारण उसे ठीक से नींद नहीं आती और उसको वहाँ अन्य साथी कैदियों के साथ रहना अच्छा नहीं लगता। 

वह उनसे दूर ही रहना चाहता है। वह एकान्त में रहकर अपने परिवार की यादों में खोया रहना चाहता है। वह चुपचाप रहता है, किसी से बात नहीं करता। इस वियोग-व्यथा के कारण उसकी दशा पागलों जैसी हो गई है। वह स्वयं की, भी सुध-बुध खो देता है। अपनी इस दशा को वह घरवालों को बताना नहीं चाहता। कवि का अपने पिता एवं परिवारीजनों के प्रति इतना गहरा स्नेह है कि वह नहीं चाहता कि उसकी वास्तविकता जानकर उसके पिता एवं परिवारीजन रोयें अथवा दुःखी हों -

कविता के आस-पास -

प्रश्न 1. 
ऐसी पाँच रचनाओं का संकलन कीजिए, जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना सन्देश-वाहक के रूप में की गई है। 
उत्तर : 
भारतीय साहित्य में कालिदास के 'मेघदूत' से प्रकृति के उपादानों को सन्देश-वाहक बनाने की परम्परा आरम्भ हुई है। हिन्दी में प्रिय-प्रवास' के रचयिता अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' तक इसकी लम्बी परम्परा है। छात्र अपने शिक्षक की सहायता से इस प्रकार की रचनाओं का संकलन स्वयं करें। 

प्रश्न 2. 
घर से अलग होकर आप घर को किस तरह से याद करते हैं ? लिखें। 
उत्तर : 
घर से यदि हमको किसी कारणवश अलग होना पड़ता है तो हमें घर की बहुत याद आती है। हमें अपने माता-पिता, भाई-बन्धु, बहिनों-मित्रों तथा सम्बन्धियों और पड़ोसियों की याद भी आती है। हमारे घर में जो पालतू पशु-पक्षी हैं, वे भी हमें याद आते हैं। घर का भोजन, रहन-सहन तथा आपस की छेड़-छाड़ और हँसी-मजाक भी हमारे मन में निरन्तर घूमते रहते हैं। हर पल मन में यही विचार आता है कि काश ! इस समय हम अपने घर, अपने परिवार के साथ होते।

RBSE Class 11 Hindi घर की याद Important Questions and Answers

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1.
कवि ने सावन' से कहा है-'तुम बरस लो वेन बरसे।' इस पंक्ति में बरस' और 'बरसें' का क्या अर्थ है ?
उत्तर : 
सावन का महीना है, बादल पानी बरसा रहे हैं। कवि सावन से कहता है कि वह खूब पानी बरसाए, इसमें उसे कोई ऐतराज नहीं है परन्तु उसे ध्यान रखना होगा कि उसके कारण पिताजी को कवि की याद न आये, वे रोने न लगें। 

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प्रश्न 2. 
'इसी बस से सब विरस है'-वह कौन-सा 'बस' है, जिसने कवि के जीवन में सब नीरस बना दिया है ? 
उत्तर :
कवि घर से दूर, अपने परिजनों से अलग, जेल में बन्द है। वह बस घर पर नहीं है, इसका यह अर्थ भी है। यह 'बस' अत्यन्त कष्टकारी है। इसने कवि का जीवन नीरस बना दिया है। 

प्रश्न 3. 
हाय रे, ऐसा न कहना है कि जो वैसा नकहना' कवि सावन से क्या बात न कहने के लिए आग्रह कर रहा है ? . 
उत्तर : 
कवि बादल से आग्रह कर रहा है कि जो यथार्थ है उसे वैसा ही उसके पिता को न बताये। कवि जेल में व्याकुल है, उसे घर के लोगों की याद सताती है और नींद नहीं आती आदि सच्चाइयों को वह पिता से प्रकट करना नहीं चाहता। यह जानकर वह बेचैन हो जायेंगे। 

प्रश्न 4. 
'हे कि मेरे पुण्य पावन', सावन को पुण्य पावन कहने का आशय क्या है ? 
उत्तर : 
कवि जानता है कि सावन में पानी बरसता है, जिससे खेतों में फसलें उगती हैं। मनुष्य तथा जीव-जन्तुओं की भोजन पानी से प्राप्त होता है। इस तरह सावन लोगों को जीवन देने का पावन कार्य करता है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
'बहिन आई बाप के घर, हाय रे परिताप के घर !' 
-उपर्युक्त पंक्तियों का आशय क्या है? 
उत्तर : 
कवि सन् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल में रह रहा है। सावन में वर्षा होती देखकर उसको अपने घर की याद सताने लगती है। कवि सोच रहा है कि उसके चार भाई और चार बहिनें हैं। सावन में लड़कियाँ अपनी माँ के घर आया करती हैं। उसकी बहिन भी अपने बाप के घर आई होगी। वहाँ उसने अपने छोटे भाई को नहीं देखा होगा तो उसका हृदय संताप से भर गया होगा। अपने भाई से मिल न पाने का उसको बहुत दुःख हुआ होगा, उसको लगा होगा कि पिता का घर तो परिताप अर्थात् अत्यधिक दुःख का घर बन गया है।

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प्रश्न 2. 
आशय स्पष्ट करिए 
माँ कि जिसकी स्नेह-धारा, का यहाँ तक भी पसारा, 
उत्तर : 
कवि स्वतन्त्रता-आन्दोलन के सम्बन्ध में जेल में बन्द है। बाहर वर्षा होती देखकर कवि को घर और परिजन याद आ रहे हैं। कवि को याद आता है कि उसकी माँ ने अत्यन्त कष्ट उठाये हैं। वह अपने पुत्र को अत्यन्त प्रेम करती है। उसको लिखना नहीं आता है अन्यथा वह उसको पत्र अवश्य लिखती। परन्तु उसका प्रेम कवि के प्रति कम नहीं है। उसके प्रेम की धारा का विस्तार जेल तक है और जेल में रहकर भी कवि अपनी माँ के स्नेह का अनुभव कर रहा है।

प्रश्न 3. 
मौत के आगे न हिचकें, शेर के आगे न बिचकें, 
बोल में बादल गरजता, काम में झंझा लरजता, 
-उपर्युक्त पंक्तियों का भाव प्रकट कीजिए। 
उत्तर : 
इन पंक्तियों में कवि के पिता के पौरुष और साहस का चित्रण हुआ है। जेल में रहते हुए कवि अपने पिता को स्मरण कर रहा है, जो उम्र से वृद्ध हैं परन्तु वृद्धावस्था उन पर प्रभाव नहीं डाल सकी है। वह अत्यन्त साहसी हैं। मृत्यु सामने आने पर भी डरते नहीं। शेर सामने आ जाय तब भी कदम पीछे नहीं हटाते। वह शरीर और मन से स्वस्थ हैं। उनकी वाणी अत्यन्त कड़कड़ी है। उसमें बादल के समान गर्जना है। उनके कार्यों में आँधी-तूफान जैसी गति और ऊर्जा होती है। 

प्रश्न 4. 
वह तुम्हारा मन समझकर और अपनापन समझकर, 
गया है सो ठीक ही है, यह तुम्हारी लीक ही है, 
-उपर्युक्त पंक्तियों का केन्द्रीय भाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
छत से नीचे आने पर पिताजी ने अपने पाँचवें पुत्र भवानी को घर में नहीं देखा होगा तो उन्हें याद आया होगा कि वह तो जेल में है। बस, उनकी आँखों से आँसू टपकने लगे होंगे। तब माँ ने उन्हें धीरज बँधाते हुए कहा होगा, 'भवानी देश की आजादी के लिए जेल गया है तो उसने ठीक ही किया है। इसमें दुःखी होने की क्या बात है ?' तुम भी तो चाहते थे कि देश की स्वतन्त्रता के लिए। आन्दोलन में भाग लेना चाहिए। तुम्हारी इच्छा और आशीर्वाद समझकर ही वह जेल गया है। देश की स्वतन्त्रता के लिए त्याग-बलिदान करना तो तुम्हारे परिवार की परम्परा है, भवानी ने भी उसी का पालन किया हैं। अतः दुःखी मत होओ। 

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प्रश्न 5. 
भवानी जेल में सुख से रह रहा है। इतनी-सी बात है कि वह घर पर नहीं है। परन्तु इतनी-सी बात उसको और उसके परिवार को बड़ा कष्ट देती है। इसने उसका जीवन नीरस बना दिया है।' कवि ने उपर्युक्त कथन को घर की याद'कविता की किन पंक्तियों में प्रकट किया है ? 
उत्तर : 
कवि ने उपर्युक्त कथन को कविता की जिन पंक्तियों में प्रकट किया है, वे निम्नलिखित हैं -

मैं मजे में हूँ सही है, घर नहीं हूँ बस यही है, 
किन्तु यह बस बड़ा बस है, इसी बस से सब विरस है। 

प्रश्न 6. 
कवि सावन के माध्यम से अपने पिता के पास क्या सन्देश पहुँचाना चाहता है ? 
उत्तर : 
कवि चाहता है कि सावन उसके पिता को धैर्य बँधाये और कहे कि उनका पुत्र जेल में आनन्द से रह रहा है। वह वर्षा तो करे परन्तु ऐसा कुछ न करे कि उसके पिता की आँखें उसकी याद करके बरसने लगें। कवि के दुःख की बात वह उसके पिता से न कहे। वह उनको बताये कि भवानी जेल में अच्छी तरह है। वह लिख रहा है, पढ़ रहा है और अपना काम कर रहा है। उसके काम की सब प्रशंसा करते हैं। 

वह जो काम कर रहा है उससे माता-पिता और मातृ-भूमि का सिर गर्व से ऊँचा होता है। उन्हें बताना कि वे मेरे लिए दुःखी न हों। उनसे यह भी कहना कि भवानी जेल में चरखे पर सूत कातने में व्यस्त है और मस्ती से रह रहा है। उसके शरीर का भार सत्तर सेर हो गया है। उसे खूब भूख लगती है और वह ढेर सारा खाना खाता है। वह खूब खेलता-कूदता है और दुःखों को अपने पास भी नहीं फटकने देता है।

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प्रश्न 7. 
कवि अपनी किस दशा को अपने पिताजी पर प्रकट नहीं करना चाहता तथा क्यों? 
उत्तर :
कवि अपने पिता को बहुत चाहता है तथा उनका सम्मान करता है। वह नहीं चाहता कि उसके पिता चिन्तित और दु:खी हों। भवानी जेल में रहकर प्रसन्न नहीं है। उसे हर समय घर तथा अपने परिवारीजनों की याद सताती है। परन्तु अपनी पीड़ा को वह पिता तक पहुँचने देना नहीं चाहता। वह सावन से कहता है कि उसकी निराशा और अस्त-व्यस्तता के बारे में वह उसके पिता को कुछ न बताये। जो सच्चाई है, उसे वह उनको नहीं बताये। 

वह उनसे यह न कहे कि जेल में रहकर उसको नींद नहीं आती। वह लोगों से मिलना-जुलना पसन्द नहीं करता, वह किसी से बातें भी नहीं करता। वह दु:ख और घर की याद में डूबा रहता है। उसे यह भी याद नहीं रहता कि वह कौन है अर्थात् अपनी सुध-बुध खो बैठा है। सावन कुछ ऐसी बात न कहे कि पिताजी को व्यर्थ की शंका घेर ले। वह कहता है-हे सावन ! तुम बरसो अवश्य परन्तु ऐसा कुछ मत करना कि मेरे पिता की आँखें भी बरसने लगे। 

प्रश्न 8. 
कवि के अपनी माता के सम्बन्ध में जो विचार हैं, उन्हें अपने शब्दों में लिखिए। 
उत्तर : 
कवि अपनी माता को बहुत स्नेह करता है तथा उनका आदर करता है। कवि की माता बिना मढ़ी-लिखी हैं। उसने जीवन में बहुत कष्ट उठाये हैं। माँ भी अपने पुत्र को बहुत चाहती है। कवि जब अपनी माँ की गोद में सिर रख लेता है तो कुछ समय के लिए अपने सभी दुःख-दर्दो को भूल जाता है। माँ के प्रेम की धारा इतनी प्रबल है कि कवि को जेल में भी उसका अनुभव हो रहा है, उसका विस्तार जेल के भीतर तक है। माँ को लिखना नहीं आता, इसलिए वह पत्र लिखकर अपने पुत्र की कुशलता ज्ञात नहीं कर सकती। यदि वह लिखना जानती तो उसको पत्र अवश्य लिखती। कवि की माता समझदार है। पिता के विचलित होने पर उनको समझाती तथा धैर्य बँधाती है। 

प्रश्न 9. 
'भुजा भाई प्यार बहिनें'-से कवि का आशय क्या है ? 
उत्तर : 
कवि के परिवार में चार भाई और चार बहिनें हैं। जेल में रहते हुए उसे अपने परिवार की याद आ रही है। वह अपने भाई-बहिनों को स्मरण कर रहा है। कवि के भाई भुजा के समान हैं। जैसे अपनी बाँहें अपनी रक्षा करने तथा सहयोग करने के लिए सदा तत्पर रहती हैं उसी प्रकार उसके भाई प्रेमवश सुख-दुःख में एक-दूसरे का सदा सहयोग करते हैं। एक पर आपत्ति आने पर दूसरा उसकी रक्षा के लिए तुरन्त सामने आता है। उसकी बहिनें भी अत्यन्त स्नेहशीला हैं। वे अपने भाइयों-बहिनों को अत्यन्त प्रेम करती हैं। इस तरह उसके परिवार में सदा प्रेम का वातावरण रहता है। 

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प्रश्न 10. 
कवि के पिताजी की भावुकता का क्या कारण था? माँ ने उन्हें किस प्रकार धैर्य बँधाया? 
उत्तर : 
कवि के पिता यद्यपि साहसी और पराक्रमी हैं परन्तु वह मन के कच्चे भी हैं। जब वह अपने पाँचवें पुत्र को घर पर नहीं पाते तो यह याद आते ही कि वह जेल में है, उनकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। कवि की माँ अपने पति की इस भावुकता को समझती है। वह जानती है कि वह अत्यन्त स्नेही व्यक्ति हैं। माँ अत्यन्त गम्भीर तथा धैर्यवती है। वह अपने पति को समझाती है कि उनका पुत्र देश हितार्थ जेल गया है। इसमें उसको उनका आशीर्वाद भी प्राप्त है। यह उनकी भी इच्छा थी तथा यह परिवार की परम्परा भी है। यदि वह ऐसा न करता तो उसकी माँ की कोख लज्जित होती। अतः उनको दुःखी नहीं होना चाहिए। इस प्रकार माँ ने कवि के पिता को धैर्य बँधाया।

प्रश्न 11. 
कवि का परिवार कैसा परिवार है ? क्या उसको एक आदर्श परिवार माना जा सकता है ? 
उत्तर : 
कवि का परिवार एक संयुक्त परिवार है। उसके परिवार में उसके माता-पिता हैं। उसके चार भाई हैं। कवि पाँचवाँ सबसे छोटा भाई है। उसके चार बहिनें हैं। कवि के भाई एक-दूसरे को चाहते हैं तथा सहयोगपूर्वक घर में रहते हैं। उसकी बहिनें भी स्नेहशीला हैं तथा सभी परिवारीजनों से गहरा लगाव रखती हैं। कवि के पिता साहसी, पराक्रमी और कर्मठ व्यक्ति हैं। वह अत्यन्त स्नेहशील तथा भावुक हैं। परिवार के प्रधान होने के नाते वह सभी से प्रेम करते हैं तथा सभी के हितों का ध्यान रखते हैं। 

कवि की माता अत्यन्त गम्भीर तथा धैर्य रखने वाली महिला हैं। विचलित होने पर वह अपने पति को भी धैर्य बँधाती हैं। परिवार में सभी मिलकर रहते हैं तथा एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखते हैं। कवि अपनी माता से प्रेम करता है तथा उनकी गोद में सिर रखते ही सारे दुःख भूल जाता है। वह ऐसा काम नहीं करता कि उसके परिवार की बदनामी हो। वह अपने पिता को चिन्तित और दुःखी देखना नहीं चाहता। इस प्रकार कवि का यह संयुक्त परिवार एक आदर्श-परिवार की श्रेणी में आता है।

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प्रश्न 12. 
'घर की याद' के आधार पर मिश्रजी की भाषा-शैली का परिचय दीजिए। 
उत्तर : 
भवानी प्रसाद मिश्र सहज व्यक्तित्व के धनी हैं। आपकी कविता में बोलचाल के गद्यात्मक से लगते वाक्यों का प्रयोग, हुआ है। वे तुकान्त हैं तथा कवि ने उनको कविता की सरसता में बदल दिया है। वाक्यों के छोटा होने से उनमें अद्भुत प्रवाह है। कवि की कविता की यह सहज लय गाँधीजी के चरखे की लय से जुड़ती है। अत: मिश्रजी की कविता को गाँधी कहा गया है। उनकी कविता लोक-जीवन के निकट है तथा उसके विषय जनजीवन के घर-आँगन से सम्बन्धित हैं। 

कवि ने प्रेम की कविताओं में भी शृंगार के स्थान पर सहज जीवन तथा घरेलू सुख-दुःख का स्वाभाविक चित्रण किया है। गाँधीवाद पर आस्था होने के कारण अहिंसा तथा सहनशीलता को कविता में स्थान मिला है। कवि की भाषा सरल खड़ी बोली है। उसमें संस्कृतनिष्ठता होने पर भी दुरूहता नहीं है। बोलचाल के शब्दों तथा मुहावरों के प्रयोग ने भाषा को शक्ति प्रदान की है। भाषा भावानुकूल तथा प्रवाहपूर्ण है। 

निबन्धात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 13. 
'घर की याद' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर : 
घर की.याद' कविता कवि भवानी प्रसाद मिश्र की कविता है। इस कविता में व्यक्तिगत तत्त्व मिलते हैं। कवि 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में गाँधीजी के आहवान पर जेल गये थे। सावन के महीने में होने वाली वर्षा ने उसके मन-प्राण में घर की स्मृतियाँ जगा दी। 

कवि के चार भाई तथा चार बहिनें हैं। वे सभी परस्पर बड़े सहयोग तथा प्रेमभाव से रहते हैं। कवि की माँ पढ़ी-लिखी नहीं है परन्तु वह बड़ी स्नेहमयी है। कवि उसकी स्नेह-धारा का प्रवाह जेल तक अनुभव कर रहा है। उसके पिता अत्यन्त साहसी तथा जीवट व्यक्ति हैं। वे मृत्यु से भी नहीं डरते। उनकी वाणी में बादल.के समान गर्जना तथा कामों में तूफान की तेजी है। वे दौड़ते, हँसते, कसरत करते तथा गीता-पाठ करते हैं।

छत से नीचे आने पर अपने पाँचवें पुत्र के जेल में होने की याद आने पर उनके नेत्रों में आँसू भर आते हैं। उनको भावुक होकर रोते देखकर कवि की माँ उनको सान्त्वना देती है। वह उन्हें बताती है कि देश-हित में जेल जाकर उनके पुत्र ने उनका मान बढ़ाया है और उनकी इच्छा पूरी की है। देश के लिए त्याग करना उनके परिवार की परम्परा है। यदि वह जेल न जाता तो वह अपनी माँ की कोख को लजाता। यह सुनकर उसके पिता ने अपने आँसू पोंछकर कहा होगा-मैं रो नहीं रहा हूँ। 

कवि सावन को अपना सन्देश-वाहक बनाकर अपने पिता के पास सन्देश भेजता है। वह सावन से कहता है कि वह उसके पिता को उसके बारे में बताये कि वह जेल में मजे में है। वह खेलता-कूदता, पढ़ता-लिखता तथा काम करता है। वह चरखे पर सूत कातता है। उसका वजम सत्तर सेर हो गया है। उसे खूब भूख लगती है तथा वह भरपेट खाता है। वह उनको धीरज बँधाये तथा दुःखी न होने के लिए कहे। 

कवि सावन को सावधान करता है कि वह कोई ऐसी-वैसी बात न कह दे जिससे उसके पिता दुःखी हों। वह यह सच बात उनको न बताये कि कवि जेल में उदास, दुःखी तथा निराश है और किसी से बोलता-चालता नहीं है, किसी के साथ उठता-बैठता नहीं है।

घर की याद Summary in Hindi

कवि-परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र सहज व्यक्तित्व और लेखन के लिए विख्यात हैं। साहित्य-साधना करने के साथ ही आपने राष्ट्रीय-आंदोलन में भी सक्रिय रहकर भाग लिया है। गाँधी एवं गाँधीवाद पर मिश्रजी की गहन आस्था है। 

जीवन-परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के टिगरिया गाँव में सन् 1913 में हुआ था। 'बी. एड. तक शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त मिश्रजी ने 'कल्पना' नामक पत्रिका का सम्पादन किया तथा साहित्य-साधना में रत हो गये। इसके पश्चात् आप 'आकाशवाणी' में सेवारत रहे। आप हिन्दी के प्रयोगवादी कवियों में विशिष्ट स्थान रखते हैं। हिन्दी साहित्य के इस साधक को साहित्य के क्षेत्र में सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। आपको 'साहित्य अकादमी', मध्य प्रदेश शासन का 'शिखर सम्मान' तथा दिल्ली शासन का 'गालिब पुरस्कार' प्राप्त हो चुके हैं। भारत सरकार ने आपको 'पद्मश्री' से अलंकृत किया है। ... हिन्दी साहित्य की सेवा करते हुए माँ भारती के इस सपूत की सन् 1985 में मृत्यु हो गई। 

साहित्यिक परिचय - भवानी प्रसाद मिश्र प्रयोगवादी काव्यधारा के कवि हैं। आपकी कविता सहज भाव की कविता है। इसकी सहज लय गाँधीजी के चरखे की लय से भी जुड़ती है। अत: मिश्रजी को ‘कविता का गाँधी' भी कहा जाता है। मिश्रजी ने गाँधी साहित्य के हिन्दी खण्डों का सम्पादन करके कविता और गाँधीजी के बीच सेतु का काम किया है। मिश्रजी सहज अभिव्यक्ति के कवि हैं। आप बोलचाल के गद्य जैसे वाक्य-विन्यास को सरलता से कविता के रूप में बदल देते हैं। आप जिस विषय पर काव्य रचना करते हैं, उसे घरेलू बना देते हैं। 

इसी कारण उनकी कविता सहज और लोक के निकट है। मिश्रजी ने प्रौढ़-प्रेम की जो कविताएँ लिखी हैं, उनमें शृंगारिकता के स्थान पर सहजीवन के सुख-दुःख और प्रेम का वर्णन मिलता है। मिश्रजी के काव्य में जो व्यंग्य और क्षोभ है, वह भी प्रतिक्रियापरक न होकर सृजनात्मक है। आपके काव्य में गाँधीजी की अहिंसा और सहनशीलता की सरल व्यंजना हुई है। मिश्रजी की भाषा साहित्यिक होते हुए भी सरल है और भावाभिव्यक्ति में सहायक है। प्रयोगवादी धारा का कवि होने के नाते आपने छन्द से मुक्ति का प्रयास किया है। अलंकारों पर उनका अधिक जोर नहीं है। सरल एवं उपयुक्त अलंकारों का प्रयोग ही स्वाभाविक रीति से हुआ है। 

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रचनाएँमिश्रजी की प्रमुख रचनाएँ हैं -

  1. सतपुड़ा के जंगल
  2. सन्नाटा
  3. गीतफरोश
  4. चकित है दुःख
  5. बुनी हुई रस्सी
  6. खुशबू के शिलालेख
  7. अनाम तुम आते हो
  8. इदं न मम् इत्यादि। 

सप्रसंग व्याख्याएँ एवं अर्थग्रहण तथा सौन्दर्य-बोध पर आधारित प्रश्नोत्तर - 

1. आज पानी गिर रहा है, 
बहुत पानी गिर रहा है, 
बहुत पानी गिर रहा है, 
घन नज़र में तिर रहा है, 
रात भर गिरता रहा है, 
घर कि मुझसे दूर है जो, 
प्राण मन घिरता रहा है, 
घर खुशी का पूर है जो, 

शब्दार्थ :

  • पानी गिरना = वर्षा होना।
  • प्राण मन घिरता = जीवन और मन घर की यादों से घिरे हुए हैं। 
  • नजर = दृष्टि। 
  • तिर रहा = तैरता रहा। 
  • पूर = जलसमूह, जलाशय। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। कवि कारागार में बंद है। वर्षा हो रही है और कवि को अपने घर की याद सता रही है।

व्याख्या - कवि सन् 1942 के 'भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान जेल में बन्द कवि अपने घर की याद करते हुए कहता है कि बाहर वर्षा हो रही है। वारिश अत्यन्त तेज हो रही है। बादलों से पूरी रात पानी बरसता रहा है। इधर कवि के मन में घर के लोगों की यादों के बादल घिर आए हैं। बाहर बहुत तेज वर्षा हो रही है। कवि की दृष्टि में उसका घर तैर रहा है अर्थात् वर्षा के मौसम में कवि को घरवालों की बहुत आद आ रही है। कवि का घर उससे बहुत दूर है। किन्तु वर्षा के इस जलपूर (जल समूह) में घर में छिपे प्रसन्नता के भंडार की याद आ रही है। 

RBSE Solutions for Class 11 Hindi Aroh Chapter 15 घर की याद

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने वर्षा ऋतु के बारे में क्या कहा है ? इस वर्णन का उद्देश्य क्या है ? 
उत्तर :
उपर्युक्त पद्यांश का आरम्भ कवि ने वर्षा होने के वर्णन से किया है। आज वर्षा हो रही है और खूब जोर-से पानी बरस रहा है। वर्षा पूरी रात होती रही है। वह रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। कवि ने वर्षा का वर्णन प्रमुख बात की पृष्ठभूमि के रूप में किया है। कवि अपने परिवारीजनों से दूर जेल में है। वर्षाऋतु में उसे घर की याद सता रही है। 

प्रश्न 2. 
वर्षा होने का जेल में निरुद्ध कवि पर क्या प्रभाव हो रहा है ? 
उत्तर :
कवि स्वतन्त्रता आन्दोलन में जेल में निरुद्ध है। बाहर जोर-जोर से पानी बरस रहा है। वर्षा के इस मौसम में कवि के मन में अपने घर तथा परिवार के लोगों की याद उठ रही है, जो उसे बेचैन बना रही है।

प्रश्न 3. 
कवि ने अपने घर के बारे में क्या बताया है ? 
उत्तर :
कवि जेल में निरुद्ध है, बाहर वर्षा हो रही है। कवि को घर की याद सता रही है। उसने बताया है कि उसका घर उसकी नजरों में तैर रहा है। घर उससे बहुत दूर है। उसका घर खुशियों से भरा-पूरा है। उसमें रहने वाले सदा खुश रहते हैं।

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प्रश्न 4. 
'घर खुशी का पूर है जो'-कहने का क्या आशय है ? 
उत्तर :
जेल में निरुद्ध कवि को घर की याद सता रही है। वह कह रहा है कि उसका घर प्रसन्नता का भंडार है। कवि जेल में एकाकीपन अनुभव कर रहा है। वह जानता है कि घर पर परिवार के सभी लोग मिल-जुलकर रहते हैं। साथ रहने से उनको अपूर्व खुशी मिलती है। परिवार के लोगों की उपस्थिति और साथ सबको खुशियों की सौगात देता है। माता-पिता, भाई-बहन सभी का साथ होने के कारण घर का वातावरण सदा प्रसन्नतापूर्ण रहता है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश में पानी गिर रहा है'-की आवृत्ति हुई है। काव्यगत पुनरुक्ति दोष के सन्दर्भ में इस पर विचार कीजिए। 
उत्तर :
पद्यांश में 'पानी गिर रहा है' पंक्ति को तीन बार प्रयोग किया गया है। परन्तु यह काव्य दोष नहीं है। यह आवृत्ति निरुद्देश्य तथा निरर्थक नहीं है। इसका उद्देश्य वर्षा के निरन्तर होने से कवि के मन में घर की याद आने को प्रकट करना है। 

प्रश्न 2. 
काव्य-गुण की दृष्टि से उपर्युक्त पद्यांश पर विचार कीजिए। 
उत्तर :
जिस रचना का अर्थ पाठक के मन से तुरन्त सहजरूप में प्रकाशित हो जाय वहाँ प्रसाद गुण माना जाता है। उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने अत्यन्त सरल तथा सुबोध शब्दों का प्रयोग किया है। इसका अर्थ पाठक अनायास ही समझ लेता है, अत: यहाँ प्रसाद गुण मानना ही ठीक है। 

2. घर कि घर में चार भाई, 
घर कि घर में सब जुड़े हैं, 
मायके में बहन आई, 
सब कि इतने कब जुड़े हैं, 
बहिन आई बाप के घर, 
चार भाई चार बहिनें, 
हाय रे परिताप के घर ! 
भुजा भाई प्यार बहिनें,

शब्दार्थ :

  • मायका = माँ का घर, पीहर। 
  • परिताप = कष्ट, दु:ख। 
  • जुड़े हैं = एकत्र हुए हैं, आपस में बँधे हैं। 
  • भुजा = बाँह। 

संदर्भ एवं प्रसंग  प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना ‘घर की याद' से . लिया गया है। इस अंश में लेखक को अपने भाइयों और बहिनों की याद सता रही है। 

व्याख्या - कवि कहता है कि उसके घर में उसके चार भाई हैं। उसकी विवाहिता बहिनें भी अपनी माँ के घर आई होंगी। उसकी बहिनें अपने पिता के घर आई होंगी, परन्तु वहाँ आकर उन्हें प्रसन्नता नहीं हुई होगी। कवि को वहाँ न पाकर उनको लगा होगा कि वह पिता के घर नहीं कष्टों के घर में आई हैं। 

कवि का घर आदर्श घर है। उसके चार भाई हैं। वे सब परस्पर प्रेम एवं सहयोग की भावना से मिलकर रहते हैं। सभी लोग इतने प्रेम-भाव से मिलकर रहते हुए कम ही देखे गये हैं। उसके चार भाई हैं और चार बहनें भी हैं। उसके भाई एक-दूसरे की भुजा के समान हैं। जैसे बाँहें मनुष्य का काम करती हैं, सहयोग-सहायता करती हैं, इसी प्रकार उसके भाई एक-दूसरे की सहायता करते हैं। उसकी बहनें यदि भ्रातृ प्रेम का आदर्श हैं तो भाई भी बहिनों की रक्षा के लिए सदा तत्पर रहते हैं। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
कवि ने अपने भाइयों तथा बहिनों के बारे में क्या कहा है ? 
उत्तर :
वर्षा ऋतु में जेल में निरुद्ध कवि को अपने परिवार की याद सता रही है। कवि ने बताया है कि घर पर उसके चार भाई तथा चार बहनें हैं। वर्षा ऋतु में सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप उसकी बहिनें अपने मायके में आई होंगी। 

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प्रश्न 2. 
'भुजा भाई प्यार बहिनें कहने का क्या आशय है ? 
उत्तर : 
कवि ने अपने भाइयों के लिए 'भुजा' तथा बहनों के लिए 'प्यार' विशेषणों का प्रयोग किया है। आशय यह है कि उसके भाई-बहिनों की सुरक्षा और सहयोग में तत्पर रहते हैं तथा आवश्यकता पड़ने पर अपनी बाँहों के समान ही काम आते हैं। उसकी बहनें अपने भाई-बहनों तथा माता-पिता को अत्यन्त प्यार करने वाली हैं।

प्रश्न 3. 
पिता का घर बहिन को 'परिताप का घर' क्यों लगा होगा? 
उत्तर : 
कवि की बहन अपने पिता के घर अपने परिवारीजनों से मिलने आई होगी। सावन (वर्षा ऋतु) मास में पुत्रियाँ प्राय: मायके जाया करती हैं। वहाँ उसको अपना एक भाई (भवानी) नहीं मिला होगा, क्योंकि वह जेल में बन्द है। अपने भाई को न पाकर बहन को अत्यन्त दुःख हुआ होगा और उसको अपने पिता का घर परिताप अर्थात् कष्टों का घर लगा होगा। 

प्रश्न 4. 
कवि के परिवार के लोगों में परस्पर कैसा सम्बन्ध है ? 
उत्तर : 
कवि ने अपने परिवार के लोगों के बारे में बताया है कि उसके चार भाई तथा चार बहिनें हैं। भाई सदा एक-दूसरे का सहयोग करने को तत्पर रहते हैं। बहिनें भी प्रेम की मूर्ति हैं। वे परिवार के लोगों से गहरा प्रेम करती हैं। उसके माता-पिता भी सभी को स्नेह करते हैं। सभी का सम्बन्ध आपस में स्नेहपूर्ण है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश की काव्य-शैली का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में कवि ने सरल-सुबोध शब्दों में अपने घर के स्निग्ध वातावरण का चित्रण किया है। साधारण बातचीत और गद्यात्मक वाक्यों में भी कवि ने कविता की कोमलता तथा सरसता भर दी है। वाक्य बहुत छोटे हैं किन्तु उनमें अद्भुत प्रवाह है।

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प्रश्न 2. 
'हाय रे परिताप के घर!' प्रस्तुत पंक्ति में निहित काव्य-सौन्दर्य को प्रकट कीजिए। 
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्ति में पिता के घर को परिताप का घर कहने से इसमें रूपक अलंकार है। इसमें कवि ने लक्षणा शब्द शक्ति का प्रयोग किया है। बहन को अपने भाई की अनुपस्थिति में पिता का घर सुखद नहीं लगता-इसी भाव को परिताप का घर' में व्यक्त किया गया है। इसमें बहन की मनोदशा का वर्णन है तथा भाई के प्रति बहन के प्यार की सजीव व्यंजना हुई है।

3. और माँ बिन-पढ़ी मेरी, 
माँ कि जिसकी स्नेह-धारा 
दुःख में वह गढ़ी मेरी 
का यहाँ तक भी पसारा, 
माँ कि जिसकी गोद में सिर,
उसे लिखना नहीं आता,
रख लिया तो दुःख नहीं फिर, 
जो कि उसका पत्र पाता। 

शब्दार्थ :

  • बिन पढ़ी = निरक्षर। 
  • गढ़ी = निर्मित। 
  • धारा = नदी, प्रवाह! 
  • यहाँ तक = जेल के भीतर तका 
  • पसारा = प्रसार, फैलाव, विस्तार। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में लेखक बता रहा है कि उसकी माँ अनपढ़ है लेकिन उसके हृदय में पूरे परिवार के लिए बहुत ममता है। 

व्याख्या - कवि कहता है कि यद्यपि उसकी माँ पढ़ी-लिखी नहीं है, निरक्षर है, परन्तु वह स्नेह से भरी हुई है। जब भी कवि किसी कारण दुःखी होता है तो उसकी माँ की गोद एक 'गढ़ी' (दुर्ग) के समान उसकी रक्षा और देखभाल करती है। जब कवि अपनी माँ की गोद में सिर रख लेता है तो फिर दुःख का लेशमात्र भी उसके जीवन में शेष नहीं रहता। माँ की गोद में सिर रखते ही उसका सब कष्ट दूर हो जाता है। 

माँ के प्रेम की नदी दूर तक बहती है। कवि घर से दूर जेल में बन्द है, किन्तु यहाँ भी वह अपनी माँ के स्नेह का अनुभव कर रहा है। माँ को लिखना नहीं आता है, इसलिए वह पत्र लिखकर कवि को नहीं भेज पाती, परन्तु इसके कारण उसके स्नेह के प्रवाह को कवि तक पहुँचने में कोई बाधा नहीं आती है।

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
कवि ने अपनी माँ के बारे में क्या कहा है ? 
उत्तर : 
कवि ने कहा है कि उसकी माँ पढ़ी-लिखी नहीं है। वह स्नेह की साकार मार्त है। जब कवि अपनी माँ की गोद में सिर रख देता है तो उसके सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं।

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प्रश्न 2. 
माँ के स्नेह का विस्तार कहाँ तक बताया गया है ?
उत्तर : 
कवि इस समय भारत की स्वतन्त्रता के सिलसिले में जेल में बंद है। वह जेल में रहकर भी अपनी माँ के स्नेह का अनुभव सरलता से कर सकता है। इसकी माँ के स्नेह की नदी का प्रसार जेल के भीतर तक है और कवि उसको वहाँ रहकर भी भलीप्रकार अनुभव कर पा रहा है। 

प्रश्न 3.
माँ अपने पुत्र को पत्र क्यों नहीं लिखती? 
उत्तर : 
कवि की माँ अनपढ़ है। उसको पढ़ना-लिखना नहीं आता। पत्र नहीं लिख पाती। यदि वह पढ़ी-लिखी होती है, तो वह कवि को पत्र अवश्य लिखती तथा उसका पत्र कवि को प्राप्त हो गया होता। 

प्रश्न 4. 
'दुःख में वह गढ़ी मेरी'-से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर : 
कवि ने अपनी माँ के बारे में लिखा है-'दुःख में वह गढ़ी मेरी'। इस पंक्ति का आशय यह है कि कवि के दुःख के क्षणों में उसकी माँ अपनी ममता के गढ़ में उसे दुःख के प्रहार से बचा लेती है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
'स्नेह-धारा' में अलंकार निर्देशित कीजिए। 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश में माँ के प्रेम पर नदी का भेदरहित आरोप है। 'स्नेह' उपमेय है तथा 'धारा' उपमान है। उपमेय में उपमान का भेदरहित आरोप होने पर रूपक अलंकार होता है। यहाँ माँ के स्नेह को नदी का झरना लिखा गया है तथा दोनों का अन्तर समाप्त हो गया है। अत: 'स्नेह-धारा' में रूपक अलंकार है। 

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प्रश्न 2. 
प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य पर टिप्पणी कीजिए। 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश में छोटे-छोटे गद्य जैसे वाक्य हैं परन्तु कवि ने उनको अपने कौशल से सरस कविता का स्वरूप प्रदान किया है। 'माँ कि जिसकी गोद में सिर' में चाक्षुष बिम्ब है। माता-पुत्र के प्रेम की सहज व्यंजना हुई है। ‘पसारा' शब्द का प्रयोग 'प्रसार' ए हुआ है, जो माता के अनपढ़ होने के अनुकूल ही व्यक्त हुआ है। इससे भाषा के प्रति कवि की सजगता दृष्टिगोचर होती है। 

4. पिता जी जिनको बुढ़ापा,
मौत के आगे न हिचकें, 
एक क्षण भी नहीं व्यापा, 
शेर के आगे न बिचकें, 
जो अभी भी दौड़ जाएँ, 
बोल में बादल गरजता, 
जो अभी भी खिलखिलाएँ, 
काम में झंझा लरजता, 

शब्दार्थ : 

  • बुढ़ापा = वृद्धावस्था। 
  • व्यापा= प्रभावित किया, व्याप्त 
  • हुनाहिचकें = संकोच करें। 
  • बिचकें = भय के कारण पीछे हटना। 
  • बोल = आवाज
  • झंझा = आँधी, तूफान। 
  • लरजता = लजाता, झेंपना, डरना।

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि अपने वृद्ध पिता के गुणों का वर्णन कर रहा है। 

व्याख्या - कवि कहता है कि उसके पिताजी अब बूढ़े हो गए हैं, परन्तु उन्होंने बुढ़ापे को कभी अनुभव ही नहीं किया। वृद्धों जैसी विवशता और असमर्थता उनके सामने कभी नहीं आयी। वृद्ध होने के कारण उन्होंने थोड़ी देर के लिए भी अपनी कर्मठता का परित्याग नहीं किया। वह इस उम्र में भी दौड़ लगा सकते हैं और खिलखिलाकर हँस सकते हैं। वह बुढ़ापे का रोना नहीं रोते, दौड़ते-भागते, मुस्कराते और हँसते हैं। 

उनमें भय तो लेशमात्र भी नहीं है। सामने मृत्यु आने पर भी वह डरते नहीं। अगर शेर भी उनके सामने आ खड़ा हो तो वह अपने कदम पीछे नहीं हटाते। उनकी बोली कड़कड़ी है। जब वह बोलते हैं तो ऐसा लगता है जैसे बादल गरज रहा हो। वह अत्यन्त कर्मठ हैं। अब भी वह काम से पीछे नहीं हटते। उनकी कार्यक्षमता के सामने आँधी भी लज्जित होती है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
कवि ने अपने पिता की क्या विशेषता बताई ? 
उत्तर : 
कवि के पिताजी आयु से वृद्ध हो चुके हैं, परन्तु वृद्धावस्था का प्रभाव उनके ऊपर दिखाई नहीं देता। उनका कार्य करने का तरीका और उत्साह युवकों जैसा है। वह दौड़ते हैं, खिलखिलाते हैं और आँधी के समान गति से काम करते हैं।

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प्रश्न 2.
'मौत के आगे न हिचकें' - से कवि के पिता के किस गुण का पता चलता है ?
उत्तर :
'मौत के आगे न हिचकें' - से पता चलता है कि कवि के पिता अत्यन्त निर्भीक हैं। मृत्यु का सामना होने पर भी उनके मन में कोई हिचक नहीं होती। परन्तु साहस और पराक्रम से काम करने में पीछे नहीं हटते। इससे उनकी दृढ़ता तथा निर्भीकता आदि गुणों का भी पता चलता है। 

प्रश्न 3. 
'बोल में बादल गरजता'-कहकर कवि अपने पिता की किस विशेषता के बारे में बताना चाहता है ? 
उत्तर : 
कवि ने अपने पिता की वाणी की तुलना बादलों के गरजने से की है। कवि बताना चाहता है कि उसके पिता की वाणी बादलों के गर्जन के समान गम्भीर एवं तेज है। वृद्ध पुरुषों की बोली मन्द हो जाती है, वह जोर से बोल नहीं पाते। परन्तु कवि के पिता तेज और कड़कड़ी आवाज में बोलते हैं। उनकी बोली में बुढ़ापे की दुर्बलता का कोई लक्षण दिखाई नहीं देता। 

प्रश्न 4. 
प्रस्तुत पद्यांश के आधार पर कवि के पिताजी के गुणों के बारे में बताइये। 
उत्तर : 
कवि ने प्रस्तुत पद्यांश में अपने पिता का गुणगान किया है। कवि के पिता वृद्ध हैं , परन्तु उनमें वृद्धावस्था का कोई लक्षण नहीं है। वह दौड़कर चलते हैं। खिलखिलाकर हँसते हैं, मौत सामने आने पर भी पीछे नहीं हटते तथा शेर का सामना होने पर भी विचलित नहीं होते। उनकी बोली कड़कड़ी है। वह आँधी के समान तीव्र गति से काम करते हैं। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
प्रस्तुत पद्यांश में किस रस का परिपाक हुआ है ? 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश में वीर रस का परिपाक हुआ है। कवि ने अपने वृद्ध पिता की शक्तिमत्ता तथा उत्साह, पराक्रम, निर्भीकता भरे गुणों का वर्णन किया है। इसका स्थायीभाव उत्साह है। आलम्बन पिता का पराक्रम तथा उद्दीपन वृद्धावस्था है। उपर्युक्त पद्यांश में वर्णित पिताजी की क्रियायें अनुभव हैं तथा निर्भीकता, दृढ़ता, परिश्रमशीलता इत्यादि संचारीभाव हैं। 

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प्रश्न 2. 
बोल में बादल गरजता, 
काम में झंझा लरजता, 
उपर्युक्त पंक्तियों में कौन-सा अलंकार है ?
उत्तर :
कवि ने अपने पिता की बोली को बादलों की गर्जना के समान बताया है। पिता की बोली कड़कड़ी है। अत: बादलों के गर्जन से उसकी तुलना करने से इसमें उपमा अलंकार है। इसी तरह पिताजी के काम करने की गति की तुलना आँधी की गति से की गई है। 'काम में झंझा लरजता' में पिता की कार्यक्षमता या शीघ्रता के सामने आँधी को भी डरते या लजाते दिखाया गया है। अत: यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है। 

5. आज गीता पाठ करके, 
जब कि नीचे आए होंगे, 
दंड दो सौ साठ करके, 
नैन जल से छाए होंगे, 
खूब मुगदर हिला लेकर, 
हाय, पानी गिर रहा है, 
मूठ उनकी मिला लेकर, 
घर नजर में तिर रहा है। 

शब्दार्थ : 

  • गीता = धार्मिक ग्रंथा 
  • दंड = कसरत।
  • मुगदर = कसरत करने का उपकरण। 
  • मूठ = मुगदर का हत्था। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'घर की याद' से लिया गया है। कारागार में बंद कवि को अपने पिता की दिनचर्या की याद आ रही है। 

व्याख्या - कवि को स्मरण आ रहा है कि उसके पिता धार्मिक ग्रन्थ गीता को पढ़ने के उपरान्त व्यायाम किया करते हैं। गीता-पाठ के बाद उन्होंने दो सौ साठ दंड किये होंगे। उन्होंने मुगदर को हाथों से उठाकर खूब घुमाया होगा। उन्होंने उसकी मूठ पकड़कर मिलाया होगा।

व्यायाम करने के बाद वह छत से उतरकर नीचे आए होंगे। उस समय अपने सबसे छोटे बेटे (कवि) को याद करके उनके नेत्र आँसुओं में डूब गए होंगे। कवि को यह सोचकर दुःख हो रहा है। इधर जेल की बैरक के बाहर पानी बरस रहा है, उधर कवि की नजरों में उसके घर तथा परिजन की याद सता रही है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
छत से उतरकर नीचे आने पर पिताजी के मन में उठने वाले किन भावों के सम्बन्ध में कवि ने क्या कल्पना की है? . 
उत्तर : 
कवि सोच रहा है कि पिताजी छत से उतरकर नीचे मकान के आँगन में आये होंगे तो उसको वहाँ अपने अन्य बेटे-बेटियों के साथ उपस्थित नहीं देखा होगा। उनको याद आया होगा कि उनका बेटा भवानी तो जेल में बंद है। यह सोचते ही उनके . नेत्रों में आँसू छलछला उठे होंगे। 

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प्रश्न 2. 
प्रस्तुत पद्यांश के आरम्भ में कवि के पिताजी के किन गुणों का वर्णन किया गया है ? 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों में कवि के पिताजी के गुणों का वर्णन हुआ है। कवि के पिता वृद्ध हैं। वह प्रतिदिन दंड-बैठक करते हैं। वह मुगदर उठाकर हिलाते हैं तथा भुजाओं को शक्तिशाली बनाने वाला व्यायाम भी करते हैं। इस तरह वह तन और मन दोनों से ही स्वस्थ हैं। 

प्रश्न 3. 
इस पद्यांश से कवि के प्रति उनके पिता के किस मनोभाव का पता चलता है ? 
उत्तर : 
इस पद्यांश से पता चलता है कि कवि के पिता अपने कवि पुत्र को अधिक चाहते हैं। वह उसको घर न पाकर व्याकुल हो उठते हैं। जब उन्हें यह ध्यान आता है कि उनका छोटा पुत्र भवानी जेल में बन्द है तो वह द्रवित हो उठते हैं और उनके नेत्रों से आँसू टपकने लगते हैं। 

प्रश्न 4. 
'हाय, पानी गिर रहा है 
घर नजर में तिर रहा है।' इस पंक्ति में क्या बात बताई गई है? 
उत्तर : 
'हाय, पानी गिर रहा है, घर नजर में तिर रहा है।' इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि बाहर बादल पानी की वर्षा कर रहे हैं। इस पानी के साथ उसके हृदय में भी दुःख उमड़ रहा है। इसी कारण उसके मुख से 'आह' (हाय) निकल रही है। कवि जेल की अपनी बैरक में बैठा है। वर्षा की बूंदों के बीच उसका अपना घर उसकी दृष्टि में प्रकट हो रहा है। अर्थात् कवि को इस वर्षा में अपने घर तथा परिवार के लोगों की याद आ रही है।

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
प्रस्तुत पद्यांश के भाषा-शैलीगत सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश की भाषा सरल तथा प्रवाहपूर्ण खड़ी बोली है। भाषा भावों को व्यक्त करने में पूरी तरह समर्थ है। पद्यांश में प्रकट होते दिखाए गए मनोभाव सहज ही पाठकों को अनुभव हो रहे हैं। इसके छोटे-छोटे गद्यात्मक वाक्यों में पद्य की सरसता है। वे तुकान्त हैं। बोली चित्रात्मक तथा वर्णनात्मक है। 

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प्रश्न 2. 
'दंड दो सौ साठ करके' में अलंकार विवेचन कीजिए।
उत्तर : 
“दंड दो सौ साठ करके' में 'दंड' तथा 'दो' शब्दों में 'द' वर्ण की आवृत्ति हुई है। इसी प्रकार 'सौ' तथा 'साठ' शब्दों में .. 
'स' वर्ण की आवृत्ति है। जब किसी पध में कोई वर्ण एक से अधिक बार आता है, तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। इस प्रकार उपर्युक्त पंक्ति में भी अनुप्रास अलंकार है। 

6. चार भाई चार बहिनें, 
पिताजी जिनको बुढ़ापा, 
भुजा भाई प्यार बहिनें, 
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
खेलते या खड़े होंगे, 
रो पड़े होंगे बराबर, 
नज़र उनको पड़े होंगे। 
पाँचवें का नाम लेकर, 

शब्दार्थ : 

  • भुजा = बाँह, सहारा। 
  • नजर = निगाह, दृष्टि। 
  • व्यापा = प्रभाव पड़ना। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि बार-बार अपने बहिन-भाइयों का स्मरण करते हुए अपने वात्सल्यमय पित दुःखी हो रहा है। 

व्याख्या - कवि कहता है कि घर पर उसके चार भाई हैं तथा चार ही बहिनें भी हैं। भाई एक-दूसरे की बाँह के समान सुरक्षा और सहयोग करने वाले हैं तथा बहिनें सभी भाई-बहिनों को प्यार और स्नेह देने वाली हैं। जब कवि के पिता छत से नीचे आये होंगे तो उनको अपने पुत्र-पुत्रियाँ दिखाई दिये होंगे। वे या तो खेल रहे होंगे अथवा घर में ही खड़े होंगे। 

पिताजी आयु से बूढे अवश्य हो चुके हैं, परन्तु बुढ़ापा उनको तनिक भी व्याप्त नहीं हुआ है। वह क्षणभर भी स्वयं को बुढ़ापे के कष्टों और दुर्बलता से प्रभावित नहीं पाते। अपने पाँचवें पुत्र को, जो इस समय जेल में बन्द है, स्मरण करके पुत्र प्रेम के कारण वे निरन्तर रोते रहे होंगे। उनका रुदन रुकने का नाम नहीं ले रहा होगा। 

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अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
उपयुक्त पाश में होंगे क्रिया का प्रयोग किस भाशप से किया गया है।
उत्तर : 
कवि जेल की बैरक में है। बाहर वर्षा हो रही है। इस.वर्षा ने कवि का ध्यान उसके घर-परिवार की ओर खींच लिया है। कवि अनुमान लगा रहा है कि घर इस समय कौन-कौन होंगे तथा वे क्या सोच या कर रहे होंगे। यूंकि घर का दृश्य प्रत्यक्ष नहीं है और कवि केवल अनुमान से काम ले रहा है। अतः यहाँ होंगे क्रिया का प्रयोग किया गया है। 

प्रश्न 2. 
छत से नीचे आने पर पिताजीने किनको देखा होगा? 
उत्तर : 
छत से नीचे आने पर पिताजी की नजर अपने बेटे-बेटियों पर पड़ी होगी। कवि के चार भाई तथा चार बहिनें है। भाई .. अपनी ही भुजा के समान सहयोगशील है तथा बहनें सभी को प्यार करने वाली है। वे उस समय घर के आँगन में खड़े होंगे अथवा खेल रहे होंगे। तभी पिताजी की नजर उन पर पड़ी होगी।

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प्रश्न 3. 
आँगन में आने पर पिताजी की क्या दशा हुई होगी? 
उत्तर : 
नीचे आने पर पिताजी ने आँगन में अपने चार पत्रों तथा चार पत्रियों को देखा होगा। वे वहाँ खडे होंगे अथवा खेल रहे होंगे। उस समय वहाँ अपने पाँचवें सबसे छोटे पुत्र भवानी को वहाँ न देखकर उनकी आँखें भर आई होंगी और वह रोने लगे होंगे। 

प्रश्न 4. 
पिताजी के रो पड़ने से उनकी किस विशेषता का पता चलता है ?
उत्तर : 
घर के आँगन में अपने पाँचवें सबसे छोटे पुत्र को न देखकर और उसकी जेल यात्रा का स्मरण करके उनका रोने 
लगना पुत्र के प्रति अत्यधिक लगाव और वात्सल्य भाव को व्यक्त करता है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश में निहित काव्य-सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए 
उत्तर :
उपर्युक्त पद्यांश में छोटे-छोटे गद्यात्मक वाक्यों में तुक या काव्य की सरसता भरकर कवि ने प्रभावशाली भाव-व्यंजना की है। भाषा सरल, भावानुकूल तथा प्रवाहपूर्ण है। शैली वर्णनात्मक तथा भावात्मक है। पद्यांश का भाव सहज ही और अनायास हृदय में प्रकट हो जाने के कारण इसमें प्रसाद नामक काव्य-गुण है। वात्सल्य रस है। पिता की वत्सलता का सजीव चित्रण हुआ है। 

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प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश में निहित अलंकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्तं पद्यांश में 'भुजा भाई' में 'भ' वर्ण की आवृत्ति होने से अनुप्रास अलंकार है। इसी प्रकार 'खेलते या बड़े में भी अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। भुजा भाई में भाइयों की तुलना अपनी भुजा से तथा प्यार बहनें में बहनों की तुलना प्यार से करने के कारण उपमा अलंकार है। 'पिताजी जिनको बुढ़ापा एक क्षण भी नहीं व्यापा' में विरोधाभास अलंकार है। इस पद्य में अलंकारों का प्रयोग स्वाभाविक रीति से तथा अनायास हुआ है। 

7. पाँचवों मैं हूँ अभागा, 
आज उनके स्वर्ण बेटे, 
जिसे सोने पर सुहागा, 
लगे होंगे उन्हें हेटे 
पिता जी कहते रहे हैं, 
क्योंकि मैं उन पर सुहागा, 
प्यार में बहते रहे हैं, 
बँधा बैठा हूँ अभागा, 

शब्दार्थ : 

  • अभागा = भाग्यहीन।
  • सोने पर सुहागा = दूसरों से श्रेष्ठ। 
  • बहते रहे हैं = प्यार का भाव-प्रवण व्यवहार करते रहे हैं। 
  • स्वर्ण = सोने जैसे मूल्यवान हैं, कमाऊ। 
  • हेटे = छोटे, घटिया। 
  • सुहागा = श्रेष्ठतर। 
  • बँधा डा = जेल में बन्द।

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि अपने पिता की व्यथापूर्ण स्थिति की कल्पना करते हुए बहुत दुःखी हो रहा है। 

व्याख्या - कवि कहता है कि उसके चार भाई हैं। वे घर पर ही रह रहे हैं। वह अपने पिता का पाँचवाँ बेटा है और घर से दूर है। घर से दूर होने के कारण पिता के मन में उसके प्रति और अधिक प्रेम उमड़ रहा होगा। पिताजी उसे अपने अन्य पुत्रों से श्रेष्ठतर कहकर उसे सोने पर सुहागा बताते रहे हैं, यद्यपि वह भाग्यहीन उनके निकट नहीं है। उसको अन्य भाइयों से श्रेष्ठ बताने का कारण पिताजी का उसके प्रति प्रेम ही है। प्रेम के वशीभूत होकर ही वह ऐसा कह रहे होंगे। 

घर से दूर होने के कारण कवि को अपने पिता का बढ़ा हुआ प्रेम अनायास ही प्राप्त हो गया होगा। अपने पाँचवें पुत्र के प्रति अतिशय प्रेम के कारण ही पिताजी को घर पर उपस्थित चारों पुत्र छोटे और घटिया प्रतीत हुए होंगे क्योंकि वे स्वर्ण है तो कवि उन पर सहागे के समान है अर्थात् उनकी तुलना में श्रेष्ठ है। प्रेमवश उसके प्रति पिताजी का यह मत संभव है, परन्तु कवि मानता है कि वह भाग्यहीन है, तभी तो वह पिता से दूर कारागार में बंद होने के कारण अपने पिता को डाढ़स बंधाने में असमर्थ है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
कवि के पिताजी उसके प्रति अपने प्यार को किस प्रकार प्रकट करते रहे हैं? 
उत्तर : 
पिताजी अपने सबसे छोटे पाँचवे पुत्र भवानी को अत्यन्त प्रेम करते है। वह अपना प्रेम प्रकट करने के लिए अपने अन्य पुत्रों को सोना' तथा अपने छोटे पुत्र को सोने पर सुहागा' कहते रहे है। इस प्रकार वह कवि को अपने अन्य पुत्रों से श्रेष्ठतर मानते रहे है तथा अपना प्यार उसके प्रति प्रकट करते रहे हैं।

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प्रश्न 2.
इस पद्य में सोना किसको तथा सुहागा किसको कहा गया है तथा क्यों ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पध में कवि के चारों भाइयों को सोना कहा गया है अर्थात् वे सोने के समान मूल्यवान् और सुन्दर है। परन्तु कवि अपने पिता का सबसे छोटा पाँचवाँ पुत्र होने के नाते सबसे प्यारा बेटा है। पिताजी उसको सोने पर सुहागा कहकर उसको अपने अन्य पुत्रों से श्रेष्ठतर मानते हैं। 

प्रश्न 3. 
घर के आँगन में खड़े सोने के समान चारों बेटे पिता को हेटे क्यों लगे होंगे? 
उत्तर :
कवि अपने पिता का पाँचवाँ पुत्र है तथा सबसे छोटा है। उसके अन्य चारों भाई घर में पिता के साथ सुख से रह रहे हैं और वह देश की स्वतन्त्रता के लिए आन्दोलन करते हुए जेल में बन्द होकर कष्ट उठा रहा है। कवि के इस त्यागपूर्ण तथा देश के प्रति प्रेम व्यक्त करने वाले आचरण के कारण पिता को अपने चारों बेटे हेटे अर्थात् नीचे लगे होंगे। 

प्रश्न 4. 
'पाँचवाँ मैं हूँ अभागा'-कहने का क्या आशय है ? 
उत्तर : 
कवि अपने पिता का सबसे छोटा तथा प्रिय पाँचवाँ पुत्र है। घर में अन्य सभी भाई-बहनें उपस्थित हैं परन्तु वह अपने पिता के स्नेह से दूर है तथा जेल में पड़ा है। कवि अपने को अभागा इस कारण मानता है कि उसके दूर होने के कारण उसके पिता को ऐसा हृदय विदारक कष्ट सहना पड़ रहा है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश पर काव्य-गुण की दृष्टि से विचार कीजिए।
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में छोटे-छोटे गद्यात्मक वाक्य हैं। जिनमें पद्य जैसी सरसता तथा प्रवाह विद्यमान है। ये वाक्य तुकान्त हैं। पद्यांश की भाषा सरस तथा भावानुकूल है। शब्द सरल और सुबोध हैं। इस प्रकार पद्यांश के भाव को हृदयंगम करने के लिए पाठकों को कोई प्रयास नहीं करना पड़ता, वह सहज ही तथा सरलता से पाठक के मन में स्थान बना लेता है। इस प्रकार की विशेषताओं वाला पद्य प्रसाद नामक काव्य-गुण से युक्त होता है। 

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प्रश्न 2. 
'स्वर्ण-बेटे' में अलंकार निरूपण कीजिए। 
उत्तर : 
यहाँ पर उपमेय तथा उपमान की अभिन्नता है। बेटे पर स्वर्ण का आरोप है। कवि ने बेटों को स्वर्ण के समान नहीं बल्कि स्वर्ण ही मान लिया है। उपमान को उपमेय के साथ अभेद आरोप होने के कारण इन शब्दों में रूपक अलंकार है। 

8. और माँ ने कहा होगा, 
वह तुम्हारा मन समझकर, 
दुःख कितना बहा होगा, 
और अपनापन समझकर,
आँख में किसलिए पानी 
गया है सो ठीक ही है, 
वहाँ अच्छा है भवानी 
यह तुम्हारी लीक ही है, 

शब्दार्थ : 

  • बहा होगा = मन का दु:ख आँसू बनकर बहा होगा। 
  • पानी = जल, आँसू। 
  • वहाँ = जेल में। 
  • भवानी = कवि। 
  • मन = इच्छा। 
  • लीक = परम्परा। 

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संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि अपने पिता की व्यथापूर्ण स्थिति की कल्पना करते हुए बहुत दुःखी हो रहा है।
 
व्याख्या - कवि सोचता है कि घर पर रोते हुए देखकर माँ भी बहुत दुःखी हुई होगी और उन्होंने पिताजी को सांत्वना देते हुए कहा होगा कि आपकी आँखों में आँसू क्यों भर आए हैं ? आप अपने पुत्र भवानी की कुशलता के प्रति चिन्तित हैं। व्यर्थ संशय न करें। हमारा पुत्र भवानी वहाँ कुशल तथा सानन्द होगा। कवि सोचता है कि न जाने कितना दुःख आँसुओं के रूप में पिताजी की आँखों से बह गया होगा।

माँ ने पिताजी को बताया. होगा कि आपका पुत्र तो आपकी इच्छा समझकर ही देश की स्वतन्त्रता के लिए जेल गया है। वह जानता है कि आप उससे कितना अपनत्व रखते हैं। आपकी भावना और अपनत्व के कारण ही वह जेल गया है। तो इसमें कोई दोष नहीं है। देश की स्वतन्त्रता के लिए त्याग करना और कष्ट उठाना तो आपके परिवार की परम्परा है। आपके बेटे ने भी इसी का निर्वाह किया है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
कवि के पिताजी किस बात को लेकर चिन्तित और दुःखी थे? 
उत्तर : 
कवि के पिताजी जब गीतापाठ तथा व्यायाम करने के बाद छत से उतरकर मकान में नीचे आये तो उन्होंने वहाँ अपने चार पुत्रों व चार पुत्रियों को देखा। उनका पाँचवाँ सबसे छोटा पुत्र (भवानी) वहाँ नहीं था। उन्हें स्मरण आया कि वह तो आजादी के आन्दोलन में जेल चला गया है। पुत्र के जेल में होने से वह चिन्तित और दुःखी हो उठे। 

प्रश्न 2.
चिन्तित पिता से कवि की माँ ने क्या कहा होगा? 
उत्तर : 
पिताजी की आँखों में आँसू देखकर कवि की माँ ने उनको समझाया होगा। माँ ने कहा होगा कि आप दुःखी क्यों हो रहे हैं ? आपकी आँखों में आँसू क्यों भर आये हैं ? भवानी देश के हित के लिए जेल गया है। वह वहाँ भली प्रकार सकुशल है। 

प्रश्न 3.
भवानी की जेलयात्रा के बारे में माँ ने पिताजी को क्या बताया था? 
उत्तर : 
माँ ने पिताजी को बताया कि भवानी देश की आजादी के लिए आन्दोलन में शामिल होकर जेल गया है। यह बात अनुचित नहीं है। इससे उनका तथा परिवार का मान ही बढ़ेगा। वह स्वयं भी तो देश की स्वतन्त्रता के लिए होने वाले आन्दोलन के समर्थक हैं। यह परिवार की परम्परा भी रही है। 

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प्रश्न 4. 
भवानी जेल क्यों गया था ? 
उत्तर : 
भवानी ने देखा था कि भारत पराधीन और विदेशी अंग्रेजों के अधीन था। देश की स्वतन्त्रता के लिए महात्मा गांधी के नेतृत्व में आन्दोलन चल रहा था, लोग जेल जा रहे थे। भवानी भी देश की स्वाधीनता के लिए जेल गया था। अपने पिता की इच्छा जानकर ही वह जेल गया था। उसने परिवार की परम्परा को निभाया था। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य के तीन प्रमुख बिन्दुओं पर टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैं - 
(क) प्रस्तुत पद्यांश की भाषा सरल तथा शब्द सुबोध हैं, जो भावाभिव्यक्ति में सहायक हैं। वाक्य छोटे-छोटे तथा गद्यात्मक हैं परन्तु वे तुकान्त हैं। उनमें अद्भुत प्रवाह है तथा काव्य जैसी मधुरता और सरसता है। मुहावरों के प्रयोग के कारण भाषा सशक्त हुई है। 
(ख) उपर्युक्त पद्यांश में वार्तालाप शैली है। इसमें प्रौढ़ माता-पिता के सहजीवन का सजीव चित्र अंकित है। 
(ग) उपर्युक्त पद्यांश में करुण रस के साथ शृंगार रस का एक नया स्वरूप दिखाई देता है जो प्रौढ़ दम्पत्ति के वार्तालाप में प्रकट हुआ है। 

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प्रश्न 2. 
उपर्यक्त पद्यांश काव्य-गण की दृष्टि से कैसा है? 
उत्तर : 
आचार्य मम्मट ने तीन काव्य-गुण माने हैं-ओज, माधुर्य और प्रसाद। जहाँ किसी पद्यांश में सरल-सुबोध भाषा का प्रयोग हो तथा कविता का भाव समझने में पाठक को कोई विशेष प्रयास न करना पड़े, वहाँ प्रसाद नामक काव्य-गुण होता है। प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अत्यन्त सरल भाषा में पुत्र के प्रति पिता की चिन्ता तथा माता द्वारा उनकी शंकाओं के निवारण का वर्णन किया है। कविता का भाव सहज ही समझ में आने वाला है। अत: प्रसाद गुण ही है।
 
9. पाँव जो पीछे हटाता, 
पिता जी ने कहा होगा, 
कोख को मेरी लजाता, 
हाय, कितना सहा होगा, 
इस तरह होओ न कच्चे, 
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ, 
रो पड़ेंगे और बच्चे, 
धीर मैं खोता, कहाँ हूँ

शब्दार्थ : 

  • कोख को लजाना = माता को अपमानित करना। 
  • पाँव पीछे हटाना = कर्त्तव्य करने से पीछे भागना। 
  • कच्चे = मन से कमजोर, भावुक होना। 
  • सहा = सहन किया। 
  • धीर = धैर्य, 
  • धीरजा धीर खोना = धैर्य छोड़कर व्याकुल

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि की माँ उसके व्याकुल पिता को धीरज बँधा रही है।

व्याख्या - कवि कल्पना कर रहा है कि उसके पिता को दु:खी देखकर उसकी माता ने कहा होगा-आपका दुःखी होना उचित नहीं है। यदि आपका पुत्र भवानी देश की स्वाधीनता के संघर्ष में भाग.न लेता और जेल न जाता तो वह अपनी माता के अपमान का कारण.बनता। मुझे लोगों को यह कहते हुए सुनकर लज्जा आती है कि वह कायर किस माता का बेटा है ? आपके पुत्र ने अपना कर्तव्य पूरा किया है। अतः इस प्रकार मन छोटा करना आपके लिए ठीक नहीं है। उसने तो आपके परिवार की परिपाटी को ही आगे बढ़ाया है। आपके परिवार में देश-हित के लिए त्याग-बलिदान की परम्परा रही है, आपके पुत्र ने उसी का पालन किया है।

जब कवि के पिता ने कवि के कारावास पर दुःखी होते हुए कहा होगा कि बेचारा भवानी कारागार में क्या-क्या न सह रहा होगा, तो कवि कहता है कि वह कहाँ रो रहा है ? कारा के जीवन में वह धीरज नहीं खो रहा था अतः उसके पिता को उसके लिए दु:खी नहीं होना चाहिए। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
कवि के पिताजी को किसने तथा किस प्रकार धैर्य बँधाया ?. 
उत्तर : 
कवि के पिता अपने पुत्र को जेलयात्रा के बारे में स्मरण आने पर व्याकुल और चिन्तित थे। उनके नेत्र आँसुओं से भरे। थे। उनकी माता ने उनकी इस अवस्था को देखकर उनको समझाया तथा कहा कि उनके पुत्र ने जेल जाकर अच्छा काम किया है। वह देश की आजादी के लिए उनकी इच्छा के अनुसार ही जेल गया है। इससे परिवार का सम्मान बढ़ा है। इसके लिए उनको अपना मन कच्चा नहीं करना चाहिए। यदि वे रोयेंगे तो अन्य बच्चे भी रोने लगेंगे। 

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प्रश्न 2. 
'इस तरह होओ न कच्चे-का क्या आशय है ? 
उत्तर : 
'इस तरह होओ न कच्चे'-कहकर माँ ने पिताजी को सान्त्वना दी। पिताजी अपने पुत्र को जेलयात्रा को स्मरण कर भावुकतावश रोने लगे थे। उनके मन के इस कच्चेपन को देखकर कवि की माँ ने उनको धैर्य बँधाया और कहा कि उनको व्यर्थ ही अपना मन छोटा नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 3. 
'हाय कितना सहा होगा' पिता के ऐसा कहने की कल्पना मन में आने पर कवि क्या कहता है ? 
उत्तर : 
कवि कहता है 'मेरे पिता मेरी स्थिति को लेकर व्यर्थ इतने व्याकुल हो रहे हैं। मैं तो यहाँ कारा में आराम से रह रहा हूँ। मैं तो रोता नहीं। मैं तो धैर्य के साथ दिन बिता रहा हूँ। 

प्रश्न 4. 
यदि भवानी देश के लिए जेल न जाता तो उसकी माँ को कैसा लगता? 
उत्तर : 
माँ ने पिताजी को समझाया कि भवानी ने जेल जाकर हमारा मान बढ़ाया है। यदि वह जेल न जाता तो उसका यह कार्य माँ के गौरव को लांछित करने वाला होता। इससे उसकी कोख लज्जित हो जाती। अब वह गर्व से कह सकती है कि उसने एक वीर और देशप्रेमी पुत्र को जन्म दिया है।

काव्य-सौन्दर्य सम्बधी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा कैसी है ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की भाषा सरल, भावानुकूल तथा प्रवाहपूर्ण है। शब्द सुबोध हैं। कवि ने इसमें मुहावरों की झड़ी लगा दी है। 'पाँव पीछे हटाना', 'कोख को लजाना', 'कच्चा होना' तथा 'धीरज खोना'-मुहावरों के प्रयोग ने भाषा की लाक्षणिकता को बढ़ाया है। 

प्रश्न 2. 
उपर्युक्त पद्यांश की शैलीगत विशेषता बताइये। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में माता-पिता के वार्तालाप में संवाद शैली का प्रयोग हुआ है, जिसके कारण काव्य में मौलिकता तथा स्वाभाविकता आ गई है। इसमें चित्रात्मक शैली भी है। पारिवारिक वातावरण का सजीव चित्रण दर्शनीय है। 'कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ' प्रश्न शैली का प्रयोग हुआ है। 

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10. हे सजीले हरे सावन, 
मैं मजे में हूँ सही है, 
हे कि मेरे पुण्य पावन, 
घर नहीं हूँ बस यही है, 
तुम बरस लो वे न बरसें, 
'किंतु यह बस बड़ा बस है, 
पाँचवें को वे न तरसें, 
इसी बस में सब विरस है, 

शब्दार्थ : 

  • सजीले = सुन्दर।
  • हरे = हरियाली से पूर्ण। 
  • पुण्य = पवित्र। 
  • बरसें = आँसू बहाये। 
  • बस = केवल, कष्ट, दुःख। 
  • विरस = नीरस, आनन्दहीन। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि सावन की ऋतु से अनुरोध कर रहा है कि वह उसके गाँव में इतना न बरसे कि कहीं उसके पिता और अधिक दुःखी न हो जाएँ। 

व्याख्या - कवि सावन से कहता है-हे सुन्दर सावन! हे हरियाली से सुसज्जित सावना तुम अत्यन्त पवित्र हो। तुम जो पानी बरसाते हो, वह लोगों को नव-जीवन देता है। तुम यहाँ पर जी-भर कर वर्षा करो। तुम चाहे जितना पानी बरसाओ परन्तु तुम मेरे पिता को कष्ट न देना। तुम्हें पानी बरसाता देखकर कहीं उनकी आँखों में भी आँसू न बरसने लगें। यह ध्यान अवश्य रखना कि उनको अपने पाँचवें पुत्र की याद न आ जाये और उसके लिए वे व्याकुल न हो उठे। 

तुम उनको बताना कि मैं जेल में अत्यन्त प्रसन्न हूँ। मुझे यहाँ कोई कष्ट नहीं है। केवल इतनी-सी बात है कि मैं घर पर नहीं हूँ और पिताजी से दूर जेल में हूँ। किन्तु केवल इतनी-सी बात कि मैं घर पर नहीं हूँ, मेरे लिए भले साधारण सी बात हो पर मेरे परिवार को इसे सहना आसान बात नहीं। मेरे कारावास ने मेरे पारिवारिक जीवन को रसहीन कर दिया है। यही बात मुझे उदास कर देती है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
उपर्युक्त पद्यांश के आरम्भ में किसको सम्बोधित किया गया है तथा क्यों? 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश के आरम्भ में कवि ने वर्षा ऋतु के प्रमुख महीने सावन को संदेश वाहक के रूप में सम्बोधित किया है। सावन के महीने में खूब पानी बरसता है। वर्षा यहाँ कवि को घर की याद आने में तथा उसके पिताजी को पुत्र की याद में द्रवित करने में महत्वपूर्ण कारक है। कवि नहीं चाहता कि उसके पिता उसकी याद में आँसू बहायें। अत: वह सावन को सम्बोधन करके उससे आग्रह करता है कि वह भले ही पानी बरसाये, किन्तु उसके पिता को उद्विग्न न करे। 

प्रश्न 2. 
'वे न बरसें'- का क्या आशय है?
उत्तर : 
सावन के महीने में पानी बरस रहा है। कवि सावन से कहता है कि वह खूब पानी बरसाये, क्योंकि वर्षा जल जीवन के लिए आवश्यक है परन्तु वे न बरसें', कहकर उनके पिता के नेत्रों से आँसू बहाने का कारण न बने। उसके पिता अपने पुत्र की याद में आँसू न बहायें। सावन कोई ऐसा काम न करे कि उनको अपने प्रिय पुत्र की याद आये। 

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प्रश्न 3. 
'पाँचवें को वे न तरसें'-का भाव स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
पाँचवाँ स्वयं कवि है जो अपने पिता का सबसे छोटा पाँचवाँ पुत्र है। कवि नहीं चाहता कि अपने पाँचवें पुत्र को अन्य पुत्रों के साथ घर में न पाकर उसके पिता उसके लिए तरसने लगें। सावन में बरसता पानी पुत्र के लिए उनकी आशंका को और अधिक उत्तेजित न करे। पाँचवें पुत्र की याद उनको उससे मिलने के लिए व्याकुल न करे। . 

प्रश्न 4. 
'यह बस बड़ा बस है' का भाव क्या है ?
उत्तर : 
कवि जेल में है। बस, वह घर पर नहीं है। यह 'बस' अर्थात् कवि का घर पर न होना बहुत छोटी-सी बात है परन्तु इसने बड़ा अनर्थ किया है। कवि को घर की याद सता रही है, वह व्याकुल हो रहा है। उधर उसके वृद्ध पिता अपने सबसे छोटे पुत्र (कवि) को घर पर न देखकर व्याकुल हो रहे हैं। उनके नेत्रों से आँसू बह रहे हैं। माँ उनको सान्त्वना दे रही है। अत: यह छोटी-सी बात बड़ी तथा कष्टप्रद बात बन गई है।

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
'हे सजीले हरे सावन' में 'सावन' को सम्बोधन करने के पीछे क्या कारण है? 
उत्तर : 
कवि कारागार में अकेला है। अपने परिवार को लेकर उसके मन में अनेक आशंकाएँ उत्पन्न हो रही हैं। वह अपने मन की दशा किसे बताएँ ? एक सावन ही सरस (सजल) साथी है। अत: वह चाहता है कि वह उसका संदेश वाहक बनकर उसके गाँव चला जाए और उसके परिवारीजनों को उसका कुशल-मंगल पहुँचा दे। 

प्रश्न 2. 
'यह बस बड़ा बस है'-में अलंकार निर्देश कीजिए। 
उत्तर : 
'बस बड़ा बस' में 'ब' वर्ण की आवृत्ति होने कारण अनुप्रास अलंकार है। जब किसी वर्ण की दो या अधिक बार आवृत्ति होती है तो वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है। इस पंक्ति में बस शब्द का प्रयोग दो बार हुआ है तथा दोनों के अर्थ भिन्न-भिन्न हैं। पहली बार 'बस' शब्द का अर्थ है--'केवल' या 'मात्र'। दूसरी बार 'बस' का अर्थ है-“दुःख'। किसी कविता में जब किसी शब्द की आवृत्ति हो और उसका अर्थ पहले से भिन्न हो तो वहाँ यमक अलंकार होता है। प्रस्तुत पंक्ति में 'यमक अलंकार भी है। 

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11. किन्तु उनसे यह न कहना, 
काम करता हूँ कि कहना, 
उन्हें देते धीर रहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ, 
चाहते हैं लोग कहना, 
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ, 
मत करो कुछ शोक कहना,

शब्दार्थ :

  • धीर = धीरज, धैर्य। 
  • नाम = प्रशंसनीय कार्य। 
  • शोक = दुःख। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। कवि सावन (बादलों) से अनुरोध कर रहा है कि वे उसे घर पर छाकर यह संदेश पहुँचा दे कि वह (कवि) बहुत सुख से कारागार का जीवन बिता रहा है। 

व्याख्या - कवि सावन को निर्देश देता है कि वह उसके पिता को यह न बताये कि घर से दूर रहना उसको दुःख देता है और वह घर की बहुत याद करता है। इससे तो उसके पिता की चिन्ता और बेचैनी और बढ़ जायेगी। वह तो उनको धैर्य बँधाता रहे। वह उनसे कहे कि भवानी जेल में खूब आराम से है। वह वहाँ पढ़-लिख रहा है काम कर रहा है तथा अपने परिवार का नाम रोशन कर रहा है और प्रसन्नतापूर्वक रह रहा है। 

उनसे कहना कि वह वहाँ खूब काम करता है। वह.ऐसे काम करता है कि जिससे उसके माता-पिता तथा देश का नाम ऊँचा होता है। उसके काम प्रशंसनीय हैं तथा सभी लोग उसको खूब चाहते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें अपने पुत्र भवानी के लिए दुःखी होने की . कोई आवश्यकता नहीं है। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
कवि सावन को क्या न कहने के लिए निर्देश देता है ?
उत्तर : 
कवि नहीं चाहता कि उसके पिता उसके लिए चिन्तित तथा आशंकित हों। वह सावन से कहता है कि वह यह बात उसके पिता को कदापि न बताये कि उनका पुत्र जेल में रहते हुए दुःखी है तथा उसको घर की याद सताती है।

प्रश्न 2. 
कवि सावन से क्या करने को कहता है ?
उत्तर : 
कवि सावन से कहता है कि वह उसके दुःख की बात उसके पिता को न बताये। वह उसके पिता को धैर्य बँधाये। यदि उसने उनको जेल में रहते हुए कवि की व्याकुलता के बारे में बताया तो इससे उनका कष्ट बढ़ जायेगा। अत: वह उनको शान्त और सामान्य रखने का उपाय करें। 

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प्रश्न 3. 
कवि सावन को अपने पिता को धैर्य बँधाये रखने के लिए क्या उपाय बताता है ? 
उत्तर : 
कवि सावन से कहता है कि वह उसके पिता को धैर्य बँधाये। वह उनको बताये कि जेल में रहकर कवि प्रसन्न तथा सुखी है। वह लिख रहा है, पढ़ रहा है तथा उनका नाम रोशन करने के काम कर रहा है। कवि के कार्यों के कारण सभी लोग उसे बहुत चाहते हैं। अतः उनको कवि के जेल में रहने का शोक नहीं करना चाहिए। 

प्रश्न 4.
इस पद्यांश में पिता के प्रति कवि का कौन-सा मनोभाव व्यक्त हुआ है ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश में पिता के प्रति सम्मान तथा गहरे प्यार की भावना व्यक्त हुई है। कवि पिता का बहुत सम्मान करता है, वह उनको बहुत प्रेम करता है। वह नहीं चाहता कि उसके पिता चिन्तित और दुःखी हों। इससे स्पष्ट है कि इस पद्यांश में पिता के प्रति गहरे लगाव तथा उनके निश्चिन्त और प्रसन्न रखने की भावना का प्रकटीकरण हुआ है। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1.
'कहना' शब्द का बार-बार प्रयोग करने से काव्य-सौन्दर्य पर क्या प्रभाव पड़ा है ? 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की अन्तिम चार पंक्तियों में 'कहना' शब्द का बार-बार प्रयोग हुआ है। इसमें कवि ने सावन को अपने पिता से कुछ कहने तथा कुछ न कहने का निर्देश दिया है। कहना शब्द की आवृत्ति से पिता के नाम संदेश भेजने की कवि की आतुरता व्यंजित हुई है। पुत्र के मन की यह आतुरता मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सर्वथा उचित है। इससे इन पंक्तियों के काव्य-सौन्दर्य में वृद्धि  हुई है। 

प्रश्न 2.
उपर्युक्त पद्यांश के भाषा-शैली सौन्दर्य पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर : 
उपर्युक्त पद्यांश की रचना सरल, प्रवाहपूर्ण भाषा में हुई है। वाक्य छोटे-छोटे हैं तथा गद्य जैसे हैं। वाक्यों के छोटे होने से उनमें प्रवाह है। वे तुकान्त हैं। कवि ने गद्यात्मक वाक्यों में काव्य की सरसता का सफलतापूर्वक सृजन किया है। शैली भावात्मक है। संदेश देने की जल्दी 'कहना' शब्द की आवृत्ति से स्पष्टत: व्यंजित हुई है। 

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12. और कहना मस्त हूँ मैं, 
कूदता हूँ, खेलता हूँ, 
कातने में व्यस्त हूँ मैं, 
दुःख डट कर ठेलता हूँ, 
वजन सत्तर सेर मेरा, 
और कहना मस्त हूँ मैं, 
और भोजन ढेर मेरा, 
यों न कहना अस्त हूँ मैं, 

शब्दार्थ : 

  • मस्त = चिन्तामुक्त, प्रसन्न। 
  • कातना = चरखे पर सूत कातना। 
  • व्यस्त = काम में लगा हुआ।
  • ढेर = बहुत ज्यादा। 
  • डटकर = साहसपूर्वक। 
  • ठेलता हूँ = दूर भगाता हूँ। 
  • अस्त = निराश, कर्म-क्षेत्र से बाहर।

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। इस अंश में कवि सावन से अनुरोध कर रहा है कि वह उसके गाँव में बरसते हुए उसके पूर्ण कुशल-मंगल की सूचना ही पहुँचाए। 

व्याख्या - कवि सावन से कहता है-हे सुन्दर पवित्र सावन। तुम मेरे पिता को बताना कि मैं जेल में रहकर आनन्द से हूँ तथा चिन्ता-मुक्त हूँ। मैं कपास से चरखे पर सूत कातता हूँ। मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ तथा मेरे शरीर का भार सत्तर सेर हो गया है। मुझे खूब भूख लगती है और मैं ढेर सारा भोजन करता हूँ। 

मैं जेल में रहकर खूब खेलता-कूदता हूँ। मैं साहसपूर्वक दुःखों को अपने से दूर धकेल देता हूँ। दुःख तो मेरे पास आते ही नहीं। तुम पिताजी से कहना कि मैं जेल में मस्ती भरा जीवन जी रहा हूँ। तुम भूलकर भी उनसे यह मत कह देना कि मैं यहाँ निराश होकर जी रहा हूँ, काम करने में मेरा मन नहीं लगता। 

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अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
कवि सावन के माध्यम से अपने पिताजी से क्या कहना चाहता है ? 
उत्तर : 
कवि को अपने पिता को निश्चिन्त तथा प्रसन्न देखने की अभिलाषा है। पिता निश्चिन्त रहें, इसके लिए यह आवश्यक है कि वह अपने पुत्र की कुशलता के प्रति आश्वस्त हों। कवि सावन के माध्यम से अपनी कुशलता तथा प्रसन्नता का संदेश भेजकर अपने पिता को आश्वस्त करना चाहता है। 

प्रश्न 2.
'वजन सत्तर सेर मेरा, और भोजन ढेर मेरा'- कहने का क्या उद्देश्य है.? 
उत्तर : 
कवि सावन के माध्यम से अपने पिता से कहता है कि जेल में रहते हुए उसके शरीर का भार सत्तर सेर हो गया है। वह खूब ढेर-सारा भोजन करता है। यह सन्देश देने से कवि का उद्देश्य अपने पिताजी के सामने यह स्पष्ट करना है कि उसका पुत्र जेल में रहकर पूरी तरह स्वस्थ तथा प्रसन्न है। 

प्रश्न 3. 
कवि ने सावन को क्या बातें अपने पिता को न बताने की हिदायत दी है ? 
उत्तर : 
कवि ने सावन के द्वारा अपने पिता को अपने प्रति आश्वस्त किया है। कुछ ऐसी बातें हैं, जिनको वह अपने पिता की जानकारी में नहीं लाना चाहता है, क्योंकि उनको जानकर उनकी व्याकुलता बढ़ सकती है। कवि ने सावन को हिदायत दी है कि वह उसके पिता को यह न बताये कि वह जेल में रहकर अस्त-व्यस्त तथा बेचैन है। 

प्रश्न 4. 
कवि ने सावन को अपनी अस्त-व्यस्तता की बात पिताजी को बताने से क्यों रोका है ? 
उत्तर : 
कवि सावन से स्पष्ट कहता है कि वह उसकी अस्त-व्यस्तता की बात उसके पिता को कदापि न बताये। कवि जानता है कि ये जानकर उसके पिता बहुत व्याकुल होंगे तथा अपने पुत्र के प्रति उनको चिन्ता और अधिक बढ़ जायेगी। यह बेचैनी वृद्ध पिता के स्वास्थ्य के लिए अच्छी नहीं होगी। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौन्दर्य में इसके छोटे-छोटे वाक्यों का क्या योगदान है ?
उत्तर :
प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने छोटे-छोटे गद्य जैसे वाक्यों का प्रयोग किया है। इन लघु वाक्यों के कारण विषयगत चित्रण में स्वाभाविकता आ सकी है। इनका प्रयोग कविता का भाव पाठक के मन में सरलता से उतारने में सहायक है। 

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प्रश्न 2. 
प्रस्तुत पद्यांश में कौन-सा अलंकार है ? 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश में कवि का ध्यान उसमें अलंकार लाने पर नहीं है। जो अलंकार आये हैं वे बिना प्रयास के स्वत: ही आ गए हैं। इस पद्यांश में “सत्तर सेर' में 'स' वर्ण की तथा 'मस्त हूँ मैं' में 'म' वर्ण की आवृत्ति हुई है। दो या अधिक बार किसी वर्ण की आवृत्ति होने से यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

13. हाय रे, ऐसा न कहना,
कह न देना मौन हूँ मैं, 
है कि जो वैसा न कहना,
खुद न समझू कौन हूँ मैं, 
कह न देना जागता हूँ,
देखना कुछ बक न देना,
आदमी से भागता हूँ, 
उन्हें कोई शक न देना, 

शब्दार्थ : 

  • वैसा = वैसे का वैसा, सच। 
  • बक = बिना सोचे-समझे बोलना। 
  • शक = संदेह, शंका। 
  • मौन = शान्त, मूका 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद' से लिया गया है। कवि सावन को अपने गाँव में संदेश लेकर भेजते समय उसे सावधान कर रहा है कि वह उसके परिवार के सामने कारागार के जीवन की वास्तविकता को न कहे। 

व्याख्या - कवि सावन से कहता है कि तुम मेरे पिता से वही बातें कहना जिनसे वह चिन्ता-मुक्त रहें तथा व्यर्थ ही मेरी चिन्ता न करें। हाय, तुम उनसे कुछ ऐसी-वैसी बात मत कह देना। यहाँ जेल की जो वास्तविकता है, वह तुम भूलकर भी मेरे पिताजी से मत कहना। तुम सच्चाई को उनके सामने प्रकट नहीं करना। तुम उनसे यह मत कहना कि जेल में रहकर मुझे नींद नहीं आती। तुम यह भी मत बताना कि मुझे लोगों पर शंका होती है तथा मैं उनसे मिलने-जुलने में भी कतराता हूँ। 

तुम पिताजी से यह मत कहना कि मुझे किसी से बातचीत करना भी अच्छा नहीं लगता। मैं हर समय चिन्ता में रहता हूँ। मुझे घर की याद सताती है। मैं यह भी भूल,जाता हूँ कि मैं हूँ कौन? देखो, तुम ऐसी-वैसी कोई बात उनसे मत कहना, ऐसा कुछ मत कह देना कि जिससे उनके मन में व्यर्थ की आशंका उत्पन्न हो जाय। 

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अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
'है कि जो वैसा न कहना'-से कवि का क्या तात्पर्य है? 
उत्तर : 
जेल में बन्द कवि ने सावन को अपना दूत बनाकर अपने पिता के नाम संदेश भेजा है, जिससे उसके पिता उसकी कुशलता जानकर निश्चिन्त रह सकें। कवि सावन से कहता है कि वह उसके पिता के पास जाये तो उन्हें जैसा देखा है वैसा न बताये अर्थात् कवि जेल में रहकर प्रसन्न नहीं है, उसे घर की याद सताती है, वह अस्त-व्यस्त है, आदि सच्चाइयाँ वह उसके पिता को न. बतायें। 

प्रश्न 2. 
कवि किन सच्चाइयों को अपने पिताजी के सामने प्रकट होने देना नहीं चाहता? 
उत्तर : 
कवि स्वतन्त्रता-आन्दोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण जेल में बन्द है। उसे वहाँ रहना अच्छा नहीं लगता है। वह घर के लोगों की याद करके व्याकुल रहता है। वह लोगों से दूर भागता है। रात में वह अच्छी नींद नहीं ले पाता। इन सच्ची बातों को कवि अपने पिता के सामने प्रकट होने देना नहीं चाहता। 

प्रश्न 3. 
जेल में कवि की मानसिक दशा कैसी है? 
उत्तर : 
कवि स्वतन्त्रता आन्दोलन के सिलसिले में जेल में बन्द है। वहाँ रहना उसको अच्छा नहीं लगता। उसको अपने घर तथा परिवारवालों की याद आती है। वह रातभर जाता रहता है, उसे नींद नहीं आती। उसे आदमियों का साथ अच्छा नहीं लगता। वह. किसी से बात नहीं करता। वह अपने आपको भी नहीं पहचानता अर्थात् अपनी सुध-बुध तक नहीं है, हर समय व्याकुल रहता है। 

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प्रश्न 4. 
कवि सावन को किस विषय में सावधान करता है ? 
उत्तर : 
कवि सावन के माध्यम से अपने पिता को संदेश भेजता है। वह उसे सावधान करता है कि वह कोई ऐसी बात न कहे जो उसके पिता को और अधिक व्याकुल कर दे। वह कुछ ऐसी बात उनके सामने न प्रकट कर दे जिससे उनके मन में संदेह उत्पन्न हो जाय। वह सजग रहकर उनसे सान्त्वना भरी बातें करें तथा उनको धैर्य बँधाये। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
प्रस्तुत पद्यांश की काव्य-शैली की विशेषता बताइए। 
उत्तर : 
प्रस्तुत पद्यांश में कवि सावन को सम्बोधन करके उसके माध्यम से अपने पिता को संदेश भेज रहा है। इसमें सम्बोधन शैली है। कवि ने सावन को संदेश के बारे में समझाया-बुझाया है अत: इसमें संस्कृत तथा कुछ हिन्दी काव्यों की संदेश-दूत काव्य शैली अपनाई गई है। 

प्रश्न 2. 
इस पद्यांश में किस परम्परा का निर्वाह हुआ है ? 
उत्तर :
कवि ने सावन को अपना दूत बनाकर अपने पिता के नाम संदेश भेजा है। किसी अमूर्त प्राकृतिक पदार्थ को दूत बनाकर संदेश भेजने को दूत काव्य कहा जाता है। दूत काव्य की परम्परा संस्कृत साहित्य के महान् कवि कालिदास द्वारा रचित 'मेघदूत' से चली आ रही है। हिन्दी में भी कवियों ने इसी को अपनाया है। 'प्रिय-प्रवास' महाकाव्य में राधा ने पवन को अपनी दूती बनाया है। इसी कविता में कवि ने इसी दूतकाव्य परम्परा का निर्वाह किया है।

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14. हे सजीले हरे' सावन 
तुम बरस लो वे न बरसें, 
हे कि मेरे पुण्य पावन, 
पाँचवें को वे न तरसें। 

शब्दार्थ :

  • सजीले = सुन्दर। 
  • हरे = हरे-भरे।
  • पुण्य-पावन = पवित्रा 
  • बरसें = आँसू बहायें। 
  • पाँचवें = पाँचवाँ पुत्र (कवि)। 

संदर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक 'आरोह' में संकलित भवानी प्रसाद मिश्र की रचना 'घर की याद से लिया गया है। इस. अंश में कवि अपने दूत सावन की प्रशंसा करते हुए उसे अपने गाँव भेज रहा है। 

व्याख्या - कवि सावन से कहता है कि हे सुन्दर सावन! तुम अत्यन्त पवित्र हो। तुम जल की वर्षा करके लोगों का कल्याण करते हो। तुम आज पानी बरसा रहे हो तो खूब वर्षा करो परन्तु ध्यान रखना कि तुम्हें बरसता देखकर मेरे पिता को मेरी याद न आ जाये और उनके नेत्रों से आँसुओं की वर्षा न होने लगे। ऐसा न हो कि वर्षा होते देखकर वह अपने पाँचवें पुत्र (कवि), जो इस समय उनसे दूर जेल में है, से मिलने के लिए न तड़प उठे। 

अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्नोत्तर -

प्रश्न 1. 
इस पद्यांश में सावन को सम्बोधित क्यों किया गया है? 
उत्तर :
कवि जेल में निरुद्ध है। वह अपने परिवारीजन से नहीं मिल सकता है और न बात कर सकता है। बाहर रात से ही लगातार वर्षा हो रही है। वर्षा ऋतु का सावन का महीना है। कवि को अपने परिवार की याद सता रही है। वह सावन को अपना दूत बनाकर अपने पिता के नाम संदेश भेज रहा है। अत: इसमें सावन को सम्बोधित किया गया है। 

प्रश्न 2. 
सावन की कौन-सी दो विशेषतायें बताई गई हैं ?
उत्तर : 
सावन की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
1. सावन में खूब वर्षा होती है तथा चारों ओर हरियाली छा जाती है। इससे चारों ओर का दृश्य सुन्दर लगने लगता है। इन कारणों से सावन को सजीला अर्थात् सुन्दर तथा हरा बताया गया है। 

2. सावन के महीने को पवित्र और पुण्यात्मा कहा गया है। सावन में वर्षा होती है। वर्षा धरती के जीव-जन्तुओं को नया जीवन देती है। भीषण ताप से उनकी रक्षा तो होती है, उनके खाने के लिए अन्न तथा पीने के लिए पानी भी वर्षा के कारण ही उपलब्ध हो पाता है। 

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प्रश्न 3. 
कवि ने सावन को बरसने के लिए क्यों कहा है ? 
उत्तर : 
कवि जानता है कि सावन में वर्षा होना प्रकृति का नियम है। वर्षा न होने से जीव-जन्तुओं के सामने भोजन-पानी का गहरा संकट उपस्थित हो सकता है। सावन मास की वर्षा गरमी को नव जीवन देने वाली है। अत: कवि सावन से कहता है कि वह खूब वर्षा करे। 

प्रश्न 4.
'वे न बरसें' में 'वे' सर्वनान किस ओर संकेत कर रहा है ? उनके बरसने का क्या आशय है ? 
उत्तर : 
प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने सावन से कहा है कि वे न बरसें'। 'वे' सर्वनाम का प्रयोग कवि के पिताजी के लिए हुआ है। 'बरसने शब्द का अर्थ यहाँ.आँसुओं के टपकने से है। कवि नहीं चाहता कि संदेशवाहक सावन की किसी बात से उसके पिता को आघात लगे और वह रोने लगें। 

काव्य-सौन्दर्य सम्बन्धी प्रश्नोत्तर - 

प्रश्न 1. 
'हे सजीले हरे सावन में अलंकार बताइये। 
उत्तर : 
'हे सजीले हरे सावन' में सावन को सम्बोधन करके कवि ने संदेश भेजा है। अतः यहाँ सम्बोधन अलंकार है। इसमें 'स' तथा 'ह' वर्ण दो-दो बार आये हैं। इन वर्गों की आवृत्ति के कारण यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

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प्रश्न 2. 
'वे न बरसें' में किस शब्द-शक्ति का प्रयोग हुआ है ?
उत्तर : 
वे न बरसें' में 'बरसें' का अर्थ रोने या आँसू टपकाने से है। कवि चाहता है कि उसके पिता के नेत्रों से दुःखवश आँसू नहीं गिरें। बरसें शब्द का लाक्षणिक प्रयोग होने के कारण यहाँ लक्षणा शब्द-शक्ति का प्रयोग है। मुख्यार्थ प्रकट होने में बाधा आने पर उससे सम्बन्धित चमत्कारपूर्ण अर्थ बताने वाली शब्द-शक्ति लक्षणा होती है। 'लक्षणा' से ही बरसे शब्द का अर्थ पानी बरसना न होकर और आँसू गिरना निकलता है।

Prasanna
Last Updated on July 23, 2022, 2:25 p.m.
Published July 23, 2022