RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Chemistry Solutions Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन

RBSE Class 11 Chemistry पर्यावरणीय रसायन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 14.1. 
पर्यावरणीय रसायन शास्त्र को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
हमारे चारों ओर उपस्थित परिवेश को पर्यावरण कहते हैं, विज्ञान की वह शाखा जिसमें पर्यावरण में होने वाले सकारात्मक तथा नकारात्मक परिवर्तनों का वैज्ञानिक अध्ययन (भौतिक एवं रासायनिक) करते हैं उसे पर्यावरणीय रसायन शास्त्र कहते हैं। इसके अन्तर्गत वातावरण में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, इसके साथ ही पर्यावरण में उपस्थित रासायनिक स्पीशीज की उत्पत्ति, परिवहन, विभिन्न अभिक्रियाओं के प्रभावों तथा उनके भविष्य का अध्ययन भी पर्यावरणीय रसायन में ही किया जाता है।

RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन 

प्रश्न 14.2. 
क्षोभमंडलीय प्रदूषण को लगभग 100 शब्दों में समझाइए।
उत्तर:
क्षोभमंडल भूमि से ऊपर की वायु का क्षेत्र होता है, जो पृथ्वी को घेरे रहता है। वायु में उपस्थित अवांछनीय ठोस अथवा गैस के कणों के कारण क्षोभमण्डल प्रदूषित होता है। क्षोभमण्डल में मुख्यतः निम्नलिखित गैसीय तथा कणिकीय प्रदूषक उपस्थित होते हैं:
(a) गैसीय वायुप्रदूषक: ये सल्फर, नाइट्रोजन तथा कार्बन के ऑक्साइड, SO2, SO3, NO, NO2, CO, CO2, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोकार्बन, ओजोन तथा अन्य ऑक्सीकारक होते हैं।
(b) कणिकीय प्रदूषक: ये धूल, धूम्र, कोहरा, फुहारा (स्प्रे ), धुआँ इत्यादि होते हैं।

प्रश्न 14.3. 
कार्बन डाइऑक्साइड की अपेक्षा कार्बन मोनोऑक्साइड अधिक खतरनाक क्यों है? समझाइए।
उत्तर:
कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड की अपेक्षा अधिक खतरनाक होती है क्योंकि यह हीमोग्लोबिन के साथ ऑक्सीजन की अपेक्षा अधिक प्रबलता से जुड़कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है, जो ऑक्सी- हीमोग्लोबिन से 300 गुना अधिक स्थायी संकुल होता है। जब रक्त में कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन की मात्रा 3-4 प्रतिशत तक हो जाती है, तो रक्त में ऑक्सीजन परिवहन की क्षमता कम हो जाती है। इसी कारण धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। गर्भवती महिलाओं के रक्त में CO की मात्रा बढ़ने से समय पूर्व बच्चे का जन्म, गर्भपात तथा बच्चों में विकृति उत्पन्न हो जाती है। इसकी 1300 ppm सान्द्रता आधे घण्टे में प्राणघातक हो जाती है।

प्रश्न 14.4. 
ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए कौनसी गैसें उत्तरदायी हैं? सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए सर्वाधिक उत्तरदायी गैस CO2 है। परन्तु कुछ अन्य गैसें भी ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए कुछ हद तक उत्तरदायी मानी गई हैं। जैसे नाइट्रस ऑक्साइड (N2O), मेथेन, फ्रेऑन (क्लोरोफ्लोरो हाइड्रोकार्बन), जलवाष्प तथा ओजोन, इन गैसों की अधिकता के कारण पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। 

प्रश्न 14.5. 
अम्लवर्षा मूर्तियों तथा स्मारकों को कैसे दुष्प्रभावित करती है?
उत्तर:
स्मारक तथा मूर्तियाँ, संगमरमर पत्थर ( मार्बल) से बनी होती हैं जिनका प्रमुख अवयव CaCO3 होता है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण वायु में उत्सर्जित गैसें जिनमें CO2, SO2 N2O, NO2 इत्यादि होती हैं, वायु की नमी (H2O) से क्रिया करके HNO3, H2SO4 कार्बोनिक अम्ल इत्यादि बनाती हैं। जब ये अम्ल नमी तथा वर्षा के साथ मूर्तियों तथा स्मारकों पर गिरते हैं तब विभिन्न रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं। इनमें से H2SO4 से होने वाली अभिक्रिया निम्नलिखित है
CaCO3 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + CO2
इसी कारण ये स्मारक धीरे-धीरे विघटित होते जाते हैं, इससे मार्बल की चमक तथा रंग गायब हो जाता है।

प्रश्न 14.6. 
धूम कोहरा क्या है? सामान्य धूम कुहरा प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
धूम कोहरा 'धूम' तथा 'कोहरा' दो शब्दों से मिलकर बना है, अर्थात् यह इन दोनों का मिश्रण है। सामान्य धूम कोहरा ठण्डी नम जलवायु में उत्पन्न होता है तथा यह धूम, कोहरे एवं सल्फर डाइऑक्साइड का मिश्रण होता है। रासायनिक रूप से यह एक अपचायक मिश्रण है। अतः इसे 'अपचायक धूम - कोहरा' भी कहते हैं। प्रकाश रासायनिक धूम कोहरा उष्ण, शुष्क एवं साफ जलवायु में बनता है। यह स्वचालित वाहनों एवं कारखानों से निकलने वाले नाइट्रोजन के ऑक्साइडों तथा हाइड्रोकार्बनों पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया के कारण उत्पन्न होता है। प्रकाश रासायनिक धूम कोहरा ऑक्सीकारक होता है। अतः इसे 'ऑक्सीकारक धूम कोहरा' कहते हैं।

प्रश्न 14.7. 
प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे के निर्माण के दौरान होने वाली अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर जीवाश्म ईंधन के दहन से नाइट्रिक ऑक्साइड (NO) तथा हाइड्रोकार्बन बनते हैं। यह सूर्य के प्रकाश में O2 से क्रिया द्वारा NO2 बनाती है, जो प्रकाश की ऊर्जा को ग्रहण करके पुन: NO तथा ऑक्सीजन में टूट जाती है। इस प्रकार से बनी नवजात ऑक्सीजन, O2 से क्रिया करके O3 (ओजोन) बनाती है, जो NO से क्रिया करके पुन: NO2 देती है जिसके उच्च स्तर के कारण धुंध बनती है। ओजोन प्रबल ऑक्सीकारक है अतः यह हाइड्रोकार्बन से क्रिया करके विषैले उत्पाद जैसे HCHO बनाती है।
रासायनिक अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार होती हैं:
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इसी प्रकार अन्य विषैले पदार्थ एवं प्रदूषक जैसे एक्रोलीन (CH2 = CH - CH= O) तथा परॉक्सी ऐसीटिल नाइट्रेट RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन 2 भी बनते हैं।

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प्रश्न 14.8. 
प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे के दुष्परिणाम क्या हैं? इन्हें कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?
उत्तर:
प्रकाश रासायनिक धूम का निर्माण सामान्यतः विषैली गैसों के कारण होता है। इसके सामान्य घटक NO, O3, CH2 = CH- CHO, HCHO, परॉक्सी ऐसीटिल नाइट्रेट RBSE Solutions for Class 11 Chemistry Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन 3 इत्यादि होते हैं। जब मनुष्य इन्हें वायु के साथ ग्रहण करता है तो ये इसके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव उत्पन्न करते हैं। O3 तथा NO की उच्च सान्द्रता के कारण खाँसी, नाक एवं गले की तकलीफ, फेफड़ों की तकलीफ, सिरदर्द, छाती में दर्द, गले का शुष्क होना तथा श्वास अवरोध जैसे रोग होते हैं। प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे से रबर में दरार उत्पन्न हो जाती है। यह पौधों की वृद्धि को भी रोकता है। मार्बल पत्थर, धातुओं, मूर्तियों एवं भवनों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है तथा इससे धीरे-धीरे उनका रंग हल्का होता जाता है। सारांश में यह कहा जा सकता है कि प्रकाश रासायनिक कोहरे का प्रभाव सजीवों एवं निर्जीवों दोनों पर क्षयकारी होता है।

प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे का नियंत्रण:
वायु में उपस्थित अवांछनीय ठोस अथवा गैस कणों के कारण क्षोभमण्डलीय प्रदूषण होता है। क्षोभमण्डल में मुख्यतः निम्नलिखित गैसीय तथा कणिकीय प्रदूषक पाए जाते हैं।
(a) गैसीय वायु प्रदूषक-सल्फर, नाइट्रोजन तथा कार्बन के ऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड, हाइड्रोकार्बन, ओजोन तथा अन्य ऑक्सीकारक गैसीय वायु प्रदूषक हैं।
(b) कणिकीय प्रदूषक-धूल, धूम्र, कोहरा, फुहारा (स्प्रे), धुआँ इत्यादि केणिकीय वायु प्रदूषक हैं।

प्रश्न 14.9. 
क्षोभमंडल पर ओजोन परत के क्षय में होने वाली अभिक्रियाएँ कौनसी हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल पर ओजोन परत के क्षय में होने वाली अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार हैं पराबैंगनी विकिरण O2 को 0 में विघटित करती है जो पुन: O2 से क्रिया करके ओजोन बनाती है।
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फ्रेऑन भी ओजोन परत के क्षय में सहायक होते हैं।
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इस प्रकार बने मुक्त मूलक मुक्त मूलक लगातार क्रिया करके, O3 को विखण्डित करके उसकी रक्षक परत को पतली कर रहे हैं अर्थात् ओजोन परत का क्षय हो रहा है। इस क्रिया को ओजोन छिद्र निर्माण (Ozone- Hole-formation) कहते हैं।

प्रश्न 14.10.
ओजोन छिद्र से आप क्या समझते हैं? इसके परिणाम क्या हैं?
उत्तर:
ओजोन छिद्र: ओजोन परत के क्षय को ओजोन छिद्र कहते हैं।
ओजोन छिद्र के प्रभाव: ओजोन परत के क्षय के कारण अधिक पराबैंगनी विकिरण क्षोभमण्डल में आते हैं, जिनके कारण त्वचा का जीर्णन (ageing), मोतियाबिंद, सनबर्न, त्वचा कैंसर जैसी बीमारियाँ होती हैं तथा इससे पादपप्लवकों (Phytoplanktons) की मृत्यु एवं मत्स्य उत्पादन में कमी होती है। पौधों के प्रोटीन पराबैंगनी विकिरणों से आसानी से प्रभावित हो जाते हैं, जिससे कोशिकाओं में हानिकारक उत्परिवर्तन (mutation) होते हैं, जिसके कारण पत्तियों से जल का वाष्पीकरण बढ़ जाता है, अतः मिट्टी की नमी कम हो जाती है। बढ़े हुए पराबैंगनी विकिरण रंगों एवं रेशों को भी हानि पहुंचाते हैं, जिससे रंग जल्दी हल्के हो जाते हैं।

प्रश्न 14.11. 
जल प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं? समझाइए।
उत्तर:
जल प्रदूषण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. रोगजनक (Pathogens): सबसे ज्यादा गम्भीर जल- प्रदूषक, रोगों के कारक हैं जिन्हें 'रोगजनक' कहा जाता है। रोगजनकों में जीवाणु एवं अन्य जीव होते हैं, जो घरेलू सीवेज एवं पशु- - अपशिष्ट द्वारा जल में प्रवेश करते हैं। मानव-अपशिष्ट में एशरिकिआ कोली, स्ट्रेप्टोकॉकस फेकेलिस आदि जीवाणु होते हैं जिनसे जठरांत्र बीमारियाँ होती हैं।
  2. कार्बनिक अपशिष्ट (Organic Wastes): अन्य मुख्य जल प्रदूषक कार्बनिक पदार्थ (जैसे- पत्तियाँ, घास, कूड़ा-कर्कट इत्यादि) होते हैं। ये भी जल को प्रदूषित करते हैं। जल में पादप प्लवकों की अत्यधिक वृद्धि भी जल प्रदूषण का एक कारण है।
  3. रासायनिक प्रदूषक: जल में विलेय अकार्बनिक रसायन जैसे लवण (NaCl, CaCl2 ) तथा Cd Hg व Ni धातुएँ मुख्य रासायनिक प्रदूषक हैं।

प्रश्न 14.12. 
क्या आपने अपने क्षेत्र में जल प्रदूषण देखा है? इसे नियंत्रित करने के कौन से उपाय हैं?
उत्तर: हमारे क्षेत्र में गई जलस्रोत हैं, जो भारी प्रदूषण का शिकार हैं।
इनको प्रदूषित करने के लिए उत्तरदायी कारक, अपमार्जक अपशिष्ट, अस्पताल का अपशिष्ट, नालियों का जल, कीचड़ तथा मूत्रालय प्रमुख हैं।
रोकथाम:

  1. प्रमुख नालियों को जलस्रोतों से पृथक् रखा जावे। 
  2. मूत्रालयों का मूत्र अपशिष्ट जलस्रोतों से पृथक रखा जावे। 
  3. इसमें जल की सफाई करने वाले पादपप्लवकों को विकसित किया जावे।
  4. गैम्बूसा मछली जलस्रोतों में डाली जावे।
  5. प्लास्टिक का कचरा जलस्रोतों में न डाला जावे। 
  6. मृत मवेशियों को जलस्रोतों में डालने से रोका जावे। 
  7. जलस्रोतों में पोटेशियम परमँगनेट डाला जावे।

प्रश्न 14.13. 
आप अपने 'जीव रसायनी ऑक्सीजन आवश्यकता' (B.O.D.) से क्या समझते हैं?
उत्तर:
BOD शब्द का अर्थ है, 'बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमान्ड' । जल के एक नमूने के निश्चित आयतन में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को विखण्डित करने हेतु जीवाणु द्वारा आवश्यक ऑक्सीजन को जैव रासायनिक ऑक्सीजन माँग (BOD) कहा जाता है। अतः BOD जल में कार्बनिक पदार्थ को जैवीय रूप में विखण्डित करने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा होती है। उपस्थित मानक दशा में जल की BOD का प्रायोगिक मान 5 ppm से कम होता है, जबकि अत्यधिक प्रदूषित जल में यह मान 17 ppm अथवा इससे अधिक होता है। अतः BOD का उच्च मान जल में कार्बनिक अपशिष्ट की उपस्थिति को दर्शाता है।

प्रश्न 14.14. 
क्या आपने आस-पास के क्षेत्र में भूमि प्रदूषण देखा है? आप भूमि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या प्रयास करेंगे?
उत्तर:
हमारे आस-पास या सामान्यतः सभी जगह भूमि (मृदा ) प्रदूषण पाया जाता है। इसके मुख्य स्रोत निम्नलिखित हैं-घरेलू अपशिष्ट, औद्योगिक अपशिष्ट, कृषि प्रदूषक, जैसे- उर्वरक तथा पीड़कनाशी। मृदा में उर्वरकों का प्रयोग करने पर उनका प्रभाव दीर्घकाल तक रहता है। D.D. T. गैमेक्सेन, सुपर कम्पोस्ट, शाकनाशी (जैसे- NaClO3, NagAsO3) इत्यादि मृदा प्रदूषण के प्रति उत्तरदायी कारक माने जाते हैं। नगरपालिका का कचरा जैसे पॉलिथीन इत्यादि भूमि को दीर्घकाल तक प्रदूषित करते हैं। रेडियोधर्मी पदार्थों के अपशिष्ट भी मृदा पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ते हैं तथा इसे प्रदूषित करते हैं। भूमि प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयास - मृदा में एक निश्चित स्थान पर ही कचरा डाला जावे तथा यदि संभव हो तो गड्ढा खोदकर अपशिष्ट को दबाया जाना चाहिए एवं इसका उपचार करना चाहिए। मृदा के संक्षारण को रोका जावे। कीटनाशकों का उपयोग कम से कम किया जावे। काँच, प्लास्टिक तथा भारी धातु आयनों को मृदा में फैलने से रोका जावे। प्रचार प्रसार तथा मानवीय जागरूकता द्वारा भी मृदा प्रदूषण को रोका जा सकता है।

प्रश्न 14.15. 
पीड़कनाशी तथा शाकनाशी से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
पहले प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले अनेक रसायन जैसेनिकोटिन (खेत में फसल के साथ तम्बाकू के पौधे उगाकर) का प्रयोग अनेक फसलों के लिए पीड़क-नियंत्रक पदार्थ के रूप में किया जाता था। द्वितीय विश्व युद्ध के समय मलेरिया तथा अन्य कीटजनित रोगों के नियंत्रण के लिए डी.डी.टी. का प्रयोग किया गया। इसलिए युद्ध के पश्चात् इसका उपयोग कृषि में कीट, रोडेंट (कृतक), खरपतवार तथा फसलों के अनेक रोगों के नियंत्रण के लिए किया जाने लगा था लेकिन इसके प्रतिकूल प्रभावों के कारण भारत में इसके प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
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प्रश्न 14.16. 
हरित रसायन से आप क्या समझते हैं? यह वातावरणीय प्रदूषण को रोकने में किस प्रकार सहायक है? 
उत्तर:
सिद्धान्तों का ज्ञान, जिनके प्रयोग से पर्यावरण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है, उसे 'हरित रसायन' कहते हैं। अतः हरित रसायन, उत्पादन की वह प्रक्रिया है, जो पर्यावरण में न्यूनतम प्रदूषण उत्पन्न करती है। इसमें पदार्थों को बनाने के लिए अविषाक्त रासायनिक पदार्थ प्रयुक्त किए जाते हैं। अत: हरित रसायन का उपयोग प्रदूषण को घटाने तथा उत्पादों को विकसित करने में किया जाता है। किसी प्रक्रम में उत्पन्न होने वाले सह-उत्पादों का यदि लाभदायक तरीके से उपयोग नहीं किया जाए, तो वे पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। ऐसे प्रक्रम पर्यावरण की दृष्टि से हानिकारक होते हैं तथा ये महँगे भी होते हैं। विकास कार्यों के साथ-साथ वर्तमान ज्ञान का रासायनिक हानि को कम करने के लिए उपयोग में लाना ही हरित रसायन का मूल आधार है। कार्बनिक विलायक, जैसे-बेन्जीन, टॉलूईन, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि अत्यधिक विषैले हैं। अतः इनका प्रयोग सावधानी से करना चाहिए।

प्रश्न 14.17. 
क्या होता, जब भू-वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसें नहीं होतीं? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस गैसों के अंतर्गत आने वाली प्रमुख गैसें O2 (ओजोन), CO2, CH, जल वाष्प तथा फ्रेऑन इत्यादि हैं। ये पृथ्वी की सतह से जाने वाली ऊष्मा को अवशोषित करके, पृथ्वी की सतह के पास वाले वातावरण को गर्म करके पृथ्वी के तापमान को निश्चित रखती हैं। जिससे पौधों की वृद्धि होती है तथा पृथ्वी पर जीव का अस्तित्व होता है। यदि भूवायुमण्डल में ग्रीनहाउस गैसें नहीं होतीं तो पृथ्वी का तापमान नियंत्रित नहीं रहता तथा पृथ्वी पर जन्तुओं एवं वनस्पति का कोई अस्तित्व नहीं होता।

प्रश्न 14.18. 
एक झील में अचानक असंख्य मृत मछलियाँ तैरती हुई मिलीं। इसमें कोई विषाक्त पदार्थ नहीं था, परंतु बहुतायत में पादपप्लवक (Phytoplanktons) पाए गए। मछलियों के मरने का कारण बताइए।
उत्तर:
झील की दशा से स्पष्ट है कि उस झील में बहुतायत पादपप्लवक उपस्थित थे। ये पादपप्लवक पानी की सतह पर तैरते हैं तथा इनका जैव विघटन होता है जिसमें ये झील की ऑक्सीजन का उपयोग करके ऑक्सीजन की भारी कमी उत्पन्न कर देते हैं जिसके परिणामस्वरूप असंख्य मछलियाँ मृत तैरती हुई मिलीं। मछलियाँ जल में विलेय O2 ही ग्रहण करती हैं। पानी में O2 का 1/6 भाग विलेय रहता है। जब यह स्तर 6 ppm से नीचे पहुँच जाता है, तब जलीय जीवों का जीवन मुश्किल हो जाता है। पादपप्लवकों के कारण झील की O2 का स्तर 6 ppm से कम हो गया। इसी कारण मछलियाँ मर गई, जबक्रि झील में कोई विषाक्त पदार्थ नहीं था।

प्रश्न 14.19. 
घरेलू अपशिष्ट किस प्रकार खाद के रूप में काम आ सकते हैं?
उत्तर:
घरेलू अपशिष्ट पदार्थों को जमीन के भीतर गड्ढा खोदकर दबा देते हैं, इनमें से जैव अपघटनी पदार्थ जैसे घास, पत्तियाँ, कचरा इत्यादि जो कार्बनिक होते हैं, धीरे-धीरे वायुमण्डल के जीवाणुओं द्वारा विघटित हो जाते हैं तथा कुछ समय पश्चात् ये खाद में परिवर्तित हो जाते हैं। गोबर को एक स्थान पर एकत्रित करने पर वह धीरे-धीरे खाद में परिवर्तित हो जाता है, जबकि जैव अनअपघटनी पदार्थ जैसे काँच, धातु, प्लास्टिक इत्यादि जिनका जैव अपघटन नहीं होता है, उन्हें खाद के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 14.20. 
आपने अपने कृषि क्षेत्र अथवा उद्यान में कंपोस्ट खाद के लिए गड्ढे बना रखे हैं। उत्तम कंपोस्ट बनाने के लिए इस प्रक्रिया की व्याख्या दुर्गंध, मक्खियों तथा अपशिष्टों के चक्रीकरण के संदर्भ में कीजिए।
उत्तर:
सर्वप्रथम इस कार्य हेतु उचित स्थान का चुनाव करना चाहिये जहाँ पर्याप्त मात्रा में धूप तथा रोशनी आ सके। कम्पोस्ट बनाने वाले पदार्थ में से जैव अनअपघटनी पदार्थों जैसे धातु के टुकड़े, लौह छीलन, काँच इत्यादि को पृथक् करके सैल्यूलोसयुक्त भाग को कंपोस्ट खाद के गड्ढे में डाल देना चाहिये दुर्गन्ध से बचने के लिए गड्ढे के ऊपरी भाग को ढक देना चाहिये, लेकिन यहाँ नमी का रहना आवश्यक है। जैव अपघटनी पदार्थों के विघटन से कम्पोस्ट खाद बन जाता है तथा जैव अपघटन से निकलने वाली गैसों जैसे CH4, C2H6. CO2 इत्यादि को ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जा सकता है। गड्ढा ढका होने के कारण मक्खियों तथा दुर्गन्ध से बचाव हो जाता है। निर्मुक्त गैसें वायुमण्डल में चली जाती हैं तथा अपशिष्ट पदार्थ को कम्पोस्ट खाद के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। जैव अनअपघटनी पदार्थों को पुनः चक्रण हेतु भेज दिया जाता है।

Prasanna
Last Updated on Feb. 3, 2023, 3:54 p.m.
Published Feb. 3, 2023