RBSE Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Social Science Economics Chapter 3 मुद्रा और साख Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 10. Students can also read RBSE Class 10 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 10 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. The class 10 economics chapter 2 intext questions are curated with the aim of boosting confidence among students.

RBSE Class 10 Social Science Solutions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख

RBSE Class 10 Social Science मुद्रा और साख InText Questions and Answers

पृष्ठ 40 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1. 
मुद्रा के प्रयोग से वस्तुओं के विनिमय में सहूलियत कैसे आती है?
उत्तर:
वस्तु विनिमय प्रणाली से विनिमय दर निर्धारण में अत्यन्त कठिनाई आती है जबकि मुद्रा द्वारा सभी वस्तुओं का मूल्य निर्धारण किया जा सकता है तथा दोहरे संयोग की समस्या भी उत्पन्न नहीं होती है जिससे आसानी से विनिमय हो जाता है।

प्रश्न 2. 
क्या आप कुछ ऐसे उदाहरण सोच सकते हैं, जहाँ वस्तुओं तथा सेवाओं का विनिमय या मजदूरी की अदायगी वस्तु विनिमय के जरिए हो रही है?
उत्तर:
आज भी कई ग्रामीण क्षेत्रों में वस्तु विनिमय प्रणाली देखने को मिलती है जहाँ लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति वस्तु विनिमय द्वारा करते हैं तथा कई बार गांवों में मजदूरी का भुगतान भी अनाज के रूप में किया जाता है। 

पृष्ठ 42 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1. 
एम. सलीम भुगतान के लिए 20,000 रुपये नकद निकालना चाहते हैं। इसके लिए वह चैक कैसे लिखेंगे?
उत्तर:
चैक लिखने के लिए एम. सलीम सबसे पहले चैक के ऊपर दाहिनी तरफ दिये गये स्थान पर सम्बन्धित दिनांक लिखेंगे। इसके बाद बैंक को स्वयं को भुगतान हेतु निर्देश देने के लिए Self या स्वयं लिखेंगे। रुपये/Rupees शब्द के आगे Twenty Thousand Only लिखेंगे। बॉक्स में रु./Rs. के आगे 20,000/- तथा खाता सं./A/C No. के आगे अपनी खाता संख्या लिखेंगे। इसके बाद निर्धारित स्थान पर अपने हस्ताक्षर करेंगे। नकद निकालने हेतु एक हस्ताक्षर चैक के पीछे भी करेंगे। इस प्रकार एम. सलीम का चैक अग्र प्रकार होगा-
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प्रश्न 2. 
सही उत्तर पर निशान लगाएँ-
(अ) सलीम और प्रेम के बीच लेन-देन (प्रेम को भुगतान) के बाद-
(क) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है। 
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है। 
(ग) सलीम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष घट जाता है। 
उत्तर:
(ख) सलीम के बैंक खाते में शेष घट जाता है और प्रेम के बैंक खाते में शेष बढ़ जाता है। 

प्रश्न 3. 
मांग जमा को मद्रा क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
माँग जमा मुद्रा के समान ही है क्योंकि इसे आवश्यकता पड़ने पर कभी भी बैंक से निकलवाया जा सकता है या अन्य व्यक्ति को चेक देकर भी भुगतान किया जा सकता है। अतः माँग जमा को मुद्रा के समान समझा जाता है। 

पृष्ठ 45 ( आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1. 
उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाधार की मांग क्यों करता है?
उत्तर:
उधारदाता उधार देते समय समर्थक ऋणाधार की मांग गारंटी के लिए करता है ताकि ऋणी के ऋण न चुकाने पर उधारदाता गिरवी रखी वस्तु से ऋण वसूल कर सके।

प्रश्न 2. 
हमारे देश की एक बहुत बड़ी आबादी निर्धन है। क्या यह उनके कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है?
उत्तर:
निर्धन व्यक्ति की निर्धनता कर्ज लेने की क्षमता को प्रभावित करती है क्योंकि निर्धन व्यक्ति की कर्ज चुकाने की क्षमता भी कम होती है तथा पर्याप्त ऋणाधार न होने के कारण उसे आसानी से ऋण प्राप्त नहीं हो पाता है।

प्रश्न 3. 
कोष्ठक में दिए गए सही विकल्पों का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
ऋण लेते समय कर्जदार आसान ऋण शर्तों को देखता है। इसका अर्थ है .......... (निम्न/उच्च ) ब्याज दर, .............(आसान/कठिन) अदायगी को शर्ते, ........... (कम/अधिक) समर्थक ऋणाधार एवं आवश्यक कागजात
उत्तर:
ऋण लेते समय कर्जदार आसान ऋण शर्तों को देखता है। इसका अर्थ है निम्न ब्याज दर, आसान अदायगी की शर्ते, कम समर्थक ऋणाधार एवं आवश्यक कागजात। 

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पृष्ठ 47 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1. 
सोनपुर में ऋण के विभिन्न स्रोतों की सूची बनाइए।
उत्तर:
सोनपुर में ऋण के स्रोत निम्न प्रकार हैं-

  • महाजन 
  • गांव के व्यापारी 
  • बड़े किसान एवं जमींदार 
  • बैंक

प्रश्न 2. 
सोनपुर के छोटे किसान, मध्यम किसान और भूमिहीन कृषि मजदूर के लिए ऋण की शर्तों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
सोनपुर में छोटे किसान ऋण हेतु महाजन पर निर्भर हैं जो उन किसानों को काफी ऊँची दर पर ऋण उपलब्ध करवाता है तथा उनकी फसल भी कम मूल्य पर उसे ही बेचने की शर्त रखता है। मध्यम किसान सोनपुर में बैंक से ऋण लेता है जो उन्हें आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध करवाता है। भूमिहीन कृषि मजदूर, बड़े किसानों तथा जमींदारों से ऋण प्राप्त करते हैं जो ऊँची-ऊँची दर से ब्याज लगाते हैं तथा ऋण चुकाने के नाम पर वे मजदूरों को बिना मजदूरी अपने खेतों पर काम करवाते हैं।

प्रश्न 3. 
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज्यादा आय क्यों होगी? 
उत्तर:
श्यामल की तुलना में अरुण को खेती से ज्यादा आय निम्न कारणों से होगी-

  • अरुण के पास 7 एकड़ जमीन है जबकि श्यामल के पास केवल 1.5 एकड़ जमीन है।
  • अरुण ने बैंक से ऋण लिया है जिसकी ब्याज दर 8.5 प्रतिशत वार्षिक है। जबकि श्यामल ने गाँव के कृषि व्यापारी से 36 प्रतिशत वार्षिक से ऋण लिया है।
  • अरुण अपनी फसल को किसी को भी बेच सकता है जबकि श्यामल ने जिस कृषि व्यापारी से ऋण लिया है, उसी को फसल बेचने का वायदा भी किया है।

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प्रश्न 4. 
क्या सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकता है? किन लोगों को मिल सकता है?
उत्तर:
सोनपुर के सभी लोगों को सस्ती दरों पर कर्ज नहीं मिल सकता है, जिन लोगों के पास बैंक से ऋण लेने हेतु पर्याप्त समर्थक ऋणाधार है केवल उन्हें ही सस्ती दरों पर कर्ज मिल सकता है।

प्रश्न 5. 
सही उत्तर पर निशान लगाइए-
(क) समय के साथ, रमा का ऋण

  • बढ़ जाएगा 
  • समान रहेगा 
  • घट जाएगा। 

उत्तर:
बढ़ जाएगा। 

(ख) अरुण सोनपुर के उन लोगों में से है जो बैंक से उधार लेते हैं क्योंकि-

  • गाँव के अन्य लोग साहूकारों से कर्ज लेना चाहते हैं। 
  • बैंक समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जो कि हर किसी के पास नहीं होती।
  • बैंक ऋण पर ब्याज दरें उतनी ही हैं जितना कि व्यापारी लेते हैं। 

उत्तर:
बैंक समर्थक ऋणाधार की माँग करते हैं जो कि हर किसी के पास नहीं होती।

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पृष्ठ 50 (आओ इन पर विचार करें)

प्रश्न 1. 
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों में क्या अन्तर है? 
उत्तर:
ऋण के औपचारिक और अनौपचारिक स्रोतों के अन्तर को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-

अन्तर का आधार 

औपचारिक स्रोत

अनौपचारिक स्रोत

1. ऋणदाता

इसमें बैंक, सहकारी समितियों, स्वयं सहायता समूह आदि को शामिल किया जाता है।

इसमें साहूकार, महाजन, बड़े कृषकों, रिश्तेदारों, मित्रों, जानकारों आदि को शामिल किया जाता है।

2. ब्याज की दर

औपचारिक स्रोतों द्वारा कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं।

अनौपचारिक स्रोतों द्वारा ऊँची दर पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है।

3. कर्जदारों का शोषण

औपचारिक स्रोतों द्वारा कर्जदारों का शोषण नहीं किया जाता है।

अनौपचारिक स्रोतों द्वारा कर्जदारों का शोषण किया जाता है।

प्रश्न 2. 
सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण क्यों उपलब्ध होना चाहिए?
उत्तर:
सभी लोगों के लिए यथोचित दरों पर ऋण उपलब्ध होना चाहिए ताकि वे उस ऋण से अपनी आय को बढ़ा सकें तथा समय पर ऋण का भुगतान कर पाएँ।

प्रश्न 3. 
क्या भारतीय रिजर्व बैंक के जैसा कोई निरीक्षक होना चाहिए जो अनौपचारिक ऋणदाताओं की गतिविधियों पर नजर रखे? उनका काम मुश्किल क्यों होगा?
उत्तर:
अनौपचारिक ऋणदाताओं की गतिविधियों पर नजर रखने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक जैसा निरीक्षक होना चाहिए क्योंकि अनौपचारिक ऋणदाताओं द्वारा ऊँची ब्याज दर पर ऋण दिया जाता है तथा विभिन्न प्रकार से ऋणी लोगों का शोषण किया जाता है अतः इनकी गतिविधियों पर नियन्त्रण आवश्यक है।

उनका कार्य मुश्किल इसलिए होगा क्योंकि अनौपचारिक ऋणदाताओं पर नियन्त्रण रखना इतना आसान नहीं है। इनकी संख्या काफी ज्यादा है तथा ये ऋणदाता बिखरे हुए हैं। इसके अतिरिक्त अनौपचारिक ऋणदाता पूरी कागजी कार्यवाही भी नहीं करते हैं।

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प्रश्न 4. 
आपकी समझ में गरीब परिवारों की तुलना में अमीर परिवारों के औपचारिक ऋणों का हिस्सा अधिक क्यों होता है?
उत्तर:
गरीब परिवारों की तुलना में अमीर परिवारों को औपचारिक ऋणों का अधिक हिस्सा मिलता है क्योंकि अमीर परिवारों के पास ऋण लेने हेतु समर्थक ऋणाधार होता है तथा उन परिवारों की ऋण चुकाने की क्षमता भी अधिक होती है। अतः उन्हें आसानी से ऋण मिल जाता है।

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प्रश्न 1. 
जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिए और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि कोई व्यक्ति जोखिम वाली परिस्थितियों में कर्ज लेता है तो हो सकता है कि उसके लिए स्थिति और विकट हो जाए क्योंकि जोखिम वाली परिस्थितियों में व्यक्ति की आय अनिश्चित होती है। यदि वह ऋण लेकर कोई काम करता है तथा यदि वह उस कार्य में सफल न हो पाए तो वह ऋण का पुनर्भुगतान नहीं कर पाता है तथा ब्याज का भार भी बढ़ जाता है तथा कर्ज चुकाने के लिए उसे और कर्ज लेना पड़ता है तथा वह ऋण जाल में फँस जाता है।

प्रश्न 2. 
मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? अपनी ओर से उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को हम निम्न उदाहरण द्वारा समझ सकते हैं—यदि किसी व्यक्ति के पास कपास है तथा उसे यदि गेहूँ की आवश्यकता है तो उस व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति को खोजना पडेगा जिसके पास गेहूँ हैं तथा उसे कपास की आवश्यकता है। व्यावहारिक जीवन में ऐसे दोहरे संयोग मिलना अत्यन्त कठिन है । मुद्रा द्वारा उस समस्या का समाधान किया जा सकता है क्योंकि मुद्रा द्वारा सभी वस्तुओं तथा सेवाओं की विनिमय दर निर्धारित होती है अतः कोई भी व्यक्ति अपनी वस्तु बेचकर मुद्रा प्राप्त कर उस मुद्रा से अन्य वस्तु क्रय कर सकता है।

प्रश्न 3. 
अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस प्रकार मध्यस्थता करते हैं?
उत्तर:
बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों की जमाएँ उनके खातों में स्वीकार करते हैं तथा उनसे जरूरतमंद लोगों को ऋण उपलब्ध करवाकर मध्यस्थता करते हैं।

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प्रश्न 4. 
10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर:
10 रुपये के नोट पर ऊपर 'भारतीय रिजर्व बैंक' तथा उसके नीचे 'केन्द्रीय सरकार द्वारा प्रत्याभूत' लिखा होता है तथा उसके नीचे निम्न कथन लिखा होता है, "मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।"

इसका तात्पर्य है कि भारत सरकार की गारन्टी पर भारतीय रिजर्व बैंक 10 रुपये का नोट जारी करता है तथा जनता को यह वचन दिया जाता है कि 10 रुपये के धारक को हर स्थिति में 10 रुपये का भुगतान किया जाएगा। इससे लोगों में विश्वसनीयता पैदा होती है।

प्रश्न 5. 
हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्त्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?
उत्तर:
देश में औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों स्रोतों से ऋण उपलब्ध करवाया जाता है; किन्तु अनौपचारिक स्रोतों द्वारा ऋण प्रदान करने के अनेक दोष हैं। अनौपचारिक स्रोतों द्वारा ऊँची दर पर ऋण दिए जाते हैं तथा कई तरीकों से लोगों का शोषण किया जाता है। अनौपचारिक स्रोतों से ऋण लेकर लोग ऋण जाल में फँस जाते हैं जबकि औपचारिक स्रोतों द्वारा कम ब्याज दर पर तथा आसान शर्तों पर ऋण उपलब्ध करवाया जाता है। अतः देश में औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 6. 
गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
स्वयं सहायता समूह के पीछे मूल विचार है ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों तथा महिलाओं को छोटे-छोटे सहायता समूहों में संगठित करना तथा उनकी बचत पूँजी को एकत्रित कर उसके ही सदस्यों को आसान शर्तों पर ऋण प्रदान करना जिस पर उन्हें बहुत कम ब्याज देना पड़ता है। इस प्रकार उन्हें साहूकार, महाजन, बड़े कृषक आदि द्वारा कर्जदारों पर किए शोषण से बचाना। इन समूहों से लिए ऋणों के माध्यम से निर्धन लोग कुटीर उद्योगों की स्थापना करके अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त स्वयं सहायता समूहों की बैठकों में ग्राम विकास के मुद्दों पर भी चर्चा होती है जिससे समाज के विकास को बल मिलता है।

प्रश्न 7. 
क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर:
कुछ लोगों के पास समर्थक ऋणाधार नहीं होता तथा उनकी ऋण चुकाने की क्षमता भी कम होती है तथा जिन कर्जदारों ने अपने पुराने कर्ज का भुगतान नहीं किया है, बैंक ऐसे लोगों को ऋण नहीं देता है।

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प्रश्न 8. 
भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?
उत्तर:
भारतीय रिजर्व बैंक अपनी नीतियों अर्थात् मौद्रिक नीति के माध्यम से अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखता है। रिजर्व बैंक बैंक दर, न्यूनतम कोषानुपात, रेपो दर आदि निर्धारित करता है। अतः इनके माध्यम से अर्थव्यवस्था में मुद्रा पर नियंत्रण रखता है।

यह इसलिए जरुरी है कि यदि भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नजर नहीं रखे तो देश में मुद्रा एवं साख की मात्रा में असन्तुलन उत्पन्न हो जाएगा जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। नियन्त्रण के अभाव में बैंक भी अपनी मनमानी करने लगेंगे तथा अधिक लाभ लेने हेतु लोगों का शोषण करेंगे। अतः अन्य बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं पर रिजर्व बैंक का नियंत्रण आवश्यक है।

प्रश्न 9. 
विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
किसी भी देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में ऋणों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। ऋणों के माध्यम से लोग अपनी उत्पादक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं जिससे उनकी आय की वृद्धि होती है। ऋण लेकर बहुत से उद्योगपति उद्योगों में विनियोग करते हैं जिससे लोगों को रोजगार उपलब्ध होता है तथा देश के उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय में भी वृद्धि होती है। ऋणों से देश में लघु एवं कुटीर उद्योगों को भी वित्तीय सहायता उपलब्ध होती है। ऋण के माध्यम से कृषि क्षेत्र का भी तीव्र विकास सम्भव है।

प्रश्न 10. 
मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मानव द्वारा ऋण लेने के कई आधार हो सकते हैं। यदि मानव के पास समर्थक ऋणाधार है तो वह साहूकार के बजाय बैंक से ऋण लेगा तथा ऋणाधार के अभाव में उसे साहूकार से ऋण लेना पड़ेगा। यदि मानव कम ब्याज पर ऋण लेना चाहता है तो उसे बैंक से ऋण लेना चाहिए। इसके अतिरिक्त यदि मानव को बहुत कम समय हेतु ऋण चाहिए तो उसे साहूकार से ऋण लेना चाहिए, यदि मानव को लम्बे समय तक ऋण की आवश्यकता है तो मानव को बैंक से ऋण लेना चाहिए।

प्रश्न 11. 
भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं, जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की जरूरत होती है। 
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं? 
(ख) वे दूसरे स्त्रोत कौनसे हैं, जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं? 
(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं? 
(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है?
उत्तर:
(क) छोटे किसानों को ऋण देने में बैंक हिचकिचा सकते हैं क्योंकि एक तो छोटे किसानों के पास पर्याप्त समर्थक ऋणाधार नहीं होता है तथा दूसरा छोटे किसानों की आय भी निश्चित नहीं होती है। इस कारण उनकी ऋण चुकाने की क्षमता भी कम होती है।

(ख) बैंक के अतिरिक्त छोटे किसान महाजन, साहूकार, रिश्तेदारों, दोस्तों, जानकारों, सहकारी संस्थाओं तथा स्वयं सहायता समूहों से ऋण ले सकते हैं।

(ग) छोटे किसानों के लिए ऋण की शर्ते प्रतिकूल हो सकती हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई छोटा किसान फसल ऋणदाता को बेचने की शर्त पर फसल हेतु ऋण लेता है तो फसल पकने पर उसे ऋणदाता को कम मूल्य पर फसल बेचनी पड़ती है तथा अपनी स्वयं की जरूरतों एवं अगली फसल हेतु उसे पुनः ऋण लेना पड़ता है। इस प्रकार छोटे किसान ऋण के जाल में फँस जाते हैं। उसे ब्याज दर भी अधिक चुकानी पड़ सकती है।

(घ) यदि छोटे किसान चाहें तो वे स्वयं सहायता समूह बनाकर सस्ता ऋण प्राप्त कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त वह सहकारी समितियों एवं बैंकों से भी सस्ता ऋण प्राप्त कर सकता है।

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प्रश्न 12. 
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
(क) ............... परिवारों की ऋण की अधिकांश जरूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं । 
(ख) ................... ऋण की लागत ऋण का बोझ बढ़ाती है। 
(ग) ............... केन्द्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है। 
(घ) बैंक............. पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ) ............ सम्पत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर:
(क) ग्रामीण 
(ख) उच्च ब्याज दर के कारण 
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक 
(घ) जमाओं
(ङ) समर्थक ऋणाधार ऐसी।

प्रश्न 13. 
सही उत्तर का चयन करें-
(क) स्वयं सहायता समूह में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लिए जाते हैं-

  • बैंक द्वारा 
  • सदस्यों द्वारा 
  • गैर सरकारी संस्था द्वारा 

उत्तर:
सदस्यों द्वारा। 

(ख) ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है-

  • बैंक 
  • सहकारी समिति 
  • नियोक्ता 

उत्तर:
नियोक्ता।

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Last Updated on May 17, 2022, 6:43 p.m.
Published May 17, 2022