RBSE Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

RBSE Class 10 Social Science जाति, धर्म और लैंगिक मसले InText Questions and Answers

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प्रश्न 1. 
मम्मी हरदम बाहर वालों से कहती है, "मैं काम नहीं करती। मैं तो हाउस वाइफ हैं।" पर मैं देखती हूँ कि वह लगातार काम करती रहती हैं। अगर वे जो करती हैं, उसे काम नहीं कहते तो फिर काम किसे कहते हैं?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि महिलाओं के घरेलू कामकाज को समाज द्वारा अधिक मूल्यवान नहीं माना जाता और उन्हें दिन-रात काम करके भी श्रम का मूल्य नहीं मिलता। 

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प्रश्न 2. 
भारत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। क्या आप इसके कुछ कारण बता सकते हैं? क्या आप मानते हैं कि अमरीका और यूरोप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व इस स्तर तक पहुँच गया है कि उसे संतोषजनक कहा जा सके?
उत्तर:
जी हाँ, भारत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। इसके अनेक कारण हैं। कुछ प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं-

  • भारत का समाज आज भी पितृ प्रधान समाज है। 
  • महिलाओं में शिक्षा का प्रसार बहुत कम है। 
  • महिलाओं में साक्षरता की दर अब भी मात्र 54 फीसदी ही है। 
  • राजनीति में महिलाएँ रुचि कम रखती हैं। 
  • महिला उत्पीड़न, शोषण तथा हिंसा की घटनाओं के चलते महिलाएँ इस क्षेत्र में आगे नहीं आतीं। 
  • महिला सुरक्षा की पूरी व्यवस्था न होना, आदि।

अमरीका तथा यूरोप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व- हमारा मानना है कि भारत की तुलना में अमरीका तथा यूरोप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व काफी अच्छा है। लेकिन फिर भी इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। 1 अक्टूबर, 2018 तक अमरीका की राष्ट्रीय संसद में 29.5 प्रतिशत महिलाएं तो यूरोप में नॉर्डिक देशों को छोड़कर 26.4प्रतिशत महिलाएँ थीं। नॉर्डिक देशों में यह प्रतिशत 42.3 था। इस प्रकार अमरीका तथा यूरोप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी उनकी जनसंख्या के अनुपात से काफी कम है। 

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प्रश्न 3. 
अगर जातिवाद और संप्रदायवाद खराब चीज है तो नारीवाद क्यों अच्छा है? हम समाज को जाति, धर्म या लिंग के आधार पर बाँटने वाली हर बात का विरोध क्यों नहीं कहते?
उत्तर:
जातिवाद और संप्रदायवाद दोनों खराब चीजें हैं। जातिवाद समाज को जाति के आधार पर और संप्रदायवाद समाज को धर्म के आधार पर बाँटता है। इनके विपरीत नारीवाद नारी के हक की बात करता है। वह समाज में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिलाने को जागरुक करता है। अतः नारीवाद अच्छा है।

हम समाज को जाति, धर्म या लिंग के आधार पर बाँटने वाली हर बात का विरोध इसलिए नहीं करते क्योंकि हमारे अन्दर भी जागरुकता की कमी है। हमें अपनी इस कमी को दूर करना होगा।

प्रश्न 4. 
मैं धार्मिक नहीं हूँ, मुझे साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता की परवाह क्यों करनी चाहिए?
उत्तर:
चूंकि साम्प्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता हमारे सामाजिक और राजनीतिक जीवन को बहुत हद तक प्रभावित करती हैं अतः हमें साम्प्रदायिकता का विरोध और धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करना चाहिए, चाहे हम धार्मिक हों या न हों। 

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प्रश्न 5. 
मैं अक्सर दूसरे धर्म के लोगों के बारे में चुटकुले सुनाता हूँ। क्या इससे मैं भी सांप्रदायिक बन जाता हूँ?
उत्तर:
हमारे देश में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। किसी एक धर्म के व्यक्ति द्वारा दूसरे धर्म के लोगों के बारे में चुटकुले सुनाना उचित नहीं है। इससे उस धर्म को मानने वाले लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं। इससे सांप्रदायिक तनाव भी पैदा हो सकता है। 

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प्रश्न 6. 
मुझे अपनी जाति की परवाह नहीं रहती। हम पाठ्यपुस्तक में इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं? क्या हम जाति पर चर्चा करके जातिवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं?
उत्तर:
चूंकि जातिवाद राजनीति को और राजनीति जातिवाद को प्रभावित करते हैं। जातिवाद लोकतंत्र के सफलतापूर्वक संचालन के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है। इस पर चर्चा करके हम इसके प्रभाव को कम करने के लिए हल ढूँढ़ सकते हैं और इसे बढ़ने से रोक सकते हैं।

RBSE Class 10 Social Science जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमजोर स्थिति में होती हैं।
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के साथ अभी भी निम्नलिखित पहलुओं में भेदभाव होते हैं और उनका दमन होता है-

  • शिक्षा में भेदभाव भारत में महिलाओं में साक्षरता की दर अब भी मात्र 54 फीसदी है, जबकि पुरुषों में 76 फीसदी। स्कूल पास करने वाली लड़कियों की एक सीमित संख्या ही उच्च शिक्षा की ओर कदम बढ़ा पाती है। क्योंकि माँ-बाप अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर खर्च करने की जगह लड़कों पर ज्यादा खर्च करना पसंद करते हैं।
  • ऊँचे पदों पर महिलाओं की कम संख्या अब भी भारत में ऊँचा वेतन और ऊँचे पदों पर पहुँचने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है।
  • समान कार्य के लिए समान मजदूरी नहीं-काम के अनेक क्षेत्रों में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती है, भले ही दोनों ने समान काम किया हो।
  • सिर्फ लड़के की चाह-भारत के अनेक हिस्सों में माँ-बाप को सिर्फ लड़के की चाह होती है। इससे देश का लिंग-अनुपात गिरकर 919 रह गया है।

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प्रश्न 2. 
विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें। 
उत्तर:
विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा निम्नलिखित है-
(1) धार्मिक पूर्वाग्रह-धार्मिक पूर्वाग्रह में धार्मिक समुदायों के बारे में एवं एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ सम्मिलित हैं। अभिव्यक्ति दैनिक जीवन में ही देखने को मिलती है। इनकी ये चीजें इतनी आम हैं कि अक्सर हमारा ध्यान इस ओर नहीं जाता है, जबकि ये हमारे अन्दर ही बैठी होती हैं।

  1. वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में महिला साक्षरता दर 65.46% तथा पुरुष साक्षरता दर 82.14%
  2. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात 943 है।

(2) बहसंख्यकवाद साम्प्रदायिक सोच अक्सर अपने धार्मिक समुदाय का राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित करने की फिराक में रहती है। जो लोग बहुसंख्यक समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं उनकी यह कोशिश बहुसंख्यकवाद का रूप ले लेती है और जो लोग अल्पसंख्यक समुदाय के होते हैं उनमें यह विश्वास अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है। ऐसा हमें भारत में भी कमोबेश देखने को मिलता है।

(3) साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी-इसके अन्तर्गत धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्म-गुरुओं, भावनात्मक अपील एवं अपने ही लोगों के मन में डर बैठाने जैसे तरीके का उपयोग किया जाना एक सामान्य बात है। चुनावी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं की भावनाओं अथवा हितों की बात उठाने जैसे तरीके सामान्यतया अपनाए जाते हैं।

(4) साम्प्रदायिक हिंसा-साम्प्रदायिकता कई बार अपना सबसे बुरा रूप साम्प्रदायिक हिंसा, दंगा, नरसंहार के रूप में ग्रहण कर लेती है। उदाहरण के लिए, देश विभाजन के समय भारत व पाकिस्तान में भयावह साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। आजादी के पश्चात् भी बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा हुई।

प्रश्न 3. 
बताइये कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं? 
उत्तर:
भारत में जातीय असमानताएँ- भारत में अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं। यथा-

  • भारत में अभी भी अधिकतर लोग अपनी जाति या कबीले में ही विवाह करते हैं। 
  • छुआछूत की प्रथा अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
  • चुनाव में लोग अपनी ही जाति के उम्मीदवार को ही वोट डालते हैं तथा अपनी जाति के अन्य लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • कुछ जातियाँ अभी भी जाति पंचायत कर अपने विभिन्न निर्णय करती हैं। 

प्रश्न 4. 
दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते। 
उत्तर:
भारत में सिर्फ जाति के आधार पर ही चुनावी नतीजे तय नहीं होते; क्योंकि-

  • देश के किसी भी एक संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं है। 
  • कभी-कभी एक ही जाति के अनेक उम्मीदवार एक ही संसदीय क्षेत्र में मैदान में होते हैं। 
  • कोई भी पार्टी किसी एक जाति या समुदाय के सभी लोगों का वोट हासिल नहीं कर सकती। 

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प्रश्न 5. 
भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?
उत्तर:
भारत की विधायिका में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। भारतीय लोकतंत्र तीन स्तरों पर कार्यरत है और तीनों स्तरों पर अलग-अलग महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति है। यथा-

  • केन्द्रीय स्तर पर संसद में स्त्रियों का प्रतिनिधित्व पहली बार 2019 में ही 14.36% तक पहुँचा है। 
  • राज्यों की विधायिकाओं में तो यह 5 प्रतिशत से भी कम है।
  • स्थानीय शासन की विधायिकाओं में वर्तमान में महिलाओं का 33 प्रतिशत प्रतिनिधित्व आरक्षित है। आज भारत के ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में निर्वाचित महिलाओं की संख्या 10 लाख से ज्यादा है।

प्रश्न 6. 
किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं। 
उत्तर:
भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाने वाले दो प्रावधान ये हैं-

  • भारत राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। संविधान के अनुसार सरकार किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगी।
  • देश के सभी नागरिकों को कोई भी धर्म अपनाने की स्वतंत्रता दी गई है। नागरिक अपनी इच्छा से किसी भी धर्म को मान सकते हैं तथा उसका प्रचार कर सकते हैं।

प्रश्न 7. 
जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है :
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर। 
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ। 
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात। 
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना। 
उत्तर:
(ख) 'समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।'

प्रश्न 8. 
भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है : 
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा 
(ग) मंत्रिमंडल
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ। 
उत्तर:
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ।

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प्रश्न 9. 
सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि:
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है। 
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं। 
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है? 
(क) अ, ब, स और द (ख) अ, ब और द (ग) अ और स (घ) ब और द। 
उत्तर:
(ग) अ और स। 

प्रश्न 10. 
भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौनसा कथन गलत है? 
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है। 
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है। 
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है। 
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है। 
उत्तर:
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है। 

प्रश्न 11.
................ पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है। 
उत्तर:
जाति। 

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प्रश्न 12. 
सूची I और सूची II का मेल कराएँ और आगे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें। 

सूची-I

सूची-II 

1. अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष की बराबरी मानने वाला व्यक्ति

(क) सांप्रदायिक

2. धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति

(ख) नारीवादी 

3. जाति को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति

(ग) धर्मनिरपेक्ष 

4. व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव न करने वाला व्यक्ति 

(घ) जातिवादी 

RBSE Solutions for Class 10 Social Science Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले 1
उत्तर:
(रे) ख, क, घ, ग।

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Last Updated on May 12, 2022, 8:56 p.m.
Published May 12, 2022