RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 2 संविधान निर्माण

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RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 2 संविधान निर्माण

→ संविधान से आशय - लोकतंत्र में कुछ मूलभूत कानून होते हैं जिनका पालन नागरिकों और सरकार, दोनों को करना होता है। ऐसे सभी नियमों (कानूनों) का सम्मिलित रूप संविधान कहलाता है। संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है। देश का सर्वोच्च कानून होने की हैसियत से यह नागरिकों के अधिकार, सरकार की शक्ति और उसके कामकाज के तौर-तरीकों का निर्धारण करता है।

→ दक्षिण अफ्रीका में लोकतांत्रिक संविधान -
रंगभेद के विरुद्ध व स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष - 17वीं और 18वीं सदी में व्यापार करने आई यूरोप की कंपनियों ने दक्षिण अफ्रीका को भी उसी तरह गुलाम बनाया जैसे भारत को। लेकिन वहाँ बड़ी संख्या में गोरे लोग बस गये और स्थानीय शासन को अपने हाथों में ले लिया। इस शासन की रंगभेद की राजनीति ने लोगों को उनकी चमड़ी के रंग के आधार पर बांट दिया। दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत लोगों की जनसंख्या तीन-चौथाई है। लेकिन रंगभेद की शासकीय नीति अश्वेतों के लिए दमनकारी थी। फलतः 1950 से ही अश्वेत, रंगीन चमड़ी वाले (श्वेत और अश्वेतों के अलावा मिश्रित नस्लें) और भारतीय मूल के लोगों ने रंगभेद प्रणाली के खिलाफ संघर्ष किया। लेकिन गोरी सरकार ने अश्वेत व रंगीन चमड़ी वाले लोगों का दमन जारी रखा। परिणामस्वरूप रंगभेद के खिलाफ संघर्ष और विरोध और तीव्र हो गया। अन्ततः 26 अप्रैल, 1994 को दक्षिणी अफ्रीका को स्वतंत्रता मिली और 28 वर्ष तक जेल में कैद रखने के बाद अश्वेतों के नेता नेल्सन मंडेला को स्वतंत्र कर दिया गया।

RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 2 संविधान निर्माण

→ संविधान का निर्माण - स्वतंत्रता के बाद अश्वेत नेताओं ने अश्वेत समाज से आग्रह किया कि वे गोरों के जुल्मों को माफ कर सभी नस्लों तथा स्त्री-पुरुष की समानता, लोकतांत्रिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों पर आधारित नए दक्षिण अफ्रीका का निर्माण करें। फलतः नए संविधान के निर्माण के लिए गोरे और अश्वेत दोनों ही साथ-साथ बैठे और दो वर्षों की चर्चा तथा बहस के बाद उन्होंने जो संविधान बनाया वैसा अच्छा संविधान दुनिया में कभी नहीं बना था। इस संविधान में नागरिकों को व्यापक अधिकार दिये गए हैं। दक्षिण अफ्रीका के संविधान से दुनिया भर के लोकतांत्रिक लोग प्रेरणा लेते हैं।

→ हमें संविधान की जरूरत क्यों है?
संविधान लिखित नियमों की एक किताब है जिसे किसी देश में रहने वाले सभी लोग सामूहिक रूप से मानते हैं। यह सर्वोच्च कानून है जिससे किसी क्षेत्र में रहने वाले लोगों (नागरिकों) के बीच आपसी सम्बन्ध तय होने के साथ-साथ लोगों और सरकार के बीच संबंध भी तय होते हैं ।

→ संविधान निम्नलिखित कार्य करता है, इसलिए हमें संविधान की जरूरत होती है

  • संविधान साथ रह रहे विभिन्न तरह के लोगों के बीच जरूरी भरोसा और सहयोग विकसित करता है।
  • संविधान यह स्पष्ट करता है कि सरकार का गठन कैसे होगा और किसे फैसले लेने का अधिकार होगा।
  • यह सरकार के अधिकारों की सीमा तय करता है और हमें बताता है कि नागरिकों के क्या अधिकार हैं।
  • यह अच्छे समाज के गठन के लिए लोगों की आकांक्षाओं को व्यक्त करता है।

जिन देशों में संविधान है, वे सभी लोकतांत्रिक शासन वाले हों, यह जरूरी नहीं है। लेकिन जिन देशों में लोकतांत्रिक शासन है, वहाँ संविधान होना जरूरी है।

→ भारतीय संविधान का निर्माण - 
संविधान निर्माण की कठिनाइयाँ - भारत का संविधान बहुत कठिन परिस्थितियों के बीच बना। स्वतंत्रता के साथ ही भारत ने विभाजन की विभीषिका झेली थी। विभाजन से जुड़ी हिंसा में सीमा के दोनों तरफ लाखों लोग मारे गये थे। दूसरे, अंग्रेजों ने देशी रियासतों को आजादी दे दी थी। वे अपनी इच्छा से भारत या पाकिस्तान किसी में विलय हो सकती थीं या स्वतंत्र रह सकती थीं। इन रियासतों का विलय मुश्किल और अनिश्चय भरा काम था।

→ संविधान निर्माण का रास्ता-

  • भारत में आजादी की लड़ाई के दौरान ही लोकतंत्र समेत अधिकांश बनियादी | बातों पर राष्ट्रीय सहमति बनाने का काम हो चुका था।
  • 1928 में मोतीलाल नेहरू और कांग्रेस के अन्य आठ सदस्यों ने भारत का एक संविधान लिखा था। 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में आजाद भारत के संविधान की रूपरेखा बनाई गयी थी। इन दोनों दस्तावेजों में स्वतंत्र भारत के संविधान में सार्वभौम वयस्क मताधिकार, स्वतंत्रता व समानता का अधिकार, अल्पसंख्यकों के अधिकारों के रक्षा की बात की गई थी।
  • औपनिवेशिक शासन की राजनैतिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं को जानने-समझने से नई राजनैतिक संस्थाओं का स्वरूप तय करने में मदद मिली। इसमें 1935 के संविधान की अनेक व्यवस्थाओं को ज्यों का त्यों अपना लिया गया।
  • हमारे संविधान निर्माता फ्रांसीसी क्रांति के आदर्शों, ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र के कामकाज, अमेरिका के अधिकारों की सूची, रूस की समाजवादी क्रांति आदि से प्रभावित थे। इन सब चीजों ने हमारे संविधान के निर्माण में मदद दी।

RBSE Class 9 Social Science Notes Civics Chapter 2 संविधान निर्माण

→ भारतीय संविधान सभा - भारतीय संविधान सभा के लिए जुलाई, 1946 में चुनाव हुए। इसकी पहली बैठक दिसम्बर, 1946 में हुई। इसके बाद भारत का विभाजन हुआ। विभाजन के बाद भारतीय संविधान सभा में 299 सदस्य थे। इसने 26 नवम्बर, 1949 को अपना काम पूरा कर लिया तथा 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ।

संविधान सभा द्वारा 69 साल पहले बनाए गए संविधान को हम आज भी निम्न कारणों से मानते हैं

  • यह संविधान अपने समय की व्यापक सहमतियों को व्यक्त करता है।
  • संविधान सभा भी भारत के लोगों का ही प्रतिनिधित्व कर रही थी।
  • संविधान सभा का काम काफी व्यवस्थित, खुला और सर्वसम्मति बनाने के प्रयास पर आधारित था।

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद थे और संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे भारतीय संविधान के बुनियादी मूल्यभारतीय संविधान की प्रस्तावना (उद्देशिका) में संविधान के बुनियादी मूल्यों का उल्लेख किया गया है। ये हैं

  1. हम भारत के लोग
  2. प्रभुत्व-सम्पन्न
  3. समाजवादी
  4. पंथनिरपेक्ष
  5. लोकतंत्रात्मक
  6. गणराज्य
  7. न्याय
  8. स्वतंत्रता
  9. समता
  10. बंधुता।

→ संवैधानिक संस्थाओं का स्वरूप - संविधान सिर्फ मूल्यों और दर्शन का बयान भर नहीं है। संविधान इन मूल्यों की संस्थागत रूप देने की कोशिश है। भारतीय संविधान का अधिकांश हिस्सा इन्हीं व्यवस्थाओं को तय करने वाला है। साथ ही इसमें समयानुकूल बदलावों को शामिल किया जा सके, इसलिए इसमें संशोधन की व्यवस्था भी की गई है। इसमें शासकों के निर्वाचन की विधि, उनकी शक्तियों के उल्लेख के साथ-साथ नागरिकों के अधिकारों का उल्लेख किया गया है।

Prasanna
Last Updated on May 7, 2022, 4:21 p.m.
Published May 7, 2022