RBSE Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

Rajasthan Board RBSE Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 
भारत में आम चुनाव कितने वर्ष के अन्तराल के बाद कराये जाते हैं? 
(अ) चार वर्ष 
(ब) छः वर्ष 
(स) पांच वर्ष 
(द) तीन वर्ष 
उत्तर:
(स) पांच वर्ष

प्रश्न 2. 
लोकसभा चुनाव के लिए देश को कितने निर्वाचन क्षेत्रों में बांटा गया है- 
(अ) 500 
(ब) 450 
(स) 543 
(द) 550 
उत्तर:
(स) 543

प्रश्न 3. 
लोकसभा के हर क्षेत्र से चुने गए प्रतिनिधि को कहा जाता है-
(अ) विधायक 
(ब) सांसद 
(स) महापौर 
(द) मेम्बर 
उत्तर:
(ब) सांसद 

प्रश्न 4. 
भारत में मतदाता की न्यूनतम आयु क्या है? 
अथवा 
भारत में वयस्क मताधिकार की आयु है-
(अ) 21 वर्ष 
(ब) 25 वर्ष 
(स) 20 वर्ष 
(द) 18 वर्ष 
उत्तर:
(द) 18 वर्ष 

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प्रश्न 5. 
भारत में चुनावों का संचालन किया जाता है- 
(अ) राष्ट्रपति द्वारा 
(ब) प्रधानमंत्री द्वारा 
(स) चुनाव आयोग द्वारा 
(द) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 
उत्तर:
(स) चुनाव आयोग द्वारा 

प्रश्न 6. 
भारत के लोकसभा चुनाव में निम्न में से कौन उम्मीदवार बन सकता है- 
(अ) कोई भी व्यक्ति जो मतदान कर सकता है 
(ब) 25 वर्ष की न्यूनतम आयु वाला कोई भी मतदाता 
(स) किसी भी देश का नागरिक 
(द) 21 वर्ष की न्यूनतम आयु वाला मतदाता 
उत्तर:
(ब) 25 वर्ष की न्यूनतम आयु वाला कोई भी मतदाता 

प्रश्न 7. 
2004 के भारत के लोकसभा चुनावों में चुनाव से संबंधित किसी भी गतिविधि में भाग लेने वाले लोगों का प्रतिशत था- 
(अ) 13 
(ब) 21 
(स) 32 
(द) 50 
उत्तर:
(स) 32 

प्रश्न 8. 
1987 के हरियाणा के विधानसभा चुनावों से पहले 'न्याय युद्ध' नामक आंदोलन का नेतृत्व किया- 
(अ) चौधरी बंशीलाल ने 
(ब) हरवंश लाल ने 
(स) चौधरी देवीलाल ने 
(द) चौधरी चरणसिंह ने 
उत्तर:
(स) चौधरी देवीलाल ने

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प्रश्न 9. 
1983 के आंध्रप्रदेश के विधानसभा चुनावों में तेलगूदेशम पार्टी के नेता एन.टी. रामाराव ने नारा दिया था- 
(अ) गरीबी हटाओ का 
(ब) लोकतंत्र बचाओ का 
(स) जमीन-जोतने वाले को 
(द) तेलगू स्वाभिमान का 
उत्तर:
(द) तेलगू स्वाभिमान का 

प्रश्न 10. 
1977 के लोकसभा चुनावों में 'लोकतंत्र बचाओ' का नारा दिया था- 
(अ) कांग्रेस पार्टी ने
(ब) जनता पार्टी ने 
(स) वामपंथी दलों ने 
(द) स्वतंत्र पार्टी ने 
उत्तर:
(ब) जनता पार्टी ने 

प्रश्न 11. 
भारत में लोकसभा व विधानसभाओं के चुनावों का संचालन करता है- 
(अ) चुनाव आयोग 
(ब) प्रधानमंत्री 
(स) लोकसभा अध्यक्ष 
(द) गृहमंत्री 
उत्तर:
(अ) चुनाव आयोग 

प्रश्न 12. 
भारत में निम्न में से किसे मत देने का अधिकार नहीं दिया जा सकता है- 
(अ) महिलाओं को 
(ब) आयकर न देने वालों को 
(स) वयस्क छात्रों को 
(द) दिवालिया घोषित किये गए व्यक्ति को 
उत्तर:
(द) दिवालिया घोषित किये गए व्यक्ति को 

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प्रश्न 13. 
उम्मीदवार या पार्टी निम्न में से कौनसा काम नहीं कर सकतीं- 
(अ) मतदाता को प्रलोभन देना 
(ब) जाती या धर्म के नाम पर मत माँगना
(स) सरकारी संसाधनों का अपने हित में इस्तेमाल करना 
(द) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 14. 
भारत में चुनाव प्रचार की आदर्श आचार संहिता के अनुसार उम्मीदवारों या पार्टियों को चुनाव प्रचार में निम्न में से कौनसा कार्य करने की मनाही है- 
(अ) किसी धर्मस्थल का उपयोग करना 
(ब) सरकारी वाहन या अधिकारियों का उपयोग 
(स) मंत्री द्वारा बड़े नीतिगत फैसले लेना 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 15. 
लोकसभा में कितनी सीटें अनुसूचित जनजाति' के लिए आरक्षित हैं- 
(अ) 412 
(ब) 84 
(स) 47 
(द) 54 
उत्तर:
(ब) 84

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

1. भारत में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव प्रत्येक .............. साल बाद होते हैं। (पाँच/छ:) 
2. किसी लोकसभा सदस्य की मृत्यु या इस्तीफे के बाद खाली हुए एक चुनाव क्षेत्र में होने वाले चुनाव को ..................... कहते हैं। (आम चुनाव/उपचुनाव) 
3. भारत में लोकसभा के चुनाव के लिए देश को ............. निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है। (500/543) 
4. भारत में लोकसभा के लिए ............ सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित हैं। (84/47) 
5. ......... में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं। (स्थानीय निकायों/विधानसभाओं) 
उत्तर:
1. पाँच 
2. उपचुनाव 
3. 543 
4. 84 
5. स्थानीय निकायों 

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निम्न में सत्य/असत्य कथन छांटिये- 

1. हमारे देश में 18 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के सभी नागरिक चुनाव में वोट डाल सकते हैं। (सत्य/असत्य) 
2. काँग्रेस (इ) पार्टी ने 1971 के लोकसभा चुनावों में गरीबी हटाओ का नारा दिया था। (सत्य/असत्य) 
3. मतों की गिनती के समय सभी दलों के अध्यक्ष रहते हैं जिससे मतगणना का काम निष्पक्ष ढंग से हो सके। (सत्य/असत्य) 
4. हमारे देश में चुनाव लोक सेवा आयोग द्वारा करवाये जाते हैं। (सत्य/असत्य) 
5. चुनाव ड्यूटी पर तैनात चुनाव अधिकारीगण चुनाव आयोग के अधीन काम करते हैं। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
1. सत्य 
2. सत्य 
3. असत्य 
4. असत्य 
5. सत्य। 

निम्नलिखित स्तम्भ 'अ'को स्तम्भ 'ब' से सुमेलित कीजिए-

स्तम्भ (अ) 

स्तम्भ (ब) 

1. देवीलाल

कांग्रेस 

2. इन्दिरा गाँधी

तेलगूदेशम

3. एन.टी. रामाराव

गुलबर्गा संसदीय क्षेत्र  

4. जयप्रकाश नारायण

लोकदल

5. मल्लिकार्जुन खड़गे

जनता पार्टी

उत्तर:

स्तम्भ (अ) 

स्तम्भ (ब) 

1. देवीलाल

लोकदल  

2. इन्दिरा गाँधी

कांग्रेस 

3. एन.टी. रामाराव

तेलगूदेशम  

4. जयप्रकाश नारायण

जनता पार्टी

5. मल्लिकार्जुन खड़गे

गुलबर्गा संसदीय क्षेत्र

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1. 
लोकसभा चुनाव के लिए हमारे देश को कितने निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है? 
उत्तर:
543 निर्वाचन क्षेत्रों में। 

प्रश्न 2. 
संसद सदस्य किसे कहते हैं? 
उत्तर:
प्रत्येक संसदीय क्षेत्र से चुने गये प्रतिनिधि को संसद सदस्य कहते हैं। 

प्रश्न 3. 
किस राज्य में लोकसभा की सीटों की संख्या सर्वाधिक है? 
उत्तर:
उत्तरप्रदेश (80) 

प्रश्न 4. 
भारत में कौन चुनाव लड़ सकता है? 
उत्तर:
कोई भी मतदाता जिसकी आयु 25 वर्ष या अधिक है, चुनाव लड़ सकता है।

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प्रश्न 5. 
चुनाव क्या है? 
उत्तर:
ऐसी व्यवस्था जिसके द्वारा लोग नियमित अंतराल के बाद अपने प्रतिनिधियों को चुन सकें और इच्छा हो तो उन्हें बदल भी दें, चुनाव कहलाती है। 

प्रश्न 6. 
चुनाव में मतदाता कितनी तरह से चुनाव करते हैं? 
उत्तर:

  • चुनाव में मतदाता अपने लिए कानून बनाने वाले का; सरकार बनाने और बड़े फैसले करने वाले का चुनाव कर सकते हैं। 
  • वे सरकार बनाने वाली पार्टी का चुनाव कर सकते हैं। 

प्रश्न 7. 
एक प्रतिनिधि लोकतंत्र के लिए चुनाव क्यों आवश्यक समझे जाते हैं? 
उत्तर:
एक प्रतिनिधि लोकतंत्र के लिए चुनाव आवश्यक होते हैं क्योंकि-

  • चुनाव के द्वारा लोग नियमित अन्तराल पर अपने प्रतिनिधियों को चुन सकें। 
  • अगर लोगों की इच्छा हो तो वे वर्तमान प्रतिनिधि को बदल भी सकें। 

प्रश्न 8. 
चुनाव का मुख्य उद्देश्य क्या है? 
उत्तर:
चुनाव का मुख्य उद्देश्य जनता को अपनी पसंद का प्रतिनिधि, सरकार और नीतियों का चुनाव करने का अवसर देना है। 

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प्रश्न 9. 
मतदाता सूची क्या है? 
उत्तर:
लोकतांत्रिक चुनाव में प्रत्येक मतदान क्षेत्र में चुनाव की योग्यता रखने वालों की चुनाव आयोग द्वारा चुनाव से पहले एक सूची तैयार की जाती है, उसे मतदाता सूची कहते हैं। 

प्रश्न 10. 
लोकतांत्रिक चुनावों के लिए दो जरूरी न्यूनतम शर्तों का उल्लेख कीजिये। 
उत्तर:

  • प्रत्येक व्यक्ति को वयस्क मताधिकार प्राप्त हो और प्रत्येक मत का मूल्य समान हो। 
  • चुनाव नियमित अंतराल के बाद तथा निरन्तर हों। 

प्रश्न 11. 
चुनाव में राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता के दो रूपों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

  • चुनाव में राजनैतिक पार्टियों के बीच राजनैतिक प्रतिद्वन्द्वता होती है। 
  • निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवारों के बीच राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता पायी जाती है। 

प्रश्न 12. 
चुनावी प्रतिद्वन्द्विता की दो हानियाँ लिखिये। 
उत्तर:

  • चुनावी प्रतिद्वन्द्विता से हर बस्ती, हर घर में बंटवारे जैसी स्थिति आ जाती है। 
  • समाज और देश-सेवा करने की चाह रखने वाले कई लोग इस कारण चुनावी मुकाबले में नहीं उतरते। 

प्रश्न 13. 
चुनावी प्रतिद्वन्द्विता का क्या लाभ है?
उत्तर:
चुनावी प्रतिद्वन्द्विता के कारण ही राजनैतिक दल और इसके नेता, लोगों की सेवा के लिए बाध्य होते हैं। 

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प्रश्न 14. 
निर्वाचन क्षेत्र किसे कहते हैं? 
उत्तर:
चुनाव के उद्देश्य से भारत को अनेक क्षेत्रों में बांट लिया गया है। इन्हें निवाचन क्षेत्र कहते हैं। एक क्षेत्र में रहने वाले मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं। 

प्रश्न 15. 
आम चुनाव क्या है? 
उत्तर:
जब लोकसभा अथवा विधानसभा क्षेत्रों के लिए एक साथ एक ही दिन या कुछ दिनों के अन्दर चुनाव कराए जाते हैं तो इसे 'आम चुनाव' कहा जाता है। 

प्रश्न 16. 
उप-चुनाव क्या है? 
उत्तर:
कभी-कभी किसी सदस्य की मृत्यु अथवा त्यागपत्र की स्थिति में केवल एक सीट के लिए चुनाव किया जाता है। इस चुनाव को 'उप-चुनाव' कहते हैं। 

प्रश्न 17. 
आरक्षित चुनाव क्षेत्र से क्या आशय है? 
उत्तर:
अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के प्रत्याशियों के लिए जा चुनाव क्षेत्र निर्धारित हैं, उन चुनाव क्षेत्रों को आरक्षित चनाव क्षेत्र कहा जाता है। 

प्रश्न 18. 
लोकसभा में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए कितनी-कितनी सीटें आरक्षित हैं? 
उत्तर:
लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 84 सीटें तथा अनुसृचित जन जाति के लिए 47 सीटें आरक्षित हैं।' 

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प्रश्न 19. 
पांच सर्वाधिक लोकसभा सीटों वाले राज्यों के नाम बताइये। 
उत्तर:

  • उत्तर प्रदेश (80); 
  • महाराष्ट्र (48)
  • पश्चिम बंगाल (42) 
  • बिहार (40) तथा 
  • तमिलनाडु (39)। 

प्रश्न 20. 
आप कैसे कह सकते हैं कि भारत का चुनाव आयोग स्वतंत्र निकाय है? 
उत्तर:
भारत का चुनाव आयोग एक स्वतंत्र निकाय है क्योंकि-

  • मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है तथा एक बार नियुक्त हो जाने के पश्चात् वह राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी नहीं रहता है। 
  • सरकार के लिए भी उसे कार्यकाल से पर्व हटाना कठिन है। 

प्रश्न 21. 
भारत में चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष हैं। इसके प्रमाण में दो कारण दीजिये। 
उत्तर:

  • यहाँ राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सत्ताधारी दल प्रायः चुनाव हारते रहे हैं। 
  • प्रायः हारी हुई पार्टी द्वारा जनादेश तथा चुनाव परिणामों को स्वीकार किया जाता है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
भारत में उन स्तरों का उल्लेख कीजिए जहाँ जनता विधायिकाओं के लिए अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। 
उत्तर:
भारत में जनता निम्नलिखित तीन स्तरों पर अपने प्रतिनिधि चुनती है-

  • वह राष्ट्रीय स्तर पर सांसदों का चुनाव करती है। 
  • वह राज्य स्तर पर विधायकों का चुनाव करती है। 
  • वह स्थानीय स्तर पर पंचायतों तथा शहरी निकायों के लिए प्रतिनिधियों का चनाव करती है। 

प्रश्न 2. 
उन विकल्पों का उल्लेख कीजिये जिनका चुनाव जनता चुनाव के दौरान करती है। 
उत्तर:
जनता चुनाव के दौरान निम्न विकल्पों का चुनाव करती है-

  • वह इसका चुनाव कर सकती है कि उनके लिए कानून कौन बनायेगा। 
  • वह सरकार बनाने और बड़े फैसले करने वाले का चुनाव कर सकती है। 
  • वह उस पार्टी का चुनाव कर सकती है जिसकी नीतियाँ सरकार तथा कानून बनाने की प्रक्रिया को निर्देशित करेंगी। 

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प्रश्न 3. 
पार्टी चुनाव चिन्ह क्या होता है? इसे क्यों आवंटित किया जाता है? 
उत्तर:
प्रत्येक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल को चुनाव आयोग द्वारा एक चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता है, इसे पार्टी का चुनाव चिन्ह कहा जाता है। एक चुनाव क्षेत्र में दो उम्मीदवारों के एक जैसे चुनाव चिन्ह नहीं हो सकते।

भारत में बहुत आधिक जनसंख्या अशिक्षित है किन्तु वे चुनाव चिन्हों की सहायता से पार्टी एवं उम्मीदवारों की सरलता से पहचान कर सकते हैं एवं अपने मत का उचित उपयोग कर सकते हैं। इसलिए चुनाव चिन्ह का आवंटन किया जाता है। 

प्रश्न 4. 
भारत के चुनाव आयोग के अधिकारों का संक्षेप में वर्णन करो। 
उत्तर:
भारत में चुनाव आयोग के प्रमुख अधिकार निम्नलिखित हैं- 

  • चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनाव के परिणामों तक प्रत्येक पहलू पर प्रभावी नियंत्रण रखता है। 
  • यह आदर्श चुनाव संहिता लागू करता है एवं इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवार व दलों को सजा भी देता है। 
  • यह चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग एवं अधिकारियों के स्थानान्तरण को रोकता है। 
  • चुनाव कार्य हेतु लगाये गये अधिकारी एवं कर्मचारियों पर चुनाव आयोग का नियंत्रण होता है। 

प्रश्न 5. 
राजनैतिक या चुनावी प्रतियोगिता के दोषों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
राजनैतिक प्रतियोगिता के दोष ये हैं- 

  • चुनावी प्रतियोगिता प्रत्येक स्थान पर लोगों के बीच एकता की भावना को नुकसान पहुँचाती है और उनके बीच विभाजन पैदा करती है। 
  • विभिन्न राजनेता तथा राजनैतिक दल परस्पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं तथा दलों द्वारा चुनाव जीतने के लिए प्रायः गलत तरीके प्रयुक्त किये जाते हैं। 
  • कुछ अच्छे लोग जो देश की सेवा करना चाहते हैं, वे इस अस्वस्थ प्रतियोगिता में स्वयं को घसीटना नहीं चाहते। 

प्रश्न 6. 
अपने नामांकन फार्म में प्रत्येक उम्मीदवार को कौन-सी सूचनाएँ अनिवार्य रूप से देनी होती हैं? 
उत्तर:
उम्मीदवार को नामांकन फार्म में निम्नलिखित सूचनाएँ देनी होती हैं-

  • उसके विरुद्ध लंबित गंभीर आपराधिक मामले। 
  • उसकी संपत्तियाँ, दायित्व तथा पारिवारिक सम्पत्तियों का ब्यौरा।
  • उसकी शैक्षणिक योग्यता। 

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प्रश्न 7. 
चुनाव अभियानों के लिए कितना समय दिया जाता है? चुनाव अभियान के साधनों का उल्लेख कीजिये। 
उत्तर:
हमारे देश में उम्मीदवारों की अंतिम सूची की घोषणा होने और मतदान की तारीख के बीच प्रायः दो सप्ताह का समय चुनाव प्रचार के लिए दिया जाता है। 

इस अवधि में उम्मीदवार मतदाताओं से सम्पर्क करता है, राजनेता चुनावी सभाओं में भाषण देते हैं और राजनैतिक पार्टियाँ अपने समर्थकों को सक्रिय करती हैं। इसी अवधि में अखबार तथा टी.वी. चैनलों पर चुनाव से जुड़ी खबरें और बहसें भी होती हैं। 

प्रश्न 8. 
चुनावों में धांधली के कुछ आरोपों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

  • मतदाता सूची में गलत नामों को शामिल करना तथा सही नामों को हटा देना। 
  • सत्ताधारी दल द्वारा सरकारी साधनों तथा अधिकारियों का दुरुपयोग करना। 
  • धनी उम्मीदवारों तथा बड़े राजनैतिक दलों द्वारा अत्यधिक धन का प्रयोग। (4) मतदाता को लालच देना या वोट लूटना आदि। 

प्रश्न 9. 
चुनाव कानूनों के अनुसार भारत में कोई उम्मीदवार या पार्टी चुनाव के दौरान किन-किन कार्यों को नहीं कर सकता है? 
उत्तर:
चुनाव कानून के अनुसार भारत में कोई उम्मीदवार या पार्टी चुनाव के दौरान निम्नलिखित कार्यों को नहीं कर सकते हैं- 

  • मतदाता को प्रलोभन देना, घूस देना या धमकी देना। 
  • उनसे जाति या धर्म के नाम पर वोट मांगना। 
  • चुनाव अभियान में सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करना । 
  • लोकसभा चुनाव में एक निर्वाचन क्षेत्र में निर्धारित सीमा 25 लाख तथा विधान सभा चुनाव में 10 लाख रुपये से अधिक खर्च करना। 

प्रश्न 10. 
चुनावी अभियानों के लिए आदर्श आचारसंहिता की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:
आदर्श आचारसंहिता के अनुसार किसी भी राजनैतिक दल या उम्मीदवार द्वार-

  • चुनाव प्रचार के लिए किसी धर्म-स्थल का उपयोग नहीं किया जा सकता। 
  • चुनाव प्रचार के लिए सरकारी वाहनों, वायुयानों, अधिकारियों व कर्मचारियों का उपयोग नहीं किया जा सकता है। 
  • एक बार चुनावों की घोषणा हो जाने के पश्चात् कोई भी मंत्री किसी नई परियोजना की आधारशिला नहीं रख सकता, कोई बड़ा नीतिगत निर्णय नहीं ले सकता और जनता से कोई जनसुविधा उपलब्ध करवाने का वादा नहीं कर सकता है। 

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प्रश्न 11. 
भारत के चुनाव परिणामों से यह कैसे सिद्ध होता है कि चुनावों का आयोजन स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से हुआ था? 
उत्तर:
भारत के चुनाव परिणामों के निम्न निष्कर्ष भी यह प्रमाणित करते हैं कि चुनावों का आयोजन स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से हुआ था- 

  • भारत में शासक दल राष्ट्रीय और प्रान्तीय स्तर पर प्रायः चुनाव हारते रहे हैं। 
  • भारत में निवर्तमान सांसदों और विधायकों में से आधे चुनाव हार जाते हैं। 
  • वोट खरीदने में सक्षम पैसे वाले उम्मीदवार तथा आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार भी चुनाव हारते रहे 
  • कुछेक अपवादों को छोड़कर प्रायः हारी हुई पार्टी भी चुनाव के नतीजों को जनादेश मानकर स्वीकार कर लेती 

प्रश्न 12. 
किन्हीं तीन कारकों का उल्लेख कीजिये जो भारतीय चुनावों को लोकतांत्रिक बताते हैं। 
उत्तर:
भारत में चुनावों को लोकतांत्रिक बनाने वाले कारक निम्नलिखित हैं- 

  • स्वतंत्र चुनाव आयोग-भारत में चुनाव चुनाव आयोग द्वारा कराये जाते हैं। चुनाव आयोग बहुत अधिक शक्तिशाली तथा स्वतंत्र है। 
  • लोकप्रिय जनसहभागिता-भारत में पिछले पांच दशकों में जनसहभागिता या तो स्थिर रही है या बढ़ी है। चुनावों में बढ़ती जनता की रुचि चुनावों की लोकतांत्रिकता को सिद्ध करती है। 
  • चुनाव परिणामों की स्वीकृति-भारत में सत्ताधारी दल, शक्तिशाली उम्मीदवार चुनाव हारते रहे हैं तथा वे उसे स्वीकार करते भी रहे हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1. 
क्या भारत का चुनाव आयोग स्वतंत्र है? उसके अधिकार तथा शक्तियों का वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता-भारत में चुनाव एक स्वतंत्र और बहुत ताकतवर चुनाव आयोग द्वारा करवाये जाते हैं। इसे न्यायपालिका के समान स्वतंत्रता प्राप्त है। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं। एक बार नियुक्त हो जाने के बाद चुनाव आयुक्त राष्ट्रपति या सरकार के प्रति जवाबदेह नहीं रहता। सरकार को उसे हटाना भी अत्यधिक कठिन होता है। 

चुनाव आयोग के अधिकार व शक्तियाँ 
भारत के चुनाव आयोग को निम्नलिखित अधिकार व शक्तियाँ प्राप्त हैं- 
(1) चुनाव प्रक्रिया का संचालन व अधीक्षण करना-चुनाव आयोग चुनाव की अधिसूचना जारी करने से लेकर चुनावी परिणामों की घोषणा तक की समृची चुनाव प्रक्रिया के संचालन के हर पहलू पर निर्णय लेने की शक्ति रखता 

(2) आदर्श चुनाव संहिता लागू करवाना-चुनाव आयोग आदर्श चुनाव संहिता लागू करवाता है और इसका उल्लंघन करने वाले उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को सजा देता है। 

(3)सरकार को दिशा-निर्देश देना-चुनाव के दौरान चुनाव आयोग सरकार को दिशा-निर्देश मानने के आदेश दे सकता है। इसमें सरकार द्वारा चुनाव जीतने के लिए चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग रोकना या अधिकारियों का तबादला करना भी शामिल है। 

(4) चुनाव ड्यूटी में तैनात अधिकारियों पर नियंत्रण-चुनाव ड्यूटी पर तैनात अधिकारी सरकार के नियंत्रण में न होकर चुनाव आयोग के अधीन कार्य करते हैं। 

(5) अन्य शक्तियाँ-चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का विस्तार करते हुए सरकार और प्रशासन को उनकी गलतियों के लिए फटकार लगायी है। कुछ मतदान केन्द्रों या पूरे चुनाव क्षेत्र में फर्जी मतदान की रिपोर्टों के आधार पर वह वहां फिर से मतदान का आदेश दे सकता है। 

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प्रश्न 2. 
भारत की निर्वाचन प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन करें। 
अथवा 
भारत की चुनाव प्रणाली की विशेषता बताइये। 
उत्तर: 
निर्वाचन प्रक्रिया
(1) निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण-भारत में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हर पांच साल बाद होते हैं। यहाँ क्षेत्र विशेष पर आधारित प्रतिनिधित्व की प्रणाली अपनायी गई है। चुनाव के उद्देश्य से देश को अनेक निर्वाचन क्षेत्रों में बांट लिया गया है। प्रत्येक क्षेत्र में रहने वाले मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं । संविधान में अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए आरक्षित क्षेत्रों की व्यवस्था भी की गई है। 

(2) मतदाता सूची का निर्माण-चुनाव की प्रक्रिया चुनाव की तिथियों की घोषणा के साथ प्रारम्भ हो जाती है। एक बार जब निर्वाचन क्षेत्र का फैसला हो जाता है तब उस क्षेत्र के मतदाताओं की नवीनतम सूची का निर्माण किया जाता है। हमारे देश में 18 वर्ष और उससे ऊपर के सभी नागरिकों को मत डालने का अधिकार है। निर्वाचन आयोग ने फर्जी मतदान को रोकने तथा स्वतंत्र व निष्यक्ष चुनाव कराने की दृष्टि से मतदान हेतु मतदाताओं के लिए फोटो पहचान पत्र जारी किये हैं तथा इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों का प्रयोग जारी किया है। वोट देने के लिए मतदाता फोटो युक्त राशन कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र भी दिखा सकते हैं। 

(3) उम्मीदवारों का नामांकन-भारत में 25 वर्ष की आयु या उससे अधिक आयु का कोई भी नागरिक उम्मीदवार बन सकता है। चुनाव लड़ने के इच्छुक हर एक उम्मीदवार को एक नामांकन पत्र भरना पड़ता है तथा कुछ राशि जमानत के रूप में जमा करानी पड़ती है। प्रत्येक उम्मीदवार को अपने खिलाफ चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों, अपनी सम्पत्ति तथा परिवार की सम्पत्ति व देनदारियों का ब्यौरा एवं अपनी शैक्षणिक योग्यता के विवरण देने होते हैं। चुनाव आयोग उन नामांकन पत्रों की जांच करता है और उन्हें इस आधार पर स्वीकार या रद्द करता है। 

(4) चुनाव अभियान-हमारे देश में उम्मीदवारों की अंतिम सूची की घोषणा होने और मतदान की तारीख के बीच प्रायः दो सप्ताह का समय चुनाव प्रचार के लिए दिया जाता है। 

(5) मतदान और मतगणना और परिणामों की घोषणा-चुनाव के आखिरी चरण में मतदाता सूची में नाम वाला हर व्यक्ति अपना पहचान पत्र लेकर मतदान केन्द्र में जाता है और मतदान दल को अपनी पहचान स्पष्ट करते हुए इलैक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन में मतदान करता है। 

मतदान हो जाने के बाद सभी वोटिंग मशीनों को सीलबंद करके एक निर्धारित सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया जाता है। फिर एक तय तारीख को मशीनों को खोलकर सभी दलों के एजेंटों के समक्ष मतगणना की जाती है। किसी चुनाव क्षेत्र में सबसे ज्यादा मत पाने वाले उम्मीदवार को विजयी घोषित कर दिया जाता है। 

प्रश्न 3. 
चुनाव से क्या अभिप्राय है? एक लोकतांत्रिक चुनाव के लिए न्यूनतम शर्ते क्या हैं? 
उत्तर:
चुनाव से अभिप्राय-चुनाव से अभिप्राय एक ऐसी व्यवस्था से है जिसके द्वारा लोग एक नियमित अन्तराल के बाद अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं और इच्छा हो तो उन्हें बदलते हैं। 

लोकतांत्रिक चुनाव के लिए न्यूनतम शर्ते 
एक लोकतांत्रिक चुनाव के लिए न्यूनतम आवश्यक शर्ते निम्नलिखित हैं-

  • सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का होना-एक लोकतांत्रिक चुनाव के लिए यह आवश्यक है कि हर वयस्क नागरिक को मताधिकार प्राप्त हो तथा हर किसी के मत का मूल्य समान हो। 
  • विकल्पों का होना-लोकतांत्रिक चुनाव के लिए दूसरी शर्त यह है कि चुनाव में विकल्प उपलब्ध हों। पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता हो और वे चुनावी प्रतियोगिता में उतरकर मतदाताओं के समक्ष विकल्प प्रस्तुत करें। 
  • नियमित अंतराल पर चुनाव-लोकतांत्रिक चुनाव के लिए तीसरी शर्त यह है कि चुनाव का अवसर जनता को एक निश्चित अंतराल पर नियमित रूप से मिलता रहे। नए चुनाव एक निश्चित अवधि के पश्चात् जरूर कराए जाने चाहिए। 
  • वास्तविक चुनाव-लोकतांत्रिक चुनाव की एक शर्त यह है कि लोग जिसे चाहें वास्तव में चुनाव उसी का होना चाहिए। अर्थात् जनता द्वारा वरीयता प्राप्त उम्मीदवारों का ही चयन होना चाहिए। 
  • स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव-लोकतांत्रिक चुनाव के लिए एक शर्त यह है कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से कराए जाने चाहिए जिससे लोग अपनी इच्छा से व्यक्ति का चुनाव कर सकें। 

RBSE Class 9 Social Science Important Questions Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

प्रश्न 4. 
राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता क्या है? इसके गुण तथा दोषों का उल्लेख कीजिये। 
उत्तर:
राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता-चुनाव में जीतने के लिए विभिन्न राजनैतिक दलों व उम्मीदवारों के बीच जो प्रतियोगिता या प्रतिद्वन्द्विता पायी जाती है, उसी को राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता या प्रतियोगिता कहा जाता है। 

राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता के गुण 
राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं- 
(1) जनता के हित के लिए कार्य करने की प्रेरणा-नियमित चुनावी प्रतियोगिता से राजनैतिक दलों तथा राजनेताओं को प्रेरणा मिलती है। वे जानते हैं कि यदि वे जनहित से जडे मददे उठाते हैं तो आने वाले चनाव में उन्हें विजय मिलेगी। इससे उन्हें जनता के लिए काम करने की प्रेरणा मिलती है। 

(2) राजनैतिक दलों को जनहित के कार्य करने को बाध्य करती है-राजनैतिक प्रतियोगिता राजनैतिक दलों को जनहित के कार्य करने को बाध्य करती है क्योंकि सत्तारूढ़ दल यह जानता है कि अगर वह जनहितकारी कार्य नहीं करेगा तो आगामी चुनाव में जनता उनके उम्मीदवारों को हराकर उसे सत्ता से अपदस्थ कर देगी। अतः उसे जनहित के कार्य बाध्य होकर करने ही पड़ते हैं। 

राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता के दोष 
राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं- 

  • एकता की भावना का ह्रास-राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता प्रत्येक स्थान पर लोगों में एकता की भावना को ठेस पहुँचाती है तथा दलगत राजनीति को जन्म देती है। 
  • परस्पर आरोप-प्रत्यारोप तथा गलत तरीकों का प्रयोग-राजनैतिक प्रतिद्वन्द्विता के तहत विभिन्न राजनैतिक दल एवं नेता प्रायः एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते रहते हैं। वे चुनाव जीतने के लिए कई बार गलत तरीकों का प्रयोग करते 
  • समाजसेवी लोगों की राजनीतिक सक्रियता से दूरी-राजनीतिक प्रतिद्वन्द्विता के उपर्युक्त दोषों के कारण समाज और देश की सेवा करने की चाह रखने वाले कई अच्छे लोग भी चुनावी मुकाबले में नहीं उतरते। उन्हें इस मुश्किल और बेढंगी लड़ाई में उतरना अच्छा नहीं लगता। 

प्रश्न 5. 
उन कारकों का विवेचन कीजिये जो भारत में चुनाव को लोकतांत्रिक बनाते हैं। 
उत्तर:
भारत में चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने वाले कारक 
भारत में चुनाव को लोकतांत्रिक बनाने वाले प्रमुख कारक अनलिखित हैं- 

(1) स्वतंत्र चुनाव आयोग-भारत में चुनाव एक स्वतंत्र और बहुत ताकतवर चुनाव आयोग द्वारा करवाए जाते हैं। इसे न्यायपालिका के समान ही स्वतंत्रता प्राप्त है। मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन नियुक्ति के बाद वह राष्ट्रपति या सरकार के प्रति उत्तरदायी नहीं रहता। उसे निर्वाचन कराने के समस्त अधिकार प्राप्त हैं। वह समूची चुनाव प्रक्रिया का अधीक्षण, संचालक तथा नियंत्रक है, आदर्श चुनाव संहिता लागू करवाता है, चुनाव के दौरान सरकार को दिशा-निर्देश देता है तथा सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोकता है। वह निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव कराने की दृष्टि से आवश्यक आदेश-निर्देश दे सकता है। 

(2) चुनाव में लोगों की भागीदारी-चुनावी प्रक्रिया की लोकतांत्रिकता को जांचने का एक अन्य तरीका यह है कि जनता इसमें कितने उत्साह से भाग लेती है। इस दृष्टि से भारतीय चुनाव में लोगों की भागीदारी सम्बन्धी कुछ निष्कर्ष इस प्रकार हैं- 
(i) पिछले पचास वर्षों में यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लोकतांत्रिक देशों में मतदान का प्रतिशत जहाँ कम हुआ है, वहाँ भारत में यह या तो स्थिर रहा है या ऊपर गया है। 
(ii) भारत में अमीर और बड़े लोगों की तुलना में गरीब, निरक्षर और कमजोर लोग ज्यादा संख्या में मतदान करते हैं। 
(iii) भारत में आम लोग यह सोचते हैं कि वे राजनैतिक दलों पर चुनाव के जरिये अपने अनुकूल नीति और कार्यक्रमों के लिए दबाव डाल सकते हैं। अतः वे चुनावों में वोट के महत्त्व को समझते हैं। 
(iv) भारत में साल दर साल चुनाव से संबंधित गतिविधियों में लोगों की सक्रियता बढ़ती जा रही है। 1996 में यह सक्रियता जहाँ 8 प्रतिशत थी, वह 2004 में बढ़कर 32 प्रतिशत हो गई। 
इन निष्कर्षों से स्पष्ट होता है कि जनता चुनावों में उत्साह से भाग ले रही है।

(3) चुनाव परिणामों की स्वीकृति-चुनाव के स्वतंत्र और निष्पक्ष होने का एक अन्य पैमाना उसके नतीजे हैं। अगर चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष ढंग से न हों तो परिणाम हमेशा ताकतवर पार्टी या उम्मीदवारों के पक्ष में ही जाते हैं। इस दृष्टि से भारत के चुनाव परिणामों को देखें तो ये निष्कर्ष निकलते हैं-

  • भारत में शासक दल राष्ट्रीय और प्रान्तीय स्तर पर प्रायः चुनाव हारते रहे हैं। 
  • भारत में निवर्तमान सांसदों और विधायकों में से आधे चुनाव हार जाते हैं। 
  • पूँजीपति या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार भी चुनाव हारते रहे हैं। 
  • प्रायः हारी हुई पार्टी भी चुनाव के परिणामों को जनादेश मानकर स्वीकार करती रही है। 

इससे भी स्पष्ट होता है कि भारत में चुनावों का स्वरूप लोकतांत्रिक है। 

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प्रश्न 6. 
भारतीय चुनाव व्यवस्था की सीमाओं व चुनौतियों से संबंधित मुद्दों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
भारतीय चुनाव व्यवस्था की सीमाओं व चुनौतियों से संबंधित मुद्दे-भातीय चुनाव व्यवस्था की सीमाओं व चुनौतियों से संबंधित प्रमुख मुद्दे निम्नलिखित हैं- 
(1) धन-बल का बढ़ता महत्त्व-ज्यादा रुपये-पैसे वाले उम्मीदवारों और पार्टियों की स्थिति, कम रुपये-पैसे वाले उम्मीदवारों व पार्टियों की तुलना में चुनाव जीतने में अधिक मजबूत रहती है। 

(2) आपराधिक पृष्ठभूमि और संबंधों वाले लोगों की बढ़ती भूमिका-देश के कुछ क्षेत्रों में आपराधिक पृष्ठभूमि और संबंधों वाले उम्मीदवार दूसरे उम्मीदवारों को चुनाव मैदान से बाहर करने और बड़ी पार्टियों के टिकिट लेने में सफल हो रहे हैं। इससे चुनावी राजनीति में अपराधी तत्त्वों की भूमिका बढ़ती जा रही है। 

(3) परिवारवाद-भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में अलग-अलग राजनीतिक दलों में कुछेक परिवारों का जोर है और उनके रिश्तेदार चुनावों में आसानी से राजनीतिक दल का टिकट पा जाते हैं। इससे भारतीय चुनाव व्यवस्था में परिवारवाद का वर्चस्व बना हुआ है। 

(4) विकल्पहीनता-प्रायः आम आदमी के लिए चुनाव में कोई ढंग का विकल्प नहीं होता क्योंकि दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों की नीतियाँ और व्यवहार कमोबेश एक-से होते हैं। 

(5) छोटे दलों व निर्दलीय उम्मीदवारों की परेशानियाँ-बड़ी पार्टियों की तुलना में छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को कई तरह की परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं। इसलिए वे उनके साथ बराबर की सक्षम प्रतियोगिता नहीं कर पाते हैं। 
ये चुनौतियाँ भारत की ही नहीं, बल्कि कई स्थापित लोकतंत्रों में विद्यमान हैं। 

admin_rbse
Last Updated on May 26, 2022, 5:13 p.m.
Published May 26, 2022