RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 3 ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
मुगल बादशाह द्वारा ईस्ट इण्डिया कम्पनी को बंगालं का दीवान तैनात किया गया-
(अ) 12 अगस्त, 1757 को 
(ब) 12 अगस्त, 1764 को 
(स) 12 अगस्त, 1765 को 
(द) 12 अगस्त, 1772 को 
उत्तर:
(स) 12 अगस्त, 1765 को

प्रश्न 2. 
होल्ट मैकेंजी द्वारा तैयार की गयी राजस्व व्यवस्था थी-
(अ) स्थायी बन्दोबस्त 
(ब) महालवारी बन्दोबस्त 
(स) रैयतवारी व्यवस्था 
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(ब) महालवारी बन्दोबस्त

प्रश्न 3. 
स्थायी बन्दोबस्त लागू होने के समय भारत का गवर्नर जनरल था-
(अ) चार्ल्स कॉर्नवालिस 
(ब) लॉर्ड डलहौजी 
(स) वारेन हेस्टिंग्ज 
(द) वेलेजली 
उत्तर:
(अ) चार्ल्स कॉर्नवालिस 

प्रश्न 4. 
'नील विद्रोह' का सूत्रपात हुआ था-
(अ) मई, 1857 में 
(ब) मार्च, 1859 में 
(स) जून, 1861 में 
(द) दिसम्बर, 1885 में 
उत्तर:
(ब) मार्च, 1859 में 

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प्रश्न 5. 
चंपारण आन्दोलन की शुरुआत हुई थी-
(अ) 1917 में 
(ब) 1920 में 
(स) 1922 में 
(द) 1930 में 
उत्तर:
(अ) 1917 में 

प्रश्न 6. 
दीवान बनने पर भी कम्पनी खुद को क्या मानती थी? 
(अ) शासक
(ब) व्यापारी 
(स) मजदूर
(द) सर्वोच्च सत्ता
उत्तर:
(ब) व्यापारी 

प्रश्न 7. 
कम्पनी द्वारा स्थायी बन्दोबस्त कब लागू किया गया? 
(अ) 1793 में 
(ब) 1802 में 
(स) 1822 में 
(द) 1818 में 
उत्तर:
(अ) 1793 में 

प्रश्न 8. 
अंग्रेजों ने किसानों को बंगाल में किस फसल के उत्पादन के लिए मजबूर किया? 
(अ) कपास 
(ब) गेहूँ। 
(स) चावल
(द) पटसन 
उत्तर:
(द) पटसन

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प्रश्न 9. 
कैरीबियाई द्वीप समूह स्थित सेंट डॉमिंग्यू में नील की खेती करने लगे थे-
(अ) पुर्तगाली 
(ब) ब्रिटिश 
(स) फ्रांसीसी 
(द) स्पैनिश 
उत्तर:
(स) फ्रांसीसी 

प्रश्न 10. 
कृत्रिम रंगों का निर्माण कब से होने लगा था? 
(अ) अठारहवीं सदी में 
(ब) उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ में 
(स) उन्नीसवीं सदी के आखिर में 
(द) इक्कीसवीं सदी में।
उत्तर:
(स) उन्नीसवीं सदी के आखिर में  

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. बंगाल की ............... हाथ आ जाना अंग्रेजों के लिए निश्चय ही एक बड़ी घटना थी। 
2. ........ में पड़े अकाल ने बंगाल में 1 करोड़ लोगों को मौत की नींद सुला दिया। 
3. कम्पनी ने 1793 में .............. लागू किया। 
4. ............... का पौधा मुख्य रूप से उष्ण कटिबन्धीय इलाकों में ही उगता है। 
5. ब्रिटिश राजस्व दस्तावेजों में महाल एक ........... थी। 
6. ......... से मिलने वाला रंग बेजान और फीका होता था। 
उत्तर:
1. दीवानी 
2. 1770 
3. स्थायी बन्दोबस्त 
4. नील 
5. राजस्व इकाई 
6. वोड। 

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सही या गलत बताइए-

1. ब्रिटिश शासक ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी को बंगाल का दीवान नियुक्त किया। 
2. मुनरो व्यवस्था दक्षिणी भारत में लागू की गई। 
3. वोड पौधा उष्णकटिबन्धीय इलाकों में ही उगता था। 
4. कपड़े को रंगने वाले नील को ही पसन्द करते थे। 
5. नील की कटाई के बाद धान की खेती की जा सकती थी। 
6. उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ में कृत्रिम रंगों का निर्माण होने लगा था। 
उत्तर:
1. गलत 
2. सही 
3. गलत 
4. सही 
5. गलत 
6. गलत। 

सही मिलान कीजिए-

(अ)

(ब) 

स्थायी बन्दोबस्त 

1917

महालवारी व्यवस्था

1793

चंपारण आन्दोलन

दक्षिण भारत

मुनरो व्यवस्था

1822 

बेजान और फीका रंग

वोड 

उत्तर:

(अ)

(ब) 

स्थायी बन्दोबस्त 

1793 

महालवारी व्यवस्था

1822

चंपारण आन्दोलन

1917 

मुनरो व्यवस्था

दक्षिण भारत 

बेजान और फीका रंग

वोड 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
बंगाल का दीवान बनने के बाद कम्पनी की क्या कोशिश थी?
उत्तर:
कम्पनी की कोशिश थी कि वह ज्यादा से ज्यादा राजस्व प्राप्त करे तथा कम से कम कीमत पर बढ़िया सूती और रेशमी कपड़ा ख़रीदे। 

प्रश्न 2. 
कंपनी द्वारा दीवानी प्राप्त करने के बाद कारीगर गाँव छोड़कर क्यों भागने लगे? 
उत्तर:
क्योंकि उन्हें अपने उत्पादों को बहुत कम कीमतों पर कंपनी को बेचने के लिए मजबूर किया जाता था। 

प्रश्न 3. 
स्थायी बंदोबस्त की शुरुआत कब और कहाँ की गई?
उत्तर:
स्थायी बंदोबस्त की शुरुआत बंगाल प्रांत में सन् 1793 में की गई। 

प्रश्न 4. 
स्थायी बंदोबस्त से कंपनी को क्या लाभ था? 
उत्तर:
इसके द्वारा कंपनी के लिए एक निश्चित राजस्व राशि की नियमित आपूर्ति की जा सकती थी। 

प्रश्न 5. 
बंगाल प्रांत के उत्तर-पश्चिमी भाग में किस तरह की राजस्व व्यवस्था लागू की गई?
उत्तर:
महालवारी व्यवस्था। 

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प्रश्न 6. 
महालवारी व्यवस्था की शुरुआत किसने की? 
उत्तर:
होल्ट मैकेंजी ने। 

प्रश्न 7. 
रैयतवारी व्यवस्था की शुरुआत किस क्षेत्र में हुई? 
उत्तर:
दक्षिण भारत में। 

प्रश्न 8. 
महाल से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:
ब्रिटिश राजस्व दस्तावेजों में महाल एक राजस्व इकाई थी। यह एक गाँव या गाँवों का एक समूह होती थी। 

प्रश्न 9. 
नील की खेती के लिए कौन-सी जलवायु उपयुक्त होती है? 
उत्तर:
उष्णकटिबंधीय जलवायु। 

प्रश्न 10. 
यूरोप में नील के पौधे की जगह किस अन्य पौधे की खेती की जाती थी? 
उत्तर:
वोड के पौधे की। 

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प्रश्न 11. 
वोड के पौधे की खेती के लिए कौन-सी जलवायु उपयुक्त होती है? 
उत्तर:
शीतोष्ण जलवायु। 

प्रश्न 12. 
वोड की खेती की जाने वाले कुछ क्षेत्रों के नाम बताइए। 
उत्तर:
उत्तरी इटली, दक्षिणी फ्रांस और जर्मनी एवं ब्रिटेन के कुछ हिस्सों में वोड की खेती की जाती थी।

प्रश्न 13. 
रंगसाज नील को वरीयता क्यों देते थे? 
उत्तर:
क्योंकि नील से बहुत चमकदार नीला रंग प्राप्त होता था जबकि वोड से प्राप्त होने वाला रंग बेजान तथा फीका होता था। 

प्रश्न 14. 
बंगाल में नील विद्रोह कब हुआ? 
उत्तर:
बंगाल में नील विद्रोह सन् 1859 में हुआ। 

प्रश्न 15. 
नील आयोग का गठन क्यों किया गया? 
उत्तर:
नील उत्पादन की संपूर्ण व्यवस्था की जाँच करने के लिए नील आयोग का गठन किया गया। 

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प्रश्न 16. 
नील आयोग ने क्या रिपोर्ट दी? 
उत्तर:
नील आयोग ने बागान मालिकों को दोषी पाया तथा नील मजदूरों पर अत्याचार करने के लिए उनकी आलोचना की। 

प्रश्न 17. 
बंगाल में नील विद्रोह के पश्चात् बागान मालिकों ने किस क्षेत्र में नील की खेती को फैलाया? 
उत्तर:
बंगाल में नील विद्रोह के पश्चात् नील की खेती को बिहार में फैलाया गया। 

प्रश्न 18. 
बीघा से क्या आशय है? 
उत्तर:
यह जमीन की एक माप है। बंगाल में अंग्रेजों ने इसका क्षेत्रफल लगभग एक-तिहाई एकड़ तय किया था। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
बंगाल की अर्थव्यवस्था किस प्रकार एक गहरे संकट में फंसती जा रही थी?
उत्तर:

  • बंगाल की दीवानी मिलने के बाद कम्पनी ने ज्यादा से ज्यादा राजस्व प्राप्ति हेतु भारी-भरकम लगान लगा दिये।
  • किसान अपना लगान नहीं चुका पा रहे थे। इससे खेती चौपट होने लगी थी।
  • कारीगरों को बहुत कम कीमत पर अपनी चीजें कम्पनी को जबरन बेचनी पड़ती थीं। इससे उनका उत्पादन गिर रहा था तथा वे गाँव छोड़कर भाग रहे थे।
  • अब बंगाल में निर्यात के बदले ब्रिटेन से सोना-चांदी आना बन्द हो गया था। 

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प्रश्न 2. 
मुनरो ने दक्षिण भारत के लिए रैयतवारी व्यवस्था का चुनाव क्यों किया ? 
उत्तर:

  • मुनरो को लगता था कि दक्षिण में परंपरागत जमींदार नहीं थे। 
  • वहाँ पर काश्तकार ही कई पीढ़ियों से जमीन पर खेती करते चले आ रहे थे। अतः मुनरो ने सीधे काश्तकारों से अनुबंध करने की बात सोची। अतः उसने वहाँ के लिए रैयतवारी व्यवस्था का चुनाव किया।

प्रश्न 3. 
अठारहवीं सदी के अंत तक भारतीय नील की माँग में क्यों वृद्धि हुई? 
उत्तर:

  • भारतीय नील की किस्म अच्छी थी। इससे चमकदार नीला रंग मिलता था। 
  • इस समय तक ब्रिटेन में औद्योगीकरण का दौर शुरू हो चुका था। 
  • ब्रिटेन में कपास के उत्पादन में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई।
  • इससे कपड़े को रंगने के लिए रंगों की माँग में अप्रत्याशित वृद्धि हुई। 
  • उस दौरान वेस्टइंडीज तथा अमेरिका से नील की आपूर्ति अनेक कारणों से बन्द हो गई थी।

प्रश्न 4. 
अंग्रेजों ने नील की खेती को किस तरह एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक अवसर के रूप में देखा, समझाइये। 
उत्तर:

  • नील के व्यापार में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ ही कंपनी के वाणिज्यिक एजेंटों तथा अधिकारियों ने नील उत्पादन में निवेश करना शुरू कर दिया। 
  • अनेक अधिकारियों ने कंपनी में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया तथा अपने नील के व्यापार की देखभाल करने लगे। 
  • स्कॉटलैण्ड तथा इंग्लैण्ड के अनेक लोग भारत आये। जिनके पास नील उत्पादन के लिए पूँजी नहीं थी उन्हें कंपनी तथा बैंकों से ऋण दिया जाने लगा। 

प्रश्न 5. 
नील आयोग की रिपोर्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। 
उत्तर:

  • नील आयोग ने बागान मालिकों को किसानों के उत्पीड़न तथा दमन का दोषी पाया। 
  • नील आयोग ने यह घोषणा की कि नील की खेती किसी भी तरह से किसानों के लिए लाभप्रद नहीं थी। 
  • इस आयोग ने रैयतों से अपने वर्तमान अनुबंधों को पूरा करने को कहा। साथ ही, कहा कि वे भविष्य में ऐसा कोई अनुबंध करने से मना कर सकते हैं। 

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प्रश्न 6. 
कैरीबियाई द्वीपों में नील की खेती ठप्प क्यों हो गई? 
उत्तर:
कैरीबियाई द्वीपों में निम्न घटनाओं की वजह से नील की खेती ठप्प हो गई-

  • यहाँ के बागानों में काम करने वाले अफ्रीकी गुलामों ने 1791 में बगावत कर दी। 
  • उन्होंने बागान जला डाले तथा अपने धनी मालिकों को मार डाला। 
  • 1792 में फ्रांसीसी सरकार ने अपने उपनिवेशों में दास प्रथा समाप्त कर दी जिससे मजदूरों की कमी हो गई। 

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
बंगाल की दीवानी मिलने के बाद कम्पनी के सामने क्या मुख्य मुद्दे थे? 
उत्तर:
बंगाल की दीवानी मिलने के बाद कम्पनी के सामने निम्नलिखित मुख्य मुद्दे थे-

  • अब कम्पनी अपने नियन्त्रण वाले भू भाग के आर्थिक मामलों की मुख्य शासक बन गई थी। अब उसे अपनी जमीन का शासन चलाने तथा आमदनी को व्यवस्थित करने के लिए ऐसे तरीके ढूँढने थे जिससे कम्पनी अपने बढ़ते खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त आमदनी जुटा सके। 
  • व्यापारिक कम्पनी होने के नाते उसे यह भी ख्याल रखना था कि वह अपनी आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदतीबेचती रहे।
  • चूँकि कम्पनी बाहरी शक्ति थी अतः उसे उन लोगों को भी शांत रखना था जो गांव, देहात में पहले शासन चला चुके थे और जिनके पास अभी भी शक्ति तथा सम्मान था। 
  • स्थानीय सत्ता में रह चुके लोगों को नियंत्रित करना आवश्यक था। 

प्रश्न 2. 
स्थायी बन्दोबस्त से क्या समस्याएँ उत्पन्न हुई?
उत्तर:
कम्पनी द्वारा 1793 में लागू किये गये स्थायी बन्दोबस्त से निम्न समस्याएँ उत्पन्न हुई-
(1) कंपनी ने जो राजस्व तय किया था वह इतना ज्यादा था कि उसको चुकाने में जमींदारों को भारी परेशानी हो रही थी। जो जमींदार राजस्व चुकाने में विफल हो जाता था उसकी जमींदारी छीन ली जाती थी। बहुत सारी जमींदारियों को कंपनी बाकायदा नीलाम कर चुकी थी। 

(2) बाजार में उपज की कीमतें बढ़ने पर खेती का विस्तार हुआ। इससे जमींदारी की आमदनी में तो सुधार आया लेकिन कंपनी को कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि कंपनी स्थायी राजस्व तय कर चुकी थी। अब वह राजस्व में वृद्धि नहीं कर सकती थी। 

(3) जमींदारों को जमीन के सुधार में कोई दिलचस्पी नहीं थी। उनमें से कुछ तो बंदोबस्त के शुरुआती सालों में ही अपनी जमीन गंवा चुके थे। शेष जमींदारों को बिना परेशानी और निवेश का खतरा उठाए आमदनी की उम्मीद दिखाई दे रही थी। जब तक जमींदार किसानों को जमीन देकर उनसे लगान वसूल सकते थे उन्हें जमीन में सुधार की परवाह नहीं थी। 

(4) किसानों के लिए यह व्यवस्था बहुत दमनकारी थी। लगान बहुत ज्यादा था और जमीन पर किसान का अधिकार सुरक्षित नहीं था। लगान नहीं चुका पाने पर उसे पुश्तैनी जमीन से बेदखल कर दिया जाता था। 

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प्रश्न 3. 
महालवारी बन्दोबस्त के मुख्य पहलुओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
तत्कालीन बंगाल के उत्तर-पश्चिमी प्रांतों के लिए होल्ट मैकेंजी नामक अंग्रेज ने एक नयी व्यवस्था तैयार की जिसे 1822 में लागू किया गया। इस व्यवस्था को महालवारी बन्दोबस्त कहा गया। इसके मुख्य पहलू निम्न प्रकार हैं-

  • इस व्यवस्था के तहत गाँव अथवा ग्राम समूह (महाल) को एक राजस्व इकाई माना गया था। 
  • इस व्यवस्था में भूमि की जाँच की जाती थी, खेतों को मापा जाता था, स्थानीय समुदायों एवं वर्गों के अधिकार एवं रीति-रिवाजों का रिकॉर्ड तैयार किया जाता था। इसके पश्चात् गाँवों के सभी जमीन के टुकड़ों के राजस्व को जोड़कर पूरे गाँव के लिए राजस्व निर्धारित कर दिया जाता था।
  • यह राजस्व स्थायी रूप से तय नहीं था। राजस्व की माँग का समय-समय पर पुनर्निरीक्षण किया जाता था। 
  • राजस्व वसूली की जवाबदेही जमींदार के बजाय गाँव के मुखिया के ऊपर होती थी। 

प्रश्न 4. 
अंग्रेजों ने यूरोप की जरूरतों के अनुसार भारत में फसलें पैदा करवाईं। विवेचना कीजिए। 
उत्तर:

  • अंग्रेजों ने यह जान लिया था कि भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में यूरोप की जरूरतों के अनुसार फसलें पैदा की जा सकती हैं। 
  • अठारहवीं सदी के आखिर तक कम्पनी ने अफीम तथा नील की भरपूर खेती करवाई। 
  • इसके बाद लगभग 150 वर्षों तक अंग्रेजों ने देश के विभिन्न भागों में किसी न किसी फसल के लिए किसानों को मजबूर किया। उदाहरण के लिए-बंगाल में पटसन, असम में चाय, संयुक्त प्रान्त (वर्तमान में उत्तरप्रदेश) में गन्ना, पंजाब में गेहूँ, महाराष्ट्र व पंजाब में कपास तथा मद्रास में चावल आदि। 

प्रश्न 5. 
विश्व में नील की खेती के विकास का वर्णन कीजिये। 
उत्तर:

  • तेरहवीं सदी तक इटली, फ्रांस और ब्रिटेन के कपड़ा उत्पादक कपड़े के उत्पादन के लिए भारतीय नील का इस्तेमाल कर रहे थे। 
  • यूरोप के वोड उत्पादकों ने अपनी सरकारों पर दबाव डालकर नील के आयात पर कुछ पाबंदियाँ लगवाईं। 
  • सत्रहवीं सदी तक आते-आते यूरोपीय कपड़ा उत्पादकों ने नील के आयात पर लगी पाबंदी में ढील देने के लिए अपनी सरकारों को राजी कर लिया। 
  • इससे भारत में नील के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया।
  • साथ ही कैरीबियाई द्वीप समूह स्थित सेंट डॉमिंग्यू में फ्रांसीसी, ब्राजील में पुर्तगाली, जमैका में ब्रिटिश तथा वेनेजुएला में स्पैनिश लोग नील की खेती करने लगे। 
  • उत्तरी अमेरिका के भी बहुत सारे भागों में नील के बागान सामने आ गये। इस प्रकार विश्व में नील की खेती का विकास हुआ। 

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प्रश्न 6. 
नील उत्पादन की निज व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? 19वीं सदी के अंतिम चरण तक बागान मालिक निज खेती के तहत क्षेत्र के विस्तार में क्यों अरुचि दिखलाते थे? 
उत्तर:
नील उत्पादन की निज व्यवस्था-

  • इस व्यवस्था के तहत बागान मालिक अपने स्वयं के नियंत्रण वाली जमीनों पर नील की खेती करते थे। 
  • बागान मालिक जमीन या तो खरीदते थे या जमींदारों से पट्टे पर लेते थे तथा मजदूरों द्वारा उन पर स्वयं खेती करवाते थे। 

बागान मालिकों द्वारा निज खेती के तहत क्षेत्र के विस्तार में अरुचि दिखाने के कारण-

  • नील की खेती के लिए एक बड़े क्षेत्र की आवश्यकता होती थी जो उपलब्ध नहीं था। 
  • वे अपनी फैक्टरी के नजदीक ही जमीन पट्टे पर लेना चाहते थे। इन खेतों पर पहले से काम कर रहे किसानों से खेत खाली कराने के लिए उन्हें कई बार संघर्ष करना पड़ता था। 
  • नील तथा धान की खेती का एक ही समय होता था, फलतः आवश्यक संख्या में मजदूर नहीं मिल पाते थे। 
  • बड़े स्तर पर निज खेती के लिए बहुत अधिक संख्या में हल-बैल की आवश्यकता होती है जिस पर बहुत अधिक धन खर्च होता था।
admin_rbse
Last Updated on May 31, 2022, 8:19 p.m.
Published May 27, 2022