RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit
Rajasthan Board RBSE Class 8 Sanskrit व्याकरण निर्देषानुसारं पद-परिवर्तनम
पद परिवर्तनः – भाषा व्याकरणसम्मत ही शुद्ध मानी जाती है क्योंकि अशुद्ध वाक्य बोलने से अर्थ बदल जाता है या अपनी बात को ठीक से दूसरों के समक्ष व्यक्त नहीं किया जा सकता। भाषा का स्तर सुधारने के लिए तथा भाषा को हानिरहित बनाने के लिए यह आवश्यक है कि पद या कुछ पदों का परिवर्तन कर अपनी बात या विचारों को सारगर्भित शब्दों में दूसरों के सामने व्यक्त करें ताकि वे हमारे विचारों को उचित रीति से समझ सकें।
पूर्व में व्याकरण के नियमों का अध्ययन किया जा चुका है अतः उन्हें ध्यान में रखते हुए निर्देशानुसार पद परिवर्तन कर व्याक्य को सार्थक, सारगर्भित एवं रोचक बनाने, का उद्योग करें।
1. लकार परिवर्तनम्-धातु रूप दशों लकारों में होते हैं। अतः धातु पद को बदल कर लकार परिवर्तन किया जा सकता है। यथा:- रामः पुस्तकं पठति (लट् लकार)-रामः पुस्तक पठिष्यति (लूट लकार)।
2. विलोम शब्दः परिवर्तनम्-वाक्य में आये हुए पद के स्थान पर उसका विलोम शब्द लिखकर परिवर्तन किया जा सकता है। जैसे:- ईश्वरः साधूनां विनाशाय युगे-युगे सम्भवति (विनाशाय का विलोम शब्द)(परित्राणाय)-ईश्वरः साधूनां परित्राणाय युगे युगे सम्भवति।
3. किसी शब्द के स्थान पर प्रश्नवाचक शब्द लगाकरवाक्य में निर्देशित पद के स्थान पर प्रश्न वाचक शब्द लगाकर वाक्य के अन्त में प्रश्न वाचक चिह्न लगाकर परिवर्तन किया जा सकता हैयथा:- धर्मस्य ग्लानिर्भवति-कस्य ग्लानिर्भवति?
4. प्रत्यय परिवर्तनम्-दो वाक्यों को मिलाकर एक वाक्य बनाने के लिए प्रथम वाक्य की धातु में तुमुन् प्रत्यय जोड़कर परिवर्तन करना। यथा-रामः वृक्षं पश्यति। उद्यानं गच्छति।-रामः वृक्षं द्रष्टुम् उद्यानं गच्छति।
अभ्यासः – 1
(i) निम्नलिखितवाक्यानि निर्देशानुसारं काल (लकार) परिवर्तनं कृत्वा पुनः लिखत-
प्रश्ना 1.
चन्द्रगुप्तः मगध देशस्य नृपः अस्ति (लङ् लकार)
उत्तर:
चन्द्रगुप्तः मगध देशस्य नृपः आसीत्।
प्रश्ना 2.
मन्त्री एकस्मिन् उटजे निवसति (लङ् लकार)
उत्तर:
मन्त्री एकस्मिन् उटजे निवसति स्म।
प्रश्ना 3.
प्रभाते वितरणं करोमि (लट् लकार)
उत्तर:
प्रभाते वितरणं करिष्यामि
प्रश्ना 4.
अन्येषां द्रव्यस्य उपयोगेन अधर्मः भविष्यति। (लट् लकार)
उत्तर:
अन्येषां द्रव्यस्य उपयोगेन अधर्मः भवति।
प्रश्ना 5.
अन्यस्य द्रव्यं न अपहरिष्यामः (लट् लकार)
उत्तर:
अन्यस्य द्रव्यं न अपहरामः।
(ii) अधोलिखितवाक्यानि निर्देशानुसार विपरीतार्थक पदेषु परिवर्तनं कृत्वा पुनः लिखत-
प्रश्ना 1.
नरेन्द्रः सर्वदा मिथ्या वदति।
उत्तर:
नरेन्द्रः सर्वदा सत्यं वदति।
प्रश्ना 2.
सूर्यः रजनीकरः कथ्यते।
उत्तर:
सूर्यः दिवाकरः कथ्यते।
प्रश्ना 3.
ईश्वरः अनेका अस्ति।
उत्तर:
ईश्वरः एकः अस्ति।
प्रश्ना 4.
नूतनः परम्परा उचिताः सन्ति।
उत्तर:
पुरातनः परम्परा उचिताः सन्ति।
प्रश्ना 5.
अधुना रोजगारम् अधिगम्यते सुलभः अस्ति।
उत्तर:
अधुना रोजगारम् अधिगम्यते दुर्लभः अस्ति।
अभ्यासः – 2
प्रश्ना 1.
अतिथिः पश्यति। अतिथिः आगच्छति’ उभौ वाक्यौ योजनाय उपयुक्तपदं किम्?
(अ) द्रष्टुम्
(ब) पश्यन्ति
(स) द्रक्ष्यामि
(द) पश्यामि।
उत्तर:
(अ) द्रष्टुम्
प्रश्ना 2.
‘सूर्यः अस्तंगच्छति। सूर्यः’ इच्छति।’ उभौ वाक्यौ योजनाय उपयुक्तपदं किम्?
(अ) इच्छति
(ब) गन्तुम्
(स) गच्छति
(द) गत्वा।
उत्तर:
(ब) गन्तुम्
प्रश्ना 3.
‘अहं कथं निवारयामि। अहं शक्नोमि’ उभौ वाक्यौ योजनाय उपयुक्तपदं किम्
(अ) निवारयति
(ब) निवारयामि
(स) निवारयितुं
(द) शक्नोमि।
उत्तर:
(स) निवारयितुं
प्रश्ना 4.
‘सः कर्गदे लिखति। सः प्रवृत्तः।’ उभौ वाक्यौ योजनाय उपयुक्तपदं किम्?
(अ) लिखति
(ब) लेख्यते
(स) प्रवृतः
(द) लेखितुम्।
उत्तर:
(द) लेखितुम्।
प्रश्ना 5.
सः बोधयति। सः समर्थः उभौ वाक्यौ योजनाय उपयुक्तपदं किम्
(अ) बोधयितुं
(ब) बोधयति
(स) समर्थः
(द) समर्थितः।
उत्तर:
(अ) बोधयितुं