RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 16 जल एक बहुमूल्य संसाधन

Rajasthan Board RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 16 जल एक बहुमूल्य संसाधन  Important Questions and Answers.

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RBSE Class 7 Science Chapter 16 Important Questions जल एक बहुमूल्य संसाधन 

बहुचयनात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
विश्व जल दिवस मनाया जाता है। 
(अ) 22 फरवरी 
(ब) 22 मार्च 
(स) 22 अप्रेल 
(द) 22 मई 
उत्तर:
(ब) 22 मार्च 

RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 16 जल एक बहुमूल्य संसाधन 

प्रश्न 2. 
संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुझाई गई जल की न्यूनतम मात्रा है। 
(अ) 20 लीटर प्रति व्यक्ति 
(ब) 32 लीटर प्रति व्यक्ति 
(स) 44 लीटर प्रति व्यक्ति 
(द) 50 लीटर प्रति व्यक्ति 
उत्तर:
(द) 50 लीटर प्रति व्यक्ति 

प्रश्न 3. 
पृथ्वी की सतह का कितने प्रतिशत भाग जल से ढका हुआ है? 
(अ) 35 प्रतिशत 
(ब) 58 प्रतिशत 
(स) 71 प्रतिशत 
(द) 97 प्रतिशत 
उत्तर:
(स) 71 प्रतिशत 

प्रश्न 4. 
जल चक्र में सम्मिलित प्रक्रम नहीं है। 
(अ) स्वांगीकरण 
(ब) संघनन 
(स) वर्षण
(द) अंत:स्यंदन 
उत्तर:
(अ) स्वांगीकरण 

प्रश्न 5. 
निम्न में से कौनसी अवस्था जल से सम्बन्धित है? 
(अ) द्रव
(ब) ठोस 
(स) गैस
(द) उक्त सभी 
उत्तर:
(द) उक्त सभी 

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

प्रश्न 1. 
भौमजल स्तर के नीचे पाया जाने वाला जल ..................... कहलाता है। 
उत्तर:
भौमजल

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प्रश्न 2. 
गैसीय अवस्था में जल हमारे आस-पास की वायु में ...................... के रूप में उपस्थित रहता है। 
उत्तर:
जलवाष्प

प्रश्न 3. 
मृदा में आर्द्रता ...................... की उपस्थिति को इंगित करती है। 
उत्तर:
भूमिगत जल 
 
प्रश्न 4. 
ध्रुवों पर जल ..................... अवस्था में पाया जाता है। 
उत्तर:
ठोस।

निम्न कथनों में से सत्य एवं असत्य कथनों का चयन कीजिए:

प्रश्न 1. 
विश्व के विभिन्न भागों में जल का वितरण समान
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2. 
वर्ष 2003 को अन्तर्राष्ट्रीय अलवण जल वर्ष के रूप में मनाया गया था। 
उत्तर:
सत्य 
 
प्रश्न 3. 
उपयोग के लिए उपयुक्त जल अलवण जल है।
उत्तर:
सत्य 

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प्रश्न 4. 
बूंद (ड्रिप) सिंचाई से जल की अत्यधिक हानि होती है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5. 
भूमि में जल का रिसाव अंत:स्यंदन कहलाता है।
उत्तर:
सत्य 


कॉलम - A में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम - B से कीजिए:

प्रश्न 1. 

कॉलम - A

कॉलम - B 

(1) अलवण जल

(A) भूमिगत जल 

(2) भौमजल

(B) ताजा जल

(3) अन्तःस्यन्दन

(C) हिमनद

(4) ग्लेशियर

(D) भूमि में जल का

उत्तर:

कॉलम - A

कॉलम - B 

(1) अलवण जल

(A) भूमिगत जल 

(2) भौमजल

(B) ताजा जल

(3) अन्तःस्यन्दन

(C) हिमनद

(4) ग्लेशियर

(D) भूमि में जल का


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
जल दिवस पर बच्चों द्वारा बनाए गए पोस्टरों से हमें क्या संदेश मिलता है? 
उत्तर:
हमें यह संदेश मिलता है कि जल एक बहुमूल्य संसाधन है। हमें इसकी रक्षा करनी चाहिए। 

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प्रश्न 2. 
हम प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस क्यों मनाते हैं? 
उत्तर:
हर व्यक्ति का जल संरक्षण के महत्त्व की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए। 

प्रश्न 3. 
अंतरिक्ष से लिए गए पृथ्वी के चित्र में यह नीली क्यों दिखाई देती है? 
उत्तर:
पृथ्वी की सतह का 71% भाग जल से ढका है। इस जल के कारण यह नीली दिखाई देती है। 

प्रश्न 4. 
अलवण जल की मात्रा पृथ्वी पर उपलब्ध जल की कुल मात्रा की कितनी प्रतिशत है? 
उत्तर:
लगभग 0.006% 

प्रश्न 5. 
जल चक्र में सम्मिलित प्रक्रमों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
वाष्प, वाष्पोत्सर्जन, संघनन, बादल, वर्षण, अंत:स्यंदन और भौमजल। 

प्रश्न 6. 
जलभर क्या है? लिखिए। 
उत्तर:
भौमजल स्तर के नीचे स्थिर कठोर शैलों की परतों के बीच संचित भौमजल के भंडारों को जलभर कहते हैं। 

प्रश्न 7. 
वर्षाजल संग्रहण को परिभाषित कीजिए। 
उत्तर:
जब वर्षा जल का उपयोग भौमजल स्तर की पुन:पूर्ति करने के लिए किया जाता है, तब इसे वर्षाजल संग्रहण कहते हैं।

प्रश्न 8. 
राजस्थान की ऐसी पाँच नदियों के नाम लिखिए, जिन्हें जल संग्रहण द्वारा पुनर्जीवित कर दिया जाता है? 
उत्तर:
अखेरी, रूपारेल, सरसा, भगिनी और जहाजवाली। 

प्रश्न 9. 
क्या हम भूमि के नीचे से निरन्तर जल निकाल सकते हैं? ऐसा करने से भौमजल पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 
उत्तर:
नहीं, भूमि के नीचे से निरन्तर जल नहीं निकाल सकते, क्योंकि निरन्तर जल निकालने से भौमजल का स्तर गिर जाएगा। 

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प्रश्न 10. 
जलभरों से जल को कैसे प्राप्त किया जाता
उत्तर:
जलभरों के जल को सामान्यतः नलकूपों अथवा हैण्डपम्पों की सहायता से बाहर निकाला जाता है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
पृथ्वी पर कितना जल उपलब्ध है? क्या यह पूरा जल उपयोग योग्य है? 
उत्तर:
पृथ्वी की सतह का लगभग 71% भाग जल से ढका है। पृथ्वी पर उपस्थित लगभग समस्त जल समुद्रों और महासागरों, नदियों, तालों, ध्रुवीय बर्फ, भौमजल और वायुमण्डल में पाया जाता है, परन्तु इसमें से अधिकांश जल मानव उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। उपयोग के लिए उपयुक्त जल 'अलवण जल' है, जो 'ताजा जल' भी कहलाता है। अलवण जल की मात्रा पृथ्वी पर उपलब्ध जल की कुल मात्रा का लगभग 0.006% है। 

प्रश्न 2. 
'हमारे देश में एक ही समय पर कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और कुछ में सूखा हो सकता है। क्या आप इसस सहमत हैं? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए। 
उत्तर:
हाँ, हम इस बात से सहमत हैं। चूंकि भारत बहुत विशाल देश है, जिसके सभी क्षेत्रों में एकसमान रूप से वर्षा नहीं होती। कुछ स्थानों पर अत्यधिक वर्षा होती है और वह जल से समृद्ध है, जबकि कुछ अन्य स्थानी पर बहुत कम वर्षा होती है, जैसे - रेगिस्तान। अत्यधिक वर्षा से प्राय: बाढ़ भी आ जाती है, जबकि वर्षा की कमी से सूखा पड़ता है। अत: हमारे देश में एक ही समय पर कुछ क्षेत्रों में बाढ़ और कुछ में सूखा हो सकता है। 

प्रश्न 3. 
भीमजल का स्रोत क्या है? 
उत्तर:
वर्षाजल और अन्य स्रोतों, जैसे नदियों और तालाबों का जल मृदा में से रिसकर भूमि के नीचे गहराई में रिक्त स्थानों और दरारों को भर देता है। भूमि में जल का रिसाव 'अंत:स्पंदन' कहलाता है। अत: इस प्रक्रम द्वारा उपयोग किए जा चुके भौमजल की पुनः परिपूर्ति हो जाती है। इस प्रकार भूमि में जल का होने वाला रिसाव ही 'भौमजल' का मूल स्त्रोत है। 

प्रश्न 4. 
किस प्रकार बढ़ते हुए उद्योग धंधे भौमजल स्तर के नीचे गिरने के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
जल का उपयोग सभी उद्योगों द्वारा किया जाता है। अधिकांश उद्योगों द्वारा उपयोग किया जाने वाला जल भूमि से निकाला जाता है। इसी कारण बढ़ते उद्योग धंधे भौमजल स्तर के नीचे गिरने के लिए उत्तरदायी हैं। 

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प्रश्न 5. 
जल की बर्बादी को कम करने के लिए हमें क्या-क्या कदम उठाने चाहिए? 
उत्तर:
जल की बर्बादी को कम करने के लिए हम अनेक कदम उठा सकते हैं, जैसे।

  1. फर्श की धुलाई करने की बजाए उस पर पौंछा लगाना। 
  2. मंजन / बुश करते समय नल को लगातार खुला न रखना। 
  3. दाढ़ी बनातेवनहाते समय नल को अनावश्यकनखोलना। 
  4. त्रुटिपूर्ण टोंटियों को सही करवाकर हो रहे जल रिसाव को रोकना। 
  5. सिंचाई हेतु बूंद (ड्रिप) व्यवस्था को अपनाना। 
  6. नहाने व बर्तन साफ करने में कम से कम जल का उपयोग करना आदि। 
  7. शॉवर से न नहाकर बाल्टी भरकर नहाना।

प्रश्न 6.
यदि पादपों के लिए जल उपलब्ध नहीं होगा, तो उसका क्या परिणाम होगा?
उत्तर:
पादपों को अपना भोजन तैयार करने के लिए मृदा में से पोषक तत्त्व प्राप्त करने के लिए जल की आवश्यकता होती है। यदि कुछ दिनों तक पादपों को पानी नहीं मिलेगा तो वे मुरझा जायेंगे और अंतत: सूख जायेंगे। इससे पृथ्वी पर से हरियाली लुप्त हो जायेगी। इसका अर्थ जीवन का अंत हो सकता है, क्योंकि पादपों के न रहने का परिणाम यह होगा कि पृथ्वी पर न तो पर्याप्त भोजन तथा न ही ऑक्सीजन उपलब्ध होगी और न ही पर्याप्त वर्षा होगी और इनसे सम्बद्ध अनेक अन्य समस्याएँ उत्पन्न हो जाएंगी। 

प्रश्न 7. 
जल की बर्बादी किस प्रकार होती है? 
उत्तर:
जल की बर्बादी - कभी: कभी जल आपूर्ति पाइपों में रिसाव के कारण बड़ी मात्रा में जल पाइपों से रिसकर बह जाता है। जल की यह बर्बादी व्यक्तिगत स्तरों पर भी होती है। हम सभी जानबूझकर अथवा अनजाने में मंजन करने, दाढ़ी बनाने, नहाने और कई अन्य क्रियाकलापों के दौरान जल की बर्बादी करते हैं। त्रुटिपूर्ण टोंटियों से जल रिसाव उसकी बर्बादी का एक अन्य स्रोत है। सामान्यतया वर्षा के रूप में जो जल हमें प्राप्त होता है उसमें से अधिकांश ऐसे ही बह जाता है। यह बहुमूल्य संसाधन की बर्बादी है। 

प्रश्न 8.
'बावड़ी' से आप क्या समझते हैं? इनका पुनः उत्थान क्यों किया जा रहा है? 
उत्तर:
हमारे देश में अनेक स्थानों पर जल भण्डारण और जल की पुन: पूर्ति करने के लिए बावड़ी बनाना एक पारम्परिक तरीका था। समय के साथ बावड़ियों का रखरखाव बन्द कर दिया गया, जिनसे इन जलाशयों में धीरे - धीरे गाद जमा होती गई। तथापि, जल की अत्यधिक कमी के कारण इन क्षेत्रों के लोगों को इस प्रकार की तकनीकों पर पुनः विचार करना पड़ा। इसलिए बावड़ियों को पुनः उत्थान किया जा रहा है। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
जल की अवस्थाओं पर एक टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
जल की अवस्थाएँ: जल तीन अवस्थाओं - ठोस, द्रव तथा गैस - के रूप में पाया जाता है। जलचक्र के द्वारा परिचक्रण के दौरान जल इसकी तीनों अवस्थाओं अर्थात् ठोस, द्रव और गैस में से किसी एक अवस्था में पृथ्वी पर कहीं भी पाया जा सकता है। 

  1. ठोस अवस्था में जल बर्फ और हिम के रूप में पृथ्वी के ध्रुवों पर (बर्फ छत्रक), बर्फ से ढके पर्वतों और हिमनदों (ग्लेशियर) में पाया जाता है। 
  2. द्रव अवस्था में जल महासागरों, झीलों, नदियों के अतिरिक्त भू-तल के नीचे (भौमजल) भी पाया जाता है। 
  3. गैसीय अवस्था में जल हमारे आस-पास की वायु में जलवाष्प के रूप में उपस्थित रहता है। जल का उसकी तीनों अवस्थाओं के बीच सतत चक्रण द्वारा पृथ्वी पर जल की कुल मात्रा स्थिर बनी रहती है, जबकि समस्त मानव जनसंख्या तथा अन्य सभी जीव जल का उपयोग करते हैं। 

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प्रश्न 2. 
भौमजल किसे कहते हैं? इसकी पुनः पूर्ति किस प्रकार होती है? विस्तार से लिखिए।
उत्तर:
भीमजल: किसी भी स्थान पर मृदा में उपस्थित आर्द्रता, उस स्थान पर भूमिगत जल की उपस्थिति को बताती है। यदि इस स्थान को हम गहराई तक खोदते हैं, तो हमें वह स्तर प्राप्त होता है जहाँ मृदा के कणों के बीच के सारे के सारे रिक्त स्थान (अवकाश) और चट्टानों के बीच के स्थान जल से भरे होते हैं। इस परत की ऊपरी सीमा भौमजल स्तर कहलाती है। भौमजल स्तर विभिन्न स्थानों पर भिन्न - भिन्न होता है और यह किसी दिए गए स्थान पर परिवर्तित भी हो सकता है। भौमजल स्तर एक मीटर से भी कम गहराई पर अथवा भूमि में अनेक मीटर की गहराई में हो सकता है। भौमजल स्तर के नीचे पाया जाने वाला जल भौमजल कहलाता है।

भौमजल की पुनः पूर्ति - वर्षाजल और अन्य स्रोतों, जैसे नदियों और तालाबों का जल मृदा में से रिसकर भूमि के नीचे गहराई में रिक्त स्थानों और दरारों को भर देता है। भूमि में जल का रिसाव 'अंतःस्यंदन' कहलाता है। अत: इस प्रक्रम द्वारा उपयोग किए जा चुके भौमजल की पुनः परिपूर्ति हो जाती है। कुछ स्थानों पर भौमजल स्तर के नीचे स्थिर कठोर शैलों (चट्टानों) की परतों के बीच भौमजल संचित हो जाता है। इस प्रकार संचित भौमजल के भंडारों को जलभर' कहते हैं। जलभरों के जल को सामान्यतः नलकूपों अथवा हैंडपंपों की सहायता से बाहर निकाला जाता है।

प्रश्न 3. 
भारत के रेखा मानचित्र में औसत वार्षिक वर्षा के वितरण को दर्शाइये। 
उत्तर:
RBSE Class 7 Science Important Questions Chapter 16 जल एक बहुमूल्य संसाधन 1

प्रश्न 4. 
जल प्रबंधन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जल प्रबन्धन: वर्तमान में जल के कुप्रबन्धन तथा जल की बर्बादी के कारण मनुष्य के उपयोग योग्य जल की निरन्तर कमी होती जा रही है। अतः जीवन के लिए अत्यावश्यक बहुमूल्य संसाधन जल का उचित प्रबन्धन आवश्यक है। इसके लिए वषो जल का उपयोग भौमजल स्तर की पुनः पूर्ति करने के लिए किया जा सकता है। वर्षा के जल का संग्रहण ही 'जल संग्रहण' अथवा 'वर्षाजल संग्रहण' कहलाता है। हमारे देश में अनेक स्थानों पर जल भंडारण और जल की पुन: पूर्ति करने के लिए बावड़ी बनाने की प्रथाओं का सदियों से चलन रहा है।

बावड़ी जल संचित करने का पारम्परिक तरीका था। समय के साथ बावड़ियों का रखरखाव बंद कर दिया गया, जिनसे इन जलाशयों में धार - धरि गाद जमा होती गई। तथापि, जल की अत्यधिक कमी के कारण इन क्षेत्रों के लोगों को इस प्रकार की तकनीकों पर पुनः विचार करना पड़ा। बावड़ियों को पुन: बनाया जा रहा है। जिन स्थानों में बावड़ियों का पुन:उत्थान किया गया है वहाँ कम वर्षा के बावजूद जल की आवश्यकताओं का प्रबंधन भली - भाँति हो रहा है। किसान भी अपने खेत में जल का उपयोग मितव्ययता से कर सकते हैं। वे सिंचाई के लिए बूंद (ड्रिप) व्यवस्था का उपयोग कर सकते हैं। ड्रिप सिंचाई व्यवस्था कम व्यास के पाइपों द्वारा पोधों को पानी देने को तकनीक है, जो सीधे उनकी जड़ों तक जल पहुँचाती है। जल प्रबन्धन द्वारा ही जल की कमी को दूर किया जा

Prasanna
Last Updated on May 28, 2022, 3:02 p.m.
Published May 28, 2022