RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 4 खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन

These comprehensive RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 4 खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Home Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Home Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Home Science Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 12 Home Science Chapter 4 Notes खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन

→ प्रस्तावना:

  • घर से कुछ घंटों या अधिक समय के लिए बाहर निकलने पर हमें भोजन, अल्पाहार तथा पेय पदार्थ—चाय, कॉफी, रस आदि की आवश्यकता होती है। अतः हमें ऐसी सेवाओं की आवश्यकता है जो हमें वांछित समयों व स्थानों पर भोजन उपलब्ध करा दें। ये सेवाएँ खान-पान व्यवस्था (केटरिंग) उद्योग द्वारा दी जाती हैं जो हमें | घर पर उपलब्ध होने वाले विकल्प के रूप में कई प्रकार के खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराती हैं।
  • प्राचीन काल से आज तक धर्मशालाओं, धार्मिक स्थलों, मंदिरों में रहने-खाने के लिए सस्ता स्थान व प्रसाद, लंगर खिलाने की परम्परा है। ये भोज्य पदार्थ बड़ी मात्रा में उन लोगों द्वारा बनाए जाते हैं जो इन्हें बनाने में निपुण हैं।
  • सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य में परिवर्तनों के साथ भोजन-सेवा और भोजन-प्रबंधन एक उद्योग के रूप में उभरा है क्योंकि टिकाऊ, स्वादिष्ट, साफ-सुथरा, स्वास्थ्यप्रद भोजन परोसे जाने की बहुत अधिक माँग है। वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय प्रगति तथा कंप्यूटरों के प्रयोग ने बड़े पैमाने पर विविध प्रकार का भोजन तैयार करने वाली गतिविधियों को सरल और कारगर बनाया है।

→ महत्त्व:
आज बढ़ते जा रहे प्रवसन, शहरीकरण, वैश्वीकरण, अन्तर्राष्ट्रीय यात्राओं, पर्यटन, विभिन्न पाक प्रणालियों और विज्ञापनों की जानकारी तथा स्थानीय लोगों की नए भोजनों के स्वाद लेने में बढ़ती रुचि के कारण विभिन्न प्रकार के भोजनों की माँग बढ़ गई है।

RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 4 खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन 

→ भोजन सेवाओं के विकास को प्रभावित करने वाले कारक हैं

  • परम्परा और संस्कृति
  • धार्मिक प्रथाएँ,
  • औद्योगिक विकास,
  • सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन,
  • प्रौद्योगिकीय विकास,
  • वैश्वीकरण और नगरीकरण।

→ केटरिंग सेवाएँ:
भोजन उपलब्ध कराने वाली खान-पान व्यवस्था (केटरिंग) सेवाएँ कहलाती हैं।
खान-पान सेवा उस सेवा के रूप में मानी जाती है जो घर के बने भोजन से अलग एक अन्य सुखद परिवर्तन उपलब्ध कराती है।

→ मूलभूत संकल्पनाएँ

  • भोजन सेवा उद्योग: भोजन सेवा उद्योग में उन स्थानों, संस्थानों और कंपनियों को शामिल किया गया है, जो किसी भी प्रकार के भोजन को घर से बाहर बनाती हैं, जैसे--महँगे होटल, रेस्टोरेंट, फास्ट फूड की दुकानें, विभिन्न संस्थानों की कैंटीन आदि। इसे 'खान-पान-व्यवस्था' उद्योग भी कह सकते हैं।
  • भोजन सेवा प्रबंधन: भोजन सेवा प्रबंधन बड़ी संख्या में लोगों को संतोषजनक और लागत-प्रभावी तरीके से बहुत कलात्मक और वैज्ञानिक ढंग से भोजन और पेय पदार्थ उपलब्ध कराने की कला है।
  • भोजन सेवा प्रबंधक: भोजन सेवा प्रबंधक वह है जो भोजन सेवा इकाई/विभाग/संगठन के प्रबंधन और शासन का उत्तरदायित्व लेता है। 

→ खान-पान व्यवस्था में सेवाओं के प्रकार:
खान-पान व्यवस्था में सेवाओं के प्रकारों को मोटे रूप से दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  • कल्याणकारी या गैर-व्यावसायिक-इन सेवाओं का मुख्य उद्देश्य परोपकार और सामाजिक कल्याण है। इस प्रकार के भोजन प्रबंधन सेवाओं के उदाहरण हैं—कार्यस्थलों पर सशस्त्र सेना बलों में, विद्यालयों में, सरकार द्वारा कार्यान्वित पूरक भोजन कार्यक्रमों में, अस्पतालों में रोगियों को तथा उद्योगों में अपने कर्मचारियों को भोजन कराना आदि। ऐसे प्रतिष्ठानों में सेवा जनसाधारण को उपलब्ध नहीं होती, यह तो केवल उस संस्थान/संगठन के सदस्यों के लिए होता है जिसके लिए सेवा चलाई जा रही है।
  • व्यावसायिक सेवाएँ-इस प्रकार की सेवाएँ और प्रतिष्ठान सामान्य जनों के प्रयोग के लिए खुले होते हैं और लाभ कमाने के लिए खाद्य सामग्री और पेय पदार्थ बचते हैं। व्यावसायिक क्षेत्र द्वारा किए जाने वाली खान-पान व्यवस्था की शैली के मानकों में व्यापक रूप से भिन्नता पाई जाती है।

→ भोजन सेवा प्रणालियों के प्रकार-मूल रूप से चार प्रकार की भोजन सेवा प्रणालियाँ हैं(

  • परम्परागत भोजन प्रणालियाँ
  • कॉमिसरी भोजन (रसद विभाग) सेवा प्रणाली
  • तैयार भोजन सेवा प्रणाली
  • संयोजक (असेंबली) सेवा प्रणाली।

सभी भोजन सेवा प्रणालियों का कुल मिलाकर लक्ष्य यह सुनिश्चित करना होता है कि सप्लाई किया गया भोजन अच्छी गुणवत्ता का होना चाहिए।

→ खाद्य सेवा प्रबंधक/भोजन प्रबंधक की आवश्यक निपुणताएँ

  • व्यंजन-सूची नियोजन खाद्य चमन, बनाने और परोसने तथा आवश्यक उपकरणों का ज्ञान।
  • संगठनात्मक तथा प्रबंधन कौशल।
  • सफाई और स्वच्छता को सुनिश्चित करना।
  • लागत नियंत्रण की समुचित प्रणाली का ज्ञान।
  • अपशिष्ट प्रबंधन के लिए उचित कार्रवाई तथा विधियों को प्रयोग में लाना।
  • पर्यावरण हितैषी प्रक्रिया।
  • स्थान का बुद्धिमता से प्रयोग।

RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 4 खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन

→ व्यंजन-सूची नियोजन:
सभी खाद्य प्रतिष्ठानों में व्यंजन सूची (खाद्य सामग्री का बिल) का नियोजन महत्त्वपूर्ण घटक होता है। व्यंजन सूची संप्रेषण का साधन है जिससे भोजन-प्रबंधक/भोजन सेवा इकाई, जिस प्रकार की भी है, ग्राहक या उपभोक्ता को सूचित करती है कि क्या खाद्य पदार्थ पेश किए जा रहे हैं।
(अ) व्यंजन: सूची तैयार करते समय ध्यान रखने योग्य बातें-जलवायु; मौसम और सामग्री की उपलब्धता, मूल्य सीमा, खाने का समय और प्रत्येक समय के खाने की वस्तुएँ; विशेष समारोह, पेय पदार्थों की पुनरावृत्ति न होना, पोषण सम्बन्धी विचार, व्यक्तियों के खान-पान की आदतें, व्यंजन सूची का प्रतिरूप और परोसे जाने वाले खाद्य पदार्थों का क्रम आदि।

(ब) व्यंजन सूची के कार्य-व्यंजन सूची मुख्यतः दो कार्य करती है। यथा

  • ग्राहक या उपभोक्ता को सूचित करना कि क्या उपलब्ध है।
  • भोजन-प्रबंध स्टाफ को बताना कि क्या बनाना है।

(स) व्यंजन सूची के लाभ

  • श्रम बचाने वाली
  • समय बचाने वाली
  • लागत प्रभावी।

→ भोजन सेवा में प्रबंधन:
भोजन सेवा और प्रतिष्ठान का प्रकार कोई भी हो, सामान्यतः प्रतिष्ठान को चलाने के लिए प्रबंध कौशलों की आवश्यकता होती है।
(अ) प्रबंधन पारस्परिक क्रिया करने वाले विविध तत्त्वों द्वारा संसाधनों का प्रयोग कर लक्ष्य प्राप्त करने की प्रक्रिया है।

(ब) प्रबंधक योजना बनाता है, आयोजित, प्रेरित, निदेशित और नियंत्रित करता है। वह लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निर्णय लेता है। इसमें मानवीय और गैर-मानवीय संसाधनों का प्रबंधन सम्मिलित है। ये संसाधन हैं—धन, सामग्री, मनुष्य, मशीनें, मिनट (समय) और बाजार।

(स) प्रबंधन में कार्य-प्रबंधन में निम्नलिखित कार्य सम्मिलित हैं

  • नियोजन,
  • आयोजन,
  • स्टाफ रखना,
  • निर्देशन और कार्य सौंपना,
  • नियंत्रण करना,
  • समन्वय करना,
  • प्रतिवेदन,
  • बजट बनाना।

→ जीविका (करिअर) के लिए तैयारी करना:
खाद्य सेवा उद्योग में सफलता के लिए आवश्यक कौशल हैं

  • भोजन में रुचि तथा पाक कलाओं की प्रवृत्तियों की नियमित अद्यतन जानकारी।
  • भोजन की गुणवत्ता, उत्पादन, स्वच्छता, लागत नियंत्रण की योग्यताएँ।
  • उच्च निष्पादन स्तरों सम्बन्धी योग्यता।
  • एक मैत्रीपूर्ण और बहिर्गामी प्रवृत्ति।
  • संप्रेषण करने की योग्यता।
  • अच्छे आयोजन की योग्यताएँ।
  • प्रसन्न और ऊर्जावान व्यक्तित्व।
  • भाषाओं पर अच्छा नियंत्रण।
  • लंबे समय तक क्रियाशील रहने की क्षमता।

→ कार्यक्षेत्र

  • बड़े उद्योग,
  • 3 से 7 सितारा प्रतिष्ठानों,
  • होटल तथा भोजन-प्रबंध प्रतिष्ठान,
  • रेस्टोरेंट आदि।

RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 4 खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा प्रबंधन

→ खान-पान व्यवस्था और भोजन सेवा उद्योग में जीविका (करिअर)

  • इस उद्योग में कोई भी व्यक्ति विभिन्न पदों पर कार्य कर सकता है, जैसे—भोजन सेवा पर्यवेक्षक, अल्पाहारगृह प्रबंधक, भोजन प्रबंधक, उत्पादन प्रबंधक, क्रय प्रबंधक, भोजन सेवा निदेशक और सहायक भोजन सेवा निदेशक। 
  • इसके अतिरिक्त रेस्टोरेंटों, शिक्षण संस्थाओं, स्वास्थ्य देखभाल उद्योग, यात्रा परिवहन निकायों में भोजनप्रबंधन सेवाओं आदि में नौकरी।
  • पाक क्रिया में रुचि रखने वाले प्रशिक्षित व्यक्ति रसोइया के रूप में कार्य कर सकते हैं।
  • स्वतंत्र रेस्टोरेंट स्थापित कर सकते हैं।
  • शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, व्यापार और उद्योग में भी प्रबंध सेवाएँ प्रारंभ कर सकते हैं। 

→ जीविका (करिअर) के अवसर

  • भोजन प्रबंध उद्योग में खाद्य सेवा पर्यवेक्षक, अल्पाहार-गृह, भोजन, उत्पादन तथा क्रम प्रबंधक तथा खाद्य सेवा निदेशक व सहायक निदेशक के रूप में।
  • उच्च स्तरीय होटलों में रसोइया के रूप में।
  • विद्यालय, उद्योग और अस्पतालों में-कैंटीन प्रभारी के रूप में।
  • मनोरंजन उद्यानों, सरकारी उद्यानों, थीम पार्टियों, समारोहों, दावतों आदि में भोजन प्रबंधक के रूप में।
  • प्रचार माध्यमों के प्रदर्शनों, पाक-विज्ञान में विशेषज्ञ, लेखक तथा परामर्शदाता के रूप में।
Prasanna
Last Updated on July 15, 2022, 11:30 a.m.
Published July 15, 2022