RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 9 विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ

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RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 9 विशेष शिक्षा और सहायक सेवाएँ

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
जब विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले बच्चे सामान्य कक्षाओं में अपने साथियों के साथ पढ़ते हैं, तो यह व्यवस्था कहलाती है-
(अ) विशेष शिक्षा
(ब) सामान्य शिक्षा 
(स) बाल्यावस्था 
(द) समावेशी शिक्षा
उत्तर:
(द) समावेशी शिक्षा

प्रश्न 2. 
ऐसी दिव्यांगता जो बोलचाल, सामाजिक अन्तःक्रिया, मेलजोल और खेल को प्रभावित करती है, कहलाती है- 
(अ) स्वलीनता 
(ब) प्रमस्तिष्क घात 
(स) अधिगम अक्षमता 
(द) बौद्धिक क्षति 
उत्तर:
(अ) स्वलीनता

प्रश्न 3. 
मस्तिष्क क्षति के कारण चलने-फिरने, उठने-बैठने, बोलने और हाथ से काम करने में कठिनाई सम्बन्धी दिव्यांगता को कहते हैं- 
(अ) बौद्धिक क्षति 
(ब) प्रमस्तिष्क घात 
(स) स्वलीनता 
(द) अधिगम अक्षमता 
उत्तर:
(ब) प्रमस्तिष्क घात

प्रश्न 4. 
जो प्रशिक्षण योग्यता किसी व्यक्ति को दिव्यांगता के क्षेत्र में विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षण के योग्य बनाती है, वह- 
(अ) दिव्यांगता अध्ययनों में स्नातक डिग्री 
(ब) गह विज्ञान में बाल्यावस्था दिव्यांगता में स्नातकोत्तर अध्ययन 
(स) दिव्यांगता अध्ययनों में स्नातकोत्तर डिग्री 
(द) आर.सी.आई. द्वारा डिग्री पाठ्यक्रम पूरा करना। 
उत्तर:
(स) दिव्यांगता अध्ययनों में स्नातकोत्तर डिग्री

प्रश्न 5. 
विशेष शिक्षा है- 
(अ) दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए पथक शिक्षा 
(ब) दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए विशिष्ट शिक्षा 
(स) सामान्य शिक्षा 
(द) दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सीखना सुगम बनाना 
उत्तर:
(द) दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए सीखना सुगम बनाना

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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. विशेष शिक्षा का अर्थ ............. आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए शैक्षिक प्रावधानों से है। 
2. उन बच्चों के लिए जिनमें एक या एक से अधिक .................... होती हैं और जिनकी भिन्न ............ होती हैं; विशेष शैक्षिक आवश्यकताएँ कहलाती हैं। 
3. जब विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले विद्यार्थी सामान्य कक्षाओं में अपने साथियों के साथ पढ़ते हैं, तो यह व्यवस्था ............. शिक्षा कहलाती है।
4. जो व्यक्ति विशेष शिक्षक बनने का निश्चय करता है, उसकी जीविका ................. में.जीविका मानी जाती है। 
5. एक समावेशी कक्षा में, सभी शिक्षकों को विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के प्रति .......... होना चाहिए। 
6. शैक्षिक दिव्यांग में अपंग कहे जाने वाले बच्चों को सार्वजनिक क्षेत्र में चुनौती प्राप्त भिन्न रूप से ................. बच्चे भी कहते हैं। 
7. यदि किसी अधिक वजन वाले व्यक्ति को दूसरों द्वारा सदैव मोटा कहकर बुलाया जाये तो यह कथन ........... की श्रेणी में आता है। 
8. विशेष शिक्षक के लिए विद्यार्थियों को पढ़ाने की कला और विज्ञान को जानने की आवश्यकता होती है, जिसे .......... कहते हैं। 
9. सर्व शिक्षा अभियान में निःशक्त बच्चों समेत सभी बच्चों के लिए .............. वर्ष की शिक्षा का प्रावधान है। 
10. भारत में निःशक्तता से संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले व्यावसायिकों और कार्मिकों के लिए सभी प्रकार का प्रशिक्षण .............. द्वारा नियंत्रित होता है। 
उत्तर:
1. विशेष 
2. दिव्यांगताएँ, आवश्यकताएँ, 
3. समावेशी 
4. विशेष शिक्षा 
5. संवेदनशील 
6. सक्षम 
7. असंवेदनशील 
8. शिक्षा शास्त्र 
9. आठ 
10. भारतीय पुनर्वास परिषद। 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
विशेष शैक्षिक आवश्यकताएँ क्या होती हैं? 
उत्तर:
एक या एक से अधिक दिव्यांगताओं वाले बच्चों की जो भिन्न आवश्यकताएँ होती हैं, वे विशेष शैक्षिक आवश्यकताएँ कहलाती हैं। 

प्रश्न 2. 
विशेष शिक्षक किन्हें कहा जाता है? 
उत्तर:
वे शिक्षक जो दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षा प्रदान करते हैं, विशेष शिक्षक कहलाते हैं। 

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प्रश्न 3. 
विशेष शिक्षक की जीविका क्या मानी जाती है? 
उत्तर:
विशेष शिक्षक की जीविका 'विशेष शिक्षा में जीविका' मानी जाती है। 

प्रश्न 4. 
विशेष विद्यालय किस प्रकार की दिव्यांगताओं वाले बच्चों को सेवाएँ प्रदान करते हैं? 
उत्तर:
विशेष विद्यालय बौद्धिक दोष, प्रमस्तिष्कघात तथा दष्टि दोष वाले बच्चों को सेवाएँ देते हैं। 

प्रश्न 5. 
विशेष और समावेशी शिक्षा के प्रभावी होने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों के लिए आवश्यक कोई दो सहायक सेवाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • विद्यार्थियों के लिए परिवहन सेवा। 
  • आवश्यक संसाधन सामग्री। 

प्रश्न 6. 
यदि किसी बच्चे में बौद्धिक अक्षमता हो तो शिक्षक को किस प्रकार पढ़ाना चाहिए?
उत्तर:
बच्चे में बौद्धिक अक्षमता की स्थिति में शिक्षक को पाठ को रोचक बनाकर, छोटी-छोटी इकाइयों में बाँटकर, धीमी गति से धैर्यपूर्वक पढ़ाना चाहिए। 

प्रश्न 7. 
विशेष शिक्षा विधियाँ शिक्षक के लिए क्यों आवश्यक हैं? 
उत्तर:
विशेष शिक्षा विधियाँ शिक्षक के लिए आवश्यक हैं क्योंकि ये दिव्यांग बच्चों की वृद्धि और विकास की पूरी क्षमता हेतु यथा आवश्यक जानकारी प्रदान करती हैं। 

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प्रश्न 8. 
किन्हीं दो प्रकार की दिव्यांगताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • दृष्टि दोष 
  • श्रवण दोष। 

प्रश्न 9. 
प्रमस्तिष्कघात से क्या आशय है? 
उत्तर:
प्रमस्तिष्कघात वह दिव्यांगता है जिसके कारण चलने-फिरने, उठने-बैठने, बोलने और हाथ से काम करने में कठिनाई होती है।

प्रश्न 10. 
स्वलीनता क्या है? 
उत्तर:
स्वलीनता ऐसी दिव्यांगता है जो संप्रेषण अर्थात् बोलचाल, सामाजिक अन्तःक्रिया, मेलजोल और खेल व्यवहार को प्रभावित करती है। 

प्रश्न 11. 
अधिगम अक्षमता से क्या आशय है?
उत्तर:
अधिगम अक्षमता एक प्रकार की दिव्यांगता है जिसके कारण पढ़ने, लिखने और गणित में कठिनाइयाँ होती हैं। 

प्रश्न 12. 
विशेष शिक्षा में व्यक्ति के लिए किस प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
विशेष शिक्षा में व्यक्ति में-

  • संवेदनशीलता को विकसित करने एवं 
  • दिव्यांगता के बारे में जानकारी की आवश्यकता होती है। 

प्रश्न 13. 
विशेष शिक्षा में व्यक्ति के लिए किस प्रकार के कौशलों की आवश्यकता होती है? (कोई दो कौशलों के नाम लिखिए।) 
उत्तर:

  • अन्तर्वैयक्तिक कौशल। 
  • शिक्षण कौशल।

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प्रश्न 14. 
अन्तर्वैयक्तिक कौशल से क्या आशय है? 
उत्तर:
अन्तर्वैयक्तिक कौशल से आशय संप्रेषण या बातचीत करने में कुशल होना है।

प्रश्न 15. 
शिक्षण कौशल से क्या आशय है? 
उत्तर:
विशेष शिक्षक की विद्यार्थियों को पढ़ाने की कला और विज्ञान को जानने की स्थिति को शिक्षण कौशल कहते हैं। 

प्रश्न 16. 
विशेष और समावेशी शिक्षा में विशेष शिक्षकों और अन्य कार्मिकों की माँग कब से बढ़ी है? 
उत्तर:
'निःशक्त व्यक्ति पी.डब्ल्यू.डी. अधिनियम, 1955' के पारित होने के बाद से इनकी माँग बढ़ी है। 

प्रश्न 17. 
भारत में निःशक्तता से संबंधित व्यवसायिकों और कार्मिकों के लिए सभी प्रकार का प्रशिक्षण किसके द्वारा नियन्त्रित होता है? 
उत्तर:
भारतीय पुनर्वास परिषद (आर.सी.आई.) द्वारा नियंत्रित।
 
प्रश्न 18. 
विशेष शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रमों में जीविका की क्या संभावनाएँ हैं? 
उत्तर:
विशेष शिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रमों में कक्षा X के बाद प्रारंभिक बाल्यावस्था विशेष शिक्षक बनने से लेकर अपना निजी उद्यम खोलने व चलाने तक की संभावनाएँ हैं। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष शिक्षा की आवश्यकता क्यों है? 
उत्तर:
दिव्यांग विद्यार्थियों/बच्चों के लिए विशेष शिक्षा की प्रमुख आवश्यकताएँ हैं क्योंकि-

  • विशेष शिक्षा उनके लिए सीखना आसान बनाती है। 
  • यह शिक्षा विभिन्न क्रिया-कलापों में उनकी भागीदारी संभव बनाती है जिनमें वे अपनी अक्षमता अथवा विद्यालय के कारण भाग नहीं ले पाते थे। 

प्रश्न 2. 
हमारा सामान्य विद्यालय तंत्र दिव्यांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं है, क्यों? 
उत्तर:
हमारा सामान्य विद्यालय तंत्र दिव्यांग बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त नहीं है क्योंकि इसके प्रशिक्षण के दौरान सामान्य शिक्षा के शिक्षकों को उन विशेष विधियों के प्रति पर्याप्त रूप से दिशा निर्देशित नहीं किया जाता है, जिनकी भिन्न प्रकार की आवश्यकताओं वाले बच्चों के साथ काम करने की जरूरत होती है। 

प्रश्न 3. 
विशेष शिक्षा विधियाँ विशेष शिक्षा के लिए क्यों आवश्यक हैं? 
उत्तर:
विशेष शिक्षा विधियाँ विशेष शिक्षा के लिए इसलिए आवश्यक होती हैं क्योंकि ये विधियाँ, दिव्यांग बच्चों को जितना हो सके उतनी जानकारी प्रदान करने में सहायक होती हैं जिससे उनकी वृद्धि और विकास पूरी क्षमता के साथ हो सके। 

प्रश्न 4. 
दिव्यांगता के कारणों को कितनी श्रेणियों में बाँटा जा सकता है? समझाइए।
उत्तर:
दिव्यांगता के कारणों को मोटे रूप से निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है- 

  • जन्म से पहले प्रभावित करने वाले आनुवांशिक और गैर-आनुवांशिक दोनों कारक। 
  • ऐसे कारक जो बच्चों को जन्म के समय और उसके तत्काल बाद प्रभावित करते हैं। 
  • ऐसे कारक जो विकास की अवधि के दौरान बच्चे पर असर करते हैं। 

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प्रश्न 5. 
विशेष शिक्षा विधियाँ क्या हैं? 
उत्तर:
विशेष शिक्षा विधियाँ-विशेष शिक्षा की कुछ विशिष्ट विधियाँ और प्रक्रियाएँ होती हैं जो विशेष शिक्षक के लिए विशेष शिक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों को क्रमबद्ध तरीके से पढ़ना सिखाती हैं। 

प्रश्न 6. 
विशेष शिक्षा विधियों के क्रियान्वयन के क्रम को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
विशेष शिक्षा विधियों के क्रियान्वयन का क्रम इस प्रकार होता है-

  • पहले, विद्यार्थी के स्तर का विकास और अधिगम के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यांकन किया जाता है।
  • मूल्यांकन रिपोर्ट के बाद प्रत्येक विद्यार्थी के लिए एक शिक्षा कार्यक्रम विकसित किया जाता है।
  • अब शिक्षा कार्यक्रम का नियमित मूल्यांकन किया जाता है।
  • पूरे क्रम में सहायक सेवाओं तक पहुँच और उनका प्रयोग सुगम बनाया जाता है।

प्रश्न 7. 
दिव्यांगता के प्रति अपनी निजी मान्यताएँ और धारणाएँ क्या हैं? 
उत्तर:
हम में से अधिकांश लोग सामाजिक परिघटनाओं, जैसे-जेंडर और सामाजिक वर्ग के बारे में अपनी मान्यताओं या धारणाओं को अपने अनुभवों के साथ ही उन अन्य महत्त्वपूर्ण लोगों की मान्यताओं के आधार पर बनाते हैं जो हमें प्रभावित करते हैं, जैसे-हमारे माता-पिता। इस आधार पर हमारी एक सामान्य रूढिबद्ध धारणा यह है कि वे कम सक्षम होते हैं। अतः वे समान अधिकारों के योग्य नहीं होते। 

प्रश्न 8. 
विशेष शिक्षा में प्रशिक्षण दिव्यांगता के प्रति हमारी सोच को किस प्रकार सकारात्मक बनाता है? 
उत्तर:
विशेष शिक्षा में प्रशिक्षण, दिव्यांग बच्चों की आवश्यकताओं को समझने, उनकी दिव्यांगताओं से संबंधित प्रचलित मिथ्या धारणाओं और सामाजिक कलंकों को दूर कर उनके प्रति हमारी सकारात्मक सोच को विकसित करने में सहायता करता है। 

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प्रश्न 9. 
विशेष शिक्षक में दिव्यांगता के बारे में किस प्रकार के ज्ञान का होना आवश्यक है? 
उत्तर:
दिव्यांगता के बारे में जानकारी-बँकि विशेष शिक्षक. विशेष शिक्षा आवश्यकता वाले बच्चों के साथ काम पर ध्यान देते हैं। अतः उन्हें विभिन्न प्रकार की दिव्यांगताओं की प्रकृति, इन दिव्यांगताओं वाले बच्चों की विकासात्मक विशेषताओं और उससे संबंधित ऐसी कठिनाइयों अथवा विसंगतियों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए सेरब्रलपाल्सी वाले बच्चों में कुछ हद तक बौद्धिक दोष भी हो सकते हैं, परन्तु फिर भी वे अन्य बहुत से काम कर सकते हैं। 

प्रश्न 10. 
विशेष शिक्षा में जीविका के लिए भारत में क्या सुविधाएँ दी जा रही हैं? 
उत्तर:
विशेष शिक्षा में जीविका के लिए तैयार करना-विशेष और समावेशी शिक्षा व्यवस्था, दोनों में और शिक्षा कार्यक्रमों में विशेष शिक्षकों और अन्य कार्मिकों की आवश्यकता समय के साथ-साथ बढ़ती जा रही है। बड़ी संख्या में ऐसी विशेषज्ञता वाले व्यक्तियों की माँग के कारण, विशेष शिक्षा में जीविका काफी आकर्षक प्रतीत होती है। 

भारत में निशक्तता से संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले व्यावसायिकों और कार्मिकों के लिए सभी प्रकार का प्रशिक्षण भारतीय पुनर्वास परिषद द्वारा नियंत्रित होता है। यह स्वायत्त संस्था अनेक मान्यता प्राप्त संस्थानों के द्वारा देशभर में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री स्तर के पाठ्यक्रमों के पैकेजों में विशेष प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करती है। इस प्रकार विभिन्न स्तरों के प्रशिक्षण द्वारा विशेष शिक्षा के क्षेत्र में आना संभव है। 

प्रश्न 11. 
विशेष शिक्षा और विशेष शिक्षा सेवा के कार्यक्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
कार्यक्षेत्र किसी व्यक्ति ने विशेष शिक्षा से संबंधित कौनसे पाठ्यक्रम का अध्ययन किया है और किस स्तर तक उच्च से उच्चतर शिक्षा ग्रहण की है, इसके आधार पर इस क्षेत्र में अपार सम्भावनाएँ हैं। यथा-

  • इसमें कक्षा X के बाद प्रारंभिक बाल्यावस्था विशेष शिक्षक बनने से लेकर अपना निजी उद्यम खोलने और चलाने में सक्षम होने तक की संभावनाएँ हैं। 
  • कुछ वर्ष के अनुभव के साथ विद्यालयों में विशेष शिक्षा कार्यक्रमों के अध्यक्ष (प्रमुख) बनने अथवा विशेष विद्यालयों के प्रबंधक बन जाने की भी संभावना रहती है। 
  • जो गैर सरकारी संगठन सर्व शिक्षा अभियान दिशानिर्देशों का पालन करते न सव शिक्षा आभयान दिशानिर्देशो का पालन करते हैं, उन्हें भी योग्य विशेष शिक्षकों और प्रशिक्षकों की आवश्यकता होती है। 

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
विशेष शिक्षा विधियों से क्या आशय है? इनका क्या महत्त्व है? इन शिक्षा विधियों के क्रियान्वयन के क्रम को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
विशेष शिक्षा विधियों से आशय-विशेष शिक्षा की कुछ विशिष्ट विधियाँ और प्रक्रियाएँ होती हैं, जिन्हें विशेष शिक्षा विधियाँ कहा जाता है। ये विधियाँ विशेष शिक्षक के लिए विशेष शिक्षा की आवश्यकता वाले बच्चों को क्रमबद्ध तरीके से पढ़ना सिखाती हैं। 

विशेष शिक्षा विधियों का महत्त्व-विशेष शिक्षा विधियाँ, दिव्यांग बच्चों को जितना हो सके उतनी जानकारी प्रदान करने में सहायक होती हैं जिससे उनकी वृद्धि और विकास पूरी क्षमता के साथ हो सके। 

विशेष शिक्षा विधियों के क्रियान्वयन का क्रम-विशेष शिक्षा विधियों के क्रियान्वयन के क्रम को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है- 

  • विद्यार्थी के स्तर का मल्यांकन सबसे पहले विद्यार्थी के स्तर का विकास और अधिगम के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यांकन किया जाता है। उदाहरण के लिए संज्ञानात्मक विकास (जैसे-गणित की अवधारणाएँ); भाषा विकास अथवा सामाजिक कौशल के क्षेत्रों में विकास। 
  • विद्यार्थी के लिए शिक्षा कार्यक्रम विकसित करना-मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर प्रत्येक विद्यार्थी के लिए एक शिक्षा कार्यक्रम विकसित किया जाता है जिसका उपयोग विद्यार्थी के साथ व्यवहार करने में मार्गदर्शन के लिए किया जाता है। 
  • शिक्षा कार्यक्रम का नियमित मूल्यांकन-अब शिक्षा कार्यक्रम का नियमित मूल्यांकन किया जाता है जिससे यह निर्धारण किया जा सके कि अधिंगम और विकास के लक्ष्य पूरे हुए हैं या नहीं और विद्यार्थी ने कितनी प्रगति की है।
  • (4) सहायक सेवाओं का प्रयोग-पूरे क्रम में सहायक सेवाओं, जैसे-वाचिकित्सा, उपचार, परामर्श सेवा आदि तक पहुँच और उनका प्रयोग सुगम बनाया जाता है जिससे विशेष शिक्षा के विद्यार्थी पर वांछित प्रभाव पड़ सके।
Prasanna
Last Updated on July 20, 2022, 2:50 p.m.
Published July 19, 2022