RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 20 उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 20 उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 20 उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
वह प्रक्रिया जिसके द्वारा खरीदार खरीदने के बारे में निर्णय लेता है, कहलाती है-
(अ) उपभोक्ता व्यवहार 
(ब) उपभोक्ता फोरम
(स) उपभोक्ता उत्पाद 
(द) उपभोक्ता अपेक्षा
उत्तर:
(अ) उपभोक्ता व्यवहार

प्रश्न 2.
वस्तुओं को खरीदते समय उपभोक्ताओं की अपेक्षा है-
(अ) अधिक कीमत 
(ब) मिलावटी उत्पाद
(स) प्रामाणिक उत्पाद 
(द अप्रामाणिक उत्पाद
उत्तर:
(स) प्रामाणिक उत्पाद

प्रश्न 3.
निम्न में जो उपभोक्ता की समस्या नहीं है, वह है-
(अ) खराब गुणवत्ता वाली वस्तुएं 
(ब) मिलावटी वस्तुएँ
(स) प्रामाणिक वस्तुएँ 
(द) अधिक कीमतें
उत्तर:
(स) प्रामाणिक वस्तुएँ

प्रश्न 4.
निम्न में से जो अधिकार उपभोक्ता अधिकार नहीं है, वह है-
(अ) संस्कृति का अधिकार 
(ब) शिक्षा का अधिकार
(स) सुरक्षा का अधिकार 
(द) चयन का अधिकार
उत्तर:
(अ) संस्कृति का अधिकार

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प्रश्न 5.
विभिन्न फल एवं सब्जी उत्पादों की गुणवत्ता से संबंधित है-
(अ) हॉलमार्क 
(ब) आई.एस.आई. मार्क
(स) वूलमार्क 
(द) एफ.पी.ओ.
उत्तर:
(द) एफ.पी.ओ.

प्रश्न 6.
'चाइस' नामक पत्रिका निकालता है-
(अ) अमरीकी उपभोक्ता संघ 
(ब) आस्ट्रेलियाई उपभोक्ता संघ
(स) भारतीय उपभोक्ता संघ
(द) चीनी उपभोक्ता संघ 
उत्तर:
(ब) आस्ट्रेलियाई उपभोक्ता संघ

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. प्रत्येक मनुष्य एक ......................... उपभोक्ता है।
2. आज के उपभोक्ता को सतर्क, जागरूक और पूरी जानकारी रखने वाला .................... बनना आवश्यक है।
3. मिलावटखोरी एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह उपभोक्ता के ............. और .................... के लिए हानिकारक हो सकती है।
4. अधिकांश उपभोक्ताओं को अपने ............ और ............... की जानकारी नहीं होती है।
5. .................... उपभोक्ता के हित में एक महत्वपूर्ण कानून है। 
6. उपभोक्ताओं को ............ मार्कों वाले उत्पाद को ही खरीदना चाहिए।
उत्तर:
1. स्वाभाविक,
2. उपभोक्ता,
3. स्वास्थ्य, सुरक्षा,
4. अधिकारों, दायित्वों,
5. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम,
6. मानकीकरण

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
उपभोक्ता व्यवहार से क्या आशय है?
उत्तर:
उपभोक्ता व्यवहार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा खरीदार खरीदने के बारे में निर्णय लेता है।

प्रश्न 2.
वस्तुओं को खरीदते समय उपभोक्ताओं की कोई दो अपेक्षाएँ लिखिए। 
उत्तर:

  • उचित कीमत,
  • प्रामाणिक वस्तुएँ।

प्रश्न 3.
उपभोक्ताओं द्वारा झेली जाने वाली किन्हीं दो समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • कम स्तर की खराब गुणवत्ता वाली वस्तुएँ
  • मिलावटी वस्तुएँ। 

प्रश्न 4.
विनिर्माता द्वारा त्रुटिपूर्ण जानकारी देने से संबंधित कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
अधिकांश उत्पादों के लेबल तथ्यात्मक रूप से सही नहीं होते हैं, इनमें से कुछ भ्रामक भी होते हैं।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता संरक्षण के लिए भारत सरकार के कानून का नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत सरकार का 'उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986' उपभोक्ता संरक्षण कानून है।

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प्रश्न 6.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में दिए गए उपभोक्ता के किन्हीं चार अधिकारों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • सुरक्षा का अधिकार,
  • सूचित किए जाने का अधिकार,
  • चयन का अधिकार,
  • सुने जाने का अधिकार।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता अधिकार कौनसे अधिकार होते हैं?
उत्तर:
उपभोक्ता अधिकार वे अधिकार होते हैं जो कानूनी रूप से उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा के लिए प्रदान किए जाते हैं।

प्रश्न 8.
उत्पाद की गुणवत्ता/शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता को कैसे उत्पाद खरीदने चाहिए? 
उत्तर:
उत्पाद की गुणवत्ता/शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता को मानकीकरण मार्का वाले उत्पाद ही खरीदने चाहिए।

प्रश्न 9.
वूल मार्क क्या दर्शाता है?
उत्तर:
वूल मार्क यह दर्शाता है कि ऊन शुद्ध है।

प्रश्न 10.
सिल्क मार्क क्या सुनिश्चित करता है?
उत्तर:
सिल्क मार्क 100 प्रतिशत प्राकृतिक रेशम को सुनिश्चित करता है।

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प्रश्न 11.
मूल्यवान धातुओं की शुद्धता को प्रमाणित करने वाला कौनसा मार्क है?
उत्तर:
'हॉल मार्क' मूल्यवान धातुओं की शुद्धता को प्रमाणित करने वाला मार्क है।

प्रश्न 12.
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण से संबंधित भारत के दो स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठनों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • वायस (दिल्ली का एक उपभोक्ता संगठन)
  • सी.ई.आर.सी. (अहमदाबाद का उपभोक्ता संगठन)।

प्रश्न 13.
उपभोक्ता के कोई दो दायित्व लिखिए।
उत्तर:

  • गुणवत्ता के प्रति आश्वस्त होने के लिए मानकीकरण चिन्हों वाले उत्पाद खरीदने चाहिए।
  • उपभोक्ता को खरीद की रसीद और अन्य दस्तावेज अपने पास रखने चाहिए।

प्रश्न 14.
उपभोक्ता अध्ययन केन्द्र में जीविका के लिए आवश्यक कोई एक कौशल लिखिए। 
उत्तर:
उपभोक्ता को उपभोक्ता संरक्षण कार्यविधि और शिकायत निवारण संस्थाओं की जानकारी होनी चाहिए।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण आज के उपभोक्ता के लिए क्यों आवश्यक हो गए हैं? 
उत्तर:
औद्योगीकरण और वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप आज हम एक वैश्विक ग्राम में रह रहे हैं और वैश्विक बाजार की चुनौतियों की सामना कर रहे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था' की दिशा में बढ़ते कदम उपभोक्ता के लिए वैश्विक नजरिए को आवश्यक बनाते हैं और वे महज मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। उन्हें आर्थिक तंत्र और व्यक्तियों के एक-दूसरे के साथ व्यवसाय और सरकार के साथ परस्पर सम्बन्धों को समझना होगा। अतः आज के उपभोक्ता के लिए सतर्क, जागरूक और पूरी जानकारी रखने वाला उपभोक्ता बनना आवश्यक है। इसलिए उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण आज के उपभोक्ता के लिए आवश्यक हो गए हैं। 

प्रश्न 2.
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण का महत्व बताइए। 
उत्तर:
उदारीकरण की प्रक्रिया के तहत भारत में ऐसे अनेक उत्पाद देखे जा सकते हैं जो बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा बनाए जाते हैं। इसका सकारात्मक पहलू यह है कि भारतीय उपभोक्ता के पास चयन करने के लिए अनेक विकल्प उपलब्ध हो गए हैं और वह प्रतिस्पर्धी कीमतों में से बेहतर उत्पादों को चुन सकता है। विविध प्रकार के उत्पाद उपलब्ध होने की हानि यह है कि सही उत्पाद का चयन अब अधिक कठिन हो गया है। 

चूंकि अब प्रथमतः उपभोक्ता को नयी प्रौद्योगिकी, नए उत्पादों और नयी विशेषताओं को समझना पड़ता है, उनकी कीमत और गुणवत्ता की तुलना करनी पड़ती है। 

दूसरे, आज उपभोक्ता अनाचार, बेईमान विक्रेताओं द्वारा शोषण और भ्रामक विज्ञापन जैसी समस्याओं का भी सामना करते हैं। इन समस्याओं से प्रभावी रूप से निपटने के लिए उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण ऐसे साधन हैं जो उपभोक्ताओं को स्वयं को प्रतिकूल बाजार बलों से सुरक्षित करने के लिए सशक्त और तैयार करते हैं । इस दृष्टि से उपभोक्ता शिक्षण और संरक्षण अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। 

प्रश्न 3.
ग्राहक जब कोई उत्पाद अथवा सेवा खरीदता है तो उसकी क्या उम्मीदें होती हैं?
उत्तर:
ग्राहक जब कोई उत्पाद अथवा सेवा खरीदता है तो उसकी अनेक उम्मीदें होती हैं, जिन्हें निम्न चित्र द्वारा दर्शाया गया है-
RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 20 उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण 1
चित्र : वस्तुओं को खरीदते समय उपभोक्ताओं की अपेक्षाएँ

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प्रश्न 4.
किसी पदार्थ को मिलावटी कब कहा जाता है? 
उत्तर:
किसी पदार्थ को मिलावटी तब कहा जाता है जब उत्पाद में कुछ पदार्थ या तो मिलाए जाते हैं अथवा उसमें से निकाल लिए जाते हैं। जिसके फलस्वरूप उसका संयोजन, प्रकृति और गुणवत्ता परिवर्तित हो जाती है।

प्रश्न 5.
किसी वस्तु की कीमतें किन तत्वों से प्रभावित होती हैं?
उत्तर:
किसी वस्तु की कीमत सरकारी नीति, उपलब्धता, गुणवत्ता, वितरण प्रणाली, बाजार की स्थिति, वितरण की विधि/संवर्धन की लागतों, खरीद की विधि और सविधा के लिए उपभोक्ता की इच्छा आदि से प्रभावित होती हैं।

प्रश्न 6.
एक जैसी गुणवत्ता के उत्पादों की कीमतों में भिन्नता किन कारणों से होती है?
उत्तर:
यद्यपि कुछ उपभोक्ता कीमत को उत्पाद की गुणवत्ता से ही संबंधित करते हैं, लेकिन ऐसा होना आवश्यक नहीं है, क्योंकि एक जैसी गुणवत्ता की कीमतें उत्पादन की अधिक या कम लागतों, अतिरिक्त खर्चों, विज्ञापन पर हुए खर्च आदि के कारण भिन्न हो सकती हैं।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता अध्ययन क्षेत्र में जीविका के लिए आवश्यक कौशलों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
उपभोक्ता अध्ययन क्षेत्र में जीविका के लिए आवश्यक कौशल

  • उपभोक्ता अध्ययनों के क्षेत्र में सफल होने के लिए अध्येता को उपभोक्ता संरक्षण कार्यविधि और शिकायत निवारण संस्थाओं की जानकारी होनी चाहिए। 
  • उसे अच्छे संप्रेषण और अन्तर्वैयक्तिक कौशल, परानुभूतिपूर्ण तथा विवेकपूर्ण अभिव्यक्ति, अच्छे श्रोता होने, उपभोक्ता जागरूकता के लिए कार्यक्रमों, विज्ञापनों, वार्ताओं आदि को विकसित करने के लिए सर्जनात्मक होने जैसे प्रक्रिया कौशलों की भी आवश्यकता होती है। 
  • उसमें उपभोक्ता शिक्षा के लिए शैक्षिक सामग्री विकसित करने के लिए लेखन-कौशल, उपभोक्ता उत्पादों के परीक्षणों की रिपोर्टिंग करने और व्यापक रूप से साथी उपभोक्ताओं और जनता की सहायता करने की इच्छा शक्ति होनी चाहिए।

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
उपभोक्ताओं द्वारा झेली जाने वाली प्रमुख समस्याओं का विवेचन कीजिए। 
अथवा
समय-समय पर उपभोक्ताओं द्वारा किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? विवेचना कीजिए। 
उत्तर:
उपभोक्ता की समस्याएं
वर्तमान समय में उपभोक्ताओं को निम्नलिखित प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है-
(1) कम स्तर की खराब गुणवत्ता वाली वस्तुएँ-विभिन्न निर्माता जैसे-बहुराष्ट्रीय निगम, स्थानीय भारतीय निर्माता आदि एक ही उत्पाद बनाते हैं, लेकिन प्रयोग की जाने वाली सामग्री की भिन्नता के कारण उत्पाद की गुणवत्ता भिन्न हो सकती है, जिससे खराब उत्पाद की गुणवत्ता की पहचान करना कठिन हो जाता है। अनेक उपभोक्ताओं को गुणवत्ता मानकों की जानकारी भी नहीं होती है।

(2) मिलावट-मिलावट जानबूझकर अथवा अनजाने में की जाती है। किसी पदार्थ को मिलावटी तब कहा जाता है जब उत्पाद में कुछ पदार्थ या तो मिलाए जाते हैं अथवा उसमें से निकाल लिए जाते हैं, जिसके फलस्वरूप उस पदार्थ का संयोजन, प्रकृति अथवा गुणवत्ता परिवर्तित हो जाती है।

मिलावटखोरी एक गंभीर समस्या है, न सिर्फ इसलिए कि इससे दुकानदार अनुचित लाभ उठाता है, बल्कि इसलिए भी कि यह उपभोक्ता के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए हानिकारक हो सकती है।

(3) अधिक कीमतें-प्रत्येक उपभोक्ता अपेक्षा करता है कि उससे उत्पाद का उचित मूल्य लिया जाये, लेकिन कुछ आपूर्तिकर्ता जब यह देख लेते हैं कि उपभोक्ता को पूरी जानकारी नहीं है और उसे उत्पाद के बारे में कम पता है, तो वे उससे अधिक कीमत वसूल कर सकते हैं।

(4) उपभोक्ता जानकारी का अभाव-अधिकांश उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और दायित्वों की जानकारी नहीं होती और वे उन विभिन्न प्रावधानों के बारे में नहीं जानते जो उनकी सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं।

(5) निर्माता द्वारा अपूर्ण या त्रुटिपूर्ण जानकारी देना-इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातें शामिल हैं-

  • अधिकांश उत्पादों के लेबलों पर पूर्ण आवश्यक जानकारी नहीं होती है और अक्सर उनकी शब्दावली ऐसी होती है कि जिसे सामान्य उपभोक्ता नहीं समझ पाता है।
  • विज्ञापनों से उत्पादों की गुणवत्ता और उपयोग के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त नहीं होती है।
  • उपभोक्ता को उत्पाद के टिकाऊ या गैर-टिकाऊ होने के बारे में निर्णय लेने में सहायता करने के लिए क्रय गाइड उपलब्ध नहीं होती।
  • नयी पैकिंग, आकर्षक पैकिंग, महंगी पैकिंग भी अधिकांशतः उपभोक्ता को भ्रमित करने के लिए की जाती है।

(6) गलत तौल व माप-उपभोक्ता को कभी-कभी गलत तौल और माप के कारण उसके द्वारा अदा की गई धनराशि की तुलना में कम मात्रा में सामग्री मिलती है। ऐसा इसलिए होता है कि या तो सही बाट और तराजू को खुदरा व्यापारियों द्वारा बदल दिया जाता है अथवा सही बाटों का गलत तरीके से उपयोग किया जाता है। बिना सत्यापन मुहर वाले बाट और तराजू प्रामाणिक नहीं होते हैं।

(7) अप्रामाणिक/नकली उत्पाद-उपभोक्ता अक्सर अप्रामाणिक और घटिया उत्पादों, प्रसिद्ध ब्रांड के नकली उत्पादों द्वारा भ्रमित हो जाते हैं और ठगे जाते हैं। अक्सर ऐसे नकली उत्पाद खराब गुणवत्ता वाले होते हैं और इनका प्रयोग घातक तथा असुरक्षित हो सकता है।

(8) उपभोक्ता को लुभाने के लिए बिक्री संवर्द्धन योजनाएँ-भारतीय बाजार में उत्पादों की भरमार है। राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियां बाजार पर कब्जा करने के लिए एक-दूसरे से स्पर्धा कर रही हैं। इसके लिए, वे अनेक बिक्री संवर्द्धन योजनाओं, जैसे पुराने के बदले नए सामान की अदला-बदली, बोनस, लकी ड्रा आदि को अपनाती है। बिक्री संवर्द्धन के ऐसे तरीके सदैव असली नहीं होते हैं और उपभोक्ता को छलते हैं। उपभोक्ता इन प्रलोभनकारी बिक्री संवर्द्धन तरीकों द्वारा भ्रमित हो जाते हैं और इनका शिकार हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ता अधिकार से क्या आशय है? उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत आने वाले उपभोक्ता अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता अधिकार से आशय-उपभोक्ता अधिकार वे अधिकार होते हैं, जो कानूनी रूप से उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए प्रदान किए जाते हैं। इन अधिकारों की रचना यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि सभी उपभोक्ताओं को उचित गुणवत्ता पूर्ण वस्तुएँ और सेवाएँ उचित कीमत पर प्राप्त हो सकें।

उपभोक्ता अधिकार-भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत अग्रलिखित छ: उपभोक्ता अधिकारों को स्वीकृत एवं प्रतिष्ठापित किया है-
(1) सुरक्षा का अधिकार-सुरक्षा के अधिकार का अर्थ यह है कि उपभोक्ता को स्वास्थ्य/जीवन को होने वाले हानिकारक प्रभाव से सुरक्षित किए जाने का अधिकार है अर्थात् उपभोक्ता को ऐसे उत्पादों, उत्पादन प्रक्रियाओं और सेवाओं से सुरक्षा का अधिकार है, जो स्वास्थ्य अथवा जीवन के लिए हानिकारक हों।

(2) सूचित किए जाने का अधिकार-इसका आशय यह है कि उपभोक्ता को वस्तुओं/सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता का स्तर और कीमत के बारे में जानकारी पाने का अधिकार है, ताकि व्यापार के अनुचित तरीकों से उसकी सुरक्षा की जा सके।

(3) चयन का अधिकार-इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक खरीदार को विभिन्न गुणवत्ताओं, मात्राओं, कीमतों, माप और डिजाइन के उत्पादों तथा प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पाने और अपनी जरूरतों तथा इच्छा के अनुसार उनमें से चयन करने का अधिकार है।

(4) बात सुने जाने का अधिकार-बात सुने जाने के अधिकार का अर्थ है कि उपभोक्ताओं के हितों पर उपयुक्त मंचों पर उचित विचार विमर्श किया जाए। इसमें उपभोक्ता कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रहे विभिन्न मंचों से प्रस्तुत किए जाने का अधिकार भी शामिल है। उपभोक्ताओं को इस अधिकार का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए राष्ट्रीय और स्वैच्छिक संस्थाओं, दोनों से ऐसे मंचों को प्रदान करने की अपेक्षा की जाती है।

(5) शिकायत निवारण प्राप्त करने का अधिकार प्रत्येक उपभोक्ता को व्यापार के अनचित तरीकों अथवा अनैतिक शोषण के विरुद्ध शिकायत निवारण का अधिकार है। इसमें उचित शिकायतों के उपयुक्त निवारण का अधिकार भी शामिल है। इसमें दोषपूर्ण वस्तुओं और सेवाओं के लिए हर्जाना प्राप्त करने का अधिकार भी शामिल है।

(6) उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार-इस अधिकार का अर्थ है कि प्रत्येक व्यक्ति को एक जानकार उपभोक्ता होने के लिए ज्ञान और कौशल अर्जित करने का अधिकार है, जिससे वह वस्तुओं को खरीदते समय अथवा सेवाओं को प्राप्त करते समय सही और विवेकपूर्ण निर्णय ले सके। इसका आशय यही है कि उपभोक्ता को इतना शिक्षित होना चाहिए कि वह अपनी समस्या का समाधान स्वयं कर सके।

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प्रश्न 3.
मानकीकरण से क्या आशय है? प्रमुख मानक चिन्हों की जानकारी लिखिए। 
उत्तर:
मानकीकरण-मानकीकरण उपभोक्ता संरक्षण की एक कार्यविधि है जिसमें मानक चिन्हों (मार्क) के माध्यम से उपभोक्ताओं का संरक्षण किया जाता है। उपभोक्ता को मानकीकरण मार्कों वाले उत्पाद को ही खरीदना चाहिए, ताकि उत्पाद की गुणवत्ता/शुद्धता सुनिश्चित की जा सके। 

प्रमुख मानक चिन्ह-प्रमुख मानक चिन्ह निम्नलिखित हैं-
(1) आई.एस.आई. मार्क-यह भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) का प्रमाणन चिन्ह है। इसके अन्तर्गत उन निर्माताओं को लाइसेंस जारी किए जाते हैं जिनके उत्पाद प्रासंगिक मानकों को पूरा करते हैं। 

बी.एस.आई. मानकों में खाद्य वस्तुओं, जैसे-सब्जियां, फल और माँस उत्पाद, मसाले, संसाधित खाद्य पदार्थ, अनाज तथा सोया उत्पाद, कैंडी, टॉफी और पेय पदार्थ आदि आते हैं। इसके अतिरिक्त इसके अन्य उत्पादों में विद्युत उपकरण, साबुन, अपमार्जक डिटरजेन्ट, पेंट, कागज आदि सम्मिलित हैं। योजना के दायरे में आने वाली विभिन्न वस्तुओं में से कुछ के लिए प्रमाणन अनिवार्य है। 

(2) एगमार्क और फल उत्पाद आदेश (एफ.पी.ओ.)-ये मानक भारत सरकार द्वारा लागू किए गए हैं। ये प्रमाणपत्र विशेष रूप से खाद्य उत्पादों के लिए हैं।

  • एगमार्क-उपभोक्ता को कोई भी कृषि उत्पाद खरीदने से पहले उस पर एगमार्क की मुहर देख लेनी चाहिए, क्योंकि यह उत्पाद की विश्वसनीयता को सुनिश्चित करता है।
  • एफ.पी.ओ-विभिन्न फल एवं सब्जी उत्पादों की गुणवत्ता, संसाधन की सुविधाओं आदि के संदर्भ में वैधानिक मानकों को निर्धारित करता है। एफ.पी.ओ. विभिन्न फल उत्पादों के लिए धातु सम्बन्धी संदूषकों और परिरक्षकों की सीमा का भी निर्धारण करता है।

(3) वूल मार्क-वूल मार्क अच्छी गुणवत्ता की ऊन तथा ऊनी वस्त्रों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय ऊन सचिवालय का मानक चिन्ह है। यह दर्शाता है कि ऊन शुद्ध है तथा चिन्हयुक्त ऊनी वस्त्र शुद्ध ऊन का बना है।
(4) सिल्क मार्क-यह शुद्ध रेशम के आश्वासन के लिए गुणवत्ता आश्वासन का लेबल है और साथ ही यह शुद्ध प्राकृतिक रेशम के प्रोत्साहन के लिए एक ब्रांड का काम करता है।
(5) हॉल मार्क-यह दर्शाता है कि मूल्यवान धातुओं, जैसे-प्लेटिनम, चांदी, स्वर्ण आभूषणों का मूल्यांकन और उनकी जाँच एक अधिकारिक मूल्यांकन व हॉल मार्किंग करने वाले केन्द्र पर की गई है और उसने यह प्रमाणित किया है कि प्रयुक्त धातु शुद्धता और उत्कृष्टता में राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है।

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प्रश्न 4.
गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.) व स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण में किस प्रकार की भूमिका निभाते हैं?
अथवा
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण की दृष्टि से गैर-सरकारी संगठन/स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गैर-सरकारी संगठन/स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन की उपभोक्ता शिक्षा तथा संरक्षण में भूमिका
गैर-सरकारी संगठन/स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन अपने गैर-पक्षीय हितों के कारण उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण में निम्न प्रकार से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं-

  • वे अपनी पत्रिकाओं, पुस्तिकाओं, समाचार-पत्रों, मार्गदर्शिकाओं, दृश्य-श्रव्य सामग्रियों और अनुसंधान रिपोर्ट आदि के माध्यम से जानकारी प्रसारित करते हैं।
  • (2) अनेक उपभोक्ता संगठन उत्पादों के तुलनात्मक परीक्षण, हानिकारक और असुरक्षित उत्पादों के बारे में उपभोक्ता जागरूकता फैलाने, उत्पादों के बारे मे बताने, उपभोक्ताओं के लिए नए वैधानिक प्रावधानों के बारे में जानकारी का प्रचार करने, और पैरवी करने, उपभोक्ताओं की शिकायतों से निपटने और सतर्कता समूहों के रूप में कार्य करने में संलग्न है।
  • ये जनसभाएँ आयोजित करते हैं और इनके पुस्तकालय और दस्तावेज केन्द्र होते हैं।
  • ये उपभोक्ता जागरूकता, सशक्तिकरण और उपभोक्ता आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं।

प्रमुख उपभोक्ता संगठन-
भारत में अनेक स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन हैं जो उपभोक्ता के हित में पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन करते हैं। यथा-

  • वॉयस-यह दिल्ली का एक उपभोक्ता संगठन है जो 'कंज्यूमर वॉयस' नामक पत्रिका निकालता है।
  • सी.ई.आर.सी-यह अहमदाबाद का उपभोक्ता संगठन है जो 'इन्साइट' नामक पत्रिका निकालता है।
  • अमरीकी उपभोक्ता संघ-अमरीका में उपभोक्ता संघ 'कंज्यूमर रिपोर्ट्स' नामक पत्रिका निकालता है।
  • आस्ट्रेलियाई उपभोक्ता संघ-आस्ट्रेलियाई उपभोक्ता संघ 'चॉइस' नामक पत्रिका निकालता है।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता के दायित्वों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
उपभोक्ता के दायित्व
प्रत्येक मनुष्य/उपभोक्ता के सिर्फ अधिकार ही नहीं होते, बल्कि उसके कर्त्तव्य (दायित्व) भी होते हैं, क्योंकि अधिकारों के साथ कर्त्तव्य जुड़े होते हैं। इसलिए उपभोक्ता को अपने अधिकारों का प्रयोग करने से पहले अपने कर्तव्यों की जानकारी भी होना आवश्यक है। उपभोक्ता के दायित्व निम्नलिखित हैं-

  • कानूनों और उसके प्रावधानों की जानकारी-उपभोक्ता का यह दायित्व है कि वे सरकार द्वारा बनाए गए विभिन्न कानूनों और वैधानिक प्रावधानों के विषय में अपनी जानकारी को नियमित तौर पर अद्यतन करते रहें।
  • ईमानदारी से लेन-देन-उपभोक्ताओं को अपने सभी लेन-देन ईमानदारी से करने चाहिए और उन्हें अपनी समस्त खरीदारी का भुगतान करना चाहिए।
  • बाजार-सर्वेक्षण तथा कीमतों की तुलना-खरीदारी से पहले उपभोक्ताओं को विभिन्न दुकानों और बाजारों में उपलब्ध वस्तुओं के विभिन्न ब्रांडों और विशेषताओं आदि का पता लगाने के लिए बाजार का सर्वेक्षण करना चाहिए और कीमतों की तुलना करनी चाहिए। इससे उन्हें उचित चयन करने में सहायता मिलेगी।
  • लेबल की समस्त जानकारी पढ़ना-उपभोक्ता को खरीदारी करते समय, उसे लेबल/ब्रोशर पर दी गई समस्त जानकारी को पढ़ लेना चाहिए। 
  • मानकीकरण चिन्हों वाले उत्पाद खरीदना-उपभोक्ता को वस्तु की गुणवत्ता के प्रति आश्वस्त होने के लिए मानकीकरण चिन्हों वाले उत्पाद खरीदने चाहिए।
  • रसीद व अन्य दस्तावेज रखना-उपभोक्ता को वस्तु को खरीदने के साथ उसकी रसीद व अन्य संबंधित दस्तावेज भी लेने चाहिए तथा उन्हें अपने पास रखना चाहिए। उत्पाद में कोई समस्या/त्रुटि/उसके ठीक से कार्य न करने की स्थिति में शिकायत दर्ज करते समय खरीद के प्रमाण के रूप में इनकी आवश्यकता पड़ सकती है।
  • बीमा आदि सेवाओं को खरीदते समय उनकी शर्तों को समझना-उपभोक्ताओं को बीमा, क्रेडिट कार्ड, बैंक जमा आदि सेवाओं को खरीदते समय उसकी सभी शर्तों और नियमों, दायित्वों, सेवा प्रभारों को पढ़ और समझ लेना चाहिए और जो बातें स्पष्ट रूप से नहीं लिखी हों उनका स्पष्टीकरण प्रतिनिधि द्वारा जानने का प्रयास करना चाहिए।
  • विभिन्न उपभोक्ता संगठनों के बारे में जानना-उपभोक्ताओं को विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता संगठनों की गतिविधियों/क्रियाकलापों और कार्यों के बारे में जानकारी बढ़ाना और ऐसे संगठनों के सदस्य बनने के लाभों को समझना चाहिए।

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प्रश्न 6.
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण के क्षेत्र में जीविका के अवसरों पर एक लेख लिखिए।
अथवा
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण के कार्य क्षेत्र पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण का कार्यक्षेत्र
उपभोक्ता शिक्षण.और संरक्षण में प्रशिक्षण लेने के बाद आप निम्नलिखित क्षेत्रों में जीविका के अवसर विकसित कर सकते हैं-
(1) सरकारी संगठनों में प्रबंधकीय तथा तकनीकी पदों पर कार्य-भारतीय मानक ब्यूरो, विपणन और निरीक्षण निदेशालय, उपभोक्ता ममलों के मंत्रालय आदि जैसे सरकारी संगठनों में विभिन्न निर्णय लेने वाले प्रबंधकीय और तकनीकी पदों पर कार्य कर सकते हैं।

(2) स्वैच्छिक संगठनों में कार्य-वे उत्पाद परीक्षण, उपभोक्ता जागरूकता निर्मित करने, उपभोक्ता शिक्षण अथवा सशक्तिकरण, उनकी पत्रिका का प्रकाशन आदि के लिए स्वैच्छिक संगठनों में कार्य कर सकते हैं।

(3)निगमित कॉरपोरेट व्यापारिक संस्थानों में कार्य-वे ऐसे निगमित कॉरपोरेट व्यापारिक संस्थानों के उपभोक्ता प्रभाग में कार्य कर सकते हैं, जो उपभोक्ता की शिकायतों और उपभोक्ता सुझावों से संबंधित कार्य करते हों अथवा ऐसे ग्राहक संबंध प्रबंधन और ग्राहक सुविधा प्रभाग में कार्य कर सकते हैं जो ग्राहक डाटा बेस तैयार करते हों तथा उनके साथ व्यक्तिगत आधार पर सम्पर्क रखते हों।

(4) बाजार अनुसंधान संगठनों के साथ कार्य-वे उपभोक्ता व्यवहार, उत्पाद तक पहुँच, नए उत्पादों की उपभोक्ता स्वीकार्यता, उपभोक्ता की फीडबैक और सझावों के क्षेत्रों में बाजार अनुसंधान संगठनों के साथ कार्य कर सकते हैं।

(5) स्वयं का निजी संगठन-उपभोक्ता समस्याओं व अधिकारों आदि मुद्दों पर कार्य करने के लिए वे अपना निजी संगठन शुरू कर सकते हैं।

(6) राष्ट्रीय उपभोक्ता हैल्पलाइन में कार्य-उपभोक्ता परामर्श सेवा और लोगों की शिकायतों के निवारण के लिए वे राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में कार्य कर सकते हैं।

(7) विद्यालयों-महाविद्यालयों में परामर्शदाता.के रूप में कार्य-विद्यालयों और महाविद्यालयों द्वारा चलाए जाने वाले उपभोक्ता क्लबों में वे परामर्शदाता के रूप में कार्य कर सकते हैं, जहाँ वे अपना शैक्षिक और अन्य कार्यकलापों के प्रबंधन और योजना बनाने, उपभोक्ता अध्ययन के क्षेत्र में विद्यालयों-महाविद्यालयों में शिक्षण का कार्य कर सकते हैं।

(8) स्वतंत्र परामर्शदाता के रूप में कार्य-वे उपभोक्ता न्यायालयों और अन्य वैकल्पिक शिकायत निवारण क्रियाविधियों द्वारा शिकायत निवारण के मार्गदर्शन के लिए स्वतंत्र परामर्शदाता के रूप में भी कार्य कर सकते हैं।

(9) विषय-वस्तु विकासकर्ता के रूप में तथा इलेक्ट्रोनिक प्रचार माध्यमों में कार्य-वे दृश्य-श्रव्य प्रचार प्रभाग में विषय वस्तु विकासकर्ता के रूप में उपभोक्ता जागरूकता और शिक्षण से संबंधित विज्ञापनों में मुद्रित और इलैक्ट्रोनिक प्रचार माध्यमों में कार्य कर सकते हैं।

(10) विश्लेषणकर्ता के रूप में कार्य-वे उपभोक्ता परीक्षण प्रयोगशालाओं में उत्पादों के तुलनात्मक मूल्यांकन के लिए विश्लेषणकर्ता के रूप में कार्य कर सकते हैं।

(11) उपभोक्ता सक्रियावादी-कुछ व्यक्ति उपभोक्ता सक्रियावादी भी बन सकते हैं और कानूनी प्रशिक्षण के साथ उपभोक्ता संरक्षण न्यायालयों में मामलों की पैरवी कर सकते हैं।

(12) पत्रकारिता-उत्कृष्ट लेखन कौशल वाले व्यक्ति उपभोक्ता मामलों से संबंधित पत्रकारिता भी कर सकते हैं। 
उपर्युक्त सभी के अतिरिक्त कुछ अतिरिक्त प्रशिक्षण के साथ इस क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोग अन्य व्यक्तियों के लिए वित्तीय प्रबंधन के क्षेत्र में कनिष्ठ स्तर पर व्यक्तियों की सहायता कर सकते हैं तथा बीमा, शेयर तथा वित्तीय पोर्टफोलियो प्रबंधन से संबंधित क्षेत्रों में करियर अपना सकते हैं।

Prasanna
Last Updated on July 25, 2022, 1:12 p.m.
Published July 23, 2022