RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 13 वस्त्र उद्योग में उत्पादन तथा गणवत्ता नियंत्रण

Rajasthan Board RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 13 वस्त्र उद्योग में उत्पादन तथा गणवत्ता नियंत्रण Important Questions and Answers.

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बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
सिलाई मशीन का आविष्कार इलिहास होवे ने किया था- 
(अ) 1833 ई. में 
(ब) 1843 ई. में 
(स) 1933 ई. में 
(द) 1853 ई. में 
उत्तर:
(अ) 1833 ई. में

प्रश्न 2. 
आज भी सबसे अधिक महंगे और ग्राहक की पसंद के अनुसार सिले जाने वाले वस्त्रों की किस प्रकार की परिसज्जा हाथ से की जाती है-
(अ) किनारे सँवारना 
(ब) पाइपिंग और मम्जी लगाना
(स) गोटा लगाना
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3. 
धागे के दोषों से उत्पन्न कमी है- 
(अ) रंग का बहना 
(ब) रंग में अंतर होना 
(स) रुआं और रुएँ की गोलियाँ 
(द) झोलदार 
उत्तर:
(स) रुआं और रुएँ की गोलियाँ

प्रश्न 4. 
बुनाई के दोषों से उत्पन्न कमी है- 
(अ) तिरछा भराव 
(ब) रगड़ 
(स) मशीनी चिह्न
(द) मोटा सिरा 
उत्तर:
(अ) तिरछा भराव

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प्रश्न 5. 
परिसज्जा के दोषों से उत्पन्न कमी है- 
(अ) फटना 
(ब) झोलदार 
(स) ऐंठन 
(द) घुमावदार भराव 
उत्तर:
(ब) झोलदार

प्रश्न 6. 
किसी भी वस्त्र में कच्चे माल की कीमत होती है-
(अ) 60 प्रतिशत 
(ब) 40 प्रतिशत 
(स) 70 प्रतिशत 
(द) 30 प्रतिशत 
उत्तर:
(स) 70 प्रतिशत

प्रश्न 7. 
बुने कपड़े में प्रति इंच ताने और बाने के धागों की संख्या कहलाती है- 
(अ) ई.पी.आई. 
(ब) पी.पी.आई. 
(स) जी.एस.एस. 
(द) थ्रेड काउण्ट 
उत्तर:
(द) थ्रेड काउण्ट

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- 

1. भारत में वस्त्र उद्योग का संगठित क्षेत्र कुल उद्योग का .................... प्रतिशत है। 
2. आज पूरे विश्व में वस्त्रों की खरीदारी का रुझान उपभोक्ता के अनुसार कपड़ों से हटकर ...................... कपड़ों की ओर होता जा रहा है। 
3. सिलाई की मशीन के आविष्कार से पहले सभी वस्त्र ...................... से बनाए जाते थे। 
4.. ...................... किसी ऐसी प्रक्रिया का सूचक है जो उत्पाद की कुल लागत को बढ़ाता है और इसलिए उत्पाद की कीमत बढ़ा दी जाती है। 
5. परिधान के निर्माण की प्रक्रिया ...................... को जुटाने और उसकी जाँच से आरंभ होती है।
6. किसी वस्त्र के ताने का धागा अपनी लम्बाई के एक भाग से गायब रहता है, बुनाई के इस दोष को ...................... कहते हैं। 
7. जो कपड़ा काटने की मेज पर समतल नहीं रहता, वह ......................कपड़ा कहलाता है। 
उत्तर:
(1) 20 
(2) तैयार 
(3) हाथ 
(4) मूल्य संवर्धन 
(5) कच्चे माल 
(6) टूटा किनारा 
(7) झोलदार 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
भारत के वस्त्र उद्योग में कितने लोगों को रोजगार मिल रहा है? 
उत्तर:
भारत के वस्त्र उद्योग में लगभग 60 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से और लगभग बराबर अनुपात में रोजगार मिल रहा है। 

प्रश्न 2. 
वस्त्र उद्योग के अप्रत्यक्ष भाग में कौन-कौन से कार्य सम्मिलित हैं? 
उत्तर:
वस्त्र उद्योग के अप्रत्यक्ष भाग में सीने व कसीदाकारी के धागे, काट-छाँट सँवारना, मशीनों के पुर्जे, गत्ते की शीटें और पैक करने की सामग्री शामिल हैं। 

प्रश्न 3. 
पहली पैर से चलने वाली सिलाई की मशीन किसने बनाई थी? 
उत्तर:
इसाक मैरट सिंगर नाम के एक अमरीकी अभियन्ता ने पहली पैर से चलने वाली सिलाई की मशीन बनाई थी। 

प्रश्न 4. 
परिधान उत्पादन के प्रमुख चार चरणों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • कच्चे माल को जुटाना और उसकी जाँच करना
  • कपड़े को आकार देना और काटना
  • उत्पाद को जोड़ना और मिलाना
  • परिसज्जा तथा पैक करना।

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प्रश्न 5. 
मल्य संवर्धन की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
मूल्य संवर्धन उत्पाद के उपयोग, उपयोज्यता, कार्यात्मकता और सौंदयपरक आकर्षण को उन्नत करता है।

प्रश्न 6. 
परिधान उत्पादन के मूल्य संवर्धन चरण में क्या कार्य शामिल हैं?
उत्तर:
मूल्य संवर्धन में धागे और कपड़े की विशिष्ट परिसज्जा जैसे-वस्त्रों की विशिष्ट धुलाई अथवा पृष्ठीय सजावट, जैसे-छपाई, कसीदाकारी आदि शामिल हैं।

प्रश्न 7. 
कपड़े के धागे के दोष सम्बन्धी कोई एक कमी बताइए। 
उत्तर:
कपड़े में धागे सम्बन्धी एक दोष-बटा हुआ धागा होना होता है। 

प्रश्न 8. 
कपड़े में बुनाई के दोषों से उत्पन्न किन्हीं दो कमियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • तिरछा भराव 
  • घुमावदार भराव।

प्रश्न 9. 
कपड़े की रंगाई के दोषों से उत्पन्न दो कमियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • रंग का बहना (एक स्थान का रंग दूसरे स्थान के रंग से मिल जाना) 
  • रंग में अंतर होना (एक स्थान से दूसरे स्थान तक रंग एक समान नहीं होना)। 

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प्रश्न 10. 
कपड़े में परिसज्जा से उत्पन्न किन्हीं दो कमियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • रगड़ (एक भाग जहाँ कपड़ा रगड़ खाकर या घर्षण से क्षतिग्रस्त हो जाना)। 
  • विषम परिसज्जा। 

प्रश्न 11. 
कपड़े के अंतिम उपयोग हेतु कपड़े के निर्माता द्वारा किए जाने वाले दो मानक परीक्षणों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

  • रंग पक्कापन (प्रकाश; आर्द्रता, पसीना, क्लोरीन आदि के विरुद्ध) परीक्षण 
  • कपड़े के भार का परीक्षण। 

प्रश्न 12. 
ई.पी.आई. से क्या आशय है? 
उत्तर:
ई.पी.आई. (एंड्स पर इंच) प्रति इंच धागे कपड़े का वह घनत्व है जो बुने हुए कपड़े के एक इंच में ताने के भागों की संख्या से मापा जाता है। 

प्रश्न 13. 
पी.पी.आई. से क्या आशय है?
उत्तर:
पिक्स पर इंच अर्थात प्रति इंच संकलन कपड़े का वह घनत्व है जो बुने हुए कपड़े के एक इंच में बाने के धागों की संख्या से मापा जाता है। 

प्रश्न 14. 
जी.एस.एम. को परिभाषित कीजिए। 
उत्तर:
ग्राम पर स्क्वायर मीटर (जी.एस.एम.) अर्थात् ग्राम प्रति वर्ग मीटर बुने हुए कपड़े का वह घनत्व है जो दिए गए कपड़े के भार द्वारा मापा जाता है। 

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प्रश्न 15. 
धागों की संख्या से क्या आशय है? 
उत्तर:
धागों की संख्या बुने कपड़े में प्रति वर्ग इंच ताने और बाने के धागों की संख्या है। 

प्रश्न 16. 
कपड़े को आकार देने व काटने के चरण में चिन्हित करने का क्या अर्थ है? 
उत्तर:
चिन्हित करने का अर्थ है-कपड़े पर पैटर्न के टुकड़ों को इस प्रकार रखना जिससे कि प्रत्येक वस्त्र लिए कपड़े का उपयोग इष्टतम हो। 

प्रश्न 17. 
कपड़ों की तहों की कटाई के किन्हीं तीन औजारों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
कपड़ों की तहों की कटाई के औजार हैं-

  • सीधा चाकू 
  • धारीदार चाकू और 
  • गोल चाकू। 

प्रश्न 18. 
वस्त्र उत्पादन उद्योग में वस्त्रों को जोड़ने की पद्धतियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • दर्जी पद्धति 
  • मॉड्यूल पद्धति (दल द्वारा कार्य करना) तथा 
  • इकाई उत्पादन पद्धति। 

प्रश्न 19. 
परिसज्जा की प्रक्रिया में अंतिम निरीक्षण में क्या-क्या कार्य शामिल होते हैं? 
उत्तर:
परिसज्जा की प्रक्रिया में अंतिम निरीक्षण में धब्बे हटाना, मरम्मत, प्रेस करना और तह लगाना आदि कार्य शामिल होते हैं। 

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प्रश्न 20. 
वस्त्रों के पैकेज बनाने का कार्य कितने प्रकार से किया जा सकता है? 
उत्तर:
वस्त्रों के पैकेज बनाने का कार्य कई प्रकार से किया जा सकता है। यथा-

  • वस्त्रों के हैंगर में पैक करना 
  • तह लगाकर हैंगर में पैक करना तथा 
  • तह लगाकर पैक करना। 

प्रश्न 21. 
किस प्रकार के वस्त्रों को हैंगरों में पैक किया जाता है? 
उत्तर:
कोट, जैकेट, सूट तथा वस्त्रों के परिधानों को हैंगरों में पैक किया जाता है। 

प्रश्न 22. 
तह लगाकर हैंगर में पैक किए जाने वाले किन्हीं दो वस्त्रों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • पतलून 
  • पायजामा। 

प्रश्न 23. 
तह लगाकर पैक किए जाने वाले किन्हीं दो प्रकार के वस्त्रों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • कमीजें 
  • ट्रेक सूट या टी शर्ट। 

प्रश्न 24. 
वस्त्रों को पैक करने का तरीका किसके अनुसार होता है? 
उत्तर:
वस्त्रों को पैक करने का तरीका-

  • ग्राहक के निर्देशों, 
  • विक्रय स्थल पर प्रदर्शन की तकनीक. 
  • वस्त्र का भार तथा 
  • वस्त्र की कीमत आदि के अनुसार होता है। 

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प्रश्न 25. 
वस्त्रों को पैक करने से क्या आशय है? 
उत्तर:
वस्त्रों को पैक करना वह प्रक्रिया है जो किसी उत्पाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए तैयार करने के लिए की जाती है। 

प्रश्न 26. 
पैक करने की सबसे सामान्य तकनीक में किसका प्रयोग होता है? 
उत्तर:
पैक करने की सबसे सामान्य तकनीक में गत्तों के डिब्बों (कार्टन) का प्रयोग होता है। 

प्रश्न 27. 
वस्त्र उत्पाद और गुणवत्ता नियंत्रण क्षेत्र में सबसे आधारभूत पाठ्यक्रम कौनसा है? 
उत्तर:
वस्त्र उत्पाद और गुणवत्ता नियंत्रण क्षेत्र में सबसे आधारभूत पाठ्यक्रम 'प्रमाणपत्र कार्यक्रम' है जो कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों की अवधि के होते हैं। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
मूल्य संवर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
मूल्य संवर्धन प्रक्रिया- 
मूल्य संवर्धन किसी ऐसी प्रक्रिया का सूचक है जो उत्पाद की कुल लागत को बढ़ाता है और इसलिए उत्पाद की कीमत बढ़ा दी जाती है। यह मूल्य संवर्धन उत्पाद के उपयोग, उपयोज्यता, कार्यात्मकता और सौंदर्यपरक आकर्षण को उन्नत करता है। इसमें शामिल हैं-धागे और कपड़े की विशिष्ट परिसज्जा (उदाहरण के लिए, वस्त्रों की विशिष्ट धुलाई, जैसे-डेनिम्स के लिए सैंडवॉश या एन्जाइमवॉश) अथवा पृष्ठीय सजावट (जैसे-छपाई, कसीदाकारी आदि)। 

यह उत्पाद की प्रत्येक शैली के लिए विशिष्ट होती है और इसे उत्पाद को जोड़ने से पहले या जोड़ते समय या बाद में किया जा सकता है। 

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प्रश्न 2. 
वस्त्र में धागे के दोषों से उत्पन्न होने वाली कमियों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
वस्त्र में धागे के दोषों से उत्पन्न कमियाँ- 

  • मोटा सिरा और पतला सिरा-यह दोष भारी सिरा और कसा हुआ सिरा भी कहलाता है। कपड़े में सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाले धागों के स्थान पर अधिक व्यास या कम व्यास वाले धागों का ताना। 
  • रुआँ और रुएँ की गोलियाँ-रुआँ ढीला या उधड़ा हुआ रेशा होता है जो धागे से निकलता है। ये छोटी-छोटी गोलियाँ बना लेते हैं और कपड़े में बुन जाते हैं। 
  • बटा हुआ धागा-धागे में अचानक मोटा स्थान जो मुड़ने में नरम होता है और अधिकतर छोटा होता है। 

प्रश्न 3. 
वस्त्र में बुनाई के दोषों से उत्पन्न किन्हीं चार कमियों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
बुनाई के दोषों से उत्पन्न कमियाँ वस्त्र में बुनाई के दोषों से उत्पन्न चार प्रमुख कमियाँ निम्नलिखित हैं- 

  • पट्टी-पूरी चौड़ाई में पट्टी का आना जो कपड़े की सामान्य सज्जा के रंग और बनावट से अलग दिखाई देती है। 
  • तिरछा भराव-भराव वाले धागे या रंगीन पैटर्न, जब ताने के धागों के समकोण पर नहीं होते। 
  • घुमावदार भराव-घुमावदार भराव वाले धागे या रंगीन पैटर्न। 
  • ऐंठन-एक छोटी लम्बाई का धागा जो तुरन्त अपने आपको दोहरा कर लेता है। यह छल्ला, ऐंठा हुआ धागा, कुंडलित धागा तथा उलझन भी कहलाता है। 

प्रश्न 4. 
वस्त्र में परिसज्जा के दोषों से उत्पन्न कमियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
परिसज्जा के दोषों से उत्पन्न कमियाँ वस्त्र में परिसज्जा के दोषों से निम्न प्रमुख कमियाँ उत्पन्न हो जाती हैं-

  • झोलदार-झोलदार वह कपड़ा कहलाता है जो काटने की मेज पर समतल नहीं रहता। 
  • रगड़-एक भाग जहाँ कपड़ा रगड़ खाकर या घर्षण से क्षतिग्रस्त हो गया है, रगड़ दोष से युक्त होता है। 
  • मशीनी चिन्ह-मशीनी चिन्ह वे हैं जो कपड़े के किनारे पर बने बड़े पिन के छिद्र अथवा विकृत क्षेत्र जो परिसज्जा के समय कपड़े को चौड़ाई में पकड़ने पर बन जाते हैं। इन्हें पिन के चिन्ह भी कहते हैं। 
  • विषम परिसज्जा-विषम परिसज्जा वह है जो पूरे कपड़े में एक स्थान से दूसरे स्थान तक एक समान नहीं होती। 

प्रश्न 5. 
कपड़े की कटाई में चिन्हित करने की योजना कैसे बनाई जा सकती है? 
उत्तर:
चिन्हित करने की योजना-चिन्हित करने की योजना को मेज की एक निर्धारित चौड़ाई में पैटर्न के टुकड़ों को रखकर बनाया जा सकता है और इसे तब तक परिवर्तित करते हैं जब तक इष्टतम लम्बाई प्राप्त न हो जाए। यह बहुत समय लेने वाला काम है, विशेष रूप से जब सम्मिलित पैटर्न के टुकड़ों की संख्या अधिक हो (जैसे कि औपचारिक जैकट में)। चिन्हित कारक की नकल करना भी एक समस्या है, जिससे कि इसे बहुत से वस्त्रों को चिन्हित करने के लिए दोहराया जा सके। 

चिन्हितीकरण नियोजन की अधिक दक्ष तकनीक एक विशिष्ट कंप्यूटर सॉफ्टवेयर या सी.ए.डी. को उपयोग करना है। इसमें पैटर्न के टुकडे कंप्यूटर में डाल दिए जाते हैं और मद्रित प्रति लेकर मॉनीटर पर योजना बनाई जाती है। यह तकनीक कम समय लेती है और हाथ से बनाई योजना से संबंधित अधिकांश त्रुटियों को दूर कर देती है। अंत में चिन्हित पैटर्न की एक प्रिंट प्रतिलिपि ली जाती है जो उत्पाद की प्रति इकाई के लिए कपड़े के उपयोग को सुनिश्चित करती है। 

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प्रश्न 6. 
कपड़े को आकार देने की प्रकिया में कपड़े को किस प्रकार फैलाया जाता है? 
उत्तर:
कपड़े को फैलाना-कपड़े को समतल करके परतों के रूप में मेज की लम्बाई में फैला दिया जाता है। परत की लम्बाई मार्कर द्वारा निर्धारित की जाती है। कपड़े की एक परत को किनारे की एक लम्बाई के साथ नाप लिया जाता है और फिर सभी परतों को उसी के बराबर नाप लिया जाता है। 

कपड़े को हाथ से या स्प्रेडर्स नामक मशीमों की सहायता से फैलाया जा सकता है। ये मशीनें यांत्रिक, विद्युत, इलेक्ट्रॉनिक या कम्प्यूटर चालित हो सकती हैं। 

फैलाने की प्रक्रिया का अन्तिम उत्पाद 'बिछाना' (ले) कहलाता है। बिछाने की ऊँचाई उपयोग में लाए जाने वाले काटने के उपकरण को प्रभावित करती है और उससे प्रभावित भी होती है। बिछाने की तैयारी करते समय ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक बिछाना एक ही प्रकार के कपड़े का हो। 

प्रश्न 7. 
कपड़े की तहों की कटाई किस प्रकार की जाती है?
उत्तर:
कपड़े की तहों की कटाई-कपड़े की तहों को एक साथ मशीनों द्वारा काटा जाता है, जिनका नियंत्रण हाथ से या कंप्यूटर प्रणालियों द्वारा किया जाता है। ये मशीनें विभिन्न प्रकार की होती हैं, जैसे-सीधा चाकू, गोल चाकू, धारीदार चाकू और डाइकटरा। बिछाने की ऊँचाई अर्थात् प्रत्येक बिछाने में तहों की संख्या कटाई के उपकरण के कुछ गुण और दोष होते हैं। उदाहरण के लिए, सीधे चाकू वाली मशीन आसानी से उपलब्ध हो जाती है और यांत्रिक कटाई के उपकरणों में सबसे सस्ती है, परन्तु बुने हुए या तने हुए कपड़ों को काटने के लिए यह श्रेष्ठ विकल्प नहीं है, क्योंकि इसमें वह पकड़ नहीं होती जो ऐसे कपड़ों को काटते समय आयामीय स्थायित्व को नियंत्रित कर सके। 

बिछाने की कटाई हेतु उपयोग में लाया जाने वाला उपकरण सामान्यतः यान्त्रिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कैंची बहुत सी तहों को सुस्पष्टता से नहीं काट सकती है। इसके अलावा, इसके लिए आवश्यक समय और प्रयास उत्पादन में संभावित समय और प्रयासों से अधिक हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न- 

प्रश्न 1. 
वस्त्रों के उत्पादन में कपड़े की कटाई की योजना और प्रक्रिया का विवेचन कीजिए। 
उत्तर:
वस्त्रों के उत्पादन में कपड़े की कटाई योजना और प्रक्रिया 
वस्त्रों के उत्पादन में कच्चे माल को जुटाने और उसकी जांच करने के बाद कपड़े की कटाई योजना और प्रक्रिया का महत्वपूर्ण चरण प्रारंभ होता है। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं- 

(क) चिन्हित करने की योजना-चिन्हित करने का अर्थ है-कपड़े पर पैटर्न के टुकड़ों को इस प्रकार रखना जिससे कि प्रत्येक वस्त्र के लिए कपड़े का उपयोग इष्टतम हो। 
इसे निम्न चित्र में दिखाया गया है- 
RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 13 वस्त्र उद्योग में उत्पादन तथा गणवत्ता नियंत्रण 1
चित्र : मार्कर योजना-पैटर्न के टुकड़ों को इस प्रकार रखना जिससे कपड़े का इष्टतम प्रयोग हो 

इसमें टुकड़ों की संख्या की पहचान की जाती है, जो एक वस्तु के पूरे पैटर्न को बनाते हैं। चिन्हित करने की योजना प्रति वस्त्र हेतु कपड़े के औसत उपभोग को निर्धारित करती है, जो अन्ततः उत्पादन लागत को प्रभावित करती है। 

चिन्हित करने की योजना को मेज की एक निर्धारित चौड़ाई में पैटर्न के टुकड़ों को रखकर बनाया जा सकता है और इसे तब तक परिवर्तित करते हैं जब तक इष्टतम लम्बाई न प्राप्त हो जाए। वर्तमान में चिन्हितीकरण नियोजन हाथ से बनाई योजना के स्थान पर एक विशिष्ट कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर द्वारा अधिक किया जाता है क्योंकि यह तकनीक कम समय लेती है तथा त्रुटिरहित होती है। 

(ख) फैलाना-कपड़े के चिन्हितीकरण की योजना के बाद कपड़े को समतल करके परतों के रूप में मेज की लम्बाई में फैला दिया जाता है। परत की लम्बाई मार्कर द्वारा निर्धारित की जाती है। कपड़े की एक परत को लम्बाई के साथ नाप लिया जाता है और फिर सभी परतों को उसी के बराबर नाप लिया जाता है। 

कपड़े को हाथ से या स्प्रेडर्स नामक मशीनों की सहायता से फैलाया जा सकता है। ये मशीनें यांत्रिक, विद्युत या इलेक्ट्रोनिक चालित हो सकती हैं। 
फैलाने की प्रक्रिया का अंतिम उत्पाद 'बिछाना' (ले) कहलाता है तथा प्रत्येक बिछाना एक ही प्रकार के कपड़े का होना चाहिए। 

(ग) चिन्हित करना (मार्किंग)-निर्धारित चिन्हित कारक के अनुसार सबसे ऊपरी सतह पर पैटर्न का खाका उतारा जाता है। कुछ मामलों में कपड़े की चौड़ाई की एक कंप्यूटरीकृत प्रतिलिपि कागज की शीट पर लेकर बिछाने को कवर करने के उपयोग में लाया जा सकता है। यह तब कपड़े की तहों के साथ काटा जाता है। 

(घ) कटाई-तहों को एक साथ मशीनों द्वारा काटा जाता है, जिनका नियंत्रण हाथ से या कंप्यूटर प्रणालियों द्वारा किया जाता है। ये मशीनें विभिन्न प्रकार की होती हैं, जैसे-सीधा चाकू, गोल चाकू, धारीदार चाकू और डाइकटर। बिछाने की कटाई हेतु उपयोग में लाया जाने वाला उपकरण सामान्यतः यांत्रिक होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कैंची बहुत सी तहों को सुस्पष्टता से नहीं काट सकती। इसके अलावा, इनसे कम समय और कम प्रयास करने पड़ते हैं। 

(ङ) बंडल बनाना-काटे गए टुकड़ों के आगे होने वाली प्रक्रियाओं, जैसे-सिलना, कसीदाकारी, छपाई इत्यादि के लिए बंडल बनाए जाते हैं। एक बंडल में रखे जाने वाले टुकड़ों की संख्या उत्पादन पद्धति के प्रकार और बाद में होने वाली प्रक्रियाओं के क्रम पर निर्भर करती है। बंडलों में वस्त्र के सभी घटक या केवल चयनित घटक हो सकते हैं। 

बंडल बनाने के साथ ही लेबल लगाने का कार्य भी किया जाता है, जो बिछाने में तह की संख्या की पहचान करते हैं। ऐसा यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि एक वस्त्र के सभी घटक कपड़े की एक ही तह से काटे गए हैं। 

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प्रश्न 2. 
वस्त्र उत्पाद और गुणवत्ता नियंत्रण के क्षेत्र में जीविका के लिए तैयारी एवं इसके कार्यक्षेत्र पर एक लेख लिखिए। 
उत्तर:
वस्त्र उत्पाद और गुणवत्ता नियंत्रण क्षेत्र में जीविका के लिए तैयारी 
वस्त्र उत्पाद और गुणवत्ता नियंत्रण/आश्वासन/प्रबंधन का क्षेत्र एक तकनीकी क्षेत्र है। इस क्षेत्र में प्रवेश और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रमुख आवश्यकताएँ होती हैं-

  • उत्पाद का ज्ञान-उत्पाद के ज्ञान के अन्तर्गत उन सभी सामग्रियों की समझ सम्मिलित है जो उत्पाद को बनाने में काम आती हैं। 
  • व्यावहारिक ज्ञान-ऐसे उत्पाद को बनाने में शामिल प्रक्रियाओं तथा उत्पाद को बनाने के लिए आवश्यक मशीनों का व्यावहारिक ज्ञान होना चाहिए।
  • मानव संसाधन सम्बन्धी योग्यताएँ-उसमें मानव संसाधनों को समझने और कार्य करने के सभी स्तरों के कार्मिकों, पर्यवेक्षकों, प्रबंधकों इत्यादि पर संसाधनों के साथ कार्य करने की योग्यता होनी आवश्यक है।

शैक्षिक पाठ्यक्रम सम्बन्धी योग्यता-ऐसे बहुत से पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं जो शैक्षिक योग्यताओं के सभी स्तरों पर वस्त्र उत्पादन अथवा गुणवत्ता आश्वासन/नियंत्रण में जीवन-वृत्ति के लिए शिक्षण/प्रशिक्षण देते हैं। प्रत्येक शैक्षिक योग्यता के लिए पाठ्यक्रम की अवधि अलग-अलग होती है। यथा-

  • सबसे आधारभूत प्रमाण पत्र कार्यक्रम हैं जो कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों की अवधि के लिए होते हैं जो पूरे देश में विभिन्न निजी संस्थाओं और राज्य/केन्द्रीय सरकारों द्वारा संचालित संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं। 
  • इस क्षेत्र में डिग्री कार्यक्रम 3-4 वर्ष की अवधि के होते हैं और देशभर में गिने-चुने संस्थान द्वारा उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • कुछ अभियांत्रिकी कार्यक्रम भी हैं, जो विशेषज्ञता विकल्प के रूप में 'परिधान उत्पादन' का पाठ्यक्रम उपलब्ध कराते हैं।

कार्यक्षेत्र 
वस्त्र उत्पाद और गुणवत्ता नियंत्रण के क्षेत्र में रोजगार का चुनाव हमारे द्वारा प्राप्त शेक्षिक योग्यता पर निर्भर करता है। यथा- 

  • प्रारंभ में कोई व्यक्ति गुणवत्ता निरीक्षक या उत्पादन पर्यवेक्षक सहायक बन सकता है। व्यक्ति के सीखने और संसाधनों के प्रबंध की क्षमता पर उसकी उन्नति निर्भर करेगी।
  • इस क्षेत्र में उत्पादन, नियोजन, गुणवत्ता आश्वासन, औद्योगिकी अभियांत्रिकी, जनशक्ति प्रशिक्षण, उद्यम संसाधन नियोजन इत्यादि में भी जीवन वृत्ति के अवसर उपलब्ध हैं, जो व्यक्ति की शैक्षिक योग्यताओं के अनुरूप होंगे।
  • इस क्षेत्र में रोजगार सम्पूर्ण भारत में प्राप्त किए जा सकते हैं और श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन, इंडोनेशिया, वियतनाम, मिन जैसे परिधान निर्माण करने वाले देशों में भी रोजगार उपलब्ध हैं।
Prasanna
Last Updated on July 21, 2022, 3:01 p.m.
Published July 20, 2022