RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

Rajasthan Board RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव  Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1. 
होलोकॉस्ट क्या है? 
(अ) बँटवारा  
(ब) संघर्ष
(स) मित्रता 
(द) संगठन। 
उत्तर:
(अ) बँटवारा  

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव  

प्रश्न 2. 
निम्न में से किस वर्ष लखनऊ समझौता हुआ
(अ) 1912 में 
(ब) 1909 में 
(स) 1916 में  
(द) 1922 में। 
उत्तर:
(स) 1916 में  

प्रश्न 3. 
शुद्धि आन्दोलन का सम्बन्ध 
(अ) आर्य समाज से  
(ब) ब्रह्म समाज से 
(स) हिन्दू सुधार से 
(द) तकनीक से। 
उत्तर:
(अ) आर्य समाज से  

प्रश्न 4. 
मुस्लिम लीग की स्थापना हुई थी
(अ) 1904 में 
(ब) 1906 में
(स) 1912 में 
(द) 1984 में। 
उत्तर:
(ब) 1906 में

प्रश्न 5. 
प्रान्तीय संसदों के गठन के लिए पहली बार चुनाव कब कराए गए?
(अ) 1937 में 
(ब) 1939 में 
(स) 1940 में 
(द) 1944 में। 
उत्तर:
(अ) 1937 में 

प्रश्न 6. 
हिन्दू महासभा की स्थापना हुई थी
(अ) 1911 में 
(ब) 1915 में 
(स) 1920 में । 
(द) 1921 में। 
उत्तर:
(ब) 1915 में 

प्रश्न 7. 
'पाकिस्तान' शब्द सर्वप्रथम किसने गढ़ा था?
(अ) मोहम्मद इकबाल 
(ब) मौलाना आजाद 
(स) चौधरी रहमत अली 
(द) मोहम्मद अली जिन्ना। 
उत्तर:
(स) चौधरी रहमत अली 

प्रश्न 8. 
मुस्लिम लीग ने स्वयं को मुस्लिम मतदाताओं के बीच सबसे प्रभुत्वशाली पार्टी के रूप में कब स्थापित किया?
(अ) 1940 में 
(ब) 1942 में 
(स) 1945 में 
(द) 1946 में। 
उत्तर:
(द) 1946 में। 

प्रश्न 9.
अभिकथन (A) : कांग्रेस पार्टी ने 'दो राष्ट्र सिद्धान्त' को कभी स्वीकार नहीं किया था, जब उसे अपनी इच्छा के विरुद्ध बँटवारे पर मंजूरी देनी पड़ी। 
कारण (R): भारत बहुत सारे धर्मों और बहुत सारी जातियों का देश है और उसे ऐसे ही बनाए रखना चाहिए। उपर्युक्त अभिकथन (A) और कारण (R) का अध्ययन कीजिए और बताइए कि निम्नलिखित में से कौन-सा सही
(अ) (A) सही है, परन्तु (R) सही नहीं है। 
(ब) (A) सही नहीं है, परन्तु (R) सही है।
(स) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है। 
(द) (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है। 
उत्तर:
(स) (A) और (R) दोनों सही हैं और (R), (A) की सही व्याख्या है। 

प्रश्न 10. 
द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त दिया था
(अ) चौधरी रहमत अली ने 
(ब) मोहम्मद अली जिन्ना ने 
(स) महात्मा गाँधी ने 
(द) उपर्युक्त सभी ने। 
उत्तर:
(ब) मोहम्मद अली जिन्ना ने 

प्रश्न 11. 
"लव इज स्ट्रांगर देन हेट, ए रिमेम्बरेंस ऑफ 1947" नामक संस्मरण के लेखक हैं
(अ) डॉ. खुशदेव सिंह
(ब) डॉ. रवीन्द्र 
(स) जिन्ना
(द) महात्मा गाँधी।
उत्तर:
(अ) डॉ. खुशदेव सिंह

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

सुमेलित प्रश्न 

प्रश्न 1. 
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए 

खण्ड 'क'

खण्ड 'ख'

(राजनीतिक दल)

(स्यापना वर्ष)

(1) हिन्दू महासभा

1906 ई.

(2) मुस्लिम लीग

1939 ई.

(3) कम्युनिस्ट पार्टी

1921 ई.

(4) फॉरवर्ड ब्लॉक

1915 ई.।

उत्तर:

खण्ड 'क'

A

(राजनीतिक दल)

खण्ड 'ख'

(1) हिन्दू महासभा

(स्थापना वर्ष)

(2) मुस्लिम लीग

1915 ई.

(3) कम्युनिस्ट पार्टी

1906 ई.

(4) फॉरवर्ड ब्लॉक

1921 ई.


प्रश्न 2. 
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए 

खण्ड 'की

खण्ड 'ख'

(घटना)

(वर्ष)

(1) भारत छोड़ो आन्दोलन

1937 ई.

(2) कैबिनेट मिशन भारत पहुँचा

16 अगस्त, 1946 ई.

(3) प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस

1946 ई.

(4) प्रान्तीय चुनाव

1942 ई.।

उत्तर:

खण्ड 'की

A

(घटना)

खण्ड 'ख'

(1) भारत छोड़ो आन्दोलन

(वर्ष)

(2) कैबिनेट मिशन भारत पहुँचा

1942 ई.

(3) प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस

1946 ई.

(4) प्रान्तीय चुनाव

16 अगस्त, 1946 ई.


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
भारत विभाजन के समय साम्प्रदायिक दंगों के लिए किन-किन शब्दों का प्रयोग हुआ? 
उत्तर:
मांशल ला (मार्शल लॉ), मारामारी, रौला या हुल्लड़ आदि। 

प्रश्न 2. 
भारत विभाजन को समकालीन प्रेक्षक एवं विद्वान महाध्वंस क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
विभाजन के समय हुए भयानक व सामूहिक नरसंहार के कारण।

प्रश्न 3. 
भारत के बँटवारे के दौरान के महाध्वंस व यूरोप के नात्सी महाध्वंस में क्या अन्तर है ?
अथवा 
जर्मन होलोकॉस्ट और भारत के विभाजन में क्या अन्तर था?

उत्तर:
भारत के बँटवारे के दौरान का महाध्वंस धार्मिक समुदायों के स्वयंभू प्रतिनिधियों की कारगुजारी था, जबकि यूरोपीय (जर्मन) महाध्वंस सरकारी निकायों की कारगुजारी थी।

प्रश्न 4.
"औपनिवेशिक भारत में हिन्दू और मुसलमान दो पृथक राष्ट्र थे।" इतिहासकारों के अनुसार यह समझ किसकी थी?
उत्तर:
मोहम्मद अली जिन्ना की। 

प्रश्न 5. 
लखनऊ समझौता कब व किसके मध्य हुआ था ? 
उत्तर:
लखनऊ समझौता दिसम्बर, 1916 में कांग्रेस व मुस्लिम लीग के मध्य हुआ था। 

प्रश्न 6. 
आर्य समाज का मुख्य नारा क्या था ?
उत्तर:
'वेदों की ओर लौटो'। 

प्रश्न 7. 
साम्प्रदायिकता क्या है ? उत्तर–साम्प्रदायिकता उस राजनीति को कहा जाता है जो धार्मिक सम्प्रदायों के मध्य विरोध व झगड़े पैदा करती है। प्रश्न 8. मुस्लिम लीग की कब व कहाँ स्थापना हुई ?
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 ई. में ढाका (वर्तमान बांग्लादेश) में हुई थी। 

प्रश्न 9. 
1937 ई. के प्रान्तीय चुनावों में मुस्लिम लीग कांग्रेस के साथ मिलकर कहाँ सरकार बनाना चाहती थी ? 
उत्तर:
संयुक्त प्रान्त (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में। 

प्रश्न 10. 
1937 ई. के प्रान्तीय चुनावों में जिन्ना की क्या जिद थी ? 
उत्तर:
1937 ई. के प्रान्तीय चुनावों में जिन्ना की जिद थी कि स्लिम लीग को ही मुसलमानों का एकमात्र प्रवक्ता माना जाए। 

प्रश्न 11. 
1937 ई. के चुनावों के समय किन-किन प्रान्तों में मुस्लिम लीग का सामाजिक आधार कमजोर था ? 
उत्तर:
(i) बंगाल, 
(ii) उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त, 
(iii) पंजाब तथा 
(iv) सिंध। 

प्रश्न 12. 
हिन्दू महासभा की स्थापना कब हुई थी? 
उत्तर:
1915 ई. में। 

प्रश्न 13. 
मुस्लिम लीग ने भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए कुछ स्वायत्तता की माँग का प्रस्ताव कब पेश किया था ? 
उत्तर:
23 मार्च, 1940 को। 

प्रश्न 14. 
'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा' गीत किंसने लिखा था ? उत्तर-मोहम्मद इकबाल ने। 

प्रश्न 15. 
सर्वप्रथम उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में मुस्लिम राज्य की माँग किसने की थी ?
उत्तर:
मोहम्मद इकबाल ने। 

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

प्रश्न 16. 
कौन-कौन से नेता अंत तक भारत विभाजन का विरोध करते रहे ?  
उत्तर:

  1. महात्मा गाँधी तथा 
  2. खान अब्दुल गफ्फार खान।। 

प्रश्न 17. 
सीमांत गाँधी किसे कहा जाता है ?
उत्तर:
खान अब्दुल गफ्फार खान को। 

प्रश्न 18. 
मार्च, 1947 में कांग्रेस हाईकमान ने किस प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की ? उत्त-पंजाब को मुस्लिम बहुल एवं हिन्दू-सिख बहुल दो हिस्सों में बाँटने के प्रस्ताव को। 

प्रश्न 19. 
नोआखली वर्तमान में किस देश में स्थित है ?
उत्तर:
बांग्लादेश में। 

प्रश्न 20.
"अनशन का प्रभाव आसमान की बिजली जैसा रहा।" गाँधीजी के अनशन के विषय में यह मत किसने दिया था? उत्तर-मौलाना आजाद ने।

प्रश्न 21. 
1971 में बंगाली मुसलमानों द्वारा पाकिस्तान से अलग होने का फैसला लेकर जिन्ना के किस सिद्धान्त को नकार दिया गया था ?
उत्तर:
द्विराष्ट्र सिद्धान्त को।


प्रश्न 22. 
मौखिक इतिहास का कोई एक लाभ बताइए।
उत्तर:
इससे इतिहास निर्माण में सुगमता प्राप्त होती है। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1. 
लखनऊ समझौते के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
लखनऊ समझौता दिसम्बर, 1916 ई. में कांग्रेस और मुस्लिम लीग के मध्य हुआ था जो दोनों दलों के मध्य आपसी तालमेल को दर्शाता था। इस समझौते के तहत कांग्रेस ने पृथक निर्वाचन क्षेत्रों को स्वीकारा तथा इस समझौते ने कांग्रेस के मध्यमार्गियों, उग्रपंथियों एवं मुस्लिम लीग के लिए एक संयुक्त राजनीतिक मंच प्रदान किया।

प्रश्न 2. 
1920 व 1930 ई. के दशकों में कौन-कौन से मुद्दे हिन्दू व मुसलमानों के मध्य तनाव का कारण बने ? 
उत्तर:
मुसलमानों को मस्जिद के सामने संगीत, गौ-रक्षा आन्दोलन एवं आर्य समाज के शुद्धि के प्रयास (नव मुसलमानों को पुनः हिन्दू बनाना) जैसे मुद्दों पर क्रोध आया, वहीं दूसरी ओर हिन्दू 1923 ई. के पश्चात् मुसलमानों के तबलीग (प्रचार) एवं तंजीम (संगठन) के विस्तार से उत्तेजित हुए। यही मुद्दे दोनों समुदायों के मध्य तनाव का कारण बने।

प्रश्न 3. 
मुस्लिम लीग के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 ई. में ढाका में की गयी। शीघ्र ही इसने अलीगढ़ के मुस्लिम संभ्रांत वर्ग में अपना प्रभाव बढ़ा लिया। 1940 के दशक में इस दल ने भारतीय उपमहाद्वीप के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की स्वायत्तता तथा पाकिस्तान निर्माण की मांग करना प्रारम्भ कर दिया तथा अन्त में भारत को विभाजित कर पाकिस्तान का निर्माण करवाया।

प्रश्न 4: 
1937 ई. में मौलाना आजाद ने कांग्रेस की निरपेक्षता की नीति पर क्या सवाल उठाया था ?
उत्तर:
1937 ई. में मौलाना आजाद ने यह सवाल उठाया था कि कांग्रेस के सदस्यों को मुस्लिम लीग में सम्मिलित होने की छूट तो नहीं है लेकिन हिन्दू महासभा में सम्मिलित होने की छूट है। 

प्रश्न.5. 
उर्दू कवि मोहम्मद इकबाल का उत्तरी-पश्चिमी भारतीय मुस्लिम राज्य से क्या आशय था ?
अथवा
1930 ई. के मुस्लिम लीग के अधिवेशन में मोहम्मद इकबाल ने क्या माँग की थी?
उत्तर:
1930 ई. में मुस्लिम लीग के अधिवेशन में अध्यक्षीय भाषण देते हुए उर्दू कवि मोहम्मद इकबाल ने एक उत्तरी-पश्चिमी भारतीय मुस्लिम राज्य की आवश्यकता पर जोर दिया था, परन्तु इस भाषण में इकबाल एक नए देश के उदय पर नहीं बल्कि पश्चिमोत्तर भारत में मुस्लिम बहुल इलाकों को भारतीय संघ के भीतर एक स्वायत्त इकाई की स्थापना पर जोर दे रहे थे।

प्रश्न 6. 
यूनियनिस्ट पार्टी क्या थी? इसके प्रमुख नेता का नाम बताइए।
उत्तर:
यूनियनिस्ट पार्टी पंजाब में हिन्दू, मुस्लिम एवं सिख भूस्वामियों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली राजनीतिक पार्टी थी। यह पार्टी 1923 से 1947 ई. के मध्य बहुत अधिक शक्तिशाली थी। इस पार्टी के प्रमुख नेता, सिकन्दर हयात खान थे जो पंजाब के प्रधानमन्त्री भी रहे थे। 

प्रश्न 7. 
1946 में हुए प्रान्तीय चुनावों के किन्हीं दो परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. कांग्रेस ने 91.3 प्रतिशत गैर-मुस्लिम वोट हासिल कर सामान्य सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की। 
  2. मुस्लिम लीग ने मध्य प्रान्त में मुसलमानों के लिए आरक्षित सभी 30 सीटें जीतीं। 

प्रश्न 8. 
कैबिनेट मिशन प्लान के किन्हीं दो परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. एक ढीले-ढाले त्रिस्तरीय महासंघ का सुझाव। 
  2. संविधान सभा का चुनाव करते हुए मौजूदा प्रान्तीय सभाओं को तीन हिस्सों में समूहबद्ध करना। 

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

प्रश्न 9. 
विभाजन के लिए भारत को कितने भागों में वर्गीकृत किया गया था ? नाम लिखिए। उत्तर-विभाजन के लिए भारत को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया, जो निम्नलिखित हैं

  1. समूह 'क'-हिन्दू बहुल प्रान्त 
  2. समूह 'ख'-पश्चिमोत्तर मुस्लिम बहुल प्रान्त 
  3. समूह 'ग'-असम सहित पूर्वोत्तर के मुस्लिम बहुल प्रान्त। 

प्रश्न 10. 
कैबिनेट मिशन योजना से अपना समर्थन वापस लेने के पश्चात् मुस्लिम लीग ने क्या कार्यवाही की ?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन योजना से अपना समर्थन वापस लेने के पश्चात् मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की अपनी माँग को वास्तविकता प्रदान करने के लिए 16 अगस्त, 1946 को प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाने का फैसला किया।

प्रश्न 11. 
मार्च, 1947 ई. से लगभग पूरे वर्ष तक रक्तपात क्यों चलता रहा ?
उत्तर:
मार्च 1947 से अविभाजित भारत में शासन संस्थाएँ बिखर चुकी थीं तथा शासन तंत्र पूरी तरह नष्ट हो चुका था। अंग्रेज अधिकारी किसी भी प्रकार के फैसले लेना नहीं चाहते थे। भारतीय दलों के प्रमुख नेता स्वतंत्रता के बारे में जारी वार्ताओं में व्यस्त थे। भारतीय सिपाही और पुलिस वाले भी हिन्दू एवं मुसलमान के रूप में आचरण कर रहे थे। किसी को भी पता नहीं था कि सत्ता किसके हाथ में है। इस कारण मार्च 1947 से लगभग पूरे वर्ष तक रक्तपात चलता रहा।

प्रश्न 12. 
अक्टूबर, 1946 में महात्मा गाँधी पूर्वी बंगाल में क्या कर रहे थे ?
उत्तर:
अक्टूबर, 1946 में पूर्वी बंगाल के मुसलमान, हिन्दुओं को अपना निशाना बना रहे थे। गाँधीजी पैदल गाँव-गाँव पहुँचे एवं स्थानीय मुसलमानों को समझाया कि वे हिन्दुओं की रक्षा करें। ऐसा ही दूसरे स्थानों पर गाँधीजी ने किया।

प्रश्न 13: 
उर्वशी बुटालिया ने अपनी पुस्तक 'द अदर साइड ऑफ वायलेंस' में किस घटना का वर्णन किया है ?
उत्तर:
उर्वशी बुटालिया ने अपनी पुस्तक 'द अदर साइड ऑफ वायलेंस' में रावलपिण्डी जिले के थुआ खालसा गाँव की दद्रनाक घटना का वर्णन किया जहाँ 90 महिलाओं ने शत्रुओं से बचने के लिए स्वयं कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी थी।

प्रश्न 14. 
आपकी नजर में भारत-विभाजन के लिए उत्तरदायी मुख्य तत्व कौन-कौन से हैं ? बिन्दुवार लिखिए।
उत्तर:

  1. अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति, 
  2. मुस्लिम लीग की स्वार्थ की नीति, 
  3. जिन्ना का द्वि-राष्ट्रीय सिद्धान्त, 
  4. सत्तापरक काँग्रेसी नेताओं की नीतियाँ तथा 
  5. काँग्रेस की समझौतावादी नीतियाँ।

प्रश्न 15. 
मौखिक इतिहास के प्रमुख लाभों का संक्षिप्त विवरण दीजिए। उत्तर-मौखिक इतिहास के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं

  1. यह लोगों के अनुभव व्यक्तिगत रूप से बताता है। 
  2. व्यक्तियों की भावनाओं तथा संवेदनाओं का प्रत्यक्ष रूप से ज्ञान प्राप्त होता है। 
  3. इससे इतिहास निर्माण में सुगमता प्राप्त होती है।
  4. इससे इतिहासकारों को बहुरंगी तथा सजीव वृत्तान्त लिखने में अत्यधिक सहायता मिलती है। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2)

प्रश्न.1. 
"बँटवारे के समय हुई हिंसा से पीड़ित लोग तिनकों में अपनी जिन्दगी दोबारा खड़ी करने के लिए मजबूर हो गये।" इस कथन के सन्दर्भ में एक मार्मिक चित्रण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा 
"1947 का भारत विभाजन एक महाध्वंस था।" उपर्युक्त कथन की उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए। उत्तर-1947 का भारत विभाजन एक महाध्वंस था। यह निम्न उदाहरणों द्वारा स्पष्ट है

  1. भारत विभाजन में कई लाख लोग मारे गये और न जाने कितनी महिलाओं का बलात्कार एवं अपहरण हुआ। 
  2. करोड़ों लोग उजड़ गये तथा कुछ लोग रातों-रात अजनबी जमीन पर शरणार्थी बनकर रह गए।
  3. लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को भारत और पाकिस्तान के मध्य रातों-रात खड़ी कर दी गई सीमा के इस पार या उस पार जाना पड़ा। जैसे ही उन्होंने इस 'छाया सीमा' से ठोकर खाई, वे बेघर हो गये।
  4. पलक झपकते ही उनकी धन-सम्पत्ति हाथ से जाती रही।
  5. उनके घर-परिवार, मित्र एवं रिश्तेदार बिछुड़ गये। वे अपने मकानों, खेतों एवं कारोबार से वंचित हो गए तथा बचपन की यादें उनसे छीन ली गयीं।
  6. अपनी स्थानीय एवं क्षेत्रीय संस्कृतियों से वंचित, ये लोग पुनः अपनी जिन्दगी खड़ी करने के लिए मजबूर हो गए। 

प्रश्न 2. 
कारण दीजिए कि भारत और पाकिस्तान के मध्य रिश्तों की दरार अभी तक नहीं भर पाई है ? 
उत्तर:
भारत में पाकिस्तान से एवं पाकिस्तान में भारत से घृणा करने वाले दोनों ही समुदाय बँटवारे की उपज हैं। कई बार गलतफहमी में लोग यह मान लेते हैं कि भारतीय मुसलमानों की वफादारी पाकिस्तान के साथ है। उनकी कही गई गैर-भारतीय, अखिल इस्लामी धारणा के पीछे और भी कई कारण जुड़े हुए हैं, जैसे-मुसलमान क्रूर व कट्टर होते हैं तथा हिन्दू उदार व दयालु होते हैं। इसी प्रकार कुछ पाकिस्तानियों में भी यह रूढ़ छवि विद्यमान है कि मुसलमान निष्पक्ष, बहादुर, एकेश्वरवादी एवं माँसाहारी होते हैं, जबकि हिन्दू कायर, बहुईश्वरवादी एवं शाकाहारी होते हैं। विभाजन ने ऐसी स्मृतियों, घृणाओं, छवियों एवं पहचानों को बल दिया है कि आज भी लोगों के दिलों से नफरत साफ नहीं हो पायी है। इतिहासकार इन धारणाओं में विद्यमान गलतफहमियों की बार-बार आलोचना करते रहे हैं फिर भी दोनों ही देशों में घृणा के ये स्वर शान्त होने का नाम नहीं ले रहे हैं।

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

प्रश्न 3. 
"अंग्रेजों द्वारा 1909 ई. में मुसलमानों के लिए बनाए गए पृथक चुनाव क्षेत्रों का साम्प्रदायिक राजनीति की प्रकृति पर गहरा प्रभाव पड़ा।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
कुछ विद्वानों का तर्क है कि अंग्रेजों द्वारा 1909 ई. में मुसलमानों के लिए बनाए गए पृथक चुनाव क्षेत्रों (जिनका 1919 में विस्तार किया गया) का साम्प्रदायिक राजनीति की प्रकृति पर गहरा प्रभाव पड़ा। पृथक चुनाव क्षेत्रों की व्यवस्था से मुसलमान विशेष चुनाव क्षेत्रों में अपने प्रतिनिधि चुन सकते थे। इस व्यवस्था में राजनेताओं को लालच रहता था कि वे सामुदायिक नारों का प्रयोग करें एवं अपने धार्मिक समुदाय के व्यक्तियों को अनुचित लाभ पहुँचाएँ। इसी प्रकार से उभरती हुई आधुनिक राजनीतिक व्यवस्था में धारि अस्मिताओं का सक्रिय प्रयोग होने लगा। चुनावी राजनीति ने इन अस्मिताओं को अधिक गहरा व मजबूत किया। अब सामुदायिक अस्मिताओं का सम्बन्ध केवल विश्वास एवं आस्था के अन्तर से नहीं था बल्कि अब धार्मिक अस्मिताएँ समुदायों के मध्य बढ़ रहे विरोधों से जुड़ गईं। यद्यपि भारतीय राजनीति पर पृथक चुनाव क्षेत्रों का बहुत प्रभाव पड़ा। फिर भी यह कहना ठीक नहीं है कि बँटवारा पृथक चुनाव क्षेत्रों की प्रत्यक्ष देन था।

प्रश्न 4. 
साम्प्रदायिकता का क्या अर्थ है ? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
सामान्यतः साम्प्रदायिकता उस राजनीति को कहा जाता है जो धार्मिक समुदायों के मध्य विरोध एवं झगड़े उत्पन्न करती है। ऐसी राजनीति धार्मिक पहचान को बुनियादी तथा अटल मानती है। साम्प्रदायिक नेताओं का यह प्रयास रहता है कि धार्मिक पहचान को अधिक से अधिक मजबूत बनाया जाये। वे इसे एक स्वाभाविक अस्मिता मानकर इस प्रकार देखते हैं कि मानो लोग इसी पहचान को लेकर जन्मे हों, मानो अस्मिताएँ इतिहास तथा समय के दौर से गुजरते हुए परिवर्तित नहीं हुए हैं। ___ साम्प्रदायिकता किसी भी समुदाय में एकता उत्पन्न करने के लिए आन्तरिक मतभेदों को दबाती है, उस समुदाय की एकता पर जोर देती है और उस समुदाय को किसी-न-किसी अन्य समुदाय के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है।

प्रश्न 5. 
1937 में संयुक्त प्रान्त में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के गठबन्धन सरकार बनाने के प्रस्ताव को क्यों अस्वीकार कर दिया ?
उत्तर:
1937 ई. में संयुक्त प्रान्त में कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के गठबन्धन सरकार बनाने के प्रस्ताव को निम्नलिखित कारणों से अस्वीकार कर दिया

  1. संयुक्त प्रान्त में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो गया था, अतः कांग्रेस को बहुमत के लिए दूसरे दलों के साथ गठबन्धन की आवश्यकता नहीं थी।
  2. मुस्लिम लीग मुसलमानों की एकमात्र प्रवक्ता होने पर बल दे रही थी, जबकि कांग्रेस को यह बात स्वीकार नहीं थी। 
  3. मुस्लिम लीग जमींदारी प्रथा का समर्थन करती हुई प्रतीत होती थी, जबकि कांग्रेस उसको समाप्त करना चाहती थी। 
  4. (iv) मुस्लिम लीग केवल मुस्लिम धर्म के हितों तक ही सीमित थी, जबकि कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करती थी। 

प्रश्न 6. 
कैबिनेट मिशन भारत क्यों आया? इसके प्रमुख सुझाव क्या थे ?
अथवा 
कैबिनेट मिशन के त्रिस्तरीय महासंघ सुझावों का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा 
कैबिनेट मिशन के प्रावधानों का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
1946 के कैबिनेट मिशन के प्रावधानों का विश्लेषण कीजिए। 
उत्तर:
कैबिनेट मिशन मार्च 1946 ई. में मुस्लिम लीग की पाकिस्तान के निर्माण की माँग का अध्ययन करने एवं स्वतन्त्र भारत के लिए एक उचित राजनीतिक रूपरेखा सुझाने के लिए दिल्ली आया। तीन सदस्यीय इस प्रतिनिधिमण्डल ने लगभग तीन महीने तक भारत का दौरा कर अग्रलिखित सुझाव दिए

  1. भारत एक ढीला-ढाला त्रिस्तरीय महासंघ होगा जिसमें भारत एकीकृत रहेगा लेकिन इसकी केन्द्रीय सरकार बहुत कमजोर होगी जिसके पास रक्षा, विदेश एवं संचार का ही विषय होगा।
  2. संविधान सभा का चुनाव करते हुए तत्कालीन प्रान्तीय समाजों को तीन भागों में समूहबद्ध किया जाना था; यथा- हिन्दू बहुल प्रान्तों को समूह 'क', पश्चिमोत्तर मुस्लिम बहुल प्रान्तों को समूह 'ख' एवं असम सहित पूर्वोत्तर के मुस्लिम बहुल प्रान्तों को समूह 'ग' में रखा गया था।
  3. प्रान्तों के इन खण्डों या समूहों को आपस में मिलाकर क्षेत्रीय इकाइयों का गठन किया जाना था। माध्यमिक स्तर की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियाँ ब्रिटिश सरकार ने अपने पास ही रखीं। 

प्रश्न 7. 
मुहम्मद अली जिन्ना के पाकिस्तान के विचार का विरोध करते हुए महात्मा गाँधी ने क्या तर्क दिये थे ?
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने कहा था कि विभाजन से किसी को भी लाभ नहीं होगा। विभाजन से न केवल भारत खण्डित होगा बल्कि सदियों से भारत में रह रहे हिन्दू-मुसलमानों की एकता भी खण्डित होगी। भारत के विभाजन से अंग्रेज अपने प्रयासों में सफल हो जायेंगे। इससे लोगों को अत्यधिक कष्टों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए भारत विभाजन किसी के भी हित में नहीं है, न हिन्दुओं के तथा न ही मुस्लिमों के, परन्तु जिन्ना ने महात्मा गाँधी की बात नहीं मानी तथा अपनी जिद पर अड़े रहे।

प्रश्न 8. 
औरतों की बरामदगी पर संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
हमारे आधुनिक इतिहासकार लगभग पिछले चार दशकों से विभाजन के समय हुई गतिविधियों की गहन जाँच-पड़ताल कर रहे हैं। अनेक विद्वानों ने उस हिंसक काल में औरतों के साथ हुए भयानक अनुभवों का वर्णन किया है। उनके साथ बलात्कार हुए, उनको अगवा किया गया, उन्हें बार-बार बेचा तथा खरीदा गया, अनजान हालात में अजनबियों के साथ एक नयी जिन्दगी बसर करने के लिये मजबूर किया गया। औरतों ने जो कुछ भुगता था उस सदमे से उबरने के उपरान्त बदले हुए हालात में कुछ औरतों ने अपने नए पारिवारिक सम्बन्ध विकसित किए, किन्तु भारत तथा पाकिस्तान की सरकारों ने इन्सानी सम्बन्धों की जटिलता के विषय में कोई संवेदनशील रवैया नहीं अपनाया। ऐसी अनेक औरतें जबरन घर बिठा ली गईं, ये मानते हुए कि उन्हें उनके नए परिवारों से छीनकर पुनः पुराने परिवारों अथवा स्थानों पर भेज दिया गया। जिन औरतों के विषय में निर्णय लिए जा रहे थे उनसे इस बारे में सलाह भी नहीं ली गयी। अपनी जिन्दगी के विषय में फैसला लेने के उनके अधिकार को एक बार पुनः नजरअन्दाज कर दिया गया। एक अनुमान के अनुसार इस अभियान में लगभग 30,000 औरतों को बरामद किया गया जिनमें से 22,000 मुस्लिम औरतों को भारत से तथा 8,000 हिन्दू, सिन्धी तथा पंजाबी औरतों को पाकिस्तान से निकाला गया। यह अभियान 1954 ई. तक चला।

प्रश्न 9. 
आप विभाजन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार किसे मानते हैं?
उत्तर: 
भारत के विभाजन में सभी का योगदान था। कांग्रेस, भारतीय नेता, जिन्ना, अंग्रेज आदि का विभाजन में योगदान था, परन्तु यदि हम विभाजन के लिए सबसे प्रमुख कारण की तलाश करें तो निःसन्देह यह कहा जा सकता है कि अंग्रेजों की 'फूट डालो और राज करो की नीति', मुस्लिम लीग की हठधर्मी तथा जिन्ना का स्वार्थ भारत विभाजन के लिए सबसे अधिक उत्तरदायी कारण

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

प्रश्न 10. 
क्या भारत विभाजन को रोका जा सकता था ?
उत्तर:
हाँ, भारत विभाजन को रोका जा सकता था। यदि मोहम्मद अली जिन्ना अपने स्वार्थों से ऊपर उठकर सोचते, वे यह सोचते कि भारत में सदियों से मिलजुलकर रह रहे हिन्दू तथा मुसलमान एक-दूसरे के शत्रु न होकर भाई हैं, वे यह सोचते कि भारतीय मुसलमानों के हित भारत में भी उतने ही सुरक्षित हैं जितने विभाजन के पश्चात् पाकिस्तान में होंगे तो निःसन्देह यह विभाजन रोका जा सकता था। अंग्रेज सरकार लाख कोशिशों के बावजूद भी भारतीय लोगों की एकता को नहीं तोड़ पाती, परन्तु जिन्ना के स्वार्थ तथा हठधर्मिता ने अन्ततः भारत का विभाजन करके छोड़ा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
साम्प्रदायिकता से क्या आशय है ? क्या भारत-पाक बँटवारा प्रत्यक्ष रूप से साम्प्रदायिक तनावों का परिणाम था ? विस्तार से बताइए।
अथवा 
उन घटनाओं को स्पष्ट कीजिए जिनके परिणामस्वरूप साम्प्रदायिक राजनीति और भारत का विभाजन हुआ।
उत्तर:
साम्प्रदायिकता से आशय-साम्प्रदायिकता उस राजनीति को कहा जाता है जो धार्मिक समुदायों के मध्य विरोध एवं झगड़े उत्पन्न करती है। ऐसी राजनीति धार्मिक पहचान को बुनियादी एवं अटल मानती है। साम्प्रदायिक ताकतों का यह प्रयास रहता है कि धार्मिक पहचान को अधिक से अधिक मजबूत बनाया जाये। वे इसे एक स्वाभाविक अस्मिता मानकर इस प्रकार देखते हैं कि मानो लोग ऐसी पहचान को लेकर जन्मे हों। मानो अस्मिताएँ इतिहास एवं समय के दौर से गुजरते हुए परिवर्तित नहीं हुई हैं। साम्प्रदायिकता किसी भी समुदाय में एकता उत्पन्न करने के लिए आन्तरिक मतभेदों को दबाती है, उस समुदाय की एकता पर जोर देती है तथा उस समुदाय को किसी न किसी अन्य समुदाय के विरुद्ध लड़ने के लिए बढ़ावा मिलता है। यह भी कहा जा सकता है कि साम्प्रदायिकता किसी चिह्नित 'गैर' के विरुद्ध घृणा की नीति को घोषित करती है। मुस्लिम साम्प्रदायिकता हिन्दुओं को गैर बताकर उनका विरोध करती है तथा इसी प्रकार हिन्दू साम्प्रदायिकता मुसलमानों को गैर समझकर उनके विरुद्ध गतिविधियाँ करती है। इस पारस्परिक घृणा से हिंसा की राजनीति को अधिक प्रोत्साहन प्राप्त होता है। भारत-पाक बँटवारा और साम्प्रदायिक तनाव-कुछ इतिहासकार भारत-पाक बँटवारे को साम्प्रदायिक तनाव का प्रत्यक्ष परिणाम बताते हैं। इसके समर्थन में उनके द्वारा निम्नलिखित तर्क दिए जाते हैं
(i) हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों की निरन्तरता का इतिहास-कुछ इतिहासकार इस बात पर बल देते हैं कि सन् 1947 ई. की घटनाएँ मध्य एवं आधुनिक युगों में हुए हिन्दू-मुस्लिम झगड़ों के लम्बे इतिहास से बारीकी से जुड़ी हुई हैं।

(ii) पृथक चुनाव क्षेत्र की साम्प्रदायिक राजनीति-कुछ विद्वान यह मत प्रकट करते हैं कि देश का बँटवारा एक ऐसी साम्प्रदायिक राजनीति का अन्तिम बिन्दु था जो 1909 ई. में मुसलमानों के लिए बनाये गये चुनाव क्षेत्रों की साम्प्रदायिक राजनीति से प्रारम्भ हुआ था। पृथक चुनाव क्षेत्रों की वजह से मुसलमान विशेष चुनाव क्षेत्रों में अपने प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकते थे। इस व्यवस्था में राजनीतिज्ञों ने सामुदायिक नारों का प्रयोग किया तथा अपने धार्मिक समुदाय के व्यक्तियों को नाजायज तरीके से लाभ पहुँचाने की कोशिश की जिससे धार्मिक अस्मिताओं का क्रियाशील प्रयोग होने लगा। इस प्रकार साम्प्रदायिक राजनीति ने इन धार्मिक अस्मिताओं को बहुत अधिक गहरा एवं मजबूत किया। धार्मिक अस्मिताएँ समुदायों के बीच हो रहे विरोधों से जुड़ गईं। यद्यपि भारतीय राजनीति पर यह पृथक चुनाव क्षेत्रों का पर्याप्त प्रभाव रहा है लेकिन यह मानना तर्कसंगत नहीं है कि बँटवारा पृथक चुनाव क्षेत्रों की प्रत्यक्ष देन है। हाँ, इनकी अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका को नकारा नहीं जा सकता।

(iii) 1920 व 1930 के दशक में बढ़ते साम्प्रदायिक तनाव- कुछ इतिहासकारों का मत है कि 1920 व 1930 के दशकों में कई घटनाओं की वजह से हिन्दू और मुसलमानों में तनाव उत्पन्न हुआ। ऐसी घटनाओं में मुसलमानों को मस्जिद के सामने संगीत, गौ-रक्षा आन्दोलन तथा आर्य समाज की शुद्धि की कोशिशों जैसे मुद्दों पर गुस्सा आया तो हिन्दू 1923 ई. के पश्चात् मुस्लिम संगठनों के प्रचार तथा विस्तार से उत्तेजित हुए। जैसे-जैसे मध्यवर्गीय प्रचारक तथा साम्प्रदायिक कार्यकर्ता अपने समुदायों के लोगों को दूसरे समुदाय के खिलाफ एकजुट करते हुए अधिक एकजुटता बनाने लगे वैसे-वैसे ही देश के विभिन्न भागों में दंगे फैलते गये तथा समुदायों के मध्य भेदभाव गहरे होते गए। भारत-पाक बँटवारा प्रत्यक्ष रूप से साम्प्रदायिक तनावों का परिणाम है। इन सबके बावजूद यह कहना गलत है कि बँटवारा केवल सीधे-सीधे बढ़ते हुए साम्प्रदायिक तनावों की वजह से हुआ क्योंकि साम्प्रदायिक तनाव तो 1947 ई. से पहले भी था पर इसके कारण लाखों लोगों के घर नहीं उजड़े। हिन्दू-मुसलमान दोनों समुदायों में झगड़ों का इतिहास मेलजोल के लम्बे इतिहास के साथ-साथ चला है। हिन्दू-मुसलमानों में एक तरह के सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी रहे हैं। पहले की साम्प्रदायिक राजनीति एवं विभाजन में गुणात्मक अन्तर है। बैंटवारे के पीछे ब्रिटिश शासन के आखिरी दशक की घटनाएँ उत्तरदायी रही हैं। 

प्रश्न 2. 
1937 ई. के प्रान्तीय संसदों के चुनावों के परिणामों एवं प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा 
1937 में प्रान्तीय चुनाव व कांग्रेस की भूमिका पर एक लेख लिखिए।
अथवा 
1937 के प्रान्तीय चुनावों के परिणामों की परख कीजिए और कांग्रेस मंत्रालयों और मुस्लिम लीग की इनमें भूमिका की भी जाँच कीजिए।
उत्तर:
1937 ई. के प्रान्तीय संसदों के चुनावों के परिणाम-अविभाजित भारत में प्रान्तीय संसदों के गठन के लिए सन् 1937 में प्रथम बार चुनाव कराये गये जिनमें मताधिकार मात्र 10 से 12 प्रतिशत लोगों को ही प्राप्त था। इन चुनावों में कांग्रेस को एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई। कांग्रेस ने 11 में से 5 प्रान्तों में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया तथा 7 प्रान्तों में अपनी सरकारों का निर्माण किया। लेकिन मुसलमानों के लिए आरक्षित चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रदर्शन आशा के अनुरूप नहीं रहा। इन्हीं प्रान्तों में मुस्लिम लीग का प्रदर्शन भी अच्छा नहीं रहा क्योंकि उसे इस चुनाव में सम्पूर्ण मुस्लिम वोट का मात्र 4.4 प्रतिशत ही हिस्सा प्राप्त हो पाया। उत्तर-पश्चिम सीमा प्रान्त में मुस्लिम लीग को एक भी सीट प्राप्त नहीं हो पायी। पंजाब की 84 आरक्षित सीटों में उसे मात्र 2 सीटें ही प्राप्त हो पायीं। इसी प्रकार सिंध में 33 में से 3 सीटें ही प्राप्त हो पायीं।
प्रभाव-
(i) कांग्रेस द्वारा मुस्लिम लीग के साथ गठबन्धन सरकार बनाने से इंकार करना-संयुक्त प्रान्त (वर्तमान उत्तर प्रदेश) में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ लेकिन मुस्लिम लीग भी सरकार में सम्मिलित होना चाहती थी, परन्तु कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की माँग को ठुकरा दिया। कुछ इतिहासकारों का मत है कि इससे मुस्लिम लीग के सदस्यों के मन में यह बात बैठ गयी कि यदि भारत अविभाजित रहा तो मुसलमानों के हाथ में राजनीतिक सत्ता नहीं आ पाएगी क्योंकि वे अल्पसंख्यक हैं। इस प्रकार की सोच के पीछे मुस्लिम लीग की यह मान्यता थी कि मुस्लिम हितों का प्रतिनिधित्व कोई मुस्लिम पार्टी ही कर सकती है। कांग्रेस एक हिन्दू दल होने के कारण ऐसा नहीं कर सकती। मुस्लिम लीग को मुसलमानों का एकमात्र प्रवक्ता माने जाने की जिन्ना की जिद बहुत कम लोगों को स्वीकार थी। मुस्लिम लीग संयुक्त प्रान्त, बम्बई व मद्रास में लोकप्रिय थी, परन्तु बंगाल में अभी भी उसका सामाजिक आधार बहुत कमजोर था। उत्तरी-पश्चिमी सीमा प्रान्त एवं पंजाब में लीग का जनाधार न के बराबर था तथा सिंध में भी लीग सरकार नहीं बना पायी। आश्चर्य की बात यह है कि मात्र 10 वर्ष पश्चात् ही इन समस्त प्रान्तों से पाकिस्तान बनाया गया। इसलिए इस काल में मुस्लिम लीग ने अपने सामाजिक समर्थन की कोशिशें तेज कर र्दी। 

(ii) कांग्रेस मंत्रालयों द्वारा कांग्रेस व मुस्लिम लीग के मध्य मतभेद बढ़ाना–कांग्रेस व मुस्लिम लीग के मध्य की खाई को कांग्रेस मंत्रालयों ने भी गहरा कर दिया। संयुक्त प्रान्त में पार्टी ने गठबन्धन सरकार बनाने के बारे में मुस्लिम लीग के प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि मुस्लिम लीग जमींदारी प्रथा का समर्थन कर रही थी, जबकि कांग्रेस इसे समाप्त करना चाहती थी। कांग्रेस के धर्मनिरपेक्ष एवं रेडिकल बयानों से रूढ़िवादी मुसलमान एवं मुस्लिम भूस्वामी चिन्ता में पड़ गये। इसके अतिरिक्त कांग्रेस भी मुसलमानों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पायी।

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(ii) कांग्रेस द्वारा मुस्लिम जनसम्पर्क कार्यक्रम पर अधिक बल न देना-कांग्रेस ने मुस्लिम जनसम्पर्क कार्यक्रम पर अधिक बल न देकर 1930 के दशक में मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा के मध्य मतभेद पैदा करके हिन्दू-मुस्लिम खाई को और गहरा कर दिया। 

प्रश्न 3. 
"भारत का बँटवारा एक साम्प्रदायिक राजनीति का आखिरी बिन्दु था।" इस कथन की समालोचना कीजिए।
अथवा 
कुछ विद्वान ऐसा क्यों मानते हैं कि भारत का बँटवारा एक साम्प्रदायिक राजनीति का आखिरी बिन्दु था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बँटवारा एक साम्प्रदायिक राजनीति का आखिरी बिन्दु था। इस कथन की आलोचना निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(i) बँटवारे द्वारा नफरत को जन्म दिया जाना-जहाँ एक लम्बे समय से हिन्दू और मुसलमानों में आपस में मेलजोल रहा है, हिन्दू और मुसलमानों में एक तरह के सांस्कृतिक आदान-प्रदान रहे हैं यही भारत-पाकिस्तान बँटवारे ने दोनों समुदायों के मध्य नफरत को जन्म दिया।

(ii) पृथक चुनाव क्षेत्र की राजनीति-कुछ विद्वानों का मत यह है कि देश का बँटवारा एक ऐसी साम्प्रदायिक राजनीति का आखिरी बिन्दु था जो सन् 1909 में मुसलमानों के लिए.बनाये गये पृथक् चुनाव क्षेत्रों की साम्प्रदायिक राजनीति से प्रारम्भ होता है।
पृथक चुनाव क्षेत्रों की व्यवस्था से मुसलमान विशेष चुनाव क्षेत्रों में अपने प्रतिनिधि चुन सकते थे। इस व्यवस्था में राजनीतिज्ञों को। लालच रहता था कि वे सामुदायिक नारों का प्रयोग करें तथा अपने धार्मिक समुदाय के व्यक्तियों को अनुचित लाभ पहुँचाएँ।

(iii) अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति भारत का विभाजन अंग्रेजी सरकार की नीतियों की चरम सीमा एवं साम्प्रदायिक दलों द्वारा अत्यन्त जटिल स्थितियों का परिणाम था। अंग्रेजी सरकार प्रारम्भ से ही फूट डालो और राज करो की नीति पर चल रही थी। उनकी इस नीति के परिणामस्वरूप देश के साम्प्रदायिक दलों को बल मिला। उन्होंने हिन्दुओं और मुसलमानों को एक-दूसरे के विरुद्ध भड़काया जिसका परिणाम यह हुआ कि वे एक-दूसरे से घृणा करने लगे।

(iv) साम्प्रदायिक दंगे-पाकिस्तान की माँग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने सीधी कार्यवाही प्रारम्भ कर दी और सम्पूर्ण देश में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे। इन दंगों को केवल भारत-विभाजन द्वारा ही रोका जा सकता था।
राष्ट्रवादी नेताओं ने विभाजन रोकने के बहुत प्रयास किए लेकिन साम्प्रदायिक दलों की हठधर्मिता के कारण उनके प्रयास असफल रहे और विभाजन होकर ही रहा।
अन्तत: 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिलने के साथ ही भारत विभाजन हो गया।

प्रश्न 4. 
विभाजन के दौर में महात्मा गाँधी ने देश में साम्प्रदायिक सद्भाव की पुनर्स्थापना हेतु क्या-क्या प्रयास किए? विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
स्वतंत्रता-प्राप्ति के समय भड़के साम्प्रदायिक दंगों में गाँधीजी ने कैसे अकेली फौज की तरह कार्य किया? विस्तारपूर्वक बताए।
अथवा 
भारत में साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाने में गाँधीजी के योगदान को विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी ने विभाजन के दौरान देश में साम्प्रदायिक सद्भाव की पुनर्स्थापना के लिए यथासम्भव प्रयास किए। गाँधीजी के प्रयासों को निम्नलिखित बिन्दुओं में बाँटा जा सकता है
(i) अहिंसा के सिद्धान्त का सहारा-गाँधीजी ने अहिंसा के अपने जीवनपर्यन्त सिद्धान्त को एक बार फिर आजमाया तथा अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया। उनका निर्णय इस बात पर आधारित था कि लोगों का हृदय परिवर्तन किया जा सकता है।

(ii) गाँधीजी की पदयात्रा गाँधीजी पूर्वी बंगाल के नोआखली (वर्तमान बांग्लादेश) से बिहार के गाँवों में तथा इसके पश्चात् कलकत्ता तथा दिल्ली में दंगों में झुलसी झोपड़पट्टियों की यात्रा पर निकल पड़े। उनकी कोशिश थी कि हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे की हत्या न करें। उन्होंने प्रत्येक जगह हिन्दू और मुसलमानों को सहयोग के साथ रहने को कहा।

(iii) गाँधीजी पूर्वी बंगाल में-अक्टूबर, 1946 ई. में पूर्वी बंगाल के मुसलमान हिन्दुओं को अपना निशाना बना रहे थे। गाँधीजी की जानकारी में यह घटना आई तो वे वहाँ पैदल गाँव-गाँव घूमे तथा उन्होंने स्थानीय मुसलमानों को समझाया कि वे हिन्दुओं की हत्या न करें बल्कि उनकी रक्षा करें। 

(iv) गाँधीजी दिल्ली में दिल्ली में गाँधीजी ने दोनों समुदायों को विश्वास दिलाया तथा एक-दूसरे पर भरोसा कायम रखने की सलाह दी। उदाहरणस्वरूप, अपनी जान बचाकर पुराने किले के भीड़ भरे शिविर में शरण लेने वाले शाहिद अहमद देहलवी नामक दिल्ली के एक मुसलमान ने 9 सितम्बर, 1947 को गाँधीजी के दिल्ली में आगमन को बड़ी लम्बी व कठोर गर्मी के बाद बरसात की फुहारों के आने जैसा महसूस किया था। देहलवी ने अपने संस्मरण में लिखा कि दिल्ली के मुसलमान एक-दूसरे से कहने लगे कि "अब दिल्ली बच जायेगी।"

(v) गाँधीजी सीसगंज गुरुद्वारे में 28 नवम्बर, 1947 को गुरुनानक जयन्ती के अवसर पर गाँधीजी गुरुद्वारा सीसगंज में सिखों की एक सभा को सम्बोधित करने पहुंचे तो उन्होंने देखा कि दिल्ली का दिल कहलाने वाले चाँदनी चौक में एक भी मुसलमान सड़क पर नहीं था। अपने भाषण में गाँधीजी ने कहा कि हमारे लिए इससे बड़ी शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि चाँदनी चौक में एक भी मुसलमान नहीं है।

(vi) गाँधीजी अनशन पर मुसलमानों को दिल्ली शहर से बाहर खदेड़ने की सोच से दुखी होकर गाँधीजी ने अनशन शुरू कर दिया। इस अनशन में उनके साथ पाकिस्तान से आये शरणार्थी हिन्दू व सिख भी बैठे थे। इस प्रकार हम देखते हैं कि गाँधीजी ने अकेले ही स्वतंत्रता प्राप्त होने के साथ भड़के साम्प्रदायिक दंगों से निपटने में एक अकेली फौज की तरह कार्य किया। साम्प्रदायिक सौहार्द्र बनाने में गाँधीजी का योगदान अविस्मरणीय है। मानचित्र कार्य

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर देते हुए उनके स्थलों को मानचित्र पर सफाई से अंकित कीजिए

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना कहाँ हुई ?  
  2. आर्य समाज की स्थापना कहाँ हुई ? 
  3. पूर्वी पाकिस्तान बाद में किस नाम से स्वतन्त्र हुआ ? 
  4. भारत छोड़ो आन्दोलन का स्थल। (5) सबसे अधिक दंगे कहाँ हुए?  
  5. वह स्थान जहाँ 1940 ई. में मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान का प्रस्ताव पारित किया? 
  6. स्वतन्त्र भारत की राजधानी।

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उत्तर:
उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर निम्नलिखित हैं

  1. मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में हुई थी। 
  2. आर्य समाज की स्थापना बम्बई में हुई थी। 
  3. बांग्लादेश।
  4. भारत छोड़ो आन्दोलन बम्बई से आरम्भ हुआ था। 
  5. सबसे अधिक दंगे नोआखली में हुए। 
  6. यह प्रस्ताव लाहौर में पारित हुआ।
  7. नई दिल्ली। 

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित दक्षिण एशियाई देशों को मानचित्र पर अंकित कीजिए 

  1. भारत, 
  2. पाकिस्तान, 
  3. बांग्लादेश, 
  4. श्रीलंका, 
  5. अफगानिस्तान,
  6. बर्मा (म्यांमार), 
  7. नेपाल तथा 
  8. भूटान।

उत्तर:
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स्रोत आधारित प्रश्न 

निर्देश-पाठ्य पुस्तक में बाक्स में दिये गए स्रोतों में कुछ जानकारी दी गई है जिनसे सम्बन्धित प्रश्न दिए गए हैं। स्रोत तथा प्रश्नों के उत्तर यहाँ प्रस्तुत हैं। परीक्षा में स्रोतों पर आधारित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। 

स्रोत-4. 
मुस्लिम लीग का प्रस्ताव : 1940 

मुस्लिम लीग के 1940 वाले प्रस्ताव की माँग थी-
'कि भौगोलिक दृष्टि से सटी हुई इकाइयों को क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया जाए, जिन्हें बनाने में जरूरत के हिसाब से इलाकों का फिर से ऐसा समायोजन किया जाए कि हिन्दुस्तान के उत्तर-पश्चिम और पूर्वी क्षेत्रों जैसे जिन हिस्सों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है उन्हें इकट्ठा करके 'स्वतन्त्र राज्य' बना दिया जाए, जिनमें शामिल इकाइयाँ स्वाधीन और स्वायत्त होंगी।' 

प्रश्न 1. 
मुस्लिम लीग की प्रमुख माँग की पहचान कीजिए।
उत्तर:

  1. भौगोलिक दृष्टि से सटी हुई इकाइयों को क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया जाए। 
  2. इन्हें बनाने में जरूरत के हिसाब से क्षेत्रों का पुनः समायोजन किया जाए। 
  3. हिन्दुस्तान के उत्तर-पश्चिम एवं पूर्वी क्षेत्रों जैसे जिन हिस्सों में मुसलमानों की संख्या अधिक है, उन्हें एकत्रित करके स्वतन्त्र राज्य बना दिया जाए जिनमें सम्मिलित इकाइयाँ स्वाधीन एवं स्वायत्त होंगी। 

प्रश्न 2. 
मुस्लिम लीग की स्वायत्तता की माँग के कारणों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:

  1. प्रान्तीय संसदों के गठन हेतु 1937 में पहली बार कराए गए चुनावों का परिणाम। 
  2. संयुक्त प्रान्त में मुस्लिम लीग की कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने की माँग को कांग्रेस द्वारा ठुकराया जाना।

प्रश्न 3.
1940 के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव' के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कीजिए। 
उत्तर:
यह एक अस्पष्ट प्रस्ताव था क्योंकि इसमें कहीं भी स्पष्ट पाकिस्तान की माँग नहीं की गई थी। लीग की माँग थी कि भौगोलिक दृष्टि से सटी हुई इकाइयों को क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया जाए, जिन्हें बनाने की आवश्यकता के हिसाब से इलाकों का फिर से ऐसा समायोजन किया जाए कि हिन्दुस्तान के उत्तर-पश्चिम एवं पूर्वी क्षेत्रों; जैसे- जिन हिस्सों में मुसलमानों की अधिकता है, उन्हें एकत्र करके स्वतन्त्र राज्य बना दिया जाए जिनमें सम्मिलित इकाइयाँ स्वतन्त्र व स्वायत्त होंगी। 1940 के प्रस्ताव में मुस्लिम लीग ने संघीय इकाइयों की स्वायत्तता के आधार पर स्वतन्त्र राज्य के निर्माण की माँग की थी। वह आज जैसा पाकिस्तान नहीं चाहती थी। आज का पाकिस्तान भारतीय संघ के अन्तर्गत एक स्वायत्त राज्य न होकर स्वतन्त्र राष्ट्र है।

स्रोत-5 .
"बीहड़ में एक आवाज" 

महात्मा गाँधी जानते थे कि उनकी स्थिति बीहड़ में एक आवाज' जैसी है लेकिन फिर भी वे विभाजन की सोच का विरोध करते रहे
किन्तु आज हम कैसे दुखद परिवर्तन देख रहे हैं। मैं फिर वह दिन देखना चाहता हूँ जब हिन्दू और मुसलमान आपसी सलाह के बिना कोई काम नहीं करेंगे। मैं दिन-रात इसी आग में जला जा रहा हूँ कि उस दिन को जल्दी से जल्दी साकार करने के लिए क्या करूँ। लीग से मेरी गुजारिश है कि वह किसी भी भारतीय को अपना शत्रु न माने । हिन्दू और मुसलमान दोनों एक ही मिट्टी से उपजे हैं। उनका खून एक है वे एक जैसा भोजन करते हैं, एक ही पानी पीते हैं और एक ही जबान बोलते हैं। -प्रार्थना सभा में भाषण, 7 सितम्बर, 1946 लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की जो माँग उठायी है वह पूरी तरह गैर-इस्लामिक है और मुझे इसको पापपूर्ण कृत्य कहने में कोई संकोच नहीं है। इस्लाम मानवता की एकता और भाईचारे का समर्थक है न कि मानव परिवार की एकजुटता को तोड़ने को। जो तत्व भारत को एक-दूसरे के खून के प्यासे टुकड़ों में बाँट देना चाहते हैं वे भारत और इस्लाम, दोनों के शत्रु हैं। भले ही वे मेरी देह के टुकड़े-टुकड़े कर दें, परंतु मुझसे ऐसी बात नहीं मनवा सकते जिसे मैं गलत मानता हूँ। हरिजन, 26 सितंबर, 1946

प्रश्न 1. 
पाकिस्तान के विचार का विरोध करते हुए महात्मा गाँधी ने क्या तर्क दिये ? .
उत्तर:

  1. गाँधीजी के अनुसार दोनों समुदाय एक ही मिट्टी से उपजे हैं। 
  2. उनका खून एक है, वे एक-सा भोजन करते हैं और एक ही पानी पीते हैं।
  3. विभाजन की बात पूर्णतया गैर-इस्लामिक है। 
  4. गाँधीजी विभाजन को पापपूर्ण कृत्य मानते थे। 
  5. इस्लाम मानवता की एकता और भाईचारे का समर्थक है न कि तोड़ने का। 
  6. विभाजन की माँग करने वाले देश के शत्रु हैं।

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प्रश्न 2. 
गाँधीजी अपनी स्थिति को 'बीहड़ की आवाज' जैसा क्यों समझते थे ?
उत्तर:
गाँधीजी अपनी स्थिति को बीहड़ की आवाज जैसा इसलिए समझते थे क्योंकि जिस प्रकार बीहड़ में अकेली आवाज को कोई नहीं सुन पाता है और वह आवाज दबकर रह जाती है। ठीक उसी प्रकार इस समय इस हिंसक वातावरण में मेरी आवाज भी दबकर रह जाएगी।

प्रश्न 3. 
गाँधीजी विभाजन की बात को गैर-इस्लामिक क्यों मानते थे ?
उत्तर:
गाँधीजी विभाजन की बात को गैर-इस्लामिक इसलिए मानते थे कि इस्लाम मानवता, एकता एवं भाईचारे का समर्थक है। वह मानव की एकजुटता को तोड़ने का कार्य नहीं कर सकता।

स्रोत-6
औरतों की बरामदगी' का मतलब क्या था 

प्रकाश टण्डन ने उपनिवेशी पंजाब का एक आत्मकथात्मक सामाजिक इतिहास 'पंजाबी सेंचुरी' के नाम से लिखा है। वहाँ उन्होंने एक महिला और एक जोड़े की दास्तान बयान की है। यहाँ उसका संक्षिप्त रूप दिया जा रहा है लेकिन हमने जहाँ तक सम्भव हो, मूल की भाषा और अभिव्यक्तियों को बनाए रखने की कोशिश की है। एक घटना ऐसी हुई कि बँटवारे के दौरान मारकाट मचाने वाले एक सिख नौजवान ने हत्याकांड पर तुली हुई भीड़ को मनाकर एक खूबसूरत मुसलमान लड़की को अपने लिए माँग लिया। उन दोनों ने शादी कर ली और धीरे-धीरे एक दूसरे से प्यार भी करने लगे। लड़की के दिमाग से अपने मारे गए माता-पिता और पिछली जिन्दगी की यादें क्रमशः धुंधली पड़ने लगी। वे एक-दूसरे के साथ खुश थे और उनके एक बेटा भी हुआ। पर जल्दी ही अपहृत औरतों का पता लगाकर | उन्हें वापस लौटाने में लगन से जुटे सामाजिक कार्यकर्ताओं और पुलिसवालों को उनकी भनक मिल गई। उन्होंने उस सिख के गृह-जिले जालंधर में पूछताछ की। उसे इसकी खबर मिल गई और वह परिवार के साथ कलकत्ता भाग निकला। |

सामाजिक कार्यकर्ता भी कलकत्ता पहुँच गए। इस बीच उसके मित्रों ने अदालत से स्टे ऑर्डर लेने की कोशिश की पर कानून अपनी ही भारी-भरकम चाल से चल रहा था। कलकत्ता से यह जोड़ा इस उम्मीद में पंजाब के किसी अनजान से गाँव को भागा कि पीछा करने वाली पुलिस वहाँ नहीं पहुँच सकेगी। लेकिन पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और पूछताछ करने लगी। उसकी पत्नी फिर से गर्भवती हो गई थी और अब बच्चे का जन्म नजदीक ही था। उस सिख ने अपने छोटे-से बेटे को तो अपनी माँ के पास भेज दिया और खुद अपनी पत्नी को गन्ने के खेत में ले गया। वहाँ एक गड्ढे में उसने अपनी पत्नी को यथासम्भव आराम से लिटा दिया और खुद पुलिस की राह देखते हुए एक बन्दूक लेकर लेट गया। उसने ठान रखी थी कि जीते-जी वह अपनी पत्नी को अपने से अलग न होने देगा। उस गड्ढे में ही उसने अपने हाथों से पत्नी की जचगी कराई। अगले दिन उसकी पत्नी को तेज बुखार आ गया और तीन दिन में वह मर गई। पति उसे अस्पताल ले जाने की हिम्मत न कर सका क्योंकि वह डरता था कि सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस उसे उससे छीन लेंगे।

प्रश्न 1. 
भारत के विभाजन के दौरान हुई हत्याओं के कोई दो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. साम्प्रदायिक दंगे तथा 
  2. सम्मान की रक्षा करना। 

प्रश्न 2. 
सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस, नौजवान जोड़े को क्यों खोज रहे थे?
उत्तर:
सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस, नौजवान जोड़े का पुनर्वास कराने हेतु खोज रहे थे। वह नौजवान जोड़ा सिख तथा मुस्लिम समुदाय से सम्बन्धित था।

प्रश्न 3. 
क्या आप समझते हैं कि वे अधिकारी वर्ग सही थे जो लड़की को वापस ले जाने का प्रयास कर रहे थे? अपने उत्तर की पुष्टि में कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अधिकारी वर्ग का विवाहित जोड़े के निजी जीवन में हस्तक्षेप करना सही नहीं था क्योंकि उनके अनावश्यक हस्तक्षेप की वजह से लड़की की मृत्यु हो गई।

स्रोत-7
अंगूरों की एक छोटी-सी टोकरी 

कराची हवाई अड्डे पर 1949 में हुई मुलाकात का ब्यौरा: डॉ. खुशदेव सिंह की जबानीः ।'मेरे दोस्त मुझे हवाई अड्डे के एक कमरे में ले गए जहाँ हम सब बैठकर गपशप करने लगे(और) साथ ही दोपहर का खाना खाया। मुझे कराची से रात 2.30 बजे की उड़ान से लन्दन जाना था। शाम को 5.00 बजे मैंने अपने दोस्तों से निवेदन किया कि उन्होंने बड़ी फराखदिली से मुझे अपना समय दिया है। मेरी समझ से अब उनसे सारी रात रुकने की उम्मीद करना तो बड़ी ज्यादती होगी और वे यह तकलीफ न ही उठाएँ। मगर रात के खाने तक कोई भी नहीं उठाफिर उन्होंने कहा कि वे लोग जा रहे हैं और मैं जहाज पर चढ़ने से पहले थोड़ा आराम कर लूँ। मैं रात के करीब पौने दो बजे उठा और जब दरवाजा खोला तो पाया कि वे सबके सब तब तक वहीं थे। वे सब जहाज तक मेरे साथ आए और बिछुड़ने के पहले उन्होंने मुझे अंगूरों की एक छोटी-सी टोकरी भेंट की। मेरे लिए प्यार के इस उमड़ते सैलाब और इस पड़ाव से मुझे मिली खुशी के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने को मेरे पास शब्द नहीं थे।' 

प्रश्न 1. 
खुशदेव सिंह के प्रति कराची के लोगों के दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
कराची के लोग डॉ. खुशदेव से प्यार करते थे। उन्होंने उनका बहुत आदर-सत्कार किया। वे शहर छोड़ने तक उनके साथ रहना चाहते थे। उन्होंने डॉ. खुशदेव को अंगूर की एक छोटी टोकरी भेंट की। 

प्रश्न 2. 
कराची में खुशदेव की भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
कराची में डॉ. खुशदेव को हवाई अड्डे पर उनके दोस्त एक कमरे में ले गए। उन्होंने साथ समय बिताया तथा दोपहर का भोजन किया। वह उनके साथ बहुत खुश थे।

प्रश्न 3. 
"प्रेम नफरत से ज्यादा ताकतवर होता है।" इस कथानात्मक के सन्दर्भ में इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
डॉ. खुशदेव कराची हवाई अड्डे पर दोस्तों से मिले सम्मान व प्यार से अभिभूत थे। उन्होंने कराची में लोगों पर प्यार व करुणा दिखलाई तथा बदले में उन्हें वहाँ अपने दोस्तों से प्यार व सम्मान मिला।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण 

प्रश्न 1. 
ढाका में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग का गठन किस वर्ष में किया गया ? 
(क) 1905 में 
(ख) 1907 में
(ग) 1908 में
(घ) 1906 में। 
उत्तर:
(घ) 1906 में। 

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

प्रश्न 2. 
खान अब्दुल गफ्फार खान ने उत्तर-पश्चिमी सीमान्त प्रान्त में शक्तिशाली अहिंसक आन्दोलन चलाया, जिसे ..... के रूप में जाना जाता है?
(क) राम-रहीम आन्दोलन
(ख) खिलाफत आन्दोलन 
(ग) खुदाई खिदमतगार आन्दोलन
(घ) पख्तून आन्दोलन। 
उत्तर:
(ग) खुदाई खिदमतगार आन्दोलन

प्रश्न 3. 
वर्ष 1916 में मुस्लिम लीग और कांग्रेस में आपसी समझौता हुआ और ............... पर हस्ताक्षर किए गए। 
(क) बंगाल समझौता 
(ख) कलकत्ता की सन्धि 
(ग) स्वशासन अधिनियम 
(घ) लखनऊ समझौता 
उत्तर:
(ग) स्वशासन अधिनियम 

प्रश्न 4. ............ की स्थापना 30 दिसम्बर, 1906 को की गई थी। 
(क) लखनऊ समझौता
(ख) ऑल इंडिया मुस्लिम लीग 
(ग) स्वशासन अधिनियम
(घ) बंगाल समझौता। 
उत्तर:
(घ) बंगाल समझौता। 

प्रश्न 5. 
'पाकिस्तान' नाम किसने गढ़ा था? 
(क) मोहम्मद अली जिन्ना
(ख) फजलूल हक 
(ग) लियाकत अली खान
(घ) चौधरी रहमत अली। 
उत्तर:
(क) मोहम्मद अली जिन्ना

प्रश्न 6. 
वर्ष 1940 में मुस्लिम लीग के अधिवेशन में पाकिस्तान के सृजन का प्रस्ताव किसने रखा था?
(क) एम. ए. जिन्ना 
(ख) मुहम्मद इकबाल 
(ग) रहमत अली 
(घ) खलीकुज्जमा।, 
उत्तर:
(क) एम. ए. जिन्ना 

प्रश्न 7
मुस्लिम लीग का प्रथम अध्यक्ष कौन था? । 
(क) आगा खाँ 
(ख) हमीद खाँ 
(ग) हसन खाँ
(घ) एम. ए. जिन्ना। 
उत्तर:
(क) आगा खाँ 

प्रश्न 8. 
मुस्लिम लीग की स्थापना सन् 1906 में हुई थी 
(क) बम्बई में  
(ख) लाहौर में
(ग) ढाका में
(घ) दिल्ली में। 
उत्तर:
(ग) ढाका में

प्रश्न 9. 
भारत के विभाजन को टालने का अन्तिम अवसर समाप्त हो गया था
(क) क्रिप्स मिशन को अस्वीकार करने के साथ ही 
(ख) राजगोपालाचारी फार्मूले को अस्वीकार करने के साथ ही
(ग) कैबिनेट मिशन को अस्वीकार करने के साथ ही 
(घ) बेवेल योजना को अस्वीकार करने के साथ ही। 
उत्तर:
(ग) कैबिनेट मिशन को अस्वीकार करने के साथ ही 

प्रश्न 10. 
मुस्लिम लीग ने 'मुक्ति दिवस' कब मनाया?
(क) 22 दिसम्बर, 1939 
(ख) 8 अगस्त, 1942 
(ग) 14 अगस्त, 1947 
(घ) 15 अगस्त, 1947 । 
उत्तर:
(क) 22 दिसम्बर, 1939 

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प्रश्न 11. 
कैबिनेट मिशन किस वर्ष भारत आया? ।
(क) वर्ष 1944 में 
(ख) वर्ष 1945 में 
(ग) वर्ष 1946 में 
(घ) वर्ष 1947 में। 
उत्तर:
(ग) वर्ष 1946 में 

प्रश्न 12. 
जिन्ना ने पाकिस्तान का निर्माण कराने के लिए 16 अगस्त, 1946 को आन्दोलन शुरू किया
(क) संवैधानिक कार्यवाही
(ख) अप्रत्यक्ष कार्यवाही 
(ग) प्रत्यक्ष कार्यवाही
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) प्रत्यक्ष कार्यवाही

Prasanna
Last Updated on Jan. 8, 2024, 9:31 a.m.
Published Jan. 7, 2024