RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyakaran भाषा, व्याकरण एवं लिपि का परिचय

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Hindi Anivarya Vyakaran भाषा, व्याकरण एवं लिपि का परिचय Questions and Answers, Notes Pdf.

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RBSE Class 12 Hindi Anivarya Vyakaran भाषा, व्याकरण एवं लिपि का परिचय

भाषा-मानव - जाति के विकास में अभिव्यक्ति का महत्त्वपूर्ण साधन या सम्प्रेषण का माध्यम भाषा है। मनुष्य परस्पर विचार-विनिमय, सन्देश, सूचना तथा अपनी भावना की अभिव्यक्ति भाषा के द्वारा करता है। वाणी के द्वारा हम मुख से जिन ध्वनियों, शब्दों या वाक्यों को व्यक्त करते हैं, उनका आधार या वाचिक माध्यम मानक भाषा होती है। भाषा से हमें अपना इतिहास, संस्कृति, संचित ज्ञान-विज्ञान एवं परम्पराओं का ज्ञान होता है। 

'भाषा शब्द की व्युत्पत्ति - 'भाषा' शब्द संस्कृत की 'भाष्' धातु से बना है। 'भाष्' धातु का अर्थ है = (भाष् व्यक्तायां वाचि) व्यक्त वाणी'। अर्थात् विचार व्यक्त करने, मनोभावों को कहने तथा मनोभावों को प्रकाशित करने के साधन को भाषा कहते हैं। इस प्रकार विस्तृत अर्थ में एक प्राणी अपने किसी उच्चारण अवयव द्वारा दूसरे प्राणी पर जो कुछ प्रकट करता है, वही भाषा है। 

भाषा की परिभाषा - अनेक विद्वानों, भाषा-वैज्ञानिकों एवं वैयाकरणों ने भाषा की परिभाषा दी है। महाभाष्यकार पतंजलि ने कहा है-मनुष्यों की व्यक्त वर्णात्मक वाणी ही भाषा कहलाती है। इसी प्रकार हिन्दी के एक आचार्य ने कहा है-"ध्वन्यात्मक शब्दों के द्वारा विचारों का प्रकटीकरण ही भाषा है।" वस्तुतः भाषा यादृच्छिक ध्वनि-संकेतों की वह पद्धति है, जिसके द्वारा समाज-विशेष के लोग परस्पर विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। 

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भाषा के प्रकार-भाषा - विज्ञान के विद्वानों ने भाषा के दो प्रकार बताये हैं-पहला मौखिक तथा दूसरा लिखित। मौखिक भाषा से आपसी बातचीत, भाषण एवं संवाद आदि होते हैं, जबकि लिखित भाषा में लिपि के माध्यम से समस्त अभिव्यक्ति का प्रकाशन होता है। अतएव लिखित भाषा या लिपि ही भाषा की पहचान होती है। संसार की जितनी भाषाएँ हैं, उनकी बोली और भाषा भिन्न होने से लिपि भी भिन्न है। 

भाषा और बोली - एक सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा के स्थानीय रूप को 'बोली"कहा जाता है जिसे 'उप भाषा' भी कहते हैं। कहा गया है कि 'कोस-कोस पर पानी बदले, पाँच कोस पर बानी।' हर पाँच-सात मील पर बाली में बदलाव आ जाता है। भाषा का सीमित, अविकसित तथा आम बोलचाल वाला रूप बोली कहलाता है जिसमें साहित्य रचना नहीं होती तथा जिसका व्याकरण नहीं होता व शब्दकोश भी नहीं होता, जबकि भाषा विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती है, उसका व्याकरण तथा शब्दकोश होता है तथा उसमें साहित्य लिखा जाता है। किसी बोली का संरक्षण तथा अन्य कारणों से यदि क्षेत्र विस्तृत होने लगता है तथा उसमें साहित्य लिखा जाने लगता है तो वह भाषा बनने लगती है तथा उसका व्याकरण निश्चित होने लगता है। 

भाषा के भेद - भाषा के प्रमुख भेद या रूप आठ हैं - 

  • मूल भाषा 
  • व्यक्ति बोली या व्यक्ति भाषा 
  • उपबोली या स्थानीय बोली
  • बोली और भाषा 
  • आदर्श भाषा या परिनिष्ठित भाषा
  • राष्ट्रभाषा 
  • विशिष्ट भाषा 
  • कृत्रिम भाषा। 

भाषा की इकाइयों-भाषा की निम्नलिखित पाँच इकाइयां हैं - 

  1. ध्वनि-हमारे मुख से निकलने वाली प्रत्येक पूर्ण व स्वतन्त्र भावाज ध्वनि कहलाती है। 
  2. वर्ण-मुख से उच्चरित स्वर-व्यंजन ध्वनियाँ जब लिखित रूप में प्रयुक्त होती हैं, उसे वर्ण कहते हैं। 
  3. शब्द-वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। 
  4. पद-वाक्य में प्रयुक्त विभक्ति-युक्त शब्द को पद कहते हैं। 
  5. वाक्य-सार्थक शब्द-समूह को अन्वितार्थबोधक एवं पूर्ण विचाराभिव्यक्ति होने पर वाक्य कहते हैं। 

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हिन्दी की बोलियाँ - हिन्दी केवल खड़ी बोली का ही विकसित रूप नहीं है बल्कि जिसमें अन्य बोलियाँ भी समाहित हैं जिनमें खड़ी बोली भी शामिल है। ये अग्र प्रकार हैं - 

  1. पूर्वी हिन्दी जिसमें अवधी, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी शामिल हैं। 
  2. पश्चिमी हिन्दी में खड़ी बोली, ब्रज, बाँगरू (हरियाणवी), बुन्देली तथा कन्नौजी शामिल हैं। 
  3. बिहारी की प्रमुख बोलियाँ मगही, मैथिली तथा भोजपुरी हैं। 
  4. राजस्थानी की मेवाड़ी, मारवाड़ी, मेवाती तथा हाड़ौती बोलियाँ शामिल हैं। कुछ विद्वान मालवी, ढूँढाड़ी तथा बागड़ी को भी राजस्थानी की अलग बोलियाँ मानते हैं। 
  5. पहाड़ी की गढ़वाली, कुमाऊँनी तथा मंडियाली बोलियाँ हिन्दी की बोलियाँ हैं। 

इन बोलियों के मेल से बनी हिन्दी. ही 14 सितम्बर, 1949 को भारत की राजभाषा स्वीकार की गई। विभिन्न। बोलियों के मेल से बनी हिन्दी की भाषाई विविधता के कारण ही हिन्दी के क्षेत्रीय उच्चारण में विविधता पाई जाती है। 

व्याकरण - व्याकरण भाषा का एक सम्पूर्ण शास्त्र है। व्याकरणशास्त्र के द्वारा ही भाषा की ध्वनियों, स्वर-व्यंजन के उच्चारण-स्थान, प्रयत्न एवं स्वरूप आदि के साथ उनका विश्लेषण किया जाता है। शब्दों की शुद्धता एवं पदों का निर्वचन व्याकरण के द्वारा हो पाता है। इस प्रकार हिन्दी भाषा की ध्वनि, वर्ण, पद, पदांश, वाक्यांश, वाक्य आदि का ज्ञान तथा भाषा का शुद्ध प्रयोग व्याकरण से ही हो पाता है।

व्याकरण की परिभाषा - 'व्याकरण' शब्द का अर्थ है-विश्लेषण। शब्दों की व्याक्रिया, उनकी व्युत्पत्ति तथा विश्लेषण व्याकरणशास्त्र से ही किया जाता है। व्याकरण की परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है भाषा को शुद्ध रूप में लिखने तथा बोलने से सम्बन्धित नियमों का ज्ञान जिससे होता है, उसे व्याकरण कहते हैं।

व्याकरण और हिन्दी भाषा - व्याकरणशास्त्र भाषा के शुद्ध रूप को बोलने या लिखने के नियमों का ज्ञान कराता है। प्रत्येक विकसित भाषा व्याकरण के नियमों के अनुसार चलती है। हिन्दी भाषा का व्याकरण मूल रूप से संस्कृत व्याकरण के नियमों पर चलता है। सभी शब्दों की व्युत्पत्ति, उनके रूप, यौगिक और योगरूढ़ रूप. संस्कृत की मूल धातु, उपसगे एवं प्रत्यय के योग से बनते हैं। कुछ उपसर्ग और प्रत्यय देशी-विदेशी भाषा के भी अपनाये गये हैं। अब संस्कृत के अनुसरण पर हिन्दी भाषा का व्याकरण बन गया है तथा उससे हिन्दी भाषा का परिनिष्ठित या मानक रूप सामने आ गया है। 

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व्याकरण के अंग - व्याकरण के चार अंग होते हैं, वे इस प्रकार हैं -

  1. वर्ण-विचार - इसके अन्तर्गत वर्षों से सम्बन्धित उनके आकार, उच्चारण-स्थान तथा वर्गीकरण के अलावा उनसे बने शब्द-निर्माण की प्रक्रिया का उल्लेख होता है। 
  2. शब्द-विचार - इसमें शब्द के भेद, उत्पत्ति, व्युत्पत्ति तथा रचना आदि के साथ शब्द के प्रकारों का विवेचन होता है। 
  3. पद-विचार - इसमें शब्द से पद-निर्माण, विकारक तत्व तथा पद के विविध रूपों का उल्लेख रहता है। 
  4. वाक्य-विचार - इसमें वाक्य से सम्बन्धित उसके भेद, उपभेद, अन्वय, विश्लेषण, संश्लेषण, रचना-अवयव और वाक्य-निर्माण आदि की जानकारी दी जाती है। 

लिपि : परिभाषा - भाषा के मौखिक रूप को अंकित करने के लिए जो चिह्न बने होते हैं, उन्हें लिपि कहते हैं। अर्थात् भाषा की ध्वनियों को जिन लेखन-चिह्नों में लिखा जाता है, उसे लिपि कहते हैं। प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती है। जैसे उर्दू-फारसी, पंजाबी की गुरुमुखी, अंग्रेजी की रोमन, तमिल लिपि, कलिंग लिपि, बंगला लिपि, कश्मीर की पुरानी शारदा लिपि आदि लिपियों का लम्बा इतिहास है। 

भाषा और लिपि का सम्बन्ध - भाषा का लिखित रूप लिपि के द्वारा ही सुरक्षित रहता है। भाषा मनुष्य के मुख से निकले ध्वनि-संकेतों की समष्टि है, तो लिपि उन संकेतों की रूपात्मक अभिव्यक्ति है। भाषा और लिपि में साम्य और वैषम्य भी है, परन्त दोनों भावों एवं विचारों के वाहक हैं। 

देवनागरी लिपि का परिचय एवं वर्तनी - भाषा का लिखित रूप स्थायी होता है। लिपि में वर्तनी-चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। संस्कृत, हिन्दी, मराठी, कोंकणी, नेपाली आदि भाषाओं की लिपि देवनागरी' है। वर्तमान में देवनागरी लिपि का मानक रूप तैयार किया गया है और उसमें भी स्वर तथा व्यंजन ध्वनियों एवं वर्गों का मानक प्रयोग किया जाता है। 

भारत की दो प्राचीन लिपियाँ थीं-ब्राह्मी लिपि और खरोष्ठी लिपि। इसमें से ब्राह्मी लिपि से ही देवनागरी लिपि का विकास हुआ है। यह लिपि बायीं ओर से दायीं ओर लिखी जाती है। यह न तो शुद्ध रूप से अक्षरात्मक लिपि है और न ही वर्णात्मक लिपि। 

स्वर-व्यंजन - (1) मुख से उच्चरित अ, आ, क आदि ध्वनियाँ हैं। (2) ये ध्वनियाँ जब लिखित रूपं या लिपि-रूप में प्रयुक्त होती हैं, तब उन्हें वर्ण कहते हैं। (3) जिस ध्वनि का उच्चारण श्वास-वायु के एक ही आघात से होता है, उसे अक्षर कहते हैं। देवनागरी लिपि की सभी ध्वनियाँ दो प्रकार की हैं-स्वर और व्यंजन।

स्वर-ध्वनियों में सभी स्वर, मात्राएँ, विसर्ग, अनुनासिक की गणना होती है। व्यंजन ध्वनियों में 'क' से 'ह' वर्ण तक, संयुक्ताक्षर, गृहीत अक्षर, हलन्त आदि सभी की गणना की जाती है। इन सभी ध्वनियों का वर्गीकरण उच्चारण स्थान एवं उच्चारण-प्रयत्न (स्पर्श) के आधार पर किया जाता है। हिन्दी भाषा का समस्त व्याकरण संस्कृत-व्याकरण के सिद्धान्तों पर आधारित है। 

अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्न - 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक से दो पंक्तियों में लिखिए। 
(अ) मानव समाज के लिए भाषा का क्या महत्त्व है? 
(ब) लिपि को परिभाषित करते हुए देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली दो भाषाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर : 
(अ) मानव-समाज में परस्पर विचारों एवं भावों को व्यक्त करने तथा आदान-प्रदान करने में भाषा का सर्वाधिक महत्त्व है, यह अभिव्यक्ति का माध्यम है। 
(ब) भाषा की ध्वनियों (वर्णों) को जिन लेखन-चिह्नों में लिखा जाता है उसे लिपि कहते हैं। देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली दो भाषाओं के नाम हैं-हिन्दी एवं संस्कृत।

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प्रश्न 2. 
भाषा और बोली में क्या अन्तर है? 
उत्तर : 
व्यापक सामाजिक क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली वाचिक अभिव्यक्ति 'भाषा' कहलाती है और सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली 'बोली' कहलाती है।

प्रश्न 3.
भाषा के कौनसे दो रूप होते हैं? 
उत्तर : 
भाषा के दो रूप होते हैं - (1) मौखिक भाषा तथा (2) लिखित भाषा। 

प्रश्न 4. 
हिन्दी खड़ी बोली ने अपने शब्द-भण्डार का विकास किस प्रकार किया है? 
उत्तर : 
हिन्दी खड़ी बोली ने संस्कृत के शब्दों के साथ पश्चिमी हिन्दी से शब्द लेकर अपने शब्द-भण्डार का विकास किया है। 

प्रश्न 5. 
हिन्दी व्याकरण-शास्त्र के बारे में संक्षेप में लिखिए। 
उत्तर : 
हिन्दी व्याकरण-शास्त्र संस्कृत व्याकरण-शास्त्र पर आश्रित है, इसमें अंग्रेजी एवं क्षेत्रीय भाषाओं के कुछ अंशों व नियमों को भी अपनाया गया है। 

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प्रश्न 6. 
भाषा किसे कहते हैं? 
उत्तर : 
विचार-विनिमय के मौखिक एवं लिखित माध्यम को भाषा कहते हैं, वैसे मानव की व्यक्त वाणी को ही भाषा कहते हैं। 

प्रश्न 7. 
हिन्दी भाषा की कौनसी लिपि है? 
उत्तर : 
हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है।

प्रश्न 8. 
मौखिक भाषा का प्रयोग किस तरह होता है? 
उत्तर : 
सामान्यतः आपसी बातचीत में, भाषण एवं संवाद में या केवल शाब्दिक निर्देश देने में मौखिक भाषा का प्रयोग होता है। 

प्रश्न 9. 
राष्ट्रभाषा किसे कहते हैं? 
उत्तर : 
किसी राष्ट्र के संविधान में मान्य, शासन के कार्यों में प्रयुक्त तथा समस्त राष्ट्र में व्यवहार-योग्य भाषा को राष्ट्रभाषा कहते हैं। 

प्रश्न 10. 
उपभाषा किसे कहा जाता है? 
उत्तर : 
सीमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा के स्थानीय रूप को उपभाषा या बोली कहा जाता है। 

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प्रश्न 11. 
लिपि किसे कहते हैं? 
उत्तर : 
भाषा को लिखने के लिए जिन ध्वनि-चिह्नों या लेखन-चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, उसे 'लिपि' कहते हैं। 

प्रश्न 12. 
वैयक्तिक या व्यक्ति भाषा किसे कहते हैं? 
उत्तर : 
पैतृक गुण, वातावरण, शिक्षा-दीक्षा तथा वाग्यन्त्र की भिन्नता के कारण वाणी का जो रूप उभरता है, उसे 'व्यक्ति भाषा' कहते हैं। 

प्रश्न 13. 
भाषा की कितनी इकाइयाँ होती हैं? 
उत्तर : 
भाषा की सामान्य रूप से पाँच इकाइयाँ होती हैं-

  1. ध्वनि 
  2. वर्ण 
  3. शब्द 
  4. पद और 
  5. वाक्य। 

प्रश्न 14. 
'भाषा' शब्द की व्युत्पत्ति स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
'भाषा' शब्द संस्कृत की 'भाष' (भाष व्यक्तायां वाचि) धातु से टाप् (आ) प्रत्यय करने पर बनता है।

प्रश्न 15. 
'उपबोली' किसे कहते हैं? 
उत्तर : 
स्थानीय बोली या एकदम सीमित क्षेत्र के लोगों की बोली को 'उपबोली' या स्थानीय बोली कहते हैं। 

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प्रश्न 16. 
बोली और भाषा का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
उत्तर : 
क्षेत्र-विशेष में प्रचलित भाषा को बोली कहते हैं, इसे ही क्षेत्रीय बोली या क्षेत्रीय भाषा भी कहते हैं। 

प्रश्न 17. 
कोई बोली भाषा कब बन जाती है? 
उत्तर : 
कोई बोली जब व्यापक रूप में प्रयुक्त होती है, उसमें साहित्य-रचना होने लगती है, तो वह बोली भाषा बन जाती है। 

प्रश्न 18. 
परिनिष्ठित भाषा किसे कहते हैं? 
उत्तर : 
जी भाषा परिष्कृत, व्याकरण-सम्मत, सर्वजन स्वीकार्य, आदर्श रूप में प्रचलित एवं शासन-स्तर पर व्यवहत होती है, उसे परिनिष्ठित भाषा कहते हैं। 

प्रश्न 19. 
हिन्दी भाषा की विभिन्न बोलियाँ कौनसी हैं? नाम लिखिए। 
उत्तर : 
हिन्दी भाषा की विभिन्न बोलियाँ-पूर्वी हिन्दी, पश्चिमी हिन्दी, बिहारी, राजस्थानी तथा पहाड़ी हैं। 

प्रश्न 20. 
पूर्वी हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ कौनसी हैं? 
उत्तर : 
पूर्वी हिन्दी की प्रमुख बोलियाँ हैं-अवधी, बघेली तथा छत्तीसगढ़ी। 

प्रश्न 21. 
बोली किसे कहते हैं? 
उत्तर : 
सीमित क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली वाग्व्यवहार की वाणी को 'बोली' कहते हैं। 

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प्रश्न 22. 
पश्चिमी हिन्दी की कौन-कौनसी बोलियाँ हैं? 
उत्तर : 
पश्चिमी हिन्दी की ये बोलियाँ हैं-खड़ी बोली, ब्रज, बांगरू (हरियाणवी), बुन्देली तथा कन्नौजी। 

प्रश्न 23. 
पहाड़ी हिन्दी की कौन-कौनसी बोलियाँ हैं? 
उत्तर : 
पहाड़ी हिन्दी की ये बोलियाँ हैं-गढ़वाली, कुमाऊँनी तथा मंडियाली। 

प्रश्न 24. 
राजस्थानी भाषा की प्रमख बोलियाँ कौनसी हैं? 
उत्तर : 
राजस्थानी भाषा की प्रमुख बोलियाँ मेवाड़ी, मारवाड़ी, मेवाती तथा हाड़ौती हैं। 

प्रश्न 25. 
व्याकरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिसके द्वारा भाषा को शुद्ध बोलने और शुद्ध लिखने का ज्ञान होता है, उसे व्याकरण कहते हैं। 

प्रश्न 26. 
व्याकरण के प्रमुख विभाग या अंग कौनसे हैं? 
उत्तर : 
व्याकरण के प्रमुख चार विभाग हैं-वर्ण-विचार, शब्द-विचार, पद-विचार और वाक्य-विचार। 

प्रश्न 27. 
व्याकरणशास्त्र के द्वारा किसका विश्लेषण किया जाता है? 
उत्तर : 
व्याकरणशास्त्र के द्वारा भाषा की ध्वनि (स्वर व व्यंजन), शब्द, पद, पदांश, वाक्यांश और वाक्य की संरचना का विश्लेषण किया जाता है। 

प्रश्न 28. 
वर्ण किन्हें कहते हैं? परिभाषा बताइए। 
उत्तर : 
मुख से उच्चरित स्वर-व्यंजन ध्वनियाँ जब लिखित या लिपि रूप में प्रयुक्त होती हैं, तब उन्हें 'वर्ण' कहते हैं। 

प्रश्न 29. 
'अक्षर' किसे कहते हैं? लिखिए। 
उत्तर : 
जिस ध्वनि का उच्चारण वाग्यन्त्र द्वारा श्वास-वायु के एक ही आघात से होता है, उसे 'अक्षर' कहते हैं। 

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प्रश्न 30.
भारत सरकार द्वारा कितनी क्षेत्रीय भाषाएँ मान्य हैं? 
उत्तर : 
भारत सरकार द्वारा सोलह क्षेत्रीय भाषाएँ मान्य हैं।

प्रश्न 31. 
हिन्दी भाषा की स्वर-ध्वनियों में किनकी गणना होती है? 
उत्तर : 
हिन्दी भाषा की स्वर-ध्वनियों में सभी स्वर, स्वरों की मात्राएँ, विसर्ग तथा अनुनासिक की गणना होती है। 

प्रश्न 32. 
ध्वनि किसे कहते हैं?
उत्तर : 
मुख से निकलने वाली, वाग्यन्त्र से उच्चरित प्रत्येक स्वतन्त्र आवाज को 'ध्वनि' कहते हैं। 

प्रश्न 33.
शब्द और पद किसे कहते हैं?
उत्तर : 
एक या एक से अधिक वर्षों से बने और सार्थक ध्वनि को शब्द कहते हैं। शब्द जब वाक्य में प्रयुक्त होता है तो उसे 'पद' कहते हैं। 

प्रश्न 34. 
वाक्य किसे कहते हैं? लिखिए। 
उत्तर : 
विशेष क्रम से लिखे गये सार्थक शब्दों के समूह को, जो पूर्ण अभिप्राय व्यक्त करे, उसे वाक्य कहते हैं। 

प्रश्न 35. 
हिन्दी भाषा की सभी ध्वनियों का वर्गीकरण किस आधार पर किया जाता है? 
उत्तर : 
हिन्दी भाषा की सभी ध्वनियों का वर्गीकरण उच्चारण-स्थान तथा उच्चारण-प्रयत्न (स्पर्श) के आधार पर किया जाता है। 

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प्रश्न 36. 
भारत की प्राचीन लिपियाँ कौन-कौनसी थीं? 
उत्तर : 
भारत की प्राचीन लिपियाँ ब्राह्मी और खरोष्ठी थीं। 

प्रश्न 37. 
देवनागरी लिपि का विकास किस लिपि से माना जाता है? 
उत्तर : 
देवनागरी लिपि का विकास भारत की 'ब्राह्मी लिपि से माना जाता है। 

प्रश्न 38. 
किन भाषाओं को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है? 
उत्तर : 
संस्कृत, हिन्दी, प्राकृत, मराठी, कोंकणी, नेपाली आदि भाषाओं को देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। 

प्रश्न 39. 
ब्रेल लिपि से क्या आशय है? 
उत्तर : 
अंधे लोगों के लिए संकेत-चिह्नों के रूप में लिखने-पढ़ने के माध्यम को 'ब्रेल लिपि' कहते हैं। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 1. 
भाषा किसे कहते हैं? स्पष्ट लिखिए। 
उत्तर : 
मानव-समाज परस्पर विचारों एवं भावों का विनिमय करता है, सन्देश और सूचना देता है या अपनी बात सम्प्रेषण करता है। इस तरह की अभिव्यक्ति जिस माध्यम से होती है, उसे भाषा कहते हैं। वाणी का व्यक्त रूप ही भाषा कहलाती है। इस प्रकार मनुष्य की वाचिक वाणी ही मानक भाषा कहलाती है। 

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प्रश्न 2. 
कोई बोली भाषा कब बन जाती है? 
उत्तर : 
सामान्यतः कोई 'बोली' तभी एक बोली कही जाती है, जब तक उसे साहित्य, धर्म, व्यापार या राजनीति के कारण महत्त्व न प्राप्त हो, या जब तक पड़ोसी बोलियों के बोलने वाले उसे समझ न सकें। इन दोनों में से किसी एक या दोनों की प्राप्ति करते ही बोली भाषा बन जाती है। 

प्रश्न 3. 
भाषा के प्रयोजन को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर : 
भाषा का प्रयोजन विचारों को प्रकट. करना है और विचार प्रकट करने के लिए मुख्यतः श्रोत्रग्राह ध्वनि चिह्न तथा लेखबद्ध अक्षरों की सहायता ली जाती है। दर्शन, स्पर्श और संकेत आदि द्वारा भी विचारों को व्यक्त किया जाता है। भाषा का दूसरा प्रयोजन किसी विषय पर विचार व्यक्त करना भी है।
 
प्रश्न 4. 
भाषा के किस रूप में व्याकरण सम्मतता की अधिकता सम्भव होती है? 
उत्तर : 
भाषा दो रूपों में प्रयुक्त होती है-मौखिक (उच्चरित) और लिखित। भाषा के दोनों रूप व्याकरण के नियमों से अनशासित रहते हैं. किन्त मौखिक रूप में यह व्याकरण सम्मतता कम रहती है। रहता है, व्याकरण का उल्लंघन स्वाभाविक रहता है। लिखित रूप में भाषा का प्रयोग सोच-विचार के साथ होता है। अतः लिखित रूप अधिक व्याकरण सम्मत होता है। 

प्रश्न 5. 
हिन्दी व्याकरण के बारे में संक्षेप में लिखिए। 
उत्तर : 
व्याकरण वह शास्त्र है, जो हमें किसी भाषा के शुद्ध रूप को लिखने तथा बोलने के नियमों का ज्ञान कराता है। व्याकरण से नियमों में स्थिरता आती है। नियमों की स्थिरता भाषा को परिनिष्ठित रूप प्रदान करती है अतः व्याकरण ही ऐसा शास्त्र है जो भाषा को सर्वमान्य, शिष्ट-सम्मत एवं स्थायी रूप प्रदान करता है।

प्रश्न 6. 
खड़ी बोली हिन्दी ने अपने शब्द-भण्डार का विकास किस प्रकार किया है? 
उत्तर : 
भाषा का मानक रूप तैयार करने के लिए सरकार ने अनेक कोश तैयार कराये हैं, पारिभाषिक शब्दकोश का निर्माण कराने के बाद हिन्दी का एक मानक रूप स्थापित हो गया है। पश्चिमी हिन्दी से विकसित खड़ी बोली ने शब्द भण्डार का विकास प्राकृत > पाली > अपभ्रंश > संस्कृत से तद्भव रूप में किया है। इसमें उर्दू शब्दों का भी समावेश है। 

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प्रश्न 7. 
भाषा और बोली में क्या अन्तर है? बताइये। 
उत्तर : 
व्यापक सामाजिक क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाली, सम्प्रेषण का माध्यम तथा वाचिक अभिव्यक्ति भाषा कहलाती है, परन्तु जो सीमित क्षेत्र में बोली जाती है और स्थान-भेद बोलचाल रूप में अविकसित रूप में प्रयुक्त होती है, उसे बोली कहते हैं या उपभाषा भी कहते हैं। भाषा का अपना व्याकरण होता है, परन्तु बोली व्याकरण से मुक्त रहती है।

प्रश्न 8. 
भाषा और व्याकरण का सम्बन्ध बताइये। 
उत्तर : 
व्याकरण भाषा की वर्तनी को निश्चित रूप प्रदान करता है, अर्थात् जो भाषा मानक रूप में प्रयुक्त होती है, उसके वर्णों, व्यंजनों, शब्दों एवं वाक्यों आदि का विवेचन एवं प्रतिपादन व्याकरण के द्वारा ही होता है। अतः वाचिक माध्यम भाषा को बोलने-लिखने के नियमों से साधने वाली वर्तनी को व्याकरण कहते हैं। बिना व्याकरण के भाषा का परिष्कार नहीं हो पाता है। 

प्रश्न 9. 
नागरी या देवनागरी लिपि का परिचय दीजिए। 
उत्तर : 
हिन्दी भाषा की लिपि देवनागरी है। भाषा की ध्वनियों को जिन लेखन-चिह्नों में लिखा जाता है, उसे लिपि कहते हैं, लिपि में मौखिक भाषा को ध्वनियों के अनुसार लिखकर व्यक्त करने के मानक चिह्न होते हैं, जैसे देवनागरी लिपि में समस्त स्वर, व्यंजन एवं वर्ण तथा उनसे निर्मित शब्द आदि के जो मानक स्वरूप हैं, वे सब नागरी या देवनागरी लिपि में प्रयुक्त होते हैं। 

प्रश्न 10. 
भाषा और लिपि के अन्तर पर प्रकाश डालिए। 
उत्तर : 
भाषा और लिपि का अन्तर निम्न प्रकार है - 

  • भाषा सूक्ष्म है, लिपि स्थूल है। 
  • भाषा की ध्वनियों में अस्थायित्व है, लिपि में अपेक्षाकृत स्थायित्व है। 
  • भाषा में सुर, तान आदि के द्वारा बहुत कुछ मनोभावों को व्यक्त किया जा सकता है, लिपि में नहीं। 
  • भाषा श्रव्य है, लिपि दृश्य एवं पाठ्य। 
  • भाषा त्वरित प्रभावकारी है, लिपि विलम्ब से।

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प्रश्न 11. 
लिपि किसे कहते हैं? देवनागरी लिपि के गुण बताइए। 
उत्तर : 
भाषा का लिखित रूप स्थायी होता है। भाषा की ध्वनियों को जिन लेखन-चिह्नों में लिखा जाता है, उसे लिपि कहते हैं। लिपि में वर्तनी-चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। देवनागरी लिपि के निम्न गुण है - 

  1. एक ध्वनि के लिए एक ही वर्ण संकेत। 
  2. एक वर्ण संकेत से अनिवार्यतः एक ही ध्वनि व्यक्त। 
  3. जो ध्वनि का नाम वही वर्ण का नाम। 
  4. मूक वर्ण नहीं। 
  5. जो बोला जाता है वही लिखा जाता है। 
  6. एक वर्ण में दूसरे वर्ण का भ्रम नहीं। 
  7. उच्चारण के सूक्ष्मतम भेद को भी प्रकट करने की क्षमता। 
  8. वर्णमाला ध्वनि वैज्ञानिक पद्धति के बिल्कुल अनुरूप। 
  9. प्रयोग बहुत व्यापक (संस्कृत, हिन्दी, मराठी, नेपाली की एकमात्र लिपि)। 
  10. भारत की अनेक लिपियों के निकट। 

प्रश्न 12. 
व्याकरण के प्रमुख अंगों का परिचय दीजिए। 
उत्तर : 
व्याकरण के प्रमुख अंग चार हैं - 

  • वर्ण विचार-इसके अन्तर्गत वर्षों से शब्द-निर्माण प्रक्रिया का उल्लेख किया जाता है। 
  • शब्द विचार-इसमें शब्द के भेद, उत्पत्ति, व्युत्पत्ति व रचना आदि का उल्लेख होता है। 
  • पद-विचार-इसमें शब्द से पद निर्माण प्रक्रिया, पद के विविध रूपों का वर्णन होता है। 
  • वाक्य विचार-इससे वाक्य के भेद, अन्वय, विश्लेषण, संश्लेषण, रचना-अवयव तथा वाक्य निर्माण प्रक्रिया की जानकारी दी जाती है।

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प्रश्न 13. 
भाषा की प्रमुख इकाइयों का परिचय दीजिए। 
उत्तर : 
भाषा की निम्न इकाइयाँ हैं 

  1. ध्वनि-हमारे मुँह से निकलने वाली प्रत्येक आवाज 'ध्वनि' कहलाती है। 
  2. वर्ण-यह भाषा की सबसे छोटी इकाई है। जैसे-क्, च्, ट् आदि। 
  3. शब्द-वर्णों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। जैसे - रा + म = राम 
  4. पद-वाक्य में प्रयुक्त शब्द को पद कहा जाता है। 
  5. वाक्य-शब्दों के मेल से अब एक पूर्ण विचार प्रकट होता है, तो वह शब्द समूह 'वाक्य' कहलाता है।
Prasanna
Last Updated on July 20, 2022, 4:02 p.m.
Published July 6, 2022