RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 8 नियन्त्रण

These comprehensive RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 8 नियन्त्रण will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Business Studies in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Business Studies Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Business Studies Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 8 Notes नियन्त्रण

→ विषय प्रवेश:
एक सुयोग्य प्रबंधक विपरीत व्यावसायिक परिस्थितियों को नियंत्रित कर लेता है। एक प्रबंधक के लिए उसका प्रबंधन में नियंत्रण कार्य सुरक्षा कवच का कार्य करता है। यह केवल कार्य को विधिवत् चलाने में ही सहायता नहीं करता बल्कि द्रुत गति से उसे अग्रसर होने में भी आश्वस्त करता है तथा जो लक्ष्य पहले से निर्धारित किए गए थे उन्हें प्राप्त करता है।

→ नियन्त्रण का अर्थ:
नियन्त्रण से तात्पर्य संगठन में नियोजन के अनुसार क्रियाओं के निष्पादन से है। यह इस बात का आश्वासन है कि संगठन के पूर्व निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी संसाधनों का उपयोग प्रभावी तथा दक्षतापूर्ण ढंग से हो रहा है। अतः नियन्त्रण एक उद्देश्य-मूलक कार्य है। अन्य शब्दों में, नियन्त्रण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से वर्तमान निष्पादन का मापन किया जाता है और कुछ पूर्व निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसका मार्गदर्शन करता है।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 8 नियन्त्रण

→ नियन्त्रण का महत्त्व:
एक अच्छी नियन्त्रण विधि एक संस्थान में निम्न प्रकार से सहायक होती है

  • संगठनात्मक लक्ष्यों की निष्पत्ति,
  • मानकों की यथार्थता को आँकना,
  • संसाधनों का फलोत्पादक उपयोग,
  • कर्मचारियों की अभिप्रेरणा में सुधार,
  • आदेश एवं अनुशासन की सुनिश्चितता,
  • कार्य में समन्वय की सुविधा।

→ नियन्त्रण की सीमाएँ:

  • परिमाणात्मक मानकों के निर्धारण में कठिनाई,
  • बाह्य घटकों पर अल्प नियन्त्रण,
  • कर्मचारियों से प्रतिरोध,
  • महँगा सौदा।

→ नियोजन एवं नियन्त्रण में सम्बन्ध:
नियोजन एवं नियन्त्रण प्रबन्ध के एक-दूसरे से अलग नहीं होने वाले कार्य हैं। नियोजन प्रबन्ध का प्राथमिक कार्य है तो नियन्त्रण प्रबन्ध का अन्तिम कार्य माना जाता है। नियोजन नियन्त्रण प्रक्रिया को पूरा करता है। नियोजन, नियन्त्रण के लिए आधार प्रदान करता है। बिना नियन्त्रण के सुनियोजित एवं सुसंगठित योजनाएं भी निष्कल ही सिद्ध होती हैं तथा प्रायः निरर्थक ही रहती हैं। नियोजन तथा नियन्त्रण दोनों ही पीछे की ओर देखने वाले तथा दोनों भविष्य की ओर देखने वाले हैं अर्थात् दोनों ही भूत एवं भविष्य दोनों का ध्यान रखते हैं। अत: नियोजन तथा नियन्त्रण दोनों ही परस्पर सम्बन्धित हैं।

→ नियन्त्रण प्रक्रिया:
नियन्त्रण की एक विधिवत् प्रक्रिया है जिसमें निम्नलिखित कदमों को सम्मिलित किया जाता है

  • निष्पादन मानकों का निर्धारण करना।
  • वास्तविक निष्पादन की माप करना।
  • मानकों एवं वास्तविक निष्पादन की तुलना करना।
  • विचलनों का विश्लेषण करना।
  • सुधारात्मक कार्यवाही करना।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 8 नियन्त्रण

→ प्रबन्धकीय नियन्त्रण की तकनीक:
प्रबन्धकीय नियन्त्रण की विभिन्न तकनीकों को मुख्यत: निम्न दो विस्तृत श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
(1) पारम्परिक तकनीकें-पारम्परिक तकनीकें वे तकनीकें हैं जो लम्बे समय से कम्पनियों के द्वारा उपभोग में लायी जा रही हैं और अभी तक अप्रचलित नहीं हुई हैं। ये तकनीकें हैं

  • व्यक्तिगत अवलोकन या निरीक्षण,
  • सांख्यिकीय रिपोर्ट्स/प्रतिवेदन,
  • बिना हानि-लाभ व्यापार विश्लेषण,
  •  बजटीय नियन्त्रण।

(2) आधुनिक तकनीकें:
आधुनिक तकनीकों से तात्पर्य उन तकनीकों से है जिनका अभ्युदय अभी-अभी हुआ है तथा जो प्रबन्ध के क्षेत्र में भी नई हैं। ये तकनीकें निम्नलिखित हैं

  • निवेश पर प्रत्याय,
  • अनुपात विश्लेषण,
  • उत्तरदायित्व लेखांकन,
  • प्रबन्ध अंकेक्षण,
  • पुनरावलोकन तकनीक (पी.ई.आर.टी.) एवं आलोचनात्मक उपाय प्रणाली (सी.पी.एम.),
  • प्रबन्ध सूचना पद्धति।
Prasanna
Last Updated on June 17, 2022, 11:22 a.m.
Published June 17, 2022