RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

These comprehensive RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Business Studies in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Business Studies Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Business Studies Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 12 Business Studies Chapter 3 Notes व्यावसायिक पर्यावरण

→ विषय प्रवेश:
किसी व्यवसाय की सफलता केवल उसके आंतरिक प्रबंध पर ही निर्भर नहीं करती बल्कि बहुत से बाह्य तत्त्वों पर भी निर्भर करती है। एक नवाचार प्रक्रिया का प्रभाव संपूर्ण उद्योग की उत्पादन क्षमता पर पड़ता है जिससे उस उद्योग में कार्यरत श्रमिकों की गुणवत्ता में वृद्धि आती है। यह पर्यावरण परिस्थितियाँ एवं उनका व्यावसायिक उद्यमों के परिचालन पर प्रभाव डालते हैं।

→ व्यावसायिक पर्यावरण का अर्थ:
व्यावसायिक पर्यावरण शब्द से तात्पर्य सभी व्यक्ति, संस्थान एवं अन्य शक्तियों की समग्रता से है जो व्यावसायिक उद्यम के बाहर हैं लेकिन इनके परिचालन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
इस प्रकार आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, तकनीकी एवं अन्य शक्तियाँ जो व्यवसाय से हटकर कार्य करती हैं, व्यावसायिक पर्यावरण के भाग मानी जाती हैं।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

→ व्यावसायिक पर्यावरण की विशेषताएँ:
व्यावसायिक पर्यावरण की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  • बाह्य शक्तियों की समग्रता
  • विशिष्ट एवं साधारण शक्तियाँ
  • आन्तरिक संबंध
  • गतिशील प्रकृति
  • अनिश्चितता
  • जटिलता
  • तुलनात्मकता।

→ व्यावसायिक पर्यावरण का महत्त्व:
व्यावसायिक पर्यावरण का महत्त्व इस प्रकार है

  • सम्भावनाओं/ अवसरों की पहचान करने एवं पहल करने के लाभ
  • खतरे की पहचान एवं समय से पहले चेतावनी में सहायक
  • उपयोगी संसाधनों का दोहन
  • तीव्रता से हो रहे परिवर्तनों का सामना करना
  • नियोजन एवं नीति निर्धारण में सहायता
  • निष्पादन में सुधार ।

→ पर्यावरण के आयाम-व्यावसायिक पर्यावरण के आयाम अथवा तत्त्वों में निम्नलिखित सम्मिलित हैं जो एक उद्यम के निर्णय लेने एवं निष्पादन में सुधार के लिए प्रासंगिक माने जाते हैं

  • आर्थिक पर्यावरण
  • सामाजिक पर्यावरण
  • प्रौद्योगिकीय पर्यावरण
  • राजनैतिक पर्यावरण
  • विधिक पर्यावरण।

→ भारत में आर्थिक पर्यावरण:
भारत में आर्थिक पर्यावरण में उत्पादन के साधनों एवं धन के वितरण से सम्बन्ध रखने वाले वे विभिन्न समष्टि स्तर के तत्त्व सम्मिलित हैं जिनका व्यवसाय एवं उद्योग पर प्रभाव पड़ता है। हमारे देश में व्यवसाय के आर्थिक पर्यावरण में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही निरन्तर बदलाव आ रहा है जिसका मुख्य कारण सरकार की नीतियाँ हैं । स्वतन्त्रता प्राप्ति पर देश की आर्थिक समस्याओं का समाधान करने के लिए भारत सरकार ने अनेक कदम उठाये, जैसे-मुख्य उद्योगों पर सरकारी नियन्त्रण, केन्द्रीय योजनाएँ एवं निजी क्षेत्र का घटता महत्त्व। यद्यपि भारत को आर्थिक नियोजन को अपनाने के मिश्रित परिणाम सामने आये। बहुत अच्छी फसल होने के बावजूद भी सन् 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने गम्भीर विदेशी मुद्रा का संकट, उच्च राजकीय घाटा तथा मूल्य वृद्धि की समस्या सामने आयी। आर्थिक सुधारों के रूप में भारत सरकार ने सन् 1991 में नयी औद्योगिक नीति की घोषणा की। यह नीति लाइसेंस प्रणाली के बन्धन से उद्योगों को मुक्त करना चाहती है (उदारीकरण), सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को अत्यधिक मात्रा में कम करना चाहती है (निजीकरण) तथा भारत के औद्योगिक विकास में विदेशी निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देना चाहती है (वैश्वीकरण)।

→ उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण:
उदारीकरण का अर्थ है-भारतीय व्यवसाय एवं उद्योग को अनावश्यक नियन्त्रण एवं प्रतिबन्धों से मुक्त कराना। निजीकरण का अर्थ है-राष्ट्र के निर्माण की प्रक्रिया में निजी क्षेत्र की भूमिका को बढ़ाना तथा सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिका को कम करना। वैश्वीकरण का अर्थ हैविश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ जोड़ना।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 3 व्यावसायिक पर्यावरण

→ विमुद्रीकरण:
विमुद्रीकरण के मुख्य उद्देश्य हैं-भ्रष्टाचार को रोकना, आतंकी गतिविधियों हेतु प्रयुक्त होने वाले उच्च मूल्य वर्ग के नकली नोटों को रोकना तथा विशेष रूप से कालेधन के संचय को रोकना जो उस आय द्वारा बनाया गया है जो कर अधिकारियों के समक्ष घोषित नहीं की गई।

→ व्यवसाय एवं उद्योग पर सरकारी नीतियों में परिवर्तन का प्रभाव-भारत सरकार की उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण की नीति का व्यवसाय एवं उद्योग की व्यावयायिक इकाइयों के कार्यों पर समुचित प्रभाव पड़ा है जो इस प्रकार है-

  • प्रतियोगिता में वृद्धि
  • अधिक अपेक्षा रखने वाले ग्राहक
  • प्रौद्योगिकी पर्यावरण में तेजी से परिवर्तन
  • परिवर्तन की आवश्यकता
  • मानव संसाधनों के विकास की आवश्यकता
  • बाजार अभिविन्यास
  • सार्वजनिक क्षेत्र को बजटीय समर्थन का अभाव। नये आर्थिक पर्यावरण में भारतीय उद्यमों ने प्रतियोगिता की चुनौती का सामना करने के लिए अनेक प्रकार की व्यूहरचना को विकसित किया है एवं व्यावसायिक प्रक्रिया एवं पद्धति अपनायी है। वे अब अधिक ग्राहक-केन्द्रित हो गये हैं तथा ग्राहकों से सम्बन्ध एवं उनकी सन्तुष्टि में सुधार ला रहे हैं।
Prasanna
Last Updated on June 17, 2022, 11:05 a.m.
Published June 17, 2022