RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 2 प्रबन्ध के सिद्धान्त

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RBSE Class 12 Business Studies Chapter 2 Notes प्रबन्ध के सिद्धान्त

→ विषय प्रवेश:
प्रबंध विषय से संबंधित सोच का एक लंबा इतिहास है। प्रबंध के सिद्धांतों का विकास हुआ है एवं अभी भी यह प्रक्रिया जारी है। फ्रेड्रिक विंसलो टेलर ने वैज्ञानिक प्रबंध की अवधारणा दी जबकि हेनरी फेयॉल ने प्रशासनिक सिद्धांतों पर बल दिया।

→ प्रबंध के सिद्धांत-एक अवधारणा:
प्रबन्ध के सिद्धान्त निर्णय लेने एवं व्यवहार के लिए व्यापक एवं सामान्य मार्गदर्शक होते हैं। अन्य शब्दों में, प्रबन्ध के सिद्धान्त सामान्य दिशा-निर्देश हैं जिन्हें कुछ स्थितियों में कार्यस्थलों के संचालन के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। ये प्रबन्धकों को निर्णयों के क्रियान्वयन में सहायक होते हैं।

→ प्रबन्ध के सिद्धान्त विज्ञान के सिद्धान्तों के समान बेलोच नहीं होते हैं क्योंकि इनका सम्बन्ध मानवीय व्यवहार से होता है। इसलिए इनको परिस्थिति की माँग के अनुसार उपयोग में लाया जाता है।

→ प्रबन्ध के सिद्धान्त नये नहीं हैं। ये प्रबन्ध की तकनीकों से भिन्न होते हैं क्योंकि ये तकनीकों का प्रयोग करने में, निर्णय लेने या कार्य करने में मार्गदर्शन का कार्य करते हैं । सिद्धान्त मूल्यों से भी भिन्न होते हैं। प्रबन्ध के सिद्धान्तों को व्यवहार में लाते समय मूल्यों की अवहेलना नहीं कर सकते क्योंकि व्यवसाय को समाज के प्रति सामाजिक एवं नैतिक उत्तरदायित्वों को निभाना होता है।

 

→ प्रकृति:
सर्वप्रयुक्त, सामान्य मार्गदर्शन का कार्य करना, व्यवहार एवं शोध द्वारा निर्मित, लोचपूर्ण, व्यावहारिक, कारण एवं परिणामों के बीच सम्बन्ध स्थापित करना, प्रयोग अनिश्चित होना।

→ महत्त्व:
प्रबन्ध के सिद्धान्तों का महत्त्व इस प्रकार है-प्रबन्धकों को वास्तविकता का उपयोगी सूक्ष्म ज्ञान प्रदान करना, संसाधनों का अधिकतम उपयोग एवं प्रभावी प्रशासन, वैज्ञानिक निर्णय, बदलती पर्यावरण की आवश्यकताओं को पूरा करना, सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करना, प्रबन्ध प्रशिक्षण, शिक्षा एवं अनुसन्धान एवं आधार के रूप में उपयोग।

→ टेलर का वैज्ञानिक प्रबन्ध:
एफ.डब्ल्यू. टेलर (20 मार्च, 1856 से 21 मार्च, 1915 तक) को वैज्ञानिक प्रबन्ध का जन्मदाता माना जाता है । उन्होंने अंगूठा टेक के स्थान पर वैज्ञानिक प्रबन्ध को सुझाया। उन्होंने मानवीय क्रियाओं को छोटे-छोटे भागों में बाँटा तथा यह पता किया कि वह इनसे कम समय में अधिक उत्पादकता किस प्रकार से प्राप्त कर सकता है ?

→ टेलर के अनुसार, "वैज्ञानिक प्रबन्ध यह जानने की कला है कि आप श्रमिकों से क्या काम कराना चाहते हैं और फिर यह देखना कि वे उसको सर्वोत्तम ढंग से एवं कम-से-कम लागत पर करें।"

→ टेलर द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक प्रबन्ध के सिद्धान्त:
विज्ञान पद्धति न कि अंगूठा टेक नियम; सहयोग, न कि टकराव; सहयोग, न कि व्यक्तिवाद; प्रत्येक व्यक्ति का उसकी अधिकाधिक क्षमता एवं समृद्धि के लिए विकास।

→ टेलर के अनुसार वैज्ञानिक प्रबन्ध की तकनीक:
कार्यात्मक फोरमैनशिप, कार्य का प्रमापीकरण एवं सरलीकरण, कार्य-पद्धति अध्ययन, गति अध्ययन, समय अध्ययन, थकान अध्ययन एवं विभेदात्मक पारिश्रमिक प्रणाली।

→ हेनरी फेयोल के प्रबन्ध के सिद्धान्त:
प्रबन्ध की क्लासिकल विचारधारा के विकास में फेयोल के प्रशासनिक सिद्धान्त महत्त्वपूर्ण कड़ी का कार्य करते हैं । फेयोल ने यह समझाया है कि प्रबन्धक का क्या कार्य है एवं इसे पूरा करने के लिए किन सिद्धान्तों का पालन किया जायेगा? फेयोल के द्वारा प्रबन्ध-जगत् में किये गये योगदान के कारण उन्हें 'सामान्य प्रबन्ध का जनक' कहा जाता है। हेनरी फेयोल (1841-1925) फ्रांसीसी प्रबन्ध सिद्धान्तकार थे।

→ प्रबन्ध के कार्य:
फेयोल के अनुसार प्रबन्ध के कार्य हैं-नियोजन, संगठन, निर्देशन एवं नियन्त्रण।

→ औद्योगिक क्रियाएँ:
फेयोल ने औद्योगिक इकाई के कार्य इस प्रकार बतलाये हैं-तकनीकी, वाणिज्यिक, वित्तीय, सुरक्षा, लेखाकर्म एवं प्रबन्धन।

→ प्रबन्ध के गुण:
फेयोल ने एक प्रबन्धक में जो गुण बतलाये हैं वे हैं-शारीरिक, नैतिक, शैक्षणिक, ज्ञान एवं अनुभव।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 2 प्रबन्ध के सिद्धान्त

→ फेयोल के प्रबन्ध के सिद्धान्त:
फेयोल ने प्रबन्ध के 14 सिद्धान्त इस प्रकार बतलाये हैं-कार्य का विभाजन, अधिकार एवं उत्तरदायित्व, अनुशासन, आदेश की एकता, निर्देश की एकता, सामूहिक हितों के लिए व्यक्तिगत हितों का समर्पण, कर्मचारियों को प्रतिफल, केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण, सोपान श्रृंखला, व्यवस्था, समता, कर्मचारियों की उपयुक्तता, पहल क्षमता एवं सहयोग की भावना।

Prasanna
Last Updated on June 17, 2022, 11 a.m.
Published June 17, 2022