RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 11 विपणन

These comprehensive RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 11 विपणन will give a brief overview of all the concepts.

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RBSE Class 12 Business Studies Chapter 11 Notes विपणन

→ बाजार का अर्थ:
परम्परागत रूप से बाजार से अभिप्राय उस स्थान से है जहाँ क्रेता एवं विक्रेता वस्तु एवं सेवाओं के विनिमय सम्बन्धी लेन-देन करते हैं। आधुनिक रूप में बाजार शब्द का अभिप्राय किसी वस्तु अथवा सेवा के वास्तविक एवं सम्भावित क्रेताओं के समूह से है।

→ विपणन क्या है ?:

  • परम्परागत रूप से विपणन उन व्यावसायिक क्रियाओं का निष्पादन माना जाता है जिनके कारण वस्तु. एवं सेवाएँ उत्पादक से उपभोक्ता तक पहुँचती हैं।
  • विपणन मात्र उत्पादन के बाद की क्रिया नहीं है। इसमें कई वे क्रियाएँ सम्मिलित हैं जो वस्तुओं के वास्तविक उत्पादन से पूर्व की जाती हैं तथा उनके विक्रय के पश्चात् भी जारी रहती हैं। 
  • वर्तमान में विपणन एक सामाजिक क्रिया है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें लोग वस्तु एवं सेवाओं का मुद्रा अथवा किसी ऐसी वस्तु में विनिमय करते हैं जिसका उनके लिए कुछ मूल्य है। इस प्रकार विपणन एक सामाजिक प्रक्रिया है, जिसको लोग बातचीत कर दूसरों को एक विशेष प्रकार से व्यवहार के लिए प्रेरित करते हैं, जैसे किसी उत्पाद अथवा सेवा को क्रय करना।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 11 विपणन

→ विपणन की विशेषताएँ:

  • अपेक्षा एवं आवश्यकता,
  • उत्पाद का सृजन,
  • ग्राहक के योग्य मूल्य,
  • विनिमय पद्धति।

→ विपणन प्रबन्ध का अर्थ:
विपणन प्रबन्ध से अभिप्राय उन क्रियाओं के नियोजन, संगठन, निदेशन एवं नियन्त्रण से है जो उत्पादक एवं उपभोक्ता अथवा उत्पाद एवं सेवा के उपयोगकर्ता के बीच वस्तु एवं सेवाओं के विनिमय को सुगम बनाते हैं। यह बाजार में विपणन से इच्छित परिणाम प्राप्त करने पर केन्द्रित रहता है। 

→ विपणन प्रबन्ध प्रक्रिया में निम्नलिखित सम्मिलित हैं:

  • बाजार का चयन करना।
  • उत्पाद के लिए माँग पैदा करना, ग्राहकों को उत्पादों से सन्तुष्ट करना तथा नये ग्राहक बनाना।
  • सम्भावित ग्राहकों को उत्पादों के सम्बन्ध में बताना तथा उन्हें उत्पादों को खरीदने के लिए तैयार करना।

→ विपणन किसका किया जा सकता है-विपणन किसी भी चीज का किया जा सकता है यदि इसका दूसरों के लिए कुछ मूल्य है। यह एक उत्पाद हो सकता है अथवा सेवा या फिर एक व्यक्ति, स्थान, विचार, सूचना, घटना, संगठन या फिर अनुभव या सम्पत्ति।
विपणन एवं विक्रय-विपणन में बहुत बड़ी संख्या में विभिन्न क्रियाएँ सम्मिलित हैं जिनका सम्बन्ध उन उत्पादों के नियोजन, मूल्य निर्धारण, प्रवर्तन एवं वितरण से है जो ग्राहकों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, जबकि विक्रय का कार्य विक्रय कला, विज्ञापन एवं प्रचार तथा लघु अवधि प्रलोभन के माध्यम से, वस्तु एवं सेवाओं के प्रवर्तन तक सीमित है।

→ विपणन प्रबन्ध दर्शन:
विपणन की अवधारणा अथवा दर्शन का विकास एक लम्बे समय में निम्न प्रकार से हुआ है

  • उत्पादन की अवधारणा,
  • उत्पाद की अवधारणा,
  • बिक्री की अवधारणा,
  • विपणन की अवधारणा,
  • विपणन की सामाजिक अवधारणा।

→ विपणन की अवधारणा:
विपणन की अवधारणा के मुख्य स्तम्भ निम्नलिखित हैं

  • बाजार तथा ग्राहकों का विपणन के लक्ष्यों के रूप में चयन करना;
  • लक्षित बाजार के ग्राहकों की इच्छा एवं आवश्यकताओं को समझना;
  • लक्षित बाजार की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद एवं सेवाओं का विकास करना;
  • लक्षित बाजार की आवश्यकताओं को अपने प्रतियोगियों की तुलना में अधिक श्रेष्ठता से पूरा करना; एवं 
  • यह सभी कुछ लाभ के लिए करना।।

→ विपणन की सामाजिक अवधारणा:
विपणन की सामाजिक अवधारणा विपणन की अवधारणा का विस्तार है जो दीर्घ अवधि समाज कल्याण, ग्राहक सन्तुष्टि के अतिरिक्त विपणन के सामाजिक, नैतिक एवं प्राकृतिक पक्षों पर ध्यान देती है।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 11 विपणन

→ विपणन के कार्य

  • बाजार सम्बन्धी सूचना एकत्रित करना तथा उसका विश्लेषण करना,
  • विपणन नियोजन करना,
  • उत्पाद का रूपांकन एवं विकास करना,
  • प्रमापीकरण (मानकीकरण) एवं ग्रेड तय करना
  • पैकेजिंग एवं लेबलिंग करना,
  • ब्राण्डिंग,
  • ग्राहक समर्थन सेवाएँ,
  • उत्पाद का मूल्य निर्धारण,
  • संवर्द्धन,
  • वितरण,
  • परिवहन,
  • संग्रहण अथवा भण्डारण करना।

→ विपणन मिश्र:
विपणन मिश्र विपणन माध्यों का समूह है। यह विभिन्न दरों से मिलकर बनता है जिनको मुख्यतः चार वर्गों में विभक्त किया जा सकता है-

  • उत्पाद (Product),
  • मूल्य (Price),
  • स्थान (Place), एवं 
  • प्रवर्तन (Promotion) 

→ अर्थात् चार PSI विपणन की भूमिका

  • व्यावसायिक इकाई में भूमिका-व्यावसायिक इकाई के उद्देश्यों की प्राप्ति में अहम भूमिका निभाना। साथ ही व्यावसायिक इकाई के अस्तित्व एवं विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाना।
  • अर्थव्यवस्था में भूमिका-विपणन देश के आर्थिक विकास में उत्प्रेरक का कार्य करना तथा लोगों के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाना।

→ उत्पाद:
उत्पाद शब्द को उत्पाद की भौतिक विशेषताओं के रूप में उपयोग किया जा सकता है जैसे हमने एक सैलफोन खरीदा।

→ उत्पादों का वर्गीकरण:
(1) उपभोक्ता उत्पाद-वे उत्पाद जिन्हें अन्तिम उपभोक्ता अथवा उपयोगकर्ता अपनी निजी आवश्यकताओं एवं इच्छाओं की पूर्ति के लिए क्रय करता है, उपभोक्ता उत्पाद कहलाता है।
उपभोक्ता उत्पादों को दो तत्त्वों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है

  • क्रय के प्रयत्नों की सीमा के आधार पर
    (अ) सुविधा उत्पाद,
    (ब) क्रय योग्य वस्तुएँ,
    (स) विशिष्ट उत्पाद ।
  • उत्पादों के टिकाऊपन के आधार पर
    (अ) गैर-टिकाऊ उत्पाद,
    (ब) टिकाऊ उत्पाद,
    (स) सेवाएँ।

(2) औद्योगिक उत्पाद-औद्योगिक उत्पाद वे उत्पाद होते हैं जिनका अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए आगत के रूप में प्रयोग किया जाता है। जैसे-कच्चा माल, इंजन, मशीन, औजार आदि।
औद्योगिक उत्पादों को निम्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  • माल एवं पुर्जे,
  • पूँजीगत वस्तुएँ,
  • आपूर्ति एवं व्यावसायिक सेवाएँ।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 11 विपणन

→ ब्रांडिंग:
किसी उत्पाद को नाम, चिह्न अथवा कोई प्रतीक आदि देने की प्रक्रिया को ब्रांडिंग कहा जाता है। ब्रांडिंग से जुड़े कुछ शब्द निम्नलिखित हैं

  • ब्रांड-ब्रांड नाम, शब्द, चिह्न, प्रतीक अथवा इनमें से कुछ का मिश्रण है जिसका प्रयोग किसी एक विक्रेता या विक्रेता समूह के उत्पादों एवं सेवाओं की पहचान बनाने के लिए किया जाता है।
  • ब्रांड नाम-ब्रांड का वह भाग जिसे बोला जा सकता है, ब्रांड नाम कहलाता है।
  • ब्रांड चिह्न-ब्रांड का वह भाग जिसे पुकारा नहीं जा सकता है लेकिन जिसे पहचाना जा सकता है, ब्रांड चिह्न कहलाता है।
  • ट्रेडमार्क-ब्रांड अथवा उसके किसी भाग को यदि कानूनी संरक्षण प्राप्त हो जाता है तो उसे ट्रेडमार्क कहते हैं। 

एक अच्छे ब्रांड की विशेषताएँ

  • संक्षिप्त होना चाहिए,
  • उत्पाद के लाभ एवं गुणों का पता लगा सके
  • भिन्न होना चाहिए,
  • पर्याप्त लोच वाला हो, 
  • पंजीयन एवं कानूनी संरक्षण हो एवं
  • टिकाऊ होना चाहिए।

→ पैकेजिंग:
किसी उत्पाद के डिब्बे के आवरण को डिजाइन करना एवं उसका उत्पादन कार्य करना पैकेजिंग कहलाता है।

→ पैकेजिंग के स्तर

  • प्राथमिक पैकेजिंग,
  • द्वितीयक पैकेजिंग,
  • परिवहन के लिए पैकेजिंग।

→ पैकेजिंग का महत्त्व

  • स्वास्थ्य एवं स्वच्छता बनाये रखने में,
  • स्वयं सेवा दुकानें,
  • नवीनता के अवसर,
  • उत्पादों का विभेदीकरण।

→ पैकेजिंग के कार्य

  • उत्पाद की पहचान करना,
  • उत्पाद संरक्षण,
  • उत्पाद के उपयोग में सरल,
  • उत्पाद प्रवर्तन। 

→ लेबलिंग:
वस्तुओं के विपणन में सरल परन्तु महत्त्वपूर्ण कार्य पैकेज पर चिपकाने वाले लेबल का अनुरूपण है। लेबल उत्पाद पर टाँगे गये फीते से जटिल लेखाचित्र तक होते हैं जो पैकेज के भाग होते हैं।

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→ लेबल के कार्य:

  • उत्पाद का विवरण एवं विषय-वस्तु का वर्णन करना,
  • उत्पाद एवं ब्रांड की पहचान कराना
  • उत्पादों का श्रेणीकरण करना,
  • उत्पाद के प्रवर्तन में सहायता करना,
  • कानून सम्मत जानकारी देना। 

→ मूल्य निर्धारण:
मूल्य वह राशि है जिसका उत्पाद अथवा सेवा को क्रय के प्रतिफल के रूप में क्रेता द्वारा भुगतान किया जाता है अथवा विक्रेता द्वारा प्राप्त किया जाता है।

→ मूल्य/कीमत निर्धारण के निर्धारक तत्त्व:

  • वस्तु की लागत,
  • उपयोगिता एवं माँग,
  • बाजार में प्रतियोगिता की सीमा,
  • सरकार एवं कानूनी नियम,
  • मूल्य निर्धारण के उद्देश्य,
  • विपणन की पद्धतियाँ।

→ भौतिक वितरण:
भौतिक वितरण में वे सभी क्रियाएँ आती हैं जो वस्तुओं को निर्माता से लेकर ग्राहकों तक पहुँचाने के लिए आवश्यक हैं।
भौतिक वितरण में सम्मिलित महत्त्वपूर्ण क्रियाएँ इस प्रकार हैं-परिवहन, भण्डारण, माल का रख-रखाव एवं स्कन्ध नियन्त्रण।

→ भौतिक वितरण के घटक

  • आदेश का प्रक्रियण,
  • परिवहन,
  • भण्डारण,
  • संग्रहित माल पर नियन्त्रण।

→ प्रवर्तन:
प्रवर्तन विपणन मिश्र का एक ऐसा महत्त्वपूर्ण तत्त्व है जिसके माध्यम से विपणनकर्ता बाजार में वस्तु एवं सेवाओं के विनिमय को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग करते हैं।

→ प्रवर्तन मिश्र की तकनीकें

  • विज्ञापन,
  • वैयक्तिक विक्रय,
  • विक्रय संवर्द्धन, एवं 
  • प्रचार।

→ विज्ञापन:

  • विज्ञापन प्रवर्तन की बहुत सामान्य रूप से प्रयुक्त विधि है। यह सम्प्रेषण का गैर-वैयक्तिक स्वरूप है जिसके लिए विपणनकर्ता वस्तु एवं सेवा के प्रवर्तन के लिए भुगतान करते हैं।
  • सम्प्रेषण माध्यम के रूप में विज्ञापन के लाभ हैं-बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचाना, ग्राहक सन्तुष्टि एवं विश्वास में वृद्धि, स्पष्टता, मितव्ययता।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 11 विपणन

→ विज्ञापन की आलोचना:

  • लागत में वृद्धि,
  • सामाजिक मूल्यों में कमी,
  • क्रेताओं में असमंजस,
  • घटिया उत्पादों की बिक्री को प्रोत्साहन।।

→ वैयक्तिक विक्रय:
वैयक्तिक विक्रय में विक्रय के उद्देश्य से एक या एक से अधिक सम्भावित ग्राहकों से बातचीत के रूप में सन्देश का मौखिक प्रस्तुतीकरण समाहित है।

→ वैयक्तिक विक्रय की विशेषताएँ

  • व्यक्तिगत स्वरूप
  • सम्बन्धों का विकास। 

→ वैयक्तिक विक्रय के लाभ

  • लोचपूर्णता,
  • प्रत्यक्ष प्रत्युत्तर,
  • न्यूनतम अपव्यय।

→ वैयक्तिक विक्रय की भूमिका:
वैयक्तिक विक्रय का व्यवसायी, ग्राहक तथा समाज सभी के लिए महत्त्व होता है।

→ विक्रय संवर्द्धन:
विक्रय संवर्द्धन से तात्पर्य उन लघु अवधि प्रेरणाओं से है जो क्रेताओं को वस्तु एवं सेवाओं के तुरन्त क्रय करने के लिए प्रदान की जाती हैं। विक्रय संवर्द्धन में विज्ञापन, वैयक्तिक विक्रय एवं प्रचार सम्मिलित नहीं हैं।

→ विक्रय संवर्द्धन के लाभ:

  • ध्यानाकर्षण मूल्य,
  • नये उत्पाद के अवतरण में उपयोग,
  • सभी प्रवर्तन विधियों में तालमेल।

→ विक्रय-संवर्द्धन की सीमाएँ:

  • संकट का सूचक,
  • उत्पाद की छवि को बिगाड़ना।

RBSE Class 12 Business Studies Notes Chapter 11 विपणन

→ विक्रय-संवर्द्धन की सामान्य रूप से प्रयोग में आने वाली क्रियाएँ:
छूट, कटौती, वापसी, उत्पादों का मिश्रण, अतिरिक्त मात्रा उपहारस्वरूप, तुरन्त ड्रा एवं घोषित उपहार, लक्की ड्रा/किस्मत आजमाएँ, शून्य प्रतिशत पर पूरा वित्तीयन, नमूनों का वितरण तथा प्रतियोगिता आदि।

→ प्रचार:
प्रचार बिना किसी भुगतान के गैर-वैयक्तिक सम्प्रेषण है। जब भी किसी उत्पाद अथवा सेवा के सम्बन्ध में जनसामाचार माध्यमों के पक्ष में समाचार आता है तो इसे प्रचार कहते हैं।

→ विशेषताएँ:

  • प्रचार एक बिना भुगतान का सम्प्रेषण है।
  • सम्प्रेषण का कोई निर्दिष्ट सौजन्यकर्ता नहीं।

→ जनसम्पर्क:
एक संगठन के जनमत का प्रबंधन करना एक महत्त्वपूर्ण कार्य है जो विपणन विभाग द्वारा निष्पादित किया जाता है। यह आवश्यक है कि जनमत तथा जनता के साथ कंपनी के संबंधों का नियमित आधार पर प्रबंधन किया जाए।

→ जनसम्पर्क की भूमिका-कार्य:

  • प्रेस सम्पर्क,
  • उत्पाद प्रचार,
  • निर्गमित सम्प्रेषण,
  • लॉबी प्रचार,
  • परामर्श।

→ जनसम्पर्क द्वारा विपणन उद्देश्य:

  • जागरूकता पैदा करना,
  • विश्वास पैदा करना,
  • विक्रयकर्मियों को प्रेरणा,
  • संवर्द्धन लागतों में कमी।
Prasanna
Last Updated on June 17, 2022, 11:42 a.m.
Published June 17, 2022