RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 3 मानव जनन

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RBSE Class 12 Biology Chapter 3 Notes मानव जनन

→ मनुष्य लैंगिक प्रजनन करने वाला सजीव प्रजक प्राणी है। नर जनन तंत्र में एक - जोड़ा वृषण, नर सहायक नलिकाएँ, सहायक ग्रन्थियाँ व बाह्य जननांग शामिल हैं। प्रत्येक वृषण में लगभग 250 कोष्ठ होते हैं जो वृषणीय कोष्ठ कहलाते हैं तथा प्रत्येक कोष्ठ में एक से तीन अत्यधिक कुंडलित शुक्रजनन नलिकाएँ पाई | जाती हैं। प्रत्येक शुक्रजनन नलिका की आन्तरिक सतह पर शुक्राणु मातृ । कोशिकाएँ (स्पर्मेटोसाइट) व सरटोली कोशिकाएँ पाई जाती हैं। शुक्राणु मातृ कोशिकाओं में हुए अर्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप शुक्राणुओं का निर्माण होता है, जबकि सरटोली कोशिकाएँ विभाजित होकर जननिक कोशिकाओं को पोषण उपलब्ध कराती हैं। शुक्रजनन नलिकाओं के बाहर अन्तराली स्थानों में स्थित लेडिग कोशिकाएँ वृषणीय हार्मोन्स एंड्रोजन्स का संश्लेषण व स्राव करती हैं। नर बाह्य जननेन्द्रिय को शिश्न कहा जाता है। 

→ स्त्री के जनन तंत्र में एक जोड़ा अण्डाशय, एक जोड़ा अण्डवाहिनियाँ, एक गर्भाशय, एक योनि, बाह्य जननेन्द्रियाँ व एक जोड़ा स्तन ग्रन्थि शामिल हैं। अण्डाशय, मादा युग्मक अण्डाणु तथा कुछ स्टीरॉइड मादा हार्मोन्स (अंडाशयी हार्मोन्स) का उत्पादन करता है। अपने विकास की विभिन्न अवस्थाओं में अण्डाशयी पुटिकाएँ अण्डाशय के स्ट्रोमा में धंसी रहती हैं। अण्डवाहिनियाँ, गर्भाशय व योनि मिलकर मादा सहायक ग्रन्थियाँ बनाती हैं। गर्भाशय की भित्ति तीन स्तरों से मिलकर बनी होती है-बाह्य पेरीमेट्रियम, बीच का पेशीय मायोमेट्रियम व आन्तरिक एपीथीलियम स्तर एंड्रोमेट्रियम। स्त्री के बाह्य जननांगों में मोंस प्यूबिस, वृहद भगोष्ठ, लघु भगोष्ठ, हायमेन व क्लाइटोरिस शामिल हैं। स्तन ग्रन्थियाँ स्त्री के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों में प्रमुख हैं।

→ शुक्रजनन के फलस्वरूप वृषणों में निर्मित शुक्राणुओं का परिवहन नर सहायक नलिकाओं द्वारा होता है। नर सहायक ग्रन्थियाँ शुक्राशय व प्रोस्ट्रेट चल शुक्राणुओं के पोषण व गति के लिए तरल माध्यम सेमिनल प्लाज्मा बनाती हैं, जो शक्राणुओं के साथ मिलकर वीर्य बनाती हैं। मनुष्य का एक सामान्य शुक्राणु एक शीर्ष, ग्रीवा, मध्यखण्ड व पूँछ से मिलकर बना होता है। परिपक्व मादा युग्मक का निर्माण अण्डजनन की प्रक्रिया में होता है। मादा प्राइमेट में जनन चक्र आर्तव चक्र (मेन्स्ट्रअल साइकिल) कहलाता है। किशोरावस्था में लैंगिक परिपक्वता प्राप्त कर लेने के बाद ही स्त्री में आर्तव चक्र प्रारम्भ होता है।

→ अण्डोत्सर्ग की प्रक्रिया में प्रत्येक आर्तव चक्र में केवल एक अण्डाणु मुक्त होता है। ऋतु चक्र के दौरान अण्डाशय व गर्भाशय में होने वाले चक्रीय परिवर्तन पिट्युटरी व अण्डाशयी हार्मोनों के स्तर में हुए बदलावों द्वारा प्रेरित होते हैं।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 3 मानव जनन 

→ संभोग के बाद शुक्राणु अण्डवाहिनी में संकीर्ण पथ व एम्पुला के संधि स्थल तक पहुँच जाते हैं, जहाँ शुक्राणु अण्ड को निषेचित कर द्विगुणित युग्मनज का निर्माण करता है। शुक्राणु में X या Y गुणसूत्र की उपस्थिति भ्रूण के लिंग का निर्धारण करती है। युग्मनज अनेक समसूत्री विभाजनों जिन्हें विदलन कहते हैं, द्वारा एक ब्लास्टोसिस्ट का निर्माण कर देता है जो गर्भाशयी भित्ति में अन्तर्रोपित होकर सगर्भता (प्रेग्नेंसी) की स्थिति को जन्म देता है। नौ माह की सगर्भता के बाद पूर्ण विकसित गर्भ (फीटस) इस दुनिया में आने के लिए तैयार हो जाता है। शिशु जन्म की प्रक्रिया प्रसव (पारट्युरीशन) कहलाती है जो एक जटिल, तंत्रिकीय अंत:स्रावी क्रियाविधि, जिसमें कॉर्टीसोल, एस्ट्रोजन व ऑक्सीटोसिन शामिल होते हैं, द्वारा प्रेरित होती है।

→ सगर्भता के समय अधिक विकसित व भिन्नित हुई स्तन ग्रन्थियाँ शिशु जन्म के बाद दुग्ध स्रावण प्रारम्भ कर देती हैं। नवजात शिशु को माँ प्रारम्भिक कुछ माह तक दुग्धरूपी पोषक आहार उपलब्ध कराती है। शिशु जन्म के बाद कुछ दिनों तक बनने वाला गाढ़ा, हल्का पीला दूध कोलोस्ट्रम कहलाता है जो विशिष्ट पोषकों व प्रतिरक्षी (एंटीबाडीज) से समृद्ध होता है।

→ Acrosome (अग्रपिण्डक) शुक्राणु के शीर्ष पर स्थित एक नुकीली संरचना जो शुक्राणु के अण्ड में प्रवेश में मदद करती है।

→ Amphimixis (उभय मिश्रण) नर व मादा युग्मकों के संलयन में इनके गुणसूत्रों के आपस में मिलने की लैंगिक प्रजनन की एक क्रिया। 

→ Androgens (एन्ड्रोजन्स) नर लिंग हार्मोन, वृषणीय हार्मोन्स जैसे टेस्टोस्टीरॉन।

→ Antrum (गह्वर) तृतीयक पुटक व ग्राफी पुटक की तरल से भरी गुहा।

→ Atresia (एट्रेसिया) अण्डाशयी पुटकों का अपह्रासन।

→ Blastocoel (कोरकपुटी गुहा) कोरकपुटी की गुहा जो तरल से भरी रहती है।

→ Blastocyst (कोरकपुटी) एकस्तरीय कोशिकाओं से बना गेंद जैसा खोखला भ्रूण जिसके बीच में ‘ब्लास्टोसील' नामक गुहा होती है, स्त्री के गर्भाशय में अन्तरोंपित होने वाली भ्रूणीय रचना।

→ Barr body (बार काय) मादा स्तनधारियों के केन्द्रक में उपस्थित एक गहरा रंग लेने वाली संरचना जिसमें एक संघनित x गुणसूत्र उपस्थित होता है। 

→ Blastopore (ब्लास्टोपोर) गैस्टुला अवस्था में आद्य आहार नाल का छिद्र।

→ Capaciation (केपेसिएशन) शुक्राणु में निषेचन पूर्व होने वाले परिवर्तन जो उसे अण्ड के निषेचन योग्य बनाते हैं।

→ Cervix (गर्भाशयी ग्रीवा) गर्भाशय का निचला संकरा भाग।

→ Cleavage (विदलन) युग्मनज में होने वाले समसूत्री विभाजन जो संतति कोशिकाओं (ब्लास्टोमियर्स) की संख्या तो बढ़ाते हैं मगर आकार नहीं। ब्लास्टुला अवस्था युग्मनज के विदलन से ही बनती है।

→ Chorion (कोरिआन) बाह्य भ्रूणीय कला जो सरीसृप व पक्षियों में श्वसनीय गैस विनिमय का कार्य करती है तथा मनुष्य सहित सभी स्तनधारियों में अपरा निर्माण में भाग लेती है।

→ Chorionic villi (कोरिआनिक विलाई) भ्रूण की कोरियन के अंगुली जैसे या वृक्ष जैसे प्रवर्ध जो अपरा पर मातृ ऊतकों में फंसे रहते हैं।

→ Colostrum (प्रथम स्तन्य/खीस) शिशु जन्म के बाद माँ के स्तनों से प्रारम्भिक कुछ दिनों तक निकलने वाला गाढ़ा, हल्का पीला अत्यधिक पोषक द्रव।

→ Corpus Luteum (पीत पिण्ड) अण्डोत्सर्ग के बाद शेष बची अण्डाशयी (ग्राफी) पुटक जो प्रोजेस्टीरॉन का स्राव करती है।

→ Ectoderm (एक्टोडर्म या बाह्य त्वचा) किसी भ्रूण का प्राथमिक बाह्य जनन स्तर जो तंत्रिका तंत्र, त्वचीय तंत्र आदि बनाता है।

→ Endoderm (एन्डोडर्म अंतः त्वचा) किसी भ्रूण का प्राथमिक - आन्तरिक जनन स्तर जो आहार नाल, श्वसन तंत्र आदि बनाता है।

→ Embryo (भूण) युग्मनज से विकसित होने वाली जन्म से पहले की बहुकोशिकीय अवस्था, मनुष्य में सगर्भता अवधि में 2 माह तक का गर्भ में पल रहा शिशु भ्रूण कहलाता है।

→ Embryonic Period (भ्रूणीय अवधि) मनुष्य में लगभग एक । सप्ताह बाद से लेकर 8 सप्ताह तक की भ्रूणीय विकास की अवधि।

→ Endometrium (गर्भाशय अंतः स्तर) गर्भाशय भित्ति का आन्तरिक श्लेष्मिक स्तर।

→ Embryonal knob (भ्रूणीय उभार) अन्तः कोशिका समूह या इनरसेल मास जो ट्रोफोब्लास्ट में अन्दर की ओर जुड़ा होता है।

→ Epididymis (अधिवृषण) वृषणों से जुड़ा, द्वितीयक लैंगिक अंग जिसमें वासा इंफेरेशिया खुलती है, शुक्राणु का परिपक्वन स्थल।

→ Estrogen (एस्ट्रोजन) अण्डाशयी पुटकों द्वारा स्रावित मादा लिंग हार्मोन जो स्त्री के द्वितीयक लैंगिक लक्षणों आदि हेतु उत्तरदायी होता है।

→ Fertilization (निषेचन) शुक्राणु व अण्ड कोशिका के संलयन से द्विगुणित युग्मनज का बनना।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 3 मानव जनन

→ Follicle (पुटक) स्त्री के अण्डाशय में स्थित संरचना जिसमें अंडक (oocyte) उपस्थित होता है तथा जो एस्ट्रोजन उत्पादित करती है।

→ Follicular Phase (पुटकीय अवस्था) आर्तव चक्र की ऋतुस्राव या मेंसट्रऐशन के बाद की अवस्था जिसमें अण्डाशय में अण्डाशयी पुटक विकसित होता है, गर्भाशय की ऐन्ड्रोमेट्रियम मोटी हो जाती है तथा एस्ट्रोजन का स्तर उच्च हो जाता है।

→ Gametogenesis (युग्मक जनन) जनदों (वृषण व अण्डाशय) में हुए अर्धसूत्री विभाजनों से परिपक्व नर व मादा युग्मकों का निर्माण।

→ Gestation Period (गर्भधारण काल) निषेचन व उसके पश्चात् होने वाले अन्तर्रोपण से लेकर प्रसव तक की समयावधि।

→ Gamete (युग्मक) अगुणित लैंगिक कोशिका जैसे शुक्राणु व अण्ड।

→ Gastrula (गैस्ट्रला) भ्रूणीय विकास की वह अवस्था जिसमें अन्तर्वलन की क्रिया से प्राथमिक भ्रूणीय जनन स्तरों का विकास होता है।

→ Gastrulation (गैस्ट्रलीभवन) ब्लास्टुला से गैस्ट्रला का निर्माण।

→ Germ layer भ्रूण के प्राथमिक जनन स्तर जैसे एक्टोडर्म, मीजोडर्म व एंडोडर्म। 

→ Gonad (जनद) प्राथमिक जनन अंग जिनमें युग्मकों का निर्माण होता है।

→ Gonado tropic hormone अग्र पिट्यूटरी द्वारा स्रावित हार्मोन्स जैसे FSH व LH जो अण्डाशय व वृषण की क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।

→ Glans (शिश्न मुंड) शिश्न का संवेदी शीर्ष।

→ Human Chorionic Gonadotropin (ह्यूमन कोरियोनिक गोनेडोट्रॉपिन) मनुष्य में कोरिऑन द्वारा निर्मित गोनेडोट्रापिक हार्मोन जो गर्भाशयी भित्ति (फलस्वरूप सगर्भता) बनाये रखने में मदद करता है। 

→ Holoblastic Cleavage (पूर्ण विदलन) युग्मनज का ऐसा पूर्ण विदलन जो उसे दो कोरकखण्डों (ब्लास्टोमियर्स) में बाँट दे।

→ Hymen (योनिच्छद) स्त्री में योनिछिद्र को ढकने वाली एक झिल्ली।

→ Implantation (अन्तर्रोपण) जरायुजी स्तनधारियों में भ्रूण का ब्लास्टोसिस्ट अवस्था में गर्भाशयी एंडोमेट्रियम से संलग्न होना. (धंसना)।

→ Insemination (वीर्य सेचन) स्त्री की योनि में वीर्य का छोड़ा जाना।

→ Lactation (दुग्ध स्रावण) शिशु के पोषण हेतु जन्म के बाद माँ की स्तन ग्रन्थियों से दुग्ध का स्रावण।

→ Luteal Phase (पीतकी अवस्था) आर्तव चक्र में अण्डोत्सर्ग के बाद की अवस्था जिसमें कार्पस ल्यूटियम विकसित होने के कारण प्रोजेस्टीरॉन का स्तर बढ़ जाता है।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 3 मानव जनन

→ Menarche (रजोदर्शन) किशोरावस्था में ऋतुस्राव चक्र का प्रारम्भ। 

→ Menopause (मैनोपॉज या रजोनिवृत्ति) प्रौढ़ स्त्री में आर्तव चक्र का स्थायी रूप से समाप्त हो जाना।

→ Menstruation (ऋतुस्राव) प्रत्येक आर्तव चक्र की पहली अवस्था जिसमें गर्भाशय के आन्तरिक स्तर के कुछ ऊतक व रक्त योनिमार्ग से बाहर निकलते हैं।

→ Mesoderm (मीजोडर्म) भ्रूण का बीच वाला प्राथमिक जनन स्तर जो पेशीय स्तर हृदय आदि बनाता है।

→ Mesovarium (मीजोवेरियम) अण्डाशय को उदरगुहा में निलम्बित रखने वाली मेसेन्टरी (संयोजी ऊतक)।

→ Morula (तूतक) भ्रूणीय विकास में युग्मनज में हुए विदलनों से बनने वाली ठोस गेंद जैसी 8-16 कोशिकीय संरचना।

→ Morphogenesis (अंग निर्माण) भ्रूणीय विकास के दौरान ऊतकों, अंगों व पूरे भ्रूण का आकार लेना।

→ Neurula (न्यूहला) प्रारम्भिक भ्रूणीय विकास में गैस्टुला के बाद की तंत्रिका तंत्र की नींव रखी जाती है।

→ Oocyte (अण्डक) अण्डजनन में वह कोशिका जिसमें अर्धसूत्री विभाजन होता है।

→ Oogenesis (अण्डजनन) अण्डाशय में अर्धसूत्री विभाजन द्वारा परिपक्व अण्डाणुओं के निर्माण की प्रक्रिया।

→ Ovarian Cycle (अण्डाशयी चक्र) अण्डाशय में होने वाले मासिक परिवर्तन जो रक्त में लिंग हार्मोन का स्तर निर्धारित करते हैं।

→ Ovary (अण्डाशय) मादा जनद जो अण्डाणु व मादा लिंग हार्मोन्स का उत्पादन करते हैं।

→ Ovulation (अण्डोत्सर्ग) अण्डाशय में पुटक के फटने से द्वितीयक अण्डक का मुक्त होना। 

→ ovum (अण्डाणु) अगुणित मादा युग्मक।

→ Oxytocin (आक्सीटोसिन) पश्च पिट्युटरी द्वारा मुक्त हार्मोन जो गर्भाशय में संकुचन प्रेरित करता है व दुग्ध उत्क्षेपन (milk ejection) करता है। 

→ Penis (शिश्न) नर बाह्य जननेन्द्रिय जो शुक्राणुओं के स्त्री की योनि में स्थानान्तरण में मदद करती है।

→ Placenta (अपरा) जरायुजी स्तनधारियों में भ्रूणीय कोरियॉन व गर्भाशयी भित्ति के बीच बनने वाली अस्थायी, अंतरंग संरचनात्मक व कार्यिकीय संरचना जो भ्रूण की पोषण, श्वसन व उत्सर्जन आवश्यकताओं की पूर्ति व कुछ हार्मोन्स का उत्पादन करती है।

→ Polar Body (ध्रुवीय काय) अण्डजनन का एक अक्रिय उत्पाद जिसका बनना अण्ड कोशिका में अधिक कोशिका द्रव्य की उपस्थिति सुनिश्चित करता है।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 3 मानव जनन

→ Primate (प्राइमेट) स्तनधारियों के गण प्राइमेटा के सदस्य जैसे प्रोसिमियन, बन्दर, कपि व मनुष्य।

→ Progesterone (प्रोजेस्टीरॉन) मादा लिंग हार्मोन जो प्रमुखत: गर्भाशयी भित्ति तथा सगर्भता बनाये रखने में मदद करता है।

→ Prolactin (प्रोलैक्टिन) अग्र पिट्यूटरी द्वारा स्रावित हार्मोन जो स्तनों में दुग्ध निर्माण प्रेरित करता है।

→ Puberty (किशोरावस्था) मनुष्यों में जीवन की वह अवस्था जब द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास प्रारम्भ होता है।

→ Rete testis (वृषण जालिका) वृषण के पश्च भाग में स्थित नलिकाओं की एक जाली सदृश्य संरचना जो एक ओर शुक्रजनन नलिकाओं व दूसरी ओर वासा इफेरेशिया से जुड़ी होती है।

→ Scrotum (वृषण कोष) बाह्य उदरीय थैली जिसमें वृषण स्थित होते

→ Semen (वीर्य) नर सहायक ग्रन्थियों द्वारा उत्पादित द्रव जिसमें शुक्राणु उपस्थित होते हैं।

→ Secondary oocyte (द्वितीयक अण्डक) प्राथमिक अण्डक में अर्धसूत्री विभाजन (I) से बनी कोशिका जो अण्डोत्सर्ग में ग्राफी पुटक से निकलती है व अण्ड की तरह व्यवहार करती है।

→ Seminiferous tubules (शुक्रजनन नलिकाएँ) वृषण के प्रत्येक कोष्ठ में स्थित कुंडलित नलिकाएँ जिनकी जननिक एपीथीलियम द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण होता है।

→ Spermiation (स्पर्मिएशन) शुक्रजनन नलिकाओं से शुक्राणुओं के बाहर आने की प्रक्रिया।

→ Sperm (शुक्राणु) चल नर युग्मक।

→ Spermatogenesis (शुक्रजनन) वृषणों में अर्धसूत्री विभाजन से परिपक्व नर युग्मक बनने तक की प्रक्रिया।

→ Spermiogenesis (शुक्राणुजनन) अचल व गोल स्पर्मेटिड्स का चल शुक्राणु में रूपान्तरण। 

→ Stem cells (स्टेम कोशिका) भ्रूणीय अवस्था में अन्तः कोशिकीय समूह इनर सैल मास की कुछ कोशिकाएँ जो किसी भी प्रकार के ऊतक या अंग में विकसित होने की क्षमता रखती हैं।

→ Testosterone (टेस्टोस्टीरॉन) वृषणों की लेडिग कोशिकाओं द्वारा स्रावित नर लिंग हार्मोन।

→ Trophoblast (पोषकोरक) कोरकपुटी (ब्लास्टोसिस्ट) का एक कोशिका मोटा बाह्य पोषक स्तर।

→ Testes (Singular Testis) (वृषण) नर प्राथमिक जनन अंग जिनमें शुक्राणु व नर लिंग हार्मोन उत्पादित होते हैं।

→ Urethra (मूत्रनली) मूत्राशय से निकलने वाली नलिका जो मूत्र को बाहर तक लाती है।

→ Uterus (गर्भाशय) स्त्री जनन तंत्र का वह महत्वपूर्ण भाग जहाँ भ्रूण का विकास होता है।

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→ Vagina (योनि) गर्भाशयी ग्रीवा से योनिद्वार तक की पेशीय नलिका जो जनन नाल बनाती है।

→ Vulva (वल्वा) स्त्री की बाह्य जननेन्द्रिय।

→ Yolk Sac (योक सैक) बाह्य भ्रूणीय कलाओं में से एक, सरीसृपों व पक्षियों में पोषक योक का स्थान, मनुष्य में अपह्रासित।

→ Zygote (युग्मनज) शुक्राणु व अण्डकोशिका के संलयन से बनी द्विगुणित कोशिका।

Prasanna
Last Updated on Dec. 7, 2023, 9:25 a.m.
Published Dec. 6, 2023