RBSE Class 12 Accountancy Notes Chapter 4 वित्तीय विवरणों का विश्लेषण

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RBSE Class 12 Accountancy Chapter 4 Notes वित्तीय विवरणों का विश्लेषण

→ वित्तीय विवरण-विश्लेषण का तात्पर्य (Meaning of Analysis of Financial Statements):

  • वित्तीय विवरणों में सन्निहित वित्तीय सूचनाओं को समझने के क्रम में तथा फर्म के संचालन सम्बन्धी निर्णयों को लेने के लिए विवेचनात्मक परीक्षण की प्रक्रिया को वित्तीय विवरण विश्लेषण कहते हैं।
  • वित्तीय विश्लेषण में विश्लेषण और व्याख्या दोनों का समावेश है। विश्लेषण से आशय वित्तीय विवरणों में दिए गए वित्तीय आँकड़ों का विधिवत् वर्गीकरण द्वारा सरलीकरण करना है।

→ वित्तीय विवरणों के विश्लेषण का महत्त्व (Significance of Analysis of Financial Statements):
यह विभिन्न उपयोगकर्ताओं के लिए निम्न प्रकार से उपयोगी होता है-

  • वित्त प्रबन्धक (Finance Manager): इसमें वित्त विश्लेषण का केन्द्र बिन्दु कम्पनी के प्रबन्धकीय निष्पादन, निगम सक्षमता, वित्तीय सुदृढ़ता तथा कमजोरियों और कम्पनी की उधार पात्रता से सम्बन्धित तथ्यों एवं सम्बन्धों पर होता है।
  • उच्च प्रबन्धन (Top Management): वित्तीय विश्लेषण का परिक्षेत्र व्यापक है जिसके अन्तर्गत सामान्यतः उच्च प्रबन्धन तथा अन्य कार्यात्मक प्रबन्धक शामिल होते हैं।
  • व्यापारिक देय (Trade Payable): व्यापारिक देय एक फर्म की क्षमता में विशेष रूप से रुचि रखते हैं जो एक बहुत छोटी से अवधि में उनके दावे को पूरा करने की क्षमता रखती है।
  • ऋणदाता (Lenders): दीर्घकालिक ऋणदाता ऐतिहासिक वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करते हैं, ताकि वे अपने भविष्य की ऋण शोधन क्षमता एवं लाभप्रदता की जाँच कर सकें।
  • निवेशक (Investors): निवेशक जो कि फर्म के अंशों में अपना धन निवेश करते हैं, फर्म के अर्जन के सन्दर्भ में रुचि रखते हैं। इस तरह से वे फर्म की वर्तमान एवं भावी लाभप्रदता के बारे में विश्लेषण करते हैं।
  • श्रम संगठन (Labour Unions): श्रम संगठन वित्तीय विवरणों का विश्लेषण यह जानने के लिए करते हैं कि क्या कम्पनी वर्तमान में मजदूरी में बढ़ोतरी वहन कर सकती है या नहीं।
  • अन्य-उक्त के अलावा अर्थशास्त्री, अनुसंधानकर्ता, सरकारी संस्थाएँ आदि भी वित्तीय विवरणों का विश्लेषण करती हैं।

RBSE Class 12 Accountancy Notes Chapter 4 वित्तीय विवरणों का विश्लेषण 

→ वित्तीय विवरणों के विश्लेषण के उद्देश्य (Objectives of Analysis of Financial Statements)

  • फर्म की वर्तमान लाभप्रदता एवं संचालन क्षमता के साथ इसके विभिन्न विभागों का मूल्यांकन करना।
  • फर्म की वित्तीय स्थितियों के विभिन्न संघटकों के सापेक्षिक महत्त्व को पता करना।
  • फर्म की लाभप्रदता/वित्तीय स्थिति में बदलाव के कारणों को जानना।
  • फर्म द्वारा अपने ऋणों की पुनर्भुगतान क्षमता को मापने के लिए तथा. फर्म की अल्पकालिक तथा दीर्घकालिक द्रवता की स्थिति के मूल्यांकन के लिए।

→ वित्तीय विवरणों के विश्लेषण की तकनीकें (Tools of Analysis of Financial Statements)

  • तुलनात्मक विवरण (Comparative Statements): ये वे विवरण हैं जो दो अथवा अधिक समयावधियों में एक फर्म की लाभप्रदता एवं वित्तीय स्थिति को तुलनात्मक रूप से दर्शाते हैं जिससे कि दो या अधिक समयावधियों में फर्म की स्थिति का पता चलता है। इसे क्षैतिज विश्लेषण (Horizontal Analysis) के नाम से भी जाना जाता है।
  • समरूप/सामान्य आकार विवरण (Common Size Statements): यह विवरण कुछ सामान्य मदों के साथ एक वित्तीय विवरण के विभिन्न मदों के बीच सम्बन्ध का संकेत देते हैं जिसमें सामान्य मद के प्रत्येक मद को प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसे अनुलम्ब विश्लेषण (Vertical Analysis) के नाम से भी जाना जाता है।
  • प्रवृत्ति विश्लेषण (Trend Analysis): यह कई वर्षों की एक श्रृंखला के प्रचालन परिणामों एवं वित्तीय स्थिति के अध्ययन की एक तकनीक है। एक व्यावसायिक उद्योग के पिछले वर्षों के आँकड़ों का उपयोग करते हुए, प्रवृत्ति | का विश्लेषण चयनित आँकड़ों में एक अवधि के दौरान आए बदलावों का अवलोकन करके किया जाता है।
  • अनुपात विश्लेषण (Ratio Analysis): यह महत्त्वपूर्ण सम्बन्धों का वर्णन करता है जो कि एक फर्म के तुलन-पत्र में एवं लाभ व हानि विवरण में विद्यमान होते हैं । वित्तीय विश्लेषण की तकनीक के रूप में लेखांकन अनुपात आय एवं तुलन-पत्र की व्यक्तिगत मदों के बीच तुलनात्मक महत्त्व को मापते हैं।
  • रोकड़ प्रवाह विश्लेषण (Cash Flow Analysis): रोकड़ प्रवाह विश्लेषण किसी संस्थान के वास्तविक अन्तर्वाह एवं बहिर्वाह को दर्शाता है। एक व्यवसाय में आवक रोकड़ के बहाव को रोकड़ अन्तर्वाह या धनात्मक रोकड़ प्रवाह तथा फर्म से बाहर जाने वाले रोकड़ के बहाव को रोकड़ बहिर्वाह अथवा ऋणात्मक रोकड़ प्रवाह कहते हैं।

→ तुलनात्मक विवरण (Comparative Statements): इस विवरण के माध्यम से भिन्न तिथियों पर खाता शेष और विभिन्न समयावधि पर भिन्न-भिन्न प्रचालन गतिविधियों का सारांश ही केवल सम्भव नहीं है बल्कि इन तिथियों के मध्य वृद्धि अथवा कमी की सीमा का मापन भी सम्भव है।
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समरूप विवरण (Common Size Statements):
समरूप विवरण को संघटक प्रतिशत विवरण के नाम से भी जानते हैं । यह एक कम्पनी के वित्तीय परिणामों एवं वित्तीय स्थिति की प्रवृत्ति एवं बदलाव जानने का साधन या उपकरण है। यहाँ पर विवरण में दिए गए प्रत्येक मद को कुल राशि के प्रतिशत के रूप में दर्शाते हैं जो कि इस प्रतिशत का ही एक हिस्सा होता है।
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RBSE Class 12 Accountancy Notes Chapter 4 वित्तीय विवरणों का विश्लेषण

→ वित्तीय विश्लेषणों की सीमाएँ (Limitations of Financial Analysis):

  • वित्तीय विश्लेषण मूल्य स्तरीय बदलावों पर ध्यान नहीं देते हैं।
  • वित्तीय विश्लेषण एक फर्म के खाते के लिए. भ्रमात्मक भी हो सकते हैं अगर फर्म ने लेखांकन प्रक्रिया में बदलाव को अपना लिया हो।
  • वित्तीय विश्लेषण कम्पनी की रिपोर्ट का केवल अध्ययन है।
  • वित्तीय विश्लेषण में केवल आर्थिक पहलू पर ही ध्यान दिया जाता है।
  • वित्तीय विश्लेषणों को फर्म की लेखांकन अवधारणाओं के आधार पर तैयार किया जाता है जैसे कि यह बिल्कुल वास्तविक क्स्तु-स्थिति को नहीं प्रस्तुत करते हैं।
Prasanna
Last Updated on Aug. 2, 2022, 12:08 p.m.
Published Aug. 2, 2022