RBSE Class 11 Psychology Notes Chapter 2 मनोविज्ञान में जाँच की विधियाँ

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RBSE Class 11 Psychology Chapter 2 Notes मनोविज्ञान में जाँच की विधियाँ

→  मनोवैज्ञानिक अनुसंधान विवरण, पूर्वकथन, व्याख्या, व्यवहार-नियंत्रण तथा वस्तुनिष्ठ तरीके से उत्पादित ज्ञान के अनुप्रयोग के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं। इसके चार चरण होते हैं- समस्या का संप्रत्ययन, प्रदत्त संग्रह, प्रदत्त विश्लेषण तथा अनुसंधान निष्कर्ष निकालना और उसका पुनरीक्षण।

→ मनोवैज्ञानिक अनुसंधान का एक उद्देश्य यह भी होता है कि किसी संदर्भ विशेष में घटित होने वाली घटनाओं और उनके अपने व्यवहार एवं अनुभव पर पड़ने वाले प्रभावों को आत्मपरक ढंग से खोजा एवं समझा जाए।

→ मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में विविध प्रकार के प्रदत्त, जैसे- जनांकिकीय, पर्यावरणीय, भौतिक, दैहिक तथा मनोवैज्ञानिक सूचनाएँ संगृहीत की जाती हैं। किंतु मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के प्रदत्त एक संदर्भ विशेष में स्थित होते हैं तथा वे प्रदत्त संग्रह करने वाले सिद्धांतों तथा विधियों से बँधे होते हैं।

→ सूचना संग्रह के लिए विभिन्न विधियों का उपयोग किया जाता है। प्रेक्षण विधि का उपयोग व्यवहार का वर्णन करने के लिए किया जाता है। उसकी पहचान एक व्यवहार विशेष के चयन, उसके अभिलेखन एवं विश्लेषण से की जाती है। प्रेक्षण प्राकृतिक दशा अथवा नियंत्रित प्रयोगशाला की दशा में किए जा सकते हैं। यह सहभागी अथवा असहभागी प्रकार का हो सकता है। प्रायोगिक विधि कार्य-कारण संबंध की स्थापना में सहायता प्रदान करती है। प्रायोगिक एवं नियंत्रित समूह का उपयोग करके अनाश्रित परिवर्त्य की उपस्थिति का प्रभाव आश्रित परिवर्त्य पर देखा जाता है।

RBSE Class 11 Psychology Notes Chapter 2 मनोविज्ञान में जाँच की विधियाँ 

→ सहसंबंधात्मक अनुसंधान का उद्देश्य परिवों के मध्य के साहचर्य की खोज करना तथा पूर्वकथन करना है। दो परिवों के मध्य संबंध धनात्मक, शून्य अथवा ऋणात्मक हो सकता है तथा उनकी साहचर्य शक्ति का प्रसार +1.0 से 0.0 से लेकर -1.0 तक होता है। सर्वेक्षण अनुसंधान का केन्द्र विद्यमान वास्तविकता की सूचना प्रदान करना है। सर्वेक्षण संरचित तथा असंरचित साक्षात्कार, डाक द्वारा भेजी गई प्रश्नावली तथा दूरभाष द्वारा संपन्न किए जाते हैं।

→ मनोवैज्ञानिक परीक्षण मानकीकृत एवं वस्तुनिष्ठ उपकरण होते हैं, जो दूसरों की तुलना में किसी व्यक्ति की स्थिति जानने में सहायता करते हैं। परीक्षण वाचिक, अवाचिक और निष्पादन प्रकार के हो सकते हैं जो एक समय में एक व्यक्ति पर अथवा पूरे समूह पर किए जा सकते हैं।

→ व्यक्ति अध्ययन की विधि में किसी एक व्यक्ति के विषय में गहराई से सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं। । इन विधियों के उपयोग से संगृहीत प्रदत्तों का गुणात्मक तथा परिमाणात्मक विधियों द्वारा विश्लेषण किया जाता है। परिमाणात्मक विधियों में निष्कर्ष ज्ञात करने के लिए सांख्यिकीय प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है। गुणात्मक अनुसंधान के अंतर्गत विवरणात्मक विधि एवं विषय विश्लेषण विधि का उपयोग किया जाता है।

→ मनोवैज्ञानिक जाँच की निरपेक्ष शून्य बिंदु के अभाव, मनोवैज्ञानिक उपकरणों के सापेक्ष स्वरूप तथा गुणात्मक प्रदत्तों की आत्मपरक व्याख्या जैसी सीमाएँ हैं। प्रतिभागियों की स्वैच्छिक सहभागिता, उनकी सूचित सहमति तथा परिणामों के विषय में प्रतिभागियों से भागीदारी करने जैसे नैतिक सिद्धांतों को अनुसंधानकर्ता को ध्यान में रखना चाहिए।

Prasanna
Last Updated on Sept. 23, 2022, 2:24 p.m.
Published Sept. 23, 2022