RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

Rajasthan Board RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर 

Class 11 Political Science Chapter 4 Important Questions In Hindi प्रश्न 1. 
विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों एवं कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है
(क) कार्यपालिका
(ख) व्यवस्थापिका. 
(ग) न्यायपालिका
(घ) प्रधानमंत्री। 
उत्तर:
(क) कार्यपालिका

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

Class 11 Political Science Chapter 4 Question Answers In Hindi प्रश्न 2.
निम्न में से किस देश में संसदीय लोकतंत्र एवं संवैधानिक राजतंत्र है
(क) भारत
(ख) चीन 
(ग) कनाडा
(घ) रूस एवं जापान। 
उत्तर:
(ग) कनाडा

कार्यपालिका पाठ के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर प्रश्न 3. 
भारत के राष्ट्रपति को निम्नांकित में से किस श्रेणी में रखा जाएगा
(क) बहुल कार्यपालिका
(ख) एकल कार्यपालिका 
(ग) औपचारिक कार्यपालिका
(घ) वास्तविक कार्यपालिका।
उत्तर:
(ग) औपचारिक कार्यपालिका

Class 11 Political Science Chapter 4 Question Answer In Hindi प्रश्न 4.
भारत की संघीय कार्यपालिका है
(क) राष्ट्रपति
(ख) प्रधानमंत्री 
(ग) मन्त्रिपरिषद्
(घ) उक्त तीनों से मिलकर बनी है। 
उत्तर:
(घ) उक्त तीनों से मिलकर बनी है। 

Karyapalika Class 11 Question Answer In Hindi प्रश्न 5. 
राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष कौन होता है? 
(क) राष्ट्रपति
(ख) उपराष्ट्रपति 
(ग) गृहमंत्री
(घ) प्रधानमंत्री। 
उत्तर:
(ख) उपराष्ट्रपति 

प्रश्न- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. कार्यपालिका सरकार का वह अंग है जो ................... द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
  2. अध्यक्षात्मक व्यवस्था में .................. राज्य और सरकार दोनों का ही प्रधान होता है। 
  3. मंत्रिपरिषद ................... के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है। 
  4. स्थायी कार्यपालिका ................... मंत्रियों के निर्णय को लागू करती है।
  5. राजनीतिक हस्तक्षेप से नौकरशाही ................ के हाथ का खिलौना बन जाती है।

उत्तरl

  1. विधायिका 
  2. राष्ट्रपति
  3. लोकसभा
  4. नौकरशाही 
  5. राजनीतिज्ञों। 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न (शब्द सीमा-20 शब्द)

Karyapalika Class 11 Important Questions प्रश्न 1. 
सरकार के कितने और कौन-कौन से अंग हैं ?
उत्तर:
सरकार के तीन अंग हैं-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। 

Political Science Class 11 Chapter 4 Question Answers In Hindi प्रश्न 2. 
कार्यपालिका किसे कहते हैं ?
उत्तर:
सरकार का वह अंग जो विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को लागू करने का कार्य करता है, कार्यपालिका कहलाता है।

Karyapalika Class 11 Question Answer प्रश्न 3. 
कार्यपालिका के प्रमुख कार्य क्या हैं ?
उत्तर:
कार्यपालिका विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कार्यों को लागू करवाती है। यह प्रायः नीति निर्माण में भी भाग लेती है। 

Political Science Class 11 Chapter 4 Question Answer In Hindi प्रश्न 4. 
राजनीतिक कार्यपालिका किसे कहते हैं ? 
उत्तर:
सरकार के प्रधान एवं उनके मंत्रियों को राजनीतिक कार्यपालिका कहते हैं। 

Class 11th Political Science Chapter 4 Question Answer In Hindi प्रश्न 5. 
स्थायी कार्यपालिका किसे कहते हैं ? 
उत्तर:
वे लोग जो दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के लिए उत्तरदायी होते हैं, स्थायी कार्यपालिका कहलाते हैं। प्रश्न 6. कार्यपालिका के प्रकार बताइए। 
उत्तर:

  1. संसदीय कार्यपालिका 
  2. अध्यक्षात्मक कार्यपालिका 
  3. अर्ध-अध्यक्षात्मक कार्यपालिका। 

Class 11 Pol Science Chapter 4 Question Answer In Hindi प्रश्न 7. 
संसदीय व्यवस्था के बारे में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
संसदीय व्यवस्था में प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान होता है। इस व्यवस्था में राष्ट्रपति या राजा की भूमिका मुख्य रूप से - अलंकारिक होती है तथा प्रधानमंत्री व मंत्रिमण्डल के पास वास्तविक शक्ति होती है।

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

Class 11 Political Science Ch 4 Question Answer In Hindi प्रश्न 8. 
अध्यक्षात्मक व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
अध्यक्षात्मक व्यवस्था में राष्ट्रपति राज्य व सरकार दोनों का प्रधान होता है। इस व्यवस्था में सिद्धान्त रूप से.व व्यावहारिक रूप से राष्ट्रपति का पद अत्यन्त शक्तिशाली होता है।

कक्षा 11 राजनीति विज्ञान अध्याय 4 प्रश्न उत्तर प्रश्न 9. 
अध्यक्षात्मक व्यवस्था में राज्य और सरकार का प्रधान कौन होता है? 
उत्तर:
राष्ट्रपति। 

Karyapalika Question Answer प्रश्न 10. 
अध्यक्षात्मक व्यवस्था वाले कुछ देशों के नाम लिखें। 
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और लैटिन अमेरिका के अनेक देश। 

Karyapalika 11th Class Question Answer प्रश्न 11. 
संसदीय व्यवस्था में सरकार का प्रधान कौन होता है? 
उत्तर:
प्रधानमंत्री। 

Karyapalika Class 11 प्रश्न 12. 
अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली की कोई वो विशेषताएं बताइए। 
उत्तर:

  1. राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का प्रधान होता है । 
  2. राष्ट्राध्यक्ष विधायिका के प्रति जवाबदेह नहीं होता है। 

Class 11 Political Science Chapter 4 In Hindi प्रश्न 13. 
संसदीय शासन प्रणाली के दो लक्षण लिखिए। 
उत्तर:

  1. मंत्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका । 
  2. मंत्रिमण्डल का सामूहिक उत्तरदायित्व। 

Class 11 Rajniti Vigyan Chapter 4 Question Answer प्रश्न 14. 
श्रीलंका में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? 
उत्तर:
श्रीलंका में राष्ट्रपति का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। 

Class 11th Karyapalika Question Answer प्रश्न 15. 
भारतीय संविधान के निर्माता किस प्रकार की सरकार की कल्पना करते थे ?
उत्तर:
भारतीय संविधान के निर्माता एक ऐसी सरकार की कल्पना करते थे जिसमें एक शक्तिशाली कार्यपालिका तो हो, परन्तु इसके साथ उसमें व्यक्ति पूजा पर पर्याप्त अंकुश भी लगे।

प्रश्न 16. 
भारतीय संसदीय कार्यपालिका व्यवस्था में राष्ट्रीय स्तर पर सरकार कौन चलाता है ?
उत्तर:
भारतीय संसदीय कार्यपालिका व्यवस्था में राष्ट्रपति भारत में राज्य का औपचारिक प्रधान होता है तथा प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद राष्ट्रीय स्तर पर सरकार चलाते हैं।

प्रश्न 17. 
भारत में राष्ट्रपति पद का निर्वाचन कैसे होता है ? 
उत्तर:
भारत में राष्ट्रपति पद का निर्वाचन अप्रत्यक्ष तरीके से होता है।

प्रश्न 18.
राष्ट्रपति को उसके पद से कैसे हटाया जा सकता है ? 
उत्तर:
राष्ट्रपति को संसद द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया अपनाकर उसे पद से हटाया जा सकता है। 

प्रश्न 19. 
भारत में सरकार का औपचारिक प्रधान कौन होता है? 
उत्तर:
राष्ट्रपति। 

प्रश्न 20. 
राष्ट्रपति के पास कौन-कौन सी शक्तियाँ होती हैं? 
उत्तर:
राष्ट्रपति के पास औपचारिक रूप से बहुत-सी कार्यकारी, कानूनी और आपात शक्तियाँ होती हैं। 

प्रश्न 21. 
राष्ट्रपति को कोई विशेष अधिकार प्राप्त नहीं हैं ? क्या यह कथन सही है ?
उत्तर:
यह कथन गलत है। संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को सभी महत्वपूर्ण मुद्दों और मंत्रिपरिषद की कार्यवाही की सूचना पाने का अधिकार है।

प्रश्न 22. 
राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की संभावनाएँ कब बढ़ जाती हैं ?
उत्तर:
जब केन्द्र में सरकार स्थायी न हो और गठबंधन सरकार सत्ता में हों, उस समय राष्ट्रपति के हस्तक्षेप की सम्भावनाएँ बढ़ जाती हैं।

प्रश्न 23. 
उपराष्ट्रपति के चुनाव में कौन-कौन भाग लेता है? 
उत्तर:
उपराष्ट्रपति के चुनाव में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। 

प्रश्न 24. 
प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति कैसे की जाती है? 
उत्तर:
प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और अन्य मंत्री राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री के परामर्श से नियुक्त किए
जाते हैं।

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

प्रश्न 25. 
क्या संसद का सदस्य हुए बिना कोई व्यक्ति मंत्री या प्रधानमंत्री बन सकता है ?
उत्तर:
हाँ, लेकिन उसे छः माह के भीतर ही संसद के सदस्य के रूप में निर्वाचित होना अनिवार्य है। 

प्रश्न 26. 
91वें संशोधन अधिनियम 2003 के बाद मंत्रिपरिषद् के आकार के बारे में बताइए।
उत्तर:
91वें संशोधन अधिनियम 2003 के बाद यह व्यवस्था की गई है कि मंत्रिपरिषद् के सदस्यों की संख्या लोकसभा (राज्यों में विधानसभा) की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।

प्रश्न 27. 
मंत्रिपरिषद् किसके प्रति उत्तरदायी होती है ?
उत्तर:
मंत्रिपरिषद् लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। इसका अर्थ है जो सरकार लोकसभा में अपना विश्वास खो देती है उसे त्यागपत्र देना पड़ता है।

प्रश्न 28. 
मंत्रिमंडल की नीति या निर्णय से सहमत न होने पर किसी मंत्री को क्या करना चाहिए ?
उत्तर-मंत्रिमंडल की नीति या निर्णय से सहमत होने पर किसी मंत्री को या तो मंत्रिमंडल की नीति या निर्णय को स्वीकार कर लेना चाहिए या फिर उसे अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए।

प्रश्न 29. 
सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद् कब भंग हो जाती है ? 
उत्तर:
प्रधानमंत्री की मृत्यु होने पर या उसके त्यागपत्र देने पर सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद् भंग हो जाती है। 

प्रश्न 30. 
मंत्रिपरिषद में कितने प्रकार के मंत्री होते हैं?
उत्तर:
मंत्रिपरिषद में तीन प्रकार के मंत्री होते हैं.

  1. कैबिनेट स्तर के मंत्री
  2. राज्यमंत्री 
  3. उपमंत्री।

प्रश्न 31. 
जब लोकसभा में किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलता है तब किस प्रकार की सरकारें बनती हैं ? 
उत्तर:
जब लोकसभा में किसी एक दल को बहुमत नहीं मिलता है तो उस समय गठबंधन की सरकारें बनती हैं। 

प्रश्न 32. 
राज्यपाल की नियुक्ति किसके द्वारा की जाती है? 
उत्तर:
राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। 

प्रश्न 33. 
राज्यपाल की दो कार्यकारी शक्तियाँ बताओ। 
उत्तर:

  1. राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है। 
  2. वह मुख्यमंत्री को सलाह पर अन्य मांत्रयों की नियुक्ति करता है। 

प्रश्न 34. 
मुख्यमंत्री की नियुक्ति कैसे की जाती है? उत्तर-विधानसभा में जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, राज्यपाल उस दल के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है।

प्रश्न 35.
मंत्रियों की नीतियों या निर्णयों को लागू करने में उनका सहयोग कौन करता है ?
उत्तर:
सरकार के स्थायी कर्मचारी के रूप में कार्यरत् प्रशिक्षित व योग्य अधिकारी नीतियों को बनाने और उन्हें लागू करने में मंत्रियों का सहयोग करते हैं।

प्रश्न 36. 
मंत्रिपरिषद और मंत्रिमण्डल में कोई दो अंतर बताइए। 
उत्तर:

  1. मंत्रिमंडल मंत्रिपरिषद का भाग है।
  2. मंत्रिपरिषद में सभी मंत्री होते हैं जबकि मंत्रिमंडल में केवल महत्वपूर्ण मंत्री होते हैं।

प्रश्न 37. 
नागरिक सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
शासन के कार्यकारी अंग में प्रधानमंत्री, मंत्रिगण नौकरशाही अथवा प्रशासनिक मशीनरी का एक विशाल संगठन सम्मिलित है। इस विशाल संगठन और सैन्य सेवाओं में अन्तर स्पष्ट करने के लिए इसे नागरिक सेवा कहते हैं।

प्रश्न 38. 
भारतीय नौकरशाही में कौन-कौन सम्मिलित हैं ?
उत्तर:
भारतीय नौकरशाही में अखिल भारतीय सेवाएँ, प्रांतीय सेवाएँ, स्थानीय सरकार के कर्मचारी और लोक उपक्रमों के तकनीकी एवं प्रबंधकीय अधिकारी सम्मिलित हैं। 

प्रश्न 39. 
सिविल सेवा या नौकरशाही के सदस्यों की भर्ती कौन करता है ?
उत्तर:
भारत सरकार के लिए सिविल सेवा या नौकरशाही के सदस्यों की भर्ती का कार्य संघ लोक सेवा आयोग करता है। इसी प्रकार के लोक सेवा आयोग राज्यों में भी बनाए गए हैं।

प्रश्न 40. 
सिविल सेवा या नौकरशाही के सदस्यों की भर्ती के विषय में संविधान क्या निश्चित करता है? 
उत्तर:
संविधान यह निश्चित करता है कि समाज के सभी वर्गों को सिविल सेवा या सरकारी नौकरशाही में स्थान मिले। 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

प्रश्न 41. 
एक जिलाधिकारी का क्या महत्व है ?
उत्तर:
एक जिले का जिलाधिकारी (कलेक्टर) उस जिले का सबसे बड़ा एवं सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण अधिकारी होता है। वह सामान्यतया आई. ए. एस. स्तर का अधिकारी होता है और वह केन्द्र सरकार द्वारा बनाई गई सेवा शर्तों से नियंत्रित होता है। 

लघु उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-40 शब्द) (S.A Type 1)

प्रश्न 1. 
सरकार के अंगों के नाम लिखते हुए यह बताइए कि क्या उनमें तालमेल होना आवश्यक है ?
उत्तर:
सरकार के तीन अंग हैं-
(अ) विधायिका, 
(ब) कार्यपालिका एवं 
(स) न्यायपालिका। इनमें तालमेल होना अति आवश्यक है। सरकार के ये तीनों अंग मिलकर ही शासन का कार्य सुचारु रूप से चलाते हैं। संसदीय व्यवस्था में विधायिका और कार्यपालिका एक-दूसरे पर आश्रित होते हैं। विधायिका एक ओर कार्यपालिका को नियंत्रित करती है वहीं दूसरी ओर यह कार्यपालिका से नियंत्रित भी होती है।

प्रश्न 2. 
कार्यपालिका के क्या कार्य हैं ? इसके अन्तर्गत कौन-कौन सम्मिलित हैं ?
उत्तर:
कार्यपालिका विधायिका द्वारा स्वीकृत नीतियों और कानूनों को लागू करवाती है। यह नीति निर्माण में भी सहयोग देती है। कार्यपालिका का औपचारिक नाम अलग-अलग राज्यों में भिन्न-भिन्न है। कुछ देशों में राष्ट्रपति, तो कहीं चांसलर । कार्यपालिका में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अन्य मंत्री तथा सिविल सेवा के सभी सदस्य अर्थात् पूरा प्रशासनिक ढाँचा भी सम्मिलित है।

प्रश्न 3. 
कार्यपालिका कितने प्रकार की होती है ? 
उत्तर:
कार्यपालिका को मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है
(i) सामूहिक नेतृत्व के सिद्धान्त पर आधारित प्रणाली इस आधार पर कार्यपालिका के दो प्रकार हैं
(क) संसदीय कार्यपालिका और 
(ख) अर्द्ध-अध्यक्षात्मक कार्यपालिका।
(ii) एक व्यक्ति के नेतृत्व के सिद्धान्त पर आधारित प्रणाली। इस आधार पर कार्यपालिका का एक प्रकार है(क) अध्यक्षात्मक कार्यपालिका। 

प्रश्न 4. 
कनाडा और फ्रांस में कार्यपालिका का क्या स्वरूप है ?
उत्तर:
कनाडा में संसदीय लोकतंत्र और संवैधानिक राजतंत्र है जिसमें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय राज्य की प्रधान और प्रधानमंत्री सरकार का प्रधान है। फ्रांस में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री अर्द्ध-अध्यक्षात्मक व्यवस्था के भाग हैं। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा दूसरे मंत्रियों की नियुक्ति करता है, पर उन्हें हटाने का उसे अधिकार नहीं, क्योंकि वे संसद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

प्रश्न 5. 
अध्यक्षात्मक व्यवस्था के बारे में जानकारी देते हुए बताइए कि यह व्यवस्था कहाँ पाई जाती है ?
उत्तर:
अध्यक्षात्मक व्यवस्था में राष्ट्रपति राज्य और सरकार दोनों का प्रधान होता है। सिद्धान्त और व्यवहार दोनों में ही राष्ट्रपति का पद इस व्यवस्था में अत्यंत शक्तिशाली होता है। इस प्रकार की त्रस्था संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील और लैटिन अमेरिका के कई देशों में पाई जाती है।

प्रश्न 6. 
अर्ध-अध्यक्षात्मक व्यवस्था से आप क्या समझते हैं ? यह व्यवस्था कहाँ पर पाई जाती है ?
उत्तर:
र्ध-अध्यक्षात्मक व्यवस्था में राष्ट्रपति देश का प्रमुख होता है तथा प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। दोनों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से होता है। इस व्यवस्था में प्रधानमंत्री और उसका मंत्रिपरिषद् विधायिका के प्रति उत्तरदायी होता है। फ्रांस, रूस और श्रीलंका में ऐसी व्यवस्था पाई जाती है।

प्रश्न 7. 
भारतीय संसदीय कार्यपालिका के विषय में संक्षेप में प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारतीय संसदीय कार्यपालिका के अंतर्गत राष्ट्रपति, भारत में राज्य का औपचारिक प्रधान होता है और प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद् राष्ट्रीय स्तर पर सरकार चलाते हैं। भारत के संविधान में औपचारिक रूप से संघ की कार्यपालिका की शक्तियाँ राष्ट्रपति को प्रदान की गई हैं। पर तथ्य तो यह है कि प्रधानमंत्री तथा उनके द्वारा बनाई मंत्रिपरिषद् के माध्यम से राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग करता है।

प्रश्न 8. 
भारत में वास्तविक कार्यपालिका कौन है?
उत्तर:
भारत में संसदीय लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली है। इसमें केन्द्र स्तर पर प्रधानमंत्री तथा मंत्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका है और राष्ट्रपति नाममात्र की कार्यपालिका है। राष्ट्रपति सामान्यतया केन्द्रीय मंत्रिमण्डल की सलाह मानने के लिए बाध्य है। इसी तरह राज्य स्तर पर मुख्यमंत्री और उसका मंत्रिमण्डल वास्तविक कार्यपालिका होती है।

प्रश्न 9. 
राष्ट्रपति का निर्वाचन किस प्रकार होता है? अथवा क्या एक आम भारतीय नागरिक राष्ट्रपति के चुनाव में भाग ले सकता है? इसका निर्वाचन किस विधि से होता है?
उत्तर:
एक आम भारतीय नागरिक राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं ले सकता बल्कि इसके चुनाव में निर्वाचित विधायक एवं सांसद भाग लेते हैं। राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष विधि द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली तथा एकल संक्रमणीय मत के सिद्धान्त के अनुसार होता है।

प्रश्न 10. 
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 74(1) क्या जानकारी प्रदान करता है? 
उत्तर:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74(1) के अनुसार-
अनुच्छेद 74(1)–“राष्ट्रपति को सहायता और सलाह देने के लिए एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रधान, प्रधानमंत्री होगा। राष्ट्रपति अपने कृत्यों का प्रयोग करने में ऐसी सलाह के अनुसार करेगा। परन्तु राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् से ऐसी सलाह पर पुनर्विचार करने को कह सकता है और राष्ट्रपति ऐसे पुनर्विचार के पश्चात दी गई सलाह के अनुसार ही कार्य करेगा।"

प्रश्न 11. 
"राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह मानने को बाध्य है।" इस कथन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
संविधान के अनुसार राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् की सलाह मानने को बाध्य है। पर बाद में संविधान में संशोधन कर यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राष्ट्रपति चाहे तो मंत्रिपरिषद् को अपनी सलाह पर पुनः विचार करने के लिए कह सकता है। परन्तु मंत्रिपरिषद् के द्वारा पुनः विचार करके भेजी गई सलाह को राष्ट्रपति को माननी ही पड़ेगी।

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

प्रश्न 12. 
राष्ट्रपति की शक्ति के बारे में पं. जवाहर लाल नेहरू के विचारों को लिखिए।
उत्तर:
पं. जवाहर लाल नेहरू के अनुसार राष्ट्रपति को कोई वास्तविक शक्ति नहीं दी गई है, पर उसके पद को प्रभुतापूर्ण व गरिमामय बनाया गया है। संविधान न तो उसे वास्तविक कार्यकारी बनाना चाहता है और न ही एकदम नाममात्र का प्रधान। यह उसे महान संवैधानिक प्रधान बनाना चाहता है।

प्रश्न 13. 
यदि गठबंधन बनाने के प्रयासों के बाद भी दो या तीन नेता यह दावा करें कि उन्हें लोकसभा में बहुमत प्राप्त है तो क्या होगा?
उत्तर:
इस स्थिति में राष्ट्रपति को अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर यह निर्णय लेना पड़ता है कि किसे बहुमत का समर्थन प्राप्त है या कौन सरकार बना सकता है और कौन सरकार चला सकता है। सभी बातों पर विचार कर राष्ट्रपति यह निर्णय लेता है कि वह किसे प्रधानमंत्री नियुक्त करे।

प्रश्न 14. 
जब राष्ट्रपति राष्ट्र का अलंकारिक प्रधान है तो उसकी क्या आवश्यकता है ? अपने विचार लिखिए।
उत्तर:
संसदीय व्यवस्था में मंत्रिपरिषद् विधायिका में बहुमत के समर्थन पर निर्भर होती है। इसका तात्पर्य है कि मंत्रिपरिषद् को कभी भी हटाया जा सकता है और तब उसकी जगह एक नई मंत्रिपरिषद् की नियुक्ति करनी पड़ेगी। इस विषम स्थिति में एक ऐसे राष्ट्र प्रमुख की आवश्यकता होती है जिसका कार्यकाल स्थायी हो, जिसके पास प्रधानमंत्री को नियुक्त करने के अधिकार हों और जो पूरे देश का प्रतिनिधित्व करता हो। राष्ट्रपति ही यह सब योग्यता रखता है। अतः उसकी आवश्यकता निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 15. 
उपराष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है? उसे पद से किस प्रकार हटाया जा सकता है?
उत्तर:
उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदन समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से करते हैं। उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है, यदि राज्यसभा इस प्रकार का प्रस्ताव पारित करे एवं लोकसभा उसका अनुमोदन करे, लेकिन ऐसे प्रस्ताव की सूचना 14 दिन पहले ही दी जानी आवश्यक है।

प्रश्न 16. 
उपराष्ट्रपति के कोई दो कार्य बताइए? 
उत्तर:

  1. उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है। अत: वह राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है।
  2. राष्ट्रपति का पद उसकी मृत्यु होने पर या त्यागपत्र देने से या महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर या किसी अन्य कारण से रिक्त होने पर उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 17. 
भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति कैसे की जाती है?
उत्तर:
भारत के प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। राष्ट्रपति द्वारा उसी व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है, जो लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है। यदि किसी भी राजनैतिक दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत का समर्थन प्राप्त नहीं होता, तो राष्ट्रपति किसी भी ऐसे व्यक्ति को प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है, जिसे वह सरकार का संचालन करने के योग्य समझे।

प्रश्न 18. 
संसदीय शासन में प्रधानमंत्री अपने देश की सरकार का सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
राष्ट्रपति केवल मंत्री मंत्रिपरिषद् की सलाह पर ही अपनी शक्तियों का उपयोग करता है। इस मंत्रिपरिषद् का प्रधान होता है प्रधानमंत्री। इस प्रकार मंत्रिपरिषद् के प्रधान होने के परिणामस्वरूप प्रधानमंत्री अपने देश की सरकार का सबसे महत्वपूर्ण पदाधिकारी होता है।

प्रश्न 19. 
लोकसभा के नेता के रूप में प्रधानमंत्री के क्या अधिकार हैं ? 
उत्तर:
प्रधानमंत्री संसद का नेता होता है तथा वह उसका नेतृत्व करता है। संसद का कार्यक्रम प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप ही बनाया जाता है। संसद में सभी महत्वपूर्ण घोषणाएँ भी उसी के द्वारा की जाती हैं। जब भी संसद में कोई महत्वपूर्ण समस्या आ खड़ी होती है तो सभी सदस्य प्रधानमंत्री के नेतृत्व की ओर ही देखते हैं। प्रधानमंत्री की इच्छानुसार ही संसद का अधिवेशन बुलाया जाता है तथा प्रधानमंत्री के परामर्श पर ही राष्ट्रपति लोकसभा को भंग करता है।

प्रश्न 20.
सन् 1989 के बाद गठबंधन की अनेक सरकारें बनीं। इनके क्या परिणाम हुए ? 
उत्तर:
गठबंधन की सरकारें बनने के चार परिणाम हुए

  1. प्रधानमंत्री के चयन में राष्ट्रपति के विशेष अधिकारों की भूमिका बढ़ी। 
  2. गठबंधन राजनीति के कारण राजनीतिक सहयोगियों में आपस में परामर्श करने की आदत बढ़ी है। 
  3. प्रधानमंत्री के अनेक विशेषाधिकारों; जैसे-मंत्रियों का चयन, उनके मंत्रालय के चयन पर आंशिक अंकुश लगा है। 
  4. प्रधानमंत्री सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को अकेले तय नहीं कर सकता। 

प्रश्न 21. 
नौकरशाही से क्या अपेक्षा की जाती है ?
उत्तर:
नौकरशाही से यह अपेक्षा की जाती है कि वह किसी भी राजनीतिक पार्टी का समर्थन न करे। चुनाव में सत्ताधारी पाटी चुनाव हार जाय और नई पार्टी की सरकार बने तो नौकरशाही या प्रशासनिक मशीनरी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वह नई सरकार को अपनी नीति बनाने तथा उसे लागू करने में उसकी सहायता करे।

प्रश्न 22. 
सिविल सेवाओं का वर्गीकरण कीजिए। उत्तर-सिविल सेवाओं को तीन भागों में बाँटा जा सकता है
(अ) अखिल भारतीय सेवाएँ; जैसे- भारतीय प्रशासनिक सेवा तथा भारतीय पुलिस सेवा। 
(ब) केन्द्रीय सेवाएँ; जैसे- भारतीय विदेश सेवा तथा भारतीय सीमा शुल्क सेवा। 
(स) प्रांतीय सेवाएँ; जैसे-डिप्टी कलेक्टर तथा बिक्रीकर अधिकारी आदि। 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

प्रश्न 23. 
नौकरशाही या सरकारी कर्मचारियों के विषय में लोगों की आम राय क्या है ?
उत्तर:
नौकरशाही या सरकारी कर्मचारियों के विषय में लोगों की आम राय है कि उन्हें अपने कार्य को करने में राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। इसके अतिरिक्त जनता के प्रति नौकरशाही या सरकारी कर्मचारियों का उत्तरदायित्व निश्चित करने के लिए पर्याप्त प्रावधान भी नहीं है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-100 शब्द) (S.A. Type 2)

प्रश्न 1. 
संसदीय कार्यपालिका और अध्यक्षात्मक कार्यपालिका में अंतर/भेद स्पष्ट कीजिए। उत्तर-संसदीय कार्यपालिका और अध्यक्षात्मक कार्यपालिका में अंतर/भेद संसदीय कार्यपालिका-संसदीय कार्यपालिका वह कार्यपालिका है जहाँ राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का मुखिया होता है जबकि मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यपालिका होती है जिसका प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। वह संसद में बहुमत प्राप्त दल का नेता होता है। मंत्रिपरिषद के सदस्य संसद में से लिए जाते हैं और संसद के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होते हैं। उदाहरण-भारत। - अध्यक्षात्मक कार्यपालिका अध्यक्षात्मक कार्यपालिका वह कार्यपालिका है, जहाँ राज्य का अध्यक्ष वास्तविक मुखिया होता है। जिसे राष्ट्रपति के नाम से जाना जाता है। वह सरकार का भी प्रमुख होता है। वह विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। मंत्री संसद के सदस्य नहीं होते हैं और न ही संसद की बैठकों में भाग लेते हैं। ये संसद के प्रति उत्तरदायी भी नहीं होते। संसद को उनको हटाने का अधिकार भी नहीं होता। उदाहरण-संयुक्त राज्य अमेरिका।

प्रश्न 2. 
भारतीय संविधान के निर्माताओं ने अध्यक्षात्मक कार्यपालिका के स्थान पर संसदीय कार्यपालिका को ही क्यों चुना ?
उत्तर:
अध्यक्षात्मक कार्यपालिका मुख्य कार्यकारी के रूप में राष्ट्रपति पर बहुत बल प्रदान करती है। उसे ही सभी शक्तियों का केन्द्र बिन्दु मानती है। अध्यक्षात्मक कार्यपालिका में व्यक्ति पूजा का ही महत्व होता है। भारतीय संविधान के निर्माता चाहते थे कि हमारे देश में ऐसी सरकार हो जिसमें एक शक्तिशाली कार्यपालिका तो हो, पर उसमें व्यक्ति पूजा को कदापि स्थान न हो। संसदीय व्यवस्था में ऐसी बहुत सी प्रक्रियायें हैं जो निश्चित करती हैं कि कार्यपालिका, विधायिका या जनता के प्रतिनिधियों के प्रति पूर्णरूप से उत्तरदायी होगी तथा इनसे नियंत्रित भी होगी। इसीलिए भारतीय संविधान के निर्माताओं ने संविधान में राष्ट्रीय व प्रांतीय दोनों स्तरों पर संसदीय व्यवस्था को चुना।

प्रश्न 3. 
श्रीलंका की अर्द्ध अध्यक्षात्मक कार्यपालिका के बारे में बताइए। 
उत्तर:
श्रीलंका की अर्द्ध अध्यक्षात्मक कार्यपालिका-सन् 1978 में श्रीलंका के संविधान का संशोधन करके अध्यक्षात्मक कार्यपालिका लागू की गई। इस प्रणाली में जनता प्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति को 6 वर्ष के लिए चुनती है। यह संभव है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री एक ही दल या अलग-अलग दलों के हों। संविधान राष्ट्र पति को व्यापक शक्तियाँ देता है। राष्ट्रपति संसद में बहुमत वाले दल के सदस्यों में से प्रधानमंत्री चुनता है। यद्यपि मंत्रियों के लिए संसद का सदस्य होना अनिवार्य है, लेकिन राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों को हटा सकता है। राज्य का निर्वाचित प्रधान और सशस्त्र सेनाओं का प्रधान सेनापति होने के अतिरिक्त, राष्ट्रपति सरकार का भी प्रधान होता है। राष्ट्रपति को संसद की कुल सदस्य संख्या के दो तिहाई बहुमत से पारित प्रस्ताव के द्वारा ही हटाया जा सकता है। यदि वह प्रस्ताव संसद के कम से कम आधे सदस्यों द्वारा पास किया जाय और संसद का अध्यक्ष भी संतुष्ट हो कि आरोपों में दम है, तो संसद का अध्यक्ष उसे सर्वोच्च न्यायालय को भेज सकता है।

प्रश्न 4. 
भारतीय संसदीय शासन प्रणाली की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर;
भारतीय संसदीय शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ-भारतीय संसदीय शासन प्रणाली की चार प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. नाम मात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद-भारतीय संविधान के अन्तर्गत नाममात्र तथा वास्तविक कार्यपालिका में भेद किया गया है। राष्ट्रपति राज्य का नाममात्र का अध्यक्ष है जबकि वास्तविक कार्यपालिका है।

2. कार्यपालिका और संसद में घनिष्ठ संबंध-मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य संसद के सदस्य होते हैं। लोकसभा में जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, राष्ट्रपति उस दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श से अन्य मंत्रियों को नियुक्त करता है, मंत्रिपरिषद के सदस्य संसद की बैठकों में भाग लेते हैं, अपने विचार प्रकट करते हैं और विधेयक पेश करते हैं।

3. राष्ट्रपति मंत्रिमंडल से अलग-राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की बैठकों में भाग नहीं लेता। मंत्रिपरिषद की बैठकों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है परन्तु मंत्रिपरिषद के प्रत्येक निर्णय से राष्ट्रपति को सूचित कर दिया जाता है।

4. प्रधानमंत्री का नेतृत्व-मंत्रिपरिषद अपना समस्त कार्य प्रधानमंत्री के नेतृत्व में करता है। 

प्रश्न 5. 
राष्ट्रपति की शक्तियों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। .
उत्तर:
'शासन सम्बन्धी सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम से किए जाते हैं। राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री एवं उसकी मन्त्रिपरिषद् के साथ राज्यों के राज्यपाल, महाधिवक्ता, विभिन्न देशों में भारतीय राजदूतों तथा तीनों सेनाओं के अध्यक्षों इत्यादि की नियुक्ति करता है। किसी देश से युद्ध करने तथा उसे रोकने का आदेश भी उसी के द्वारा दिया जाता है। संसद द्वारा पारित विधेयक उसके हस्ताक्षर होने के बाद ही कानून का रूप लेते हैं। संसद द्वारा पारित विधेयकों (धन विधेयकों को छोड़कर) पर स्वीकृति देने में वह देर भी लगा सकता है। समयावधि से पूर्व प्रधानमन्त्री की सिफारिश पर वह लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी रखता है। आपात् परिस्थितियों में वह देश में आपातकाल . की घोषणा कर सकता है। राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति भी प्राप्त है।

प्रश्न 6. 
भारत के राष्ट्रपति के निर्वाचन एवं हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख कीजिए।
उत्तर;
राष्ट्रपति का निर्वाचन-भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन 5 वर्ष के लिए होता है। राष्ट्रपति पद के लिए सीधे जनता द्वारा निर्वाचन नहीं होता। राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है। निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधान सभाओं के केवल निर्वाचित सदस्य होते हैं।

मनोनीत सदस्यों को निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार नहीं है। राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया-राष्ट्रपति को उसका कार्यकाल समाप्त होने से पूर्व नहीं हटाया जा सकता, परन्तु यदि राष्ट्रपति स्वयं चाहे तो उपराष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकता है। संविधान का उल्लंघन करने पर राष्ट्रपति को महाभियोग की प्रक्रिया द्वारा पद से हटाया जा सकता है। इस प्रक्रिया के लिए संसद में विशेष बहुमत की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 7. 
राष्ट्रपति अपने विशेष अधिकार का प्रयोग कब-कब कर सकता है ? 
उत्तर:
राष्ट्रपति तीन अवसरों पर अपने विशेष अधिकार का प्रयोग कर सकता है
(i) राष्ट्रपति मन्त्रिपरिषद् की सलाह को लौटा सकता है और उसे अपने निर्णय पर पुनः विचार के लिए कह सकता है। ऐसा करने में राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग करता है।

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(ii) राष्ट्रपति अपनी वीटो की शक्ति का उपयोग कर संसद द्वारा पारित विधेयकों (धन विधेयकों को छोड़कर) स्वीकृति देने में विलंब कर सकता है अथवा स्वीकृति देने से इन्कार कर सकता है।

(iii) जब लोकसभा में किसी भी दल के नेता को बहुमत प्राप्त न हो और यदि गठबंधन के प्रयास के बाद दो या तीन नेता यह दावा करें कि उन्हें लोकसभा में बहुमत प्राप्त है, तो इस स्थिति में राष्ट्रपति अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर स्वविवेक से यह निर्णय लेता है कि किसे बहुमत का समर्थन प्राप्त है अथवा कौन सरकार बना सकता और उसे चला सकता है।

प्रश्न 8
."विधेयकों को स्वीकृति देने के सम्बन्ध में राष्ट्रपति पर कोई समय सीमा नहीं है।" इस कथन को सोदाहरण समझाइए। 
उत्तर:
राष्ट्रपति के पास वीटो की शक्ति (निषेधाधिकार) होती है कि वह किसी भी विधेयक को बिना किसी समय सीमा के अपने पास लंबित रख सकता है। संविधान में राष्ट्रपति के लिए ऐसी कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है जिसके अंदर ही उस विधेयक को पुनर्विचार के लिए संसद को लौटाना पड़े। उदाहरण के लिए-सन् 1986 में संसद ने भारतीय पोस्ट ऑफिस (संशोधन) विधेयक पारित किया। अनेक लोगों ने इसकी आलोचना की क्योंकि विधेयक प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित करता था। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उस पर कोई निर्णय नहीं लिया।

उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद अगले राष्ट्रपति वेंकटरमण ने उसे पुनर्विचार के लिए संसद को लौटा दिया। तब तक, वह सरकार बदल गई जिसने विधेयक पेश किया था और 1989 में एक नई सरकार चुनकर आ गई थी। यह दूसरे दलों की गठबंधन सरकार थी और उसने इस विधेयक को पुनः संसद में पेश ही नहीं किया। इस प्रकार जैल सिंह के द्वारा विधेयक को स्वीकृति देने के निर्णय में विलंब करने का परिणाम यह हुआ कि यह विधेयक कानून न बन सका।

प्रश्न 9. 
भारत के उपराष्ट्रपति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर;
भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव पाँच वर्ष के लिए होता है। उसको उसी प्रकार चुना जाता है जैसे राष्ट्रपति को, पर एक अन्तर है कि उसके निर्वाचक मंडल में राज्यों के विधान सभा के सदस्य नहीं होते। उपराष्ट्रपति को अपने पद से हटाने के लिए राज्य सभा को अपने बहुमत से उसे हटाने का प्रस्ताव पास करना पड़ता है। इस प्रस्ताव पर लोकसभा की सहमति लेना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है। वह राष्ट्रपति की मृत्यु होने पर, उसके त्यागपत्र देने पर, उसे महाभियोग द्वारा हटाए जाने पर या और किसी कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।

प्रश्न 10. 
प्रधानमंत्री की नियुक्ति किस प्रकार होती है ?
उत्तर:
प्रधानमन्त्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। लेकिन वास्तव में राष्ट्रपति प्रधानमन्त्री की नियुक्ति में स्वतन्त्र नहीं है, क्योंकि जिस व्यक्ति को भी लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त होगा, राष्ट्रपति को उसे ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करना पड़ेगा। अतः लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री नियुक्त किया जाता है। जब लोकसभा में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तब राष्ट्रपति सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता को प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है तथा इस प्रकार नियुक्त प्रधानमंत्री वह निर्धारित समय-सीमा में सदन में अपना बहुमत सिद्ध करता है। सन् 1989 से अनेक ऐसे अवसर आए जब लोकसभा में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला, अनेक राजनीतिक दलों को तालमेल कर गठबंधन बनाना पड़ा जिसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त हो। ऐसी स्थिति में जो भी नेता सहयोगी दलों को अधिकतर मान्य होता है उसी को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री बनाता है।

प्रश्न 11. 
संविधान के 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के अनुसार मंत्रिपरिषद के विस्तार को किस प्रकार सीमित कर दिया गया है ? 
अथवा 
संविधान के 91वें संशोधन को आप किस दृष्टि से महत्वपूर्ण मानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 2003 से पहले मंत्रिपरिषद् का आकार समय की माँग के अनुसार तथा परिस्थिति के अनुकूल तय होता था, पर इससे मंत्रिपरिषद् का आकार अत्यधिक बड़ा हो जाता था। इसके अलावा, जब किसी दल को स्पष्ट रूप से बहुमत नहीं मिलता तो वह दल संसद के अन्य सदस्यों को प्रलोभन देकर समर्थन पाने का प्रयत्न करता क्योंकि उस समय मंत्रिपरिषद् की सदस्य संख्या पर कोई पाबन्दी नहीं थी। संविधान के 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के अनुसार अब मंत्रिपरिषद् के सदस्यों की संख्या लोकसभा (अथवा राज्यों में विधान सभा) की कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक न होगी। यह एक स्वागत योग्य कदम है। गठबंधन सरकारों के इस युग में येनकेन प्रकारेण सत्ता प्राप्त करने वालों पर कुछ तो पाबंदी होगी कि वे सभी को मंत्री पद से सुशोभित नहीं कर पाएंगे। इसके अतिरिक्त राजकोष पर वित्तीय भार भी कम होगा।

प्रश्न 12. 
मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति किस प्रकार उत्तरदायी होती है ?
उत्तर:
मंत्रिपरिषद् सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इसका तात्पर्य है कि जो सरकार लोकसभा में अपना विश्वास खो देती है, उसे त्यागपत्र देना पड़ता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मंत्रिपरिषद् संसद की एक कार्यकारी समिति है तथा वह संसद के प्रतिनिधि के रूप में सामूहिक रूप से शासन करती है। सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना के अनुसार किसी एक मंत्री के विरोध में अविश्वास पारित होने पर पूरी मंत्रिपरिषद् को ही त्यागपत्र देना पड़ता है। इसका यह भी अर्थ निकलता है कि यदि कोई मंत्री मंत्रिमण्डल की नीति या निर्णय से सहमत नहीं, तो उसे या तो निर्णय को मान लेना चाहिए अथवा उसे अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए। जिस निर्णय के बारे में सामूहिक उत्तरदायित्व होता है उसे मानना अथवा लागू करना सभी मंत्रियों के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 13. 
मन्त्रिमण्डल तथा मन्त्रिपरिषद में अन्तर बताइए। उत्तर-मन्त्रिमण्डल तथा मन्त्रिपरिषद में अन्तर
(1) मन्त्रिमण्डल एक छोटी संख्या है, जिसमें प्रायः 15 से 20 तक सदस्य होते हैं, जो कि कैबिनेट स्तर के मन्त्री कहलाते हैं, जबकि मन्त्रिपरिषद् में सदस्यों की संख्या 40-50 होती है। इसमें प्रधानमन्त्री एवं तीनों श्रेणियों के मन्त्री सहित संसदीय सचिव भी होते हैं।

(2) प्रायः मन्त्रिमण्डल में सभी वरिष्ठ मन्त्री होते हैं, जो कि महत्वपूर्ण विभागों के अध्यक्ष होते हैं, जबकि मन्त्रिपरिषद् कैबिनेट के सहायक के रूप में कार्य करती है।

(3) मन्त्रिमण्डल प्रशासन का केन्द्र है, जबकि मन्त्रिपरिषद् मन्त्रिमण्डल की सहायक संस्था है।

(4) मन्त्रिमण्डल की बैठकें नियमित रूप से होती हैं, जिनमें सिर्फ कैबिनेट मन्त्री ही भाग लेते हैं, जबकि मन्त्रिपरिषद् की बैठकें कभी-कभी होती हैं। राज्यमन्त्री एवं उपमन्त्री विशेष रूप से बुलाने पर ही मन्त्रिमण्डल की बैठकों में सम्मिलित होते हैं।

प्रश्न 14. 
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री को सरकार की केन्द्रीय धुरी की संज्ञा दी है। स्पष्ट करो।
उत्तर:
भारत में प्रधानमंत्री का सरकार में सर्वोच्च स्थान होता है। प्रधानमंत्री के बिना मंत्रिपरिषद् का कोई मूल्य नहीं। प्रधानमंत्री जब अपने पद की शपथ लेता है उसके बाद ही मंत्रिपरिषद् अस्तित्व में आती है। प्रधानमंत्री के त्यागपत्र देते ही या उसकी मृत्यु होते ही मंत्रिपरिषद् भंग हो जाती है। परन्तु किसी मंत्री के त्यागपत्र देने पर या उसे हटाये जाने पर अथवा उसकी मृत्यु होने पर मंत्रिपरिषद् में एक स्थान रिक्त होता है। इस प्रकार प्रधानमंत्री एक ओर मंत्रिपरिषद् और दूसरी ओर राष्ट्रपति और संसद के मध्य एक सेतु का काम करता है। और इसी कारण पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सही रूप से प्रधानमंत्री को सरकार की केन्द्रीय धुरी की संज्ञा दी है। 

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प्रश्न 15. 
स्पष्ट कीजिए, "नौकरशाही कानूनों एवं नियमों में अटूट विश्वास रखने वालों का समूह है।"
अथवा 
नौकरशाही को आजीविका अर्जित करने वालों का समूह क्यों कहा जाता है ?
उत्तर;
नौकरशाही की कानूनों एवं नियमों में अटूट आस्था होती है। उनको शुरू से ही इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि उनके द्वारा जो भी कार्य किया जाए वह कानून एवं नियमों के अनुसार हो। लोकतान्त्रिक प्रणाली में कानून सर्वोच्च है। यह माना जाता है कि कानून सार्वजनिक इच्छा का प्रतीक है। नौकरशाही जो भी कार्य क्रियान्वित करती है वह कानून के अनुसार होते हैं तथा वह अपनी स्वेच्छा से कोई भी कार्य सम्पादित नहीं कर सकते, कई बार ऐसे अवसर आते हैं जब कानूनों का पालन किसी के हित में नहीं होता, लेकिन नौकरशाही कानूनों की अवज्ञा कदापि नहीं कर सकती।

नौकरशाही को आजीविका अर्जित करने वालों का समूह इस कारण कहा जाता है, क्योंकि इसके सदस्य समाज-सेवा करने लोक-सेवा में नहीं आते हैं, बल्कि उनका मुख्य उद्देश्य अपनी आजीविका चलाना होता है। लोक-सेवक अपना घर जनसेवा की भावना से प्रेरित होकर नहीं छोड़ते, बल्कि वे अपना तथा अपने परिवार का पालन-पोषण करने हेतु घर से बाहर निकलते हैं। उनके द्वारा किए गए कार्यों हेतु उनको पारिश्रमिक अर्थात् वेतन का भुगतान किया जाता है। 

प्रश्न 16. 
नौकरशाही के दोषों की विवेचना संक्षेप में कीजिए। उत्तर-नौकरशाही के दोषों को निम्न प्रकार वर्णित किया जा सकता है
(1) जनसाधारण की माँगों की उपेक्षा-नौकरशाही का प्रमुख दोष यह है कि वह लोकहित के सम्बन्ध में जनसाधारण की भी उपेक्षा कर देती है। उसके विवेकानुसार काम करने की वजह से जनसाधारण की माँगें एवं इच्छाओं की उपेक्षा होती है।

(2) आकार में वृद्धि लेकिन कुशलता में कमी-नौकरशाही अपना प्रभाव एवं शक्ति में बढ़ोत्तरी करने हेतु कार्य अधिक न होने पर भी अपने आकार को बढ़ाती जाती है, जिससे कर्मचारियों की कुशलता का स्तर गिरता जाता है।

(3) श्रेष्ठता की भावना-नौकरशाही की एक त्रुटि अथवा दोष यह है कि इस व्यवस्था में अधिकारियों में श्रेष्ठता की भावना आ जाती है। सत्ता हाथ में रहने तथा कुछ विशेषाधिकार मिलने से नौकरशाह अपने आपको श्रेष्ठ तथा जनसाधारण को हीन समझने लगते हैं।

(4) रूढ़िवादी प्रवृत्ति-नौकरशाहों की प्रवृत्ति रूढ़िवादी होती है। वे परिवर्तन एवं नवीनता के प्रति विरोधी भावना रखते हैं।

(5) लालफीताशाही-नौकरशाही का अन्य दोष लालफीताशाही है, जिसके फलस्वरूप काम में बिना वजह की देरी होती है। 

निबंधात्मक प्रश्नोत्तर (शब्द सीमा-150 शब्द)

प्रश्न 1.
भारत में संसदीय कार्यपालिका क्यों अपनायी गयी? सरकार की संसदीय और राष्ट्रपति प्रणाली में अंतर भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में संसदीय प्रणाली-भारतीय संविधान के निर्माता एक ऐसी सरकार सुनिश्चित करना चाहते थे जो जनता की अपेक्षाओं के प्रति संवेदनशील और उत्तरदायी हो, संसदीय कार्यपालिका की जगह दूसरा विकल्प अध्यक्षात्मक सरकार था लेकिन अध्यक्षात्मक कार्यपालिका मुख्य कार्यकारी के रूप में राष्ट्रपति पर बहुत बल देती है और उसे सभी शक्तियों का स्रोत मानती है। अध्यक्षात्मक कार्यपालिका में व्यक्ति पूजा का खतरा बना रहता है। संविधान निर्माता एक ऐसी सरकार चाहते थे जिसमें एक शक्तिशाली कार्यपालिका तो हो, लेकिन साथ-साथ उसमें व्यक्ति पूजा पर पर्याप्त अंकुश लगे हों। संसदीय व्यवस्था में ऐसी अनेक प्रक्रियाएँ हैं जो यह सुनिश्चित करती हैं कि कार्यपालिका विधायिका अथवा जनता के प्रतिनिधियों के प्रति उत्तरदायी होगी और उनसे नियंत्रित भी।

इसलिए, संविधान में राष्ट्रीय और प्रांतीय दोनों ही स्तरों पर संसदीय कार्यपालिका की व्यवस्था को स्वीकार किया गया। इसके अतिरिक्त संसदीय शासन प्रणाली में कार्यपालिका और विधायिका में पूर्ण सहयोग होता है, वैकल्पिक सरकार की व्यवस्था होती है, अधिक लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली होती है। इस व्यवस्था के अंतर्गत राष्ट्रपति भारत में राज्य का औपचारिक प्रधान होता है तथा प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद् राष्ट्रीय स्तर पर सरकार चलाते है । राज्यों के स्तर पर राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद् मिलकर कार्यपालिका बनाते हैं। सरकार की संसदीय और राष्ट्रपति प्रणाली (अध्यक्षीय प्रणाली) में अन्तर-सरकार की संसदीय और राष्ट्रपति प्रणाली (अध्यक्षीय प्रणाली) में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित है।

1. राज्य के अध्यक्ष की स्थिति-संसदीय शासन में राज्य का अध्यक्ष नाममात्र का अध्यक्ष होता है, यद्यपि सम्पूर्ण शक्तियाँ उसी के नाम होती है, किन्तु इन शक्तियों का उपयोग वह स्वयं नहीं करता । इस शासन में राज्याध्यक्ष की सम्पूर्ण शक्तियों का उपयोग शासन का अध्यक्ष प्रधानमंत्री करता है, जो संसद के प्रति उत्तरदायी होता है। राष्ट्रपति प्रणाली में राज्य का अध्यक्ष राष्ट्रपति अपने पद की सम्पूर्ण शक्तियों का स्वयं उपयोग करता है। वह विधायिका के प्रति उत्तरदायी नहीं होता। उसमें राज्याध्यक्ष और शासनाध्यक्ष दोनों की शक्तियों का केन्द्रीकरण होता है।

2. मंत्रियों की स्थिति-संसदीय प्रणाली में, प्रधानमंत्री और उसके सहयोगी मंत्री अपने राजनीतिक महत्व के कारण अपने पदों पर रहते हैं। राष्ट्रपति प्रणाली में राष्ट्रपति सम्पूर्ण कार्यपालिका शक्तियों का उपभोग करता है।

3. मंत्रिपरिषद् का विधायिका के प्रति उत्तरदायित्व-संसदीय प्रणाली में जहाँ विधायिका (संसद) मंत्रिपरिषद को अपदस्थ करने की शक्ति रखती है वहीं मंत्रिपरिषद भी संसद को भंग करने की शक्ति रखता है। राष्ट्रपति प्रणाली में राष्ट्रपति विधायिका को उसके कार्यकाल से पूर्व भंग करने की शक्ति नहीं रखता। 

प्रश्न 2. 
राष्ट्रपति के विशेषाधिकारों की विवेचना कीजिए।
अथवा 
भारत में राष्ट्रपति अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कब करता है ? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
भारत के राष्ट्रपति के विशेषाधिकार-भारत में संविधान द्वारा राष्ट्रपति को कुछ विशेष अधिकार भी प्रदान किये गये हैं। वह इनका उपयोग निम्न तीन अवसरों पर कर सकता है
(1) राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् की सलाह को लौटा सकता है तथा उसे अपने निर्णय पर पुनः सोचने के लिए कह सकता है। यह दूसरी बात है कि यदि मंत्रिपरिषद पुनः विचार के बाद वही सलाह दुबारा दे देती है तो इस स्थिति में उसे मानने के लिए राष्ट्रपति बाध्य होता है।

(2) वीटो की शक्ति का उपयोग कर धन विधेयकों को छोड़कर संसद द्वारा पारित अन्य विधेयकों पर स्वीकृति देने में विलंब कर सकता है अथवा स्वीकृति देने से इन्कार कर सकता है। संसद द्वारा पारित प्रत्येक विधेयक को कानून बनने से पहले राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति उसे संसद को लौटा सकता है और उस पर पुनः विचार हेतु कह सकता है। यदि संसद उसी विधेयक को पुनः पास करके राष्ट्रपति के पास भेजती है तो राष्ट्रपति को उस पर स्वीकृति देनी पड़ती है। लेकिन संविधान द्वारा राष्ट्रपति के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है जिसके अंदर ही उस विधेयक को वह पुनः विचार के लिए लौटा दे। इस प्रकार राष्ट्रपति किसी भी विधेयक को बिना समय सीमा के अपने पास लंबित रख सकता है। इस प्रकार राष्ट्रपति को अनौपचारिक रूप से अपने वीटो के अधिकार को प्रभावशाली तरीके से प्रयोग का मौका मिल जाता है। इस प्रकार के वीटो के अधिकार को पाकेट वीटो' भी कहते हैं।

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(3) तीसरे प्रकार का विशेष अधिकार राजनीतिक परिस्थितियों के कारण पैदा होता है। जब लोकसभा में चुनाव के पश्चात् किसी भी दल के नेता को बहुमत नहीं मिलता और गठबंधन के प्रयास के बाद भी दो या तीन नेता यह दावा करें कि उन्हें लोकसभा में बहुमत प्राप्त है तो राष्ट्रपति अपने विशेष अधिकार का प्रयोग कर अपने विवेक से यह निर्णय लेता है कि वह किसे प्रधानमंत्री नियुक्त करे। वह विचार करता है कि किसे बहुमत का समर्थन प्राप्त है या कौन सरकार बना सकता है और उसे चला सकता है।

प्रश्न 3. 
भारतीय मंत्रिपरिषद् की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:
भारतीय मंत्रिपरिषद् की प्रमुख विशेषताएँ- भारत की मंत्रिपरिषद् में मुख्य रूप से निम्नलिखित विशेषताएँ हैं
(1) भारतीय मंत्रिपरिषद् की यह विशेषता है कि वह राष्ट्रपति को सहयोग एवं परामर्श देती है, लेकिन इसके बावजूद राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद् का हिस्सा नहीं होता। हालांकि मंत्रिपरिषद् अपना प्रत्येक फैसला राष्ट्रपति के नाम पर लेती है, लेकिन इन निर्णयों में न तो राष्ट्रपति का कोई योगदान होता है तथा न ही इसके लिए उसे उत्तरदायी माना जाता है।

(2) भारतीय मंत्रिपरिषद् प्रधानमंत्री के नेतृत्व में अपने कार्यों को क्रियान्वित करती है। राज्य का अध्यक्ष मंत्रिपरिषद् के परामर्शों के अनुरूप कार्य करता है। 

(3) भारतीय मंत्रिपरिषद् की एक अन्य विशेषता व्यवस्थापिका के साथ उसके उचित सहयोग एवं सामंजस्य पर आधारित मधुर सम्बन्धों की है। मंत्रिपरिषद् का प्रत्येक सदस्य अनिवार्य रूप से संसद के किसी भी सदन का सदस्य होता है। अतः वह संसदीय अधिवेशनों अथवा विचार-विमर्श में सहभागिता करके शासकीय नीतियों का औचित्य सिद्ध करता है।

(4) भारतीय मंत्रिपरिषद् अपने कार्यों के लिए लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है। यदि लोकसभा किसी एक मन्त्री में अविश्वास व्यक्त करती है तो प्रतिफल सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद् को अपने त्यागपत्र द्वारा भुगतना पड़ता है।

(5) भारतीय मंत्रिपरिषद् की एक विशेषता यह भी है कि उसके प्रधान अर्थात प्रधानमंत्री के लिखित परामर्श पर राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर देता हैं।

प्रश्न 4. 
नौकरशाही का आशय स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
नौकरशाही से आशय एक कार्यकुशल, प्रशिक्षित तथा कर्त्तव्यपरायण कर्मचारियों के विशिष्ट संगठन से है, जिसमें पद सोपान तथा आज्ञा की एकता के सिद्धान्त का सख्ती से पालन किया जाता है। नौकरशाही की विशेषताएँ
(1) कानून एवं नियमों में अटूट आस्था-नौकरशाही कानूनों एवं नियमों में अटूट विश्वास रखती है। नौकरशाही सभी काम कानून के अनुरूप ही करती है। उसको शुरू से ही इस बात का प्रशिक्षण दिया जाता है कि जो काम किया जाए कानून एवं नियमों के अनुसार ही हो। वे स्वेच्छा से कोई कार्य नहीं कर सकते।

(2) प्रत्येक पद हेतु निर्धारित सत्ता-नौकरशाही में प्रत्येक नौकरशाह की सत्ता परिभाषित एवं निर्धारित होती है। वह उस सत्ता से बाहर काम करने की स्थिति में नहीं होता है।

(3) प्राविधिक विशेषता-नौकरशाही के कार्य करने का एक विशिष्ट ढंग होता है। एक शासकीय कर्मचारी अपना समस्त जीवन एक विशिष्ट काम में लगा देता है, जिससे उसमें एक तरह की विशेषता (विशेषज्ञता) का भाव पैदा हो जाता है।

(4) कागजी कार्यवाही-नौकरशाही का एक प्रमुख गुण यह भी है कि आज के आधुनिक युग में कार्यालय की प्रबन्ध व्यवस्था लिखित दस्तावेजों तथा फाइलों पर आधारित होती है। नौकरशाहों का प्रत्येक कार्य, फैसला तथा आदेश लिखित में होता है।

(5) आजीविका अर्जित करने वालों का समूह-नौकरशाहों का उद्देश्य समाज-सेवा द्वारा अपनी आजीविका का अर्जन करना होता है। लोकसेवक अपने तथा परिवार के परिपालन हेतु घर से निकलते हैं तथा अपने काम के बदले वेतन लेते हैं।

(6) सत्ता का आधार राज्य एवं शासन का कानून-नौकरशाह जो भी काम करते हैं उन्हें क्रियान्वित करने की शक्ति उनके शासन से हासिल होती है। किसी शासकीय कर्मचारी के काम में रुकावट पैदा करने का अभिप्राय कानून का उल्लंघन करना है। इस स्थिति में शासकीय कर्मचारियों को सुरक्षा का एक कवच मिल जाता है, जिसके अन्दर रहकर वह निर्भय होकर स्वेच्छा से काम कर सकता है।

(7) पद के लिए निश्चित योग्यताएँ-इस पद्धति में प्रत्येक पद के लिए योग्यताएँ निर्धारित कर दी जाती हैं।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
भारतीय संसद बनती है
(अ) केवल लोकसभा द्वारा
(ब) राज्यसभा एवं लोकसभा के द्वारा 
(स) लोकसभा एवं राष्ट्रपति के द्वारा
(द) लोकसभा, राज्यसभा एवं राष्ट्रपति के द्वारा। 
उत्तर:
(द) लोकसभा, राज्यसभा एवं राष्ट्रपति के द्वारा। 

प्रश्न 2. 
संसदीय प्रणाली वाली सरकार को अन्य किस नाम से जाना जाता है?
(अ) अनुक्रियाशील सरकार
(ब) उत्तरदायी सरकार 
(स) संघीय सरकार
(द) राष्ट्रपति सरकार। 
उत्तर:
(स) संघीय सरकार

प्रश्न 3. 
भारत में कार्यपालिका का अध्यक्ष कौन होता है?
(अ) राष्ट्रपति
(ब) प्रधानमंत्री 
(स) विरोधी दल का नेता
(द) भारत सरकार का मुख्य सचिव 
उत्तर:
(अ) राष्ट्रपति

प्रश्न 4. भारत के राष्ट्रपति को उसके पद से हटाया जा सकता है
(अ) भारत के प्रधानमंत्री द्वारा
(ब) लोकसभा के द्वारा 
(स) भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा
(द) संसद द्वारा। 
उत्तर:
(द) संसद द्वारा। 

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प्रश्न 5. 
राष्ट्रपति को हटाया जा सकता है
(अ) अविश्वास प्रस्ताव लाकर
(ब) संविधान संशोधन से 
(स) कानूनी कार्यवाही से
(द) महाभियोग द्वारा। 
उत्तर:
(द) महाभियोग द्वारा। 

प्रश्न 6. 
राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे सौंपता है?
(अ) उपराष्ट्रपति
(ब) सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश 
(स) प्रधानमंत्री
(द) लोकसभाध्यक्ष। 
उत्तर:
(अ) उपराष्ट्रपति

प्रश्न 7. 
भारत के राष्ट्रपति के पास कौन-सी वीटो शक्ति होती है?
(अ) पूर्ण निषेध
(ब) निलम्बित निषेध
(स) पॉकेट निषेध
(द) उपरोक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी। 

प्रश्न 8. 
भारत के राष्ट्रपति ने जिस एकमात्र मामले में वीटो शक्ति का प्रयोग किया था, वह था-
(अ) हिन्दू बिल कोड
(ब) पेप्सू विनियोग विधेयक
(स) भारतीय डाकघर (संशोधन) अधिनियम 
(द) दहेज प्रतिषेधक विधेयक।
उत्तर:
(स) भारतीय डाकघर (संशोधन) अधिनियम 

प्रश्न 9. 
राज्यसभा की बैठकों का सभापतित्व कौन करता है?
(अ) राष्ट्रपति
(ब) उपराष्ट्रपति 
(स) प्रधानमंत्री
(द) स्पीकर। 
उत्तर:
(ब) उपराष्ट्रपति 

प्रश्न 10.
प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
(अ) राष्ट्रपति
(ब) लोक सभाध्यक्ष 
(स) राज्यसभा का सभापति
(द) उपराष्ट्रपति। 
उत्तर:
(अ) राष्ट्रपति

प्रश्न 11. 
संसदीय शासन प्रणाली में वास्तविक कार्यपालिका शक्ति किसके पास होती है? 
(अ) संसद
(ब) प्रधानमंत्री 
(स) राष्ट्रपति
(द) नौकरशाही। 
उत्तर:
(ब) प्रधानमंत्री 

RBSE Class 11 Political Science Important Questions Chapter 4 कार्यपालिका

प्रश्न 12. 
संसदीय मंत्रिपरिषद अपने आचरण के लिए किसके प्रति उत्तरदायी होता है? 
(अ) राष्ट्रपति
(ब) लोकसभा 
(स) राज्यसभा
(द) संसद। 
उत्तर:
(ब) लोकसभा 

प्रश्न 13. 
सामूहिक रूप से मंत्रिपरिषद् किसके प्रति उत्तरदायी होता है?..
(अ) राष्ट्रपति
(ब) प्रधानमंत्री 
(स) लोकसभा
(द) संसद। - 
उत्तर:
(स) लोकसभा

Prasanna
Last Updated on Nov. 20, 2023, 10:32 a.m.
Published Nov. 19, 2023