RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 14 हमारे परिधान

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RBSE Class 11 Home Science Chapter 14 Notes हमारे परिधान

→ वस्त्रों के कार्य और उनका चयन हम सब कपड़े पहनते हैं और हमारे पहनावे विभिन्न प्रकार के होते हैं। हम निम्न कारणों के आधार पर अपने कपड़ों का चयन करते हैं

  • शालीनता (मर्यादा)-हमारे समाज में प्रत्येक व्यक्ति के लिए कपड़े पहनना अनिवार्य है। हम मर्यादावश भी कपड़े पहनते हैं। मर्यादा सम्बन्धी धारणाएँ समाज द्वारा बनाई जाती हैं जिसमें हम रहते हैं।
  • सुरक्षा-हम पर्यावरण से अपनी सुरक्षा के लिए कपड़े पहनते हैं। हम मौसम की कठोर स्थितियों, धूल, मिट्टी तथा प्रदूषण से बचने के लिए कपड़े पहनते हैं।
  • सामाजिक स्तर और प्रतिष्ठा-कपड़े अर्थात् पहनावे हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रतीक भी हो सकते हैं। पहनावे के तरीके के द्वारा व्यक्ति के स्तर और उसकी प्रतिष्ठा का पता लगाया जा सकता है। यद्यपि आजकल टी-शर्ट, जीन्स, सलवार-कुर्ता सभी सामाजिक-आर्थिक स्तर के लोगों द्वारा पहने जाते हैं जो प्रजातांत्रिक समाज में सामाजिक समानता की दिशा में एक कदम हैं।
  • श्रृंगार-शरीर को सजाना-संवारना और श्रृंगार करना पुरुषों तथा महिलाओं सभी की चाहत होती है। हम अच्छे कपड़े आकर्षक दिखने के लिए भी पहनते हैं।

→ भारत में वस्त्रों (वेशभूषा) के चयन को प्रभावित करने वाले कारक 
(1) आयु-बच्चों की वेशभूषा और परिधान का चयन करते समय आयु को ध्यान में रखना अत्यन्त आवश्यक है। चूँकि माता-पिता या परिवार के बड़े बुजुर्ग बच्चों के कपड़ों के संबंध में निर्णय लेते हैं । यह निर्णय लेते समय उन्हें बच्चों की शारीरिक वृद्धि, क्रियात्मक विकास, लोगों और चारों ओर की चीजों के साथ संबंध, उनके द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलापों आदि पर सुविधा और सुरक्षा की दृष्टि से विचार किया जाता है। - वेशभूषा और परिधान बढ़ते हुए बच्चे में संबंधित और स्वीकृत होने की भावना का अनुभव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जैसे-जैसे बच्चे बढ़ते हैं, उनके पहनावे का रूप बदल जाता है और लड़के और लड़कियों के पहनावे अलग-अलग हो जाते हैं।

किशोर सांस्कृतिक, सामाजिक मानदंडों और समकालीन प्रवृत्तियों से परिचित होने लगते हैं और ये उनके कपड़ों के चयन को प्रभावित करते हैं।

(2) जलवायु और मौसम-बच्चों के लिए कपड़ों का चयन जलवायु के आधार पर किया जाता है। ठण्डे मौसम में कपड़े गर्म या शीतोष्ण मौसम में पहने जाने वाले कपड़ों से बहुत भिन्न होंगे। ग्रीष्म ऋतु में सूती परिधानों का चयन किया जाता है। बरसात के मौसम में सफेद या हल्के रंग के परिधान अच्छे रहते हैं।

(3) अवसर-कपड़ों का चयन अवसर और दिन के समय पर बहुत अधिक निर्भर करता है। प्रत्येक अवसर के लिए वस्त्र संबंधी अलिखित नियम और परम्पराएँ भी हैं। जैसे-स्कूलों की यूनिफार्म के नियम, सामाजिक-समारोह और पार्टियों के अवसर के लिए अच्छे परिधान पहनना। शादी-ब्याह के अवसरों पर बच्चों को पारंपरिक मानकों का अनुसरण करना पड़ता है। वेशभूषा का चयन न केवल पहनावे की शैली में अपितु कपड़े के प्रकार, बनावट, रंग और सहवस्त्रों में भी परिलक्षित होता है।

(4) फैशन-फैशन शब्द से अभिप्राय एक ऐसी शैली से है जिसका जनसमूह पर प्रभाव समकालीन होता है। बच्चों के टी.वी. के निरंतर सम्पर्क में रहने से वे भी फैशन के प्रति बहुत सचेत हो जाते हैं। फैशन महत्वपूर्ण व्यक्तियों, नेताओं, फिल्मी सितारों व महत्वपूर्ण राष्ट्रीय घटनाओं से प्रेरित हो सकता है। ये फैशन कपड़े के प्रकार, रंग, कपड़े के डिजाइन, आकृति आदि में परिलक्षित हो सकते हैं।

(5) आय-धन-सामर्थ्य भी कपड़ों के चयन को प्रभावित रकता है। उच्च आय-वर्ग वाले परिवारों में प्रायः परिधानों की बहुत ज्यादा वैराइटी होती है जबकि मध्यम व निम्न आय वाले परिवारों में बड़े बच्चों के कपड़ों को पुनः छोटे बच्चों द्वारा पहना जाता है जिससे कपड़ों पर व्यय में किफायत होती है।

RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 14 हमारे परिधान 

→ बच्चों की वस्त्र संबंधी मूल आवश्यकताओं को समझना बच्चों के कपड़े उनकी विभिन्न गतिविधियों के अनुकूल होने चाहिए। ये उनके खेल में बाधक नहीं होने चाहिए। यथा

  • आराम और सुविधा-बच्चों के कपड़े उनके लिए आरामदायक होने चाहिए। वे ऐसे होने चाहिए जो | उनकी क्रियाओं में बाधा न डालें। वे चुस्त नहीं होने चाहिए।
  • भारी और बड़े कपड़ों को संभालना कठिन होता है और बच्चों को इनसे परेशानी होती है। अतः कपड़े हल्के तथा पर्याप्त ढीले व आरामदायक होने चाहिए।
  • कपड़े मुलायम और नमी-पसीना सोखने वाले हों तथा शरीर की सही फिटिंग वाले परिधानों का चयन करना चाहिए।
  • सुरक्षा-बच्चों के कपड़ों के संबंध में आराम और सुरक्षा दोनों पहलुओं का समान रूप से ध्यान रखना जरूरी है। बहुत बड़े कपड़े आरामदायक नहीं होते और असुरक्षित भी हो सकते हैं।
  • स्व-सहायता-खुद ही कपड़े पहनना और उन्हें उतारना बच्चों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना प्रदान करता है। स्व-सहायता की अति अनिवार्य विशेषता परिधान का खुला भाग पर्याप्त बड़ा होना चाहिए ताकि बच्चा आसानी से परिधान पहन व उतार सके । बटन अपेक्षाकृत बड़े होने चाहिए।
  • दिखावट-बच्चों को अपने कपड़ों के सम्बन्ध में अपनी पसंद व्यक्त करने की अनुमति मिलनी चाहिए। बाहर आने-जाने के लिए चटकीले और चमकीले रंग के परिधान से खेल के मैदान या गली में बच्चे को पहचाने में आसानी होती है। लाइनों में वांछनीय विशेषताएँ उजागर होनी चाहिए। कपड़ों की डिजाइन बच्चों की छोटी लम्बाई के अनुरूप होनी चाहिए। साधारणतः छोटे-छोटे चैक, हल्के-फुल्के तथा छोटे-छोटे सुंदर प्रिंट सर्वोत्तम होते हैं।
  • वृद्धि के लिए गुंजाइश-बच्चों की शारीरिक वृद्धि और विकास को ध्यान में रखते हुए कपड़ों में वृद्धि के लिए गुंजाइश होनी चाहिए। विशेषकर लम्बाई बढ़ने के लिए।
  • सरल देखभाल-बच्चे उन कपड़ों से ज्यादा आराम महसूस करते हैं जिनके गंदे होने की चिंता नहीं होती तथा जिनकी देख-रेख की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती, जिन्हें आसानी से धोया तथा इस्त्री किया जा सकता है। सिलाई दुहरी होनी चाहिए।
  • वस्त्र-मुलायम अच्छी तरह बुने हुए कपड़े जिनकी देख-रेख करना सरल होता है, त्वचा के लिए आरामदायक होते हैं, जो सिकुड़ते नहीं है या तुरंत गंदे भी नहीं होते, बच्चों के पहनावे के लिए बेहतर कपड़े हैं। सामान्यतः सूती और पॉलीस्टर के मिश्रण से बने कपड़े अधिक आरामदायक होते हैं।

→ बाल्यावस्था की विभिन्न अवस्थाओं में परिधान संबंधी आवश्यकताएँ।
(1) शैशवकाल (जन्म से छह माह):
इस आयु के बच्चों के कपड़े आरामदायक, नीचे तक खुले हुए तथा गला अधिक खुला हुआ, जिससे कि सिर के ऊपर से कपड़े को न पहनाना पड़े। कमीजें और डायपर्स (लंगोट) जैसे परिधान अधिक होने चाहिए, क्योंकि इन्हें बार-बार बदलना पड़ता है।
कपड़े बहुत मुलायम, हल्के व पहनने-उतारने में सरल हों। सर्दी के दिनों के लिए कपड़ों में फलालेन के कपड़े या सिल्क के कपड़े हों। अधिकतर परिवार घर पर ही सूती कपड़ों के डायपर्स प्रयुक्त करते हैं। बहुत से परिवार बाजार में उपलब्ध गॉज से बने और वर्ड्स आई डायपर्स का प्रयोग करते हैं। मौसम और भौगोलिक स्थिति के आधार पर बनियान का चयन किया जाना चाहिए।

(2) घुटनों के बल चलने वाली आयु (छह माह से एक वर्ष):

  • इस आयु वर्ग में बच्चों के लिए ऐसा परिधान होता है जिसमें वे आसानी से घूम-फिर सकें। इस प्रकार के कपड़े की मूल आवश्यताएं हैं-ढीले और बाधा-मुक्त परिधान हल्के, ढीले फिट होने वाले कपड़े, बुने हुए और तिरछी काट वाले परिधान बहुत उपयुक्त होते हैं क्योंकि वे खिंचते हैं और उनमें बढ़ने की गुंजाइश होती है।।
  • परिधान मुलायम, चिकने कपड़े से बनाए जाएँ जिनकी देख-रेख करना (धोना व इस्त्री करना) सरल होना चाहिए। जैसे-हल्के-फुल्के एवं लहरिया धारीदार, सूती व रेयान के कपड़े। परिधान में खुला भाग सुविधाजनक हो जिससे उतारना व पहनाना आसान रहे। इस आयु के लिए सर्वाधिक उपयुक्त रोम्पर्स तथा सन सूट्स परिधान हैं जो बुनाई वाली सामग्री से बनाए जाते हैं। सर्दी के दौरान मुलायम तली वाले जूते तथा प्रशिक्षण पैंट्स पहनाएँ।

(3) टोडलर अवस्था (1-2 वर्ष की आयु):
इस अवस्था में जूते, मोजे या चप्पल पहनावे के अनिवार्य अंग बन जाते हैं। जूते व मोजे का पाँव में सही फिट होना आवश्यक है। इस अवस्था के बच्चों के लिए लचीली तली वाले जूते, बिना एडी के या छोटी एडी के तथा भरे-फूले पंजे वाले हों। जूते के चुनाव में उसकी फिटिंग पर पूरा ध्यान दिया जाए। सही फिटिंग वाला जूता वही है जो बच्चे के पैर में सही फिट हो। सही फिट वाले जूते बच्चों की संतुलन बनाने, चढ़ने और दौड़ने के दौरान शारीरिक कौशलों का सही निर्माण करने में सहायता करते हैं।
1-2 वर्ष के बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त परिधान झबले हैं।

(4) विद्यालय-पूर्व आयु (2-6 वर्ष):

  • विद्यालय-पूर्व आयु के बच्चों के परिधान मजबूत होने चाहिए जो टूटफूट झेल सकें। इनके लिए सूती कपड़ा अति उपर्युक्त है क्योंकि यह जल अवशोषी है, इसे धोना सरल है तथा यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। इन बच्चों के परिधानों का डिजाइन ऐसा होना चाहिए जिनकी सरलता से देखभाल की जा सके अर्थात् इनका धोना व इस्त्री करना सरल हो।
  • विद्यालय--पूर्व आयु के बच्चों के परिधानों में उनकी पसंद भी देखी जानी चाहिए। सामान्यतः इस उम्र में लड़कियों को लड़कों की तरह पैंट्स/जीन्स/शर्ट पहनने की इजाजत दी जाती है परन्तु लड़कों को लड़कियों वाले कपड़े नहीं पहनाए जाते । संक्षेप में, इन बच्चों के लिए कपड़े पहनने में आरामदायक, रख-रखाव में आसान, प्रयोग में टिकाऊ, उपयुक्त डिजाइन के तथा आकर्षक रंग के होने चाहिए।

(5) प्रारंभिक स्कूली वर्ष (5-11 वर्ष):
यह मध्य बाल्यावस्था है। इसमें शारीरिक सक्रियता ज्यादा होती है और लड़के व लड़कियाँ दोनों खेल-कूद में रुचि रखते हैं। इस उम्र के बच्चे कुछ विशिष्ट कपड़ों के प्रति अपनी पसंद-नापसंद विकसित कर लेते हैं। अधिकांश बच्चे जो कपड़े पहनना चाहते हैं, उनका चयन स्वयं कर सकते हैं। इस उम्र में भी आरामदायक परिधान अनिवार्य है। साथ ही फिटिंग भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। कुछ बच्चे फैशन के आधार पर कपड़ों का चयन करते हैं, भले ही वह आरामदायक न हों। सूती कपड़े इस उम्र के बच्चों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त होते हैं।

(6) किशोर ( 11-19 वर्ष):
इस उम्र में बच्चा तेजी से बढ़ता है, इसलिए कम परिधान खरीदें क्योंकि कपड़े छोटे हो जाते हैं । फिटिंग व फैशन इस उम्र के बच्चों के परिधानों का महत्वपूर्ण पक्ष है । वे फैशनेबल कपड़े पहनते हैं।
खेलकूद या कसरत के लिए तैयार होते समय आरामदायक कपड़े व जूते पहनने चाहिए। परिधान का डिजाइन और कपड़ा पसीना सोखने में सक्षम हो और गति में बाधक न बने।।

RBSE Class 11 Home Science Notes Chapter 14 हमारे परिधान

→ विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए कपड़े
विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए कपड़े पहनने और उतारने का कार्य बहुत महत्वपूर्ण होता है। अतः बच्चों के लिए परिधान का चयन उसकी अक्षमता के प्रकार और उससे संबंधित कठिनाइयों के अनुसार किया जाना चाहिए।
आरामदायक परिधान प्राथमिक मानदंड है। गर्मी के लिए सूती कपड़ा तथा सर्दी के लिए सूती-ऊनी मिश्रण कपड़े के परिधान उपयुक्त रहते हैं। परिधान मजबूत होना चाहिए। यह दोहरी सिलाई वाला हो। खुला भाग आसानी से खोलने लायक तथा बाँधने में सरल हो। परिधान धोने में आसान, पहनने व उतारने में सरल, बड़ा गला, खुली जेबें तथा कमर पर बैल्ट इलास्टिक वाली होनी चाहिए। रंग और प्रिंट लुभावना हो।

Prasanna
Last Updated on Aug. 3, 2022, 10:46 a.m.
Published Aug. 3, 2022