RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

Rajasthan Board RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य. Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1. 
'यायावर' शब्द का अर्थ है
(क) घुमक्कड़
(ख) मूर्ख 
(ग) पर्यटक
(घ) जनजाति। 
उत्तर:
(क) घुमक्कड़

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य  

प्रश्न 2. 
मंगोलों ने किसके नेतृत्व में अपने पारस्परिक सामाजिक व राजनीतिक रीति-रिवाजों को रूपांतरित कर एक भयानक सैनिक तंत्र तथा शासन संचालन की प्रभावी पद्धतियों का सूत्रपात किया? 
(क) पैगम्बर मुहम्मद 
(ख) महमूद गज़नवी 
(ग) तोलोए
(घ) चंगेज़ खान। 
उत्तर:
(घ) चंगेज़ खान। 

प्रश्न 3. 
निम्न में से किस इतिहासकार ने 'मंगोलों का गोपनीय इतिहास' लिखा? 
(क) ईगोर दे रखेविल्ट्स  
(ख) गरेहार्ड डोरफर 
(ग) बारटोल्ड 
(घ) व्लाडिमीर स्टॉव। 
उत्तर:
(क) ईगोर दे रखेविल्ट्स  

प्रश्न 4. 
निम्न में से किस वर्ष चंगेज़ खान को मंगोलों का सार्वभौम शासक घोषित किया गया? 
(क) 1227 ई.
(ख) 1206 ई. 
(ग) 1167 ई. 
(घ) 1520 ई.। 
उत्तर:
(ख) 1206 ई. 

प्रश्न 5. 
निम्न में से किस वर्ष चीन में यूआन राजवंश का अन्त हुआ?
(क) 1368 ई.
(ख) 1520 ई. 
(ग) 1759 ई. 
(घ) 1921 ई. 
उत्तर:
(क) 1368 ई.

प्रश्न 6. 
अपने किस पुत्र के बारे में चंगेज़ खान ने यह संकेत दिया था कि वह उसका उत्तराधिकारी होगा ?
(क) ओगोदेई
(ख) जोची 
(ग) चघताई
(घ) तोलोए। 
उत्तर:
(क) ओगोदेई

प्रश्न 7. 
निम्न में से किसने सुनहरा गिरोह का गठन किया था? 
(क) चंगेज खान
(ख) जोची 
(ग) ये-लू-चुत्साई 
(घ) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(ख) जोची 

प्रश्न 8. 
चंगेज़ खान की विधि संहिता कहलाती है 
(क) उलुस
(ख) पैज़ा 
(ग) जेरेज़
(घ) यास।. 
उत्तर:
(घ) यास।. 

प्रश्न 9.
निम्न में से किस शहर पर विजय प्राप्त करने के पश्चात् 1221 ई. में चंगेज़ खान ने वहाँ के अमीर मुसलमान निवासियों को उत्सव मैदान में एकत्रित कर उनकी भर्त्सना की ? 
(क) बुखारा
(ख) समरकंद 
(ग) बल्ख
(घ) निशापुर। 
उत्तर:
(क) बुखारा 

अतिलघूत्तरीय प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
यायावर कौन थे ?
उत्तर:
यायावर घुमक्कड़ लोग थे, जो एक अविभेदित आर्थिक जीवन और प्रारम्भिक राजनीतिक जीवन के साथ परिवारों के समूहों में संगठित होते थे।

प्रश्न 2. 
चंगेज़ खान कौन था ? 
उत्तर:
चंगेज़ खान मंगोल साम्राज्य का संस्थापक था।

प्रश्न 3.
चंगेज़ खान का साम्राज्य किन-किन महाद्वीपों में फैला हुआ था ? 
उत्तर:
यूरोप व एशिया महाद्वीपों में। 

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प्रश्न 4. 
मंगोलों का निवास स्थान कहाँ था ?
उत्तर:
मध्य एशिया का स्टेपी क्षेत्र।। 

प्रश्न 5. 
किसके वंशजों ने दुनिया के सबसे विशाल साम्राज्य का निर्माण किया ? 
उत्तर:
चंगेज़ खान के वंशजों ने।

प्रश्न 6.
किस मंगोल शासक ने फ्रांस के शासक लुई IX को चेतावनी दी थी ? 
उत्तर:
मोंके ने। 

प्रश्न 7. 
बाटू कौन था ?
उत्तर:
बाटू चंगेज़ खान का पोता था, जिसने रूस, पोलैण्ड व हंगरी पर विजय प्राप्त कर वियना के बाहर पड़ाव डाल दिया था। 

प्रश्न 8. 
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मंगोल विविध लोगों का जनसमुदाय था। ये लोग पूर्व में तातार, खितान और मंचू लोगों तथा पश्चिम में तुर्की लोगों से सम्बन्धित थे।

प्रश्न 9. 
मध्य एशियाई स्टेपी क्षेत्र के तुर्क व मंगोल लोगों के किन्हीं चार महासंघों के नाम बताइए। 
उत्तर:

  1. सिउंग-नु (तुर्क) 
  2. जुआन-जुआन (मंगोल) 
  3. एफ़थलैट हूण (मंगोल) 
  4. तू-चे (तुर्क)। 

प्रश्न 10. 
मंगोलों का व्यवसाय क्या था? 
उत्तर:
कुछ मंगोल पशुपालक थे और कुछ शिकारी-संग्राहक के रूप में कार्यरत थे। 

प्रश्न 11. 
मंगोल शिकारी-संग्राहक लोग कहाँ निवास करते थे? 
उत्तर:
मंगोल शिकारी-संग्राहक लोग पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरियाई वनों में रहते थे। 

प्रश्न 12. 
किस चीज ने मंगोलों को परस्पर जोड़ रखा था? 
उत्तर:
नृजातीय तथा भाषायी संबंधों ने मंगोल लोगों को परस्पर जोड़ रखा था। 

प्रश्न 13. 
चीन की महान दीवार क्यों बनाई गई ?
उत्तर:
यायावर कबीले चीन पर बार-बार आक्रमण करते थे तथा नगरों को लूट लेते थे। उनके आक्रमणों से चीन की सुरक्षा के लिए महान दीवार बनाई गयी।

प्रश्न 14. 
चंगेज़ खान का जन्म कब व कहाँ हुआ ? 
उत्तर:
1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट।

प्रश्न 15.
चंगेज़ खान का प्रारम्भिक नाम क्या था ?
उत्तर:
तेमुजिन।

प्रश्न 16.
चंगेज़ खान के पिता व माता का नाम बताइए।
उत्तर:
चंगेज़ खान के पिता का नाम येसूजेई व माता का नाम ओलुन-इके था।

प्रश्न 17.
चंगेज़ खान का सम्बन्ध किस कबीले से था ?
उत्तर:
चंगेज़ खान का सम्बन्ध कियात कबीले से था।

प्रश्न 18.
1206 ई. में अपने प्रतिद्वन्द्वियों को पराजित करने पर तेमुजिन को किन उपाधियों से विभूषित किया गया?
उत्तर:
तेमुजिन को चंगेज़ खान 'समुद्री खान' या 'सार्वभौम शासक की उपाधियों' से विभूषित करने के साथ-साथ मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।

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प्रश्न 19.
कुरिलताई क्या थी ? 
उत्तर:
कुरिलताई मंगोल कबीले के सरदारों की सभा को कहा जाता था। 

प्रश्न 20. 
चंगेज़ खान ने निशापुर में कत्लेआम का आदेश क्यों दिया ? 
उत्तर:
चंगेज़ खान ने मंगोल राजकुमार की हत्या कर दिये जाने के कारण निशापुर में कत्लेआम का आदेश दिया। 

प्रश्न 21. 
मंगोल सेनाएँ किसका पीछा करते हुए सिंध प्रदेश तक पहुँच गई थीं ? 
उत्तर:
सुल्तान मोहम्मद के पुत्र जलालुद्दीन का पीछा करते हुए।

प्रश्न 22. 
किस कारण से चंगेज़ खान ने सिंधु नदी के तट पर उत्तरी भारत व असम मार्ग से मंगोलिया वापस लौटने का विचार बदल दिया था ?
उत्तर:

  1. भारत में असहनीय गर्मी का होना 
  2. प्राकृतिक आवासों की कठिनाइयाँ होना
  3. उसके भविष्यवक्ता द्वारा अशुभ संकेत देना।

प्रश्न 23. 
चंगेज़ खान की मृत्यु कब हुई ? 
उत्तर:
1227 ई. में। 

प्रश्न 24. 
चंगेज़ खान की सैनिक उपलब्धियों में कौन-कौन से कारक सहायक थे ? 
उत्तर:

  1. मंगोल व तुर्कों की कुशल घुड़सवारी ने उसकी सेना को गति प्रदान की। 
  2. मंगोल सैनिकों का कुशल तीरंदाज होना। 

प्रश्न 25. 
1260 ई. के दशक के पश्चात् मंगोल राजनीति में नवीन प्रवृत्तियों के उदय के क्या संकेत प्राप्त होते हैं? 
उत्तर:

  1. मंगोल परिवार में उत्तराधिकार को लेकर आंतरिक राजनीति। 
  2. चंगेज़ खान के वंश की तोलूयिद शाखा के उत्तराधिकारियों द्वारा जोची व ओगोदेई वंशों को कमजोर करना। 

प्रश्न 26. 
पश्चिम में मंगोलों का विस्तार क्यों रुक गया था ? 
उत्तर:

  1. मंगोलों का मिस्र की सेना के हाथों पराजित होना। 
  2. मंगोलों के तोलई परिवार की चीन के प्रति बढ़ती रुचि। 

प्रश्न 27. 
मंगोलों को मिस्र की सेना के हाथों क्यों पराजित होना पड़ा ? 
उत्तर:
मंगोल शासकों ने मिस्र की सेना का मुकाबला करने के लिए एक छोटी और अपर्याप्त सेना भेजी थी। 

प्रश्न 28. 
चंगेज़ खान की सेना किस पद्धति के अनुसार गठित की गई? 
उत्तर:
चंगेज़ खान की सेना स्टेपी-क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गयी थी। 

प्रश्न 29. 
मंगोल सैनिकों की सबसे बड़ी सैन्य इकाई का क्या नाम था? और इसमें कितने सैनिक होते थे? 
उत्तर:
मंगोलों की सबसे बड़ी सैन्य इकाई 'तुमन' थी। जिसमें अनुमानित दस हजार सैनिक होते थे। 

प्रश्न 30. 
'नोयान' किसे कहा जाता था? 
उत्तर:
मंगोलों की नयी सैनिक टुकड़ियों को नोयान कहा जाता था। 

प्रश्न 31. 
मंगोलों की नवीन सैनिक टुकड़ियाँ किसके अधीन थीं? 
उत्तर:
मंगोलों की नवीन सैनिक टुकड़ियाँ चंगेज़ खान के चार पुत्रों के अधीन थीं। 

प्रश्न 32. 
उलुस का गठन किस प्रकार हुआ ? 
उत्तर:
चंगेज़ खान ने अपने नव-विजित प्रदेशों का शासन अपने चार पुत्रों को सौंप दिया, इससे उलुस का गठन हुआ। 

प्रश्न 33. 
चंगेज़ खान के सबसे बड़े पुत्र जोची को शासन करने के लिए कौन-सा प्रदेश प्राप्त हुआ ? उत्तर-रूसी स्टेपी प्रदेश।

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प्रश्न 34. 
चघताई को शासन करने के लिए कौन-सा प्रदेश प्राप्त हुआ ? 
उत्तर:
तूरान का स्टेपी प्रदेश व पामीर के पमर का उत्तरी क्षेत्र। 

प्रश्न 35. 
चंगेज़ खान ने अपने किस पुत्र को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया? 
उत्तर:
तीसरे पुत्र ओगोदेई को। 

प्रश्न 36.
चंगेज़ खान ने 'महान खान' की उपाधि किसको प्रदान की? 
उत्तर:
ओगोदेई को। 

प्रश्न 37. 
ओगोदेई (महान खान) ने अपनी राजधानी कहाँ प्रतिष्ठित की? 
उत्तर:
कराकोरम में। 

प्रश्न 38.
चंगेज़ खान की हरकारा पद्धति क्या थी ? 
उत्तर:
साम्राज्य के दूर-दराज के स्थानों से परस्पर सम्पर्क की पद्धति।

प्रश्न 39. 
मंगोल शासकों के लिए हरकारा पद्धति किस प्रकार उपयोगी साबित हुई ?
उत्तर:
हरकारा पद्धति से मंगोल शासकों को अपने विस्तृत महाद्वीपीय साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती रहती थी।

प्रश्न 40. 
'कुबकुर कर' क्या था ?
उत्तर:
चंगेज़ खान की हरकारा पद्धति या संचार पद्धति की व्यवस्था करने के लिए मंगोल अपने पशुओं का दसवाँ भाग प्रदान करते थे। जिसे कुबकुर कर कहते थे।

प्रश्न 41. 
विजित लोगों को अपने यायावर शासकों से लगाव क्यों नहीं था ?
उत्तर:

  1. मंगोलों द्वारा नवविजित क्षेत्रों में अनेक नगरों को नष्ट करना। 
  2. कृषि भूमि को भारी हानि पहुँचाना। 

प्रश्न 42. 
यायावर शासकों के विरुद्ध ईरान में असंतोष क्यों था ?
उत्तर:
क्योंकि यायावर शासकों के निरन्तर आक्रमणों के कारण ईरान में अस्थिरता उत्पन्न हो गयी थी, जिससे वहाँ नहरों की नियमित रूप से मरम्मत नहीं करायी जा सकी।

प्रश्न 43. 
मंगोलों ने अपने साम्राज्य में यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए क्या व्यवस्था की थी ? 
उत्तर:
मंगोल अपने साम्राज्य में सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास जारी करते थे। . 

प्रश्न 44. 
मंगोल साम्राज्य में यात्री ‘पास सुविधा' के लिए कौन-सा कर देते थे ? उत्तर-बाज नामक कर।

प्रश्न 45.
बाज' नामक कर का क्या तात्पर्य था ?
उत्तर:
'बाज' नामक कर का तात्पर्य था कि वे मंगोल शासक की सत्ता स्वीकार करते हैं। यह कर व्यापारियों द्वारा दिया जाता था।

प्रश्न 46. 
कौन-सा मंगोल शासक कृषकों व नगरों के रक्षक के रूप में जाना जाता है ? 
उत्तर:
कुबलई खान।

प्रश्न 47. 
किस मंगोल शासक ने अपने परिवार के सदस्यों एवं अन्य सेनापतियों को कृषकों को लूटने से मना किया था ?
उत्तर:
गज़न खान ने। 

प्रश्न 48. 
प्रथम इल-खानी शासक कौनसा था, जिसने धर्मपरिवर्तन कर इस्लाम ग्रहण किया ? 
उत्तर:
गज़न खान। 

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प्रश्न 49. 
गज़न खान ने कृषकों के बारे में अपने मंगोल-तुर्की यायावर सेनापति को क्या आदेश दिया?
उत्तर:
गज़न खान ने अपने सेनापतियों को आदेश दिया था कि वे कृषक का अपमान न करें तथा उनसे अनाज व बीज न छीनें।

प्रश्न 50. 
मंगोलों द्वारा विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को अपने यहाँ भर्ती करने से क्या लाभ प्राप्त हुए? 
उत्तर:

  1. दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में सहायता प्राप्त हुई।
  2. खानाबदोशों की लूटमार की घटनाओं में कमी आयी। 

प्रश्न 51. 
युआन और इल-खानी वंशों की स्थापना किसने की? 
उत्तर:
तोलुई के वंशजों ने युआन और इल-खानी वंशों की स्थापना की। 

प्रश्न 52. 
वर्तमान में तूरान के स्टेपी क्षेत्र को किस नाम से जाना जाता है ? 
उत्तर:
तुर्किस्तान। 

प्रश्न 53. 
यसाक का सम्बन्ध किससे है? 
उत्तर:
यसाक का सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है, जैसे-आखेट, सैन्य और डाक प्रणाली का संगठन। 

प्रश्न 54. 
मंगोलिया किस देश के नियंत्रण से मुक्त होकर एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है? 
उत्तर:
रूस। 

प्रश्न 55.
चंगेज़ खान की किन्हीं दो उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:

  1. मंगोलों को संगठित करना
  2. श्रेष्ठ पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना।

प्रश्न 56. 
किस देश ने चंगेज़ खान को एक महान राष्ट्रनायक के रूप में स्वीकार किया है ? 
उत्तर:
मंगोलिया ने। 

प्रश्न 57. 
मंगोलिया में किस शासक का सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाता है ?
अथवा 
मंगोलों के लिए कौन एक आराध्य व्यक्ति के रूप में उभरकर सामने आया ? 
उत्तर:
चंगेज़ खान का। 

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1) 

प्रश्न 1. 
यायावर साम्राज्य से आप क्या समझते हैं ?
अथवा 
चंगेज़ खान द्वारा निर्मित साम्राज्य को यायावर साम्राज्य की संज्ञा क्यों दी गयी?
उत्तर:
यायावर मुख्य रूप से घुमक्कड़ लोग होते हैं जो बहुत से परिवारों के समूह में संगठित होते हैं तथा जिनका आर्थिक जीवन सापेक्षिक रूप से एक ही प्रकार का और राजनैतिक संगठन भी प्रारम्भिक व्यवस्था से मिलता-जुलता है। दूसरी ओर साम्राज्य शब्द भौतिक अवस्थितियों को प्रकट करता है, जिसने उनके जटिल सामाजिक व आर्थिक ढाँचे में स्थिरता प्रदान की है और एक सुपरिष्कृत प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा एक विस्तृत भूभागीय क्षेत्रों में सुचारु रूप से शासन किया। इसलिए चंगेज़ खान द्वारा निर्मित साम्राज्य को यायावर साम्राज्य की संज्ञा दी गई है।

प्रश्न 2. 
बर्बर शब्द से क्या आशय है ?
उत्तर:
बर्बर शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द बारबेरियन का हिन्दी रूपान्तर है। आंग्ल भाषा के इस शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के शब्द बारबरोस से हुई है जिसका आशय गैर यूनानी लोगों से है जिनकी भाषा यूनानियों को बेतरतीब कोलाहल 'बर-बर' के समान लगती थी। रोमवासियों ने बर्बर शब्द का प्रयोग जर्मन जनजातियों, जैसे-गॉल व हूण जैसे लोगों के लिए किया।

प्रश्न 3. 
बाटू कौन था? उसके सैनिक अभियानों की सफलताएँ बताइए।
उत्तर:
बाटू मंगोल शासक चंगेज़ खान के सबसे बड़े पुत्र जोची का पुत्र था। उसने 1236-1241 ई. के मध्य के सैनिक अभियानों में रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला तथा पोलैण्ड, हंगरी व आस्ट्रिया पर विजय प्राप्त करके वियना तक जा पहुंचा था।

प्रश्न 4. 
मंगोल काल में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र की विपरीत परिस्थितियों में मंगोलों द्वारा कृषि को नहीं अपनाया गया। पशुपालक तथा शिकार संग्राहक अर्थव्यवस्थाएँ भी सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थीं। ये तंबुओं व जरों में निवास करते थे, इसलिए मंगोल काल में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर नहीं उभर पाया।

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प्रश्न 5. 
मंगोल धनी परिवारों के अनेक अनुयायी होते थे। क्यों ?
उत्तर:
मंगोल समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था। यहाँ के धनी परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु एवं विशाल चारण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में भी ये परिवार प्रभावशाली माने जाते थे। इसी कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे।

प्रश्न 6. 
मंगोल कबीलों को चारागाहों की तलाश में क्यों भटकना पड़ता था ?
उत्तर:
मंगोल रूस के स्टेपी क्षेत्र में निवास करते थे। यहाँ समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएँ आती रहती थीं। अति शीत ऋतु में मंगोल कबीलों द्वारा एकत्रित भोजन सामग्री व अन्य सामग्री समाप्त हो जाती थी। वर्षा न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने की स्थिति में उनको चारागाहों की तलाश में भटकना पड़ता था।

प्रश्न 7. 
चंगेज़ खान की राजनीतिक व्यवस्था को बहुत अधिक स्थायी क्यों कहा जा सकता है ?
उत्तर:
चंगेज़ खान मंगोल साम्राज्य का संस्थापक था। उसके द्वारा स्थापित राजनीतिक व्यवस्था उसकी मृत्यु के पश्चात् भी जीवित रही। यह व्यवस्था इतनी अधिक स्थायी थी कि चीन, ईरान, पूर्वी यूरोप के देशों की उन्नत शस्त्रों से सुसज्जित विशाल सेनाओं का मुकाबला करने में सक्षम थी।

प्रश्न 8. 
व्यापारिक क्रियाकलापों में मंगोलों को कभी-कभी तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र में रहने वाले मंगोल लोग अपने निवास क्षेत्र में कृषि हेतु विपरीत परिस्थितियों के कारण अपने जीवनयापन हेतु व्यापार पर निर्भर थे, ये लोग चीन से व्यापार करते थे। कभी-कभी व्यापार करने वाले दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने की होड़ में सैनिक कार्यवाही पर उतर आते थे। इसी कारण तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी। 

प्रश्न 9. 
चीनी शासकों ने किलेबंदी करना क्यों प्रारम्भ किया?
अथवा
चीनी शासकों ने 'चीन की महान दीवार' का निर्माण क्यों किया?
उत्तर:
मंगोल और मध्य एशिया के यायावार चीन में आकर लूट-पाट करते थे। अपने सम्पूर्ण इतिहास में चीन.को इन यायावरों से विभिन्न शासन-कालों में बहुत अधिक क्षति पहुँची। परेशान होकर आठवीं शताब्दी ई. पू. से अपनी प्रजा की रक्षा के लिए चीनी शासकों ने किलेबंदी करना प्रारम्भ कर दिया था। तीसरी शताब्दी ई. पू. से इन किलेबंदियों का एकीकरण सामान्य ढाँचे के रूप में किया गया, जिसे आज 'चीन की रक्षात्मक महान दीवार' के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 10. 
चंगेज़ खान के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
चंगेज़ खान का जन्म लगभग 1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। इसके पिता का नाम येसूजई व माता का नाम ओलुन-इके था। इसके पिता कियात कबीले के मुखिया थे। 1206 ई. में शक्तिशाली जमूका व नेमन लोगों को पराजित करने के पश्चात् यह स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। मंगोल कबीले के सरदारों ने इसे चंगेज़ खान, समुद्री खान अथवा सार्वभौमिक शासक की उपाधि प्रदान की। उसे मंगोलों का महानायक भी घोषित किया गया।

प्रश्न 11. 
चंगेज़ खान के चीन अभियान के पूर्व चीन कौन-कौन से तीन राज्यों में विभाजित था ? नाम लिखिए।
उत्तर:
चंगेज़ खान के चीन अभियान से पूर्व चीन निम्नलिखित तीन राज्यों में विभाजित था

  1. उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों में तिब्बती मूल के सी-सिआ लोगों का राज्य। 
  2. जरचेन लोगों का चिन राजवंश, जिसका पेकिंग से उत्तरी चीन के क्षेत्र पर शासन था। 
  3. शुंग राजवंश, जिसका दक्षिणी चीनं पर शासन था।

प्रश्न 12.
सुल्तान मोहम्मद कौन था? उसके चंगेज़ खान क्यों नाराज था?
उत्तर:
सुल्तान मोहम्मद ख्वारज़म का शासक था। उसने मंगोल दूतों की हत्या कर दी थी। इसलिए चंगेज़ खान उससे नाराज था तथा हत्या करने के लिए उसका पीछा करता रहा था। .

प्रश्न 13. 
चंगेज़ खान ने निशापुर नगर को ध्वस्त करने का आदेश क्यों दिया? उस आदेश में क्या कहा गया था?
उत्तर:
निशापुर नगर के घेरे के दौरान एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई थी। इसके कारण चंगेज़ खान ने निशापुर को ध्वस्त करने का आदेश दिया। उस आदेश में यह कहा गया था कि नगर का इस प्रकार विध्वंस किया जाए कि सम्पूर्ण नगर में हल चलाया जा सके। ऐसा संहार किया जाए कि कुत्तों और बिल्लियों को भी जीवित न रहने दिया जाए।

प्रश्न 14. 
मंगोल शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को कितने चरणों में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर:
मंगोल शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है

  1. प्रथम चरण (1236-1242 ई.)-इस दौरान मंगोलों ने रूस के स्टेपी क्षेत्र, बुलघार, कीव, पोलैंड व हंगरी में भारी सफलता प्राप्त की।
  2. द्वितीय चरण (1255-1300 ई.)-इस दौरान मंगोलों ने सम्पूर्ण चीन, इराक, ईरान व सीरिया पर विजय प्राप्त की थी। 

प्रश्न 15. 
मंगोल सेना ने एक विशाल व संगठित सेना का रूप कैसे धारण किया ?
उत्तर:
मंगोल जनजातियों के एकीकरण एवं विजित लोगों के विरुद्ध अभियानों से मंगोल सेना में अनेक नए सैनिक सम्मिलित हो गए। ये सैनिक विभिन्न समुदायों से सम्बन्ध रखते थे। इस प्रकार मंगोल सेना ने एक विशाल एवं संगठित सेना का रूप धारण कर लिया।

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 16. 
मंगोल कबीलों की दशमलव पद्धति क्या थी ?
उत्तर:
चंगेज़ खान को सेना स्टेपी क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। इसमें दस, सौ, हजार तथा दस हजार सैनिकों की इकाइयाँ होती थीं। इस पद्धति में कुल, कबीले और सैनिक दशमलव इकाइयों में एक साथ विभाजित होते थे। चंगेज़ खान ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 17.
नोयान का क्या अर्थ था ? 
उत्तर:
मंगोल शासक चंगेज़ खान ने पुरानी दशमलव पद्धति को समाप्त करके सैनिक टुकड़ियों को नई सैनिक इकाइयों में विभाजित कर दिया। ये नई सैनिक टुकड़ियाँ उसके चारों पुत्रों के अधीन कार्य करती थीं। विशेष रूप से चयनित कप्तानों के अधीन कार्य करती थीं। यह व्यवस्था नोयान कहलाती थी।

प्रश्न 18. 
किरिलताई क्या थी ?
उत्तर:
किरिलताई मंगोल कबीलों के सरदारों की एक परिषद् थी जिसके माध्यम से परिवार के सदस्यों में राज्य की भागीदारी, राज्य के भविष्य का निर्णय, अभियानों में लूट के माल का बँटवारा तथा चारागाह भूमि व उत्तराधिकार आदि के निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते थे। इसी परिषद् ने चंगेज़ खान को समुद्री खान या सार्वभौमिक शासक की उपाधि के साथ उसे मंगोलों का महानायक घोषित किया था।

प्रश्न 19. 
मंगोलों के रेशम मार्ग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
पैक्स मंगोलिका के पश्चात् उत्पन्न शांति से मंगोलों के यूरोप व चीन के साथ व्यापारिक सम्बन्ध परिपक्व हो गए। उनकी देखरेख में रेशम मार्ग पर व्यापार और पर्यटन अपने शिखर पर पहुँच गया, परन्तु यह मार्ग अब पहले की तरह चीन में ही समाप्त नहीं होता था, बल्कि यह अब उत्तर की ओर मंगोलिया व नवीन साम्राज्य के केन्द्र कराकोरम की ओर विस्तारित हो गया था।

प्रश्न 20. 
गज़न खान ने कृषकों को लेकर क्या घोषणा की थी?
उत्तर:
गज़न खान मंगोल शासक चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई का वंशज था। उसने अपने परिवार के सदस्यों तथा अन्य सेनापतियों को आगाह किया था कि वे कृषकों को न लूटें। एक बार अपने भाषण के दौरान उसने कहा । कि कृषकों को लूटने से राज्य में स्थायित्व व समृद्धि नहीं आती।

प्रश्न 21. 
यास या यसाक से आप क्या समझते हो?
उत्तर:
यास या यसाक एक प्रकार से चंगेज़ खान की विधि संहिता थी, जिसका शाब्दिक अर्थ होता था-'विधि' या आज्ञप्ति या आदेश। वास्तव में यसाक का सम्बन्ध प्रशासनिक विधियों से है, जैसे-आखेट का व्यवस्थापन करना, सेना को संगठित करना, डाक व्यवस्था का निर्माण करना आदि।

प्रश्न 22. 
13 वीं शताब्दी के चीन-ईरान व पूर्वी यूरोप के नगरवासी स्टेपी के मंगोल गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से क्यों देखते थे ?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र के मंगोल यायावर गिरोहों ने चंगेज़ खान के अधीन नगरों को बुरी तरह लूटा और उन्हें ध्वस्त कर दिया। उन्होंने अनेक नगरवासियों की निर्ममतापूर्ण तरीके से हत्याएँ की थीं। इसी कारण चीन, ईरान व पूर्वी यूरोप के नगरवासी स्टेपी के मंगोल गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे। 

प्रश्न 23. 
मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक क्यों था ?
अथवा 
चंगेज़ खान को महान मंगोल सम्राट क्यों माना जाता है? 
उत्तर:
मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था क्योंकि

  1. उसने मंगोलों को संगठित किया। 
  2. लम्बे समय से चले आ रहे कबीलाई युद्धों व चीनियों से होने वाले शोषण से मुक्ति दिलाई। 
  3. मंगोलों को समृद्ध बनाया। 
  4. श्रेष्ठ पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना की। 
  5. व्यापार के मार्गों व बाजारों को पुनर्स्थापित किया।

प्रश्न 24. 
तैमूर कौन था? उसे अपने आप को राजा घोषित करने में संकोच क्यों था?
उत्तर:
तैमूर विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखने वाला एक महत्वाकांक्षी राजा था। उसे अपने को राजा घोषित करने में इसलिए संकोच था क्योंकि वह चंगेज़ खान का वंशज नहीं था। लेकिन जब उसने अपनी स्वतंत्र संप्रभुता की घोषणा की तो उसने आप को चंगेज़खानी परिवार के दामाद के रूप में प्रस्तुत किया। 

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)

प्रश्न 1. 
हमें मंगोल यायावर समाजों के इतिहास की जानकारी किस प्रकार होती है? बताइए।
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र के यायावर लोगों ने सामान्यतया अपना कोई इतिहास नहीं रचा इसलिए इन यायावरी समाजों का ज्ञान मुख्यतः इतिवृत्तों, यात्रा वृत्तान्तों और नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों से प्राप्त होता है। इन लेखकों की यायावरों के जीवन-सम्बन्धी सूचनाएँ अज्ञात और पूर्वाग्रहों से ग्रस्त हैं। मंगोलों की साम्राज्यिक सफलताओं ने अनेक विद्वानों को अपनी ओर आकर्षित किया। जिनमें से कुछ ने अपने यात्रा वृत्तान्त लिखे, यद्यपि इनकी पृष्ठभूमि भिन्न रही थी। वे बौद्ध, कन्फ्यूशियसवादी, ईसाई, तुर्क और मुसलमान थे और उन्हें मंगोलों की रीति-रिवाजों का ज्ञान नहीं था।
सम्भवतः 
मंगोलों पर सबसे बहुमूल्य शोधकार्य 18वीं और 19वीं शताब्दी में रूसी विद्वानों ने किया, जो हमें सर्वेक्षण टिप्पणियों के रूप में प्राप्त होता है। इनको यात्रियों, सैनिकों, व्यापारियों और पुराविदों ने तैयार किया था। मंगोल साम्राज्य के शोध के स्रोत विद्वानों के द्वारा अनेक भाषाओं में रचे गये हैं। इनमें सबसे निर्णायक स्रोत चीनी, मंगोली, फारसी एवं अरबी भाषा में उपलब्ध हैं। साथ ही हमें महत्वपूर्ण सामग्रियाँ इतालवी, लातिनी, फ्रांसीसी और रूसी भाषा में भी मिलती हैं।

प्रश्न 2. 
मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्रों के मंगोलों पर किए गए शोधों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मंगोलों पर अनेक इतिहासकारों ने शोधकार्य किया है। संभवतः सबसे महत्वपूर्ण शोधकार्य 18वीं-19वीं शताब्दी के रूसी इतिहासकारों ने किया था। उन्होंने चंगेज़ खान और उनके उभरते हुए मंगोल साम्राज्य को विकास की एक ऐसी संक्रामक व्यवस्था के रूप में स्थापित किया था जो जनजातीय उत्पादन प्रणाली से सामंती उत्पादन प्रणाली की ओर परिवर्तित हो रही थी। ये परिवर्तन सापेक्षिक रूप से एक वर्गहीन सामाजिक व्यवस्था से उस सामाजिक व्यवस्था की ओर हुआ जिसमें कृषक भूस्वामी और लॉर्ड के मध्य एक विशाल अन्तर था।

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इतिहास की ऐसी निर्धारित व्यवस्था का अनुसरण करने पर भी मंगोल भाषाओं, उनके समाज और संस्कृति पर अति उत्तम शोध बोरिस याकोवालेविच ब्लाडिमीरस्टॉव जैसे विद्वानों ने किया। दूसरा प्रमुख विद्वान वैसिली ब्लैदिमिरोविच बारटोल्ड ने उस समय की सोवियत विचारधारा का समर्थन नहीं किया। एक ऐसे समय जब स्टालिन के शासनकाल में आंचलिक राष्ट्रवाद के कारण लोगों में घबराहट व्याप्त थी, तब बारटोल्ड ने चंगेज़ खान और उसके वंशजों के अधीन मंगोलों के जीवन और उनकी उपलब्धियों का सकारात्मक एवं सहानुभूतिपूर्ण विवरण प्रस्तुत किया।

प्रश्न 3. 
मंगोल शासक चंगेज़ खान के स्वप्न को उसके वंशजों ने किस प्रकार साकार किया ? बताइए।
उत्तर:
चंगेज़ खान मंगोल यायावर साम्राज्य का संस्थापक था। चंगेज़ खान का विश्वास था कि उसे ईश्वर से विश्व पर शासन करने का आदेश मिला है। यद्यपि उसका अपना जीवन मंगोल जातियों पर अधिकार करने तथा साम्राज्य से लगे हुए क्षेत्र जैसे-उत्तरी चीन, अफगानिस्तान, पूर्वी ईरान, रूसी स्टेपी प्रदेशों के विरुद्ध सैनिक अभियानों का संचालन करने में ही व्यतीत हुआ, फिर भी उसके वंशजों ने इस क्षेत्र से आगे बढ़कर चंगेज़ खान के स्वप्न को पूरा किया एवं विश्व के सबसे विशाल साम्राज्य का निर्माण किया।

चंगेज़ खान के आदर्शों के अनुसार उसके पुत्र मोंके ने फ्रांस के शासक लुई IX को यह चेतावनी दी थी कि वह मंगोलों पर आक्रमण करने का साहस न करे। इसी प्रकार उसके दूसरे पौत्र बाटू ने 1236 से 1241 ई. की अवधि में अपने सैनिक अभियानों के दौरान रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला और पोलैण्ड, हंगरी पर विजय प्राप्त करता हुआ वियना तक पहुँच गया। चीन का अधिकांश भाग, मध्य-पूर्व एशिया तथा यूरोप के देश यह मानने लगे कि चंगेज़ खान की विश्व पर विजय ईश्वर का क्रोध है और यह कयामत के दिन की शुरुआत है।

प्रश्न 4. 
चंगेज़ खान की बुखारा विजय का फारसी इतिहासकार जुवैनी द्वारा लिखित विवरण को प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
जुवैनी एक प्रसिद्ध फारसी इतिहासकार था। उसने परवर्ती 13वीं शताब्दी के ईरान के मंगोल शासकों का इतिहास निर्मित किया था। उसने मंगोल शासक चंगेज़ खान की 1220 ई. की बुखारा विजय का वृत्तान्त वर्णित किया है। जुवैनी के अनुसार, बुखारा नगर की विजय के बाद चंगेज़ खान उत्सव मैदान में गया जहाँ नगर के धनी व्यापारी और मुसलमान लोग एकत्रित थे। चंगेज़ खान ने अपने सम्बोधन भाषण में उनकी आलोचना की तथा उन्हें पापी कहा।

उनको संबोधित करते हुए चंगेज़ खान ने कहा कि, "अरे लोगो! तुमको यह ज्ञात होना चाहिए कि तुम लोगों ने अनेक पाप किए हैं और तुम में से जो लोग अधिक धनी एवं सम्पन्न हैं, उन्होंने सबसे अधिक पाप किए हैं। इसका प्रमाण देने के रूप में मैं यही कहूँगा कि मैं ईश्वर का दण्ड हूँ। यदि तुमने पाप न किए होते तो ईश्वर ने तुम्हें दण्ड देने के लिए मुझे तुम्हारे पास नहीं भेजा होता।" जुवैनी लिखता है कि कोई व्यक्ति बुखारा से खुरासान चला गया था। जब उससे बुखारा नगर के सम्बन्ध में पूछा गया तो उसने कहा कि, 'वे (मंगोल) आये, दीवारों को ध्वस्त कर दिया। लोगों का वध करके लूटपाट की और नगर को जलाकर चले गये।

प्रश्न 5. 
मंगोल कौन थे ? इनके जन-जीवन के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मंगोल विविध जन-समुदायों का एक निकाय था। ये लोग पूर्व में तातार, खितान और मंचू लोगों से तथा पश्चिम में तुर्की कबीलों से भाषागत समानता होने के कारण परस्पर सम्बद्ध थे। मंगोल लोगों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन एवं शिकार करना था। पशुपालक मंगोल लोग भेड़-बकरियाँ व ऊँट आदि पालते थे, जबकि शिकारी संग्राहक मंगोल लोग पशुपालक लोगों की अपेक्षा अधिक गरीब थे। इनका (शिकारी संग्राहक) जीवन निर्वाह ग्रीष्मकाल में पकड़े गये जानवरों की खालों के व्यापार से होता था। ये लोग पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरिया के वनों में रहते थे। मंगोल तंबुओं और जर में निवास करते थे। सर्दियों में वे अपने पशुधन के साथ शीतकालीन निवास स्थल से ग्रीष्मकालीन चारण भूमि की ओर चले जाते थे।

प्रश्न 6. 
मंगोल किस क्षेत्र के निवासी थे ? उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र के निवासी थे। यह प्रदेश आज के आधुनिक मंगोलिया राज्य का भू-भाग था। उस समय इस क्षेत्र का परिदृश्य आज जैसा ही मनोरम था। यह प्रदेश लहरदार मैदानों से घिरा था। इसके पश्चिमी भाग में अल्ताई पर्वतों की बर्फीली चोटियाँ स्थित थीं तथा दक्षिणी भाग में गोबी के शुष्क मरुस्थल का विस्तार था। यहाँ ओनोन व सेलेंगा नदियाँ बहती थीं तथा बर्फीले पहाड़ों से अनेक झरने निकलते थे। पशुपालन के लिए यहाँ. पर्याप्त मात्रा में हरी-भरी घास के मैदान थे और प्रचुर मात्रा में छोटे-मोटे शिकार अनुकूल ऋतुओं में उपलब्ध हो जाते थे। इसे पूरे क्षेत्र के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में बहुत अंतर पाया जाता था। शीत ऋतु के कठोर और लम्बे मौसम के बाद छोटी एवं शुष्क गर्मियों की अवधि आती थी। चारण क्षेत्र में वर्ष की कुछ सीमित अवधियों में ही कृषि करना सम्भव था।

प्रश्न 7. 
मंगोल यायावर समाज की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
मंगोल यायावर समाज की प्रमुख विशेषताएँ-मंगोल यायावर समाज की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. नृजातीय तथा भाषायी सम्बन्धों ने मंगोल लोगों को आपस में जोड़ रखा था। 
  2. उपलब्ध आर्थिक संसाधनों में कमी होने के कारण मंगोलों का समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में बँटा हुआ था।
  3. धनी परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चारण भूमि होती थी, जिसके कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे। स्थानीय राजनीति में उनका प्रभाव होता था।
  4. भीषण ठंड अथवा वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे, जिससे उन्हें चारागाहों की खोज में भटकना पड़ता था। 
  5. ये अपनी खाद्य सामग्री एवं घास के मैदानों के सूख जाने पर लूटपाट भी करते थे।
  6. प्रायः मंगोल परिवारों के समूह आक्रमण करने एवं अपनी रक्षा करने हेतु अधिक शक्तिशाली और सम्पन्न कुलों से मित्रता करके परिसंघ बना लेते थे।

प्रश्न 8. 
मंगोलों ने परिसंघों का निर्माण क्यों किया ? अट्टीला व चंगेज़ खान द्वारा बनाये गये परिसंघों में क्या समानताएँ एवं असमानताएँ थीं? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
प्रायः मंगोल परिवारों के समूह आक्रमण करने एवं अपनी रक्षा करने के लिए अधिक शक्तिशाली एवं सम्पन्न कुलों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ बना लेते थे। ये मंगोल परिसंघ प्रायः बहुत छोटे एवं अल्पकालिक होते थे। मंगोल शासक चंगेज़ खान ने मंगोल व तुर्की कबीलों को मिलाकर एक परिसंघ का निर्माण किया। आकार में यह परिसंघ पाँचवीं शताब्दी के अट्टीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर ही था। परन्तु अट्टीला के बनाए परिसंघ के विपरीत चंगेज़ खान की परिसंघ व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी रही तथा यह चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् भी बनी रही। यह परिसंघ व्यवस्था इतनी सुदृढ़ और स्थायी थी कि यह चीन, ईरान और पूर्वी यूरोपीय देशों की उन्नत शस्त्रों से सुसज्जित विशाल सेनाओं का मुकाबला करने में सक्षम थी। मंगोलों ने इन क्षेत्रों में नियंत्रण स्थापित किया तथा जटिल कृषि-अर्थव्यवस्थाओं एवं नगरीय आवासों वाले स्थानबद्ध समाजों का कुशलतापूर्वक प्रशासन किया। मंगोलों के अपने सामाजिक अनुभव तथा रहन-सहन के तरीके इनसे बिल्कुल ही अलग थे।

प्रश्न 9. 
आप यह किस प्रकार कह सकते हैं कि चंगेज़ खान का जीवन बचपन से युवावस्था तक परेशानियों और विपत्तियों से भरा हुआ था? उसने किस प्रकार अपने आप को इन विपत्तियों से उबारा?
उत्तर:
चंगेज़ खान के पिता येसूजेई की अल्पायु में ही हत्या कर दी गयी थी। जिससे उसकी माता ओलुन-इके ने तेमुजिन (चंगेज़ खान) एवं उसके सगे व सौतेले भाइयों का पालन-पोषण बड़ी कठिनाइयों से किया। जब वह कुछ और बड़ा हुआ तो उसका अपहरण करके उसे दास बना लिया गया। विवाह के उपरांत उसकी पत्नी का भी अपहरण कर लिया गया। पत्नी को छुड़ाने के लिए उसे लड़ाई लड़नी पड़ी। चंगेज़ खान का स्वयं का भाई (जमूका) भी बाद में उसका शत्रु बन गया। विपत्ति के इन वर्षों में भी वह अनेक मित्र बनाने में सफल रहा। नवयुवक बोघूरचू उसका प्रथम मित्र था।

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तेमुजिन ने कैराइट लोगों के शासक व अपने पिता के वृद्ध सगे भाई तुगरिल उर्फ ओंग खान के साथ पुराने रिश्तों की पुनर्स्थापना की और उससे मित्रता कर ली। तेमुजिन ने इस मित्रता का इस्तेमाल जमूका जैसे शक्तिशाली प्रतिद्वंदियों को परास्त करने के लिए किया। इससे चंगेज़ खान में काफी आत्मविश्वास आ गया और वह कबीलों के विरुद्ध युद्ध के लिए निकल गया। 1206 ई. में शक्तिशाली जमूका व नेमन लोगों को हराकर चंगेज़ खान स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। अन्ततः वह मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।

प्रश्न 10. 
मंगोल लोगों के चीनी लोगों के साथ व्यापारिक सम्बन्ध कैसे थे ? विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मंगोल लोग मध्य एशिया के स्टेपीज क्षेत्र (चारण भूमि) में निवास करते थे। इस क्षेत्र में संसाधनों की कमी थी। इस कारण मंगोल लोगों को व्यापार तथा वस्तु विनिमय के लिए चीन के लोगों के पास जाना पड़ता था। ये लोग चीनियों से खाद्य पदार्थ एवं लोहे के उपकरण ले लेते थे एवं उसके बदले घोड़े, फर व शिकार दे देते थे। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए अत्यन्त लाभदायक थी। व्यापारिक गतिविधियों के कारण दोनों पक्षों में तनावपूर्ण वातावरण बना रहता था, क्योंकि दोनों पक्ष अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से एक-दूसरे के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही तक कर बैठते थे। व्यापार करते समय मंगोल लोग चीनी लोगों को व्यापार में उत्तम शर्ते रखने के लिए विवश कर देते थे। कभी-कभी मंगोल लोग व्यापारिक सम्बन्धों की परवाह न करते हुए केवल लूटपाट कर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे।

प्रश्न 11. 
चंगेज़ खान के शासन के अधीन मंगोलों की सैनिक सफलताओं में किन-किन कारकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा?
उत्तर:
चंगेज़ खान के शासन के अधीन मंगोलों की सैनिक सफलताओं में निम्नलिखित कारकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा

  1. मंगोलों और तुर्कों के घुड़सवारी कौशल ने सैनिक शक्ति को गति प्रदान की।
  2. घोड़े पर सवार होकर मंगोल सैनिकों का तीरंदाजी का कौशल विशिष्ट था। यह कौशल उन्होंने जंगलों में पशुओं का शिकार करते समय प्राप्त किया था। इस तीरंदाजी ने उनकी सैनिक गतिविधियों को और अधिक तीव्र कर दिया।
  3. स्टेपी क्षेत्र के घुड़सवार सदैव फुर्तीले रहते थे तथा बड़ी तीव्र गति से यात्रा करते थे।
  4. सैनिकों को अपने आसपास के भूभागों एवं मौसम की जानकारी प्राप्त हो गई थी। इस बात ने सेना को अतिरिक्त क्षमता प्रदान की। अतः उन्होंने प्रचण्ड शीत ऋतु में युद्ध अभियान प्रारम्भ किए एवं शत्रु के नगरों एवं शिविरों में प्रवेश करने के लिए बर्फ से जमी हुई नदियों का राजमार्गों की तरह प्रयोग किया।
  5. मंगोल लोग यूँ तो किलेबन्द शिविरों तक पहुँचने में सक्षम नहीं थे। लेकिन चंगेज़ खान ने घेराबंदी की नीति अपनाकर इस कार्य को सरल बना दिया।
  6. चंगेज़ खान के इंजीनियरों ने उसके शत्रुओं के विरुद्ध अभियानों में प्रयोग के लिए हल्के चल-उपस्करों (उपकरणों) का निर्माण किया। ये चल उपस्कर शत्रुओं के लिए घातक सिद्ध हुए।

प्रश्न 12. 
"चंगेज़ खान की सेना एक विषमजातीय संगठन थी।" कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चंगेज़ खान एक मंगोल शासक था। उसके शासनकाल में मंगोलों एवं अन्य यायावर समाजों के सभी स्वस्थ, वयस्कों के लिए शस्त्र धारण करना अनिवार्य था। आवश्यकता पड़ने पर इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना तैयार की जाती थी। विभिन्न मंगोल जनजातियों के एकीकरण और विभिन्न लोगों के विरुद्ध अभियानों से चंगेज़ खान की सेना में कई नए सदस्य शामिल हो गए थे। सैनिक विविध जातियों से सम्बन्ध रखते थे। इससे छोटी-सी मंगोल सेना एक विशाल संगठन में परिवर्तित हो गई। इसमें मंगोल सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार करने वाले तुर्की मूल के उइगुर समुदाय के लोग भी शामिल थे। इसके अतिरिक्त इसमें केराइट भी सम्मिलित थे जिन्हें अपनी पुरानी शत्रुता के बावजूद महासंघ में शामिल कर लिया गया था।

प्रश्न 13. 
उलुस का गठन किस प्रकार हुआ ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
चंगेज़ खान ने अपने नवविजित भागों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इससे उलुस का गठन हुआ। उलुस का शाब्दिक अर्थ-निश्चित भू-भाग न होकर, वह भू-भाग होता है जिसकी सीमाएँ अत्यन्त परिवर्तनशील होती थीं। चंगेज़ खान द्वारा अपने पुत्रों को दिए गए राज्य (उलुस)-

  1. चंगेज़ खान ने अपने सबसे बड़े पुत्र जोची को रूसी स्टेपी- प्रदेश सौंपा। परन्तु उसकी दूरस्थ सीमा (उलुस) निर्धारित नहीं थी। इसका विस्तार सुदूर पश्चिम तक विस्तृत था। जहाँ तक उसके घोड़े स्वेच्छापूर्वक भ्रमण कर सकते थे।
  2. उसके दूसरे पुत्र चघताई को तूरान का स्टेपी क्षेत्र और पामीर के पठार का उत्तरी क्षेत्र मिला, जो उसके भाई के प्रदेश से लगा हुआ था। सम्भवतः वह जैसे-जैसे पश्चिम की ओर बढ़ता गया होगा, वैसे-वैसे उसका अधिकार क्षेत्र भी परिवर्तित होता गया होगा।
  3. चंगेज़ खान ने संकेत किया था कि उसका तीसरा पुत्र ओगोदेई उसका उत्तराधिकारी होगा और उसे.' महान खान' की उपाधि दी जाएगी। उसने (ओगोदेई) अपने राज्याभिषेक के बाद अपनी राजधानी 'कराकोरम' में स्थापित की।
  4. उसके सबसे छोटे पुत्र तोलोए (तोलूई) ने अपनी पैतृक भूमि मंगोलिया को प्राप्त किया। चंगेज खान चाहता था कि उसके पुत्र परस्पर मिल-जुलकर साम्राज्य का शासन करें। इसलिए उसने राजकुमारों के लिए अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ जिन्हें 'तामा' कहा जाता था, निर्धारित कर दी जो प्रत्येक उल्लुस में तैनात रहती थीं। 

प्रश्न 14.
मंगोल शासक चंगेज़ खान की हरकारा पद्धति को संक्षेप में बताइए।
अथवा 
याम क्या है? बताइए।
उत्तर:
हरकारा पद्धति (याम)-यह चंगेज़ खान का सूचना पहुँचाने का एक तरीका था। इसने पहले से ही एक फुर्तीली संचार पद्धति, जिसे हरकारा पद्धति कहा जाता था, अपना रखी थी, जिससे राज्य के दूरदराज के स्थानों में परस्पर सम्पर्क रखा जाता था। इस संचार पद्धति में अपेक्षित दरी पर निर्मित सैनिक चौकियों में स्वस्थ एवं बलवान घोड़े तथा घुड़सवार संदेशवाहक तैनात रहते थे। इसकी व्यवस्था करने के लिए मंगोल यायावर अपने पशु समूहों से अच्छे घोड़े अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ हिस्सा मंगोल साम्राज्य को प्रदान करते थे जिसे 'कुबकुर' कर कहा जाता था। इस कर या उगाही को यायावर लोग स्वेच्छा से प्रदान करते थे ताकि उन्हें अनेक लाभ प्राप्त हो सकें। इस 'हरकारा पद्धति' में चंगेज़ खान की मृत्यु के बाद और भी सुधार लाया गया। इस पद्धति की गति तथा विश्वसनीयता यात्रियों को आश्चर्य में डाल देती थी। इससे चंगेज़ खान एवं उसके बाद के सम्राटों को अपने विस्तृत महाद्वीपीय साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं की निगरानी करने में सहायता मिलती थी।

प्रश्न 15. 
विजित लोगों को अपने नवीन यायावर मंगोल शासकों से लगाव क्यों नहीं था ? इसके क्या परिणाम हुए? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
विजित लोगों का अपने नवीन यायावर शासकों से लगाव न होने के कारण निम्नलिखित थे

  1. मंगोलों ने विजित क्षेत्रों में लूटमार तथा विध्वंस की नीति अपनाई थी। 
  2. तेरहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुए युद्धों में अनेक नगरों को लूटा गया जिससे वे नष्ट हो गए थे। 
  3. कृषि भूमि को काफी हानि हुई, फसलें नष्ट हो गईं। 
  4. व्यापार चौपट हो गया तथा शिल्प उद्योगों को प्रबल आघात पहुँचा।। 
  5. इन युद्धों में हजारों लोग मारे गये एवं बड़ी संख्या में लोगों को गुलाम बना लिया गया। 

परिणाम-

  1. मंगोलों द्वारा किए गए निरन्तर धावों एवं लूटमार की नीति से राज्य में अस्थिरता उत्पन्न हो गई। 
  2. भूमिगत नहरों की मरम्मत न होने से मरुस्थल फैलने लगा, जिससे बहुत अधिक पारिस्थितिक विनाश हुआ।

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प्रश्न 16. 
मंगोल शासकों के सैन्य अभियानों में कमी आने पर राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मंगोल शासकों के सैन्य अभियानों में कमी आने के पश्चात् यूरोप और चीन के भू-भाग आपसी सम्पर्क में आए। मंगोल विजय के कारण आई शान्ति से दोनों भू-भागों के बीच व्यापारिक सम्बन्ध मजबूत हुए। मंगोलों की देख-रेख में रेशम मार्ग पर व्यापार अपने शिखर पर पहुँच गया। अब व्यापारिक मार्ग चीन में ही समाप्त नहीं हो जाते थे। अब ये रेशम मार्ग उत्तर की ओर मंगोलिया व नवीन साम्राज्य के केन्द्र कराकोरम तक पहुँच गये। मंगोल शासन में सामंजस्य स्थापित करने के लिए संचार और यात्रियों के लिए सुलभ यात्रा आवश्यक थी। सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को 'पास' जिसे फारसी में 'पैज़ा' और मंगोल भाषा में 'जेरेज़' कहा जाता था, जारी किए जाते थे। इस सुविधा के लिए व्यापारी 'बाज' नामक कर अदा करते थे जिसका आशय था कि वे मंगोल शासक की सत्ता स्वीकार करते थे। गए।" कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।

प्रश्न 17. 
"तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य में यायावरों एवं स्थानबद्ध समुदायों के मध्य विरोध कम होते गए।" कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मंगोलों के सैन्य अभियानों में विराम आने से तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य में यायावरों एवं स्थानबद्ध समुदायों के मध्य विरोध में कमी आने लगी। इससे कृषि कार्य को बहुत अधिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। अब मंगोल शासक पहले की तुलना में अधिक उदार हो चुके थे। वे कृषकों व नगरों के रक्षकों के रूप में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे थे। उदाहरण के रूप में; 1230 ई. के दशक में जब मंगोलों ने उत्तरी चीन के चिन वंश के खिलाफ युद्ध में विजय प्राप्त की तो कट्टर मंगोल सेनाओं का यह विचार था कि समस्त कृषकों को मौत के घाट उतार दिया जाए तथा उनकी कृषि भूमि को चारागाह के रूप में परिवर्तित कर दिया जाये लेकिन 1270 ई. के दशक में शुंग वंश की पराजय के पश्चात् जब दक्षिणी चीन को मंगोल साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया गया, तब चंगेज़ खान का पौत्र कुबलई खान कृषकों और नगरों के रक्षक के रूप में उभरा। इसी प्रकार 1290 ई. के दशक में चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई के वंशज गज़न खान ने अपने परिवार के सदस्यों व सेनापतियों को कृषकों को न लूटने का आदेश दिया। एक बार अपने भाषण के दौरान गज़न खान ने कहा था कि कृषकों को परेशान करने से राज्य में स्थायित्व व समृद्धि नहीं आ पाती है।

प्रश्न 18. 
इल-खानी शासक गज़न खान ने अपने मंगोल-तुर्की यायावर सेनापतियों को क्या भाषण दिया?
उत्तर:
गज़न खान (1295-1304 ई.) प्रथम इल-खानी शासक था। इसने अपना धर्म परिवर्तन कर इस्लाम को ग्रहण किया था। यह चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई का वंशज था। इसने अपने ईरानी मंत्री रशीदुद्दीन द्वारा लिखित भाषण अपने मंगोल-तुर्की यायावर सेनापतियों के समक्ष दिया था। इस भाषण में उसने कहा था कि, "मैं फारस के कृषक वर्ग के पक्ष में नहीं हूँ। यदि उन सभी को लूटने का कोई उद्देश्य है, तो ऐसा करने के लिए मुझसे अधिक शक्तिशाली और . कोई नहीं है। चलो हम सभी लोग मिलकर लूटते हैं। परन्तु यदि आप निश्चित रूप से भविष्य में अपने भोजन के लिए अनाज एवं भोज्य सामग्री एकत्रित करना चाहते हैं, तो मुझे आपके साथ कठोर होना पड़ेगा। आपको तर्क व बुद्धि से काम लेने के बारे में प्रशिक्षण देना पड़ेगा। यदि आप किसानों का अपमान करेंगे, उनसे उनके बैल व अनाज के बीज छीन लेंगे तथा उनकी फसल को रौंद डालेंगे, तो आप भविष्य में क्या करेंगे ? एक आज्ञाकारी किसान एवं एक विद्रोही किसान वर्ग के मध्य अन्तर समझना जरूरी है।"


प्रश्न 19. 
मंगोल प्रशासनिक व्यवस्था में विजित राज्यों से भर्ती किए गए नागरिक प्रशासकों की भूमिका का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मंगोल शासक चंगेज़ खान ने अपने शासनकाल के दौरान अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को भर्ती किया था। इसी बात का अनुकरण उसके वंशजों ने किया। इससे मंगोल प्रशासन को बहुत अधिक लाभ प्राप्त हुआ। इनको कभी-कभी एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी भेज दिया जाता था। जैसे चीनी सचिवों का ईरान और ईरानी सचिवों का चीन में स्थानांतरण। इस तरह इन प्रशासकों ने दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में सहायता की। इसके अतिरिक्त इन नागरिक प्रशासकों के प्रभाव से खानाबदोशों द्वारा की जाने वाली स्थानीय लोगों से लूटपाट में कमी आई। ये अपने शासकों के लिए 'कर' भी एकत्रित करते थे। इन नागरिक प्रशासकों में से कुछ प्रशासक बहुत अधिक प्रभावशाली थे। कभी-कभी ये मंगोल शासकों की नीतियों को भी प्रभावित करने में सफल हो जाते थे। उदाहरण के रूप में, 1230 ई. के दशक में मंगोल शासक ओगोदेई की लूटने की प्रवृत्ति को उसके मंत्री ये-लू-चुत्साई ने बदल दिया था। इसी प्रकार गज़न खान के लिए उसके मंत्री रशीदुद्दीन ने भी यही भूमिका निभायी। उन्होंने कृषक वर्ग को सताने की अपेक्षा उनकी रक्षा करने की बात कही थी।

प्रश्न 20. 
तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोल शासक चंगेज़ खान के वंशज अलग-अलग वंश समूहों में किस प्रकार बँट गए? यह किस बात का संकेत था?
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोल शासक चंगेज़ खान के पुत्रों में अपने पिता की सम्पत्ति को आपस में मिल-बाँटकर उपयोग करने के स्थान पर व्यक्तिगत राजवंश स्थापित करने की भावना अधिक प्रबल हो गयी थी। प्रत्येक मंगोल राजवंश अपने-अपने क्षेत्रीय राज्य, जिसे 'उलुस' कहा जाता था, का स्वामी हो गया। इसी के परिणामस्वरूप चंगेज़ खान के वंशजों के मध्य महान पद एवं उत्तम चारागाही भूमि की प्राप्ति के लिए प्रतिस्पर्धा लगी रहती थी, जिससे उनका अलग-अलग वंश समूहों में विभाजन हो गया। चीन एवं ईरान दोनों पर अपना साम्राज्य स्थापित करने के लिए आए चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई के वंशजों ने इल-खानी व युआन वंशों की स्थापना की।

चंगेज़ के सबसे बड़े पुत्र जोची ने 'सुनहरा गिरोह' (Golden Horde) का गठन कर रूस के स्टेपी क्षेत्र पर साम्राज्य स्थापित किया। चंगेज़ के दूसरे पुत्र चघताई के वंशजों ने तूरान के स्टेपी प्रदेश पर साम्राज्य स्थापित किया, जो आजकल तुर्किस्तान कहलाता है। मंगोल शासक चंगेज़ खान के वंशजों का अलग-अलग वंश समूहों में बँट जाना इस बात का संकेत है कि उनके पिछले परिवार से जुड़ी स्मृतियों एवं परम्पराओं के सामंजस्य में परिवर्तन आना प्रारम्भ हो गया था। स्पष्टतः यह सब एक ही कुल के सदस्यों में परस्पर प्रतिस्पर्धा के परिणामस्वरूप हुआ।

प्रश्न 21. 
मंगोल शासक चंगेज़ खान के वंशज अपने अतीत से क्यों अलग होना चाहते थे ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मंगोल शासक चंगेज़ खान के वंशजों का अपने अतीत से अलग होने का प्रमुख कारण यह था कि इनके वंशज पिछले महान खानों की अपेक्षा अपने गुणों को अधिक लोकप्रिय करना चाहते थे। तुलना की इस दौड़ में स्वयं मंगोल शासक चंगेज़ खान को भी नहीं छोड़ा गया। ईरान के फारसी इतिहासवृत्त में महान खानों द्वारा की गई रक्तरंजित हत्याओं का विस्तृत वर्णन किया गया और मृतकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत की गई। यद्यपि इल-खानी विवरणों में अभी भी चंगेज़ खान की प्रशंसा की जाती थी, लेकिन उनमें साथ ही तसल्ली के लिए यह भी कथन दिया जाने लगा कि अब समय बदल गया और अब पहले जैसा खून-खराबा समाप्त हो चुका था।

चंगेज़ खान के वंशजों को उत्तराधिकार में जो कुछ प्राप्त हुआ वह महत्वपूर्ण था परन्तु उनके समक्ष यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न था कि वे एक स्थानबद्ध समाज में अपना प्रभुत्व किस प्रकार स्थापित करें। इन बदली हुई परिस्थितियों में वे वीरता या उत्साह का वैसा प्रदर्शन नहीं कर सकते थे, जैसा कि चंगेज़ खान ने किया था। वे तर्क और बुद्धि से साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे तथा अपने राज्य में शांति स्थापित करना चाहते थे। वे क्रूर शासक की छवि से निकलकर एक दयावान शासक की छवि धारण करना चाहते थे।

प्रश्न 22. 
चंगेज़ खान की विधि संहिता के बारे में बताइए।
उत्तर:
यास या यसाक चंगेज़ खान की विधि संहिता थी। इसे कानून संहिता या आदेश संहिता भी कहा जाता है। इतिहासकार डेविड आयलन के शोध के परिणामस्वरूप यास पर प्रकाश पड़ा। यह वह संहिता थी जिसके बारे में यह बताया जाता है कि इसे मंगोल शासक चंगेज़ खान ने 1206 ई. में मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा, जिसे किरिलताई कहा जाता था, में लागू किया था। इसके अन्तर्गत उन जटिल कानूनों का वर्णन है, जो महान खान (चंगेज़ खान) की स्मृति को बनाए रखने के लिए उसके वंशजों ने प्रयुक्त किये थे।

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

अपने प्रारम्भिक स्वरूप में यास को यसाक लिखा जाता था, जिसका अर्थ था 'विधि', 'आज्ञप्ति' एवं 'आदेश'। वास्तविक रूप से जो अल्प विवरण यसाक के बारे में प्राप्त होता है उसका सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है, जैसे-आखेट की व्यवस्था करना, सेना को संगठित करना, संचार व डाक प्रणाली का संगठन करना। तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक, किसी तरह से मंगोलों ने यास शब्द का प्रयोग अधिक सामान्य रूप से करना प्रारम्भ कर दिया। इसका आशय था--चंगेज़ खान की विधि संहिता। अतः यास या यसाक को चंगेज़ खान की कानून संहिता या आदेश संहिता भी कहा जाता है।

प्रश्न 23. 
आप किस प्रकार कह सकते हैं कि मंगोलों के लिए चंगेज़ खान एक महान सम्राट था ? अपने कथन की पुष्टि में प्रमाण दीजिए।
उत्तर:
यदि कोई सामान्य व्यक्ति विश्व इतिहास का अध्ययन करता है तो उसे यह जानकारी प्राप्त होती है कि चंगेज़ खान एक हत्यारा व लुटेरा मंगोल शासक था, जिसने हथियारों के बल पर अपने साम्राज्य को स्थापित किया। अनेक नगरों को नष्ट किया तथा हजारों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हमें ज्ञात होता है कि तेरहवीं शताब्दी में चीन, ईरान व पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी चंगेज़ खान के लुटेरे गिरोहों को भय व घृणा की दृष्टि से देखते थे। वहीं इन समस्त बातों के विपरीत मंगोल लोगों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था। उसने मंगोलों को संगठित किया, मंगोलों के मध्य चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों को बंद किया, उन्हें चीनी लोगों द्वारा किये जाने वाले शोषण से मुक्ति दिलवायी। उसने एक पारमहाद्वीपीय साम्राज्य स्थापित किया और इसके अतिरिक्त उसने व्यापार मार्गों एवं बाजारों को एक नया जीवन प्रदान किया। जिससे मंगोलों में समृद्धि का प्रसार हुआ। उक्त समस्त कारणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि मंगोलों के लिए चंगेज़ खान एक महान सम्राट था। 

प्रश्न 24. 
चंगेज़ खान के वंशजों की प्रमुख उपलब्धियों को बताइए।
अथवा 
क्या मंगोल साम्राज्य में विभिन्न धर्मों व विभिन्न जातियों के लोगों को समान अवसर प्राप्त थे?
अथवा 
स्पष्ट कीजिए कि तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य बहुजातीय, बहु-भाषी व बहु-धार्मिक था।
उत्तर:
चंगेज़ खान के पश्चात् उसके वंशजों ने उसके आदर्शों के अनुसार चलकर उसके विश्वविजय के स्वप्न को सार्थक किया तथा दुनिया के सबसे विशाल साम्राज्य का निर्माण किया। चंगेज़ खान के वंशजों ने अपनी नीतियों में परिवर्तन किया। उन्होंने अपने राज्य में विविध धर्मों, मतों व आस्था वाले लोगों को सम्मिलित किया। स्वयं मंगोल शासक भी अनेक धर्मों व आस्थाओं से सम्बन्ध रखते थे। उन्होंने कभी भी सार्वजनिक नीतियों पर अपने व्यक्तिगत मतों को थोपने का प्रयास नहीं किया। मंगोल शासकों ने समस्त जातियों एवं धर्मों के लोगों को अपने साम्राज्य में प्रशासकों व सैनिकों के रूप में भर्ती किया। उन्होंने विजित राज्यों के नागरिकों को भी प्रशासन में सम्मिलित किया। उनका शासन बहुजातीय, बहुभाषी तथा बहुधर्मी था जिसको अपने बहुविध संविधान का कोई भय नहीं था। यह उस समय के लिए एक असामान्य बात थी।

प्रश्न 25. 
मंगोल साम्राज्य भिन्न-भिन्न वातावरणों में परिवर्तित हो गया था, फिर भी मंगोल साम्राज्य के संस्थापक चंगेज़ खान की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही। एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मंगोलों और किसी भी यायावर शासन प्रणाली से संबंधित उपलब्ध प्रलेखों से यह समझना वस्तुतः असंभव है कि वह कौन सा ऐसा प्रेरणा स्रोत था, जिसने साम्राज्य निर्माण की महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए अनेक समुदायों में बँटे हुए लोगों का एक परिसंघ बनाया। अतंतः मंगोल साम्राज्य भिन्न-भिन्न वातावरण में परिवर्तित हो गया तथापि मंगोल साम्राज्य के संस्थापकं की प्रेरणा एक प्रभावशाली शक्ति बनी रही। इसको इस उदाहरण से समझा जा सकता है कि चौदहवीं शताब्दी के अंत में एक अन्य शासक तैमूर (जो चंगेज़ खान का वंशज नहीं था) भी एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था। चंगेज़ खान का वंशज न होने के कारण तैमूर अपने आप को विश्वशासक घोषित करने में हिचकिचा रहा था। लेकिन जब उसने स्वतंत्र संप्रभुता की घोषणा की तो अपने आप को चंगेज़खानी परिवार के दामाद के रूप में प्रस्तुत किया।


प्रश्न 26. 
मंगोलिया देश में चंगेज़ खान को प्राप्त सम्मान के बारे में बताइए।
उत्तर:
मंगोलिया पर रूस का नियंत्रण था। रूस के नियंत्रण से मुक्त होने के पश्चात् मंगोलिया एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बनाने में जुटा हुआ है। इस राष्ट्र ने चंगेज़ खान को एक राष्ट्रनायक के रूप में लिया, जिसका सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाता है। वह मंगोलिया के लोगों के लिए एक आराध्य व्यक्ति के रूप में उभरकर सामने आया है, जो महान अतीत की स्मृतियों को जागृत कर राष्ट्र की पहचान बनाने की दिशा में शक्ति प्रदान करेगा और यही पहचान राष्ट्र को भविष्य की ओर ले जाएगी। मंगोलियावासियों को चंगेज़ खान की उपलब्धियों पर गर्व होता है। वे इसे एक देवता के रूप में पूजते हैं। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
मंगोलों के यायावर साम्राज्य के इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मंगोलों के यायावर साम्राज्य के इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्रोत-मंगोल मध्य एशिया के स्टेपी प्रदेश के निवासी थे। मंगोलों ने अपना कोई साहित्य नहीं रचा और न ही रचाया था। हमें इन लोगों के बारे में जानकारी इतिवृत्तों, यात्रावृत्तान्तों व नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों से प्राप्त होती है। इन दस्तावेजों का लेखन करने वाले लोगों ने मंगोल यायावर समुदायों के जीवन से जुड़ी हुई सूचनाओं को दोषपूर्ण, गलत एवं पक्षपातपूर्ण रूप से प्रस्तुत किया है। मंगोलों की साम्राज्यिक सफलताओं ने अनेक साहित्यकारों को अपनी ओर आकर्षित किया। उनमें से कुछ साहित्यकारों ने अपने अनुभवों के यात्रावृत्तान्त लिखे। कुछ साहित्यकार मंगोल शासकों के राज्याश्रय में भी रहे थे। ऐसे लोगों की पृष्ठभूमि अलग-अलग प्रकार की थी। वे बौद्ध, कन्फ्यूशियस, तुर्क, ईसाई व मुसलमान आदि धर्मों से सम्बन्ध रखते थे। यद्यपि इन लोगों को मंगोल परम्पराओं का ज्ञान नहीं था। 

इनमें से कुछ साहित्यकारों ने इनके विषय में सहानुभूतिपरक विवरण एवं उनकी प्रशस्तियाँ भी लिखी हैं और इसके विपरीत उनके विरोधी साहित्यकारों ने इन्हें लुटेरा तक कह दिया था। इस प्रकार हमें मंगोलों के विषय में अनेक रोचक विवरण प्राप्त होते हैं, जिनसे यह ज्ञात होता है कि अपने ही क्षेत्र विशेष में रहने वाले ये मंगोल यायावर आदिम बर्बर लोगों की तरह थे। मंगोलों पर हुए अनुसंधान कार्य-मंगोल यायावर समुदायों पर सबसे महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्य अठारहवीं शताब्दी व उन्नीसवीं शताब्दी में रूसी विद्वानों ने उस काल में किए थे, जब रूस के जार शासक मध्य एशियाई क्षेत्रों में अपनी शक्ति को मजबूत कर रहे थे। ये अनुसंधान-कार्य उपनिवेशीय कालावधि में हुए, जो प्रायः सर्वेक्षण टिप्पणियों के रूप में प्राप्त होते हैं। इन टिप्पणियों को यात्रियों, सैनिकों, पुराविदों एवं व्यापारियों ने तैयार किया था। रूस के मार्क्सवादी इतिहास लेखन ने मंगोल शासक चंगेज़ खान को एक नवीन मंगोल साम्राज्य के अधिष्ठाता के रूप में स्थापित किया था, जिसने मानव विकास की एक ऐसी संक्रमण व्यवस्था को जन्म दिया, जिसमें जनजाति उत्पादन व्यवस्था, सामंती उत्पादन व्यवस्था की ओर परिवर्तित हुई।

मंगोल भाषाओं, उनके समाज व संस्कृति पर उत्कृष्ट अनुसंधान बोरिस याकोवालेविच ब्लाडिमीरस्टॉव नामक एक विद्वान ने किया था। एक अन्य रूसी विद्वान वैसिली ब्लाडिमिरोविच बारटोल्ड ने तत्कालीन सोवियत विचारधारा का समर्थन नहीं किया और चंगेज़ खान के अधीन मंगोलों और उसके वंशजों के जीवन व उनकी विश्व को देन का सहानुभूतिपूर्ण ढंग से सकारात्मक मूल्यांकन किया। इससे रूसी शासन नाराज हो गया और उनकी रचनाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया, परन्तु 1960 ई. में खुश्चेव के उदारवादी युग में उसके समस्त ग्रन्थों का संग्रह नौ खण्डों में प्रकाशित किया गया। अन्य स्रोत-मंगोल साम्राज्य के पारमहाद्वीपीय विस्तार के इतिहास की सम्पूर्ण सामग्री अनेक भाषाओं से प्राप्त होती है, जिनमें चीनी, मंगोली, अरबी व फारसी आदि भाषाएँ प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त हमें मंगोलों से सम्बन्धित महत्वपूर्ण सामग्रियाँ इतालवी, लातिनी, फ्रांसीसी व रूसी भाषाओं में भी मिलती हैं।

प्रायः दो भाषाओं में एक ही ग्रन्थ मिलते हैं, लेकिन उनमें उपलब्ध सूचनाओं में अन्तर दिखाई देता है। उदाहरण के रूप में, चंगेज़ खान के विषय में सबसे प्राचीन मंगोली व चीनी विवरण हमें मंगकोल-उन-न्यूतोविअन (मंगोलों के में प्राप्त होते हैं। ये विवरण इतालवी व लातिनी संस्करणों से मेल नहीं खाते हैं, जिन्हें मार्कोपोलो ने मंगोल राजदरबार में उपस्थित होने के समय के अपने यात्रा-वृत्तांतों में दिया है। ईगोर दे रखेविल्ट्स व गरेहार्ड डोरफर की रचनाएँ मध्य एशिया के मंगोल यायावरों के इतिहास के अध्ययन की कठिनाइयों को प्रकट करती हैं।

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 2. 
चंगेज़ खान के जीवनवृत्त का वर्णन करते हुए यह बताइए कि वह सार्वभौम शासक किस प्रकार बना?
उत्तर:
चंगेज़ खान का जीवनवृत्त-चंगेज़ खान का जन्म लगभग 1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के समीप हुआ था। इसका प्रारम्भिक नाम तेमुजिन था। इसके पिता का नाम येसूजेई था, जो कियात कबीले का मुखिया था। इसके पिता की अल्पायु में ही हत्या कर दी गई थी। चंगेज़ खान की माता का नाम ओलुन-इके था, जिसने तेमुजिन (चंगेज़ खान) और उसके सगे व सौतेले भाइयों का पालन-पोषण बड़ी कठिनाइयों से किया था। 1170 ई. के दशक में तेमुजिन का अपहरण करके उसे दास बना लिया गया था। उसकी पत्नी बोरटे का भी अपहरण कर लिया गया। अपनी पत्नी को छुड़ाने के लिए उसने युद्ध भी किया। तेमुजिन ने विपत्ति के इन दिनों में भी अनेक मित्र बनाने में सफलता प्राप्त की। एक नवयुवक बोघूरचू उसका प्रथम मित्र था, जो सदैव एक विश्वस्त साथी के रूप में उसके साथ रहा।

तेजिन का सगा भाई जम्का भी उसका एक विश्वसनीय मित्र था। तेमुजिन (चंगेज़ खान) ने कैराइट लोगों के शासक और अपने पिता के भाई तुगरिल उर्फ ओंग खान के मध्य पुराने रिश्तों की पुनर्स्थापना की। 1227 ई. में चंगेज़ खान की मृत्यु हो गई। चंगेज़ खान का सार्वभौमिक शासक बनना-तेमुजिन का सगा भाई जमूका कालान्तर में उसका शत्रु बन गया। 1180 से 1190 ई. के मध्य तेमुजिन ने ओंग खान की मध्यस्थता से अपने शक्तिशाली शत्रु जमूका को पराजित कर दिया। 1203 ई. में उसने अपने पिता के हत्यारे शक्तिशाली तातार कैराईट एवं अपने पिता के भाई ओंग खान के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया। 1206 ई. में उसने जमका एवं नेमन लोगों को निर्णायक रूप से पराजित किया। इस प्रकार अब वह स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में एक प्रभावशाली एवं शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में उभरकर सामने आया। उसे अब मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा कुरिलताई में मान्यता प्राप्त हो गई। इस सभा में तेमुजिन को चंगेज खान, समुद्री खान या सार्वभौम शासक की उपाधि दी गई तथा मंगोलों का महानायक घोषित किया गया। 

प्रश्न 3. 
चंगेज़ खान की सैनिक उपलब्धियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
चंगेज खान ने किस प्रकार साम्राज्य विस्तार किया ? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चंगेज़ खान का साम्राज्य विस्तार (सैनिक उपलब्धियाँ)-1206 ई. में मंगोल कबीले की एक सभा कुरिलताई से मान्यता प्राप्त होने के पूर्व ही चंगेज़ खान ने मंगोलों को एक सशक्त अनुशासित,सैन्य शक्ति के रूप में पुनर्गठित कर लिया था, जिसने उसके सैन्य अभियानों में सहायता पहुँचायी। चंगेज़ खान की प्रमुख सैनिक उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं
1. चीन विजय-चंगेज खान ने सर्वप्रथम चीन पर विजय प्राप्त करने का निश्चय किया जो कि उस समय तीन राज्यों में विभाजित था

  • उत्तरी-पश्चिमी प्रान्तों में तिब्बत मूल के 'सी-सिआ' लोग। 
  • जरचेन लोगों के चिन राजवंश जो पेकिंग के उत्तरी चीन क्षेत्र में शासन करते थे। 
  • शुंग राजवंश, जिसके आधिपत्य में दक्षिणी चीन था।

1209 ई. में चंगेज़ खान ने सी-सिआ लोगों को परास्त किया। 1213 ई. में उसने चीन की महान दीवार को ध्वस्त कर दिया और 1215 ई. में पेकिंग नगर को खूब लूटा। चिन वंश के विरुद्ध मंगोलों की लड़ाइयाँ 1234 ई. तक चली परन्तु चंगेज़ खान अपने अभियानों की प्रगति से पूर्णतः सन्तुष्ट था, इसलिए उस क्षेत्र के सैनिक मामले अपने अधीनस्थों को सौंपकर स्वयं वह 1216 ई. में अपनी मातृभूमि मंगोलिया लौट आया। 1218 ई. में चंगेज़ खान ने चीन के उत्तरी-पश्चिमी भाग में स्थित तियेन-शान की पहाड़ियों पर नियंत्रण रखने वाली करा खिता जाति को परास्त किया। अब मंगोलों का साम्राज्य अमूदरिया, तूरान एवं ख्वारज़म राज्यों तक फैल गया।

2. अन्य सैन्य विजय-चंगेज़ खान ने अपने सैनिक अभियान जारी रखे। 1219 ई. से 1221 ई. के मध्य तक के अभियानों में बड़े नगरों-ओट्रार, बुखारा, बल्ख, गुरगंज, समरकंद, मर्व, निशापुर एवं हेरात ने मंगोल सेनाओं के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। ख्वारज़म का सुल्तान मोहम्मद चंगेज़ खान के क्रोध का शिकार तब हुआ, जब उसने मंगोल दूतों का वध कर दिया। मंगोल सेनाएँ सुल्तान मोहम्मद का पीछा करते हुए अज़रबेजान तक चली गईं। इन्होंने क्रीमिया में रूसी सेनाओं को हराने के पश्चात् कैस्पियन सागर को घेर लिया। मंगोल सेना की एक अन्य टुकड़ी ने सुल्तान मोहम्मद के पुत्र जलालुद्दीन का अफगानिस्तान व सिंध प्रदेश तक पीछा किया। सिंधु नदी के तट पर पहुँचकर चंगेज़ खान ने उत्तरी भारत और असम मार्ग से मंगोलिया वापस लौटने की सोची किन्तु अत्यधिक गर्मी, प्राकृतिक आवास की कठिनाइयाँ एवं उसके शासन के भविष्यवक्ता ने अशुभ संकेतों का हवाला देते हुए उसे अपने विचार बदलने को बाध्य किया। चंगेज खान को अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्धों में व्यतीत करना पड़ा, तत्पश्चात् 1227 ई. में उसकी मृत्यु हो गयी। वास्तव में उसकी सैनिक उपलब्धियाँ हमें आश्चर्यचकित कर देने वाली थीं।

प्रश्न 4. 
चंगेज़ खान ने मंगोलों को, जो प्रारम्भ में पशुपालक एवं आखेट-संग्राहक थे, किस प्रकार एक महान सैन्य संगठन में परिवर्तित कर दिया ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चंगेज़ खान एक दूरदर्शी शासक व महान संगठनकर्ता था। उसने शीघ्र ही यह जान लिया था कि यदि एक महान साम्राज्य की स्थापना करनी है तो उसे मंगोल कबीलों की विभिन्न जातीय पहचानों को समाप्त करके उनमें कर्मठ, निष्ठावान एवं देशभक्ति की भावना उत्पन्न करनी होगी। उसने इसमें सफलता भी प्राप्त की। अब उसके समस्त सैनिक किसी विशेष कबीले के न होकर मंगोलिया राज्य से सम्बन्धित थे। इससे पूर्व मंगोलों के कबीले प्रायः पशुपालक और आखेट संग्राहक थे। चंगेज़ खान ने उन्हें नई सामाजिक एवं सैनिक इकाइयों में संगठित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए

  1. उसने मंगोलों और तुर्कों के घुड़सवारी कौशल का उपयोग अपनी सेना को तेज गति प्रदान करने के लिए उन्हें नई प्रकार की सैनिक टुकड़ियों में संगठित किया।
  2. उसने आखेटक-संग्राहक लोगों के तीरंदाजी के गुण का भी लाभ उठाया। चंगेज़ खान ने तीरंदाजों की अलग सैनिक टुकड़ियाँ बनायीं, जो घुड़सवार के रूप में तेजी से आगे बढ़ सकती थीं। इससे दुश्मन की सेना में उथल-पुथल मच जाती थी।
  3. चंगेज़ खान ने अपने घुड़सवारों को आसपास के भूभाग के मार्गों एवं मौसम की प्रत्येक जानकारी उपलब्ध कराने के प्रयत्न किए, जिससे वे प्रत्येक मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों में शत्रुओं का मुकाबला कर सकें।
  4. उसने अपनी सेना को अविभेदित रूप से संगठित किया। यह अविश्वसनीय रूप से एक विशाल विषमजातीय संगठन में परिवर्तित हो गयी। 
  5. उसने अपने सैनिकों को बर्फ से ढकी वादियों, पहाड़ों को राजमार्ग की तरह प्रयोग करने का प्रशिक्षण दिया।
  6. मंगोल लोग अपनी परम्पराओं के अनुसार प्राचीरों के आरक्षित शिविरों में घुसपैठ करने में सक्षम नहीं थे, परन्तु चंगेज़ खान ने घेराबंदी यंत्र और नेफ्था बमबारी के महत्व को जानते हुए उन्हें प्रशिक्षित किया।
  7. चंगेज़ खान ने अपनी सेना में अस्त्र-शस्त्र निर्माण हेतु योग्य इंजीनियरों को नियुक्त किया।
  8. उसके इंजीनियरों ने शत्रुओं के विरुद्ध अभियानों में उपयोग हेतु हल्के चल उपस्करों (उपकरणों) का निर्माण किया, जिसके युद्ध में घातक प्रभाव होते थे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि उपर्युक्त प्रयत्नों के फलस्वरूप चंगेज खान ने मंगोलों को, जो पशुपालक एवं आखेट संग्राहक के रूप में थे, एक उच्चस्तरीय सैनिक शक्ति के रूप में बदल दिया। 

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 5. 
मंगोल शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोलों की राजनीतिक गतिविधियों की चर्चा कीजिए।
अथवा 
चंगेज़ खान के उपरान्त के मंगोल साम्राज्य की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
1227 ई. में मंगोल शासक चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् मंगोलों की राजनीतिक गतिविधियों को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
1. मंगोल साम्राज्य का विभाजन-चंगेज़ खान की मृत्यु के पश्चात् के मंगोल साम्राज्य को हम दो भागों में बाँट सकते हैं

  • प्रथम चरण-यह चरण 1236 से 1242 ई. तक था। जिसके दौरान प्राप्त मुख्य सफलताओं में रूस के स्टेपी क्षेत्र, बुलघार, कीव, पोलैण्ड व हंगरी आदि में प्राप्त विजयें थीं। 
  • द्वितीय चरण-यह 1255 से 1300 ई. तक था। जिसके दौरान सम्पूर्ण चीन, इराक, ईरान व सीरिया पर विजय प्राप्त की गई थी।

2. साम्राज्य की परिसीमाओं में स्थिरता आना-इन दोनों अभियानों के पश्चात् मंगोल साम्राज्य की परिसीमाओं में स्थिरता आयी। यद्यपि 1230 ई. के बाद के दशकों में मंगोलों को महत्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त हुईं परन्तु उनके लिए 1260 के दशक के बाद पश्चिम के सैन्य अभियानों के प्रारम्भिक आवेग को जारी रखना सम्भव नहीं रहा। यद्यपि वियना और उससे दूर पश्चिमी यूरोप व मिस्र मंगोल आधिपत्य में ही रहे फिर भी मंगोलों के हंगरी के स्टेपी क्षेत्र से पीछे हट जाने और मिस्र की सेनाओं द्वारा पराजित होने से नवीन राजनीतिक प्रवृत्तियों के उदय होने का आभास होने लगा।

3. नवीन राजनीतिक प्रवृत्तियों का उदित होना-मंगोलों का स्टेपी क्षेत्र में पीछे हटने एवं मिस्र की सेनाओं के हाथों पराजय के पश्चात् मंगोल राजनीति में नवीन प्रवृत्तियों का उदय हुआ। ये प्रवृत्तियाँ दो प्रकार की थीं
(i) प्रथम में मंगोल परिवार में उत्तराधिकार को लेकर आन्तरिक कलह की राजनीति थी। जब प्रथम दो पीढ़ियाँ जोची व ओगोदेई के उत्तराधिकारी महान खान के राज्य पर नियंत्रण स्थापित करने हेतु एकजुट हुए। अब उनके लिए यूरोप के अभियान करने की अपेक्षा अपने हितों की रक्षा करना अधिक महत्वपूर्ण हो गया।
(ii) द्वितीय स्थिति उस समय उत्पन्न हुई जब चंगेज़ खान के वंशज की तोलूयिद शाखा के उत्तराधिकारियों ने जोची और ओगोदेई वंशों को कमजोर कर दिया। चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई के वंशज मोंके के राज्याभिषेक के उपरान्त 1250 ई. के दशक में ईरान में शक्तिशाली सैन्य अभियान किए गए। परन्तु 1260 ई. के दशक में तोलूई के वंशजों ने चीन में अपने हितों की वृद्धि की तो उसी समय सैनिकों व रसद सामग्रियों को मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों में भेज दिया गया। इसके परिणामस्वरूप मिस्र की सेना का सामना करने के लिए मंगोलों ने एक छोटी व अपर्याप्त सेना भेजी जिससे मंगोलों की पराजय हुई। तोलुई वंश की चीन में बढ़ती रुचि ने मंगोलों का पश्चिम की ओर विस्तार रोक दिया।

4. चीन में मंगोल अभियान जारी रहना-पश्चिम में मंगोलों के अभियानों के रुक जाने के पश्चात् चीन के मंगोलों ने अपने अभियान जारी रखे और उन्होंने चीन को एकीकृत किया।

प्रश्न 6. 
चंगेज़ खान ने किस प्रकार अपनी सेना को एक नया रूप प्रदान किया ? उसके द्वारा किए गए सैनिक संगठन में परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चंगेज खान ने अपने सैनिक संगठन में निम्नलिखित परिवर्तन कर अपनी सेना को एक नया रूप प्रदान किया
(i) विशाल विषमजातीय सेना का गठन-मंगोल साम्राज्य में मंगोलों एवं वहाँ रहने वाले अन्य यायावर समाजों में प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को शस्त्र धारण करना अनिवार्य था। आवश्यकता होने पर इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना का गठन किया जाता था। चंगेज़ ने मंगोल लोगों के कबीलों की विभिन्न जातीय पहचान को समाप्त करके कर्मठ, निष्ठावान व देशभक्ति की भावना का पाठ पढ़ाया, अब समस्त सैनिक किसी विशेष कबीले के न होकर मंगोलिया राज्य से सम्बन्धित थे। चंगेज़ खान की सेना में नए सदस्य सम्मिलित हुए, जिससे उसकी सेना एक विशाल विषमजातीय संगठन में परिवर्तित हो गयी। इस सेना में मंगोलों की सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार करने वाले तुर्की मूल के उइगुर समुदाय के लोग भी सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त मंगोलों से पराजित होने वाले तथा पुराने शत्रु केराइट लोग भी इसी विशाल सैन्य संगठन में सम्मिलित थे।

(ii) दशमलव पद्धति के अनुसार सेना का गठन-चंगेज़ खान की सेना स्टेपी क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी जो दस, सौ, हजार और दस हजार सैनिकों की इकाई में विभाजित थी। पुरानी पद्धति में कुल, कबीले व सैनिक तथा दशमलव इकाइयाँ एक साथ अस्तित्व में थीं। चंगेज खान ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित कर उन्हें नई सैनिक इकाइयों में विभक्त कर दिया।

(iii) सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई-चंगेज खान की सेना में सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई लगभग दस हजार सैनिकों की थी जिसे 'तुमन' कहा जाता था। इसमें अनेक कुलों व कबीलों के सैनिक सम्मिलित थे।

(iv) नवीन सैनिक टुकड़ियों का गठन-चंगेज खान ने अपने चार पुत्रों-जोची, चघताई, ओगोदेई व तोलूई के अधीन सैनिक टुकड़ियाँ गठित की जिसे 'नोयान' नाम दिया गया। नयी व्यवस्था में चंगेज़ खान के अनुयायियों का वह समूह भी सम्मिलित था, जिन्होंने संकटपूर्ण व प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उसका साथ दिया था।

(v) कठोर अनुशासन-चंगेज खान ने सेना में कठोर अनुशासन पर बल दिया। उसके सैनिक अपने अधिकारी की अनुमति के बिना अपने समूह के बाहर नहीं जा सकते थे। ऐसी प्रयास करने वालों को कठोर दण्ड दिया जाता था।

प्रश्न 7. 
“चंगेज़ खान एवं मंगोलों का विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है।" कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
चंगेज़ खान एवं मंगोलों का विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान है। जिसका वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(i) मंगोलों का एकीकृत जन-समूह-तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोल एक एकीकृत जनसमूह के रूप में उभरकर सामने आये। इसके कारण मंगोलों का ऐसा एक विशाल साम्राज्य स्थापित हो सका, जिसे दुनिया ने पहले कभी नहीं देखा था। मंगोलों ने अत्यधिक जटिल शहरी समाजों पर शासन किया, जिनके अपने-अपने इतिहास और संस्कृतियाँ थीं। चंगेज खान ने विभिन्न आस्था और मतों के लोगों को अपने परिसंघ में शामिल किया, जबकि मंगोल स्वयं भी विभिन्न धर्मों, आस्थाओं से सम्बन्धित थे, जैसे-शमन, बौद्ध, ईसाई, कन्फ्यूशियस और मुसलमान।

(ii) अनेकता में एकता-मंगोल शासकों ने समस्त जातियों और धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों और हथियारबन्द सैनिकों के रूप में भर्ती किया। चंगेज़ खान ने स्टेपी क्षेत्र की पुरानी सामाजिक व्यवस्था को परिवर्तित किया
और विभिन्न वंशों और कुलों को एकीकृत करके उन्हें एक नई पहचान दी। इनका शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी तथा बहु-धार्मिक था, जिसको अपने बहुविध संविधान का कोई भय नहीं था। जैसा कि आज भारत जैसे अनेक देशों में देखने को मिलता है। यह उस समय के लिए एक सामान्य बात नहीं थी क्योंकि उस काल में सभ्यता इतनी विकसित नहीं थी जितनी कि आज है। मंगोल अपने बाद में आने वाली शासन प्रणालियों के लिए एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत कर सके। भारत में मुगलों ने इसी आदर्श का अनुसरण किया, जिनमें सबसे उत्तम आदर्श अकबर ने पेश किया।

(iii) कबीलों को परिसंघ निर्माण का मार्गदर्शन-नृजातीय और भाषायी सम्बन्धों ने मंगोलों को परस्पर जोड़े रखा था, परन्तु उपलब्ध आर्थिक संसाधनों की कमी के कारण उनका समाज पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था। धनी परिवार विशाल होते थे। समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं अथवा वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे। फलतः उन्हें चारागाहों की तलाश में भटकना पड़ता था, इस दौरान विभिन्न कबीलों में परस्पर संघर्ष भी होता रहता था। सामान्यतया परिवारों के समूह आक्रमण करने और अपनी रक्षा करने के लिए अधिक शक्तिशाली और सम्पन्न कुलों से मित्रता कर लेते थे तथा 'परिसंघ' बना लेते थे। कुछ अपवादों को छोड़कर परिसंघ प्रायः छोटे और अल्पकालीन होते थे। मंगोल और तुर्क कबीलों को मिलाकर चंगेज़ खान के द्वारा बनाया गया परिसंघ पाँचवीं शताब्दी के 'अट्टीला' के द्वारा बनाए परिसंघ के बराबर था। इस प्रकार की इकाइयाँ आज अधिकतर देशों में पायी जाती हैं, जिसके लिए हम मंगोलों के ऋणी हैं।

(iv) देशभक्ति की भावना-चंगेज़ खान ने एक नये शासन तन्त्र को जन्म दिया। जिसमें लोग एक ही शासन तन्त्र व एक ही कानून को मानते थे। कानून की दृष्टि से सभी बराबर थे। इस शासन में कोई भी व्यक्ति किसी कबीला विशेष का सदस्य न होकर पहले एक राष्ट्र का सदस्य था, वह राष्ट्र था-मंगोलिया। इससे वहाँ के निवासियों में तथा आने वाली पीढ़ियों में अपने देश के प्रति देशभक्ति की भावना का संचार हुआ।

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

(v) स्थायी राजनीतिक व्यवस्था-चंगेज़ खान के नेतृत्व में मंगोलों ने अपने पारम्परिक सामाजिक एवं राजनीतिक रीति-रिवाजों तथा नियमों को रूपान्तरित करके एक शक्तिशाली सैनिक तन्त्र और शासन संचालन की प्रभावी पद्धतियों का सूत्रपात किया, क्योंकि वह जान चुका था कि स्टेपी प्रदेश की परम्पराओं से एक बड़े साम्राज्य की शासन व्यवस्था को नहीं चलाया जा सकता है। अतः उसने अपनी एकीकृत और स्थायी शासन व्यवस्था स्थापित की। 

(vi) सैनिक तन्त्र का गठन-चंगेज़ खान और उसके उत्तराधिकारियों के सैनिक तन्त्र का संगठन उत्तम किस्म का था। यह उनकी महान देन थी कि एक यायावर जाति को इतनी शक्तिशाली सेना के रूप में परिवर्तित कर दिया गया। इसी का परिणाम था कि उनकी सेना के समक्ष तत्कालीन बड़े-बड़े शक्तिशाली देशों की प्रशिक्षित सेना और उनका गोला-बारूद नहीं टिक पाता था और पराजित हो जाते थे। चंगेज़ खान ने घेराबन्दी-यन्त्र और नेफ्था बमबारी का प्रशिक्षण भी अपने सैनिकों को दिया। उसके इंजीनियरों ने शत्रुओं पर आक्रमण करने के लिए हल्के चल उपस्कर (शस्त्र) बनाए। अत: मंगोलों विशेष रूप से चंगेज़ खान का सैनिक संगठन आज के सभी देशों में पाया जाता है।

(vii) डाक तथा संचार व्यवस्था-चंगेज़ खान के समय 'हरकारा पद्धति' लागू की गई थी। यह एक प्रकार की डाक तथा सूचना पहुँचाने की संचार पद्धति थी। यह पद्धति बड़ी फुर्तीली एवं तीव्रगामी थी। इसी के कारण राज्य के दूर-दराज के स्थानों पर परस्पर सम्पर्क रखा जाता था। कुछ-कुछ दूरी पर निर्मित सैनिक चौकियों पर स्वस्थ एवं बलवान तथा फुर्तीले घुड़सवार सन्देशवाहक के रूप में हर समय तैनात रहते थे। इस हरकारा पद्धति को याम के नाम से जाना जाता था। इस पद्धति की गति एवं विश्वसनीयता ने यात्रियों को एक आश्चर्य में डाल दिया था। अत: आज संसार के प्रत्येक देश में संचार के लिए जो कार्य हो रहे हैं, वह चंगेज़ खान ने 12वीं शताब्दी में करने शुरू कर दिये थे।

(viii) शोषण मुक्त राष्ट्र निर्माण का मार्गदर्शन-चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के लोग चंगेज़ खान को चोर, लुटेरा, क्रूर-अत्याचारी और हिंसक, कातिल आदि कहते थे। उसे भय और घृणा की दृष्टि से देखा जाता था, परन्तु मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था। आज उसे राष्ट्र-निर्माता और राष्ट्रपिता मानकर पूजा जाता है। उसने मंगोलों को एकजुट होना सिखाया। उसने लम्बे समय से चले आ रहे जातीय संघर्ष और आपसी झगड़ों को समाप्त किया। मंगोलों को चीनी शोषण से मुक्त कराया और साथ ही समृद्ध बनाया। मंगोलों ने एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना की। व्यापार और बाजार के लिए मार्ग खोल दिये गये। अब उनके यहाँ मार्कोपोलो जैसे दूर-दूर से यात्री आने लगे थे। मंगोलों की जाग्रति के कारण ही आज मंगोलिया रूस के नियन्त्रण से मुक्त होकर एक स्वतन्त्र देश के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। अत: मंगोलों ने विश्व को इसके शोषण से मुक्त होने और छोटे से कबीले से बड़े साम्राज्य तक के निर्माण की कहानी बताई।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
दिए गए रेखा मानचित्र में निम्न को दर्शाइए
(i) चंगेज़ खान के नेतृत्व में मंगोल साम्राज्य
(ii) रेशम मार्ग की दिशा 
(iii) चघताई साम्राज्य
(iv) मॉस्को 
(v) बुखारा
(vi) समरकंद। 
उत्तर:
RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य 1


विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
चंगेज़ खान के अधीन मंगोलों ने भारत पर आक्रमण किया
(क) बलबन के शासन काल में
(ख) मुहम्मद बिन तुगलक के शासन काल में 
(ग) फिरोज तुगलक के शासन काल में
(घ) इल्तुतमिश के शासन काल में। 
उत्तर:
(घ) इल्तुतमिश के शासन काल में। 

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित चार बाहरी आक्रमणों को काल-क्रमानुसार व्यवस्थित करें एवं नीचे दिए गए कूट से सही उत्तर
1. अहमद शाह अब्दाली 
2. चंगेज़ खान । 
3. नादिरशाह
4. तैमूर। कूट : 
(क) 1, 2, 3, 4
(ख) 4, 3, 2, 1 
(ग) 2, 4, 3, 1
(घ) 2, 4, 1,3  
उत्तर:
(ग) 2, 4, 3, 1

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 3. 
सूची-I को सूची-II के साथ सुमेलित कीजिए और सूचियों के नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

सूची-I

सूची-II

( प्राकृतिक प्रदेश)

( जनजाति)

A. टुण्ड्रा प्रदेश

1. किरगिज

B. विषुवत वन प्रदेश

2. समोयेड

C. स्टेपी प्रदेश

3. सेमांग

D. सवाना प्रदेश

4. बद्दू

 

5. मसाई

कूट:

 

A

C

D

(क)

2

4

5

(ख)

5

1

2

(ग)

2

1

5

(घ)

5

4

2

उत्तर:
(ग) 2,1,5.

Prasanna
Last Updated on Sept. 23, 2022, 9:58 a.m.
Published July 29, 2022