RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

Rajasthan Board RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

प्रश्न 1. 
उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में निम्न में से किस देश का पूर्वी एशिया पर प्रभुत्व था ? 
(क) चीन 
(ख) जापान
(ग) भारत
(घ) संयुक्त राज्य अमरीका। 
उत्तर:
(क) चीन 

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते  

प्रश्न 2. 
जापान का आधुनिकीकरण का मार्ग किन सिद्धान्तों पर आधारित था।
(क) समाजवाद 
(ख) मिश्रित अर्थव्यवस्था 
(ग) पूँजीवाद 
(घ) उदारवाद। 
उत्तर:
(ग) पूँजीवाद 

प्रश्न 3. 
निम्न में से चीन पर कार्य करने वाले प्रमुख जापानी विद्वान थे
(क) शिनारॉन
(ख) नाइतो कोनन 
(ग) मुरासाकी शिकिबु 
(घ) मैथ्यू पेरी। 
उत्तर:
(ख) नाइतो कोनन 

प्रश्न 4. 
निम्न में से किस वर्ष मेजी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश का शासन समाप्त किया था
(क) 1867-68 
(ख) 1853-54 
(ग) 1943
(घ) 1975. 
उत्तर:
(क) 1867-68 

प्रश्न 5. 
निम्न में से किस देश में 1870 ई. के दशक में नयी विद्यालय व्यवस्था के अन्तर्गत लड़के व लड़कियों के लिए विद्यालय जाना अनिवार्य कर दिया गया
(क) चीन 
(ख) जापान 
(ग) भारत
(घ) कोरिया। 
उत्तर:
(ख) जापान 

प्रश्न 6. 
चीनी गणतंत्र के कौन से राष्ट्राध्यक्ष गणतांत्रिक क्रांतिकारी जापान और पश्चिम के विचारों से प्रभावित थे
(क) कांग योवेल 
(ख) लियांग किचाउ 
(ग) कांग यूवेई 
(घ) सन यात-सेन। 
उत्तर:
(घ) सन यात-सेन। 

प्रश्न 7. 
आधुनिक चीन का संस्थापक किसे माना जाता है ?
(क) सन यात-सेन को 
(ख) ली चुंग को 
(ग) कांग युवेई को 
(घ) कुओमीनतांग को 
उत्तर:
(क) सन यात-सेन को 

प्रश्न 8.
निम्न में से किस वर्ष पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार स्थापित हुई. 
(क) 1943 ई.
(ख) 1949 ई.
(ग) 1953 ई. 
(घ) 1958 ई.। 
उत्तर:  
(ख) 1949 ई.

प्रश्न 9. 
निम्न में से किस वर्ष में सुधारों के पश्चात् चीनी लोग स्वच्छंद रूप से उपभोग सामग्री खरीदने में समर्थ होने लगे
(क) 1978 ई. में 
(ख) 1942 ई. के 
(ग) 1975 ई. के 
(घ) 1990 ई. के। 
उत्तर:
(क) 1978 ई. में 

प्रश्न 10. 
निम्न में से किस देश का आधुनिकीकरण पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों के शासन में हुआ था
(क) चीन 
(ख) जापान 
(ग) भारत
(घ) दक्षिण अफ्रीका 
उत्तर:
(ख) जापान 

अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
जापान ने चीन को कब पराजित किया था ? 
उत्तर:
1894 ई. में। 

प्रश्न 2. 
रूस को जापान ने किस वर्ष हराया था ? 
उत्तर:
1905 ई. में। 

प्रश्न 3. 
जापान का आधुनिकीकरण का सफर किस सिद्धांत पर आधारित था? 
उत्तर:
पूँजीवाद के सिद्धांतों पर। 

प्रश्न 4. 
प्राचीन चीन का महानतम् इतिहासकार किसे माना जाता है ? 
उत्तर:
सिमा छियन को। 

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प्रश्न 5. 
चीन व जापान के भौतिक भूगोल में कोई एक अन्तर बताइए। 
उत्तर:
चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है, जबकि जापान एक द्वीपीय देश है।

प्रश्न 6. 
चीन की किन्हीं दो प्रमुख नदियों के नाम बताइए। 
उत्तर:

  1. यांग्त्सी नदी, 
  2. हुआंग हे नदी। 

प्रश्न 7. 
चीन का प्रमुख जातीय समूह कौनसा है ? 
उत्तर:
हान। 

प्रश्न 8. 
चीन की प्रमुख भाषा कौन सी है ? उत्तर-पुतोगहुआ (चीनी)।

प्रश्न 9.
डिम सम क्या है?
उत्तर-एक प्रकार का चीनी भोजन।

प्रश्न 10.
जापान के बड़े द्वीपों का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. होशू 
  2. क्यूशू 
  3. शिकोकू 
  4. होकाइदो (होकेडो)। 

प्रश्न 11. 
जापान के लोगों का प्रमुख भोजन क्या है ? 
उत्तर:
चावल। 

प्रश्न 12. 
1603 से 1867 ई. तक जापान में किस परिवार के लोग शोगुन पद पर कार्यरत थे ? 
उत्तर:
तोकुगावा परिवार के लोग। 

प्रश्न 13. 
एदो क्या है ? 
उत्तर:
एदो जापान की आधुनिक राजधानी तोक्यो का प्राचीन नाम है। 

प्रश्न 14. 
जापान का योद्धा वर्ग किस नाम से जाना जाता था ?
उत्तर:
सामुराई

प्रश्न 15. 
जापान में छपाई किससे की जाती थी? 
उत्तर:
लकड़ी के ब्लॉकों से। 

प्रश्न 16. 
जापान को समृद्ध देश क्यों समझा जाता है ? 
उत्तर:
क्योंकि वह चीन से रेशम तथा भारत से कपड़े जैसी विलासी वस्तुएँ आयात करता था। 

प्रश्न 17. 
निशिजन क्या है ? 
उत्तर:
निशिजिन क्योतो, जापान की एक बस्ती है। 16वीं शताब्दी में वहाँ 31 परिवारों का एक बुनकर संघ था। 

प्रश्न 18. 
1859 ई. में किस देश के लिए रेशम का निर्यात लाभ का प्रमुख स्रोत बन गया ? 
उत्तर:
जापान। 

प्रश्न 19. 
जापान में सम्राट को किसका उत्तराधिकारी समझा जाता था? 
उत्तर:
सूर्यदेव का। 

प्रश्न 20.
किस वंश के नेतृत्व ने जापान में तोकुगावा वंश के शासन का अंत किया? 
उत्तर:
मेज़ी वंश के नेतृत्व ने। 

प्रश्न 21. 
जापान में मेज़ी पुनर्स्थापना कब हुई ? 
उत्तर:
1867-68 ई. में।

प्रश्न 22. 
अमेरिका के किस कॉमोडोर ने जापान सरकार को अमरीका के साथ व्यापारिक एवं राजनयिक सम्बन्ध स्थापित करने की माँग की ?
उत्तर:
कॉमोडोर मैथ्यू पेरी ने। 

प्रश्न 23. 
जापानी सरकार ने किस नारे के साथ आधुनिकीकरण की नीति की घोषणा की ? 
उत्तर:
फुकोकु क्योहे (समृद्ध देश, मजबूत सेना) के नारे के साथ। 

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प्रश्न 24. 
जापानी भाषा में एक साथ कितनी लिपियों का प्रयोग होता है? 
उत्तर:
तीन लिपियों (कांजी, हीरागाना व काताकाना) का।

प्रश्न 25. 
राष्ट्र के एकीकरण के लिए जापान में सरकार ने क्या किया ? 
उत्तर:
पुराने गाँवों एवं क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया।

प्रश्न 26. 
जापान में मेज़ी सुधारों का एक महत्वपूर्ण भाग क्या था ? 
उत्तर:
अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण करना। 

प्रश्न 27. 
जापान की प्रथम रेलवे लाइन कब व किन शहरों के मध्य बिछायी गयी ? 
उत्तर:
1870-72 ई. में तोक्यो और याकोहामा बंदरगाह के मध्य।

प्रश्न 28. 
जापान के कारखानों में 1900 से पहले कामगार महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले कितनी थी? 
उत्तर:
लगभग आधे से अधिक। 

प्रश्न 29. 
तनाका शोजी कौन था ?
उत्तर:
जापानी संसद 'डायट' के निम्न सदन का सदस्य, जिसने 1897 ई. में औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध प्रथम आन्दोलन किया था।

प्रश्न 30. 
जापानी संसद का क्या नाम है ? 
उत्तर:
डायट। 

प्रश्न 31. 
मेज़ी संविधान किस पर आधारित था ? 
उत्तर:
सीमित मताधिकार पर। 

प्रश्न 32. 
फुकुज़ावा यूकिची कौन था? उसने जापान के आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में क्या सुझाव दिया था?
उत्तर:
फुकुज़ावा यूकिची जापान का मेज़ीकाल का बुद्धिजीवी था। उसने सुझाव दिया कि जापान को अपने एशियाई लक्षण छोड़कर पश्चिम का हिस्सा बन जाना चाहिए।

प्रश्न 33. 
जापान के कौन से नेता फ्रांसीसी क्रांति में मानवों के प्राकृतिक अधिकार और जन प्रभुसत्ता के सिद्धान्तों के प्रशंसक थे?
उत्तर:
उएकी एमोरी। 

प्रश्न 34. 
जापान में किस वर्ष 'आधुनिकता पर विजय' नामक संगोष्ठी का आयोजन किया गया? 
उत्तर:
1943 ई. में।

प्रश्न 35. 
जापानी दर्शनशास्त्री निशितानी केजी ने 'आधुनिक' को किन तीन पश्चिमी धाराओं के मिलने और एकता से परिभाषित किया ?
उत्तर:

  1. पुनर्जागरण 
  2. प्रोटेस्टेंट सुधार
  3. प्राकृतिक विज्ञानों का विकास। 

प्रश्न 36. 
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के किन-किन नगरों पर नाभिकीय बम गिराए गए ? 
उत्तर:

  1. हिरोशिमा
  2. नागासाकी। 

प्रश्न 37. 
विश्व युद्ध के बाद जापान में पहली बार चुनाव कब हुए? 
उत्तर:
1946 ई. में।

प्रश्न 38.
जापान में पहली बार महिलाओं को मताधिकार कब दिया गया? 
उत्तर:
1946 ई. में। 

प्रश्न 39. 
1964 ई. में हुए तोक्यो ओलंपिक खेल किसका प्रतीक बने? 
उत्तर:
जापानी अर्थव्यवस्था की परिपक्वता का। 

प्रश्न 40. 
जापान में बुलेट ट्रेन का जाल कब प्रारम्भ हुआ ? 
उत्तर:

प्रश्न 41. 
चीनी गणतंत्र के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष कौन थे ? 
उत्तर:
सन यात-सेन। 

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प्रश्न 42. 
ब्रिटेन और चीन के मध्य प्रथम अफ़ीम युद्ध कब हुआ था ? 
उत्तर:
1839-1842 ई. के मध्य। 

प्रश्न 43. 
18 वीं शताब्दी में किस देश का बँटवारा सर्वाधिक बहुचर्चित उदाहरण था? 
उत्तर:
पोलैंड का।

प्रश्न 44. 
चीनी विचारक लियांग किचाऊ ने भारत के विषय में क्या विचार प्रकट किए थे?
उत्तर:
1903 ई. में चीनी विचारक लियांग किचाऊ ने भारत के विषय में लिखा था कि भारत एक ऐसा देश है, जो किसी और देश से नहीं बल्कि ईस्ट इंडिया कम्पनी के हाथों बर्बाद हो गया।

प्रश्न 45. 
चीन में प्रमुख विचारधारा का नाम बताइए। उत्तर-कन्फयूशियसवाद। 

प्रश्न 46. 
1890 के दशक में चीनी विद्यार्थी पढ़ने के लिए कहाँ गये?
उत्तर:
जापान। 

प्रश्न 47. 
1905 ई. में रूस और जापान के मध्य युद्ध कहाँ और क्यों लड़ा गया ? 
उत्तर:
चीन की भूमि पर और चीनी इलाके पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए। प्रश्न 48. चीन में मांचू साम्राज्य कब समाप्त कर दिया गया ? 
उत्तर:
1911 ई. में। 

प्रश्न 49. 
चीन में गणतंत्र की स्थापना कब व किसके नेतृत्व में की गयी? 
उत्तर:
चीन में गणतंत्र की स्थापना 1911 ई. में सन यात-सेन के नेतृत्व में की गयी। 

प्रश्न 50. 
आधुनिक चीन का संस्थापक किसे माना जाता है ? 
उत्तर:
सन यात-सेन को।

प्रश्न 51. 
सन यात-सेन का कार्यक्रम किसके नाम से प्रसिद्ध है ? 
उत्तर:
तीन सिद्धान्त राष्ट्रवाद, गणतंत्र और समाजवाद (सन, मिन, चुई) के नाम से। 

प्रश्न 52. 
सन यात-सेन ने किस राजनीतिक दल की स्थापना की थी ? 
उत्तर:
कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी। 

प्रश्न 53. 
किस चीनी राजनेता के विचार कुओमीनतांग के राजनीतिक दर्शन का आधार बने ? 
उत्तर:
सन यात-सेन के। 

प्रश्न 54. 
सन यात-सेन ने किन चार बड़ी आवश्यकताओं पर बल दिया। 
उत्तर:

  1. वस्त्र 
  2. भोजन
  3. मकान
  4. परिवहन। 

प्रश्न 55. 
सन यात-सेन के पश्चात् कुओमीनतांग का नेता कौन था ? 
उत्तर:
चियांग काईशेक। 

प्रश्न 56. 
कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) के नेता चियांग काइशेक के दो महत्वपूर्ण कार्य क्या थे?
उत्तर:
चियांग काइशेक ने चीन में वारलार्ड्स (युद्ध सांमतों) को अपने नियंत्रण में किया और साम्यवादियों को खत्म कर डाला।

प्रश्न 57. 
चीन में कुओमीनतांग (N.P.P.) का सामाजिक आधार किन क्षेत्रों में था? 
उत्तर:
शहरी क्षेत्रों में। 

प्रश्न 58. 
पीकिंग विश्वविद्यालय की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
1902 ई. में। 

प्रश्न 59. 
चीन में लाइफ वीकली पत्रिका का संपादन किसने किया ?
उत्तर:
शाओ तोआफेन ने। 

प्रश्न 60. 
जापानियों ने चीन पर कब हमला किया था ? 
उत्तर:
1937 ई. में। 

प्रश्न 61. 
चीन में साम्यवादी पार्टी की स्थापना कब हुई ? 
उत्तर:
1921 ई. में। प्रश्न 62. कौमिंटर्न और सोवियत संघ दुनिया की किन पार्टियों का समर्थन करते थे? 
उत्तर:
साम्यवादी पार्टियों का।

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प्रश्न 63. 
चीनी साम्यवादी पार्टी के प्रमुख नेता कौन थे ? 
उत्तर:
माओ त्सेतुंग। 

प्रश्न 64.
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार कब स्थापित हुई ? 
उत्तर:
1949 ई. में। 

प्रश्न 65. 
सर्वहारा की तानाशाही' शब्द का प्रयोग किसने किया था ? 
उत्तर:
कार्ल मार्क्स ने। 

प्रश्न 66. 
चीन में किसके नेतृत्व में कुओमीनतांग ने एक दमनकारी सरकार की स्थापना की? उत्तर-चियांग काईशेक के नेतृत्व में। 

प्रश्न 67. 
1978 ई. में चीनी साम्यवादी पार्टी ने आधुनिकीकरण के लिए किस चार सूत्री लक्ष्य की घोषणा की? 
उत्तर:

  1. विज्ञान
  2. उद्योग
  3. कृषि एवं
  4. रक्षा का विकास।

प्रश्न 68. 
चीन में महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति किसने और कब शुरू की? 
उत्तर:
माओ त्सेतुंग द्वारा 1965 में। 

प्रश्न 69. 
सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति के द्वारा किसके खिलाफ अभियान छेड़ा गया था? 
उत्तर:
पुरानी संस्कृति, पुराने रिवाजों और पुरानी आदतों के खिलाफ़।

प्रश्न 70. 
चीन की नेशनल पीपुल्स पार्टी (कुओमीनतांग) का नेता चियांग काईशेक ताइवान कब व क्यों भाग गया?
उत्तर:
चीनी साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के बाद चियांग काईशेक 1944 ई. में ताइवान भाग गया था। 

प्रश्न 71. 
चियांग काईशेक ने चीनी गणतन्त्र की स्थापना कहाँ की? 
उत्तर:
ताइवान में। 

प्रश्न 72. 
ताइवान की अर्थव्यवस्था किस पर आधारित थी?
उत्तर:
ताइवान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः व्यापार पर आधारित थी। 

प्रश्न 73. 
ताइवान को किस देश का एक भाग माना जाता है ? 
उत्तर:
चीन का। 

प्रश्न 74. 
कोरिया पर किस राजवंश का शासन था? इसने कोरिया पर कितने वर्षों तक शासन किया? 
उत्तर:
जोसोन राजवंश का। इस राजवंश ने कोरिया पर लगभग 500 वर्षों (1392-1910) तक शासन किया। 

प्रश्न 75. 
कोरिया पर किस देश ने कब्जा कर लिया अथवा उसे जबरन उपनिवेश बनाया? 
उत्तर:
जापान ने 1910 में जबरन कोरिया पर कब्जा करके उसे अपना उपनिवेश बना लिया। 

प्रश्न 76. 
कोरिया में जोसोन राजवंश का अंत किसने किया? 
उत्तर:
जापानियों द्वारा कोरिया को उपनिवेश बनाने के पश्चात कोरिया में जोसोन राजवंश का अंत हो गया। 

प्रश्न 77. 
कोरिया पर जापानी औपनिवेशिक शासन का अंत कब हुआ?
उत्तर:
कोरिया में जापानी औपनिवेशिक शासन 35 साल के बाद अगस्त 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के बाद समाप्त हुआ।

प्रश्न 78. 
जापानी मुक्ति के बाद कोरियाई उपद्वीप को कितने भागों में विभाजित कर दिया गया? 
उत्तर:
दो भागों में-उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया में। 

प्रश्न 79. 
दक्षिण कोरिया का प्रथम राष्ट्रपति किसे और कब चुना गया?
उत्तर:
सिंगमैन री को दक्षिण कोरिया का प्रथम राष्ट्रपति, 1948 में कोरियायी युद्ध के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया।

प्रश्न 80. 
दक्षिण कोरिया के सैन्य नेता ‘पार्क चुंग-ही' राष्ट्रपति कब बने? 
उत्तर:
अक्टूबर, 1963 के चुनाव में।
आधुनिकीकरण के रास्ते (383) 

प्रश्न 81. 
कोरिया में 'सैमोल' आंदोलन की शुरुआत कब और क्यों हुई?
उत्तर:
1970 में ग्रामीण जनसंख्या को प्रोत्साहन और कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सैमोल (नया गाँव) आंदोलन की शुरुआत हुई।

प्रश्न 82. 
कोरिया ने अपनी आर्थिक वृद्धि किस प्रकार की?
उत्तर:
मजबूत नेताओं, प्रशिक्षित अधिकारियों, आक्रामक उद्योगपतियों और सक्षम श्रम बल के संयोजन से कोरिया आज समस्त विश्व को अपनी आर्थिक वृद्धि से चौंका रहा है।

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प्रश्न 83. 
कोरियाई पार्क प्रशासन की दीर्घकालिक शक्ति का आधार क्या था? 
उत्तर:
कोरिया का आर्थिक विकास। 

प्रश्न 84. 
कोरियाई 'पार्क प्रशासन' की समाप्ति कब हुई? 
उत्तर:
अक्टूबर 1979 में 'पार्क चुंग-ही' की हत्या के साथ कोरिया के पार्क प्रशासन की समाप्ति हो गयी। 

प्रश्न 85. 
चुन डू- हवन किस प्रकार कोरियाई राष्ट्रपति बने? 
उत्तर:
यूसुइन' संविधान के तहत एक अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम से 'चुन डू-हवन' कोरिया के राष्ट्रपति बने। 

प्रश्न 86. 
कोरिया में चुन प्रशासन ने अपनी सरकार को स्थिर बनाने के लिए क्या किया? 
उत्तर:
चुन प्रशासन ने अपनी सरकार को स्थिर बनाने के लिए लोकतांत्रिक प्रभाव का मजबूती से दमन किया। 

प्रश्न 87. 
कोरिया में सैन्य शासन के बाद किस नागरिक नेता को राष्ट्रपति चुना गया? 
उत्तर:
1992 में दशकों से चल रहे सैन्य-शासन के बाद, नागरिक नेता किम यंग-सैम का राष्ट्रपति चुना गया। 

प्रश्न 88. 
कोरिया की प्रथम महिला राष्ट्रपति किसे चुना गया? 
उत्तर:
2012 में रूढ़िवादी पार्टी की नेता ‘पार्क खन-हे' को प्रथम महिला राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। 

प्रश्न 89. 
जापान का आधुनिकीकरण कैसे वातावरण में हुआ ? 
उत्तर:
जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावरण में हुआ जहाँ पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का प्रभुत्व था। 

प्रश्न 90. 
मेज़ी स्कूल पद्धति में किस विषय का अध्ययन करना अनिवार्य था ?
उत्तर:
नैतिकशास्त्र का।

लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA1)

प्रश्न 1. 
नाइतो कोनन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
नाइतो कोनन चीन पर कार्य करने वाले एक प्रमुख जापानी विद्वान थे। इनके लेखन से अन्य जापानी लेखक बहुत अधिक प्रभावित हुए। इन्होंने 1907 ई. में जापान के क्योतो विश्वविद्यालय में प्राच्य अध्ययन का विभाग बनाने में मदद की। इन्होंने अपने कार्य में पश्चिमी लेखन की नई तकनीकों एवं अपने पत्रकारिता के अनुभवों का प्रयोग किया।

प्रश्न 2. 
चीन और जापान के भौतिक भूगोल में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:

  1. चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है। इसमें विभिन्न प्रकार के जलवायु क्षेत्र हैं, जबकि जापान एक द्वीपीय देश है। इसके चार प्रमुख द्वीप हैं-होंशू, क्यूशू, शिकोकू व होकाइदो।
  2. चीन भूकम्पविहीन क्षेत्र में स्थित है, जबकि जापान अत्यधिक सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में स्थित है। 

प्रश्न 3. 
जापान के बारे में सामान्य जानकारी दीजिए।
उत्तर:
जापान एशियाई महाद्वीप में स्थित द्वीपीय देश है। जिसमें चार बड़े द्वीप- होंशू, क्यूशु, शिकोकू व होकाइदो हैं। इसके मुख्य द्वीपों की आधी भूमि पहाड़ी है। यह देश एक सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में स्थित है। यहाँ की अधिकांश जनसंख्या जापानी है। यहाँ की मुख्य फसल चावल है। यहाँ समुद्र से मछलियाँ भी पकड़ी जाती हैं।

प्रश्न 4. 
जापान की जनसांख्यिकीय विशेषता बताइए। 
उत्तर:
जापान की अधिकांश जनसंख्या जापानी है। इसके अतिरिक्त यहाँ अल्प मात्रा में आयनू व कोरियाई मूल के लोग भी रहते हैं। कोरिया के लोगों को यहाँ उस समय श्रमिकों के रूप में लाया गया था जब कोरिया, जापान का उपनिवेश था।

प्रश्न 5. 
जापान के भोजन पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जापान के लोगों का मुख्य भोजन चावल है। मछली भी भोजन का प्रमुख स्रोत है। यहाँ कच्ची मछली साशिमी या सूशी बहुत ही लोकप्रिय हैं, क्योंकि इसे बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है।

प्रश्न 6. 
सोलहवीं शताब्दी के अंतिम चरण में किन परिवर्तनों ने जापान के राजनीतिक विकास की भूमिका तैयार करने में योगदान दिया ?
उत्तर:

  1. कृषकों से हथियार ले लिए गए। इससे शांति और व्यवस्था बनी रही।
  2. दैम्यो (क्षेत्रीय शासकों) को अपने क्षेत्रों की राजधानी में रहने के आदेश दिए गए। उन्हें काफ़ी सीमा तक स्वायत्तता प्रदान की गई थी।
  3. मालिकों एवं करदाताओं का निर्धारण करने के लिए भूमि का सर्वेक्षण किया गया तथा भूमि का वर्गीकरण उत्पादकता के आधार पर किया गया। इन सबका उद्देश्य राजस्व के लिए स्थायी आधार बनाना था।

प्रश्न 7. 
17वीं शताब्दी के मध्य तक जापानी नगरों की स्थिति बताइए।
उत्तर:
17वीं शताब्दी के मध्य तक एदो (तोक्यो) दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर बन गया। ओसाका व क्योतो भी बड़े नगरों के रूप में उभरे। इसके अतिरिक्त जापान में कम से कम छः दुर्गों वाले शहर ऐसे थे, जहाँ की जनसंख्या पचास हजार से अधिक थी।

प्रश्न 8. 
निशिजिन के रेशम उद्योग के बारे में बताइए।
उत्तर:
निशिजिन क्योतो (जापान) की एक प्रमुख बस्ती थी। 1713 ई. में यहाँ केवल रेशम का ही प्रयोग किया जाने लगा जिससे रेशम उद्योग को और अधिक प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। यहाँ केवल विशिष्ट प्रकार के महँगे उत्पाद बनते थे। 1859 ई. में विदेशी व्यापार की शुरुआत होने से रेशम उद्योग जापान की अर्थव्यवस्था के लिए लाभ का एक प्रमुख स्रोत बन गया।

प्रश्न 9. 
मेज़ी पुनर्स्थापना से क्या आशय है ?
उत्तर:
जापान में सम्राट के नेतृत्व में ताकुगावा वंश का शासन था। तोकुगावा परिवार के लोग शोगुन नामक पद पर रहकर शासन करते थे। 1867-68 ई. में इनका शासन समाप्त कर दिया गया। इनके स्थान पर नये अधिकारी, सेना व सलाहकार सामने आए। इस प्रकार देश में सम्राट पुनः सर्वेसर्वा हो गया। उसने मेज़ी की उपाधि प्राप्त कर ली। जापानी इतिहास में इस घटना को 'मेज़ी पुनर्स्थापना' के नाम से जाना जाता है।

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प्रश्न 10. 
सम्राट मेजी ने जापान में 'फुकोक क्योहे' का नारा क्यों दिया था ?
उत्तर:
फुकोकु क्योहे का आशय था-समृद्ध देश, मजबूत सेना। वास्तविक रूप से मेज़ी सरकार ने यह महसूस किया था कि उन्हें अपनी अर्थव्यवस्था का विकास व मजबूत सेना के निर्माण की आवश्यकता है अन्यथा हम भारत की तरह परतंत्र बन जायेंगे। इसलिए सम्राट मेज़ी ने जापान में फुकोकु क्योहे का नारा दिया था।

प्रश्न 11. 
सम्राट व्यवस्था में जापानी विद्वानों का क्या आशय था ?
उत्तर:
सम्राट व्यवस्था में जापानी विद्वानों का आशय एक ऐसी व्यवस्था से था जिसमें सम्राट, नौकरशाही एवं सेना तीनों एक साथ मिलकर शासन का संचालन करते थे। इस व्यवस्था में नौकरशाही तथा सेना, सम्राट के प्रति उत्तरदायी होती थी।

प्रश्न 12. 
जापान में सम्राट के पद को किस प्रकार महत्व प्रदान किया गया ?
उत्तर:
जापान में सम्राट को सूर्य देव का वंशज माना गया। उसे पश्चिमीकरण का नेता बनाया गया। सम्राट के जन्मदिन पर देशभर में छुट्टी की गई तथा सम्राट पश्चिमी ढंग के सैनिक कपड़े पहनने लगा और उसके नाम से आधुनिक संस्थाएँ स्थापित करने के अधिनियम जारी किए जाने लगे। इस तरह जापान में सम्राट के पद को महत्व प्रदान किया गया।

प्रश्न 13. 
जापान की नयी विद्यालय शिक्षा व्यवस्था को बताइए।
उत्तर:
1870 ई. के दशक में जापान में एक नयी विद्यालय-शिक्षा व्यवस्था को अपनाया गया। इस व्यवस्था के अनुसार सभी लड़के व लड़कियों के लिए विद्यालय जाना अनिवार्य कर दिया गया। पढ़ाई की फीस को कम रखा गया। 1910 ई. तक जापान में ऐसी स्थिति आ गयी कि कोई भी लड़का व लड़की विद्यालय जाने से वंचित नहीं रहा।

प्रश्न 14. 
1870 के दशक तक, जापान में किस तरह की शिक्षा पर बल दिया जाने लगा?
उत्तर:
जापान में शुरू में पाठ्यचर्या पश्चिमी मॉडल पर आधारित थी। लेकिन 1870 के दशक के आते-आते आधुनिक विचारों पर जोर देने के साथ-साथ राज्य के प्रति निष्ठा और जापानी इतिहास के अध्ययन पर बल दिया जाने लगा।

प्रश्न 15. 
मेज़ी सरकार द्वारा किए गए कोई दो परिवर्तनों के बारे में बताइए।
उत्तर:

  1. राष्ट्र के एकीकरण के लिए पुराने गाँवों एवं क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया गया।
  2. 20 वर्ष से अधिक आयु वाले प्रत्येक नवयुवक के लिए एक निश्चित समय के लिए सेना में कार्य करना अनिवार्य कर दिया गया।

प्रश्न 16. 
मेज़ी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के आधुनिकीकरण के लिए किये गये कोई चार कार्यों को लिखिए। 
उत्तर:

  1. कृषि पर कर लगाकर धन एकत्रित किया गया। 
  2. वस्त्र उद्योग के लिए मशीनें यूरोप से आयात की गयीं। 
  3. श्रमिकों के प्रशिक्षण हेतु विदेशी प्रशिक्षकों को जापान बुलाया गया। 
  4. रेल लाइनों का विकास किया गया।

प्रश्न 17. 
1920 ई. के पश्चात् जापान ने अपने देश में जनसंख्या के दबाव को कम करने के लिए क्या प्रयास किए?
उत्तर:
1920 ई. के पश्चात् जापान ने अपने देश में जनसंख्या का दबाव कम करने के लिए प्रवास को बढ़ावा दिया। जापानी सरकार ने पहले लोगों को उत्तरी द्वीप होकाइदो (होकेडो) की ओर भेजा, तत्पश्चात् हवाई द्वीप, ब्राजील और जापान के बढ़ते हुए औपनिवेशिक साम्राज्य की ओर भेजा गया।

प्रश्न 18. 
जापान में अधिकांश मजदूर किस तरह के कारखानों में कार्य करते थे?
उत्तर:
जापान में अधिकांश मज़दूर ऐसी इकाइयों में काम करते थे, जिनमें 5 से कम लोग थे। इन औद्योगिक इकाइयों में मशीनों और विद्युत ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं होता था। ईंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग होता था।

प्रश्न 19. 
जापान में औद्योगीकरण का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
सन् 1940 ई. तक जापान में 5.50 लाख कारखाने हो गये थे। इन उद्योगों के तीव्र एवं अनियंत्रित विकास से तथा लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग से पर्यावरण का विनाश होने लगा। साथ ही साथ औद्योगिक प्रदूषण भी फैलने लगा, जिसका जापान में विरोध होने लगा।

प्रश्न 20. 
फुफुज़ावा यूकिची ने ऐसा क्यों कहा-“जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए।"
उत्तर:
फुफुज़ावा यूकिची, जापान में मेजी काल के प्रमुख बुद्धिजीवियों में से थे। उनके समय में अमरीका और पश्चिमी यूरोपीय देश सभ्यता की ऊँचाइयों पर पहुँचे। इसलिए उन्होंने कहा कि जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए। अर्थात् जापान को अपने एशियाई लक्षण छोड़कर पश्चिमी लक्षण अपनाने चाहिए।

प्रश्न 21. 
जापान के पश्चिमीकरण के सवाल पर दर्शनशास्त्री मियाके सेत्सुरे ने क्या तर्क दिया?
उत्तर:
जापान में पश्चिमी विचारों को मियाके सेत्सुरे (1860-1945) ने पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया और कहा कि राष्ट्रीय गर्व देशी मूल्यों पर निर्मित होना चाहिए। उन्होंने तर्क पेश किया कि विश्व सभ्यता के हित में प्रत्येक राष्ट्र को अपने विशेष कौशल का विकास करना चाहिए। अपने को अपने देश के लिए समर्पित करना चाहिए।

प्रश्न 22. 
1945-47 ई. के दौरान जापान पर अमरीकी नियंत्रण का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर:
1945-47 ई. के दौरान जापान पर अमरीकी नियंत्रण का यह प्रभाव पड़ा कि जापान का विसैन्यीकरण कर दिया गया तथा एक नया संविधान लागू किया गया। इसके अनुच्छेद-9 में 'युद्ध न करने की' तथाकथित धारा के अनुसार जापान युद्ध को अपनी राष्ट्रीय नीति नहीं बना सकता था।

प्रश्न 23. 
अमरीका से हारने के पश्चात् जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का किस प्रकार पुनर्निर्माण किया ?
उत्तर:
अमरीका से हारने के पश्चात् जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का तीव्र गति से पुनर्निर्माण किया। संविधान को औपचारिक स्तर पर गणतंत्र रूप दिया गया। राजनीति में बौद्धिक सक्रियता बढ़ी। इसके अतिरिक्त अमरीकी समर्थन तथा कोरिया व वियतनाम में युद्ध से जापानी अर्थव्यस्था को सहायता प्राप्त हुई।


प्रश्न 24. 
क्विंग सुधारकों ने चीनी व्यवस्था को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए क्या कार्य किए ?
उत्तर:
कांग यूवेई व लियांग किचाउ जैसे क्विंग सुधारकों ने चीनी व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए आधुनिक व्यवस्था, प्रशासन, नई सेना तथा शिक्षा व्यवस्था के निर्माण के लिए नीतियाँ बनाईं तथा संवैधानिक सरकार की स्थापना के लिए स्थानीय विधायिकाओं का गठन किया। उन्होंने चीन को उपनिवेशीकरण से बचाने की जरूरत भी महसूस की।

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प्रश्न 25. 
1903 ई. में चीनी विचारक लियांग किचाउने भारत की आलोचना करते हुए क्या विचार व्यक्त किए?
उत्तर:
1903 ई. में चीनी विचारक लियांग किचाउ ने कहा कि भारत एक ऐसा देश है, जो किसी अन्य देश द्वारा नहीं बल्कि एक कम्पनी-ईस्ट इंडिया कम्पनी के हाथों बर्बाद हो गया। उन्होंने ब्रिटेन की सेवा करने एवं अपने ही लोगों के प्रति क्रूर होने के लिए भी भारतीयों की आलोचना की।

प्रश्न 26. 
कन्फयूशियसवाद क्या था ?
उत्तर:
कन्फयूशियसवाद एक विचारधारा थी जो चीन में प्रचलित थी। यह विचारधारा कन्फयूशियस (551-479 ई.) और उनके अनुयायियों की शिक्षा से विकसित की गयी थी। इसका सम्बन्ध अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी व उसके उचित सामाजिक सम्बन्धों से था। इस विचारधारा ने चीन में सामाजिक भावना स्थापित की तथा चीनी राजनीतिक सोच व संगठन को ठोस आधार प्रदान किया।

प्रश्न 27. 
1905 ई. में अभिजात सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश हेतु प्रचलित परीक्षा प्रणाली को क्यों समाप्त कर दिया गया?
उत्तर:
1905 ई. में अभिजात सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश हेतु प्रचलित परीक्षा प्रणाली में केवल साहित्यिक कौशल पर ही बल दिया जाता था। यह शास्त्रीय चीनी सीखने की कला पर ही आधारित थी, जिसका वर्तमान विश्व में कोई औचित्य दिखाई नहीं देता था। यह परीक्षा विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास में भी बाधक दिखाई देती थी। इन सब कारणों से 1905 ई. में इस परीक्षा प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 28. 
चीन में गणतंत्र की स्थापना किस प्रकार हुई?
उत्तर:
1911 ई. में चीन में मांचू साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया, तत्पश्चात् एक चिकित्सक सन यात-सेन के नेतृत्व में गणतंत्र की स्थापना की गई। राष्ट्रवाद के द्वारा चीन में विदेशी सत्ता (मांचू वंश) को हटाना, गणतन्त्र की स्थापना करके चीन से साम्राज्यवादियों को हटाकर तथा देश में समाजवाद लाने के विचार ने चीन में गणतन्त्र स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।

प्रश्न 29. 
सन यात-सेन कौन थे ?
उत्तर:
सन यात-सेन आधुनिक चीन के संस्थापक माने जाते हैं। इनके नेतृत्व में ही मांचू साम्राज्य की समाप्ति के पश्चात् चीन में गणतंत्र की स्थापना की गयी। ये पेशे से एक चिकित्सक थे। इनका कार्यक्रम तीन सिद्धान्त (सन, मिन, चुई) के नाम से मशहूर हुआ। ये तीन सिद्धान्त थे, राष्ट्रवाद, गणतंत्र स्थापना व समाजवाद। इन्हें चीनी गणतंत्र का प्रथम राष्ट्रपति बनाया गया।

प्रश्न 30. 
चियांग काईशेक ने चीन में महिलाओं को किसके लिए प्रोत्साहित किया?
उत्तर:
कुओमीनतांग के नेता चियांग काईशेक ने चीन में महिलाओं को चार सद्गुण पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये चार सद्गुण थे-सतीत्व, रूप-रंग, वाणी और काम। उन्होंने महिलाओं की भूमिका को घरेलू स्तर पर ही देखने पर बल दिया।

प्रश्न 31. 
चीन को एकीकृत करने के प्रयासों के बावजूद कुओमीनतांग असफल क्यों हो गया ?
उत्तर:
क्योंकि कुओमीनतांग का सामाजिक आधार संकीर्ण था तथा राजनीतिक दृष्टिकोण भी सीमित था। सन यात सेन द्वारा संचालित कार्यक्रमों, जैसे- पूँजी का नियमन व भूमि के अधिकारों में समानता लाने के विचारों को कभी कुओमीनतांग द्वारा काम में नहीं लिया गया। इसके अतिरिक्त किसानों की अनदेखी की गयी तथा लोगों की समस्याओं पर ध्यान न दिये जाने के कारण कुओमीनतांग असफल हो गया।

प्रश्न 32. 
1945 ई. से 1949 ई. की अवधि के दौरान ग्रामीण चीन को किन-किन संकटों का सामना करना पड़ा? 
उत्तर

  1. पर्यावरण सम्बन्धी संकट-इसके अन्तर्गत बंजर भूमि, वनों का विनाश एवं बाढ़ आदि सम्मिलित थे।
  2. सामाजिक-आर्थिक संकट-इन संकटों का जन्म विनाशकारी भूमि प्रथा, प्राचीन तकनीकी ज्ञान एवं निम्न स्तरीय संचार के कारण हुआ।

प्रश्न 33. 
माओ त्सेतुंग ने चीन में क्या-क्या सुधार किए ?
उत्तर:
माओ त्सेतुंग ने कुओमीनतांग पर विजय प्राप्त कर सुरक्षित शिविर लगाए, मज़बूत किसान परिषद (सोवियत) का गठन किया, स्वतंत्र सरकार एवं सेना के गठन पर बल दिया, ग्रामीण महिलाओं के विकास को प्रोत्साहन दिया, विवाह के लिए नये कानूनों का निर्माण किया तथा तलाक की प्रक्रिया को सरल बनाया।

प्रश्न 34. 
लाँग मार्च क्या था ? इसका क्या परिणाम निकला ?
उत्तर-लाँग मार्च, 1934 ई. में आयोजित चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की शांग्सी तक 6000 मील की एक यात्रा थी। इस यात्रा के पश्चात् येनान कम्युनिस्ट पार्टी का नया कार्यालय बन गया। यहाँ माओ त्सेतुंग ने सामंतवाद को समाप्त करने, भूमि सुधार करने एवं विदेशी साम्राज्यवाद से लड़ने के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। इससे उन्हें एक मजबूत सामाजिक आधार प्राप्त हुआ।

प्रश्न 35. 
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' की स्थापना कब हुई? यह रूस की साम्यवादी सरकार से किस प्रकार भिन्नता रखती थी?
उत्तर:
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' की स्थापना 1949 ई. में हुई। यह नए लोकतंत्र के सिद्धान्तों पर आधारित थी, जो सभी सामाजिक कार्यों का गठबंधन था जबकि रूस की साम्यवादी सरकार का आधार सर्वहारा वर्ग की तानाशाही था।

प्रश्न 36. 
सर्वहारा वर्ग की तानाशाही' से क्या आशय था?
उत्तर:
सर्वहारा वर्ग की तानाशाही शब्द कार्ल मार्क्स द्वारा प्रयोग किया गया था। इसमें यह बल दिया गया था कि धनिक वर्ग की दमनकारी सरकार को श्रमिक वर्ग की क्रान्तिकारी सरकार प्रतिस्थापित कर देगी। यह लोकतंत्र वर्तमान अर्थ में अधिनायक तंत्र नहीं होगा।

प्रश्न 37. 
लम्बी छलांग वाले आन्दोलन की नीति के माध्यम से चीन में क्या कार्य किए गए?
उत्तर:
1958 ई. में लम्बी छलांग वाले आन्दोलन की नीति के माध्यम से चीन में तीव्र गति से औद्योगीकरण करने की कोशिश की गई। लोगों को अपने घर के पिछले हिस्से में इस्पात की भट्टियाँ लगाने हेतु प्रोत्साहित किया गया तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पीपुल्स कम्यून्स प्रारम्भ किए गए, जहाँ लोग मिलजुलकर फसल उगाते थे।

प्रश्न 38. 
पीपुल्स कम्यून्स क्या थे ?
उत्तर:
पीपुल्स कम्यून्स कृषि फार्म थे, जो चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रारम्भ किए गए थे। इनमें लोग सामूहिक रूप से भूमि के स्वामी होते थे तथा वे मिलजुलकर फसल उगाते थे। 1958 ई. तक चीन में 26000 ऐसे समुदाय थे, जो कृषक संख्या का लगभग 98 प्रतिशत थे।

प्रश्न 39. 
लीऊ शाओछी और तंग शीयाओफींग ने चीन में 'कम्यून प्रथा' बदलने की कोशिश क्यों की?
उत्तर:
उन्होंने कम्यून प्रथा को बदलने की कोशिश इसलिए की, क्योंकि यह प्रथा बहुत कुशलता से काम नहीं कर रही थी। घरों के पिछवाड़ों में बनाया गया इस्पात औद्योगिक दृष्टि से अनुपयोगी था।

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प्रश्न 40. 
चीन पर सांस्कृतिक क्रांति का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर-चीन पर सांस्कृतिक क्रांति का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। सांस्कृतिक क्रांति से देश में अव्यवस्था फैल गयी। इससे साम्यवादी पार्टी कमजोर हो गयी तथा अर्थव्यवस्था व शिक्षा प्रसार में भारी रुकावट आयी।

प्रश्न 41. 
चीन में 'समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था' का सूत्रपात किसने किया?
उत्तर:
तंग शीयाओफींग ने चीन में 'समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था' की शुरुआत की। 1978 में आधुनिकीकरण के अपने चार-सूत्री लक्ष्य की घोषणा की गयी। यह था-विज्ञान, उद्योग, कृषि और रक्षा का विकास।

प्रश्न 42. 
1989 ई. में 4 मई के आन्दोलन की 70वीं वर्षगाँठ पर चीन में क्या घटना घटित हुई ?
उत्तर:
1989 ई. में 4 मई को बीजिंग आन्दोलन की 70वीं वर्षगाँठ पर चीन के अनेक बुद्धिजीवियों ने अधिक खुलेपन की माँग की तथा कठोर सिद्धान्तों को समाप्त करने के लिए आवाज उठाई और बीजिंग के तियानमेन चौक पर लोकतंत्र की माँग करने वाले छात्रों के प्रदर्शन का क्रूरतापूर्वक दमन कर दिया गया।

प्रश्न 43. 
वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ताइवान की क्या स्थिति है ?
उत्तर:
वर्तमान में राजनयिक स्तर पर अधिकतर देशों के व्यापार मिशन केवल ताइवान में ही स्थापित हैं, परन्तु वे ताइवान में अपना दूतावास स्थापित नहीं कर सकते तथा न ही वहाँ की सरकार के साथ राजनयिक सम्बन्ध स्थापित कर सकते हैं। इसका कारण यह है कि ताइवान को आज भी चीन का एक अंग माना जाता है।

प्रश्न 44. 
उन्नीसवीं सदी के अंत में कोरिया ने किस संघर्ष का सामना किया?
उत्तर:
कोरिया पर जोसोन वंश का शासन 1392 से 1910 तक रहा। लेकिन उन्नीसवीं सदी के अंत में उसने आंतरिक और सामाजिक संघर्ष का सामना किया। साथ ही उसे चीन, जापान और पश्चिमी देशों का विदेशी दबाव भी सहना पड़ा।

प्रश्न 45. 
कोरियाई लोगों ने जापानी औपनिवेशक शासन के विरुद्ध क्या किया?
उत्तर:
आजादी के इच्छुक कोरियाई लोगों ने जापानी औपनिवेशिक शासन के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने एक अस्थाई सरकार की स्थापना की तथा कैरो, याल्टा और पॉट्सडैम सम्मेलनों जैसी अन्तर्राष्ट्रीय बैठकों में विदेशी नेताओं से अपील करने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे।

प्रश्न 46. 
जापान से मुक्ति के बाद कोरिया को कितने भागों में विभाजन कर दिया गया?
उत्तर:
जापान औपनिवेशिक शासन के 35 साल बाद अगस्त 1945 में कोरियाई उपद्वीप को अस्थायी रूप से 38वीं समांतर रेखा द्वारा दो भागों में विभाजित कर दिया गया। उत्तरी क्षेत्र में सोवियत संघ और दक्षिण क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र संघ (यू. एन.ओ.) द्वारा संचालन किया गया। फिर 1948 ई. में उत्तर कोरिया तथा दक्षिण कोरिया के रूप में यह विभाजन स्थायी हो गया।

प्रश्न 47. 
कोरियाई युद्ध कब शुरू हुआ? यह किस प्रकार लड़ा गया?
उत्तर:
जून 1950 में कोरियाई युद्ध शुरू हुआ। दक्षिण कोरिया में अमरीकी अगुवाई वाली संयुक्त राष्ट्र सेना और उत्तर कोरिया में कम्युनिस्ट चीन सेना के समर्थन से शीत युद्ध काल का एक छद्म युद्ध शुरू हुआ। तीन साल बाद 1953 ई. में यह युद्ध समाप्त हुआ।

प्रश्न 48. 
दक्षिण कोरिया के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे? वे कितनी बार और किस प्रकार राष्ट्रपति बने?
उत्तर:
दक्षिण कोरिया के प्रथम राष्ट्रपति 'सिन्गमैन री' 1948 में कोरियायी युद्ध के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से चुने गये थे, लेकिन उन्होंने अवैध संवैधानिक संशोधन के माध्यम से दो बार अपना प्रशासन काल बढ़ाया।

प्रश्न 49. 
दक्षिण कोरिया में किसके द्वारा लोकतांत्रिक पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंका गया?
उत्तर:
मई 1961 में जनरल 'पार्क चुंग-ही' और अन्य सेना के अधिकारियों ने सैन्य तख्ता पलट द्वारा लोकतांत्रिक पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंका। जनरल 'पार्क' को सत्ता की बागडोर सौंप दी गयी। .

प्रश्न 50.
दक्षिण कोरिया में पार्क-प्रशासन' ने देश में किस प्रकार आर्थिक विकास किया?
उत्तर:
अक्टूबर 1963 के चुनाव में सैन्य-नेता 'पार्क चुंग-ही' राष्ट्रपति बने। पार्क-प्रशासन ने देश में आर्थिक विकास के लिए एक राज्य आधारित निर्यात-उन्मुख नीति अपनाई। सरकार की पाँच वर्षीय योजनाओं ने बड़े कॉरपोरेट फर्मों का समर्थन किया, रोजगार के विस्तार पर भारी जोर दिया और कोरिया की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा दिया।

प्रश्न 51. 
क्या शिक्षा ने भी दक्षिण कोरिया के आर्थिक विकास में योगदान दिया?
उत्तर:
हाँ, उच्च स्तर की शिक्षा ने भी कोरिया के आर्थिक विकास में योगदान दिया। दक्षिण कोरिया में औद्योगीकरण की शुरुआत से, लगभग सभी कोरियाई श्रमिक दल पहले से ही साक्षर थे और प्रगति के लिए नये कौशल प्राप्त करने के लिए तैयार थे।

प्रश्न 52. 
दक्षिण कोरिया में प्रथम बार शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण कब हुआ?
उत्तर:
दिसम्बर 1997 में, एक लम्बे समय के बाद कोरिया में पहली बार शांतिपूर्ण हस्तांतरण हुआ, जिसमें विपक्षी पार्टी के नेता किम डे-जुंग सत्ता में आये।

प्रश्न 53. 
दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग क्यों लाया गया? इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
अक्टूबर 2016 में यह बात उठने लगी थी कि प्रथम महिला राष्ट्रपति 'पार्क खन-हे' के स्थान पर उनके एक नजदीकी मित्र गुप्त रूप से सरकारी मामलों का प्रबंधन करते थे। इस आरोप के बाद उनके खिलाफ़ राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन हुए। जिसके फलस्वरूप मार्च 2017 में उन पर महाभियोग चलाकर उन्हें राष्ट्रपति पद से हटा दिया गया।

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लघूत्तरात्मक प्रश्नोत्तर (SA2)

प्रश्न 1. 
नाइतो कोनन कौन था तथा वह क्यों प्रसिद्ध था ? बताइए।
उत्तर-नाइतो कोनन एक लेखक था जिसका जन्म 1866 ई. में जापान में हुआ था। इन्होंने चीन पर बहुत अधिक कार्य किया। इनके लेखन ने अन्य जापानी लेखकों को प्रभावित किया। जापान में चीन का अध्ययन करने की एक लम्बी परम्परा रही है। नाइतो ने अपने कार्य में पश्चिमी इतिहास लेखन की नवीन तकनीकों एवं अपने पत्रकारिता के अनुभवों का उपयोग किया। उन्होंने 1907 ई. में क्योतो विश्वविद्यालय में प्राच्य अध्ययन का विभाग बनाने में सहायता प्रदान की। शिनारॉन में उन्होंने यह तर्क दिया कि गणतांत्रिक सरकार के माध्यम से चीनी लोग शुंग राजवंश के काल से चले आ रहे अभिजात वर्ग के नियंत्रण एवं केन्द्रीय सत्ता को समाप्त कर सकते हैं। उनका मत था कि स्थानीय समाज को पुनर्जीवित करने का यही एक रास्ता है और यहीं से ही सुधार प्रारम्भ होने चाहिए। उन्हें चीन के इतिहास में वे सभी क्षमताएँ दृष्टिगोचर हुईं, जो चीन को एक देश के रूप में आधुनिक एवं लोकतांत्रिक बना सकती थीं। इन्होंने कहा कि चीन के विकास में जापान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, लेकिन वे चीनी राष्ट्रवाद की शक्ति का ठीक प्रकार से आकलन नहीं कर पाये।

प्रश्न 2. 
चीन की कुछ विशेषताएँ बताइए। उत्तर-चीन की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है जिसमें कई प्रकार की जलवायु वाले क्षेत्र हैं। 
  2. चीन में मुख्य रूप से तीन नदियाँ बहती हैं। ये हैं-पीली नदी (हुआंग हे), यांग्सी (छांग जिआंग) व पर्ल नदी। 
  3. चीन का अधिकांश भाग पहाड़ी है। 
  4. चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह हान है। अन्य जातीय समूहों में उइघुर, हुई, मांचू व तिब्बती आदि हैं।
  5. चीन की प्रमुख भाषा चीनी (पुतोंगहुआ) है। अन्य भाषाओं में कैंटनीज़ कैंटन (गुआंगजाओ) की बोली उए व शंघाईनीज आदि हैं।
  6. चीनी भोजनों में क्षेत्रीय विविधता पायी जाती है। चीन में सबसे प्रसिद्ध भोजन प्रणाली दक्षिणी या केंटोनी है। जो कैंटन व उसके आंतरिक प्रदेशों की है।

डिम सम प्रमुख भोजन है। उत्तर में गेहूँ मुख्य आहार है, शेचुआँ में तीखा भोजन एवं पूर्वी चीन में चावल व गेहूँ दोनों खाए जाते हैं।

प्रश्न 3.
जापान के भूगोल की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:
जापान के भूगोल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. जापान एक द्वीपीय देश है। यह चार बड़े द्वीपों-होंशू, क्यूशु, शिकोकू एवं होकाइदो (होकेडो) से.मिलकर बना है। सबसे दक्षिण में ओकिनावा द्वीपों की श्रृंखला है।
  2. जापान के मुख्य द्वीपों की लगभग 50 प्रतिशत से अधिक भूमि पहाड़ी है। 
  3. जापान एक सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में स्थित है।
  4. जापान की अधिकांश जनसंख्या जापानी है। कुछ आयनु अल्पसंख्यक व कोरिया के लोग भी रहते हैं। 
  5. जापान में पशुपालन नहीं होता है। 
  6. जापान की प्रमुख फसल चावल है तथा मछली प्रोटीन का मुख्य आहार है। 

प्रश्न 4. 
शोगुन कौन थे ? जापान की शासन व्यवस्था में उनकी भूमिका को बताइए।
उत्तर:
शोगुन-जापान में शासन का प्रमुख सम्राट होता था, जो क्योतो में निवास करता था। परन्तु बारहवीं शताब्दी में जापान की वास्तविक सत्ता शोगुनों (सामन्तों) के हाथ में आ गई, जो सैद्धान्तिक रूप से सम्राट के नाम पर शासन का संचालन करते थे। जापान की शासन व्यवस्था में शोगुनों (सामन्तों) की भूमिका-जापानी शासन व्यवस्था में सम्राट के पश्चात् शोगुन (सामन्त) एक पद होता था। जापान में 1603 ई. से 1867 ई. तक तोकुगावा परिवार के लोग शोगुन पद पर आसीन थे। इस काल में जापान 250 भागों में विभाजित था, जिसका शासन शोगुनों के नियंत्रण में दैम्यो संचालित करते थे। शोगुन जापान के प्रमुख शहरों एवं खदानों पर भी नियन्त्रण रखते थे। सामुराई (योद्धा वर्ग) कुलीन लोग थे, जो शोगुन और दैम्यो को शांति व्यवस्था में सहयोग करते थे। इस तरह जापान की शासन व्यवस्था में शोगुन महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते थे।

प्रश्न 5. 
तोकुगावा शोगुनों के शासनकाल में जापान के नगरों का विकास एवं उनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तोकुगावा शोगुनों के शासनकाल में जापान के नगरों का विकास-तोकुगावा परिवार के शोगुनों के शासनकाल में जापान 250 भागों में विभाजित था, जिनका शासन दैम्यो चलाते थे। दैम्यों की अपनी राजधानियाँ थीं। धीरे-धीरे उनका आकार बढ़ने लगा। 17वीं शताब्दी तक एदो (वर्तमान में तोक्यो) जापान का ही नहीं वरन् विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला नगर बन गया। एदो के अतिरिक्त ओसाका व क्योतो में भी जनसंख्या बढ़ने लगी। इस काल में जापान में कम-से-कम 6 ऐसे किले वाले शहरों का उदय हुआ जिनकी जनसंख्या 50,000 से अधिक थी। महत्व

  1. बड़े नगरों के विकास से जापान की वाणिज्यिक अर्थव्यवस्था का विकास हुआ तथा वित्त एवं ऋण सम्बन्धी प्रणालियाँ भी स्थापित हुईं।
  2. जापानी नगरों में जीवंत संस्कृति विकसित हुई। 
  3. व्यक्ति के गुण उसके पद से अधिक मूल्यवान समझे जाने लगे। 
  4. नगरों के व्यापारी वर्ग ने नाटकों व कलाओं को प्रोत्साहन प्रदान किया।
  5. लोगों की पढ़ने में रुचि से प्रतिभाशाली लेखकों को अपने लेखन से अच्छी जीविका चलाने का अवसर प्राप्त

हुआ।

प्रश्न 6. 
शोगुनों के शासनकाल में जापानी अर्थव्यवस्था में कौन-कौन से परिवर्तन आए ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
शोगुनों के शासनकाल में जापान को एक समृद्ध देश माना जाता था। इसका प्रमुख कारण यह था कि जापान, भारत से वस्त्र एवं चीन से रेशम जैसी कई वस्तुएँ मँगाता था, जो उस काल में विलासिता के अन्तर्गत आती थीं। जापान को इन वस्तुओं का मूल्य सोने व चाँदी में चुकाना पड़ता था, जिससे अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक भार पड़ा। अतः शोगुन शासकों ने बहुमूल्य वस्तुओं को देश से बाहर जाने पर रोक लगा दी। उन्होंने क्योतो के निशिजिन में रेशम के उत्पादन का प्रयास किया ताकि रेशम के आयात को कम किया जा सके। निशिजिन में रेशम उद्योग का तीव्र गति से विकास हुआ और यहाँ का रेशम सम्पूर्ण विश्व में अपनी गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध हो गया। यहाँ से रेशम का निर्यात होना प्रारम्भ हो गया, जिससे जापान की अर्थव्यवस्था में मजबूती आयी। मुद्रा के बढ़ते हुए प्रयोग एवं चावल के शेयर बाजार के निर्माण से यह जानकारी भी प्राप्त होती है कि जापानी अर्थव्यवस्था कई नवीन दिशाओं में विकसित हो रही थी।

प्रश्न 7. 
निशिजिन क्या है ? यह क्यों प्रसिद्ध हुई ?
उत्तर:
निशिजिन जापान के प्रमुख शहर क्योतो की एक बस्ती है। सोलहवीं शताब्दी में इस बस्ती में 31 परिवारों का एक बुनकर संघ था। 17वीं शताब्दी के अंत तक इस बस्ती में लगभग 70 हजार लोग निवास करते थे। यह बस्ती रेशम उत्पादन के लिए प्रसिद्ध थी। 1713 ई. में केवल देशी धागा प्रयोग करने के सरकारी आदेश जारी किए गए, जिससे इस उद्योग को बहुत अधिक प्रोत्साहन मिला। यहाँ विशिष्ट प्रकार के महँगे उत्पाद बनाये जाते थे। रेशम उत्पादन की प्रसिद्धि से यहाँ एक ऐसे क्षेत्रीय उद्यमी वर्ग का उदय हुआ जिसने आगे चलकर जापान के शोगुन शासकों को एक चुनौती प्रस्तुत कर दी। 1859 ई. में विदेशी व्यापार की शुरुआत होने पर यहाँ से रेशम का निर्यात जापानी अर्थव्यवस्था के लिए लाभ का एक प्रमुख स्रोत बन गया।

प्रश्न 8. 
मेज़ी शासन की पुनर्स्थापना किस प्रकार हुई? बताइए।
उत्तर:
मेज़ी शासन की पुनर्स्थापन के पीछे कई कारण थे। देश में तरह-तरह का असंतोष था। साथ ही अंतर्राष्ट्रीय व्यापार व कूटनीतिक संबंधों की माँग की जा रही थी। इसी बीच 1853 में अमरीका ने कॉमोडोर मेथ्यू पेरी (1794-1858) को जापानी सरकार से एक ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर करने की माँग के साथ भेजा, जिसमें जापान को अमरीका के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध बनाये जाने के लिए विवश किया गया।

अन्ततः जापान ने अगले साल 1854 ई. में ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर किए। पेरी के जापान आगमन ने जापानी राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डाला। इससे जापानी सम्राट का महत्व अचानक बढ़ गया। इससे पहले तक सम्राट के पास बहुत कम राजनैतिक अधिकार प्राप्त थे। सत्ता पर तोकुगावा शोगुनों का प्रभाव बहुत अधिक था। अत: 1867-68 ई. में एक आंदोलन द्वारा तोकुगावा वंश के शोगुनों को सत्ता से जबरन हटा दिया गया। केन्द्रीय शक्ति पुन: सम्राट मेज़ी के हाथों में आ गयी और इस प्रकार जापान में 'मेज़ी पुनर्स्थापना' हुई।

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प्रश्न 9. 
अमेरिकी कॉमोडोर मैथ्यू पेरी का जापान आगमन क्यों हुआ तथा इसका वहाँ की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
तोकुगावा वंश के शोगुनों के शासनकाल में अमेरिकी कॉमोडोर मैथ्यू पेरी ने 1853 ई. में जापान की यात्रा की।
इस यात्रा के पीछे अमरीका का उद्देश्य अपने व्यापारिक हितों की पूर्ति हेतु जापान में अपना प्रभाव बढ़ाना था। जापान, चीन और अमेरिका के मध्य में पड़ता था, जबकि अमरीका चीन में एक बड़े बाजार की सम्भावना देखता था। इसके अतिरिक्त अमरीका को प्रशांत महासागर में अपने जहाजी बेड़े के लिए ईंधन लेने का स्थान भी चाहिए था। उक्त समस्त कारणों को दृष्टिगत रखते हुए अमरीका सरकार ने मैथ्यू पेरी को जापान भेजा। उसने अमरीका सरकार के निर्देश पर जापान को अमरीका के साथ राजनयिक एवं व्यापारिक समझौते पर हस्ताक्षर करने की माँग की। जापान ने अमरीका की सैनिक शक्ति से भयभीत होकर 1854 ई. में समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए। पेरी के आगमन का जापानी राजनीति पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। इससे जापान के सम्राट का महत्व अचानक बढ़ गया। इससे पहले तक उसे बहुत कम राजनैतिक अधिकार प्राप्त थे। 1868 ई. में एक जन आंदोलन द्वारा तोकुगावा वंश के शोगुनों को सत्ता से हटा दिया गया तथा सम्राट मेज़ी को एदो लाया गया तथा एदो को जापान की राजधानी बनाकर उसका नामकरण तोक्यो किया गया।

प्रश्न 10. 
मेज़ी पुनर्स्थापना के पश्चात् जापान का बाहरी दुनिया से सम्बन्ध स्थापित करने के विषय पर वहाँ के लोगों के क्या विचार थे ? बताइए।
उत्तर:
मेज़ी पुनर्स्थापना के पश्चात् जापान का बाहरी दुनिया से सम्बन्ध स्थापित करने के विषय पर वहाँ के लोगों के भिन्न-भिन्न विचार थे। जापान के कुछ अधिकारीगण व लोग यह मानते थे कि कुछ यूरोपीय देश भारत व कई अन्य स्थानों पर औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित कर रहे थे तथा अंग्रेजों के हाथों चीन की हार के समाचार जापान में फैल चुके थे। इससे लोगों में यह भय उत्पन्न हो गया कि बाहरी दुनिया से सम्पर्क स्थापित करने पर जापान को भी उपनिवेश बनाया जा सकता है, अतः ऐसे लोगों ने विरोध प्रकट किया। वहीं दूसरी ओर बहुत से विद्वान एवं नेता यूरोप के नये विचारों व तकनीकों से प्रभावित थे। वे यूरोप से कुछ सीखना चाहते थे जबकि कुछ अन्य विद्वान यूरोपीय लोगों से दूरी बनाये रखने के पक्षधर थे। कुछ लोगों ने देश को बाहरी दुनिया के लिए धीरे-धीरे और सीमित रूप से खोलने के विषय में तर्क दिया।

प्रश्न 11.
जापान में मेज़ी सरकार द्वारा 'सम्राट व्यवस्था' का किस प्रकार पुनर्निर्माण किया गया ? उत्तर-जापान में मेज़ी सरकार द्वारा सम्राट व्यवस्था का निम्नलिखित प्रकार से पुनर्निर्माण किया गया

  1. जापान में मेज़ी सरकार ने कुछ अधिकारियों को राजतांत्रिक व्यवस्था को समझने के लिए यूरोप भेजा। 
  2. जापान के सम्राट के जन्म दिवस को देश में राष्ट्रीय अवकाश का दिन घोषित किया गया।
  3. सम्राट पश्चिमी ढंग की सैनिक वेशभूषा पहनने लगा। इसके साथ ही उसे पश्चिमीकरण का नेता भी बनाया गया।
  4. सम्राट के नाम से आधुनिक संस्थाएँ स्थापित करने के अधिनियम बनाए गए।
  5. सम्राट द्वारा जारी 1890 ई. की शिक्षा सम्बन्धी राजाज्ञा ने लोगों को पढ़ने, जनता के सार्वजनिक एवं साझे हितों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रेरित किया।

प्रश्न 12. 
जापान में 1870 ई. के दशक में निर्मित नवीन विद्यालय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइए। 'उत्तर-जापान में 1870 ई. के दशक में निर्मित नवीन विद्यालय व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. जापान में 1870 ई. के दशक में निर्मित नवीन विद्यालय व्यवस्था के तहत लड़के-लड़कियों को विद्यालय जाना अनिवार्य कर दिया गया।
  2. शिक्षा पर होने वाले व्यय अर्थात् फीस को बहुत कम कर दिया गया।
  3. आरम्भ में शिक्षा का पाठ्यक्रम पश्चिमी देशों के पाठ्यक्रमों पर आधारित था लेकिन 1870 ई. से पाठ्यक्रम में आधुनिक विचारों के साथ-साथ राज्य के प्रति निष्ठा व जापानी इतिहास को भी सम्मिलित किया गया।
  4. विद्यार्थियों हेतु पुस्तकों के चयन, पाठ्यक्रम व शिक्षकों के प्रशिक्षण पर जापानी शिक्षा मंत्रालय नियंत्रण रखता था।
  5. पाठ्यक्रम में सम्मिलित पुस्तकों में माता-पिता के प्रति सम्मान, राष्ट्र के प्रति निष्ठा एवं अच्छे नागरिक बनने की प्रेरणा दी जाती थी।

प्रश्न 13. 
जापान की मेज़ी सरकार ने राष्ट्र के एकीकरण के लिए कौन-कौन से कार्य किए ? 
उत्तर:
जापान की मेज़ी सरकार ने राष्ट्र के एकीकरण के लिए निम्नलिखित कार्य किए

  1. देश के पुराने गाँवों एवं क्षेत्रीय सीमाओं को परिवर्तित कर नवीन प्रशासनिक ढाँचा तैयार किया। 
  2. एक आधुनिक सैन्य बल तैयार करने के लिए 20 वर्ष से अधिक उम्र के नवयुवकों को कुछ समय के लिए सेना में कार्य करना अनिवार्य कर दिया। 
  3. राजनीतिक दलों के गठन को नियंत्रित करने के लिए एक कानून व्यवस्था बनाई गयी। 
  4. राजनीतिक दलों द्वारा सभाओं के आयोजन पर नियंत्रण रखने के लिए कठोर सेंसर व्यवस्था अपनायी गयी। 
  5. नौकरशाही व सेना को सीधे सम्राट के नियन्त्रण में कर दिया गया। 
  6. लोकतांत्रिक संविधान एवं आधुनिक सेना को महत्व दिया गया।

प्रश्न 14. 
मेज़ी सरकार ने जापान की अर्थव्यवस्था का किस प्रकार आधुनिकीकरण किया ? बताइए। 
उत्तर:

  1. कृषि पर कर लगाकर धन एकत्रित किया गया।
  2. रेलवे का विकास किया गया। इस हेतु जापान की प्रथम रेलवे लाइन 1870-72 ई. में तोक्यो और योकोहामा के मध्य बिछाई गई।
  3. वस्त्र उद्योग के लिए मशीनें यूरोप से आयात की गईं। 
  4. श्रमिकों के प्रशिक्षण के लिए विदेशी प्रशिक्षकों को जापान आमंत्रित किया गया। 
  5. जापानी विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शिक्षण हेतु विदेशी शिक्षकों की नियुक्ति की गयी। 
  6. जापानी विद्यार्थियों को शिक्षण हेतु अन्य देशों में भी भेजा गया।
  7. 1872 ई. में आधुनिक बैंकिंग संस्थाओं को प्रारम्भ किया गया।
  8. जहाज निर्माण करने वाली प्रमुख कम्पनियों में से मित्सुबिशी व सुमितोमो आदि को अनुदान एवं करों में छूट प्रदान की गयी। इससे जापानी व्यापार जहाजों से होने लगा।
  9. जनसंख्या के बढ़ते दबाव को कम करने के लिए सरकार ने प्रवास को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया।
  10. उद्योगों का विकास किया गया तथा लोगों को शहरों में बसाया गया ताकि उद्योगों में कार्य करने के लिए पर्याप्त श्रमिक मिल सकें।

प्रश्न 15. 
तनाका शोज़ो कौन थे ? संक्षेप में जानकारी दीजिए।
उत्तर:
तनाका शोज़ो जापान के एक किसान का बेटा था। इसका जन्म 1841 ई. में हुआ था। इसने अपनी पढ़ाई स्वयं की थी तथा जापान की एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती के रूप में उभरकर सामने आया। 1880 ई. के दशक में इसने एक जनवादी अधिकारों के आन्दोलन में भाग लिया। इस आन्दोलन ने संवैधानिक सरकार की माँग की थी। इन्हें प्रथम जापानी संसद-डायट का सदस्य चुना गया। ये पर्यावरण प्रदूषण के घोर विरोधी थे। इनका मत था कि औद्योगिक प्रगति के लिए जनता के हितों की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। वे आशियो खान से वातारासे नदी में फैल रहे प्रदूषण से खराब हो रही कृषि भूमि से बहुत दुखी थे। इन्होंने किसानों के साथ मिलकर आन्दोलन चलाया, फलस्वरूप खनन कम्पनी को प्रदूषण नियन्त्रण के उपाय अपनाने पड़े।

प्रश्न 16. 
जापान के संदर्भ में आक्रामक राष्ट्रवाद को समझाइए।
उत्तर:
जापान के संदर्भ में आक्रामक राष्ट्रवाद-मेज़ी सरकार ने जापान में आक्रामक राष्ट्रवाद की नीति को अपनाया। उन्होंने जर्मनी से प्रभावित होकर जापान के लिए एक संसद बनायी जिसका नाम 'डायट' रखा गया। कानूनी मामलों में जापान, जर्मनी से प्रभावित रहा। मेज़ी सरकार की पुन: स्थापना करने वाले नेताओं ने राजनीतिक पार्टियों का गठन कर सत्ता में भागीदारी बनाये रखी। 1918 ई. एवं 1931 ई. के दौरान जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्रियों ने मंत्रिपरिषद का गठन किया। इसके पश्चात् उन्होंने राजनीतिक दलों का भेद भुलाकर बनाई गयी राष्ट्रीय एकता मंत्रिपरिषदों के हाथों अपनी सत्ता खो दी। सम्राट को सैन्यबलों का कमाण्डर नियुक्त किया गया। 1899 ई. में प्रधानमंत्री ने आदेश दिए कि केवल सेवारत जनरल व एडमिरल ही मंत्रीपद ग्रहण कर सकते हैं। सेनाओं को मजबूत बनाया गया। इस तरह जापान में आक्रामक राष्ट्रवाद का प्रारम्भ किया गया।

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प्रश्न 17. 
फुकुज़ावा यूकिची कौन थे ? इनके बारे में संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
फुकुज़ावा यूकिची जापान के एक प्रसिद्ध लेखक थे। इनका जन्म 1835 ई. में एक निर्धन सामुराई परिवार में हुआ था। इनकी शिक्षा नागासाकी व ओसाका में हुई थी। इन्होंने डच, पश्चिमी विज्ञान एवं अंग्रेजी का अध्ययन किया। 1860 ई. में इन्हें अमरीका स्थित जापानी दूतावास में अनुवादक के पद पर नियुक्त किया गया। इन्होंने जापान में एक शिक्षा संस्था की स्थापना की जो केओ विश्वविद्यालय के नाम से प्रसिद्ध हुआ। ये पश्चिमी शिक्षा का प्रसार करने वाली मेरोकुशा संस्था के मुख्य सदस्य भी रहे। इन्होंने एक बार कहा था कि जापान को अपने में से एशिया को निकाल फेंकना चाहिए।

अर्थात् जापान को अपने एशियाई लक्षण छोड़कर पश्चिमी देशों का हिस्सा बन जाना चाहिए। इन्होंने पश्चिमी देशों पर एक लोकप्रिय आधुनिकीकरण के रास्ते 393) पुस्तक की रचना की। इनके द्वारा लिखित एक अन्य पुस्तक 'गाकुनोन नो सुसुमे' (ज्ञान के लिए प्रोत्साहन) में उन्होंने जापानी ज्ञान की कटु आलोचना की। उन्होंने लिखा कि जापान के पास प्राकृतिक दृश्यों के अतिरिक्त गर्व करने के लिए कुछ भी नहीं है। इनका सिद्धान्त था, "स्वर्ग ने इंसान को इंसान के ऊपर नहीं बनाया, न ही इंसान को इंसान के नीचे।" इनकी मृत्यु 1901 ई. में हुई।

प्रश्न 18. 
जापान में पश्चिमीकरण एवं परम्परावाद के मध्य उत्पन्न टकराव की स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जापान द्वारा अन्य देशों के साथ सम्बन्ध स्थापित करने के प्रश्न पर जापानी बुद्धिजीवियों की आनुक्रमिक पीढ़ियों के अलग-अलग विचार थे। कुछ जापानी बुद्धिजीवी जापान को भी अमरीका व पश्चिमी यूरोपीय देशों की तरह सभ्यता के शिखर पर देखना चाहते थे। फुकुज़ावा यूकिची नामक बुद्धिजीवी का मत था कि जापान को अपने एशियाई लक्षण छोड़कर पश्चिम का हिस्सा बन जाना चाहिए। जापान की आगामी पीढ़ी ने पश्चिमी विचारों को पूर्ण रूप से स्वीकार करने पर प्रश्न उठाए एवं कहा कि राष्ट्रीय गर्व देशी मूल्यों पर निर्मित होना चाहिए।

दर्शनशास्त्री मियाके सेत्सुरे ने भी तर्क प्रस्तुत किया कि विश्व सभ्यता के हित में प्रत्येक देश को अपने विशेष कौशल का विकास करना चाहिए। स्वयं को अपने देश के लिए समर्पित करना विश्व को समर्पित करने जैसा है। इसके विपरीत कुछ अन्य जापानी बुद्धिजीवी पश्चिमी उदारवाद की ओर आकर्षित थे.और वे चाहते थे कि जापान को अपना आधार सेना की अपेक्षा लोकतंत्र को बनाना चाहिए। जनवादी आन्दोलन के नेता उएकी एमोरी ऐसी उदारवादी शिक्षा के पक्षधर थे, जो प्रत्येक व्यक्ति को विकसित कर सके। कुछ अन्य जापानी विद्वानों ने महिलाओं को मताधिकार की भी सिफारिश की। इस दबाव ने सरकार को संविधान की घोषणा करने के लिए बाध्य किया।

प्रश्न 19. 
जापान में सत्ता केन्द्रित राष्ट्रवाद के परिणामों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
जापान में सत्ता केन्द्रित राष्ट्रवाद के परिणाम-1930-40 ई. के दशक के दौरान जापान में सत्ता केन्द्रित राष्ट्रवाद को बढ़ावा मिला। इस अवधि के दौरान जापान ने चीन व एशिया के अन्य देशों में अपने उपनिवेश बढ़ाने के लिए अनेक युद्धों में भाग लिया। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान ने अमरीका के पर्ल हार्बर पर आक्रमण कर दिया फलस्वरूप अमरीका को द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल होना पड़ा। इसी दौरान जापान में सरकार से असहमति प्रकट करने वाले लोगों पर अत्याचार किए गये तथा उन्हें जेल भेजा गया। देश में युद्धों का समर्थन करने वाले देशभक्तों की नई संस्थाओं का निर्माण हुआ। 1943 ई. में जापान में 'आधुनिकता पर विजय' नामक विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें इस विषय पर विचार किया गया कि आधुनिक रहते हुए पश्चिम पर कैसे विजय प्राप्त की जा सकती है। जापानी दर्शनशास्त्री निशितानी केजी ने कहा कि जापान की नैतिक ऊर्जा ने उसे एक उपनिवेश बनने से बचा लिया। अब जापान को एक नई विश्व पद्धति अर्थात् एक विशाल पूर्वी एशिया का निर्माण करना चाहिए।

प्रश्न 20. 
चीन के आधुनिक इतिहास का सम्बन्ध किससे है ? इसके सम्बन्ध में अलग-अलग विचारधाराएँ कौन-कौनसी थीं ? बताइए।
उत्तर:
चीन के आधुनिक इतिहास का सम्बन्ध सम्प्रभुता की पुनः प्राप्ति, विदेशी नियंत्रण में हुए अपमान से मुक्ति तथा समानता व विकास को सम्भव बनाने से है। इस सम्बन्ध में तीन अलग-अलग विचारधाराएँ थीं, जो निम्नलिखित हैं

  1. कांग योवेल व लियांग किचाउ जैसे प्रारम्भिक चीनी सुधारक पश्चिम की चुनौतियों का सामना करने के लिए पारम्परिक विचारों को नए ढंग से प्रयोग करने के पक्ष में थे।
  2. चीनी गणतंत्र के प्रथम राष्ट्राध्यक्ष सन यात-सेन जैसे गणतांत्रिक क्रांतिकारी लोग जापान व पश्चिम के विचारों से प्रभावित थे।
  3. चीन का साम्यवादी दल युगों से चली आ रही असमानताओं को समाप्त करना एवं देश से विदेशियों को भगाना चाहता था। 

प्रश्न 21. 
चीन में कुलीन सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश हेतु ली जाने वाली परीक्षा के बारे में बताइए।
अथवा
चीनी परीक्षा प्रणाली को समाप्त क्यों कर दिया गया ?
उत्तर:
चीन में कुलीन सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश अधिकांशतः परीक्षा द्वारा ही होता था। इसमें आठ भाग वाला निबन्ध निर्धारित प्रपत्र में शास्त्रीय चीनी भाषा में लिखना होता था। यह परीक्षा विभिन्न स्तरों पर प्रति तीन वर्ष में दो बार आयोजित की जाती थी। प्रथम स्तर की परीक्षा में मात्र 1-2 प्रतिशत लोग ही 24 वर्ष की आयु तक उत्तीर्ण हो पाते थे। इन्हें सुन्दर प्रतिभा कहा जाता था। इस उपाधि से उन्हें निचले कुलीन वर्ग में प्रवेश प्राप्त हो जाता था।

1850 ई. से पहले चीन में केवल 27000 राजकीय पद थे, जबकि 'सुन्दर प्रतिभा उपाधि' प्राप्त अधिक लोगों के होने के कारण कई लोग नौकरी से वंचित हो जाते थे। इस परीक्षा में केवल साहित्यिक कौशल पर बल दिये जाने के कारण यह विज्ञान व प्रौद्योगिकी के विकास में बाधक थी। केवल शास्त्रीय चीनी लेखन की कला पर आधारित होने के कारण इस परीक्षा की आधुनिक विश्व में कोई प्रासंगिकता नजर नहीं आती थी, फलस्वरूप 1905 ई. में इस परीक्षा प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।

प्रश्न 22. 
सन यात-सेन कौन थे ? उनके कार्यक्रमों के बारे में बताइए।
उत्तर:
सन यात-सेन को आधुनिक चीन का संस्थापक माना जाता है। इनका जन्म चीन के एक गरीब परिवार में 1866 ई. में हुआ था। इन्होंने मिशन स्कूलों में शिक्षा ग्रहण की। यहाँ उनका परिचय लोकतंत्र एवं ईसाई धर्म से हुआ। इन्होंने चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की थी। वे चीन के भविष्य को लेकर सदैव चिंतित रहते थे। इन्होंने 1911 ई. में एक क्रान्ति द्वारा मांचू साम्राज्य को समाप्त कर चीन में गणतंत्र की स्थापना करवायी तथा चीन के प्रथम राष्ट्रपति बने। सन यात-सेन के कार्यक्रम-सन यात-सेन ने चीन के विकास हेतु तीन कार्यक्रम दिए जो तीन सिद्धान्तों के नाम से प्रसिद्ध हैं, जिसे चीनी भाषा में सन, मिन, चुई कहा जाता है, जो निम्नवत् हैं

  1. राष्ट्रवाद-इसका अर्थ था मांचू वंश को सत्ता से हटाना। चीन में माचू वंश को एक विदेशी राजवंश के रूप में देखा जाता था। इन्होंने चीनी लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का प्रसार किया तथा विदेशी साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।
  2. गणतंत्रवाद-सन यात-सेन चीन में गणतांत्रिक सरकार की स्थापना करना चाहते थे।
  3. समाजवाद-सन यात-सेन देश में पूँजी का नियमन एवं भूस्वामित्व में बराबरी लाना चाहते थे।

सन यात-सेन के यही विचार कुओमीनतांग (सन यात-सेन द्वारा 1912 ई. में स्थापित राजनीतिक दल) के राजनीतिक दर्शन का आधार बने। उन्होंने रोटी, कपड़ा, मकान और परिवहन इन चार बड़ी आवश्यकताओं पर बल दिया। 

प्रश्न 23. 
माओ त्सेतुंग कौन था ? उसके आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा 
माओ त्सेतुंग के सुधारात्मक कार्यों को बताइए।
उत्तर:
माओ त्सेतुंग एक चीनी राष्ट्रवादी थे। ये चीनी साम्यवादी पार्टी (सी.सी.पी) के एक प्रमुख नेता थे। इन्होंने चीन के विकास हेतु आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीकों को अपनाया जो निम्नलिखित थे

  1. इन्होंने 1928-1934 ई. के मध्य जियांग्सी में कुओमीनतांग के आक्रमणों से बचाव के लिए सुरक्षित शिविरों का आयोजन किया।
  2. इन्होंने मज़बूत किसान परिषद (सोवियत) का गठन किया तथा जमींदारों की भूमि पर अधिकार कर उसे भूमिहीन कृषकों को बाँट दिया।
  3. इन्होंने महिलाओं की दशा सुधारने पर बल दिया। 
  4. ग्रामीण महिला संघ की स्थापना को बढ़ावा दिया। 
  5. स्वतंत्र सरकार व सेना के गठन पर बल दिया।
  6. विवाह के नए कानूनों का निर्माण किया जिसमें आयोजित विवाह तथा विवाह के समझौते खरीदने-बेचने पर रोक लगाई तथा तलाक को सरल बनाया।

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प्रश्न 24. 
1930 ई. में माओ त्सेतुंग द्वारा शोषण के विरुद्ध कराए गए एक सर्वेक्षण की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
1930 ई. में माओ त्सेतंग ने चीन में एक सर्वेक्षण कराया। इस सर्वेक्षण में माओ त्सेतंग ने नमक और सोयाबीन जैसी दैनिक जीवनयापन की वस्तुओं, स्थानीय संगठनों की तुलनात्मक दृढ़ताओं, छोटे व्यापारियों व शिल्पकारों, लोहारों व वेश्याओं तथा धार्मिक संगठनों की मजबूरियों पर परीक्षण किया। इसके माध्यम से उन्होंने शोषण के पृथक्-पृथक् स्तरों को समझा। उन्होंने ऐसे आँकड़े भी एकत्रित किए, जिनसे यह जानकारी मिलती थी कि कितने कृषकों ने अपने बच्चों को बेचा है तथा बेचने पर कितना धन प्राप्त हुआ। उन्होंने यह भी जानकारी की कि लड़के 100 से 200 यूआन (चीनी मुद्रा) पर बिकते थे, जबकि लड़कियों का कोई क्रय-विक्रय नहीं होता था। इस अध्ययन के आधार पर माओ त्सेतुंग ने चीन में सामाजिक समस्याओं के समाधान के तरीके प्रस्तुत किए।

प्रश्न 25. 
क्या 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पार्टी की सरकार लोकतांत्रिक सिद्धान्तों पर आधारित थी ? इसकी प्रमुख उपलब्धियों को बताइए।
अथवा 
चीन में 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पार्टी की सरकार कब स्थापित हुई? इसके द्वारा किये गये कार्यों को बताइए।
अथवा 
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' सरकार के प्रमुख सिद्धान्तों को बताइए।
उत्तर:
चीन में 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पार्टी की सरकार 1949 ई. में स्थापित हुई। यह सरकार नए लोकतंत्र के सिद्धान्त पर आधारित थी। यह लोकतंत्र सर्वहारा वर्ग की तानाशाही से भिन्न होकर चीन के समस्त सामाजिक वर्ग का गठबन्धन था। इस सरकार ने 1953 ई. तक एक कार्यक्रम चलाया, जिसके अन्तर्गत अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों को सरकारी नियन्त्रण में रखा गया। इस सरकार ने समाजवादी परिवर्तन का कार्यक्रम भी चलाया।

1958 ई. में सरकार ने लम्बी छलांग वाले आंदोलन की नीति अपनाई, जिसके अन्तर्गत देश का तीव्र गति से औद्योगिक विकास करने का प्रयास किया गया। चीनी निवासियों को अपने घरों के अन्तिम भाग में इस्पात की भट्टियाँ लगाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में पीपुल्स कम्यून (सामूहिक खेत) शुरू किए गए, वहाँ लोग इकट्ठे भूमि के मालिक थे तथा मिलजुलकर कृषि कार्य करते थे। इस प्रकार चीन की पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार ने अनेक कार्य किए।

प्रश्न 26. 
क्या माओ त्सेतुंग चीनी साम्यवादी पार्टी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु जनसमुदाय को प्रेरित करने में सफल रहे? क्या उनकी कार्यशैली पार्टी के सभी लोगों को पसंद थी ? बताइए।
उत्तर:
यह सत्य है कि माओ त्सेतुंग चीनी साम्यवादी पार्टी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु जनसमुदाय को प्रेरित करने में सफल रहे। उनकी चिंता समाजवादी व्यक्ति बनने की थी, जिन्हें पाँच वस्तुएँ प्रिय होती थीं-पितृ भूमि, जनता, काम, विज्ञान एवं जनसंपत्ति। उन्होंने इस दिशा में कार्य करते हुए कृषकों, महिलाओं, छात्रों एवं अन्य गुटों के लिए जनसंस्थाओं का निर्माण किया। उदाहरण के लिए; ऑल चाइना डेमोक्रेटिक वीमेंस फेडरेशन के 760 लाख सदस्य थे तथा ऑल चाइना स्टूडेंट्स फेडरेशन के 32.9 लाख सदस्य थे।

लेकिन इनके लक्ष्य और कार्य शैली पार्टी के सभी लोगों को पसन्द नहीं थी। 1953-54 ई. के दौरान कुछ लोग आर्थिक विकास एवं औद्योगिक संगठनों की ओर अधिक ध्यान देने पर बल दे रहे थे। लीऊ शाओछी व तंग शीयाओफींग जैसे नेताओं ने कम्यून प्रथा को परिवर्तित करने का प्रयास किया। घरों के अन्तिम भाग में बनायी गई इस्पात की भट्टियाँ औद्योगिक दृष्टि से उपयोगी सिद्ध नहीं हो रही थीं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि यद्यपि माओ त्सेतुंग पार्टी द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु जनसमुदाय को प्रेरित करने में सफल रहे लेकिन उनकी कार्यशैली पार्टी के सभी लोगों को पसंद नहीं थी। . 

प्रश्न 27. 
1965-78 ई. के दौरान चीनी नेताओं के दर्शनों में टकराव किस प्रकार हुआ? बताइए।
अथवा 
माओ त्सेतुंग द्वारा 1965 ई. में शुरू की गई चीन की महान सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति क्या थी? इसके क्या परिणाम निकले?
उत्तर:
चीन 1965 से 1978 ई. की अवधि के दौरान समाजवादी व्यक्ति की रचना के इच्छुक माओवादियों तथा दक्षता की अपेक्षा विचारधारा (साम्यवादी होना) पर माओ के बल देने की आलोचना करने वाले चीनी नेताओं के मध्य संघर्ष प्रारम्भ हो गया। इसके परिणामस्वरूप माओ त्सेतुंग ने 1965 ई. में महान सर्वहारा क्रान्ति प्रारम्भ कर दी। इस क्रान्ति की शुरुआत उन्होंने आलोचकों का मुकाबला करने के लिए की। माओ त्सेतुंग ने इस क्रान्ति के अन्तर्गत प्राचीन संस्कृति, रीतिरिवाज तथा प्राचीन आदतों के विरुद्ध अभियान चलाया।

इस कार्य हेतु उन्होंने रेडगार्ड्स मुख्यतः विद्यार्थियों एवं सेना का प्रयोग किया। ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागरूकता उत्पन्न करने के लिए विद्यार्थियों एवं व्यावसायिक लोगों को भेजा गया। उन्होंने चीनी लोगों को अधिकाधिक रूप से अपनी साम्यवादी विचारधारा से जोड़ने का प्रयास किया। माओ त्सेतुंग द्वारा प्रारम्भ की गई क्रान्ति से चीनी नेताओं के दर्शनों में टकराव प्रारम्भ हो गया। इस सांस्कृतिक क्रान्ति से देश में अव्यवस्था उत्पन्न हो गई, पार्टी कमजोर होने लगी तथा शिक्षा व अर्थव्यवस्था में भारी रुकावट आना प्रारम्भ हो गयी। इस तरह माओ त्सेतुंग द्वारा प्रारम्भ की गई सर्वहारा सांस्कृतिक क्रांति पूर्णतः सफल नहीं हो पायी।

प्रश्न 28. 
1978 ई. से चीन में कौन-कौन से सुधार प्रारम्भ किए गये ? संक्षेप में बताइए। 
उत्तर:
माओ त्सेतुंग की सांस्कृतिक क्रांति के पश्चात् 1978 ई. से चीन में अनेक सुधार किए गये, जो निम्नलिखित थे

  1. चीन में समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था को प्रारम्भ किया गया।
  2. 1978 ई. में साम्यवादी पार्टी ने आधुनिकीकरण के लिए अपने चार सूत्री लक्ष्यों की घोषणा की। ये चार सूत्री लक्ष्य थे-विज्ञान, उद्योग, कृषि एवं रक्षा क्षेत्रों का विकास करना।
  3. पार्टी से सवाल-जवाब न करने की एक सीमा तक लोगों को वाद-विवाद की भी अनुमति प्रदान कर दी गयी। 
  4. गरीबी हटाने व लैंगिक शोषण से मुक्ति पर बल दिया गया।
  5. चीन के विकास के विषय पर पुनः वाद-विवाद प्रारम्भ किया गया। पार्टी द्वारा समर्थित प्रधान मत मजबूत राजनीतिक तंत्र, आर्थिक खुलेपन एवं विश्व बाजार से जुड़ाव पर आधारित था।
  6. चीनी लोगों को स्वच्छंद रूप से बाजार से उपभोक्ता सामग्री खरीदने हेतु अनुमति प्रदान कर दी गयी। 

प्रश्न 29. 
ताइवान में लोकतंत्र की स्थापना किस प्रकार हुई? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चीन के साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के पश्चात् कुओमीनतांग का नेता च्यांग काईशेक 1949 ई. में ताइवान भाग गया। वहाँ उसने चीनी गणतंत्र की स्थापना की। 1894-95 ई. में जापान ने चीन से ताइवान को जीतकर अपना उपनिवेश बना लिया था। कायरो घोषणा पत्र (1943) व पोट्सडैम उद्घोषणा पत्र (1949) द्वारा ताइवान पर चीन को सम्प्रभुता पुनः प्राप्त हो गई। च्यांग काईशेक ने यहाँ एक दमनकारी सरकार की स्थापना की। सरकार ने लोगों से बोलने एवं राजनीतिक विरोध करने की स्वतंत्रता छीन ली।

1975 ई. में च्यांग काईशेक की मृत्यु के पश्चात् ताइवान में लोकतंत्र की धीरे-धीरे स्थापना हुई। 1987 ई. में यहाँ से सैनिक शासन हटा लिया गया तथा विरोधी दलों को कानूनी मान्यता प्राप्त हो गयी। स्वतंत्र मतदान द्वारा स्थानीय ताईवानी लोग सत्ता में आने लगे। राजनयिक स्तर पर अधिकांश देशों के व्यापार मिशन ताइवान में स्थापित होने लगे। उन देशों के द्वारा ताइवान से पूर्ण राजनयिक सम्बन्ध व दूतावास रखना सम्भव नहीं हो पाया है क्योंकि ताइवान को चीन का ही हिस्सा माना जाता है। इस तरह ताइवान में लोकतंत्र की स्थापना हुई। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
चीन और जापान की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर
RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 11 आधुनिकीकरण के रास्ते 1
चीन की भौगोलिक स्थिति-चीन की भौगोलिक स्थिति का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है
(i) चीन एक विशाल महाद्वीपीय देश है। इस देश में कई प्रकार की जलवायु पाई जाती हैं। इस देश की तीन प्रमुख नदियाँ हैं
(अ) हुआंग हे नदी-यह चीन की एक प्रमुख नदी है। इसे पीली नदी के नाम से भी जाना जाता है। 
(ब) छांग जियांग नदी-इसे यांग्त्सी नदी के नाम से भी जाना जाता है। यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी नदी है।
(स) पर्ल नदी। 

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(ii) इस देश का धरातल ऊबड़-खाबड़ तथा पहाड़ी है।
चीन की सामाजिक स्थिति-हान चीन का सबसे प्रमुख जातीय समूह है। यहाँ की प्रमुख भाषा चीनी है, जिसे पुतोंगहुआ के नाम से भी जाना जाता है। इस देश में उइघुर, हुई, मांचू, तिब्बती आदि कई और राष्ट्रीयताएँ हैं। कैंटनीज़ कैंटन की बोली-उए तथा शंघाईनीज़ (शंघाई की बोली-व) आदि बोलियाँ भी बोली जाती हैं। चीनी भोजनों में क्षेत्रीय विविधता पाई जाती है। इनमें चार प्रमुख प्रकार के भोजन उल्लेखनीय हैं चीन की सबसे प्रमुख भोजन प्रणाली दक्षिणी या केंटोनी है, जो कैंटन व उसके आन्तरिक प्रदेशों की है।

यह प्रणाली इसलिए प्रसिद्ध है कि विदेशों में रहने वाले अधिकतर चीनी कैंटन प्रान्त के हैं। डिम सम यहाँ का प्रमुख भोजन है। इसका निर्माण गुंथे हुए आटे को सब्जी आदि भरकर उबालकर किया जाता है। उत्तर में गेहूँ प्रमुख आहार है। शेचुआँ में प्राचीनकाल में बौद्ध भिक्षुओं द्वारा लाए गए मसाले और रेशम मार्ग द्वारा पन्द्रहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा लाई गई मिर्च के कारण विशेष मसालेदार व तीखा भोजन मिलता है। पूर्वी चीन में चावल व गेहूँ दोनों खाए जाते हैं। जापान की भौगोलिक स्थिति जापान एक छोटा-सा द्वीपीय देश है। इसके चार सबसे बड़े द्वीप हैं-होश, क्यूश, शिकोक तथा होकाइदो। सबसे दक्षिण में ओकिनावा द्वीपों की श्रृंखला है।

मुख्य द्वीपों की 50% से अधिक भूमि पहाड़ी है। जापान बहुत सक्रिय भूकम्प क्षेत्र में है। जापान की इन भौगोलिक परिस्थितियों ने वहाँ की वास्तुकला को प्रभावित किया है। जापान की सामाजिक स्थिति-जापान की अधिकतम जनसंख्या जापानी है। परन्तु कुछ आयनू और कुछ कोरियाई मूल के लोग भी हैं। कोरिया के लोगों को श्रमिक के रूप में उस समय जापान लाया गया था, जब कोरिया, जापान का उपनिवेश था। जापान एक पहाड़ी देश है। यहाँ बहुत कम खेती होती है। पहाड़ों पर कुछ चावल उगाया जाता है। चावल यहाँ की मुख्य फसल है और मछली प्रोटीन का मुख्य स्रोत है। यहाँ की कच्ची मछली साशिमी या सूशी अब सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो गई है क्योंकि इसे बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। जापान में पशुपालन नहीं होता है।

प्रश्न 2. 
मेज़ी पुनर्स्थापना से क्या आशय है ? जापान में मेजी युग के दौरान हुई प्रगति को विस्तार से बताइए।
उत्तर:
मेज़ी पुनर्स्थापना से आशय-जापान में तोकुगावा वंशजों की शोगुन-शासन प्रणाली के पूर्व समस्त राजसत्ता जापान के सम्राटों के हाथों केन्द्रित होती थी। लेकिन जापान में 12वीं शताब्दी से ही शोगुन सत्ता के वास्तविक स्वामी बने रहे परन्तु 1868 ई. में जापान में मेज़ी वंश के नेतृत्व में तोकुगावा वंश के शोगुनों का शासन समाप्त कर दिया गया तथा उसके स्थान पर नए शासक व सलाहकार सामने आए। ये लोग जापानी सम्राट के नाम से शासन करते थे। एदो को जापान की राजधानी बनाया गया तथा इसका नया नाम तोक्यो रखा गया। इस तरह देश में शासन की वास्तविक सत्ता पुन: सम्राट के हाथ में आ गई। उसने मेज़ी की उपाधि धारण कर शासन प्रारम्भ कर दिया। जापान के इतिहास में इस घटना को मेज़ी पुनर्स्थापना के नाम से जाना जाता है।
जापान में मेज़ी युग के दौरान हुई प्रगति-जापान में मेज़ी युग के दौरान हुई प्रगति को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
(1) औद्योगिक प्रगति-जापान की मेज़ी सरकार ने सर्वप्रथम देश के औद्योगिक विकास की ओर ध्यान दिया। जापानी यह अनुभव कर रहे थे इस क्षेत्र में वे पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत पिछड़े हुए हैं और जब तक वे अपना पर्याप्त आर्थिक विकास नहीं कर लेते तब तक वे पश्चिमी देशों का सामना नहीं कर सकते। जापान में नए-नए उद्योगों की स्थापना की जाने लगी और यूरोप तथा अमरीका से नई-नई मशीनें मँगाई जाने लगीं। सरकार की ओर से जापान में उद्योग-धन्धे स्थापित करने के लिए लोगों को बहुत प्रोत्साहन दिया गया। इसके परिणामस्वरूप कुछ ही वर्षों के अन्दर जापान में औद्योगिक क्रांति' हो गई और जापान एक औद्योगिक देश बन गया।

(2) यातायात व संचार के साधनों का विकास-मेज़ी सरकार ने यातायात और संचार के साधनों के विकास की ओर भी विशेष ध्यान दिया। 1872 ई. में जापान में रेलवे लाइनें बिछाने का कार्य प्रारम्भ हुआ और 1894 ई. तक सम्पूर्ण देश में रेलवे लाइन का जाल बिछ गया। 1872 ई. में तोक्यो और याकोहामा के बीच 19 मील रेलवे लाइन बिछाई गयी। 1874 ई. में कोबे और ओसाका के मध्य रेलगाड़ी चलने लगी। 1893 ई. में जापान में 1,500 मील लम्बी रेलवे लाइनें बिछा दी गईं। इस रेलमार्ग ने देश के आन्तरिक व्यापार की उन्नति में बहुत सहायता पहुँचायी। इसके फलस्वरूप जापान में राष्ट्रीयता के विकास में भी काफ़ी सहायता मिली, इसके साथ ही सरकार ने डाक विभाग का भी संगठन किया। 1868 ई. में पहली बार टेलीग्राफ का प्रयोग किया गया। कुछ वर्षों में ही जापान में अनेक डाकघरों की स्थापना हो गई। रेलवे तथा डाक के विकास के साथ-साथ मेज़ी सरकार ने जहाजों के निर्माण की ओर भी ध्यान दिया तथा उन्नीसवीं सदी के अन्त तक नौसैनिक शक्ति ने आश्चर्यजनक प्रगति कर ली।

(3) शिक्षा के क्षेत्र में सुधार-मेज़ी शासन में जापान में शिक्षा के क्षेत्र में अनेक महत्वपूर्ण सुधार किए गए। 1868 ई. की शाही शपथ घोषणा में कहे गए इस वाक्य कि 'हर स्थान से ज्ञान प्राप्त किया जाए' के अनुसार 1871 ई. में शिक्षा विभाग की स्थापना की गई। एक कानून बनाकर यह व्यवस्था कर दी गई कि "प्रत्येक व्यक्ति ऊँचा और नीचा, स्त्री और पुरुष शिक्षा प्राप्त करे, जिससे कि सम्पूर्ण समाज में कोई परिवार और परिवार का कोई भी व्यक्ति अशिक्षित और अज्ञानी न रह जाए।"

(4) मुद्रा विनिमय में सुधार-मेज़ी सरकार ने मुद्रा विनिमय में भी सुधार किया। अब जापान में विनिमय के लिए सोना-चाँदी का प्रयोग होता था और इसके साथ-साथ शोगुन शासक तथा उनके सामन्तों ने अपने-अपने सिक्के चला रखे थे। इसके अतिरिक्त सोने तथा चाँदी का ऐसा सम्बन्ध था कि विदेशी अपने देश से चाँदी मँगा लेते थे और 1858 ई. की सन्धि तथा बाद में हुए जापानी सरकार के साथ अन्य समझौते के अनुसार उसे जापान की चाँदी में बदल लेते थे और बाद में इस जापानी चाँदी को सोने में बदलकर उसका निर्यात करते थे। इसके परिणामस्वरूप जापान का सोना विदेशों में चला जाता था। सन्धि परिवर्तन तथा विनिमय नियन्त्रण के द्वारा ही इस स्थिति में सुधार और निराकरण हो सकता था। सरकार के सामने ऐसी कागजी मुद्रा चलाने के अतिरिक्त और कोई चारा ही न था जो सोने-चाँदी में न बदली जा सके।

(5) बैंकिंग सुविधाओं का विकास-मुद्रा विनिमय तथा बैंकों की समस्या को हल करने की दिशा में पहला कदम मेज़ी सरकार ने 1872 ई. में उठाया। हेतो ने अमरीकन मुद्रा तथा बैंकिंग प्रणाली का विशेष अध्ययन कर यह सुझाव दिया कि अमेरिकन प्रणाली के आधार पर राष्ट्रीय बैंक का विनिमय कर दिया जाए। 1873 ई. में जापान में पहला राष्ट्रीय बैंक स्थापित किया गया। 1876 के बाद बैंकिंग का बड़ी तेजी के साथ विकास हुआ। 1879 ई. तक जापान में 157 राष्ट्रीय बैंकों की स्थापना हो गयी थी।

(6) धार्मिक क्षेत्र में सुधार-मेज़ी शासन की पुनर्स्थापना के बाद जापान में धार्मिक जीवन में भी परिवर्तन हुआ। बौद्ध धर्म के स्थान पर शिन्तो धर्म का विशेष प्रचार हुआ और यह जापान का राजधर्म बन गया। इस धर्म ने राष्ट्रीयता के विकास में काफ़ी सहायता पहुँचाई। जापानी अपने सम्राट के प्रति असीम श्रद्धा और अटूट राजभक्ति रखने लगे। इसके परिणामस्वरूप जापानी लोगों में राष्ट्रीय चेतना तथा एकता की भावना का उदय हुआ। 

प्रश्न 3. 
मेज़ी शासन के अधीन जापानी अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण किस प्रकार हुआ? विस्तार से बताइए।
अथवा
जापान में मेज़ी शासन के अधीन हुए औद्योगिक विकास का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा? विस्तार से समझाइए। उत्तर-मेज़ी शासन के अधीन जापानी अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण निम्नलिखित प्रकार से हुआ
(1) धन एकत्रित करना-मेज़ी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के सुधार हेतु कृषि पर कर लगाकर धन एकत्रित किया। उस धन को देश के विकासात्मक कार्यों में लगाया।

(2) रेलवे लाइन का निर्माण-देश में आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए रेलवे का विकास किया गया। यह रेलवे लाइन तोक्यो से योकोहामा के मध्य बिछाई गयी। 1874 ई. तक जापान में 2118 मील लम्बी रेलवे लाइनों का निर्माण हो चुका था। इन रेलवे लाइनों के माध्यम से यात्रियों का आवागमन सुगम हुआ और माल की ढुलाई से व्यापार का भी विस्तार हुआ।

(3) उद्योगों का विकास-जापान में वस्त्र उद्योग के विकास के लिए यूरोप से मशीनों का आयात किया गया। लौह इस्पात, वस्त्र आदि के अनेक कारखानों की स्थापना की गयी, फलस्वरूप वस्त्र एवं लौह इस्पात का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने लगा। उद्योगों में कार्य करने वाले श्रमिकों के प्रशिक्षण हेतु दक्ष प्रशिक्षकों को यूरोप से बुलाया जाता था।

(4) जहाज निर्माण को प्रोत्साहन-जापान में मेज़ी शासनकाल के दौरान जहाज निर्माण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई। देश में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने हेतु मित्सुबिशी व सुमितोमो जैसी कम्पनियों को अनुदान व करों में लाभ दिया गया। इससे जापानी व्यापार जापान के जहाजों के माध्यम से ही होने लगा। 

(5) बैंकों की स्थापना-1872 ई. के दौरान जापान में आधुनिक बैंकिंग सुविधाओं का विकास हुआ। धीरे-धीरे जापान में अनेक बैंकों की स्थापना होने लगी, जिन्होंने देश के उद्योगों एवं व्यापारिक गतिविधियों के संचालन हेतु पर्याप्त ऋण प्रदान कर अर्थव्यवस्था को गतिशीलता प्रदान की।

(6) बड़ी व्यापारिक कम्पनियों की स्थापना-जापान में ज़ायबात्सु नामक बड़ी व्यापारिक संस्थाओं की स्थापना की गयी। इन संस्थाओं पर विशिष्ट परिवारों का नियंत्रण होता था। जापानी अर्थव्यवस्था पर इन संस्थाओं का प्रभुत्व द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् भी बना रहा। 

औद्योगिक विकास का पर्यावरण पर प्रभाव-मेज़ी शासन के दौरान उद्योगों का तीव्र गति से विकास एवं लकड़ी जैसे प्राकृतिक संसाधनों की माँग बढ़ने से पर्यावरण का विनाश हुआ। औद्योगिक प्रदूषण की बढ़ती हुई तीव्रता को देखते हुए जापानी संसद के निम्न सदन के सदस्य तनाका शोज़ो ने 1897 ई. में औद्योगिक प्रदूषण के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ किया। उन्होंने कहा कि औद्योगिक प्रगति के लिए सामान्य जनता की बलि देना तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने अपने आन्दोलन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण के विरुद्ध जापानी सरकार को उचित कार्यवाही करने हेतु बाध्य कर दिया। 

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प्रश्न 4. 
द्वितीय विश्वयुद्ध में पराजित होने के पश्चात् जापान की वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में किस प्रकार वापसी हुई ? विस्तार से बताइए।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध में पराजित होने के बाद जापान की एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में वापसी को निम्नलिखित बिन्दुओं में स्पष्ट किया जा सकता है
(1) जापान का वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरना-द्वितीय विश्वयुद्ध में संयुक्त राज्य अमरीका के हाथों जापान को पराजय का मुँह देखना पड़ा। अमरीका ने विश्वयुद्ध को शीघ्र समाप्त करने के लिए जापान के दो नगरों हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराए, जिससे जापान के हजारों लोग मारे गये व घायल हो गए। फलस्वरूप जापान को आत्मसमर्पण करना पड़ा। 1945 से 1947 ई. के दौरान अमरीका का जापान पर कब्जा रहा।

इस दौरान जापान का विसैन्यीकरण किया गया तथा वहाँ एक नया संविधान लागू किया गया। नये संविधान के अनुच्छेद में यह प्रावधान किया गया कि राष्ट्रीय नीति के माध्यम से युद्ध का प्रयोग नहीं किया जायेगा। इसके अतिरिक्त कृषि सुधार किये गये तथा व्यापारिक संगठनों का पुनर्गठन किया गया और जापानी अर्थव्यवस्था में बड़ी एकाधिकार वाली कम्पनियों के प्रभुत्व को समाप्त करने का प्रयास किया गया। राजनीतिक दलों को पुनर्जीवित किया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् 1946 ई. में जापान में हुए प्रथम आम चुनाव में महिलाओं को मतदान का अधिकार प्रदान किया गया।

(2) जापानी अर्थव्यवस्था का विकास-द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था के विकास हेतु अनेक प्रयत्न किये फलस्वरूप उनका प्रभाव भी एक चमत्कार के रूप में हमारे समक्ष आया। जापानी अर्थव्यवस्था तीव्र गति से विकास के पथ पर अग्रसर होने लगी। इसी दौरान जापानी संविधान को औपचारिक रूप से गणतांत्रिक रूप भी प्रदान किया गया। जापानी बुद्धिजीवियों ने जनवादी आन्दोलनों एवं राजनीतिक भागीदारी का आधार रखने में बहुत अधिक योगदान दिया। सरकार, नौकरशाही एवं सेना के मध्य निकटता का सम्बन्ध स्थापित किया गया।

अमरीकी समर्थन तथा साथ ही कोरिया व वियतनाम के मध्य युद्ध छिड़ने से भी जापानी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्राप्त हुई। 1964 ई. में तोक्यो में हुए ओलम्पिक खेल जापानी अर्थव्यवस्था की प्रगति का प्रमाण थे। 1964 ई. में ही जापानी अर्थव्यवस्था को तीव्र गति प्रदान करने के लिए बुलेट ट्रेनों का जाल भी बिछाया गया। ये रेलगाड़ियाँ 200 से 300 मील प्रतिघण्टे की गति से चलती थीं। इन रेलों द्वारा यात्री एवं माल का परिवहन शीघ्रता से होने लगा, फलस्वरूप जापान नई तकनीकी के बल पर श्रेष्ठ व सस्ते उत्पाद बाजार में प्रस्तुत करने में सफल रहा।

(3) पर्यावरण प्रदूषण एवं नागरिक समाज आन्दोलन-1960 ई. के दशक में बढ़ते औद्योगीकरण के कारण लोगों के स्वास्थ्य व पर्यावरण को बहुत अधिक हानि उठानी पड़ी। फलस्वरूप नागरिक समाज आन्दोलनों का विकास हुआ। 1960 ई. के दशक में मिनामाता में पारे का विष फैलने एवं 1970 ई. के दशक के उत्तरार्ध में वायु प्रदूषण के फैलने सम्बन्धी समस्याओं के समाधान में इन नागरिक समाज आन्दोलनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि आज छोटे से देश जापान ने अपनी अर्थव्यवस्था का इतना अधिक विकास कर लिया है कि वह आज विकसित देशों की गिनती में सम्मिलित है।

प्रश्न 5. 
1911 ई. की क्रान्ति से पूर्व चीन की स्थिति को विस्तार से बताइए। 
उत्तर:
1911 ई. की क्रान्ति से पूर्व चीन की स्थिति का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(1) जेसुइट मिशनरियों का चीन से सम्पर्क-आधुनिक चीन की शुरुआत सोलहवीं एवं सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय देशों के साथ उसके प्रथम सम्पर्क होने के समय से ही मानी जाती है। इस काल में यूरोप के ईसाई धर्म प्रचारक जेसुइट मिशनरियों ने गणित व खगोल विद्या जैसे पश्चिमी जगत में प्रचलित विज्ञानों के ज्ञान को चीन पहुँचाया अर्थात् चीन में शिक्षण प्रारम्भ हुआ। 

(2) अफ़ीम युद्ध की भूमिका-उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन ने अपने अफ़ीम के व्यापार में वृद्धि करने के लिए चीन के विरुद्ध सैन्य बल का प्रयोग किया फलस्वरूप ब्रिटेन व चीन के मध्य प्रथम अफ़ीम युद्ध 1839 ई. 1842 ई. के मध्य हुआ। इस युद्ध में चीन की पराजय हुई। इस युद्ध ने चीन के सत्ताधारी क्विंग राजवंश की प्रतिष्ठा को आघात पहुँचाया और उसे कमजोर कर दिया। इससे चीन में सुधार एवं परिवर्तनों की माँग होने लगी।

(3) प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार-चीन के प्रसिद्ध समाज सुधारकों, जैसे-कांग युवेई व लियांग किचाउ ने चीन की प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार कर व्यवस्था को सुदृढ़ करने पर बल दिया। फलस्वरूप चीनी सरकार ने एक आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था, नवीन शिक्षा प्रणाली एवं नई सेना के निर्माण के लिए नीतियाँ बनायीं। इसके अतिरिक्त देश में संवैधानिक सरकार के गठन हेतु स्थानीय विधायिकाओं का गठन किया गया।

(4) उपनिवेशित देशों के उदाहरण-चीनी समाज सुधारकों ने चीन को उपनिवेशीकरण से बचाने पर भी बल दिया। वे साम्राज्यवादी शक्तियों द्वारा उपनिवेश बनाए गए देशों के नकारात्मक उदाहरणों से प्रभावित थे। भारत एवं पोलैण्ड जैसे देशों के उदाहरणों से चीनी लोग प्रभावित थे। वे अपने देश को एक उपनिवेश के रूप में नहीं देखना चाहते थे। कई जापानी विद्वानों ने भारत की आलोचना करते हुए कहा कि यह देश एक कम्पनी (ईस्ट इंडिया कम्पनी) के हाथों नष्ट हो गया है। यहाँ के लोग ब्रिटिश लोगों की सेवा कर रहे हैं तथा बदले में उनके क्रूर व्यवहार को सहन कर रहे हैं। ऐसे विद्वानों के तर्क से चीनी लोग प्रभावित थे। वे मानते थे कि ब्रिटेन, चीन के साथ युद्ध में भारतीय सैनिकों का प्रयोग करता है।

(5) कन्फयूशियसवाद-चीन में लोगों ने अनुभव किया कि परम्परागत सोच को बदलकर ही चीन का विकास किया जा सकता है। चीन के प्रसिद्ध दार्शनिक एवं धर्म सुधारक कन्फयूशियस ने अपनी शिक्षाओं के माध्यम से लोगों की सोच को बदलने का प्रयास किया। इसी विचारधारा को कन्फयूशियसवाद कहा गया। इस विचारधारा के अन्तर्गत अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी व उचित सामाजिक सम्बन्धों पर बल दिया गया था। इस विचारधारा ने चीनी लोगों के जीवन के प्रति दृष्टिकोणों को प्रभावित किया, सामाजिक मानक प्रदान किये तथा चीनी राजनीतिक संघ व संगठनों को आधार प्रदान किया।

(6) अध्ययन हेतु विदेश भेजना-चीनी सरकार ने नए विषयों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विद्यार्थियों को ब्रिटेन, फ्रांस व जापान आदि देशों में पढ़ने हेतु भेजा। 1870 ई. के दशक में एक बड़ी संख्या में चीनी विद्यार्थी शिक्षा प्राप्ति हेतु जापान गये जहाँ उन्होंने न्याय, अधिकार व क्रांति के विचारों को ग्रहण किया। इस शिक्षा ने चीन में गणतंत्र की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

(7) जापान-रूस के मध्य युद्ध-चीनी प्रदेशों पर अधिकार करने के लिए चीन की भूमि पर 1905 ई. में जापान और रूस के मध्य युद्ध हुआ। इस युद्ध के पश्चात् प्राचीन काल से चली आ रही चीनी परीक्षा प्रणाली समाप्त कर दी गई। यह प्रणाली चीनियों को कुलीन सत्ताधारी वर्ग में प्रवेश दिलाने का कार्य करती थी।

(8) गणतंत्र की स्थापना-1911 ई. में हुई क्रान्ति द्वारा मांच साम्राज्य को समाप्त कर दिया गया। इसके पश्चात् सन यात-सेन के नेतृत्व में चीन में गणतंत्र की स्थापना हुई। गणतंत्र की स्थापना के पश्चात् ही चीन का एक आधुनिक देश के रूप में उदय हुआ।

प्रश्न 6. 
च्यांग काईशेक के नेतृत्व में हुए चीन के विकास को समझाइए।
उत्तर:
च्यांग काईशेक के नेतृत्व में चीन का विकास-1925 ई. में आधुनिक चीन के संस्थापक सन यात-सेन की मृत्यु के पश्चात् च्यांग काईशेक सन यात-सेन द्वारा स्थापित (नेशनल पीपुल्स पार्टी) के नेता बने। उनके द्वारा चीन के विकास हेतु किए गए कार्य निम्नलिखित थे
(1) साम्यवादियों की शक्ति को नष्ट करना-च्यांग काईशेक ने एक सैन्य अभियान द्वारा वारलार्ड्स (सामंत वर्ग) को अपने नियन्त्रण में ले लिया तथा साम्यवादियों की शक्ति को नष्ट कर दिया।

(2) कन्फयूशियसवाद का समर्थन-कन्फयूशियसवाद चीन की एक प्रमुख विचारधारा रही है। यह विचारधारा कन्फयूशियस व उसके अनुयायियों की शिक्षा से विकसित की गई। इस विचारधारा के अन्तर्गत अच्छे व्यवहार, व्यावहारिक समझदारी व उचित सामाजिक सम्बन्धों के सिद्धान्तों पर बल दिया गया। इस विचारधारा का च्यांग काईशेक ने समर्थन किया।

(3) राष्ट्र का सैन्यीकरण करना-च्यांग काईशेक ने चीन का सैन्यीकरण करने का कार्यक्रम जारी रखने का प्रयास किया।

(4) एकताबद्ध व्यवहार की प्रवृत्ति और आदतों का विकास-इस बात पर बल दिया कि लोगों को एकताबद्ध व्यवहार की प्रवृत्ति और आदत का विकास करना चाहिए।

(5) महिलाओं के विकास पर बल-च्यांग काईशेक ने चीन में महिलाओं के विकास पर भी बल दिया। उन्होंने महिलाओं को चार सद्गुण उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये चार सद्गुण थे-सतीत्व, वाणी, काम व रंग-रूप। उन्होंने महिलाओं की भूमिका को घरेलू स्तर पर ही देखने पर बल दिया।

(6) औद्योगिक विकास-च्यांग काईशेक के शासनकाल में चीन का औद्योगिक विकास मंद था तथा यह भी कुछ गिने-चुने क्षेत्रों तक ही सीमित था। 1919 ई. में शंघाई जैसे शहरों में औद्योगिक श्रमिक वर्ग का उदय हो रहा था तथा उनकी संख्या लगभग 5 लाख थी। इन श्रमिकों में अल्प मात्रा में ही श्रमिक जहाज़ निर्माण जैसे आधुनिक उद्योगों में कार्यरत थे। अधिकांश लोग व्यापारी व दुकानदार थे। 

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(7) शहरी श्रमिकों की दयनीय दशा-चीन में शहरी श्रमिकों विशेषकर महिलाओं को बहुत कम वेतन मिलता था। कार्य की परिस्थितियाँ, कार्य के घण्टे बहुत लम्बे थे। च्यांग काईशेक के शासनकाल में व्यक्तिवाद बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं के अधिकार, परिवार निर्माण के तरीकों व प्रेम-मोहब्बत जैसे इन विषयों पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा। __(8) विद्यालयों और विश्वविद्यालयों का विस्तार-च्यांग काईशेक के शासनकाल में विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों का विस्तार किया गया जिससे चीन के सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में परिवर्तन लाने में सहायता प्राप्त हुई। 1902 ई. में पीकिंग विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।

(9) पत्रकारिता का विकास-च्यांग काईशेक के शासनकाल में चीन में पत्रकारिता का भी विकास हुआ। शाओ तोआफेन द्वारा सम्पादित लोकप्रिय पत्रिका 'लाइफ वीकली' इस नयी विचारधारा की प्रतिनिधि थी। इस पत्रिका ने अपने चीनी पाठकों को नए विचारों के साथ-साथ महात्मा गाँधी व कमाल अतातुर्क जैसे नेताओं की विचारधाराओं से अवगत कराया।

प्रश्न 7. 
चीनी साम्यवादी दल का उदय किस प्रकार हुआ ? 1949 ई. तक माओ त्सेतुंग के नियंत्रण में यह दल किस प्रकार शक्तिशाली बना? विस्तार से बताइये।
उत्तर:
चीनी साम्यवादी दल का उदय-चीन में साम्यवादी दल की स्थापना नयी क्रांति के कुछ समय पश्चात् 1921 ई. में हुई थी। माओ त्सेतुंग का एक प्रमुख नेता के रूप में उभरना-माओ त्सेतुंग चीनी साम्यवादी दल के एक प्रमुख नेता के रूप में उभरे। उन्होंने रूसी क्रांति के कार्यक्रमों को किसानों से जोड़ते हुए एक अलग मार्ग अपनाया। उनके प्रयासों से चीनी साम्यवादी दल एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बन गया। इस दल ने अन्ततः कुओमीनतांग (नेशनल पीपुल्स पार्टी) को पराजित कर दिया।

माओ त्सेतुंग के नियंत्रण में साम्यवादी दल का शक्तिशाली बनना:
माओ त्सेतुंग के आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीके-
चीनी साम्यवादी दल के नेता माओत्से तुंग के आमूल परिवर्तनवादी तौर-तरीके जियांग्सी नामक स्थान पर दिखाई दिए। 1928 से 1934 ई. के दौरान उन्होंने जियांग्सी के पर्वतों में कुओमीनतांग के आक्रमणों से बचाव हेतु सुरक्षित शिविर लगाए। एक मज़बूत किसान परिषद का गठन किया। भूमि का नियंत्रण स्थापित कर उसका पुनर्वितरण किया। महिलाओं के विकास हेतु ग्रामीण महिला संघों के निर्माण को प्रोत्साहन प्रदान किया। उन्होंने विवाह के नए कानून बनाए। आयोजित विवाहों और विवाहों के समझौतों में क्रय-विक्रय पर रोक लगाकर तलाक को आसान बनाया। 

लाँग मार्च का आयोजन-
माओ त्सेतुंग द्वारा निर्मित किसान परिषद की कुओमीनतांग द्वारा घेराबंदी करने से साम्यवादी दल को कोई अन्य आधार ढूँढ़ने के लिए विवश होना पड़ा। इसके चलते उन्हें 1934-35 ई. के मध्य लाँग मार्च पर जाना पड़ा जो कि शांग्सी तक 6000 मील की एक कठिन यात्रा थी। अपने नये अड्डे येनान (यून्नान) में उन्होंने युद्ध सामंतवाद को समाप्त करने, भूमि सुधार लागू करने एवं विदेशी साम्राज्यवाद से लड़ने के अपने कार्यक्रम को गति प्रदान की। इससे उन्हें मजबूत सामाजिक आधार प्राप्त हुआ। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान साम्यवादी दल के समर्थकों एवं कुओमीनतांग ने मिल-जुलकर कार्य किया। युद्ध समाप्त होने के पश्चात् कुओमीनतांग की पराजय हुई और साम्यवादी सत्ता में आ गए।
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प्रश्न 8. 
1978 ई. से चीन में प्रारम्भ होने वाले सुधारों का विस्तार से वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
1978 ई. से चीन में प्रारम्भ होने वाले सुधारों का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(1) समाजवादी बाजार अर्थव्यवस्था का प्रारम्भ-माओ त्सेतुंग द्वारा चीन में सांस्कृतिक क्रान्ति के पश्चात् चीनी साम्यवादी दल में राजनीतिक दाव-पेंच की प्रक्रिया आरम्भ हुई। तंग शीयाओफींग ने पार्टी पर सुदृढ़ नियंत्रण बनाए रखा तथा देश में साम्यवादी बाजार अर्थव्यवस्था का आरम्भ किया। अब चीनी लोग स्वच्छंद रूप से उपभोक्ता सामग्री खरीदने में समर्थ होने लगे।

(2) चार सूत्री लक्ष्यों की घोषणा-1978 ई. में चीन साम्यवादी दल ने आधुनिकीकरण के अपने चार सूत्री लक्ष्यों की घोषणा की। जिनमें विज्ञान, उद्योग, कृषि एवं रक्षा का विकास करना सम्मिलित था। पार्टी से बहस न करने की शर्त पर वाद-विवाद करने की अनुमति भी प्रदान की गई।

(3) नवीन व स्वतंत्र विचारों का प्रचार-प्रसार-1978 ई. व उसके पश्चात् चीन में किए गए सुधारों से नवीन व स्वतंत्र विचारों का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हुआ। 5 दिसम्बर 1972 ई. को चीन में एक भवन की दीवार पर लगे एक पोस्टर में यह दावा किया गया था कि लोकतंत्र के अभाव में अन्य समस्त आधुनिकताएँ किसी काम की नहीं हैं अर्थात् अनुपयोगी हैं। लोकतंत्र के बिना आधुनिकीकरण सम्भव नहीं है। इसी पोस्टर में निर्धनता और लैंगिक शोषण की समाप्ति न हो पाने के लिए साम्यवादी पार्टी की आलोचना भी की गई।

(4) लोकतंत्र की माँग-1989 ई. में, 4 मई 1919 ई. के आन्दोलन की 70वीं सालगिरह के अवसर पर अनेक चीनी विद्वानों ने अधिक खुलेपन तथा कठोर सिद्धान्तों को समाप्त करने की माँग की। इसी माँग के सम्बन्ध में बीजिंग के तियानमेन चौक पर हजारों चीनी विद्यार्थियों ने एक विशाल प्रदर्शन कर लोकतंत्र की माँग की। परन्तु चीन सरकार ने विद्यार्थियों के प्रदर्शन का करता से दमन कर दिया। चीनी सरकार के इस कदम की विश्वभर में आलोचना हुई।

(5) चीन के विकास पर वाद-विवाद-बीजिंग में हुए विद्यार्थियों के विशाल प्रर्दशन के कुछ समय पश्चात् चीन में विकास के प्रश्न पर पुनः वाद-विवाद प्रारम्भ हो गया। साम्यवादी पार्टी चीन में एक मजबूत राजनीतिक प्रशासन, आर्थिक खुलेपन एवं विश्व बाजार में वैश्वीकरण का समर्थन करती थी। लेकिन आलोचकों का यह मत है कि राजनीतक गुटों, क्षेत्रों तथा पुरुषों व महिलाओं के मध्य असमानता निरन्तर बढ़ रही है जो चीन में सामाजिक तनाव में वृद्धि कर रही है। निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि आज चीन में प्राचीन परम्पारिक विचार पुनर्जीवित हो रहे हैं। कन्फयूशियस की शिक्षाओं को अपनाया जा रहा है फलस्वरूप चीन अपने बल पर आधुनिक समाज का निर्माण करते हुए विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। 

प्रश्न 9.
ताइवान के बारे में विस्तार से एक निबन्ध लिखिए।
अथवा 
ताइवान और चीन' विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
(1) च्यांग काईशेक का ताइवान आना-1949 ई. में चीन के साम्यवादी दल द्वारा पराजित होने के पश्चात् कुओमीनतांग के नेता च्यांग काईशेक 30 करोड़ से अधिक अमरीकी डॉलर एवं मूल्यवान कलाकृतियों को लेकर ताइवान पहुँच गया। वहाँ उसने चीनी गणतंत्र की स्थापना की। 1945 ई. में ही चीन को कायरो घोषणा पत्र (1943 ई.) एवं पोट्सडैम उद्घोषणा (1949 ई.) के माध्यम से जापान से सम्प्रभुता वापस प्राप्त हुई थी। पूर्व में ताइवान पर जापान का आधिपत्य स्थापित था।

(2) ताइवान में चीनी गणतंत्र की स्थापना-1949 ई. में च्यांग काईशेक ने ताइवान में चीनी गणतंत्र की स्थापना कर एक दमनकारी सरकार का गठन किया। इसके शासनकाल में लोगों से सरकार के विरुद्ध बोलने एवं राजनीतिक विरोध करने की स्वतंत्रता छीन ली। सत्ता के केन्द्रों से स्थानीय लोगों को पूर्ण रूप से हटा दिया गया।

(3) अर्थव्यवस्था में सुधार-च्यांग काईशेक की ताइवानी सरकार ने खेती की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कई भूमि सुधार कार्यक्रम लागू किए। सरकार ने अर्थव्यवस्था का भी आधुनिकीकरण किया। फलस्वरूप 1973 ई. में कुल राष्ट्रीय उत्पाद के मामलों में ताइवान एशिया महाद्वीप में जापान के पश्चात् द्वितीय स्थान पर रहा। ताइवानी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से व्यापार पर आधारित थी, जिससे अमीर व गरीब की खाई कम हो गयी।

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(4) लोकतंत्र की स्थापना-ताइवान में लोकतंत्र की स्थापना की प्रक्रिया 1975 ई. में च्यांग काईशेक की मृत्यु के पश्चात् मंद गति से शुरू हुई। इस दिशा में कदम उठाते हुए ताइवान से 1987 ई. में सैनिक शासन को हटा लिया गया तथा विरोधी राजनीतिक दलों को कानूनी मान्यता प्रदान कर दी गयी। स्वतंत्र मतदान प्रक्रिया के माध्यम से स्थानीय ताइवानी लोग भी सत्ता में आने लगे। राजनयिक स्तर पर अधिकांश देशों के व्यापार मिशन ताइवान में स्थापित हुए। ताइवान को चीन का एक भाग माने जाने के कारण विभिन्न देशों द्वारा ताइवान से संपूर्ण राजनयिक सम्बन्ध स्थापित कर दूतावास स्थापित करना सम्भव नहीं हो पाया।

(5) चीन-ताइवान के पुनः एकीकरण की समस्या-वर्तमान समय में भी चीन के साथ ताइवान का पुनः एकीकरण एक विवाद का विषय बना हुआ है। धीरे-धीरे ताइवान के साथ चीन के सम्बन्धों में सुधार आ रहा है। चीन के साथ ताइवानी व्यापार बढ़ रहा है तथा चीन में ताइवानी निवेश में भी वृद्धि हो रही है। निकट भविष्य में चीन व ताइवान एक हो सकते हैं।

प्रश्न 10. 
चीन और जापान की ऐतिहासिक परिस्थितियों ने उनके स्वतंत्र तथा आधुनिक देश बनने के बिल्कुल अलग-अलग मार्ग बनाए। कथन को विस्तार से स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
चीन एवं जापान द्वारा आधुनिकीकरण के लिए अपनाए गए मार्गों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चीन एवं जापान की ऐतिहासिक परिस्थितियों ने उनके स्वतंत्र आधुनिक देश बनाने के बिल्कुल अलग-अलग मार्ग बनाए, जिनका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(अ) चीन के आधुनिकीकरण का मार्ग-
चीन के आधुनिकीकरण का मार्ग पूर्णतया भिन्न था। इस देश के राजनीतिक नियंत्रण को यूरोपीय देशों एवं जापान के विदेशी साम्राज्यवाद ने कमजोर बना दिया था, जिससे राजनीतिक एवं सामाजिक व्यवस्था भंग करने हेतु अनुकूल वातावरण बन गया। इन समस्त कारणों की वजह से चीन की अधिकांश जनसंख्या को दुखों एवं कष्टों का सामना करना पड़ा। वर्षों तक युद्ध, सामन्तवाद, लूटमार, गृहयुद्ध जैसी समस्याओं के कारण एक बड़ी संख्या में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। 1894-95 ई. में चीन और जापान के मध्य युद्ध एवं 1931 ई. में चीन पर जापानी हमले के अतिरिक्त 1926 से 1949 ई. के मध्य चीन में हुए गृहयुद्ध में अनेक लोगों की अकाल मृत्यु हो गई। चीन में विभिन्न वर्षों में आयी प्राकृतिक आपदाओं ने भी चीनी लोगों की मुसीबतों में वृद्धि कर दी। इन समस्त समस्याओं का समाधान करते हुए चीन के निवासियों ने आधुनिकता का मार्ग अपनाया, जो निम्न प्रकार है

(1) परम्पराओं को त्यागना-1
9वीं और 20 शताब्दी के दौरान चीनी लोगों ने वर्षों पुरानी परम्पराओं को त्यागकर राष्ट्रीय एकता एवं सुदृढ़ता निर्मित करने हेतु अनेक उपायों की तलाश करना प्रारम्भ कर दिया। चीन के साम्यवादी दल एवं उनके समर्थकों ने परम्पराओं को समाप्त करने के लिए कई आन्दोलनों का नेतृत्व किया। ऐसे लोगों ने महसूस किया कि वर्षों पुरानी चली आ रही परम्पराओं ने चीनी जनता को निर्धनता के कुचक्र में जकड़ रखा है, इन परम्पराओं ने महिलाओं को अधीन बनाया है तथा देश को अविकसित ही रखा है।

(2) अधिकार व सत्ता प्रदान करने का आश्वासन-
चीन के साम्यवादी दल ने चीनी जनता को अधिकार एवं शासन में भागीदारी देने का आश्वासन दिया परन्तु इस दल ने वास्तविक रूप में एक केन्द्रीकृत राज्य की स्थापना की। साम्यवादी कार्यक्रम की सफलता ने चीनी जनता में नवीन आशाओं का संचार किया लेकिन दमनकारी राजनीतिक व्यवस्था के कारण उनकी आशाएँ साकार रूप धारण नहीं कर सकी।

(3) आर्थिक असमानताओं की समाप्ति-
चीन में साम्यवादी दल के शासन के दौरान कई शताब्दियों से चीनी समाज में चली आ रही आर्थिक असमानता भी समाप्ति के कगार पर पहुँच गयी।

(4) शिक्षा का प्रसार-चीन में शिक्षा का पर्याप्त प्रचार-
प्रसार हुआ। लोगों को नये विषयों में प्रशिक्षित करने के लिए विद्यार्थियों को जापान, ब्रिटेन एवं फ्रांस जैसे विकसित देशों में अध्ययन हेतु भेजा गया। नयी-नयी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गयी जहाँ विदेशी प्रशिक्षकों द्वारा चीनी विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की गयी।

(5) बाजार सम्बन्धी सुधार-
चीन को आर्थिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए चीनी साम्यवादी दल ने अनेक बाजार सम्बन्धी सुधार किए।

(ब) जापान के आधुनिकीकरण का मार्ग-
जापान अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने में सफल रहा तथा पारम्परिक कौशल एवं प्राचीन प्रथाओं को नए तरीके से उपयोग कर पाया। जापान के आधुनिकीकरण के मार्ग को निम्नलिखित बिन्दुओं के माध्यम से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) उग्र राष्ट्रवाद का जन्म-जापान में अभिजात वर्ग के नेतृत्व में हुए आधुनिकीकरण ने एक प्रकार से उग्र राष्ट्रवाद को जन्म दिया तथा एक शोषणकारी सत्ता को बनाए रखा। इस शोषणकारी शासन ने समय-समय पर जापान में हुई लोकतंत्र की माँग का क्रूरतापूर्वक दमन किया।

(2) औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना-जापान ने एक औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना की। उसने चीन के ताइवान को अपना एक उपनिवेश बनाया, जिससे उस क्षेत्र में कटुता की भावना बनी रही तथा आन्तरिक विकास भी अवरुद्ध हुआ।

(3) जापानी राष्ट्रवाद-जापान का आधुनिकीकरण ऐसे वातावारण में हुआ, जब पश्चिमी साम्राज्यवादी शक्तियों का बोलबाला था। यद्यपि जापान ने पश्चिमी देशों का अनुसरण करने का प्रयास किया परन्तु साथ ही साथ अपनी समस्याओं का स्वयं समाधान ढूँढ़ने का भी प्रयास जारी रखा। जापानी लोग एशिया को पश्चिमी शक्तियों के नियन्त्रण से मुक्त रखने की आशा करते थे। दूसरे लोगों के लिए यही विचार साम्राज्य की स्थापना करने के लिए महत्वपूर्ण कारक सिद्ध हुए।

(4) परम्पराओं का नवीन रूप से प्रयोग करना-जापान में राजनीतिक एवं सामाजिक संस्थानों में सुधार के लिए परम्पराओं को नए एवं रचनात्मक तरीके से प्रयोग करना आवश्यक था। उदाहरण के लिए; मेज़ी शासनकाल की विद्यालयी शिक्षा प्रणाली ने यूरोपीय व अमरीकी प्रथाओं के अनुसार नवीन विषयों को प्रारम्भ किया लेकिन पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जापान के लिए निष्ठावान नागरिकों का निर्माण करना था। जापानी विद्यार्थियों को नैतिक शास्त्र का अध्ययन करना अनिवार्य था क्योंकि इसमें जापानी सम्राट के प्रति स्वामिभक्ति पर बल दिया जाता था।

निष्कर्ष-निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि चीन और जापान दोनों ने अलग-अलग मार्ग अपनाए। आज जापान एवं चीन दोनों ही देश विकास के शिखर पर पहुँच गए हैं। यद्यपि चीन में आज भी राजनीतिक व्यवस्था पर साम्यवादी पार्टी का कड़ा नियंत्रण है। चीन में पुनः सामाजिक अव्यवस्था बढ़ रही है तथा सदियों से दबी पड़ी परम्पराएँ पुनः जीवित होने लगी हैं। आज चीन के समक्ष यह प्रश्न उठ रहा है कि चीन किस प्रकार अपनी धरोहर को बनाये रखते हुए अपना विकास कर सकता है। वहीं जापान एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के कारण साधनविहीन देश होते हुए भी अपने तकनीकी ज्ञान के बल पर निरन्तर विकास की ओर अग्रसर हो रहा है और जापान के समाज की सुदृढ़ता उसके सीखने की शक्ति एवं राष्ट्रवाद की शक्ति को दर्शाता है।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न-विश्व के दिए गए रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए

  1. चीन
  2. जापान
  3. ताइवान
  4. तोक्यो (टोक्यो)। 

उत्तर:
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विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
जापान विश्व के अग्रणी औद्योगिक देशों में से एक है क्योंकि
(क) उसके पास प्रचुर खनिज संसाधन हैं
(ख) उसके पास प्रचुर जैव ऊर्जा संसाधन हैं 
(ग) औद्योगिक क्रांति का प्रारम्भ यहीं हुआ था 
(घ) उसके पास उच्च तकनीकी क्षमता है। 
उत्तर:
(घ) उसके पास उच्च तकनीकी क्षमता है। 

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से किस देश में जन्म के समय जीवन-प्रत्याशा (वर्षों में) सर्वाधिक है
(क) जापान 
(ख) संयुक्त राज्य अमेरिका 
(ग) डेनमार्क
(ख) स्विटज़रलैण्ड। 
उत्तर:
(क) जापान 

प्रश्न 3. 
विश्व में दूसरी सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है
(क) हिन्दी 
(ख) स्पेनिश
(ग) अंग्रेजी
(घ) चाइनीज, मंदारिन। 
उत्तर:
(क) हिन्दी 

प्रश्न 4. 
प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारम्भ कब हुआ ?
(क) 3 अगस्त, 1914 ई.
(ख) 4 अगस्त, 1914 ई.
(ग) 6 अगस्त, 1914 ई.
(घ) 5 अगस्त, 1914 ई.। 
उत्तर:
(ख) 4 अगस्त, 1914 ई.

प्रश्न 5. 
हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम कब गिराए गए
(क) 6-9 अगस्त, 1945 
(ख) 7-9 अगस्त, 1945 
(ग) 8-9 अगस्त, 1945
(ग) 6-8 अगस्त, 1945. 
उत्तर:
(क) 6-9 अगस्त, 1945 

प्रश्न 6.
किस देश ने चीन में मुक्त द्वार नीति को प्रारम्भ किया? 
(क) ब्रिटेन तथा अमेरिका
(ख) अमरीका 
(ग) फ्रांस
(घ) जर्मनी। 
उत्तर:
(ख) अमरीका 

प्रश्न 7.
रूसी क्रांति का नेतृत्व किसने किया ?
(क) लोकतंत्रवादियों ने
(ख) डोरिमांस ने
(ग) मैनेशिविकों ने
(घ) बोल्शेविकों ने। 
उत्तर:
(घ) बोल्शेविकों ने। 

प्रश्न 8. 
चीन में कुओमीनतांग दल का गठन किया
(क) सन यात-सेन व चियांग काईशेक 
(ख) माओत्से तुंग
(ग) युआन शिंग काई व चियांग काईशेक 
(घ) यूआन शिंग काई। 
उत्तर:
(क) सन यात-सेन व चियांग काईशेक 

प्रश्न 9. 
हांगकांग का अन्तिम ब्रिटिश गवर्नर कौन था जब 1997 ई. में चीन को हांगकांग वापस दिया गया
(क) क्रिस पेटेन
(ख) इयान स्मिथ 
(ग) देग जियाओ पियांग
(घ) झाओजियान। 
उत्तर:
(क) क्रिस पेटेन

प्रश्न 10. 
ड्यूमा क्या है ?
(क) जर्मन साम्राज्य की विधान सभा
(ख) रूस साम्राज्य की विधान सभा 
(ग) फिलीपीन्स की विधान सभा
(घ) चीन साम्राज्य की विधान सभा। 
उत्तर:
(घ) चीन साम्राज्य की विधान सभा। 

प्रश्न 11. 
भारत और चीन के मध्य लड़ाई कब हुई ?
(क) 1959-60 ई.
(ख) 1962-63 ई. 
(ग) 1963-64 ई. 
(घ) 1951-52 ई.
उत्तर:
(ख) 1962-63 ई. 

प्रश्न 12. 
नवीन चीन के पिता कौन हैं ?
(क) चियांग काई शेक 
(ख) ली हांग झांग 
(ग) रोम फांग 
(घ) सन यात-सेन। 
उत्तर:
(घ) सन यात-सेन। 

प्रश्न 13. 
प्रथम विश्वयुद्ध में किस राष्ट्र ने प्रजातंत्र को बचाने के लिए भाग लिया था
(क) फ्रांस
(ख) जर्मनी 
(ग) रूस
(घ) संयुक्त राज्य अमरीका। 
उत्तर:
(घ) संयुक्त राज्य अमरीका। 

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प्रश्न 14. 
निम्न में से किस देश ने द्वितीय विश्वयुद्ध में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था
(क) जर्मनी
(ख) फ्रांस 
(ग) संयुक्त राज्य अमरीका
(घ) ब्रिटेन। 
उत्तर:
(ग) संयुक्त राज्य अमरीका

प्रश्न 15. 
प्राचीनकाल में किस सभ्यता में नौकरशाही में प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर पदों का चयन होता था
(क) चीन 
(ख) मिस्र
(ग) अमरीका 
(घ) सुमेरिया। 
उत्तर:
(क) चीन 

प्रश्न 16. 
कुओमीनतांग ने चीन में अपना स्थान खोया, कारण
(क) अमरीका व जापान युद्ध। 
(ख) च्यांग काईशेक की सरकार भ्रष्टाचार की वजह से अलोकप्रिय हो गई थी। 
(ग) च्यांग काईशेक का अपहरण कर लिया गया
(घ) जापान द्वारा चीन के प्रांतों का अधिग्रहण। 
उत्तर:
(ख) च्यांग काईशेक की सरकार भ्रष्टाचार की वजह से अलोकप्रिय हो गई थी। 

प्रश्न 17. 
चीन ने सिविल सेवा परीक्षा कब प्रारम्भ की
(क) 1905 ई. 
(ख) 1906 ई. 
(ग) 1949 ई.
(घ) 1920 ई. 
उत्तर:
(ख) 1906 ई. 

प्रश्न 18. 
द्वितीय विश्वयुद्ध में धुरी राष्ट्र कौन थे
(क) जर्मनी, इटली, फ्रांस
(ख) जर्मनी, इटली, रूस  
(ग) इटली, जापान, जर्मनी
(घ) जापान, पोलैण्ड, जर्मनी। 
उत्तर:
(ग) इटली, जापान, जर्मनी

प्रश्न 19. 
द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रारम्भ किस वर्ष हुआ ?
(क) 1940 ई. 
(ख) 1941 ई.
(ग) 1938 ई.
(घ) 1939 ई.
उत्तर:
(घ) 1939 ई.

प्रश्न 20. 
चीन में 1911 ई. के विद्रोह का क्या परिणाम हुआ ?
(क) सामन्तवाद
(ख) प्रजातंत्र 
(ख) जनसाधारण की समस्याओं में वृद्धि 
(घ) एक गणतंत्र की स्थापना 
उत्तर:
(घ) एक गणतंत्र की स्थापना 

प्रश्न 21. 
1945 ई. में अणुबमों के गिराये जाने से तबाह हुए शहर-'नागासाकी' और 'हिरोशिमा' किस देश में स्थित हैं
(क) रोम 
(ख) चीन 
(ग) अमरीका
(घ) जापान। 
उत्तर:
(घ) जापान। 

प्रश्न 22.
अफ़ीम युद्ध किन देशों के बीच लड़े गए-
(क) ब्रिटेन व चीन 
(ख) भारत व चीन 
(ग) भारत और ब्रिटेन 
(घ) ब्रिटेन व चीन। चीन के राष्ट्रवादी दल कु
उत्तर:
(घ) ब्रिटेन व चीन। चीन के राष्ट्रवादी दल कु

प्रश्न 23.
ओमीनतांग की स्थापना किसने की थी ?
(क) यु-ई ने 
(ख) माओत्से तुंग ने 
(ग) सन यात-सेन ने 
(घ) च्यांग काई शेक ने।
उत्तर:
(ग) सन यात-सेन ने 

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प्रश्न 24. 
अमरीकी नौसेना तथा वायुसेना वेस (पर्ल हार्बर) पर किस देश के द्वारा आक्रमण किया गया
(क) जापान
(ख) इटली
(ग) इंग्लैण्ड
(घ) चीन।। 
उत्तर:
(क) जापान

प्रश्न 25. 
पहली बार परमाणु बम कहाँ फेंका गया
(क) नागासाकी 
(ख) हालैण्ड
(ग) पर्ल हार्बर
(घ) हिरोशिमा। 
उत्तर:
(घ) हिरोशिमा। 

Prasanna
Last Updated on Sept. 23, 2022, 9:59 a.m.
Published Aug. 1, 2022