RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

Rajasthan Board RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र Important Questions and Answers. 

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 
भारत के विशाल मैदानी भाग का अपवाह प्रतिरूप है
(क) वृक्षाकार
(ख) जालीनुमा 
(ग) आयताकार 
(घ) अभिकेन्द्री।
उत्तर:
(क) वृक्षाकार

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र  

प्रश्न 2. 
एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र कहलाता है
(क) नदी द्रोणी
(ख) अपवाह द्रोणी 
(ग) जलसंभर 
(घ) जलडमरू।
उत्तर:
(ख) अपवाह द्रोणी 

प्रश्न 3. 
निम्न में से पूर्ववर्ती नदी है-
(क) चम्बल
(ख) शारदा
(ग) कोसी 
(घ) यमुना।
उत्तर:
(ग) कोसी 

प्रश्न 4. 
सिन्धु नदी की भारत में कुल कितनी लम्बाई है?
(क) 2820 किमी
(ख) 1114 किमी.
(ग) 2525 किमी. 
(घ) 916 किमी.।
उत्तर:
(ख) 1114 किमी.

प्रश्न 5. 
घाघरा नदी का उद्गम स्थल है?
(क) गंगोत्री
(ख) माप चाचुंगो 
(ग) जानापाव पहाड़ी
(घ) यमुनोत्री।
उत्तर:
(ख) माप चाचुंगो 

प्रश्न 6. 
भारत में पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है? 
(क) तापी 
(ख) गंगा
(ग) चम्बल 
(घ) यमुना। 
उत्तर:
(क) तापी 

प्रश्न 7. 
अरावली के पश्चिम में राजस्थान का सबसे बड़ा नदी तंत्र है
(क) लूनी
(ख) चम्बल
(ग) यमुना 
(घ) पेरियार। 
उत्तर:
(क) लूनी

प्रश्न 8. 
एक नदी के चैनल में वर्षपर्यन्त जलप्रवाह के प्रारूप को कहा जाता है
(क) द्रोणी
(ख) प्रतिरूप 
(ग) नदी बहाव प्रवृत्ति 
(घ) दिक् परिवर्तन। 
उत्तर:
(ग) नदी बहाव प्रवृत्ति 

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए

1.

1. स्तम्भ अ (नदी का नाम)

स्तम्भ ब (उद्गम स्थल)

(i) यमुना

(अ) गंगोत्री

(ii) सतलज

(ब) कैलाश पर्वत

(iii) ब्रह्मपुत्र

(स) यमुनोत्री

(iv) नर्मदा

(द) अमरकंटक चोटी

(v) गंगा

(य) राक्षस ताल

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र
उत्तर:

1. स्तम्भ अ (नदी का नाम)

स्तम्भ ब (उद्गम स्थल)

(i) यमुना

(स) यमुनोत्री

(ii) सतलज

(य) राक्षस ताल

(iii) ब्रह्मपुत्र

(ब) कैलाश पर्वत

(iv) नर्मदा

(द) अमरकंटक चोटी

(v) गंगा

(अ) गंगोत्री

2.

2. स्तम्भ अ (नदी)

स्तम्भ ब (अपवाह तंत्र)

(i) झेलम

(अ) बंगाल की खाड़ी

(ii) यमुना

(ब) अरब सागरीय

(iii) मानस

(स) सिंधु अपवाह

(iv) कृष्ण

(द) गंगा अपवाह

(v) शरावती

(य) ब्रह्मपुत्र अपवाह

उत्तर:

2. स्तम्भ अ (नदी)

स्तम्भ ब (अपवाह तंत्र)

(i) झेलम

(स) सिंधु अपवाह

(ii) यमुना

(द) गंगा अपवाह

(iii) मानस

(य) ब्रह्मपुत्र अपवाह

(iv) कृष्ण

(अ) बंगाल की खाड़ी

(v) शरावती

(ब) अरब सागरीय


रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न

निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. वर्षभर बहने वाली नदी को ..........कहा जाता है। 
  2. सिन्धु अपवाह तंत्र का कितना भाग..................भारत में मिलता है। 
  3. हिमालय अपवाह तंत्र भारत में.............के नाम से जाना जाता है। 
  4. जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समांतर बहती हों तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हैं तो ऐसे प्रतिरूप को.............कहा जाता है। 
  5. जब सभी दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में विसर्जित होती हैं तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को ........... कहा जाता है। 

उत्तर:

  1. बारहमासी 
  2. 3.25 लाख वर्ग किमी
  3. उत्तरी अपवाह तंत्र
  4. जालीनुमा प्रतिरूप
  5. अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रतिरूप। 

सत्य-असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न

निम्न कथनों में से सत्य-असत्य कथन की पहचान कीजिए

  1. बंगाल का शोक कोसी नदी को कहते हैं।
  2. सांग्पो के नाम से ब्रह्मपुत्र नदी को जाना जाता है।
  3. लुहित और दिहांग गंगा नदी की सहायक नदी हैं।
  4. गोदावरी नदी को दक्षिण की गंगा कहा जाता है।
  5. धुआँधार जल प्रपात तापी नदी पर स्थित है।

उत्तर:

  1. असत्य
  2. सत्य 
  3. असत्य 
  4. सत्य 
  5. असत्य। 

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
अपवाह से क्या आशय है ? 
उत्तर:
निश्चित वाहिकाओं के माध्यम से हो रहे जल प्रवाह को अपवाह कहा जाता है। 

प्रश्न 2. 
अपवाह तन्त्र क्या होता है ? 
उत्तर:
किसी क्षेत्र में प्रवाहित जल वाहिकाओं के जाल को अपवाह तन्त्र कहते हैं। 

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प्रश्न 3. 
अपवाह तन्त्र को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र का अपवाह तन्त्र उस क्षेत्र की भूवैज्ञानिक समयावधि चट्टानों की प्रकृति एवं संरचना स्थलाकृति ढाल बहते हुए जल की मात्रा एवं बहाव की अवधि का परिणाम है।

प्रश्न 4. 
जल ग्रहण क्षेत्र से क्या आशय है ? 
उत्तर:
एक नदी विशिष्ट क्षेत्र से अपना जल बहाकर लाती है जिसे जलग्रहण क्षेत्र कहा जाता है। 

प्रश्न 5. 
उत्तरी भारत के मैदानी भाग का अपवाह प्रतिरूप किस प्रकार का है ? 
उत्तर:
उत्तरी भारत की नदियों का अपवाह प्रतिरूप वृक्षाकार है। 

प्रश्न 6. 
अरीय प्रतिरूप क्या है ? 
उत्तर:
जब नदियाँ किसी पर्वत से निकलकर समस्त दिशाओं में बहती हैं तो इसे अरीय प्रतिरूप कहते हैं। 

प्रश्न 7. 
जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब मुख्य नदियाँ एक-दूसरे के समान्तर बहती हों तथा सहायक नदियाँ उनसे समकोण पर मिलती हों तो ऐसे प्रतिरूप को जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप कहते हैं।

प्रश्न 8. 
अभिकेन्द्री प्रतिरूप क्या है ?
उत्तर:
जब समस्त दिशाओं से नदियाँ बहकर किसी झील या गर्त में गिरती हैं तो ऐसे अपवाह प्रतिरूप को अभिकेन्द्री प्रतिरूप कहते हैं।

प्रश्न 9. 
अपवाह द्रोणी क्या है ? 
उत्तर:
एक नदी एवं उसकी सहायक नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को अपवाह द्रोणी कहा जाता है। 

प्रश्न 10. 
तापी नदी किस अपवाह की अंग है? 
उत्तर:
अरब सागरीय अपवाह का अंग है। 

प्रश्न 11. 
घग्घर नदी किस अपवाह तंत्र का अंग है? 
उत्तर:
घग्घर नदी अन्तः प्रवाह तंत्र का अंग है। 

प्रश्न 12. 
हिमालय से निकलकर पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदियाँ कौन-कौन सी हैं? 
उत्तर:
सिन्धु चेनाब रावी व्यास झेलम। 

प्रश्न 13. 
हिमालय से निकलकर पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदियाँ कौन-कौन सी हैं? 
उत्तर:
गंगा यमुना घाघरा गोमती कोसी शारदा आदि हैं। 

प्रश्न 14. 
जल-संभर से क्या आशय है?
अथवा 
जल विभाजक सीमा क्या होती है?
उत्तर:
एक अपवाह द्रोणी को दूसरी अपवाह द्रोणी से अलग करने वाली सीमा को जल-संभर या जल विभाजक कहा जाता है।

प्रश्न 15. 
समुद्र में जल विसर्जन के आधार पर भारतीय अपवाह तंत्र को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? 
उत्तर:

  1. अरब सागर का अपवाह तंत्र 
  2. बंगाल की खाड़ी का अपवाह तंत्र। 

प्रश्न 16. 
भारतीय अपवाह तंत्र किसके द्वारा विभाजित किया गया है? 
उत्तर:
दिल्लीकटक अरावली व सह्याद्रि पहाड़ियों द्वारा।


प्रश्न 17. 
जल संभर के आकार के आधार पर भारतीय अपवाह को कितने भागों में बाँटा गया है? 
उत्तर:
तीन भागों में- 

  1. प्रमुख नदी द्रोणी 
  2. मध्यम नदी द्रोणी 
  3. लघु नदी द्रोणी।। 

प्रश्न 18. 
उद्गम के प्रकार व प्रकृति के आधार पर भारतीय अपवाह को कितने भागों में बाँटा गया है? . 
उत्तर:
दो भागों में 

  1. हिमालय अपवाह तंत्र 
  2. प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र । 

प्रश्न 19. 
हिमालय अपवाह में कौन-कौन सी नदियाँ शामिल हैं?
उत्तर:
गंगा सिंधु ब्रह्मपुत्र आदि। 

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प्रश्न 20. 
बिहार का शोक किस नदी को कहा जाता है ? 
उत्तर:
कोसी नदी को। 

प्रश्न 21. 
मायोसीन कल्प की एक प्रमुख नदी का नाम बताइए। 
उत्तर:
शिवालिक या इंडो-ब्रह्म नदी। 

प्रश्न 22. 
सिंधु नदी तंत्र का क्षेत्रफल कितना है? 
उत्तर:
11 लाख 65 हजार वर्ग किमी. ।

प्रश्न 23. 
सिंधु नदी के उद्गम स्थल का नाम बताइए। 
उत्तर:
तिब्बती क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू के निकट एक हिमनद से। 

प्रश्न 24. 
सिंधु नदी तंत्र की किन्हीं चार नदियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. सिंधु 
  2. झेलम 
  3. चेनाब 
  4. रावी। 

प्रश्न 25. 
शेर मुख किसे कहते हैं? 
उत्तर:
तिब्बत में सिंधु नदी को सिंगी खंबान या शेरमुख कहा जाता है।

प्रश्न 26. 
सिन्धु की प्रमुख सहायक नदियाँ कौनसी हैं? 
उत्तर:
शयोक गिलगित जास्कर हुंजा नुबरा शिगार गास्टिड द्रास आदि। 

प्रश्न 27. 
पंचनद क्या है? 
उत्तर:
सतलज रावी व्यास चिनाब व झेलम नदी को संयुक्त रूप में पंचनद कहते हैं। 

प्रश्न 28. 
झेलम नदी कहाँ से उद्गमित होती है? 
उत्तर:
पीरपंजाल श्रेणी में स्थित वेरीनाग झरने से। 

प्रश्न 29. 
चिनाब का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
चन्द्रा व भागा नदियों के मिलने से होता है। 

प्रश्न 30. 
रावी नदी का उद्गम स्थल बताइए। 
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है। 

प्रश्न 31. 
व्यास नदी कहाँ से निकलती है? 
उत्तर:
रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से। 

प्रश्न 32. 
सतलुज नदी कहाँ से निकलती है? 
उत्तर:
तिब्बत में मानसरोवर के निकट राक्षसताल से।

प्रश्न 33. 
गंगा नदी का उद्गम स्थल बताइए।
उत्तर:
गंगा नदी भागीरथी के नाम से उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गोमुख के निकट गंगोत्री हिमनद से 3900 मीटर की ऊँचाई से निकलती है।

प्रश्न 34. 
रुद्र प्रयाग में कौनसी नदी गंगा में मिलती है? 
उत्तर:
मंदाकिनी। 

प्रश्न 35. 
गंगा के बायीं ओर आकर मिलने वाली सहायक नदियाँ कौनसी हैं?
उत्तर:
रामगंगा गोमती घाघरा गंडक कोसी महानंदा। 

प्रश्न 36. 
यमुना नदी का उद्गम स्थल लिखिए। 
उत्तर:
यमुना नदी का उद्गम हिमालय पर्वत की बंदरपूँछ श्रेणी के पश्चिमी ढाल पर स्थित यमुनोत्री हिमनद से है। 

प्रश्न 37. 
यमुना नदी में प्रायद्वीपीय पठार से निकलकर मिलने वाली नदियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
चम्बल सिंध बेतवा तथा केन नदियाँ।

प्रश्न 38. 
चंबल नदी का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
मध्यप्रदेश के मऊ जिले की जानापाव पहाड़ियों से। 

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प्रश्न 39. 
चंबल क्यों प्रसिद्ध है? 
उत्तर:
अवनालिका अपरदन व उत्खात भू-आकृति के लिए। 

प्रश्न 40. 
गंडक नदी कहाँ से निकलती है? 
उत्तर:
नेपाल हिमालय में धौलागिरी व माउंट एवरेस्ट के बीच से। 

प्रश्न 41. 
घाघरा नदी का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
मापचाचुंगों हिमनद से। 

प्रश्न 42. 
रामगंगा कहाँ से निकलती है? । 
उत्तर:
गैरसेन के निकट गढ़वाल पहाड़ियों से। 

प्रश्न 43. 
बंगाल का शोक किसे कहते हैं? 
उत्तर:
दामोदर नदी को। 

प्रश्न 44. 
शारदा नदी का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
नेपाल हिमालय में मिलाप हिमनद से। 

प्रश्न 45. 
महानंदा का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
दार्जिलिंग की पहाड़ियों से। 

प्रश्न 46. 
सोन नदी कहाँ से निकलती है? 
उत्तर:
अमरकंटक की पहाड़ियों के उत्तरी भाग से। 

प्रश्न 47. 
ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दिबांग लोहित बूढ़ी दिहिंग धनसरी कालांग सुबनसिरी कामेग मनास व संकोश ब्रह्मपुत्र नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

प्रश्न 48. 
महानदी का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में सिहावा के निकट से। 

प्रश्न 49. 
दक्षिण की गंगा किसे कहते हैं? 
उत्तर:
गोदावरी को। 

प्रश्न 50. 
गोदावरी का उद्गम कहाँ से होता है? 
उत्तर:
महाराष्ट्र के नासिक जिले से। 

प्रश्न 51. 
कृष्णा नदी कहाँ से निकलती है? 
उत्तर:
सह्याद्रि में महाबलेश्वर के निकट से। 

प्रश्न 52. 
नर्मदा तथा तापी नदियों में जलोढ़ व डेल्टा निक्षेपों की कमी क्यों मिलती है ?
उत्तर:
ये दोनों नदियाँ भ्रंश घाटियों में बहने के कारण अपने अपरदित पदार्थों से मूल दरारों को भर रही हैं। इसी कारण इन नदियों में जलोढ़ व डेल्टा निक्षेप कम मिलते हैं।

प्रश्न 53. 
कावेरी नदी का उद्गम स्थल तथा उसकी ऊँचाई लिखिए।
उत्तर:
कर्नाटक राज्य के कोगाडु जिले में ब्रह्मगिरि पहाड़ियाँ कावेरी नदी का उद्गम स्थल है। इसकी ऊँचाई 1341 मीटर है। .

प्रश्न 54. 
कावेरी नदी की सहायक नदियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
काबीनी भवानी तथा अमरावती नदियाँ। 

प्रश्न 55. 
नर्मदा नदी कहाँ से निकलती है? 
उत्तर:
अमरकंटक पठार के पश्चिमी किनारे से। 

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प्रश्न 56. 
वैतरणी नदी कहाँ से निकलती है? 
उत्तर:
त्र्यंबक की पहाड़ियों से।

प्रश्न 57. 
शरावती नदी का उद्गम कहाँ से है? 
उत्तर:
कर्नाटक के शिमोगा जिले से।

प्रश्न 58. 
केरल राज्य की सबसे बड़ी नदी तथा उसके उद्गम स्थल को लिखिए। 
उत्तर:
केरल राज्य की सबसे बड़ी नदी भरतपूझा है जो अन्नामलाई पहाड़ियों से निकलती है। 

प्रश्न 59. 
केरल की दूसरी सबसे बड़ी नदी कौनसी है? 
उत्तर:
पेरियार नदी। 

प्रश्न 60. 
पश्चिम की ओर बहने वाली किन्हीं दो छोटी नदियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. शेतरुनीजी 
  2. साबरमती। 

प्रश्न 61. 
पूर्व की ओर बहने वाली किन्हीं दो छोटी नदियों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. स्वर्णरेखा 
  2. ब्राह्मणी। 

प्रश्न 62. 
नदी बहाव प्रवृत्ति से क्या आशय है ?
उत्तर:
एक नदी के चैनल में वर्षपर्यन्त जलप्रवाह के प्रारूप को नदी बहाव प्रवृत्ति कहा जाता है। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1प्रश्न)

प्रश्न 1. 
उद्गम के प्रकार प्रकृति व विशेषताओं के आधार पर भारतीय अपवाह तन्त्र को विभक्त कीजिए।
उत्तर:
उद्गम के प्रकार प्रकृति व विशेषताओं के आधार पर भारतीय अपवाह तन्त्र को निम्नलिखित दो वर्गों में रखा जाता है

  1. हिमालयी अपवाह तन्त्र-इसमें प्रमुख रूप से गंगा सिन्धु व ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणियाँ सम्मिलित हैं।
  2. प्रायद्वीपीय अपवाह तन्त्र-इसमें महानदी गोदावरी कृष्णा तथा कावेरी नदी तन्त्रों के अलावा प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरी भाग से निकलने वाली चम्बल सिंधु बेतवा केन व सोन नदियाँ भी सम्मिलित हैं।

प्रश्न 2. 
हिमालयी अपवाह के तीन तन्त्रों में से प्रत्येक के स्रोत तथा उनकी प्रमुख सहायक नदियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हिमालयी अपवाह तन्त्र के स्रोत तथा उनकी सहायक नदियाँ 

नदी तन्त्र

स्रोत

प्रमुख सहायक नदियाँ

1. सिन्धु नदी तन्त्र

तिब्बत क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू के निकट एक हिमनद।

सतलज, व्यास, रावी, चेनाब, झेलम।

2. गंगा नदी तन्त्र

उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री हिमनद।

यमुना, चम्बल, गंडक तथा दामोदर। दिबांग, लोहित, बूढ़ी दिहिंग, कालांग तथा सुबनसिरी।

3. ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र

मानसरोवर झील के निकट चेमायुँगडुंग हिमनद।

प्रमुख सहायक नदियाँ


प्रश्न 3. 
कोसी नदी को बिहार का शोक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
कोसी नदी पर्वतों के ऊपरी भागों से पर्याप्त मात्रा में अवसाद लाकर मैदानी भाग में जमा करती रहती है। इससे इस नदी का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है जिसके फलस्वरूप नदी अपना मार्ग परिवर्तित कर लेती है। यह अपार जन-धन की हानि का कारण बनता है। इसी कारण इस नदी को बिहार का शोक कहते हैं।

प्रश्न 4. 
इण्डो-ब्रह्म नदी का विभाजन किन रूपों में हुआ है?
उत्तर:
इण्डो-ब्रह्म नदी का विभाजन तीन रूपों में हुआ है

  1. पश्चिम में सिंध व उसकी पाँच सहायक नदियाँ। 
  2. मध्य में गंगा व हिमालय से निकलने वाली नदियाँ। 
  3. पूर्व में ब्रह्मपुत्र का भाग व हिमालय से निकलने वाली इसकी सहायक नदियाँ। 

प्रश्न 5. 
पंचनद क्या है ? इसकी प्रमुख नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
पंजाब राज्य में प्रवाहित होने वाली पाँच प्रमुख नदियों को पंचनद कहा जाता है। सतलुज व्यास रावी चिनाब झेलम पंचनद की प्रमुख नदियाँ हैं। ये नदियाँ सिन्धु नदी तंत्र का हिस्सा हैं।

प्रश्न 6. 
सिंधु नदी तंत्र के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
पश्चिमी हिमालय क्षेत्र तथा मैदानी भाग पर विस्तृत सिंधु नदी तन्त्र का भारत में क्षेत्रफल 3.21 लाख वर्ग किमी. है। सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बत क्षेत्र में स्थित सिंगी खंबान या शेरमुख (4165 मीटर ऊँचाई) नामक हिमनद से है। सिन्धु की सहायक नदियों में झेलम चिनाब रावी व्यास तथा सतलुज नामक पाँच नदियाँ प्रमुख हैं।

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 7. 
सतलुज नदी की मुख्य भौतिक दशा बताइए। उत्तर-भौतिक दशाएँ-

  1. इसे लॉगचेन खंबाब के नाम से जाना जाता है।
  2. यह रोपड़ में एक महाखड्ड से निकलती है। 
  3. यह एक पूर्ववर्ती नदी है। 
  4. इस पर भाखड़ा नांगल परियोजना बनी है। 
  5. यह एक महत्वपूर्ण नदी है।। 

प्रश्न 8. 
झेलम नदी की मुख्य विशेषता बताइए। 
उत्तर:
मुख्य विशेषताएँ-

  1. यह सिन्धु की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है। 
  2. यह श्रीनगर व वूलर झील से बहते हुए एक तंग व गहरे महाखड्ड से गुजरती है। 
  3. यह पाकिस्तान में झंग के निकट चेनाब में मिलती है। 

प्रश्न 9. 
रावी नदी का विवरण दीजिए।
उत्तर
यह सिन्धु की सहायक नदी है। इसका प्रवाहन हिमाचल प्रदेश की चंबा घाटी में मिलता है। पाकिस्तान में प्रवेश करने व सराय सिंधु के निकट चिनाब में मिलने से पहले यह नदी पीरपंजाल के दक्षिण-पूर्वी भाग व धौलाधार के बीच प्रवाहित होती है।

प्रश्न 10. 
गंगा नदी तंत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
गंगा नदी भागीरथी नदी के नाम से उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री हिमनद (3900 मीटर ऊँचाई) से उद्गमित होती है। भारत में इस नदी का अपवाह तन्त्र 8.6 लाख वर्ग किमी. क्षेत्रफल पर विस्तृत है जो भारत में सबसे बड़ा है। यमुना चम्बल गंडक घाघरा रामगंगा दामोदर शारदा महानंदा तथा सोन इस नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। सागर द्वीप के समीप गंगा बंगाल की खाड़ी में विलीन हो जाती है।

प्रश्न 11. 
यमुना की सहायक नदियों व इससे निकलने वाली नहरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
यमुना की सहायक नदियों में प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली चम्बल सिंध बेतवा केन इसके दाहिने तट पर जबकि हिंडन रिंद सेंगर वरुणा आदि बायें सिरे से आकर मिलने वाली नदियाँ हैं। इसी नदी से पश्चिमी व पूर्वी यमुना नहर व आगरा नहरें निकाली गई हैं।

प्रश्न 12. 
नमामि गंगे परियोजना क्या है?
उत्तर;
यह एक एकीकृत संरक्षण मिशन है जिसे जून 2014 में केन्द्र सरकार द्वारा प्रमुख कार्यक्रम के रूप में अनुमोदित किया गया। इसमें राष्ट्रीय नदी गंगा को प्रदूषण के प्रभाव से बचाने व उसके संरक्षण तथा कायाकल्प की योजना शामिल है। इसमें सीवरेज ट्रीटमेंट जैवविविधता वनीकरण जन जागरूकता नदी सतह सफाई व औद्योगिक अपशिष्ट निगरानी मुख्य स्तम्भ हैं।

प्रश्न 13.
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम कैलाश पर्वत श्रेणी में मानसरोवर झील के निकट चेमाडुंगडुंग नामक हिमनद से है। मध्य हिमालय में नामचा बरवा (7756 मीटर) नामक स्थान पर गहरा महाखड्ड निर्मित करती हुई यह नदी तीव्र वाहिनी नदी के रूप में भारत के अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। दिबांग तथा लोहित नदी के मिलने के बाद यह नदी ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। असम घाटी में 750 किमी. की लम्बाई में प्रवाहित होने के बाद यह नदी बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है। यहाँ इसे मेघना के नाम से जानते हैं।

प्रश्न 14. 
प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र की विशेषता बताइए।
उत्तर:
विशेषताएँ-

  1. यह हिमालयी अपवाह तंत्र से पुराना है। 
  2. अधिकांश नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं। 
  3. इस अपवाह तंत्र की नदियाँ सुनिश्चित मार्ग पर चलती हैं। 
  4. इस अपवाह की नदियाँ विसर्प नहीं बनाती हैं। 
  5. इसकी नदियाँ प्राय: बारहमासी नहीं हैं।

प्रश्न 15. 
महानदी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में स्थित सिहावा के निकट से निकलने वाली महानदी की कुल लम्बाई 851 किमी. है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 1.42 लाख वर्ग किमी. है। इस नदी के जलग्रहण क्षेत्र का 53 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्यों में तथा शेष 47 प्रतिशत उड़ीसा राज्य में विस्तृत है।

प्रश्न 16. 
गोदावरी नदी का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय भारत में गोदावरी का नदी तन्त्र सबसे बड़ा है। गोदावरी नदी (दक्षिण की गंगा) महाराष्ट्र में नासिक जिले से निकलती है तथा अपनी मुख्य सहायक नदियों (पेनगंगा इन्द्रावती प्राणहिता और मजरा) के साथ महाराष्ट्र मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। गोदावरी नदी की कुल लम्बाई 1465 किमी. तथा जलग्रहण क्षेत्र 3.13 लाख वर्ग किमी. है। कुल जलग्रहण क्षेत्र का 49 प्रतिशत भाग महाराष्ट्र राज्य में 20 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ राज्यों में तथा शेष 31 प्रतिशत भाग आन्ध्र प्रदेश राज्य में है।

प्रश्न 17. 
नर्मदा तथा तापी प्रायद्वीपीय भारत की अन्य प्रमुख नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं ?
उत्तर:
नर्मदा तथा तापी प्रायद्वीपीय भारत की ऐसी नदियाँ हैं जो हिमालय पर्वत श्रेणी में हुए उत्थान के कारण निर्मित भ्रंश घाटियों से पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं। जबकि महानदी गोदावरी कृष्णा तथा कावेरी प्रायद्वीपीय भारत की प्रमुख नदियाँ धरातलीय ढाल के अनुरूप पश्चिम से पूर्व व दक्षिण-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती हैं। इसके अलावा नर्मदा तथा तापी अपने मुहाने पर किसी डेल्टाई भाग का निर्माण नहीं करती हैं जैसा कि अन्य प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियों द्वारा किया जाता है। 

प्रश्न 18. 
लूनी नदी तन्त्र का विवरण दीजिए। 
उत्तर:
राजस्थान राज्य में अरावली के पश्चिम में लूनी नदी तन्त्र विस्तृत मिलता है। पुष्कर के समीप सरस्वती तथा सागरमती नामक दो जलधाराओं के रूप में यह उत्पन्न होती है तथा गोविन्दगढ़ के समीप यह दोनों जलधाराएँ मिल जाती हैं तब यह लूनी नदी कहलाती है। अरावली पहाड़ियों से पश्चिम दिशा में तलवाड़ा तक तथा बाद में दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती हुई कच्छ के रन में विलीन हो जाती है। यह नदी तन्त्र मौसमीय व अल्पकालिक है।

प्रश्न 19. 
पश्चिम तथा पूर्व की ओर बहने वाली छोटी नदियों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
अरब सागर में अपना जल गिराने वाली अधिकांश नदियों की लम्बाई अधिक नहीं मिलती। गुजरात में शेतरुनीजी भद्रा ढाढर साबरमती तथा माही नदियाँ महाराष्ट्र में वैतरणी कर्नाटक में कालिंदी बेति तथा शरावती नदियाँ गोवा में मांडवी तथा जुआरी नदियाँ तथा केरल में भरतपूझा पेरियार तथा पांवा नदियाँ पश्चिम की ओर प्रवाहित प्रायद्वीपीय भारत की प्रमुख छोटी नदियाँ हैं। पूर्व की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय भारत की छोटी नदियों में स्वर्ण रेखा वैतरणी ब्राह्मणी वामसाधारा पेंनर पालार तथा वैगाई उल्लेखनीय हैं।

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 20. 
नदी बहाव प्रवृत्ति से क्या आशय है ? दक्षिण भारत की बहाव प्रवृत्ति किससे नियन्त्रित होती है ?
उत्तर:
एक नदी के चैनल में वर्षपर्यन्त जल प्रवाह के प्रतिरूप को नदी बहाव प्रवृत्ति कहा जाता है। दक्षिण भारत की नदियाँ चूँकि हिमनदों से नहीं निकलती अत: वर्षपर्यन्त इनकी प्रवाह प्रवृत्ति में पर्याप्त उतार-चढ़ाव देखे जाते हैं। दक्षिण भारत की नदियों की बहाव प्रवृत्ति पूर्णतः वर्षा द्वारा नियन्त्रित होती है।

प्रश्न 21. 
जल विसर्जन क्या है ? इसे किस प्रकार मापा जाता है ?
उत्तर:
नदी में समयानुसार जल प्रवाह के आयतन का माप जल विसर्जन कहलाता है। इसे क्यूसेक्स (क्यूबिक फुट प्रति सैकण्ड) या क्यूसेक्स (क्यूबिक मीटर प्रति सैकण्ड) से मापा जाता है।

प्रश्न 22. 
गोदावरी नदी की बहाव प्रवृत्ति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
गोदावरी नदी में न्यूनतम प्रवाह मई माह में तथा अधिकतम प्रवाह जुलाई-अगस्त महीनों में रहता है। अगस्त माह के बाद इनके प्रवाह में भारी कमी आती है। पोलावरम् नामक स्थान पर गोदावरी नदी का औसत अधिकतम जल विसर्जन 3200 क्यूसेक्स तथा औसत न्यूनतम जल विसर्जन 50 क्यूसेक्स रहता है।

प्रश्न 23. 
भारतीय नदियों में प्रदूषण के स्त्रोतों को बताइए।
उत्तर:
भारतीय नदियों में प्रदूषण का सर्वप्रमुख स्रोत नगरों के गन्दे सीवेज जल को सीधे नदियों में डालना है। इसके अलावा औद्योगिक अपशिष्ट तथा मृत शरीर भी नदियों में पड़कर नदियों को प्रदूषित करते हैं। इसके अलावा त्योहारों पर फूलों व मूर्तियों को नदियों में डालना तथा नदियों में कपड़ों को धोना व स्नान करना भी भारतीय नदियों में प्रदूषण बढ़ाते हैं!

प्रश्न 24. 
भारतीय नदियों के प्रदूषण को कम करने या रोकने के उपाय बताइये।
उत्तर:
भारतीय नदियों के किनारे पर बसने वाले लोगों को रोकना चाहिए। नदियों से दूर श्मशान को स्थापित करना चाहिए। कल-कारखानों का गंदा जल नदियों में नहीं छोड़ना चाहिए। मृत पशुओं को नदियों में नहीं बहाना चाहिए। इसके लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर एक विधेयक पारित करके भारत की नदियों का जल प्रदूषण कम कर सकती

प्रश्न 25. 
भारत में नदियों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान है। भारत में नदियों के किनारे ऐतिहासिक धार्मिक व्यापारिक औद्योगिक नगर स्थित हैं। इन नदियों के जल से सिंचाई आन्तरिक जलपरिवहन सस्ती जलविद्युत का उत्पादन किया जाता है। विश्व की जितनी भी प्राचीन सभ्यताओं का विकास हुआ वह सब नदियों के किनारों पर हुआ था।

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2 प्रश्न)

प्रश्न 1. 
भारत के अपवाह तन्त्र को सागर जल विसर्जन के आधार पर विभक्त करिए। उत्तर- भारतीय अपवाह तन्त्र को सागर जल विसर्जन के आधार पर निम्नलिखित दो समूहों में विभक्त किया जाता है

  1. अरब सागर का अपवाह तन्त्र-सिन्धु नदी के अलावा प्रायद्वीपीय भारत में पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदियाँ साबरमती माही नर्मदा तापी वैतरणी मांडवी जुआरी पेरियार तथा पाँवा इस अपवाह तन्त्र में सम्मिलित की जाती हैं। देश के कुल अपवाह क्षेत्र का लगभग 23 प्रतिशत जल इनके द्वारा अरब सागर में डाला जाता है।
  2. बंगाल की खाड़ी का अपवाह तन्त्र-गंगा ब्रह्मपुत्र महानदी गोदावरी कृष्णा तथा कावेरी नदी इस अपवाह तन्त्र में सम्मिलित प्रमुख नदियाँ हैं। देश के कुल अपवाह क्षेत्र का लगभग 77 प्रतिशत जल ये बंगाल की खाड़ी में गिराती हैं।

प्रश्न 2. 
जलसंभर क्षेत्र के आकार के आधार पर भारतीय अपवाह द्रोणियों के प्रकारों को संक्षेप में समझाइए। 
उत्तर;
जलसंभर क्षेत्र के आकार के आधार पर भारतीय अपवाह द्रोणियों के निम्नलिखित तीन प्रकार हैं

  1. प्रमुख नदी द्रोणी-जिन नदी द्रोणियों का अपवाह क्षेत्र 20000 वर्ग किमी. से अधिक होता है वे प्रमुख नदी द्रोणी कहलाती हैं। इनके अन्तर्गत 14 नदी द्रोणियाँ सम्मिलित हैं जिनमें गंगा ब्रह्मपुत्र नर्मदा कृष्णा ताप्ती माही साबरमती बराक एवं पेन्नार आदि सम्मिलित हैं।।
  2. मध्यम नदी द्रोणी-जिन नदी द्रोणियों का अपवाह क्षेत्र 2000 से 20000 वर्ग किमी. होता है वे मध्यम नदी द्रोणी कहलाती है। इसके अन्तर्गत 44 द्रोणियाँ सम्मिलित हैं जिनमें कालिंदी पेरियार एवं मेघना आदि प्रमुख हैं।
  3. लघु नदी द्रोणी-जिन नदी द्रोणियों का अपवाह क्षेत्र 2000 वर्ग किमी. से कम होता है वे लघु नदी द्रोणी कहलाती है। इसके अन्तर्गत न्यून वर्षा वाले क्षेत्रों में प्रवाहित होने वाली नदियाँ सम्मिलित की जाती हैं।

प्रश्न 3. 
हिमालयी अपवाह तंत्र की विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:
हिमालयी अपवाह तंत्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. हिमालयी अपवाह तंत्र भूगर्भिक इतिहास के एक लम्बे दौर में विकसित हुआ है। इसमें मुख्य रूप से गंगा सिंधु व ब्रह्मपुत्र नदी द्रोणियाँ सम्मिलित हैं।
  2. इस अपवाह तंत्र की नदियाँ बारहमासी हैं।
  3. हिमालय पर्वतीय क्षेत्र में ये नदियाँ गहरे महाखड्डों से गुजरती हैं जो हिमालय के उत्थान के साथ-साथ अपरदन क्रिया द्वारा निर्मित हैं।
  4. इस प्रवाह तंत्र की नदियाँ अपने पर्वतीय मार्ग में 'V' आकार की घाटियाँ क्षिप्रिकाएँ जलप्रवाह निर्मित करती हैं तथा मैदानी भागों में अपने मार्ग में समतल घाटियाँ गोखुर झीलें बाढ़ निर्मित मैदान गुंफित वाहिकाएँ तथा नदी के मुहाने पर डेल्टा जैसी निक्षेपणात्मक स्थलाकृतियाँ निर्मित करती हैं।
  5. इस अपवाह तंत्र की नदियों का रास्ता हिमालय क्षेत्र में टेढ़ा-मेढ़ा परन्तु मैदानी क्षेत्र में सर्पाकार होता है तथा ये रास्ता बदलती रहती हैं।

प्रश्न 4. 
हिमालयी पर्वतीय अपवाह तंत्र के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हिमालयी अपवाह तन्त्र का विकास-भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि मायोसीन कल्प (लगभग 2.4 करोड़ से 50 लाख वर्ष पूर्व) में शिवालिक या इण्डो-ब्रह्म नामक विशाल नदी हिमालय के सम्पूर्ण अनुदैर्ध्य विस्तार के साथ असम से पंजाब तक प्रवाहित होती थी तथा पंजाब के निकट सिन्ध की खाड़ी में अपना जल डालती थी। प्राचीन प्लीस्टोसीन काल में सम्पन्न हुई कुछ भूगर्भिक हलचलों के फलस्वरूप इण्डो-ब्रह्म नदी निम्नलिखित तीन प्रमुख अपवाह तन्त्रों में विभक्त हो गयी

  1. पश्चिम में सिन्धु तथा इसकी पाँच सहायक नदियाँ 
  2. मध्य में हिमालय से निकलने वाली गंगा तथा उसकी सहायक नदियाँ 
  3. पूर्व में ब्रह्मपुत्र व उसकी सहायक नदियाँ।

विशाल नदी का इस प्रकार विभाजन सम्भवतः प्लीस्टोसीन काल में हिमालय के पश्चिमी भाग व पोटवार पठार के उत्थान के कारण हुआ। यह क्षेत्र सिंधु व गंगा अपवाह तंत्रों के मध्य का विभाजक बन गया। इसी प्रकार मध्य प्लीस्टोसीन काल में राजमहल पहाड़ियों से मेघालय पठार के मध्य मालदा गैप का अधोक्षेपण हुआ जिसमें गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी तंत्रों का विकास हुआ तथा वे बंगाल की खाड़ी की ओर प्रवाहित हुईं। 

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 5. 
सिन्धु व गंगा अपवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सिन्धु व गंगा अपवाह में मिलने वाली भिन्नताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सिन्धु व गंगा अपवाह की निम्न बिन्दुओं के माध्यम से तुलना की गयी है 

तुलना का

सिन्धु अपवाह

गंगा अपवाह

1. आधार

(i) इस अपवाह का जलग्रहण क्षेत्र 11.65 लाख वर्ग किमी है जिसमें से केवल 3.21 लाख वर्ग किमी क्षेत्र ही भारत में आता है।

इस अपवाह का जलग्रहंण क्षेत्र 8.6 लाख वर्ग किमी. में फैला हुआ है।

2. जलग्रहण क्षेत्र

(ii) इस अपवाह क्षेत्र की नदियाँ मुख्यतः अरब सागरीय क्षेत्र में गिरती हैं।

इस अपवाह क्षेत्र की नदियाँ मुख्यतः बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

3. नदियों का गिरना

(iii) इस अपवाह की नदियाँ गॉर्ज बनाती हैं।

इस अपवाह क्षेत्र की नदियाँ विशाल मैदानी भाग का निर्माण करती हैं।

4. भौतिक लक्षण

(iv) इस अपवाह क्षेत्र में दोआब मिलते हैं।

इस अपवाह क्षेत्र में संगम पाये जाते हैं।


प्रश्न 6. 
सिंधु नदी तंत्र के बारे में आप क्या जानते हैं ? इसकी प्रमुख नदियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिन्धु नदी तन्त्र-
(i) सिन्धु नदी- भारत में सिन्धु नदी की लम्बाई 1114 किमी. है तथा इसके अपवाह क्षेत्र का क्षेत्रफल 3.21 लाख वर्ग किमी. है। सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बत क्षेत्र में विस्तृत कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू नामक स्थान के निकट स्थित हिमनद (ऊँचाई 4164 मीटर) से है। यह जम्मू-कश्मीर में लद्दाख तथा जास्कर श्रेणियों के मध्य से उत्तरी-पश्चिमी दिशा में प्रवाहित होती है। लद्दाख श्रेणी को काटते हुए जम्मू-कश्मीर में गिलगित के निकट यह नदी एक महाखड्ड का निर्माण करते हुए बाद में पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है। भारत में सिन्धु नदी जम्मू-कश्मीर के केवल लेह जिले में प्रवाहित मिलती है। सतलुज व्यास रावी चेनाब तथा झेलम सिन्धु नदी क्रम की पाँच प्रमुख नदियाँ हैं जिन्हें पंचनद कहा जाता है।

(ii) झेलम- कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्व में पीरपंजाल गिरिपद में स्थित वेरीनाग नामक जल प्रपात से निकलती है। पाकिस्तान में प्रवेश से पूर्व यह नदी श्रीनगर तथा वूलर झील से प्रवाहित होते हुए एक तंग व गहरे महाखड्ड का निर्माण करती है।

(iii) चेनाब नदी-चन्द्रा तथा भागा नामक दो सहायक नदियों के मिलने से बनती है। ये दोनों सहायक नदियाँ हिमालय प्रदेश में केलांग के समीप मिल जाती हैं। इसी कारण इस नदी को चन्द्रभागा भी कहा जाता है।

(iv) रावी-हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है तथा राज्य की चम्बा घाटी के अलावा धौलाधार तथा पीरपंजाल श्रेणियों के मध्य प्रवाहित होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है।

(v) व्यास नदी- रोहतांग दर्रे के निकट व्यासकुण्ड (ऊँचाई 4000 मीटर) नामक स्थान से उद्गमित होती है। कुल्लू घाटी से होती हुई यह नदी धौलाधार श्रेणी को पार करती हुई पंजाब के मैदानी भागों में प्रवेश करती है जहाँ हरिके के निकट सतलुज नदी में मिल जाती है।

(vi) सतलुज नदी तिब्बत में 4555 मीटर की ऊँचाई पर स्थित राक्षस ताल से निकलती है। हिमालय पर्वत श्रेणी में शिपकीला दर्रे से बहती हुई बाद में पंजाब के मैदानी भागों में प्रवेश करती है।

प्रश्न 7. 
बंगाल की खाड़ी व अरब सागरीय नदियों की तुलना कीजिए। अथवा बंगाल की खाड़ी की नदियाँ अरब सागरीय नदियों से किस प्रकार भिन्न हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बंगाल की खाड़ी व अरब सागरीय अपवाह के मध्य मिलने वाले विविध लक्षणों को निम्न बिन्दुओं के आधार पर तुलनात्मक रूप से स्पष्ट किया गया है 

तुलना का आधार

अरब सागरीय अपवाह

बंगाल की खाड़ी का अपवाह

1. बहाव का कारण

(i) यह अपवाह प्रायद्वीपीय पठार के पश्चिमी घाट के पशिचमी भाग के ऊँचा व अरब सागर की ओर ढाल के कारण विकसित हुआ है।

यह अपवाह प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व की ओर झुका होने के कारण विकसित हुआ है।

2. नदियों की गति

(ii) अधिक ढाल के कारण नदियों की गति तीव्र मिलती है।

इस अपवाह में नदियों की गति मंद ढाल के कारण कम मिलती है।

3. भौतिक लक्षण

(iii) इसमें ज्वारनदमुख का स्वरूप देखने को मिलता है।

इसमें डेल्टाओं का स्वरूप देखने को मिलता है।


प्रश्न 8. 
गंगा नदी तंत्र की प्रमुख नदियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गंगा नदी तन्त्र-
(i) गंगा नदी (भागीरथी) उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री हिमनद (ऊँचाई 3900 मीटर) से निकलती है। मध्य तथा लघु हिमालय श्रेणियों को काटती हुई देवप्रयाग में इस नदी में भागीरथी तथा अलकनंदा नदियों का संगम हो जाता है। इसके बाद से ही यह नदी गंगा कहलाती है। यह उत्तर प्रदेश बिहार तथा पश्चिमी बंगाल के मैदानी भागों से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। पश्चिमी बंगाल में यह भागीरथी तथा हुगली नामक दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है। गंगा नदी की कुल लम्बाई 2525 किमी. तथा भारत में गंगा द्रोणी का कुल क्षेत्रफल 8.6 लाख वर्ग किमी. है। यमुना चम्बल घाघरा कोसी रामगंगा दामोदर महानन्दा तथा सरयू गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

  1. यमुना नदी-गंगा नदी की सबसे लम्बी सहायक नदी है जिसका उद्गम हिमालय की बन्दरपूँछ श्रेणी (6316 मीटर) के पश्चिमी ढालों से है। इलाहाबाद में यह नदी गंगा नदी से मिल जाती है।
  2. चम्बल नदी-मध्य प्रदेश के मालवा पठार के महू नामक स्थान से निकलती है तथा उत्तर की ओर प्रवाहित होती हुई धौलपुर से आगे यमुना नदी से मिल जाती है। यमुना नदी में मिलने से पूर्व चम्बल नदी की उत्खात भूमि वाली भू-आकृतियाँ प्रसिद्ध हैं जिन्हें चंबल खड्ड कहा जाता है।
  3. गंडक नदी-नेपाल हिमालय से निकलकर बिहार में बहती हुई पटना के निकट सोनपुर में गंगा नदी से मिल जाती है।
  4. घाघरा नदी-मापचा_गों हिमनद (नेपाल हिमालय) से उद्गमित होकर छपरा के निकट गंगा नदी से मिल जाती है। शारदा इस नदी की प्रमुख सहायक नदी है। यह नदी नेपाल हिमालय में मिलान हिमनद से निकलती है।
  5. कोसी नदी-तिब्बत में माउण्ट एवरेस्ट के उत्तर से निकलती है तथा नेपाल हिमालय को पार करने के बाद बिहार में प्रवेश करती है। प्रायः मार्ग बदलने की प्रवृत्ति के कारण इसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है।
  6. दामोदर नदी-छोटा नागपुर पठार के पूर्वी भाग में स्थित एक भ्रंश घाटी से प्रवाहित होती है तथा हुगली नदी में मिल जाती है। इसे बंगाल का शोक कहा जाता है।
  7. सोन नदी-गंगा के दक्षिणी तट की प्रमुख सहायक नदी है जो अमरकंटक पठार से उद्गमित होती है तथा पटना के निकट गंगा नदी में मिल जाती है।

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 9. 
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र-ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम हिमालय के उत्तर में स्थित कैलाश पर्वत में मानसरोवर झील के समीप चेमाडुंगडुंग (Chemayungdung) हिमनद से है। यह तिब्बत में लगभग 1200 किमी. की लम्बाई में पश्चिम से पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है तथा यहाँ इसे सांग्पो कहा जाता है। मध्य हिमालय में नामचा बरवा (7756 मीटर) के समीप यह एक महाखड्ड निर्मित करती हुई तीव्र वाहिनी नदी के रूप में आ जाती है। यह नदी अरुणाचल प्रदेश में सदिया कस्बे के पश्चिम से होकर प्रवेश करती है जहाँ से दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होने लगती है। यहीं इसके बायें किनारे से इसकी दो प्रमुख सहायक नदियाँ दिबांग तथा लोहित आकर मिलती हैं। इसके बाद ही यह नदी ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जानी जाती है। असम घाटी में यह 750 किमी. की लम्बाई में प्रवाहित होती है जिसमें अनेक नदियाँ आकर मिलती हैं। यहाँ इसके बायें तट पर बूढ़ी दिहिंग धनसरी तथा कालांग सहायक नदियाँ तथा दाहिने तट पर सुबनसिरी कामेग मानस तथा संकोश सहायक नदियाँ आकर मिलती हैं। धुवरी के समीप ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश कर दक्षिण की ओर प्रवाहित होकर पद्मा नदी में मिल जाती है। 

प्रश्न 10. 
प्रायद्वीपीय अपवाह तन्त्र के उद्विकास को संक्षेप में लिखिए। उत्तर-प्रायद्वीपीय अपवाह तन्त्र का उद्विकास निम्नलिखित तीन भूगर्भिक घटनाओं से जुड़ा मिलता है

  1. प्रारम्भिक टर्शियरी काल के दौरान प्रायद्वीप के पश्चिमी भाग का अवतलन हुआ जिससे यह समुद्र तल से नीचे चला गया। इससे मूल जल विभाजक के दोनों ओर नदियों का जल प्रवाह प्रभावित हुआ।
  2. हिमालय श्रेणियों में होने वाले उत्थान के फलस्वरूप प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरी भाग का अवतलन हुआ तथा नर्मदा तथा तापी जैसी भ्रंश घाटियों का निर्माण हुआ।
  3. प्रारम्भिक टर्शियरी काल में ही प्रायद्वीपीय भारत उत्तर-पश्चिम दिशा से दक्षिण-पूर्व की ओर झुक गया जिसके कारण प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश भाग का अपवाह बंगाल की खाड़ी की ओर उन्मुख हो गया। 

प्रश्न 11. 
प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा 
प्रायद्वीपीय नदियों के अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की प्रमुख विशेषताएँ (अभिलक्षण) निम्नलिखित हैं

  1. प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ सततवाहिनी नहीं हैं। अधिकांश नदियाँ मौसमी हैं। 
  2. ये नदियाँ चौड़ी लगभग संतुलित एवं उथली घाटियों से होकर प्रवाहित होती हैं। 
  3. प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ प्रौढ़ावस्था को प्राप्त कर चुकी हैं। 
  4. यहाँ की नदियों की ढाल प्रवणता अत्यन्त मंद है। .
  5. अधिकांश नदियाँ पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं। इसका अपवाद केवल नर्मदा व ताप्ती नदियाँ हैं जो अरब सागर में गिरती हैं।
  6. प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ ऊबड़-खाबड़ धरातल में प्रवाहित होने के कारण अनेक जलप्रपातों व क्षिप्रिकाओं का निर्माण करती हैं।
  7. बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ अपने मुहाने पर विशाल डेल्टा का निर्माण करती हैं। 
  8. अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं।
  9. ये नदियाँ एक सुनिश्चित मार्ग पर चलती हैं तथा विसर्प नहीं बनाती हैं।

प्रश्न 12.
हिमालय से निकलने वाली नदियों के विपरीत प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की वाहिकाएँ सुनिर्धारित एवं दृढ़ क्यों होती हैं ?
उत्तर:
भारत के अपवाह तंत्र को उद्गम के प्रकार प्रकृति एवं विशेषताओं के आधार पर दो तन्त्रों-हिमालयी अपवाह तंत्र एवं प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र में विभाजित किया जाता है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ सततवाहिनी हैं तथा वर्तमान में अपनी युवावस्था में हैं। इन नदियों द्वारा लम्बवत् कटाव अधिक होता है। फलस्वरूप गहरी घाटियों एवं महाखड्ड (गार्ज) का ये नदियाँ निर्माण करती हैं। इसके विपरीत प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपनी प्रौढ़ावस्था को प्राप्त कर चुकी हैं। ये नदियाँ वर्षा के जल पर निर्भर रहने के कारण सततवाहिनी नहीं हैं। इस क्षेत्र की चट्टानें कठोर एवं प्राचीन हैं। इस क्षेत्र के कठोर चट्टानी समूहों का मौसमी प्रहारों के कारण पर्वतों में परिवर्तन हो गया तथा मुलायम क्षेत्रों का परिवर्तन घाटी एवं मैदानों में हो गया जोकि पूर्णतः स्थायी स्थलखण्ड बन चुके हैं। यही कारण है कि दक्षिणी प्रायद्वीपीय नदियों की वाहिकाएँ सुनिर्धारित एवं दृढ़ हैं। इन वाहिकाओं की अपरदन शक्ति बहुत कम है और यहाँ की भौगोलिक स्थिति इन्हें सुनिर्धारित एवं दृढ़ बना देती है।

प्रश्न 13. 
गंगा नदी एवं गोदावरी नदी की बहाव प्रवृत्ति की तुलना कीजिए। उत्तर-गंगा नदी एवं गोदावरी नदी की बहाव प्रवृत्ति की तुलना निम्न प्रकार की जा सकती है
1. गंगा हिमालय अपवाह तंत्र की एक सदावाहिनी नदी है। इसकी जलबहाव की प्रवृत्ति हिम के पिघलने एवं वर्षा जल की आपूर्ति पर निर्भर करती है। जबकि गोदावरी नदी की जलबहाव की प्रवृत्ति मानसूनी है क्योंकि यह केवल वर्षा ऋतु के दौरान प्राप्त होने वाले जल पर निर्भर करती है।

2. गंगा नदी में जल का न्यूनतम बहाव जनवरी से जून माह के मध्य पाया जाता है जबकि गोदावरी नदी में जलबहाव मई माह में न्यूनतम रहता है।

3. गोदावरी नदी में अधिकतम जलबहाव अगस्त व सितम्बर माह में पाया जाता है। सितम्बर माह के उपरान्त जलबहाव की मात्रा धीरे-धीरे कम होती जाती है जबकि गोदावरी नदी में अधिकतम जलप्रवाह जुलाई-अगस्त में होता है। अगस्त माह के पश्चात् इसके प्रवाह में काफी कमी आ जाती है। 0 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
हिमालय अपवाह तन्त्र के विकास पर प्रकाश डालते हुए हिमालय अपवाह तन्त्र के प्रमुख नदी तन्त्रों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
हिमालय अपवाह तन्त्र का विकास-भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि लगभग 2.4 करोड़ से 50 लाख वर्ष पूर्व मायोसीन कल्प में शिवालिक या इण्डो-ब्रह्म नामक विशाल नदी हिमालय के सम्पूर्ण अनुदैर्ध्य विस्तार के साथ असम से पंजाब तक प्रवाहित होती थी तथा पंजाब के निकट सिन्ध की खाड़ी में अपना जल डालती थी। प्राचीन प्लास्टोसीन काल में सम्पन्न हुई कुछ भूगर्भिक हलचलों के फलस्वरूप इण्डो-ब्रह्म निम्नलिखित तीन प्रमुख अपवाह तन्त्रों में विभक्त हो गयी-

  1. पश्चिम में सिन्धु तथा इसकी पाँच सहायक नदियाँ 
  2. मध्य में हिमालय से निकलने वाली गंगा तथा उसकी सहायक नदियाँ 
  3. पूर्व में ब्रह्मपुत्र व उसकी सहायक नदियाँ।

हिमालय अपवाह तन्त्र के प्रमुख नदी तन्त्र हिमालय अपवाह तन्त्र में निम्नलिखित तीन नदी तन्त्र प्रमुख रूप से मिलते हैं
1. सिन्धु नदी तन्त्र-भारत में सिन्धु नदी की लम्बाई 1114 किमी. (कुल लम्बाई 2880 किमी.) है तथा इसका अपवाह क्षेत्र का क्षेत्रफल 321289 वर्ग किमी. है। सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बती क्षेत्र में विस्तृत कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर चू नामक स्थान के निकट स्थित हिमनद (ऊँचाई 4164 मीटर) से है। यह जम्मू-कश्मीर में लद्दाख तथा जास्कर श्रेणियों के मध्य से उत्तरी-पश्चिमी दिशा में प्रवाहित होती है। लद्दाख श्रेणी को काटते हुए जम्मू-कश्मीर में गिलगित के निकट यह नदी एक महाखड्ड का निर्माण करते हुए बाद में पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है। भारत में सिन्धु नदी जम्मू-कश्मीर के केवल लेह जिले में प्रवाहित होती है। सतलुज व्यास रावी चेनाब तथा झेलम सिन्धु नदी क्रम की पाँच प्रमुख नदियाँ हैं जिन्हें पंचनद कहा जाता है। झेलम-यह कश्मीर घाटी के दक्षिण पूर्व में पीरपंजाल गिरिपाद में स्थित वेरीनाग नामक जल प्रपात से निकलती है। पाकिस्तान में प्रवेश से पूर्व यह नदी श्रीनगर तथा वूलर झीलर से प्रवाहित होते हुए तंग व गहरे महाखड्ड का निर्माण करती है। 

चेनाब नदी-चन्द्रा तथा भागा नामक दो सहायक नदियों के मिलने से बनती है। ये दोनों सहायक नदियाँ हिमाचल प्रदेश में केलाँग के समीप तांडी में मिल जाती हैं। इसी कारण इस नदी को चन्द्रभागा के नाम से जाना जाता है। रावी-हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में रोहतांग दर्रे के पश्चिम से निकलती है तथा राज्य की चम्बा घाटी से बहती है। पाकिस्तान में प्रवेश करने व सराय सिंधु के निकट चेनाब नदी में मिलने से पहले यह नदी पीरपंजाल के दक्षिण-पूर्वी भाग व धौलाधार के बीच प्रदेश से प्रवाहित होती है। व्यास नदी-रोहतांग दर्रे के निकट स्थित व्यासकुण्ड (ऊँचाई 4000 मीटर) नामक स्थान से उद्गमित होती है। कुल्लू घाटी से होती हुई यह नदी धौलाधर श्रेणी को पार करती हुई पंजाब के मैदानी भागों में प्रवेश करती है जहाँ हरिके के निकट सतलुज नदी में मिल जाती है। सतलुज नदी-तिब्बत में 4555 मीटर की ऊँचाई पर स्थित राक्षसताल से निकलती है। हिमालय पर्वत श्रेणी में . शिपकीला दर्रे से बहती हुई पंजाब के मैदानी भागों में प्रवेश करती है।

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

2. गंगा नदी तन्त्र-गंगा नदी (भागीरथी) उत्तराखण्ड राज्य के उत्तरकाशी जिले में स्थित गंगोत्री हिमनद (ऊँचाई 3900 मीटर) से निकलती है। मध्य तथा लघु हिमालय श्रेणियों को काटती हुई देवप्रयाग में भागीरथी तथा अलकनंदा नदियों का संगम हो जाता है। इसके बाद ही यह नदी गंगा कहलाती है। शिवालिक पहाड़ियों से होकर गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी भाग में प्रवेश करती है। जहाँ से यह उत्तर प्रदेश बिहार तथा पश्चिमी बंगाल के मैदानी भागों से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। पश्चिमी बंगाल में इसका प्रवाह दक्षिणमुखी हो जाता है तथा यह भागीरथी तथा हुगली नामक दो शाखाओं में विभक्त हो जाती है। गंगा नदी की कुल लम्बाई 2525 किमी. तथा भारत में गंगा द्रोणी का कुल क्षेत्रफल 8.6 लाख वर्ग किमी. है। यमुना चम्बल घाघरा कोसी रामगंगा दामोदर महानन्दा तथा सरयू गंगा नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं। 

यमुना नदी-गंगा नदी की सबसे लम्बी सहायक नदी है जिसका उद्गम हिमालय की बन्दरपूँछ श्रेणी (6316 मीटर) के पश्चिमी ढालों से है। इलाहाबाद में यह नदी गंगा नदी से मिल जाती है। चम्बल नदी-मध्य प्रदेश के जानापाव पहाड़ी से निकलती है तथा उत्तर की ओर प्रवाहित होती हुई धौलपुर के आगे यमुना नदी से मिल जाती है। चम्बल नदी की उत्खात भूमि वाली भू-आकृति प्रसिद्ध है जिसे चंबल खड्ड (Revine) कहा जाता है। गंडक नदी-नेपाल हिमालय से निकलकर बिहार में बहती हुई पटना के निकट सोनपुर में गंगा नदी से मिल जाती है। घाघरा नदी-मापचागों हिमनद (नेपाल हिमालय) से उद्गमित होकर छपरा के निकट गंगा नदी से मिल जाती है। 

शारदा इस नदी की प्रमुख सहायक नदी है जो नेपाल हिमालय में मिलान हिमनद से निकलती है। कोसी नदी-तिब्बत में माउण्ट एवरेस्ट के उत्तर से निकलती है तथा नेपाल हिमालय को पार करने के बाद बिहार में प्रवेश करती है। प्रायः मार्ग बदलने की प्रवृत्ति के कारण इसे 'बिहार का शोक' कहा जाता है। दामोदर नदी-छोटा नागपुर पठार के पूर्वी भाग में स्थित एक भ्रंश घाटी से होकर प्रवाहित होती है तथा हुगली नदी में मिल जाती है। कभी 'बंगाल का शोक' कही जाने वाली इस नदी पर बहुउद्देशीय योजना बनाकर इसकी बाढ़ पर नियंत्रण स्थापित किया गया है। सोन नदी-गंगा के दक्षिणी तट की प्रमुख सहायक नदी है जो अमरकंटक पठार से उद्गमित होती है तथा पटना के निकट गंगा नदी में मिल जाती है।

3. ब्रह्मपुत्र नदी तन्त्र-ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम हिमालय के उत्तर में स्थित कैलाश पर्वत में मानसरोवर झील के समीप चेमायुंगडुंग (Chemayungdung) हिमनद से है। यह तिब्बत में लगभग 1200 किमी. की लम्बाई में पश्चिम से पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है तथा यहाँ इसे सांग्पो कहा जाता है। मध्य हिमालय में नामचा बरवा (7755 मीटर) के समीप यह एक महाखड्ड निर्मित करती हुई तीव्र वाहिनी नदी के रूप में आ जाती है। अरुणाचल प्रदेश में सदिया कस्बे के पश्चिम से होकर प्रवेश करती है जहाँ से दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होने लगती है। यहीं इसके बायें किनारे से इसकी दो प्रमुख सहायक नदियाँ दिबांग तथा लोहित आकर मिलती हैं। इसके बाद ही यह नदी ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जानी जाती है। असम घाटी में यह 750 किमी. की लम्बाई में प्रवाहित होती है जिसमें अनेक नदियाँ आकर मिलती हैं। यहाँ इसके बायें तट पर बूढ़ी दिहिंग धनसरी तथा कालांग सहायक नदियाँ तथा दाहिने तट पर सुबनसिरी कामेग मानस तथा संकोश सहायक नदियाँ आकर मिलती हैं। धुवरी के समीप ब्रह्मपुत्र नदी बांग्लादेश में प्रवेश कर दक्षिण की ओर प्रवाहित होकर पद्मा नदी में मिल जाती है। 

प्रश्न 2. 
प्रायद्वीपीय नदी तन्त्र का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
प्रायद्वीपीय नदी तन्त्र में सम्मिलित प्रमुख नदियों में महानदी गोदावरी कृष्णा तथा कावेरी नदियाँ पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती हैं जबकि नर्मदा तथा तापी नदियाँ पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती हुई अरब सागर में गिर जाती हैं।
1. महानदी-छत्तीसगढ़ राज्य के रायपुर जिले में स्थित सिहावा के निकट से निकलने वाली महानदी की कुल लम्बाई 851 किमी. है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 1.42 लाख वर्ग किमी. है। इस नदी के जलग्रहण क्षेत्र का 53 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ राज्यों में तथा शेष 47 प्रतिशत उड़ीसा राज्य में विस्तृत है।

2. गोदावरी-प्रायद्वीपीय भारत में गोदावरी का नदी तन्त्र सबसे बड़ा है। गोदावरी नदी (दक्षिण गंगा) महाराष्ट्र में नासिक जिले से निकलती है तथा अपनी मुख्य सहायक नदियाँ पेनगंगा इन्द्रावती प्राणहिता और मजरा के साथ महाराष्ट्र मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ तथा आन्ध्र प्रदेश राज्यों से होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। गोदावरी नदी की कुल लम्बाई 1465 किमी. तथा जलग्रहण क्षेत्र 3.13 लाख वर्ग किमी. है। कुल जलग्रहण क्षेत्र का 49 प्रतिशत भाग महाराष्ट्र राज्य में 20 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ राज्यों में तथा शेष 31 प्रतिशत आन्ध्र प्रदेश राज्य में है। राजामुन्द्री के बाद गोदावरी नदी कई जलधाराओं में विभक्त होकर एक बृहत् डेल्टाई भाग का निर्माण करती है।

3. कृष्णा-गोदावरी नदी के बाद पूर्व दिशा में बहने वाली यह प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी बड़ी नदी है। यह नदी पश्चिमी घाट में महाबलेश्वर के समीप से निकलती है तथा 1401 किमी. लम्बाई में महाराष्ट्र कर्नाटक तथा आन्ध्र प्रदेश में प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। नदी के कुल जलग्रहण क्षेत्र का 27 प्रतिशत भाग महाराष्ट्र में 44 प्रतिशत भाग कर्नाटक में तथा 29 प्रतिशत भाग आन्ध्र प्रदेश में पड़ता है। कोयना तुंगभद्रा तथा भीमा इस नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।

4. कावेरी-यह नदी कर्नाटक राज्य के कोगाडु जिले में ब्रह्मगिरी पहाड़ियों (1341 मीटर) से उद्गमित होती है। कावेरी नदी की कुल लम्बाई 800 किमी. तथा जलग्रहण क्षेत्र 81155 वर्ग किमी. है। इस नदी के कुल जलग्रहण क्षेत्र का 3 प्रतिशत भाग केरल राज्य में 41 प्रतिशत भाग कर्नाटक राज्य में तथा 56 प्रतिशत भाग तमिलनाडु राज्य में विस्तृत है।

5. नर्मदा-अमरकंटक पठार के पश्चिमी किनारे से लगभग 1057 मीटर की ऊँचाई से इस नदी का उद्गम होता है। उत्तर में विंध्याचल तथा दक्षिण में सतपुड़ा श्रेणियों के मध्य दरार घाटी से बहती हुई संगमरमर की चट्टानों में महाखड्ड और जबलपुर के समीप धुआँधार जलप्रपात निर्मित करती है। लगभग 1312 किमी. की लम्बाई में दरार घाटी में प्रवाहित होने के बाद यह नदी भड़ौंच के दक्षिण में अरब सागर में गिर जाती है जहाँ यह लगभग 27 किमी. लम्बा ज्वारनदमुख निर्मित करती है।

6. तापी (ताप्ती)-पूर्व से पश्चिम दरार घाटी में बहने वाली यह दूसरी नदी है जो मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में मुलताई नामक स्थान से निकलती है। तापी नदी की कुल लम्बाई 724 किमी. तथा जलग्रहण क्षेत्र 65145 वर्ग किमी. है। इसके कुल जलग्रहण क्षेत्र का 79 प्रतिशत भाग महाराष्ट्र में 15 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश में तथा शेष 6 प्रतिशत भाग गुजरात राज्य में विस्तृत है।

7. लूनी-अरावली श्रेणी के पश्चिम में लूनी राजस्थान राज्य का सबसे बड़ा नदी तन्त्र है। यह नदी तन्त्र मौसमी है। पुष्कर के समीप सरस्वती तथा सागरमती नामक दो जलधाराएँ निकलती हैं जो बाद में मिलकर अरावली पहाड़ियों से लूनी नदी के रूप में प्रवाहित होती हैं। यहाँ से यह नदी पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम दिशा में प्रवाहित होती हुई कच्छ के रन में विलीन हो जाती है। 

प्रायद्वीपीय भारत में पश्चिम की ओर प्रवाहित छोटी नदियाँ-
प्रायद्वीपीय भारत में पश्चिम की ओर प्रवाहित छोटी नदियों का विवरण नीचे दी गयी तालिका से स्पष्ट है

प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिम की ओर बहने वाली प्रमुख छोटी नदियाँ 

नदी का नाम

राज्य

जलग्रहण क्षेत्र (वर्ग किमी.)

साबरमती

गुजरात

21,674

माही

गुजरात

34,842

ढाढर

गुजरात

2,770

कालिन्दी (काली)

करनटक

5,179

शरावती

कर्नाटक

2,029

भरतपूझा (पोन्नानी)

केरल

5,397

पेरियार

केरल

5,243

प्रायद्वीपीय भारत की पूर्व की ओर बहने वाली छोटी नदियाँ-स्वर्णरेखा वैतरणी ब्राह्मणी वामसाधरा पेन्नार पालार तथा वैगाई प्रायद्वीपीय भारत की पूर्व की ओर बहने वाली महत्वपूर्ण छोटी नदियाँ हैं। इनमें पेन्नार नदी का जलग्रहण क्षेत्र सर्वाधिक 55213 वर्ग किमी. है तथा यह कर्नाटक से निकलकर आन्ध्र प्रदेश में बहती है। 

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 3.
हिमालय और प्रायद्वीपीय नदियों की तुलना कीजिए। अथवा हिमालय तथा भारतीय पठार के अपवाह तन्त्रों की तुलना कीजिए।
उत्तर:
हिमालय और प्रायद्वीपीय नदियों का तुलनात्मक विवरण अग्रलिखित है-

तुलना के बिन्दु

हिमालयी नदियाँ

प्रायद्वीपीय नदियाँ

उद्रगम स्थल

हिमालयी नदियों का उद्गम हिमनदियों से बके हिमालय पर्बत से होता है।

प्रायद्वीपीय नदियों का उद्गम प्रायद्धीपीय पठार व मध्य उच्च भूमि से होता हैं।

प्रवाह प्रवृत्ति

ये नदियाँ हिमनद और वर्षा से जल प्राप्त करती हैं इसलिये वर्ष-पर्यन्त प्रवाहित होती हैं।

प्रायद्वीपीय नदियाँ मानसूनी वर्षाँ पर निर्भर होती है। इसलिए ये नदियाँ मौसमी प्रवृत्ति की होती है।

अपवाह के प्रकार

हिमालयी नदियौँ पूर्ववर्ती एवं अनुवर्ती अपवाह वाली होती हैं। मैदानी भागों में ये नदियौँ वृक्षाकार प्रारूप बनाती है।

प्रायद्वीपीय नदियाँ अध्यारोपित एवं पुनर्युवनित अपवाह वाली होती हैं। ये अरीय ब आयताकार प्रारूप बनाती हैं।

नदी की प्रकृति

हिमालयी नदियाँ लम्बा मार्ग तय करती है तथा ऊबड़-खाबड़ पर्वतीय भागों से गुजरती हैं। शीर्ष अपरदन व नदी अपहरण, मार्ग परिवर्तन प्रमुख घटनाएँ घटित होती है। नदियों के द्वारा मैदानी भागों में मार्ग परिवर्तित किया जाता है। अन्त में विसर्प व डेल्टा का निमांण करती हुई सागर में मिल जाती हैं।

प्रायद्धीपीय नादियाँ स्थायी धाटियों के साथ छेटे व निश्चित मार्ग से प्रवाहित होती हैं।

जलग्हण क्षेत्र

इस अपवाह तन्त्र की नदियों की द्रोणी बहुत अधिक बड़ी होती है।

इस अपवाह तन्त्र की द्रोणी अपेक्षाकृत होटी होती हैं।

नदी की आयु

हिमालयी नदी युवावस्था में होने के कारण क्रियाशील होकर घाटियों को गहरा करने में संलग्न रहती है।

प्रायद्वीपीय नदियाँ प्रौद्रवस्था में पहुँच चुकी है जो कि अपने आधार वल को प्राप्त कर चुकी हैं।

वहन क्षमता

हिमालयी नदियाँ अधिक मात्रा में अवसादों का वहन करती हैं।

प्रायद्वीपीय नदियों की वहन क्षमता निम्न है।

नौगम्यता

हिमालय की अधिकांश नदियाँ मैदानों में नौगम्ब होती हैं।

प्रायद्वीपीय नदियाँ सामान्यतया नौगम्य नहीं है।


विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
सिन्धु नदी कहाँ से निकलती है?
(क) मानसरोवर झील 
(ख) कैलाश श्रेणी 
(ग) लोकटक झील 
(घ) तिब्बत। 
उत्तर:
(ख) कैलाश श्रेणी 

प्रश्न 2. 
निम्न नदियों में से कौन-सी अपने मार्ग में परिवर्तन करने के लिए कुख्यात है?  
(क) गंगा
(ख) कोसी
(ग) दामोदर 
(घ) गोमती। 
उत्तर:
(ख) कोसी

प्रश्न 3. 
निम्नलिखित नदियों में से कौन-सी डेल्टा नहीं बनाती है?
(क) महानदी 
(ख) गोदावरी 
(ग) ताप्ती
(घ) गंगा। 
उत्तर:
(ग) ताप्ती

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 4. 
सूची I को सूची II के साथ सुमेलित कीजिए और नीचे दिए कूटों की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।

सूची-I (नदी)

सूची-II (उनकी सहायक नदिया)

(A) कृष्मा

1. चस्थल

(B) ब्रह्यपुत्र

2. इन्द्रावती

(C) गोदावरी

3. लिस्ता

(D) यमुना

4. भीमा

कूट : 

 

(A)

(B)

(C)

(D)

(क)

4

3

2

1

(ख)

3

4

2

1

(ग)

4

3

1

2

(घ)

1

4

3

2

उत्तर:

प्रश्न 5. 
कौन-सी नदी हिमाचल प्रदेश के रास्ते से होकर नहीं बहती है?
(क) झेलम
(ख) व्यास
(ग) चेनाब
(घ) रावी। 
उत्तर:
(क) झेलम

प्रश्न 6. 
भारत में पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों का उत्तर से दक्षिण का सही क्रम बताइए।
(क) महानदी गोदावरी कृष्णा पेनार कावेरी 
(ख) महानदी कृष्णा गोदावरी पेनार कावेरी
(ग) महानदी गोदावरी कृष्णा कावेरी पेनार 
(घ) कृष्णा महानदी गोदावरी पेनार कावेरी। 
उत्तर:
(क) महानदी गोदावरी कृष्णा पेनार कावेरी 

प्रश्न 7. 
दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी कौन सी है ?
(क) गंडक
(ख) गोदावरी 
(ग) कावेरी
(घ) कृष्णा
उत्तर:
(ख) गोदावरी 

प्रश्न 8. 
हिमालय पर्वत की नदियों की विशेषता है ?
(क) वर्षभर बहती हैं
(ख) खण्डित प्रवाह रहता है 
(ग) अन्त में सभी बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं 
(घ) दक्षिण से उत्तर की ओर बहती हैं। 
उत्तर:
(क) वर्षभर बहती हैं

प्रश्न 9. 
कपिली जिसकी सहायक नदी है वह है
(क) गंडक
(ख) कोसी 
(ग) गंगा
(घ) ब्रह्मपुत्र। 
उत्तर:
(घ) ब्रह्मपुत्र। 

प्रश्न 10. 
खारी नदी जिस अपवाह तंत्र का अंश है वह है
(क) अरब सागरीय
(ख) आन्तरिक अपवाह 
(ग) अनिश्चित अपवाह
(घ) बंगाल की खाड़ी। 
उत्तर:
(घ) बंगाल की खाड़ी। 

प्रश्न 11. 
निम्न में से जो नदी बंगाल की खाड़ी के अपवाह का अंश नहीं है वह है
(क) पेनार
(ख) शरावती 
(ग) केन
(घ) चम्बल। 
उत्तर:
(ख) शरावती 

RBSE Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 12.
गोदावरी नदी की किन्हीं चार प्रमुख वाम तटीय सहायक नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
पेनगंगा वेनगंगा वर्धा प्राणहिता इन्द्रावती सबरी व दुधना। 

प्रश्न 13. 
अनुगामी नदी।
उत्तर:
जब कोई नदी धरातलीय ढाल की दिशा में अपवाहित होती है अनुगामी नदी कहलाती है। 

प्रश्न 14. 
भारत की दो नदियाँ जो डेल्टा नहीं बनाती हैं ?
उत्तर:

  1. नर्मदा नदी 
  2. ताप्ती नदी। 

प्रश्न 15. 
पूर्ववर्ती नदियाँ क्या हैं ?
उत्तर:
ऐसी नदियाँ जो किसी स्थल खण्ड के उत्थान से पूर्व में प्रवाहित हो रही हों; जैसे-सिंधु सतलुज व ब्रह्मपुत्र आदि। 

प्रश्न 16. 
हिमालयी नदियों की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
हिमालय की अधिकांश नदियाँ पूर्ववर्ती हैं तीव्रढाल युक्त सततवाहिनी एवं अधिकतम कटाव व निक्षेप करती हैं। यह नदियाँ गार्ज केनियन गुंफित वाहिकाएँ व डेल्टा आदि का निर्माण करती हैं। 

प्रश्न 17. 
नर्मदा नदी का उद्गम स्थल।
उत्तर:
नर्मदा नदी अमरकंटक के पश्चिमी पार्श्व से लगभग 1057 मीटर की ऊँचाई से निकलती है। इस पर जबलपुर के निकट धुंआधार जलप्रपात स्थित है। यहाँ पर संगमरमर की चट्टानों में नर्मदा का गार्ज प्रसिद्ध है। 

प्रश्न 18. 
नागार्जुन सागर।
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी पर बनायी गयी बहुउद्देशीय परियोजना जो विद्युत उत्पादन एवं सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 19. 
चन्द्रभागा नदी।
उत्तर:
यह चन्द्रा और भागा दो सरिताओं के मिलने से बनती है। ये सरिताएँ हिमाचल प्रदेश के कैलांग के निकट तांडी में आपस में मिलती हैं इसलिए इसे चन्द्रभागा के नाम से जाना जाता है। पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले यह नदी 1180 किमी. बहती है। पाकिस्तान में यह चेनाब के रूप में जानी जाती है। 

प्रश्न 20.
इन्द्रावती नदी।
उत्तर:
यह गोदावरी नदी की एक सहायक नदी है। यह नदी उड़ीसा राज्य से प्रारम्भ होकर छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र सीमा के पास बायीं तरफ से गोदावरी नदी में मिलती है। जगदलपुर व चित्रकूट इस नदी के समीप बसे हुए महत्वपूर्ण शहर हैं। 

प्रश्न 21. 
रोहतांग दर्रा।
उत्तर:
यह हिमाचल प्रदेश में स्थित एक पहाड़ी दर्रा है जो मनाली एवं कश्मीर स्थित लेह को सड़क मार्ग से जोड़ता है। यह रावी एवं व्यास नदी का उद्गम क्षेत्र भी है। 

प्रश्न 22. 
भीमा नदी।
उत्तर:
पश्चिमी घाट पर्वत से उद्गमित यह नदी कृष्णा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। यह नदी महाराष्ट्र एवं कर्नाटक राज्यों से होकर प्रवाहित होती है।

प्रश्न 23.
भारत की हिमालय एवं प्रायद्वीपीय नदियों की प्रवृत्ति का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए तथा देश की सिंचाई के रूप में उनके निहितार्थ का परीक्षण करें।
उत्तर:
भारत में प्रवाहित होने वाली नदियों को उनके रूपों के आधार पर दो प्रमुख भागों में बाँटा जा सकता है
(1) हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियाँ 
(2) प्रायद्वीपीय भारत के उच्च भागों से निकलने वाली नदियाँ। हिमालय पर्वत एवं प्रायद्वीपीय भारत की उच्च भूमि से निकलने वाली नदियों की अपनी अलग-अलग भौगोलिक विशेषताएँ होती हैं जो उनके अपवाह प्रतिरूप व उनकी प्रवृत्ति में व अंतर करती हैं। हिमालय एवं प्रायद्वीपीय भारत की नदियों में निम्नलिखित अन्तर किये जा सकते हैं :

(1) हिमालयी नदियों का उद्गम हिमनदियों से ढंके हिमालय पर्वत से होता है जबकि प्रायद्वीपीय नदियों का उद्गम प्रायद्वीपीय पठार व मध्य उच्च भूमि से होता है 

(2) ये नदियाँ हिमनद और वर्षा से जल प्राप्त करती हैं। इसलिये वर्षपर्यन्त प्रवाहित होती हैं जबकि प्रायद्वीपीय नदियाँ मानसूनी वर्षा पर निर्भर होती हैं। इसलिए ये नदियाँ मौसमी प्रवृत्ति की होती हैं 

(3) प्रायद्वीपीय नदियाँ पूर्ण विकसित अवस्था की हैं तथा अपने आधार तल तक जा पहुँची हैं जबकि हिमालयी नदियाँ अभी भी अपना विकास कर रही हैं। ये युवा हैं तथा घाटियों को गहरा कर रही हैं। 

(4) प्रायद्वीपीय नदियों की अपरदन क्षमता लगभग समाप्त हो चुकी है और इसलिए वे अब अपना मार्ग परिवर्तन करने में अक्षम हैं जबकि हिमालयी नदियों की अपरदन क्षमता काफी संरक्षित है और ये अपना मार्ग परिवर्तन करने में भी दक्ष हैं। 

(5) हिमालय प्रदेश की कई नदियाँ पूर्ववर्ती हैं जैसे-सिंधु सतलुज आदि। जबकि प्रायद्वीपीय भारत की कोई भी नदी पूर्ववर्ती नहीं है। इनमें अधिकतर नदियाँ अनुवर्ती हैं। 

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(6) हिमालय प्रदेश की कोई भी नदी दरार घाटी से प्रवाहित नहीं होती है जबकि पठारी क्षेत्र की अधिकांश नदियाँ दरार घाटी से प्रवाहित होती हैं; जैसे-नर्मदा नदी ताप्ती नदी। 

(7) हिमालय प्रदेश की नदियाँ जल यातायात की दृष्टि से तुलनात्मक रूप से अधिक उपयोगी हैं जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ डेल्टाई एवं पश्चजल को छोड़कर जल परिवहन की दृष्टि से उपयुक्त नहीं हैं। 

(8) हिमालयी नदियाँ अपने तीव्र प्रवाह द्रोणियों के समानान्तर आरम्भिक प्रवाह और बाद में अचानक दक्षिण की ओर घूमकर समुद्र में गिरती हैं। ये नदियाँ अपने प्रवाह मार्ग में तंग घाटियों का ही निर्माण करती हैं। दूसरी ओर प्रायद्वीपीय नदियों की घाटियाँ प्रायः चौड़ी और उथली हैं क्योंकि यहाँ का ढाल बहुत कम है। 

(9) हिमालयी नदियाँ सदाबहार हैं क्योंकि इनके जल का स्रोत हिमालय के बड़े-बड़े हिमनद हैं। दूसरी ओर प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ मौसमी हैं। ये नदियाँ वर्षा ऋतु स्रोत में जल से भर जाती हैं परन्तु शुष्क मौसम में सूख जाती हैं। सिंचाई के सन्दर्भ में हिमालय प्रदेश की नदियों से नहर एवं कूप सिंचाई पद्धति का विकास हुआ है। यहाँ तालाब सिंचाई का प्रचलन अपेक्षाकृत बहुत कम है। इस प्रदेश में हिमालय की नदियों से पर्याप्त जल प्राप्त होने के कारण यहाँ नहरों का जाल बिछा हुआ है जिनसे पर्याप्त सिंचाई होती है। इसके विपरीत प्रायद्वीपीय भारत में तटीय व डेल्टाई भागों को छोड़कर सम्पूर्ण क्षेत्र में तालाबों द्वारा सिंचाई होती है। यहाँ आर्कियन संरचना चट्टानें होने के कारण नहर व कुऔं खोदना जटिल कार्य है तथा यहाँ जलाशय एवं बाँधों से नहरें निकाली गयी हैं लेकिन यहाँ नहरी सिंचाई का विकास सीमित ही हुआ है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 23, 2022, 4:53 p.m.
Published Aug. 22, 2022

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