RBSE Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 4

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 4 Questions and Answers.

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RBSE Class 11 English Solutions The Guide Translation in Hindi Part 4

1. My mother, as if understanding ................ me mischievously in reply. (Pages 125-127)

कठिन शब्दार्थ-predicament (प्रिडिकमन्ट) = अप्रिय और कठिन स्थिति जिससे बाहर निकलना कठिन हो। inquisition (इनक्विजिशन) = (कठोरता से पूछे गए) प्रश्न। abashed (अ'बैशट्) = किए पर लज्जित व शर्मिन्दा। resentful (रिजेन्टफल) = नाराज, रुष्ट। placatingly (प्ल'केटिङलि) = किसी को शान्त करना। puckish (पकश) = नटखट। thoroughfare (थरफेअ(र)) = सार्वजनिक रास्ता। imperceptibly (इम पसेप्टिबलि) = बिना दृष्टि या ध्यान में आए।

हिन्दी अनुवाद-मेरी माँ, मानो जैसे वह मेरी अप्रिय और कठिन स्थिति को समझ गई थी, उसने लड़की से कहा, "मैं कुएं पर जा रही हूँ। क्या तुम मेरे साथ चलोगी? तुम एक शहर की लड़की हो। तुम्हें अवश्य ही हमारे गाँव के जीवन के बारे में जानना चाहिए।" लड़की चुपचाप उठी और उसके पीछे चल दी। मुझे उम्मीद थी कि अब उसे कठोर प्रश्न नहीं पूछे जायेंगे। जिस क्षण उनकी जाने के लिए पीठ घूमी, मैं व्यस्त हो गया था। यहाँवहाँ दौड़ा, जल्दी से अपनी ठोड़ी को खुरचा, थोड़ा सा अपने आपको कटवा भी लिया, नहाया, अपने आपको संवारा, और अच्छे कपड़े पहने, और उस समय तक जब वे कुएं से वापस आई तो मैं इस स्थिति में था कि पृथ्वी की राजकुमारी मुझे देख सके। मैं दुकान तक गया और एक लड़के को गफूर को बुलाने के लिए भेजा।

"रोजी, यदि तुम नहाना और कपड़े पहनना चाहो तो तुम ऐसा कर लो। मैं बाहर इन्तजार कर लेता हूँ। उसके बाद हम बाहर जायेंगे।"
यह शायद एक अनचाही विलासिता थी कि बाहर जाने के लिए गफूर की गाड़ी ले जा रहे थे। परन्तु मुझे अन्य कोई रास्ता नजर नहीं आया था। मैं उससे अपने घर में बात नहीं कर सकता था, और गलियों में उसके साथ पैदल जा नहीं सकता था। यद्यपि मैंने इसे पहले किया था, यह मुझे भिन्न लगा। मुझे थोड़ी शर्म महसूस हो रही थी कि मैं उसके साथ देखा जा रहा था।

मैंने गफर से कहा, "वह वापस आ गई है।" उसने कहा, "मैं इसे जानता हूँ। वे यहीं होटल में थे और वह मद्रास वाली गाड़ी से चला गया था।" "तुमने मुझे कभी कुछ नहीं कहा था।" "मैं क्यों कहूँ? तुम्हें किसी न किसी प्रकार से पता चल जाता।" "क्या, क्या हो गया था?". "उस औरत से स्वयं से पूछो, अब वह तुम्हारी जेब में है।" वह नाराज लग रहा था। मैंने उसे शान्त करते हुए कहा, "ओह, गफूर इतने कड़े मत बनो... मुझे शाम के लिए कार चाहिए।"

"श्रीमान, मैं आपकी सेवा में हूँ। मैं टैक्सी किस कारण रखता हूँ, यह आपके आदेश की पालना में चलने के लिए नहीं है तो किसलिए है?" उसने आँख मारी और मुझे राहत मिली यह देखकर कि वह अपने पुराने प्रसन्नता वाले तरीके में वापस आ गया था। जब रोजी दरवाजे पर आई तो मैं गया और अपनी माँ से बोला, "हम वापस आ जायेंगे, माँ, थोड़ा बाहर जा रहे हैं।" "कहाँ" गफूर ने पूछा, वह हमारी ओर शीशे में से देख रहा था। जैसे ही हम हिचकिचाए उसने नटखटपन से कहा, "क्या मैं पीक हाउस की ओर चलूँ?"

"नहीं, नहीं" रोजी चिल्लाई, वह इसका नाम लेने पर सावधान हो गई थी। "मैं इसे पर्याप्त देख चुकी हूँ" मैं इस विषय पर नहीं गया। जैसे ही हम ताज के पास से गुजरे, मैंने पूछा, "क्या तुम वहाँ खाना चाहोगी?" "तुम्हारी माँ ने मुझे कॉफी दी है, वह पर्याप्त है। तुम्हारी माँ कितनी अच्छी है!" "एकमात्र समस्या है कि वह तुम्हें शादी के लिए कहती है।" हम इस मजाक पर परेशान से होकर हँसे।

"गफूर, उस नदी तक चलो" मैंने कहा। वह बाजार के रास्ते से गाड़ी चलाकर ले गया, भीड़ में से वह अपना भोंपू अधीरता से बजाता रहा। इस समय बहुत भीड़ थी। बहुत से लोग आ-जा रहे थे। बिजली जल चुकी थी। दुकानों की बिजली चमकने लगी और सार्वजनिक रास्ता जगमगा उठा। उसने तेजी से इलामन गली की ओर घुमाया-वह संकरी गली जिसमें बहुत से तेल बेचने वाले लोग रहते हैं, शहर की सबसे पुरानी गली, बच्चे इसमें खेल रहे थे, गायें आराम से लेटी थीं, और गधों और कुत्तों ने रास्ता रोककर इतना संकरा कर दिया कि गुजरती हुई कार लगभग घरों की दीवारों से टकरा रही थी। गफूर जब नदी की ओर जाता तो हमेशा यही रास्ता चुनता था, यद्यपि इससे भी अच्छा रास्ता था।

जब वह कार का हॉर्न बजाता तो उसे एक प्रकार का रोमांचक अनुभव होता और सड़क के जीव डरकर इधर-उधर छितर जाते थे। इलामन गली सड़क पर अन्तिम लैम्प के साथ ही खत्म हो जाती थी और सड़क बिना ध्यान में आए मिट्टी में मिल जाती थी। जब वह अन्तिम लैम्प के नीचे गया तो उसने ब्रेक लगाए, एक झटका लगा जो कार से बाहर फेंकने के लिए पर्याप्त था। वह आज एक असाधारण प्रसन्न मन में था, वह अपने स्वभाव और मन के प्रति समर्पित था, और कोई भी यह घोषणा नहीं कर सकता था कि वह कब किस क्षण व्यवहार करेगा। हम उसे लैम्प के नीचे छोड़ गए थे। मैंने कहा, "हम घूमना चाहते हैं।" उसने जवाब में मेरी ओर शरारती अन्दाज में आँख मारी। 

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2. The evening had.............did you tell him? (Pages 127-128) 

कठिन शब्दार्थ-promenading (प्रॉम'नाडिङ्) = तट पथ, समुद्री शहरों में चौड़ा विचरण पथ । gong (गौङ) = घण्टा। congenial (कन्'जीनिअल) = सौहार्दपूर्ण । eliciting (इलिसिटिङ) = किसी से सूचना, तथ्य निकलवाना। fumble (फमबल) = टटोलना। hum (हम्) = नीची आवाज में बोलना। haw (हॉ) = बताना। exasperate (इग'जैसपरेट) = क्रोधित करना, बहुत परेशान करना।

हिन्दी अनुवाद-शाम का अंधेरा हो गया था। मिट्टी पर अभी भी कुछ समूह यहाँ-वहाँ पर बैठे थे। कुछ छात्र तटपथ पर घूम रहे थे। बच्चे गोल घेरों में घूमते हुए खेल रहे थे और चिल्ला रहे थे। नदी की सीढ़ियों पर, कुछ लोग अपना संध्या का स्नान कर रहे थे। नलप्पा के बगीचे से दूर पर कुछ मवेशी नदी को पार कर रहे थे और उनकी घंटियों की टन-टन की आवाजें आ रही थीं। तारे निकल आए थे। तालुक के दफ्तर के घंटे ने सात बजाने की आवाज दी। एक पूर्ण शाम थी-जैसे कि यह बरसों-बरसों से चली आ रही थी। मैंने यही दृश्य इसी समय बरसों बरसों देखा था। क्या वे बच्चे कभी बड़े नहीं होते थे? मैं थोड़ा भावना-प्रधान और कवि बन गया, सम्भवतः मेरी ओर के साथी के कारण। मेरी भावनाएँ और समझ अचानक ऊँची होती लगने लगी थीं। मैंने कहा, "यह एक सुन्दर शाम है।" यह बातचीत शुरुआत करना था। उसने संक्षिप्त रूप में कहा, "हाँ।" हमने एकाकी स्थान खोजा, तटपथ पर घूमने वाले छात्रों के रास्ते से बहुत दूर था।

मैंने मेरे हाथ रूमाल को फैलाया और कहा, "रोजी, बैठ जाओ।" उसने रूमाल को उठाया और बैठ गई। इकट्ठा होता हुआ अंधकार सौहार्दपूर्ण था। मैं उसके नजदीक बैठ गया और बोला, "अब तुम मुझे शुरुआत से अन्त तक सब कुछ कहो।" वह थोड़ी देर विचारों में रही और बोली, "वह आज शाम गाड़ी से चला गया और बस कुछ नहीं।" "तुम उसके साथ क्यों नहीं गई?"

"मैं नहीं जानती। क्या इसलिए मैं यहाँ आई। परन्तु यह उस तरह से नहीं हुआ। अच्छा, यह एकदम अच्छा हुआ। हम एक-दूसरे के साथ के लिए नहीं थे।" "मुझे बताओ, क्या हुआ। तुम उस दिन मेरे से इतनी रूखी क्यों थी?" "मैंने सोचा कि यह अच्छा हो कि हम एक-दूसरे को भूल जाएँ, और मैं उसके पास वापस चली गई।" मैं नहीं जानता कि उससे कैसे पूछताछ करूँ। मेरे पास कोई तरीका नहीं था कि मैं सूचनाएँ निकलवा सकूँ-वह सब कुछ जो पहले घटित हो गया था। मैं टटोलने लगा और धीमी आवाज में बोलने लगा और प्रश्नोत्तर में बताने लगा, जब तक कि मैंने महसूस किया कि मैं कहीं नहीं जा रहा था। मैं क्रमवार वक्तव्य चाहता था, परन्तु वह बताने में अक्षम थी। वह आगे-पीछे झूल रही थी और टुकड़ों में बातें कर रही थी। मैं यह सब एक गाँठ के रूप में पा रहा था। मैं क्रोधित महसूस करने लगा। मैंने कहा, "अब मुझे सीढ़ी दर सीढ़ी जवाब दो। हर प्रश्न का जवाब दो। हमने जो प्रस्ताव पर चर्चा की थी, क्या तुमने उस पर बात की थी। तुमने उसे क्या कहा था?" 

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3. What we had agreed...........................is street-acrobatics? (Pages 128-129)

कठिन शब्दार्थ-rustling (रसलिङ) = सरसराहट करना। crumbling (क्रब्लिङ) = टुकड़ेटुकड़े हो जाना या कर देना। grotesque (ग्रोटेस्क) = बेतुका, अजीब-गरीब । squatting (स्कवॉटिङ) = उकडूं बैठना । scowl (स्काउल) = त्यौरी चढ़ाना, नाक-भौं सिकोड़ना।

हिन्दी अनुवाद-जिस पर हम सहमत हुए थे-कि वह मुझे नृत्य करने की अनुमति देगा। जब तक मैंने इसके बारे में नहीं बताया तब तक वह बहुत खुश था। मैंने कभी भी इसके बारे में पूछे दिन नहीं कहा था या अगले दिन तक नहीं कहा था। मैं उसे उसकी स्वयं की गतिविधि के बारे में बोलने के लिए कहती रही। उसने मुझे वह तस्वीरें दिखाईं जो उसने उतारी थीं, वे नोट्स जो उसने बनाए थे, वह देर रात तक उनके महत्व के बारे में बताता रहा। उसने कहा कि वह इतिहास के पुनर्लेखन के लिए जिम्मेवार होने जा रहा था। वह अपने काम के प्रकाशन की योजनाओं के बारे में बातें कर रहा था। उसने कहा कि वह बाद में मैक्सिको जायेगा, और कुछ दूर के पूर्वी देशों में इस विषय पर अध्ययन करने और अपने काम में उनको जोड़ेगा। 

मैं उत्साह से भरी हुई थी यद्यपि वह जो कुछ कह रहा था मैं उसे समझ नहीं पा रही थी। मैंने महसूस किया कि आखिरकार हमारे बीच में एक आपसी समझ आ रही है-वहाँ उस एकाकी मकान में, जिसमें पेड़ों की सरसराहट और लोमड़ियों व अन्य जानवरों का भटकना था, सुदूर की घाटी में प्रकाश का टिमटिमाना था। अगली सुबह मैं उसके साथ गुफा तक गई कि संगीत के स्वरों को देख सकूँ जो उसने खोजे थे। हमें मुख्य गुफा में से गुजरना था और टूटी हुई सीढ़ी के उस पार एक मेहराबदार छत में से जाना था। एक डरावना, खतरनाक स्थान था । पृथ्वी पर कुछ भी मुझे इस प्रकार के स्थान पर जाने के लिए राजी नहीं करेगा, ढेर वाला, डरावना और अंधेरे वाला स्थान । मैंने कहा, "यहाँ हो सकता है कोबरा हो।" उसने मेरे डर को नजरअंदाज किया। 

"तब तुम्हें आराम महसूस करना चाहिए" उसने कहा और हम हँसे। और तब उसने एक लालटेन जलाई और मुझे वह दीवार दिखाई जिसका चूना उसने खुरचा था और नई तस्वीरों को खोजा था। वे वही आम बेतुकी, प्राचीन चित्रकारियाँ थीं जो विभिन्न आकृतियों की थीं, परन्तु उसने उनके चारों ओर के हिज्जों को बताने की व्यवस्था की थी और उनको संगीत के स्वरों की तरह उतार लिया था। यह कुछ भी नहीं था, जिसे मैं समझ पाई या उपयोग कर सकी। वे अमूर्त गीत थे, किसी प्राचीन संगीत के या इसी प्रकार की कोई वस्तु थी। मैंने कहा, "यदि यह नृत्य के बारे में है, मैं सम्भवतः शायद प्रयास....." उसने तेजी से तीक्ष्ण निगाहों से देखा। 'नृत्य' शब्द हमेशा उसे डंक मारता था। मैं इस विषय पर उससे बात करने से डर रही थी। परन्तु उस प्राचीन फर्श पर उकडूं बैठे, जालों और चमगादड़ों के बीच, उस मद्धिम लालटेन की रोशनी में, मैंने वापस आने का साहस अनुभव किया, "क्या आप मुझे नृत्य करने की आज्ञा देंगे?"

उसका जवाब त्वरित रूप से आया, नाक-भौं सिकोड़कर, पुराना चेहरा वापस आ गया था, "क्यों?"
"मैं सोचती हूँ कि मैं बहुत खुश होऊँगी यदि मैं वह कर सकी। मेरे पास खूब सारे विचार हैं । मैं इस पर प्रयास करना चाहती हूँ। ठीक वैसे ही जैसे आप कर रहे हैं......'
"ओह, तो तुम मेरे से ईर्ष्या रखना चाहती हो, क्या वह यही है? यह सीखने की एक शाखा है, कोई गली का व्यायाम नहीं।"
"तुम सोचते हो नृत्य करना गली का व्यायाम है?" 

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4. I am not prepared to ...... you do it for him?" (Pages 129-130) 

कठिन शब्दार्थ-trapeze (ट्रपीज्) = कलाबाजी का झूला। blunder (ब्लण्ड(र)) = भारी गलती। haughtily (हॉटिलि) = गुस्से से।

हिन्दी अनुवाद-"मैं तुम्हारे साथ यह सब बात करने के लिए तैयार नहीं हूँ। कलाबाजी के झूले पर व्यायाम करने वाला अपने सारे जीवन में वही करता रहता है; तुम्हारा नृत्य भी इसी प्रकार का है। इसमें क्या बुद्धिमानी या रचनात्मकता है? तुम अपनी चालाकियाँ सारे जीवन में दोहराते रहते हो। हम देखते हैं कि एक बन्दर कर रहा है, इसलिए नहीं कि यह कलात्मक है परन्तु इसलिए कि एक बन्दर ऐसा कर रहा है।" मैं सारी गलतियाँ निगलती गई। मुझे अभी भी उसे बदलने की उम्मीदें थीं। मैं शान्ति में चली गई और उसे उसका काम करने दिया। 

मैंने विषय दूसरी बातों की ओर मोड़ दिया और वह फिर से सामान्य हो गया था। भोजन के बाद वह फिर से अपनी पढ़ाई करने लगा और मैं बरामदे में मेरा खेल देखने लगी। हमेशा की तरह, वहाँ देखने के लिए कुछ भी नहीं था परन्तु मैं वहाँ बैठी थी और जो कुछ उसने कहा था, वह मेरे दिमाग में घूम रहा था, और मैं आश्चर्य में थी कि कैसे काम किया जाए। इस उम्मीद में मैंने सारी समस्याओं और अपमान को नजरअन्दाज किया कि यदि हम अन्त में किसी समझौते पर पहुँचें, यह सब कुछ भुला दिया जाएगा। जैसे मैं वहाँ बैठी थी, वह मेरे पीछे आया, और मेरे कंधे पर अपना हाथ रखा, बोला, "मैं सोचा कि हम इस विषय की अन्तिम समझ पर पहुँच गए थे। क्या तुम या क्या तुमने वादा नहीं किया था कि तुम इसके बारे में कभी नहीं बताओगे?"

तालुक दफ्तर के घंटे ने आठ बजाए और सारी भीड़ गायब हो चुकी थी। हम मिट्टी पर अकेले थे। अभी भी मैंने रोजी के बारे में कुछ भी नहीं जाना था। गफूर ने हॉर्न बजाया। इसमें सन्देह नहीं था कि देर हो गई थी, परन्तु यदि मैं घर जाता वह बोल नहीं पाती। मैंने कहा, "क्या हम रात होटल में गुजारें?"

"नहीं।" मैं तुम्हारे घर वापस जाना चाहूँगी। मैंने तुम्हारी माँ से वापस आने के लिए कहा था।
"ठीक है" मैंने कहा, मेरी आर्थिक स्थिति को याद किया। "हमें यहाँ आधा घण्टा और रुकना चाहिए। अब मुझे बताओ।"। उसने फिर से कहना शुरू किया, "उसका सुर अब इतना दयालु था कि मैंने महसूस किया कि मुझे अब परेशान नहीं होना पड़ेगा यदि मुझे अपनी योजनाओं को एक साथ छोड़ना पड़े; यदि वह इवना अच्छा हो रहा था, मुझे और कुछ नहीं चाहिए था-मैंने लगभग अपना मानस बना लिया था कि मैं उससे कुछ भी नहीं पूछूगी। फिर भी एक अन्तिम चाल में, मैंने कहा, उसके सुर से प्रेरित होकर, "मैं चाहती हूँ कि तुम थोड़ासा टुकड़ा देखो, जो कि मैं आमतौर पर अपनी माँ की यादगार में करती हूँ। तम जानते हो, यह उसका हिस्सा था।" 

मैं उठी और उसे हाथ से खींचते हुए अपने कमरे में ले आई। मैंने कुर्सी और अन्य दूसरी वस्तुएँ एक तरफ सरका दीं। मैंने अपने कपड़े ठीक किए। मैंने उसे धक्का देकर बिस्तर पर बैठाया, जैसा कि मैंने तुम्हारे साथ किया था। मैंने वह गाना गाया था यमुना के किनारे प्रेमी और उस लड़की के बारे में और उस हिस्से पर मैं उसके लिए नाची थी। वह मुझे बैठा अनमने मन से देखता रहा। मैंने पाँचवीं लाइन भी पूरी नहीं की थी जब उसने कहा, "रुको, मैंने पर्याप्त देख लिया है।" मैं रुकी, शर्म से लाल थी। मुझे विश्वास था कि वह इससे मंत्रमुग्ध होकर कहेगा कि मैं अपने सारे जीवन नृत्य करती रहूँ। परन्तु उसने कहा, "रोजी, तुम्हें अवश्य ही समझना चाहिए, यह कला नहीं है । तुम्हारे पास पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं है। इस बात को अकेला छोड़ दो।"

"परन्तु यहाँ मैंने एक बड़ी गलती की थी।" मैंने गुस्से से कहा, "सब कोई सिवाय तुम्हारे इसे पसन्द करता है।"
"उदाहरण के लिए?"
"अच्छा, राजू ने मुझे यह करते हुए देखा, और वह बहुत खुश हुआ। क्या तुम जानते हो उसने क्या कहा?"
"राजू, यह तुमने उसके लिए कहाँ किया?" 

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5. "At the hotel", And...........do what you please." (Pages 130-132)

कठिन शब्दार्थ-cater (केट(र)) = आवश्यकताओं की पूर्ति करना। fervid (फॅव्ड) = आवेशपूर्ण, उत्तेजित। tidied (टाइडिड्) = किसी को ठीक से सजाना, ठीक-ठाक बनाना या सुव्यवस्थित करना। indiscreet (इन'डिस्क्रीट) = वाणी या व्यवहार में असावधान, अविवेकी। boom (बूम) = समृद्धि और विकास की स्थिति।

हिन्दी अनुवाद-"होटल पर" और तब उसने कहा, "आओ और यहाँ बैठो"कुर्सी की ओर इशारा करते हुए, जैसे कि कोई परीक्षण करने वाला चिकित्सक करता है। वह मुझसे अधिक गहन प्रश्नोत्तरी करना चाहता था। मैं सोचती हूँ यह सारी रात चलता रहा था। उसने हमारे विभिन्न हलचलों का विवरण पूछा जब से हम यहाँ आए थे, तुम प्रत्येक दिन होटल कितने बजे आते थे, तुम कब जाते थे, तुम कमरे में कहाँ पर रहते थे और कितनी देर तक रुकते थे और इस प्रकार से कई प्रश्न पूछे, उन सभी का मुझे जवाब देना ही पड़ा था। मैं टूट गई और रोने लगी थी। उसने मेरे उत्तरों से पर्याप्त इशारे प्राप्त कर लिए थे कि हम क्या कर रहे थे। अन्त में उसने कहा, "मैं नहीं जानता हूँ कि वह होटल इस प्रकार के आवेशपूर्ण कला प्रेमियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। मैं मूर्ख था कि मैंने बहुत अधिक भद्रता को मान लिया था।" सुबह होने तक हम वहाँ बैठे रहे। वह बिस्तर पर था और मैं कुर्सी पर थी। मैं नींद से भर गई थी और मैंने अपना सिर टेबल पर रख दिया था, और जब मैं जगी थी, वह गुफाओं की ओर चला गया था।

जोसफ मेरे लिए थोड़ी कॉफी रख गया था। मैंने अपने आपको सुव्यवस्थित किया और उसकी तलाश में नीचे चली गई थी। मैंने महसूस किया था कि मैंने अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती कर दी थी। मैं उससे बात करते में हर प्रकार से अविवेकी और गलत रही थी। मैंने महसूस किया कि मैंने एक बहुत बड़ा पाप किया था। मैं ऐसे चल रही थी जैसे सपने में चलकर कोई जा रहा हो। मैं गुफाओं की ओर जा रही थी। मेरा मन अत्यधिक समस्याओं से ग्रस्त था। मैं जीवन में और कुछ नहीं चाहती थी, बस केवल उसके साथ शान्ति करना, समझौता करना चाहती थी। मैं नृत्य करना भी नहीं चाहती थी। मैंने खोया हुआ महसूस किया...मैं अधिक भय में थी। मैं उस पर विशेष प्रकार की दया से भरी थी-जैसे कि मुझे याद है कि वह किस प्रकार से सारी रात बिस्तर पर बिना हिले-डुले बैठा रहा था, जबकि मैं कुर्सी पर बैठी थी। 

उसके चेहरे पर निराशा और भय की झलक अभी भी मेरे मन में भटक रही थी। मैं नीचे घाटी तक चलकर गई-मुश्किल से अपने चारों ओर के वातावरण पर ध्यान दे रही थी। यदि कोई चीता भी मेरा रास्ता काट जाता, मैं इस पर मुश्किल से ध्यान देती.....मैंने उसे गुफा में बैठे हुए पाया, वह अपनी आमतौर पर बैठने वाली फोल्डिंग स्टूल पर बैठा था, वह अपने चित्रों को उतार रहा था। जब मैं अन्दर घुसी तो उसकी पीठ प्रवेश द्वार की ओर थी। परन्तु जैसे ही संकरे प्रवेश द्वार में घुसी रोशनी रुक गई और वह मुड़ा। उसने मेरी ओर ठण्डेपन से देखा। मैं वहाँ इस प्रकार से खड़ी थी जैसे कोई कैदी सलाखों के पीछे खड़ा रहता है। "मैं तुमसे गम्भीरता से मन से माफी माँगने आई हूँ। मैं कहना चाहती हूँ मैं वही करूँगी जो तुम मुझे करने के लिए कहोगे। मैंने एक बहुत बड़ी गलती की थी........"

वह एक शब्द बोले बिना अपना काम करने लग गया। वह ऐसे काम कर रहा था मानो कि वह अकेला था। मैंने वहाँ पर इन्तजार किया था। अन्त में, जब उसने अपने पूरे दिन का काम पूरा कर लिया, उसने अपना पुलिन्दा उठाया और बाहर की ओर चल पड़ा। उसने अपना हेलमेट और चश्मा पहना और मेरे पास से इस प्रकार से गुजरा जैसे मैं वहाँ पर बैठी ही नहीं थी। मैं वहाँ पर लगभग तीन घण्टे तक खड़ी रही थी, मैं ऐसा सोचती हूँ। उसने नाप ली, नकल की, लिखा और अपनी टॉर्च से परीक्षण किया, परन्तु मेरी ओर थोड़ा सा भी ध्यान नहीं दिया था। जब वह बंगले में वापस गया था, तो मैं भी उसके पीछे-पीछे गई। वहीं तुम हमसे मिले थे। मैं उसके कमरे में गई थी। वह अपनी कुर्सी पर बैठा था और मैं बिस्तर पर बैठी थी। न तो कोई शब्द बोला और न कोई वाक्य । 

तुम फिर से कमरे में आए थे। मुझे अवश्य ही यह पता था कि तुम हमें छोड़ दोगे और चले जाओगे, और हम हमारे बीच में शान्ति कायम कर रह सकेंगे.....दिन के बाद दिन इस तरह गुजरते गए। मैं उम्मीद के साथ रुकी हुई थी। मैंने यह पाया कि उसने वह भोजन नहीं किया था जिसको मैंने छुआ था। इसलिए मैंने जोसफ को उसे खाना परोसने दिया। मैंने रसोई में अकेले में भोजन किया। यदि मैं बिस्तर पर लेट जाती, तो वह फर्श पर सो जाता था। इसलिए मैंने फर्श पर सोना शुरू कर दिया, और वह जाकर बिस्तर पर लेट जाता। वह न तो कभी मुझसे बोला और न ही उसने कभी देखा। उसने जोसफ से व्यवस्था करवाकर कई बार वह वापस आया था, बंगले में मुझे अकेला छोड़ गया था। वह वापस और अपने काम पर चला गया, उसने मेरे बारे में चिन्ता नहीं की थी। परन्तु मैंने उसका अनुसरण किया, दिन के बाद दूसरा दिन, जैसे एक कुत्ता करता है-उसकी दया का इन्तजार कर रही थी। उसने मुझे पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया था। 

मैंने कभी भी कल्पना नहीं की थी कि एक आदमी दूसरे आदमी की उपस्थिति को पूरे तरीके से नजरअन्दाज कर सकता है। मैंने एक छाया की तरह उसका पीछा किया। अपने गर्व और आत्मसम्मान को मैंने छोड़कर एक तरफ रख दिया था। मुझे उम्मीद थी कि आखिरकार वह वापस आएगा। मैंने एक क्षण के लिए भी उसका साथ नहीं छोड़ा, चाहे कमरे में या गुफा में। इतने बड़े एकाकी स्थान पर बिना बोले रहना एक तनाव था। मैंने सोचा मैं गूंगी हो चुकी थी। जोसफ ही एकमात्र जिससे मैं कुछ बोल सकती थी जब कभी वह आता था, परन्तु वह गम्भीर रहने वाला आदमी था और उसने मुझे प्रेरित नहीं किया था। इस प्रकार से मैंने तीन सप्ताह बिताये, एक चुप्पी की सौगन्ध के साथ।

मैं इसे और अधिक सहन नहीं कर पा रही थी। इसलिए एक रात जब वह अपनी टेबल पर बैठा था, मैंने कहा, "क्या तुमने मुझे पर्याप्त दण्डित नहीं किया है?" मेरी आवाज अजीब सी लग रही थी, और मुझे ऐसे लग रही थी जैसे कोई और बोला हो क्योंकि मुझे बोले कई सप्ताह हो गए थे। इसमें एक समृद्धि वाला गुण था उस शान्ति में जिसे मैं स्वयं हतप्रभ थी। वह उस आवाज पर शुरू हुआ, मुड़ा, मेरी ओर देखा और बोला, "तुम्हारे लिए मेरा यह अन्तिम शब्द है । मुझसे बात मत करो। तुम जहाँ पर प्रसन्न रहो जा सकती हो, और जो तुमको खुश करे वह कर सकती हो।" 

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6. I want to be with... ......... what will people say?" (Pages 132-133)

कठिन शब्दार्थ-ruffian (रॅफ्यन) = गुण्डा, बदमाश। antics (ऐन 'टिक्स) = अजीब और बेतुकी हरकतें। relent (रि'लेन्ट) = नरम पड़ जाना। grandiose (ग्रेनडिओस्) = अनावश्यक रूप से बड़ा और पेचीदा। cad (कैड) = गंवार, अशिष्ट। niche (नीश्) = अनुकूल या उपयुक्त नौकरी। scrubbed (स्क्रबड) = रगड़ना।

हिन्दी अनुवाद-मैं तुम्हारे साथ रहना चाहती हूँ। मैं चाहती हूँ कि तुम सब कुछ भूल जाओ। मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे क्षमा करो-मैंने कहा। किसी प्रकार से मैं उसे बहुत चाहने लगी थी। यह मुझे पर्याप्त लग रहा था कि वह मुझे भुला देगा और मुझे वापस अपना लेगा। परन्तु उसने कहा, "हाँ, मैं भूलने का प्रयास कर रहा हूँ-उससे भी पहले यह तथ्य कि मैंने कभी तुम्हें पत्नी माना था। मैं भी यहाँ से जाना चाहता हूँ-परन्तु मुझे अपना कार्य पूरा करना है; और मैं यहाँ उसके लिए हूँ। तुम बाहर जाने के लिए स्वतंत्र हो और तुम जो चाहो कर सकती हो।"

"मैं तुम्हारी पत्नी हूँ और मैं तुम्हारे साथ हूँ।"
"तुम यहाँ पर हो क्योंकि मैं बदमाश नहीं हूँ। परन्तु तुम मेरी पत्नी नहीं हो। तुम एक औरत हो जो किसी के साथ भी बिस्तर में जा सकती हो जो तुम्हारी बेतुकी हरकतों की प्रशंसा करे। बस अब और कुछ नहीं। मैं नहीं, मैं तुम्हें यहाँ नहीं चाहता हूँ, परन्तु यदि तुम यहाँ रहने जा रही हो, मुझसे बात मत करना । अब सब खत्म।" "मुझे बहुत पीड़ा महसूस हुई।" मैंने सोचा था कि इसके मुकाबले में तो ओथेलो ने भी डेसडिमोना के साथ ज्यादा रहमदिली का सलूक किया था। परन्तु मैंने सब कुछ सहन किया। मुझे एक अनियंत्रित इच्छा थी कि वह अन्त में नरम पड़ जाएगा। कि जब हम इस जगह से जायेंगे वह शायद बदल जाए। एक बार हम अपने घर में वापस चले जाएं, सब कुछ ठीक हो जाएगा।

एक दिन उसने सामान बाँधना शुरू किया, मैंने उसकी सहायता करने का प्रयास किया, परन्तु उसने मुझे नहीं करने दिया। और तब मैंने भी अपनी वस्तुएँ बाँधना शुरू की और उसका अनुसरण किया। गफूर की कार आ गई थी। हम दोनों होटल तक आ गए थे। वापस कमरा नं. 28 में। वह कमरा अब मुझे जहरीला नजर आ रहा था। वह एक दिन खातों के भुगतान की व्यवस्था करने के लिए रुका था। और ट्रेन के समय वह अपना सामान लेकर रेल्वे स्टेशन गया था। मैं चुपचाप उसके पीछे गई थी। मैंने धैर्य से इंतजार किया था।

मैं जानती थी कि वह वापस हमारे घर मद्रास जा रहा था। मुझे उसके साथ वापस जाने की बहुत अधिक इच्छा थी। कुली हमारा सामान ले गया था। उसने सामान के मेरे वाले हिस्से की ओर इशारा करके कुली से कहा, "मैं इनके बारे में नहीं जानता हूँ-मेरे नहीं हैं।" इसलिए कुली ने एक क्षण के लिए मेरी ओर देखा और मेरे बॉक्स को अलग कर दिया था। जब गाड़ी आई तो कुली केवल उसका सामान लेकर गया, और वह एक हिस्से में जाकर अपनी सीट पर बैठ गया। मैं नहीं जानती थी क्या करूँ। मैंने अपना सामान उठाया और वापस अनुसरण किया। जब मैं गाड़ी के भाग में बैठने का प्रयास किया, उसने कहा, "मेरे पास तुम्हारे लिए टिकट नहीं है।"

और उसने एक अकेली टिकट हवा में लहराई और मेरे सामने से दरवाजा बन्द कर दिया। गाड़ी चली। मैं तुम्हारे घर आ गई थी।
वह थोड़ी देर सुबकियाँ लेते हुए बैठी रही। मैंने उसे शान्त किया। "तुम ठीक जगह पर आई हो। अपना सारा भूतकाल भुला दो। हम उस गंवार को एक सबक सिखाएंगे। मैंने अनावश्यक रूप से एक बड़ी और पेचीदी घोषणा कर दी। "सबसे पहले, मैं संसार को तुम्हारी पहचान कराऊँगा कि तुम अपने समय की सबसे बड़ी कलाकार हो।" थोड़े ही समय में मेरी माँ सब कुछ समझ गई थी। जब रोजी अन्दर नहाने के लिए गई, उसने मुझे एक कोने में ले जाकर कहा, "राजू, यह ज्यादा लम्बे समय तक नहीं चल सकता-अब यह मामला समाप्त करो।"
"माँ, तुम बीच में मत आओ। मैं वयस्क हूँ। मैं जानता हूँ मैं क्या कर रहा हूँ।"

"तुम एक नाचने वाली लड़की को अपने घर में नहीं रख सकते हो । हर सुबह सारे नाच और जो कुछ सब चल रहा है। यह घर में क्या हो रहा है?"
रोजी ने मेरे द्वारा प्रोत्साहित किये जाने पर अपना अभ्यास शुरू कर दिया था। वह सुबह पाँच बजे उठ जाती थी, नहाती और मेरी माँ के अनुकूल कार्य के अनुसार वहाँ लगी भगवान की तस्वीर के सामने प्रार्थना करती और अभ्यास कार्य शुरू करती जो कि करीब तीन घण्टे तक चलता था। उसके धुंघरुओं की झनझनाहट से पूरा घर बज उठता था। वह अपने चारों ओर के परिवेश को पूरी तरह से नजरअन्दाज कर देती थी, उसका ध्यान उसके कदमों और हलचलों पर रहता था। इसके बाद वह मेरी माँ की सहायता करती थी, बरतन रगड़ती, धोती, सफाई करती और घर में सब कुछ सजा देती थी। मेरी माँ उसके साथ खुश थी और उस पर दयालु रहती थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरी माँ अब उसके लिए एक समस्या खड़ी करेगी। परन्तु वह यहाँ थी। मैंने कहा, "तुम्हारे साथ अचानक क्या हो गया है?" मेरी माँ थोड़ी देर रुकी। "मैं उम्मीद कर रही थी कि तुम अपनी समझ से इस बारे में कुछ करोगे। यह हमेशा इस तरह से नहीं चल सकता है। लोग क्या कहेंगे?" 

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7. “Who are people .............. I suffered with her. (Pages 134-135) 

कठिन शब्दार्थ-tremendously (ट्र'मेनडसलि) = बहुत, अत्यधिक, बहुत अधिक। stiffen (स्टिफन) = सख्त । tainted (टेन्टिड्) = दूषित होना या कर दिया जाना। lest (लेस्ट) = ऐसा न हो कि। allude (अ'लूड) = किसी के बारे में अप्रत्यक्ष बात करना। deranged (डि रैन्जड्) = सामान्य रूप से काम करने में असमर्थ । doggedness (डॉगिडनस) = दृढ़ संकल्प । perserverance (पसि 'विअर्स) = अध्यवसाय, दृढ़ता। apropos (अप्र'प्रो) = किसी विषय पर। naively (नाइ'ईवलि) = भोलापन। clumsily (कलमजिलि) = फूहड़, भद्दापन। round about (राउन्ड अबाउट) = घुमाव-फिराव वाला, सीधा नहीं।

हिन्दी अनुवाद-"कौन लोग हैं?" मैंने पूछा।। "अच्छा, मेरा भाई और तुम्हारे चचेरे-ममरे भाई और दूसरे लोग जो अपने जानकार हैं।" "मैं उनकी राय की परवाह नहीं करता। इस प्रकार की बातों की ओर से परेशान नहीं होता।" "ओह ! यह अजीब आदेश तुम मुझे दे रहे हो, मेरे बच्चे । मैं इसे स्वीकार नहीं करती हूँ।" ।

बाथरूम से आ रही मीठी गान की धुन बन्द हो गई थी। मेरी माँ ने वह विषय छोड़ दिया और चली गई। जैसे ही रोजी नहाकर ताजा और खिलती हुई बाहर आई, उसकी ओर देखकर, कोई यह सोच सकता है कि उसे इस संसार में कोई चिन्ता नहीं है। वह पूरी तरह से खुश थी जो वह कर रही है और जो वह उस क्षण करेगी। वह भूतकाल के बारे में थोड़ी सी भी परेशान नहीं थी और वह बहुत अधिक उम्मीद में थी अपने भविष्य को लेकर। वह मेरी माँ के लिए पूरी तरह से समर्पित थी।

परन्तु दुर्भाग्य से मेरी माँ, उसके प्रेम प्रदर्शन के बाद भी, अन्दर से उसके लिए सख्त बनती जा रही थी। वह अफवाहों पर ध्यान देने लगी। और वह इस विचार को समाहित नहीं कर पाई कि वह एक दोषयुक्त औरत के साथ रहे। मुझे उससे बहस करने में डर लगता था, इसलिए मैं अकेले में उसके सामने पड़ने से कतराता था। और यह ध्यान रखा कि वह अकेली उसके सामने नहीं जाए। परन्तु जब कभी वह मेरे पास पहुँचती, तब मेरे कान में एक अफवाह फुसफुसाकर जाती थी, "वह वास्तव में एक सर्प महिला है। मैं तुम्हें बताती हूँ। मैं उसे पहले दिन से ही पसन्द नहीं करती हूँ जब तुमने मुझे उसके बारे में बताया।"

मैं अपनी माँ के दोहरेपन और उसके निर्णय से नाराज होता जा रहा था। वह लड़की, अपनी समस्त निर्दोषता से, चिन्तामुक्त और प्रसन्न दिखाई देती और मेरी माँ के प्रति पूर्ण समर्पित रहती थी। मैं चिन्तातुर होता कि कहीं ऐसा न हो कि मेरी माँ अचानक मुड़े और स्वतंत्र रूप से उसे छोड़ने के लिए कह दे। मैंने अपनी नीतियाँ बदल दी और कहा, "तुम ठीक हो, माँ। परन्तु तुम देखती हो, वह एक शरणार्थी है, और हम कुछ भी नहीं कर सकते हैं। हमें उसकी मेजबानी करनी ही है।"

"क्यों नहीं वह अपने पति के पास जाकर उसके पैरों में गिर सकती? तुम जानते हो, पति के साथ रहना कोई मजाक नहीं है, जैसे कि यह आधुनिक लड़कियाँ कल्पना करती हैं। कोई भी पति जो कि पति नाम से है शायद ही कभी पाउडर या लिपस्टिक से अकेला जीता जा सकता हो। तुम जानते हो, तुम्हारे पिता एक बार से अधिक......" उसने एक कहानी कही जो कि मेरे पिताजी के जिद व अतार्किकता के द्वारा रचित थी
और मेरी माँ के लिए एक समस्या थी जो कि किसी पारिवारिक मामले में उठी थी और किस तरह से मेरी माँ उस समस्या से निपटी थी। मैंने उसकी कहानी धैर्य और प्रशंसा के साथ सुनी और उससे थोड़ी देर के लिए उसका ध्यान भटक गया था। थोड़े दिनों के बाद वह पति और पत्नी की समस्याओं के बारे में अप्रत्यक्ष रूप से उसे कहने लगी जब भी कभी वह रोजी से बात करती थी और पतियों के बारे में कहानियाँ कहकर के समय की पूर्ति कर देती थी; अच्छे पति, पागल पति, तार्किक पति, अतार्किक पति, बर्बर पति, हल्का सा पागल पति, मनमौजी पति और इसी प्रकार से कई और आगे कहती गई। 

परन्तु यह हमेशा पत्नी थी, जो अपने दृढ़ संकल्प, दृढ़ता और धैर्य से उसे वापस ले आती। उसने असंख्य धर्म कथाओं के बारे में कहा जिसमें सीता, सावित्री और सभी जानी-पहचानी नायिकाओं के बारे में चर्चाएँ की थीं। स्पष्टतः यह एक सामान्य बात थी, जो किसी विषय पर नहीं थी, परन्तु मेरी माँ के उद्देश्य उसके भोलेपन की तरह साफ थे। वह इतनी फूहड़ता के साथ घुमा-फिराकर बात कहती थी कि कोई भी यह देखकर कह सकता था कि वह किस ओर बात कर रही थी। वह अभी भी यह मानकर चल रही थी कि उसे रोजी के मामले में अनभिज्ञता थी, परन्तु वह इसी बिन्दु पर बात करती थी। मैं जानता था किस तरह से रोजी इन सबके पीछे चालाक, समझदार थी, परन्तु मैं असहाय था। मैं अपनी माँ से डरता था। मैं रोजी को एक होटल में रख सकता था, शायद, परन्तु मैं अपनी आर्थिक दशा का और अधिक वास्तविक दृष्टिकोण ध्यान में रखने को मजबूर था। मैं असहाय था जब मैं रोजी को परेशान देखता और मेरी एकमात्र सांत्वना थी कि मैं उसके साथ परेशान था।

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8. My worries were. ............ hall and shut my eyes. (Pages 135-136)

कठिन शब्दार्थ-clamorous (क्लैमरस) = शोर मचाने वाला, चिल्लाने वाला। peddler (पैडलर) = फेरी वाला। chaotic (के'ओटिक) = अस्तव्यस्त, अव्यवस्थित। hapharard (हेप हैजड्) = बेतरतीब, सुनियोजित नहीं। contemplate (कॉनटेम्प्लेट) = किसी विषय पर सावधानी से विचार करना। gluttony (ग्लटनि) = पेटुपन, बहुत अधिक खाने-पीने की आदत। unedifying (अन्अडिफाइङ) = अनैतिक, गंवारू, किंचित अश्लील। learing (लिअ)ि = कामुक निगाह, कुदृष्टि डालना। twirled (टवल्ड्) = तेजी से घुमाना, चक्कर खिलाना। repelled (रिपेल्ड्) = धकेलना। swatting (स्वेटिङ) = किसी चपटी चीज से किसी को मारना। venerable (वेनर्बल) = आदरणीय, सम्माननीय, श्रद्धेय।

हिन्दी अनुवाद-मेरी चिन्ताएँ बढ़ रही थीं। दुकान पर बैठने वाला लड़का बहुत अधिक चिल्लाने वाला बन रहा था। मेरी बिक्री कमजोर थी, क्योंकि रेल्वे वालों ने और अधिक फेरी वालों को प्रवेश दे दिया था। मेरी नकद प्राप्ति कम होती जा रही थी और उधार की बिक्री बढ़ रही थी। थोक व्यापारी जो मुझे माल दिया करते थे, उन्होंने मुझे उधार पर सामान देना बन्द कर दिया था। इस लड़के का खाता रखने का तरीका अस्तव्यस्त था कि मैं नहीं जानता था कि मैं आगे जा रहा था या पीछे । उसने काउन्टर से नकद राशि बेतरतीब तरीके से दी, और दुकान की आलमारियों में सामान की कमी से काफी अधिक खाली जगह हो गई थी। यह लड़का शायद पैसे को जेब में डाल रहा था और सामान को खा जाता था। थोक व्यापारी के यहाँ मेरी साख

चली गई थी, जनता ने शिकायत की कि जो कोई भी किसी सामान की माँग करता है, वह कभी उपलब्ध नहीं हो पाता था। अचानक रेल्वे वालों ने मुझे छोड़ने का नोटिस दे दिया था। मैंने पुराने स्टेशन मास्टर और कुली से प्रार्थना की, परन्तु वे कुछ नहीं कर सकते थे, आदेश बड़े अधिकारियों के पास से आया था। दुकान एक नए ठेकेदार को दे दी गई थी।

रेल्वे से अपना सम्बन्ध टूट जाने की सम्भावना मेरे लिए अकल्पनीय थी। मैं निराश और गुस्से में था। मेरी आँखों से आँसू बहने लगे जब मैंने उस स्थान पर एक नए आदमी को देखा जहाँ पर मैं और मेरे पिताजी बैठा करते थे। मैंने उस लड़के के गाल पर चांटा मारा और वह चिल्लाया, और उसके पिताजी जो कुली थे, वे मेरे पास आए और बोले, "क्या यही उसे तुम्हारी सहायता करने का फल मिला है ! मैंने हमेशा इस लड़के को कहा था-फिर भी यह कोई तुम्हारा पैसे देकर काम करने वाला नौकर नहीं था।"

"इसको नौकरी के पैसे देता! यह तो मेरा सारा नकद, उधार और प्रत्येक उपभोग की दुकान में रखी वस्तुओं को निगल गया था। खा-खा के मोटा हो गया है ! पैसे का भुगतान तो इसे मुझे करना चाहिए जो सब कुछ खा-पीकर इसने मेरी दुकान चौपट कर दी।"

"यह वह नहीं जिसने तुम्हें बर्बाद किया है, परन्तु तुम्हारे अन्दर बैठा शैतान है, जो तुम्हें इस प्रकार से बात करवा रहा है।" उसका मतलब रोजी था, मुझे पक्का विश्वास है; वह हमारे घर के दरवाजे से झाँक कर देख रही थी। मेरी माँ प्योल के बरामदे में से बहुत दु:ख के साथ देख रही थी। यह एक गरिमा को गिराने वाला दृश्य था। मुझे कुली का मौखिक वक्तव्य पसन्द नहीं आया था, और मैंने कुछ हिंसक बात कही और उस पर आक्रमण का प्रयास किया। स्टेशन मास्टर उस दृश्य पर आ गया और बोला, "यदि तुम यहाँ व्यवधान खड़ा करोगे, तो मुझे तुम्हारा प्रवेश रोकना पड़ेगा।" 

नया दुकानदार इस दृश्य को अलग खड़ा होकर देख रहा था। एक बड़ी मूंछों वाला व्यक्ति-मैं उसकी कुदृष्टि को पसन्द नहीं करता था। मैं उसकी ओर आग बबूला होकर मुड़ा, कुली को मैंने छोड़ दिया और चिल्लाया, "देखना, एक दिन तुम भी इस प्रकार की परिस्थिति का सामना करोगे, याद रखना। इतना पक्का विश्वास मत करना।" उसने अपनी मूंछों को घुमाया और बोला, "कोई कैसे उस भाग्य की उम्मीद कर सकता है जैसा कि तुम्हारा भाग्य है।" उसने शरारत से आँख मारी, इससे मुझे पूरी तरह से गुस्सा आ गया और मैं उस ओर दौड़ा। उसने मुझे अपने बायें हाथ से धक्का दिया मानो कि किसी उड़ती हुई मक्खी को चपटी चीज से मारा हो, और मैं वापस गिरा, और अपनी माँ से टकराया जो कि दौड़ती हुई प्लेटफॉर्म पर आ गई थी, वह कार्य उसने जीवन में पहले कभी नहीं किया था। सौभाग्य से, मैंने उसे टकराकर नीचे नहीं गिरने दिया।

उसने मेरी बाँह को कसकर पकड़ा और चिल्लाई,"आ जाओ। तुम आते हो कि नहीं?" और कुली, मूंछों वाला आदमी और हर व्यक्ति सौगंध खाकर बोला, "तुम आज बच गए हो, इस सम्माननीय औरत के कारण।" वह मुझे घसीटकर घर वापस ले गई; कागज के कुछ ढेर, एक रजिस्टर, और एक या दो व्यक्तिगत सामान जो कि मैं दुकान में रखता था, वे मेरी बाँह के नीचे दबे थे। इन सब चीजों के साथ मैंने मेरे घर में प्रवेश किया, और अब मैं जान गया था कि मेरे रेल्वे के साथ सम्बन्ध निश्चित रूप से समाप्त हो गए थे। इससे मेरा दिल भारी हो गया था। मैं इतना दु:खी और उदास महसूस कर रहा था कि मैं यह देखने के लिए भी नहीं मुड़ा कि रोजी वहाँ पर खड़ी मुझे घूर रही थी। मैंने अपने आपको हॉल के एक कोने में डाला और अपनी आँखें बन्द कर ली।

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9. My creditor was the sait .................... something about it.” (Pages 136-138)

कठिन शब्दार्थ-perspective (प'स्पेक्टिव) = परिप्रेक्ष्य, समस्या को जानने और निर्णय लेने का सही दृष्टिकोण । embarrassment (इम बैरसमन्ट) = लज्जित होने का भाव। prejudice (प्रेजुडिस्) = नापसन्दगी, पक्षपात। erratic (इ रैटिक) = सनकी, मनमौजी, अनियत । homilies (होमिलिज्) = प्रवचन, उपदेश । parable (पैरबल्) = नीति कथा, शिक्षाप्रद कथा। astounded (अ'स्टाउन्डिड) =
एकदम भौंचक्का, हैरान। suppressed (सप्रेस्ट) = दमन, कुचलना, दबाना, निरुद्ध। ruthless (रूथलिस) = बेरहम, निष्ठुर।

हिन्दी अनुवाद-मुझे उधार देने वाला एक सेठ था, वह मार्किट रोड का एक थोक व्यापारी था। वह अगले दिन मुझसे मिलने आया। उसने दरवाजे को खटखटाया और वह वहाँ पर आ गया था। मैं रोजी का अभ्यास देख रहा था। मैं दीवार का सहारा लेकर चटाई पर अधलेटा हुआ था। मुझे सेठ को अपने दरवाजे पर देखकर लज्जा महसूस हुई। मैं जानता था कि वह क्यों आया था। उसने अपने साथ नीले कपड़े में लिपटा हुआ एक बहीखाता ले रखा था। वह मुझे देख कर खुश हुआ था, मानो कि उसे डर था कि मैं अपने स्थान से भाग जाऊँगा। 

मैं एक क्षण के लिए कह सकता था कि मुझे नुकसान हुआ था। मैं भ्रम को प्रदर्शित नहीं करना चाहता था। रेल्वे स्टेशन के घटनाक्रम के पश्चात्, मैं अपनी समस्या को जानने और निर्णय लेने की समझ वापस प्राप्त कर रहा था। रोजी को अपना अभ्यास करता देखकर मुझे यह लगने लगा था कि मुझे एक साफ विचार नजर आ रहा था कि मैं क्या करूँगा। उसके धुंघरुओं की आवाज और उसके गाने का वह धीमा संगीत, उसकी लय और हलचल मेरी सहायता कर रही थी। 

मैं महसूस कर रहा था कि मैं एक बार पुनः एक महत्त्वपूर्ण आदमी बनने जा रहा था। मेरी माँ, सौभाग्य से मुझसे पिछली शाम से एक शब्द भी नहीं बोली थी, और इसने मुझे बहुत अधिक शर्म और तनाव से बचा दिया था। मेरी माँ रोजी से भी नहीं बोल सकी थी; अपने सारे पक्षपात के बावजूद भी, वह उस लड़की को वास्तव में पसन्द करती थी और उसके साथ दयालुता से व्यवहार कर रही थी। उसके पास वह हृदय नहीं था कि वह भूखों मरे या उसे किसी तरीके से दोषारोपित करे। वह उसे भोजन और शरण देने में पर्याप्त ध्यान दे रही थी और उसे अकेला छोड़ रखा था। रेल्वे स्टेशन के उस दृश्य के पश्चात् वह अपने आपमें मुझसे बात करने का विश्वास नहीं कर पाई। मुझे विश्वास था कि वह महसूस कर रही थी कि मैं बर्बाद हो गया था, मेरे स्वयं के अनियत कार्यों से, जो कुछ उसके पति ने अपने कठोर श्रम से बनाए थे। परन्तु सौभाग्य से वह उसे उस गरीब लड़की की ओर नहीं ले जा रही थी, परन्तु उसे अकेला छोड़ दिया था-अपने रोजमर्रा के उपदेश और शिक्षाप्रद कथाओं के पश्चात्, वे सभी रोजी अच्छे आनन्द के साथ लेती थी।

सेठ एक पतला सा आदमी था और उसके सिर पर बहुरंगी पगड़ी थी। वह एक समृद्धशाली व्यवसायी था, अपने उधार के कारण बहुत सहायक था, परन्तु अवश्य ही वह अपने ऋणों का सही हल चाहता था। वह दरवाजे पर था। मैं जानता था क्यों, मैं उस पर नाराज हुआ। और बोला, "आओ, आओ! बैठो। आपने कितना दुर्लभ आनन्द दिया है!" मैंने उसे खींचकर चटाई पर बिठाया। वह मेरा अच्छा दोस्त था और वह बकाया के बारे में बात करने से हिचकिचा रहा था। एक क्षण के लिए एक अजीब सी बुरी सी चुप्पी आ गई थी। केवल रोजी के धुंघरुओं को थोड़ी देर के लिए सुना गया था। उसने इसे सुना और कहा, "यह क्या है?"

"ओह" मैंने साधारण भाव से कहा, "एक नृत्य का अभ्यास हो रहा है।"
"नृत्य का अभ्यास!" वह एकदम हैरान था। मेरे जैसे घर में नृत्य का अभ्यास चले, इसकी वह कल्पना भी नहीं कर सकता था। वह एक क्षण के लिए बैठा सोचता रहा, मानो स्मृति से जोड़कर उसका अर्थ समझ रहा था। उसने अपना सिर हल्के से हिलाया। "अन्दर के शैतान" की कहानी उसके पास स्पष्ट रूप से पहुँच रही थी। वह इस बारे में किसी भी पूछताछ को रोक रहा था जैसे कि यह उसका कार्य नहीं था और बोला, "राजू, तुम्हें क्या हो गया है? महीनों से तुमने मेरा उधार भी नहीं चुकाया और तुम पहले इतने नियमित रूप से चुकाते थे।"

"वृद्ध आदमी, व्यावसायिक दशाएँ अच्छी नहीं रही हैं।" मैंने उसे एक प्रभावित राहत और प्रसन्नता के साथ कहा।
"नहीं, यह वह नहीं है, किसी को अवश्य ही...." "ओह, और वह लड़का जिस पर मुझे पूरा विश्वास था उसने पूरी तरह से धोखा दे दिया था।"
"दूसरों पर दोष मढ़ने से क्या फायदा?" उसने पूछा । वह एक निष्ठुर व्यक्ति लगा था जो केवल मुझे परेशान करने पर तुला था। उसने अपना बहीखाता बाहर निकाला; इसे खोला, और कॉलम के सबसे नीचे इशारा किया, "आठ हजार रुपये! मैं इसे ज्यादा लम्बा नहीं चलने दे सकता हूँ। तुम्हें इसके बारे में अवश्य ही कुछ करना पड़ेगा।"

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10. I was tired of being........................... have you a lawyer?" (Pages 138-140)

कठिन शब्दार्थ-curtly (कटलि) = रूखेपन से। levity (लेवटि) = हलकापन, किसी गम्भीर मुद्दे को हल्के में लेना । scowled (स्काउल) = नाक-भौं सिकोड़ना। puny (प्युनि) = बहुत छोटा और दुर्बल। convulsed (कन'वल्सट्) = मरोड़ना, दौरा पड़ना। distraught (डि'स्ट्रॉट) = बहुत व्याकुल, विक्षिप्त।

हिन्दी अनुवाद-मैं यह सुनकर थक गया था, 'कुछ' कुछ के बारे में। मेरी माँ ने इसे लड़की के सम्बन्ध में शुरू किया था, कोई और किसी और के बारे में, लड़की ने कहना शुरू किया था, "हमें अवश्य ही कुछ करना चाहिए" और अब यह आदमी; मैं उसकी सलाह से चिड़चिड़ा हो गया और रूखेपन से कहा, "मैं इसे जानता हूँ।"
"आप इसके बारे में क्या करने के लिए प्रस्ताव देते हैं?" "अवश्य ही तुम्हें कुछ भुगतान किया जाएगा....." "कब" "मैं कैसे कह सकता हूँ?....तुम्हें अवश्य ही इन्तजार करना पड़ेगा।" "ठीक है। तुम्हें दूसरा सप्ताह चाहिए?" उसने पूछा।

"सप्ताह !" मैं इस मजाक पर हँसा। वह आहत दिखाई दिया। हर कोई इस समय मुझसे आहत दिखाई देता है।
वह बहुत गम्भीर हो गया और बोला, "क्या तुम सोचते हो कि यह हँसने का मामला है? क्या तुम सोचते हो कि मैं तुम्हें हँसाने आया हँ?"
"सेठ, अपनी आवाज क्यों ऊँची उठा रहे हो? हमें दोस्त बन जाना चाहिए।"

"मित्रता का इससे कोई लेना-देना नहीं है" उसने कहा, अपनी आवाज को नीची कर वह बोला। जब वह अपनी आवाज ऊँची कर लेता था तो अन्दर से आ रही धुंघरुओं की आवाज नहीं सुनी जा सकती थी। परन्तु जब वह इसे नीचा कर लेता था तो हम उसके धुंघरुओं की आवाज पृष्ठभूमि में सुन सकते थे। एक मुस्कान शायद मेरे होठों पर आ गई थी जब मैंने दीवार के दूसरी ओर उसकी आकृति को चित्रित किया। उसे इस पर फिर से चिड़चिड़ाहट हुई, "क्या श्रीमान, तुम हँसते हो जब मैं कहता हूँ कि मुझे पैसा चाहिए, आप मुस्कुराते हैं मानो कि आप सपने में थे। क्या आप इस संसार में हैं या स्वर्ग में हैं? मैं आज आपसे व्यावसायिक तरीके से बात करने आया हूँ, परन्तु यह सम्भव नहीं है। ठीक है, मुझ पर दोष मत लगाओ।" उसने अपने बहीखाते की पुस्तक को इकट्ठा किया और जाने के लिए उठा।

"सेठ जाओ मत। आप क्यों परेशान हैं?" मैंने पूछा। जो कुछ मैंने कहा था, उसमें हल्केपन का एक छल्ला था। वह सख्त हो गया और अधिक गम्भीर हो गया। जितना वह नाक-भौं सिकोड़ता था, तो उतना ही मैं अपने आप को रोक पाना असम्भव पाता था। मैं नहीं जानता था कौनसा राक्षस मुझे इतने अधिक आनन्द से रोक रहा था इस सबसे अधिक अनुपयुक्त समय पर। मैं हँसी से उफन रहा था, मैंने अत्यधिक हँसी की गहरी इच्छा को दबाया। किसी प्रकार से उसकी गम्भीरता मुझे इस प्रकार से प्रभावित कर रही थी। आखिरकार, जब वह मुझसे अत्यधिक गुस्से में मुडकर गया, इस छोटे आदमी की अत्यधिक गम्भीरता कि उसने अपना बहीखाता अपनी बाँह के नीचे दबा रखा था और उसकी बहुरंगी पगड़ी मुझे इतनी हास्यास्पद लग रही थी कि मुझे हँसी का दौरा पड़ गया था। उसने अपना सर घुमाया, एक छोटी सी निगाह मुझ पर डाली और वह चला गया।

एक मुस्कुराते हुए चेहरे से, मैं वापस घर में घुसा और चटाई पर अपनी स्थिति वापस ले ली। रोजी एक क्षण के लिए पूछने को रुकी, "कुछ अधिक आनन्ददायक? मैंने तुम्हारी हँसी सुनी थी।"
"हाँ, हाँ, कुछ ऐसा जो मुझे हँसा देता था।" "वह कौन था?" उसने पूछा।
"एक दोस्त" मैंने कहा। मैं नहीं चाहता था कि वह इन समस्याओं को जाने। मैं नहीं चाहता था कि कोई भी इन समस्याओं से परेशान हो। मैं किसी से भी परेशान होना नहीं चाहता था। रोजी के साथ एक छत के नीचे रहना मेरे लिए पर्याप्त था। मैं अपने जीवन में और कुछ नहीं चाहता था। मैं एक काल्पनिक स्थिति में जा रहा था। पैसे के बारे में बात नहीं करके मैंने महसूस किया था कि मैंने विषय को त्याग दिया था-यह एक मूर्खतापूर्ण अनुमान था। रोजी का बाहरी संसार मुझे अवास्तविक प्रतीत होता था कि यह मेरे लिए सम्भव था कि इस प्रकार के अनुमान में रहूँ। परन्तु ज्यादा अधिक समय तक नहीं।
एक सप्ताह या दस दिवसों के अन्दर मैंने पाया कि मैं कोर्ट के मामलों में शामिल हो गया था। मेरे हँसने के स्वभाव ने सेठ के साथ मेरे सम्बन्धों को पूरी तरह से बरबाद कर दिया था, और उसने संतुष्टि पाने के लिए सीधे अदालत के रास्ते से आगे बढ़ गया था। मेरी माँ बहुत व्याकुल थी। संसार में गफूर के अलावा मेरा कोई दोस्त नहीं था। मैंने एक दिन उसे फव्वारे की दीवार के पास खोज लिया और उसे बताया कि मैं कहाँ पर खड़ा था। मैं कोर्ट से वापस आ रहा था। उसने पूरी सहानुभूति के साथ कहा, "क्या तुम्हारा वकील है?"

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11. Yes. The one there over ............ ....... obsession with her. (Pages 140-141)

कठिन शब्दार्थ-adjournment (अ'जानमन्ट) = पुनः आरम्भ करना। slyly (स्लाइलि) = शरारत से, कुटिलता से। depose (डि'पोज) = अपदस्थ करना। wring (रिङ्) = दबाकर निचोड़ना। craze (क्रेज्) = सनक, धुन, पागलपन। rapt (रैप्ट) = तन्मय, तल्लीन। irksome (अक्सम) = क्षोभनीय, खिझाऊ। sway (स्वे) = झूमना, डोलना।

हिन्दी अनुवाद-"हाँ। एक है रुई के गोदाम के वहाँ पर।"
"ओह-वह फिर से आरम्भ करवाने में दक्ष है। वह किसी मुकदमे को बरसों तक चला सकता है। इसलिए चिन्ता मत करो। यह दीवानी मुकदमा है या फौजदारी मुकदमा?"
"आपराधिक। उन्होंने मेरे खिलाफ केस दायर किया है कि जब वह अपना बकाया माँगने आया, मैंने उसे पीटने की धमकी दी। मेरी इच्छा है कि मैं ऐसा करता।"
"कितना दया की बात है। यदि यह दीवानी कानूनी केस होता, यह बरसों तक चलता, और तुम बहुत बेकार के होते जब यह मुकदमा खत्म होता। क्या वह तुम्हारे घर में ही है?" उसने कुटिलता की मुस्कान के साथ पूछा। मैंने उसकी ओर खतरनाक निगाह से देखा। और उसने कहा, "मैं एक औरत पर कैसे दोष लगा सकता हूँ जो कुछ तुम हो उसके लिए... तुम क्यों नहीं सैलानियों की फिर से देखभाल करने लग जाओ?"

"मैं अब रेल्वे स्टेशन के पास नहीं जा सकता हूँ। रेल्वे का स्टाफ मेरे खिलाफ है यह साबित करने के लिए कि मैं लोगों को पीटता हूँ।"
"क्या यह सत्य है?" "हम्म। यदि मैं कुली के लड़के को पकड़ लेता हूँ, मैं उसकी गर्दन मरोड़ दूँगा।"
"राजू, इस प्रकार का काम मत करना, तुम स्वयं अपनी सहायता नहीं कर सकोगे। तुमने अपने ऊपर पहले ही बहुत भ्रमजाल फैला रखा है। अपने आपको इससे बाहर निकालो। तुम क्यों नहीं कोई समझदारी का काम करते हो?"

मैंने इस पर सोचा। मैंने कहा, "यदि मेरे पास पाँच सौ रुपए हों तो मैं एक नया जीवन प्रारम्भ कर सकता हूँ।" मैंने उसे एक योजना की रूपरेखा बताई जिसमें रोजी की सेवाओं का उपयोग किया जाकर धन कमाया जाना था। उसका विचार आते ही मुझमें जोश आ गया। "वह एक सोने की खान है।" मैं चीखा। "यदि मेरे पास पैसे होते तो उसके साथ शुरू करते-ओह।" मेरा स्वप्न ऊपर उठने लगा। मैंने उससे कहा, "तुम जानते हो, भरतनाट्यम आजकल एक बहुत बड़ा व्यवसाय बन गया है। इसके लिए ऐसी ललक है कि लोग उसे देखने के लिए कुछ भी पैसा दे सकते हैं। मैं इसके बारे में कुछ भी नहीं कर सकता हूँ क्योंकि मेरे पास पैसे नहीं हैं। गफूर, क्या तुम मेरी सहायता नहीं कर सकते हो?" वह मेरी प्रार्थना पर आनन्दित हुआ। अब यह मेरा नम्बर था कि मैं उसकी हँसी पर परेशानी महसूस कर रहा था। मैंने कहा, "मैंने आपके व्यवसाय के लिए बहुत कुछ किया है।"

वह वास्तव में दिलवाला आदमी था। उसने मेरी तार्किकता पर प्रार्थना की। "राजू, मैं एक धनवान आदमी नहीं हूँ। तुम जानते हो कि मैं अपनी कार की देखभाल के लिए भी किस प्रकार से पैसे उधार लेता हूँ। यदि मेरे पास पाँच सौ रुपये होते तो मैं अपने यात्रियों को कार में अच्छे टायर लगाकर यात्रा करवाता । नहीं, नहीं राजू... मेरी सलाह मानो। उसे दूर भेज दो और वापस सामान्य, वास्तविक जीवन में आ जाओ। इस सारे कला के व्यवसाय के बारे में बात मत करो। यह हमारे लिए नहीं है। इसे सुनकर, मैं इतना परेशान हो गया था कि मैंने कुछ ऐसा कहा जो उसे आहत करे। वह चालक की सीट पर गम्भीर चेहरा लिए वापस आ गया, "यदि तुम्हें किसी समय कहीं जाना हो, मुझे बुला लेना, और यही मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ। और, याद रखना, मैं तुमसे पुराना बकाया नहीं माँग रहा हूँ....।"

"इसे मेरे कमीशन के विपरीत में व्यवस्थित कर लेना जो यात्राएँ मैंने पीक हाउस के लिए करवाई थीं।" मैंने गुस्से से कहा।
"बहुत अच्छा" उसने कहा और कार को स्टार्ट किया, "जब भी तुम्हें कार चाहिए किसी भी समय मुझे बुला लेना, यह हमेशा वहाँ मिलेगी। मैं प्रार्थना करता हूँ कि भगवान तुम्हें अच्छी समझ दें।" वह चला गया था। मैं जानता था यहाँ दुसरा दोस्त मेरे जीवन से बाहर जा रहा है।

दुर्भाग्य से, वह अन्तिम नहीं था। मेरी माँ का नम्बर बहुत जल्दी आ गया। मैं तल्लीन होकर रोजी को उसका वह हिस्सा करते देख रहा था, जिसे वह "नृत्य करते पैर" (The Dancing Feet) पुकारती थी। रोजी ने कहा कि उसने कई जगह अन्तर का परिचय दिया है और मुझसे चाहती थी कि मैं अपना मशविरा दूँ। आजकल मैं इन मामलों में एक प्रकार का विशेषज्ञ बन रहा था। मैंने उसे समालोचनात्मक रूप से देखा, परन्तु जो मैंने देखा था वे गोलाइयाँ थीं जो मुझे ललचा रही थीं कि उसे उसी स्थान पर आलिंगन कर लूँ। परन्तु मेरी माँ अन्दर-बाहर आ-जा रही थी, और आजकल हमें अपने रोमांटिक क्षणों को बन्द करना पड़ा था और अलग समय पर इन्हें पूरा करते थे-उदाहरण के लिए, जब मेरी माँ पानी लेने के लिए जाती थी। हम जानते थे कि वह कितने समय तक दूर रहेगी और हम उसका उपयोग कर लेते थे। यह सब क्षोभनीय था, परन्तु बहुत अच्छा, और मुझे मेरी सारी समस्याएँ भुला देता था। जब कभी मैं उसकी आकृति को झूमते हुए देखता, यदि वहाँ कोई नहीं होता मैं निरन्तर उसके कार्य में बाधा डालता, यद्यपि मैं उसकी कला को समालोचक की निगाह से देखने के लिए था। वह मुझे दूर धक्का मारती और कहती, "तुम्हें क्या हो रहा है?" वह एक समर्पित कलाकार थी, भौतिक प्रेम के प्रति उसकी इच्छा गिरती जा रही थी और यह एक प्राथमिक जकड़न होना भी बन्द हो गया था।

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12. I had a little money.. .....of recent developments. (Pages 142-143)

कठिन शब्दार्थ-attic (ऐटिक) = अटारी। loitering (लॉइट(र)) = अकारण घूमना, मटरगश्ती करना। ingratiated (इन'ग्रेशिएटिड्) = किसी की प्रशंसा कर उसका कृपापात्र बन जाना। gesticulating (जेस्टिक्युलेटिङ) = अपनी बात कहने के लिए हाथों और बाँहों से संकेत करना। salvage (सैलविज्) = किसी वस्तु या स्थिति को संकटग्रस्त होने से बचाना। earshot (इअशॉट) = श्रवण सीमा के अन्दर या बाहर होना। unmitigated (अन्मिटिगेट्ड्) = अधिक करना, बढ़ाना।

हिन्दी अनुवाद-मेरे पास बचत में अभी भी थोड़े पैसे बचे हुए थे, यद्यपि मैंने किसी को भी इसके बारे में नहीं बताया था। सेठ के आने के थोड़े दिनों बाद; मैंने बैंक से सारा पैसा निकाल लिया था। मैं नहीं चाहता था कि इसे बैंक के द्वारा रोक लगा दी जाए। यह हमें रखा हुआ था। मेरे पास कोर्ट में केस को चलाने के लिए एक छोटा वकील था। मुझे उसे मेरे पैसे का कुछ भाग कोर्ट फीस या ऐसे ही कार्य के लिए देना था। उसका दफ्तर मार्केट रोड स्थित एक कॉटन की दुकान की अटारी में था-यह दमघोंटू स्थान था जिसमें एक पुस्तकों की आलमारी थी, एक टेबल, एक कुर्सी और ग्राहक के लिए एक बेंच थी। उसने मुझे पहले दिन ही पकड़ लिया था जब मैं आँखों में डर लिए अकारण घूम रहा था, पहले बुलावा पत्र का पालन कर रहा था। उसने मेरे पक्ष में स्वयं को व्यक्त किया जब मैं कॉरीडोर में उसका इन्तजार कर रहा था। उसने पूछा, "क्या तुमने वास्तव में सेठ को मारा था? मुझसे सत्य कहना।"

"नहीं श्रीमान। यह झूठ है।"
"वे वास्तव में इसे कानूनी प्रक्रिया में लाना चाहते थे जिससे उनका उद्देश्य पूरा हो सके। हम पहले लड़ेंगे, और उसके बाद दीवानी, हमारे पास बहुत समय है। चिन्ता मत करो। मैं इन सबके साथ कार्य करूँगा। तुम्हारी जेब में कितने पैसे हैं?"
"केवल पाँच रुपए।"
"इनको यहाँ दो।" यदि मैं 'दो' कहता वह शायद संतुष्ट होकर वह भी ले लेता। उसने इसे जेब में डाला, मेरे हस्ताक्षरों के लिए कागज की एक शीट आगे बढ़ाई, और बोला, "यह सत्य है। यह आपके सारे मामले सही तरीके से निपटा देगा।"

कोर्ट में मुझे एक बाडे के पीछे जाने के लिए कहा गया जबकि न्यायाधीश मेरी ओर देख रहा था। सेठ अपनी पुस्तक के साथ वहाँ पर था, और अवश्य ही, उसका वकील भी वहाँ पर था। हमने एक-दूसरे को घूरा । उसके वकील ने कुछ कहा, मेरे पाँच रुपए के वकील ने कुछ कहा, मेरी ओर हाथों से इशारा किया। और अदालत के नौकर ने मेरी पीठ ठोकी और मुझे जाने के लिए कहा। मेरे वकील ने मेरी ओर सिर हिलाया। मैं कुछ समझ पाता इससे पहले सब कुछ पूरा हो गया था। मेरा वकील मुझसे बाहर मिला। "वापस शुरू करने की व्यवस्था की है। मैं तुम्हें अगली तारीख बाद में बताऊँगा । रुई के गोदाम पर मेरे दफ्तर में मुझसे मिलनापास की गली में सीढ़ी से आना।" वह चला गया था। यदि वहाँ पर यह सारी समस्या थी, मैंने महसूस किया कि मैं इसमें से सरलता से आ-जा सकता हूँ। मैं अच्छे हाथों में था।

कोर्ट से वापस आने के बाद मैंने अपनी माँ से कहा, "चिन्ता करने की कोई बात नहीं है। माँ, यह सब ठीक चल रहा है।"
"वह हमें इस घर से बाहर फेंक देगा। उसके बाद तुम कहाँ जाओगे?"
"ओह, यह सब एक लम्बा समय ले लेगा। अपने दिमाग पर अनावश्यक बोझ मत डालो" मैं चिल्लाया।
उसने मुझे निराश कर दिया था। "मैं नहीं जानती तुम पर क्या हो रहा है। आजकल तुम कुछ भी गम्भीरता से नहीं लेते हो।"
"यह इसलिए है क्योंकि मैं जानता हूँ कि किसके बारे में चिन्ता करनी है, बस और कुछ नहीं।" मैंने शाही तरीके से कहा।

आजकल रोजी की उपस्थिति में हमारी घरेलू चर्चाएँ होती थीं। कोई निजपन की आवश्यकता नहीं थी। हम उसके आदी हो चुके थे। रोजी इस प्रकार से व्यवहार करती थी मानो कि वह इन घरेलू मामलों को नहीं सुनती थी। वह नजर गड़ाकर फर्श पर या पुस्तक के पन्नों की ओर देखती थी (एकमात्र वस्तुएँ जो मैं अपनी दुकान से बचाकर लाया था), और हॉल के एक कोने में चली जाती थी मानो कि वह उसके सुनने की सीमा से बाहर हो। वह मुझे लज्जित नहीं करती थी उस समय पर भी जब वह मेरे साथ अकेली होती थी, हमारे मामलों के बारे में प्रश्न करके।

मेरी माँ ने मेरे तरीकों को एक बड़े लोफर की तरह से मानकर अपने आपको व्यवस्थित कर लिया था। और मैं सोचता था कि उसने अपने आपको उनसे छुटकारा दिलवा लिया था। परन्तु उसकी स्वयं की एक योजना थी जिसमें वह मुझे अनुरूप बनाती थी। एक सुबह जब मैं रोजी के पैरों का कार्य देख रही था, अपना पूरा ध्यान लगा रखा था, मेरे अंकल ऐसे आए मानो आकाश से कोई विपदा आकर गिरी हो। वह मेरी माँ के बड़े भाई थे, मेरी माँ के गाँव में एक साहसिक, शक्तिवान जमींदार थे जो अपने माता-पिता के घर को अर्जित कर रहते थे और हमारे पारिवारिक मामलों में एक आम सलाहकार और निर्देशक थे। 

शादियाँ, पैसों का लेनदेन, अन्तिम संस्कार, कानूनी लड़ाइयाँ हर प्रकार के कार्यों के लिए मेरे परिवार के सदस्यों द्वारा उसकी सलाह ली जाती थी-मेरी माँ और उसकी तीन बहनें, जो कि जिले के विभिन्न भागों में फैली थीं। वह प्रायः कर ही अपना गाँव छोड़ते थे, जैसे कि वह अपना अधिकांश नेतृत्व पत्रों के द्वारा ही कर लेते थे। मैं जानता था मेरी माँ उसके सम्पर्क में थी-हर माह एक पोस्टकार्ड, ध्यान से छोटा-छोटा लिखा हुआ, सप्ताहों से उससे शान्ति और प्रसन्नता से भर देता और वह अनन्त रूप में उसके बारे में बात करती थी। उसकी बेटी से वह मेरी शादी करना चाहती थी-एक प्रस्ताव जो सौभाग्य से उसने पीछे धकेल दिया था, वर्तमान में चल रहे कार्यों की वजह से।

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13. Here entered the man ............... I laughed weakly. (Pages 143-145)

कठिन शब्दार्थ-scramble (स्क्रैम्बल) = किसी वस्तु के ऊपर चढ़ना। tuft (टफ्ट) = बाल का गुच्छा। plantain (प्लैन्टिन) = मीठा फल जिसे सब्जी की तरह प्रयोग करते हैं । snapped (स्नैप) = चटकाना, तड़काना। creditable (क्रेडिटेबल) = अनिन्दनीय गुणवत्ता वाला। wriggled (रिगल्ड) = छटपटाना, तड़पना। scapegraces (स्केपग्रेसस्) = निकम्मा, बदमाश। intractable (इन् ट्रैकटब्ल्) = दुसाध्यता, जिसका नियंत्रण कठिन हो। castrate (कैस'ट्रेट) = बधिया करना। predicament (प्रि'डिकमन्ट) = कठिन परिस्थिति जिससे बाहर निकालना कठिन हो। dimension (डाइ'मेनशन) = आयाम। nostalgia (नॉ'स्टैलजा) = अतीत की सुखद स्मृति।

हिन्दी अनुवाद-यहाँ यह आदमी प्रवेश कर गया था, दरवाजे पर खड़ा था और अपनी समृद्धशाली आवाज में पुकार रहा था, "बहिन।" मैं पैरों पर जल्दी-जल्दी चलकर दरवाजे की ओर भागा। मेरी माँ जल्दी से रसोई से बाहर आई। रोजी ने अपना अभ्यास रोक दिया था। वह आदमी छ: फीट का था, खेतों में धूप में काम करने से काला पड़ गया था, और उसकी खोपड़ी पर छोटा सा बालों का एक गुच्छा था; उसने ऊपर के कपड़े के साथ शर्ट पहन रखा था, उसकी धोती भूरे रंग की थी, कस्बे के लोगों की तरह सफेद नहीं थी, उसके हाथों में जूट का एक थैला था (जिस पर महात्मा गाँधी का हरे रंग का प्रिन्ट था) और छोटा सा एक बॉक्स था। वह सीधा रसोई में गया था, उसने बैग से एक ककड़ी, कुछ नींबू और मीठे फल और कुछ हरे फल बाहर निकाले, यह कहते हुए, "यह मेरी बहिन के लिए हैं, हमारे बगीचों में उगाये हुए हैं।" उसने उन्हें रसोई के फर्श पर रख दिया। उसने कुछ निर्देश दिए कि उन्हें कैसे पकाया जाए।

मेरी माँ उनको देखकर बहुत खुश हुई थी। वह बोली, "रुको, मैं तुम्हें कॉफी देती हूँ।" वह वहाँ खड़ा बताता रहा कि वह कैसे बस से आया था, वह क्या कर रहा था और जब उसे मेरी माँ का खत मिला, और इसी प्रकार से और कई बातें कहीं। यह मेरे लिए आश्चर्य था कि उसने उसे आने के लिए पत्र लिखा था। उसने मुझे नहीं कहा था, "तुमने मुझे कभी नहीं कहा कि तुमने मामाजी को पत्र लिखा था।" मैंने कहा।

"वह तुम्हें क्यों कहे?" मेरे मामाजी ने चटकाया। "मानो कि तुम उसके मालिक हो!" मैं जान गया कि वह मुझसे झगड़ना चाहता था। उसने अपनी आवाज फुसफुसाहट तक की थी, मेरे शर्ट की कॉलर पकड़कर मुझे नीचे खींचा और पूछा, "यह सब कोई क्या सुन रहा है तुम्हारे बारे में? मेरे बच्चे तुम बहुत ही अच्छे विकास का काम कर रहे हो। कोई भी तुम्हारे पर गौरवान्वित हो सकता है।" मैं तड़पकर अपने आपको स्वतंत्र करवाया और मुझे गुस्सा आया। उसने कहा, "तुम्हें क्या हो गया है? तुम अपने आपको एक बड़ा आदमी मानते हो? मैं तुम्हारे जैसे बदमाशों से नहीं डरता हूँ। क्या तुम जानते हो कि हम उस बछड़े का क्या करते हैं जिस पर नियंत्रण करना कठिन हो जाता है? हम उसका बधियाकरण कर देते हैं । हम तुम्हारे साथ भी ऐसा ही करेंगे, यदि तुम सही व्यवहार नहीं करोगे तो?"

मेरा माँ उबलते हुए पानी पर ध्यान लगाए रख रही थी मानो कि उसे.ध्यान ही नहीं था कि हमारे बीच में क्या चल रहा था। मैंने सोचा था कि वह मेरी सहायता के लिए आएगी, परन्तु वह मेरी परेशानी का आनन्द लेते हुए प्रतीत हो रही थी, इसे उसने स्वयं बनाया था। मैंने भ्रमित और गुस्सा महसूस किया था। मैं उस स्थान से बाहर चला गया था। यह आदमी मेरे घर में मुझ पर आक्रमण कर रहा था वो भी अपने आने के पाँच मिनिट के अन्दर। मुझे बहुत गुस्सा महसूस हुआ था। जैसे मैं बाहर आया, मैं सुन सकता था कि मेरी माँ उससे फुसफुसाहट में बोल रही थी। मैं अनुमान लगा सकता था कि वह क्या कह रही थी। मैं वापस अपनी चटाई पर चला गया था, मैं थोड़ा कम्पन में था।

रोजी वहीं खड़ी थी जहाँ मैंने उसे छोड़ा था। उसका कूल्हा हल्का-सा बाहर निकला हुआ था, उसकी बाँहें कमर पर थीं। वह इस प्रकार की लग रही थी, जैसे मन्दिर में किसी खम्भे को तराशा गया था। उसकी वह झलक मुझमें अतीत के उन दिनों की सुखद स्मृति में ले गई जब मैं लोगों को पुराने मन्दिर दिखाने के लिए ले जाता था और मैं उस जीवन की भिन्नता के लिए आह भरने लगा और वे सम्पर्क और अनुभव जो मैं प्रायः रखा करता था। रोजी थोड़ी डरी हुई दिखाई दी, "वह कौन है" उसने धीमी आवाज में पूछा।

"उसके बारे में परेशान मत होओ। वह अवश्य ही सनकी है। तुम्हें चिन्ता करने की आवश्यकता नहीं
वह उसके लिए पर्याप्त था। मेरा निर्देशन पर्याप्त था। उसने उसे बिना किसी प्रश्न के विश्वास के साथ स्वीकार कर लिया और पूरे तरीके से हर किसी को नजरअन्दाज कर दिया। इससे मुझे मेरे अन्दर एक अत्यधिक आत्मविश्वास आया और मैंने अपने आयामों को बढ़ाया। मैंने उससे कहा, "तुम्हें अपना नृत्य रोकने की आवश्यकता नहीं है। तुम इसे जारी रख सकती हो।"

"परन्तु, परन्तु....." उसने मेरे मामाजी की ओर संकेत किया।
"उसका अस्तित्व पूरी तरह से भूल जाओ" मैंने कहा। मैं बहुत चुनौतीपूर्ण अन्दाज में था, परन्तु मैं अन्दर से काँप रहा था और अभी भी सोचता था कि मेरे मामाजी क्या कहना चाहते हैं। "तुम्हें मेरे सिवाय किसी अन्य के बारे में परेशान होने की आवश्यकता नहीं है।" मैंने अचानक अधिकारिता से कहा। (मेरे मामाजी को मुझे डराने के लिए बुलाया जाता था जब मैं एक लड़का था) "यह मेरा मकान है। मैं करूँगा जैसे मैं चाहता हूँ। यदि लोग मुझे पसन्द नहीं करते हैं, वे मुझसे मिलने नहीं आवें, बस और कुछ नहीं।" मैं कमजोरी से हँसा।

14. What was the use of ..... enjoyment with dancing girls....” (Pages 145-146)

कठिन शब्दार्थ-deliberately (डि 'लिबरट्लि) = विशेष उद्देश्य से, जानबूझकर । cynicism (सिनिसिजम्) = दोषदर्शिता। grovelling (ग्रॉवलिङ्) = नाक रगड़ना, घिघियाना। recalcitrant (रि'कैलसिट्र नट) = हठी, उद्दण्ड। wench (वेन्च) = तरुणी, युवती। inconvenient (इनकन वीनिअन्ट) = असुविधाजनक। seducing (सि'ड्युसिड) = फुसलाना, प्रलोभन देना। onslaught (ऑनस्लॉट) = प्रचण्ड अभियान । gratified (ग्रेटिफाइड) = प्रसन्नता और सन्तोष देना।।

हिन्दी अनुवाद-इस लड़की को यह चुनौतीपूर्ण वाक्य देने का क्या उपयोग था? उसने अपना गाना और नृत्य वापस शुरू कर दिया, और मैं बैठा उसका पर्यवेक्षण करता रहा, अतिरिक्त ध्यान देकर मानो कि मैं कोई उसका शिक्षक था। मैंने देखा कि मेरे मामाजी रसोई में से झाँककर बाहर देख रहे थे और इसलिए मैंने जानबूझकर शिक्षक जैसा किया। मैंने रोजी को आदेश दिया और निर्देश जारी किये। मेरे मामाजी मेरी बेतुकी बातों को रसोई से देख रहे थे। रोजी अपना अभ्यास करती रही मानो कि वह अपने निजी कक्ष में थी। मेरे मामाजी उसी समय देखने आए, उसकी आँखें घृणा और दोषदर्शिता के कारण बाहर आ गई थीं। मैंने उसे पूरी तरह से नजरअन्दाज किया था। उसने एक क्षण के लिए देखा और जोर से "हम्म" बोला । हम्म! इसलिए यह सब तुम्हें व्यस्त रखता है! हम्म, हम्म। कभी कल्पना नहीं की थी कि हमारे परिवार में कोई किसी नर्तकी के स्टेज के पीछे सहायता करने वाला लड़का बनेगा।

मैं थोड़ी देर शान्त रहा कि मैं साहस और दृढ़ता इकट्ठी कर सकू और उस पर आक्रमण कर सकू। उसने मेरी चुप्पी को डर मानकर गलत समझा और अपना दूसरा बड़ा हाथ निकाला, "तुम्हारे पिताजी की आत्मा अब तुम्हें देखकर बहुत खुश होगी कि तुम एक नाचने वाली लड़की के पैरों पर नाक रगड़ रहे होंगे।" वह मुझे रोकने बाहर आया था। मैं मुंडा और बोला, "यदि तुम अपनी बहन से मिलने आए हो तो बेहतर होगा अन्दर जाओ और उसके पास रुको। तुम वहाँ क्यों आए हो जहाँ पर मैं हूँ?"

"ओह" वह खुशी से चिल्लाया, "तुम में कोई साहस है यह देख अच्छा लगा। अभी भी कुछ उम्मीद है तुम्हारे लिए, यद्यपि तुम इसे अपने मामा पर सबसे पहले लागू करने का प्रयास मत करो। क्या मैंने तुम्हें एक क्षण पहले नहीं कहा था कि हम हठी, उद्दण्ड बछड़ों का क्या करते हैं?" वह अब फर्श पर बैठ रहा था, अपनी कॉफी पी रहा था। मैंने कहा, "इस उम्र में असभ्य मत बनो।"

"हे लड़की!" वह रोजी से चिल्लाकर बोला, वह उसे एकवचन या उससे भी अकेले में सम्बोधित कर रहा था। "अब तुम अपना संगीत और हाथों के संकेतों को रोक दो और मुझे ध्यान से सुनो। क्या तुम हमारे परिवार की हो?" उसने उत्तर का इन्तजार किया। उसने अपना नाच रोक दिया और केवल उसे घूरने लगी। उसने कहा, "तुम हमारे परिवार की नहीं हो? क्या तुम हमारे कुल की हो?" उसने फिर से प्रश्न के जवाब का इन्तजार किया और फिर स्वयं जवाब दिया, "नहीं। क्या तुम हमारी जाति की हो? नहीं। हमारे वर्ग की? नहीं। क्या हम तुम्हें जानते हैं? नहीं। क्या तुम इस घर की हो? नहीं। इस स्थिति में, तुम यहाँ पर क्यों हो? आखिरकार, तुम एक नाचने वाली लड़की हो। हम उनको अपने परिवारों में प्रवेश नहीं देते हैं। समझी? तुम एक अच्छी और समझदार लड़की हो। तुम्हें एक मकान में इस तरह से चलकर आना और रुकना नहीं चाहिए। क्या किसी ने तुम्हें बुलाया? नहीं। यदि तुम्हें बुलाया भी गया था तो तुम्हें वहाँ जाकर रहना चाहिए जहाँ की तुम हो। और इतने ज्यादा समय तक नहीं। तुम हमारे इस मकान में इस तरह से नहीं रह सकती हो।

यह बहुत असुविधाजनक है। तुम्हें जवान मूों को बहलाना नहीं चाहिए, अपने पति को बर्बाद नहीं करना चाहिए। क्या तुम समझ रही हो?" वह इस प्रचण्ड अभियान से टूटकर नीचे बैठ गई, उसने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया था। मेरे मामाजी स्पष्टतः अपने प्रयासों की इस सफलता पर संतुष्ट और प्रसन्न थे। और अपने बिन्दु के साथ आगे बढ़ते जा रहे थे। "तुम देखो, तुम्हें इस प्रकार की बातों पर रोने का बहाना नहीं करना चाहिए। तुम्हें अवश्य ही यह समझना चाहिए कि हम इस प्रकार से तुम्हें क्यों कहते हैं। तुम अवश्य ही अगली गाड़ी से छोड़कर चली जाओ। तुम्हें अवश्य ही जाने का वादा करना पड़ेगा। हम तुम्हें तुम्हारे रेल्वे टिकिट के लिए पैसे दे देंगे।"

इस पर उससे एक बड़ी सी सुबकी फट पड़ी। मैं इससे पूरी तरह से पागल हो गया था। मैं मेरे मामाजी की ओर दौड़ा और उसके हाथों से उसका कप टकराकर गिरा दिया और चिल्लाया, "इस घर से बाहर निकल जाओ।" उसने यह कहते हुए अपने आपको उठाया, “तुम मुझे बाहर निकलने के लिए कहते हो। क्या यह यहाँ तक आ गया है? बच्चे तुम कौन हो, जो मुझे बाहर निकलने के लिए कहते हो? मैं तुम्हें बाहर निकलवा सकता हूँ। यह मेरी बहिन का घर है। तुम बाहर निकलो यदि तुम्हें नाचने वाली लड़कियों के साथ आनन्द चाहिए.....'

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15. My mother came running ... three thirty in the afternoon. (Pages 146-148)

कठिन शब्दार्थ-havoc (हैवक्) = विनाश, अव्यवस्था की स्थिति। drench (डेंच) = भीगा हुआ। somersault (समसॉल्ट) = कलाबाजी, कलैया। appalled (अ पाल्ड) = बहुत बुरा लगना, स्तब्ध । snore (स्नो(र)) = खर्राटे। handiwork (हैन्डिवक्) = कारनामा, कलात्मक कौशल से बनाई वस्तु।

हिन्दी अनुवाद-मेरी माँ रसोई में से दौड़ी हुई आई, उसकी आँखों में आँसू थे। वह सीधी रोती हुई रोजी की ओर यह कहते हुए दौड़ी, "क्या तुम अब अपने कारनामे से संतुष्ट हो, तुम चुडैल, तुम राक्षसी । तुम कहाँ से हम पर टपक पड़ी हो? हर चीज इतनी अच्छी और शान्त थी-जब तक तुम नहीं आई थी; तुम एक नागिन की तरह से आई हो। मैंने कभी किसी जवान मूर्ख का इस तरह से विनाश नहीं देखा है। वह कितना नेक लड़का था। जिस क्षण उसने तुम पर नजरें डालीं, इसका दिमाग फिर गया। एक दिन मैंने उसे 'नागिन लड़की' के बारे में बताते हुए सुना था, मेरा दिल बैठ गया था। 

मैं नहीं जानती क्या अच्छा इसमें से निकल कर आएगा।" मैंने अपनी माँ की बात में व्यवधान नहीं डाला था। मैंने उसे बोलने की अनुमति दी थी जो वह अपनी भावनाएँ प्रदर्शित कर सके जो अपने इन दिनों अपने मन में इन सप्ताहों में बन्द कर रखा था। उसने तब क्रमवार मेरी सभी गलितयों को एक-एक कर गिनाया जिसमें अभी हाल ही में कोर्ट में मेरी उपस्थिति भी शामिल थी, और कैसे मैं अपना घर भी खोने जा रहा हूँ जो कि मेरे पिताजी ने इतनी मेहनत से बनाया था।

लड़की ने अपने आँसुओं में भीगे चेहरे को ऊपर उठाकर देखा और सुबकियों के बीच में बोली, "माँ, मैं चली जाऊँगी। मुझसे इतने रूखेपन से बात मत करो। आपने मुझसे इन दिनों बहुत अच्छा बर्ताव किया था।" मेरे मामाजी अब अपनी बहन को कहने के लिए बीच में आ गये थे, "यह तुम्हारी गलती है, बहिन। यह लड़की सही रास्ते पर है । तुमने क्यों उससे इतना अच्छा व्यवहार किया? तुमको उसे जो कुछ कहना था, उसे शुरुआत में ही कह देना चाहिए था।"

इस आदमी को दबाना या उसे दूर भेज देना मुझे शक्तिहीन सा प्रतीत हो रहा था। जो कुछ उसे पसन्द था, वह उसने कहा था और जहाँ वह पसन्द करता था, वहीं रुका हुआ था। जब तक मैं उसे शारीरिक रूप से धक्के मारकर बाहर नहीं कर देता हूँ तो बेचारी रोजी को बचाने का और कोई रास्ता भी नहीं था; परन्तु वह मुझे टकराकर नीचे पटक सकता है यदि मैंने उस पर हाथ रखा तो। मैं मेरी माँ की उस समय की प्रकृति या स्वभाव की कलाबाजियों को देखकर बहुत बुरा महसूस कर रहा था जो कुछ वह अपने भाई के पक्ष में प्राप्त कर रही थी। मैं रोजी के पास गया, उसे अपनी बाँहों में भरा और उन दोनों को झटका लगा (मेरे मामाजी चिल्लाए "इस लड़के ने सारी शर्म खो दी है।") और मैंने उसे फुसफुसाकर कहा, "जो कुछ वे कहते हैं,

उसे मत सुनो अपने कान बन्द कर लो। उनको जो कहना है, वह उन्हें कहने दो। उनको स्वयं को थक जाने दो। परन्तु तुम नहीं जा रही हो। मैं भी यहीं पर रहूँगा और तुम भी यहीं पर रहने जा रही हो। दूसरे जिनको यह व्यवस्था पसन्द नहीं है, वे यदि जाना चाहें तो उनका स्वागत है।"

इस प्रकार से वे थोड़ा सा और कहते गए थे, और जब वे कुछ और नहीं कह सके तो वे रसोई की ओर चले गए थे। मैंने एक शब्द भी अधिक नहीं कहा था। मैंने एक बहुत बड़ा रहस्य जाना था, कि मुझे अपने कान बन्द कर लेने चाहिए, और मैंने महसूस किया कि रोजी इस कठोर प्रक्रिया में से अपने आपको गुजार सकती थी, वह पूरी तरह से मेरे सहारे पर निर्भर थी। उसने अपना सिर उठाया और बैठ गई, वह घर के कामों में बिना रुचि के देख रही थी। मेरी माँ ने मुझे अन्दर बुलाया जब भोजन तैयार हो गया था तब मेरी माँ ने मुझे खाने के लिए बुलाया। मैंने यह भी ध्यान रखा था कि रोजी को भी खाना खिलाया गया था। 

मेरी माँ ने हमें खाने के लिए तब तक नहीं बुलाया जब उसने मेरे मामाजी को खाना नहीं खिला दिया था। वे सब्जियाँ जो वह लाया था और उसने उसके निर्देशानुसार विशेष रूप से उनको पकाया था। भोजन के बाद वह प्योल (बरामदे) में चला गया, उसने अपने ऊपर का कपड़ा फैलाया, और उस पर बैठकर पान चबाने लगा, और तब वह सोने के लिए उस ठण्डे फर्श पर लेट गया था। मैंने उसके खर्राटे सनकर राहत महसस की थी। तफान के बाद जो शान्ति थी, वह पूर्ण थी। मेरी माँ ने हमें भोजन परोसा था हमारी ओर उसने देखा नहीं था। घर में एक बहुत बड़ी शान्ति कायम हो गयी थी। यह दोपहर तीन बजकर तीस मिनट तक निरन्तर जारी रही थी।

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16. My uncle renewed the fight ............... "Mother, don't go". (Pages 148-149)

कठिन शब्दार्थ-vigil (विजिल) = रात्रि जागरण। intervene (इन्ट्वीन) = अड़चन डालना, बीच-बचाव करना। trump (ट्रम्प) = किसी को विशेष लाभ प्रदान करने वाली स्थिति । heave (हीव्) = जोर से खींचने की प्रक्रिया। temerity (टिमरिटी) = धृष्टता, रूखेपन की अधिकता।।

हिन्दी अनुवाद-मेरे मामाजी ने लड़ाई का नवीनीकरण यह कहकर किया जो किसी से भी सम्बन्धित हो सकता था, "ट्रेन आने में एक घण्टा है। क्या यात्री तैयार है?" उसने रोजी की ओर देखा जो खिड़की के नीचे बैठी हुई थी और एक किताब पढ़ रही थी। उसने ऊपर देखा, वह परेशान थी। मैं उस पूरी दोपहर बाद उसको छोड़कर नहीं गया था। जो कुछ लोग कहें, मैं उसके पास उसके लिए सहायता का हाथ लेकर बैठा था। जितने अधिक समय तक मेरे मामाजी इस कस्बे में रहेंगे तब तक रात्रि जागरण में कोई राहत नहीं मिल सकेगी। मैं यह जानने के लिए कुछ भी देने को तैयार था कि मेरे मामाजी कब जा रहे हैं। परन्तु वह स्वतंत्र विचार का आदमी था और मेरी किसी भी वास्तविक इच्छा से प्रभावित नहीं किया जा सकता था जो कि उसके जाने के बारे में थी।

रोजी थोड़ी-सी डरी हुई थी, उसने ऊपर देखा। मैंने उसे साहस देने के लिए हाथ पकड़ लिया था। मेरी माँ कोने से बाहर आई और बोली, वह रोजी की ओर दयालुता से देख रही थी, "अच्छा, नवयुवती, तुम्हें यहाँ रखकर अच्छा लगा, परन्तु तुम जानती हो, अब तुम्हारे जाने का समय हो गया है।" वह अब नई चालाकियों का प्रयास कर रही थी, जो दयालुता और विश्वास दिलाने वाली थी कि रोजी अब जाने के लिए सहमत हो गई थी, "रोजी, बच्ची, तुम जानती हो गाड़ी चार बजकर तीस मिनट पर है। क्या तुमने अपनी सारी चीजें पैक कर ली हैं? मैंने तुम्हारे कपड़े यहाँ और वहाँ पर छितरे हुए पाए हैं।"

रोजी ने उदासी से आँखें टिममिटायीं। वह नहीं जानती थी कि उत्तर कैसे दे। मैंने बीच-बचाव कर कहा, "माँ, यह कहीं पर भी नहीं जा रही है।" माँ ने मुझसे प्रार्थना की, "राजू, थोड़ी समझ रखो। वह किसी और की पत्नी है। उसे उसके पास वापस जाना चाहिए।" जो कुछ उसने कहा, उसमें एक शान्त तर्क था, मेरे पास अपनी बात को दोहराने के अलावा और कुछ नहीं था, "माँ वह कहीं पर भी नहीं जा सकती है। उसे यहाँ पर रुकना ही पड़ेगा।" और तब मेरी माँ ने अपना तुरुप का पत्ता निकाला, "यदि यह नहीं जा रही है, मुझे घर अवश्य छोड़ना पड़ेगा।" वह बोली। मेरे मामाजी ने कहा, "क्या तुम सोचते हो वह असहाय है और केवल तुम पर निर्भर है?" उसने अपनी छाती ठोकी और चिल्लाया, "जहाँ तक मैं सांस ले रहा हूँ, मैं अपनी बहन को बेआसरा नहीं होने दूंगा।" मैंने अपनी माँ से प्रार्थना की, "माँ, तुम्हें भी नहीं जाना है।"
"तब इस लड़की का बक्सा बाहर फेंक दो और उसे रेल्वे की ओर धकेल दो, और तुम्हारी माँ रुक जाएगी। तुम उसे क्या मानते हो? तुम सोचते हो कि वह इस प्रकार की है जो इस प्रकार की नाचनेवालियों के साथ.........।"

"मामा, चुप रहो।" मैंने कहा, मैं उसकी धृष्टता पर आहत था। मुझे डर था कि वह उद्दण्ड बैल की अपनी धमकी को दोहराएगा। सौभाग्य से, वह बोला, "बच्चे तुम कौन हो कि यह कह सको कि मैं बोलूं या चुप रहूँ? तुम सोचते हो मैं तुम्हारा ध्यान रखूगा? क्या तुम उसको भेज रहे हो...उसको....बाहर या नहीं? हम बस केवल यही जानना चाहते हैं।"
"नहीं, वह नहीं जा रही है।" मैंने बड़ी शान्ति से कहा।

उसने एक आह भरी, लड़की की ओर आँखें तरेरकर देखा, मेरी माँ को देखा, "अच्छा बहन, तब तुम्हें अपना सामान बाँधना शुरू कर देना चाहिए। हम शाम की बस से जा रहे हैं।" मेरी माँ ने कहा, "ठीक है। मैं एक मिनट में बाँध लेती हूँ।" "माँ, मत जाओ" मैंने अनुनय-विनय किया। "इस लड़की का जिद्दीपन देखो। वह सब कुछ कितना शान्त होकर देख रही है।" मेरे मामाजी ने कहा। रोजी ने विनय किया, "माँ, मत जाओ।" । 

17. "Oho!" said my uncle ........ ........ he added boastfully. (Pages 149-151)

कठिन शब्दार्थ-grin (ग्रिन्) = मुँह चौड़ा कर हँसना, दाँत दिखाकर हँसना। eloquent (एलकवन्ट्) = वाक् चतुर । engrossing (इन'ग्रोसिङ) = किसी काम में तल्लीन । gentry (जेन्ट्रि) = अमीर वर्ग, भद्र वर्ग। niche (नीश्) = दीवार में आला। induce (इन'ड्युस) = किसी से कुछ काम करवाना या राजी करना।

हिन्दी अनुवाद-"ओहो!" मेरे मामाजी ने कहा, "वह तुमको माँ कहने के स्तर तक पहुँच गयी है। मैं कल्पना करता हूँ कि वह आगे मुझे मामा ससुर कहेगी।" वह मेरी ओर खतरनाक डरावने तरीके से दाँत निकालकर मुड़ा और बोला, "तुम्हारी माँ को वास्तव में छोड़कर जाने की आवश्यकता नहीं हैं। यह मकान उसी का उसके जीवनकाल में। यदि मैं उसका सहयोग लेता हूँ, मैं आज तुम्हें एक नयी चालाकियाँ दिखा देखा। वह यहाँ पर अन्त तक रहेगी। मेरे जीजाजी कोई मूर्ख नहीं थे। उसने तुमको आधे घर का ही मालिक बनाया था....." अचानक ही वह कानूनी जटिलताओं में प्रवेश कर गया था; 

मेरे पिताजी की वसीयत से उठते हुए, और यह बताया कि वह इस सारे मामले की परिस्थिति को किस प्रकर सम्भालता यदि वह मेरी माँ की जगह पर होता तो, और किस प्रकार से उसने हर इंच जमीन के लिए संघर्ष किया और मामले को उच्च न्यायालय तक ले जा चुका होता, और वह किस प्रकार से इस संसार को दिखाता कि बदमाशों के साथ कैसे निपटा जाए जो अपने परिवार की प्रथाओं के लिए सम्मान नहीं रखते हैं परन्तु वे अभी तक भी अपने पुरखों की कठोर मेहनत से कमाई सम्पत्ति का मजा लेना चाहते हैं। 

मैं राहत में था जब तक वह कानूनी वाक्चतुरता में घुसता जा रहा था, जैसे कि उस समय वह रोजी को थोड़े समय के लिए भूल गया था। जमींदार अमीर वर्ग की प्रथाओं के लिए यह सत्य था, उसने कानूनी मुकदमों को तल्लीन रहने का विषय पाया था। परन्तु वह जादू टूट गया था जब मेरी माँ ने आकर कहा, "मैं तैयार हूँ।" उसने यहाँ-वहाँ से कुछ कपड़े उठा लिए थे। उसका बड़ा स्टील का बक्सा, जो कि अपने स्थान से दशकों से नहीं हिला था, वह पैक कर लिया गया था और बाहर निकालकर उठाए जाने के लिए तैयार था। 

उसके पास एक टोकरी थी जिसके एक हैण्डल लगा था जिसमें उसने ताँबे और पीतल के कुछ बर्तन डाल लिए थे। मेरे मामाजी ने घोषणा की थी, "यह हमारे मकान के हैं मेरे पिताजी के द्वारा इस लड़की, मेरी प्यारी बहन, को शादी के समय दिए थे जो उस समय अपना स्वयं का घर स्थापित करने जा रही थी। यह उसको हमारा उपहार था, इसलिए इन पर इस तरह की निगाह से घूरकर मत देखो।" मैंने अलग दूर देखा और बोला, "वह अवश्य ही जो चाहे ले जा सकती है। कोई भी कुछ भी नहीं कहेगा।"

"आहा, तुम्हें इस बात पर गर्व है, क्या है?" उसने कहा, "तुम अपनी माँ को बहुत अधिक उदारता दिखा रहे हो, क्या नहीं दिखा रहे हो?" मैंने अपने जीवन में कभी भी उसे इतना नाराज नहीं देखा था। जब हम बच्चे थे हम हमेशा उनसे डरा करते थे, परन्तु यह पहला मौका था जब एक वयस्क के रूप में मैंने उनको पहली बार इतने नजदीक से देखा था। मेरी माँ गुस्से से अधिक दु:खी नजर आ रही थी, और लगभग मेरे बचाव के लिए आती हुई प्रतीत होती थी। उसने बीच में व्यवधान डाला। उसने अपनी आवाज में असाधारण विचार भरकर तल्खी से कहा, "मुझे और कुछ नहीं चाहिए। इससे मेरा काम चल जाएगा।" उसने कुछ छोटी-छोटी प्रार्थना की पुस्तकें उठाईं जो कि वह अपने दोपहर के भोजन के पहले अपने जीवन में रोज पढ़ती थी, वह ध्यान लगाकर भगवान की तस्वीर के सामने बैठ जाया करती थी।

मैं उसे बरसों से देखता हुआ आ रहा था कि वह दीवार में आले के सामने अपनी आँखें बन्द करके उसी समय बरसों से बैठती चली आ रही थी, और अब इसने मुझे डर से भर दिया था कि मैं उसे अब वहाँ पर और अधिक नहीं देख पाऊँगा। मैं घर में उसके पीछे-पीछे चल रहा था, जब वह सामान उठाती और उन्हें पैक करती थी। मेरे मामाजी, मानो कि वे मुझ पर निगरानी रख रहे थे, मेरे पीछेपीछे देख रहे थे। स्पष्टतः उसे यह डर था कि मैं अपनी माँ को रुकने के लिए राजी कर लूँगा। । उसके अपने पर्यवेक्षण के बावजूद, मैंने पूछा, "माँ, तुम वापस कब आओगी?"

वह जवाब देने के लिए हिचकिचाई, और आखिरकार बोली, "मैं....मैं.... देखते हैं।"
"जिस क्षण उसे यह टेलीग्राम मिलेगा कि अब रास्ता साफ है।" मामाजी ने कहा और जोड़ा, "याद रखना, हम उस प्रकार के नहीं हैं जो अपनी बहनों को नीचा देखने देते हैं। यह मकान इस गाँव में उसका ही है जो यहाँ पर कभी भी वापस आ सकती है, जिससे कि वह किसी और की दया पर निर्भर नहीं रहे। हमारा मकान जितना हमारा है, उतना ही हमारी बहिन का है।" उसने गर्व से कहा। 

18. "Don't fail to light the lamps .................... be short and easily remembered. (Pages 151-152)

कठिन शब्दार्थ-steeped (स्टीप्ट्) = पूर्णतः भरा हुआ, से ओतप्रोत। eventually (इ'वेनचुअलि) = अन्त में, अन्ततोगत्वा। elimination (इलिमिनेशन्) = बहिष्करण, हटा देना।

हिन्दी अनुवाद-"भगवान के आले में लैम्प जलाना मत भूलना।" मेरी माँ ने सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए कहा, "अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहना।" मामाजी बक्सा ले जा रहे थे और वह टोकरी लेकर जा रही थी। बहुत ही जल्दी वे गली के अन्त में कोने पर से मुड़ गये थे। मैं सीढ़ियों पर खड़ा देख रहा था। देहरी पर रोजी खड़ी थी। मैं पीछे मुड़कर उसका सामना करने से डर रहा था क्योंकि मैं रो रहा था।

हम हर तरीके से शादीशुदा जोड़े के तरीके से दिखाई देते थे। रोजी खाना पकाती थी और घर की देखभाल, रखरखाव किया करती थी। घर के लिए खरीददारी के अलावा मैं शायद ही कभी बाहर निकलता था। वह सारे दिन नाचती और गाती रहती थी। मैं उसके साथ निरन्तर प्रेमालाप करता था और हर तरफ से डुबोने वाले रोमांस में गहरा ओतप्रोत हो चुका था, जब तक कि मैं इस तथ्य से नहीं जागा था कि वह इन सबसे थक चुकी थी। कुछ माह गुजर चुके थे। वह मुझसे पूछती थी, "तुम्हारी क्या योजनाएँ हैं?"

"योजनाएँ!" सपनों में डूबे हुए पुरुष ने सहसा जागकर पूछा, "क्या योजनाएँ?" वह इस पर मुस्कुराई और बोली, "तुम यहाँ इस चटाई पर लेटे मुझे देखते रहते हो या मुझे अपनी बाँहों में पकड़े रखते हो। अब मेरा अच्छा अभ्यास हो गया है-मैं चार घण्टे का एक शो कर सकती हूँ, यद्यपि यह सभी साथ के साथ मेरे लिए और अधिक सहायतापूर्ण होगा....."
"मैं यहाँ पर हूँ, तुम्हारे साथ रहकर समय और साथ का ध्यान रख रहा हूँ। तुम्हें और दूसरा क्या साथ चाहिए?"
"मुझे एक पूरा ऑर्केस्ट्रा चाहिए। हम बहुत अधिक समय तक अन्दर रह चुके हैं।" वह बोली, मैंने उसे इतना उदार पाया कि मुझमें उससे मजाक करने की हिम्मत नहीं हुई थी।
मैंने कहा, "मैं भी सोच रहा हूँ, बहुत जल्दी हमें अवश्य ही कुछ करना होगा।"

'रोजी' एक मूर्खतापूर्ण नाम है।" बहुत अधिक सोचने के दो दिनों बाद मेरा पहला कदम यही था, मैंने कहा। "तुम्हारे साथ समस्या यह है कि यद्यपि तुम्हारे लोग पारम्परिक नृत्य वाले परिवार से हैं, वे नहीं जानते थे कि तुम्हें कैसे पुकारा जाए। हमारे सार्वजनिक उद्देश्य के लिए, तुम्हारा नाम अवश्य ही बदलना पड़ेगा। मीनाकुमारी नाम कैसा रहेगा?"
उसने अपना सिर हिलाया।"यह ज्यादा अच्छा नहीं है। मुझे मेरा नाम बदलने में कोई तर्क नजर नहीं आता है।"

"मेरी प्यारी लड़की, तुम नहीं समझोगी। यह एक अच्छा और समझदारी वाला नाम नहीं है। यदि तुम इस नाम के साथ जनता के सामने जाओगी, वे यह सोचेंगे कि यह कोई है जो हल्की-फुल्की चालाकी करता है, उसी प्रकार से जैसा हम जुआ खेल रहे लोगों के पास देखते हैं। एक सांस्कृतिक नृत्यांगना के लिए, तुम अपने आपको किसी कवित्व और गहरी इच्छा के नाम से पुकारो।"

उसने यह महसूस किया कि जो कुछ मैंने कहा, उसमें एक बिन्दु है, और उसने एक पैड और पेन्सिल उठाया और अपने उन सभी नामों को उसने लिख डाला जो उसके दिमाग में आए थे। मैंने अपना भी जोड़ा। हम यह देखना चाहते थे कि वे कैसे लगते हैं और वे कागज पर कैसे दिखाई देते हैं । कागज के बाद कागज भर दिए गए और निरस्त किए गए। यह एक प्रकार का मजाक बन गया था। हम अपना मुख्य कार्य भूलते हुए लग रहे थे, इस आनन्द का मजा लेने में। हर नाम अपने आप में कुछ हास्यास्पद था, मजाकिया लगता था या असाधारण सम्बन्ध था। देर रात को वह यह पूछने के लिए उठ बैठी, "इसके बारे में क्या....?" "दैत्य राजा की पत्नी का नाम....लोग डर जाएंगे", मैंने कहा। अन्ततोगत्वा, चार दिवसों के कठोर सोच और छंटनी के बाद (एक श्रम जिसने हमें व्यावसायिक कामों में व्यस्त कर संतुष्टि प्रदान की थी) हम 'नलिनी' नाम पर पहुँचे, एक ऐसा नाम जो महत्व, कविता और सार्वभौमिकता रखता था, और अभी भी छोटा था और सरलता से याद किया जा सकता था।

19. With the attainment ................................... possible beauty. (Pages 152-153)

कठिन शब्दार्थ-bestirred (बिस्टिड्) = व्यस्त और सक्रिय बनना । slender (स्लेन्ड(र्)) = अभीष्ट से कम, नाकाफी। vehemently (वीअमट्लि) = प्रचण्ड, उग्र। versatility (वसटिलिटी) = अनेक कामों के लिए प्रयुक्त, बहुउद्देश्यीय। terminology (टमिनॉलजि) = पारिभाषिक शब्दावली। tattered (टैटड) = फटा-पुराना, जीर्ण-शीर्ण, बुरी हालत में। smirked (स्मक्ट) = बनावटी मुस्कान।

हिन्दी अनुवाद-नये नाम के साथ रोजी जीवन के विकास के एक नए चरण में प्रवेश कर चुकी थी। अपने नये नाम के नीचे रोजी ने अपने पूर्व के जीवन में जो परेशानियाँ झेलीं, वो उसने जनता की नजरों से दफन कर दी थीं। मैं केवल एकमात्र था जो उसे रोजी के नाम से जानता था और उसे इस प्रकार से पुकारता था। बाकी का संसार उसे नलिनी के नाम से जानता था। मैंने अपने आपको व्यस्त कर लिया था, बाहर जाकर कस्बे में लोगों से मिलना प्रारम्भ कर दिया था। मैं बहुत से समूहों की बैठकों में उपस्थित होने लगाविश्वविद्यालय में, टाउन हॉल, और क्लब में, और एक मौके को देखने लगा था। जब अल्बर्ट मिशन के लड़के अपना वार्षिक सामाजिक कार्यक्रम रख रहे थे मैं 

उनके मामलों में यूनियन के एक बाबू के साथ हल्के से सम्बन्ध के माध्यम से मिल गया था, जो मेरे साथ एक बार 'प्योल स्कूल' (छप्परवाले स्कूल) में पढ़ा था, और मैंने सुझाया, "क्यों नहीं एक नृत्य की प्रस्तुति दी जाए शेक्सपीयर के किसी दुखान्त नाटक के बजाय?" मैंने भारत में कला की क्रान्ति पर उग्र तरीके से बात आगे बढ़ाई कि वे सरलता से मुझे एक तरफ नहीं हटा सके थे, परन्तु उनको सुनना पड़ा। भगवान जानता है मुझमें इस तरह की वाक्पटुता कहाँ से आ गई थी। मैंने अपनी संस्कृति के महत्त्व और उसमें नृत्य के स्थान पर इतना अच्छा भाषण दिया कि उनको केवल जो मैंने कहा उसे स्वीकार करना पड़ा था। किसी ने संदेह व्यक्त किया कि क्या शास्त्रीय नृत्य छात्रों की सभा के लिए उपयुक्त होगा। मैंने साबित किया कि शास्त्रीय नृत्य को एक हल्का-फुल्का मनोरंजन के रूप में भी देखा जा सकता है, उसके बहुउद्देश्यीयता को विचार करते हुए। मैं उद्देश्यपरक वाला व्यक्ति था। मैंने इस भूमिका के लिए अपने आपको इतने अच्छे तरीके से वस्त्र धारण किये एक प्रकार का रफ तरीके से बुना गया सिल्क का शर्ट और एक ऊपरी वस्त्र, और हाथ में काती गई और हाथ से बुनी गई धोती पहनी और मैंने बिना फ्रेम का आँखों पर चश्मा लगाया-जो मार्को के द्वारा मुझे अपनी पहली मुलाकात में भेंट किया गया था। 

मैंने एक कलाई घड़ी भी पहनी थी-यह सब कुछ जो मैंने कहा उस पर इतना वजन डाल रहे थे कि उनको मुझे सम्मानजनक तरीके से सुनना ही पड़ा था। मैं भी अपने आपको बदला हुआ महसूस कर रहा था। मैंने पुराना रेल्वे राजू होना बन्द कर दिया था और मेरी गहरी इच्छा थी कि मैं भी अपने आपको दफना सकूँ, जैसा कि रोजी कर चुकी थी अपना नया नाम धारण करके। सौभाग्य से इसका ज्यादा फर्क नहीं पड़ा था। कोई भी मेरे मामलों के बारे में ज्यादा परेशान नहीं होता था जैसा कि तात्कालिक रेल्वे कॉलोनी में हुआ करते थे, और यदि वे जानते भी वे दूसरे वस्तुओं को मेरे जीवन से ज्यादा याद करते प्रतीत होते थे, मेरे जीवन में आए बदलावों का उन्हें कोई मतलब नहीं था।

मैंने कभी नहीं जाना था कि मैं सांस्कृतिक मामलों पर इतना अच्छा बोल सकता हूँ। मैंने रोजी से थोड़े बहुत शब्द सीख लिए थे और इसका सर्वश्रेष्ठ उपयोग कर दिया था। मैंने 'डांसिंग फीट' (नाचते पैर) का वर्णन किया और एक-एक शब्द कर उसका महत्त्व बताया और मैंने स्वयं ने लगभग नृत्य प्रस्तुत कर दिया था। उन्होंने मुझे खुले मुँह आश्चर्य से देखा। मैंने समिति के समक्ष थोड़ा और लालच फेंका; यदि वे चाहें तो वे मेरे साथ चलकर एक उदाहरण का प्रदर्शन देख सकते हैं। वे उत्साहजनक तरीके से सहमत हो गए थे। मैंने उसे अपने चाचा की लड़की बताया जो यहाँ घूमने आई थी और जो अपने स्थान पर बहुत प्रसिद्ध थी।

अगली सुबह रोजी ने हॉल को साफ किया जिससे कि यह ज्यादा गंदा नहीं लगे। उसने गुलमोहर के पेड़ के फूलों से उस स्थान को सजाया था। उसने एक गुच्छा पीतल के एक गिलास में टाँग दिया और उसे कोने में रख दिया। इसने हमारे छोटे घर को एक प्रकार की खूबसूरती प्रदान कर दी थी। उसने हमारे बिस्तरों को गोल किया, दूसरे बक्सों के साथ उसे कोने में सरका दिया, स्टूलें और बाकी के छोटे-मोटे सामानों को दूर कोने में रख दिया, उस ढेर पर एक धोती डाल दी, और इसे फिर से चतुराई से बिस्तरों के नीचे से निकाली एक लाइनदार दरी से ढक दिया।

इससे इसे एक रहस्यात्मक झलक मिलने लगी। उसने पुरानी दरी को झाड़ दिया और इसे गोल कर दिया जिससे कि इसका जीर्ण-शीर्ण भाग दिखाई नहीं दे। उसने भूरी, भाप निकलती कॉफी को तैयार रखने की व्यवस्था की थी। यह सब कुछ अत्यन्त उत्कृष्ट तैयारी थी, यह उसके लिए जनता को जीतने की एक गणना थी। वे लोग, उनमें से दो, आए और उन्होंने दरवाजा खटखटाया। जब मैंने इसे खोला, वे वहाँ पर खड़े थे। रोजी ने रसोई के दरवाजे पर एक प्रिन्टेड चादर लटका दी थी और वह उसके पीछे थी। मैंने दरवाजा खोला, वहाँ खड़े लोगों को देखा और बोला, "ओहो, आ गए हैं।" मानो कि मैंने सोचा था कि वे नहीं आएंगे। किसी तरह से मैंने इसे एक साधारण सा लगने वाला माहौल बनाया। वे मूर्खता से बनावटी हँसी हँसे। यह महसूस किया कि वे एक सम्भावित खूबसूरती पर अपने काम से आने पर सहमत हो गये थे।

I seated them on the mat.............. ................ will like it." (Pages 154-155)

कठिन शब्दार्थ-vermilion (व'मिलिअन) = सिंदूरी। modestly (मॉडिस्टलि) = शालीनता से, विनम्रतापूर्वक। sesame (सेसमि) = तिल का. पौधा। puckered (पुक्ड) = भौंहें सिकोड़ना। flustered (फ्ल्स्ट्ड ) = काम देकर परेशानी या उलझन में डाल देना। homily (होमलि) = लम्बी उबाऊ बात। wry (राई) = निराशा के साथ विनोद भाव। grumble (ग्रम्बल) = खीझते हुए शिकायत करना, बड़बड़ाना। hustle (हस्ल) = धकेलना। cajoled (क'जोल) = खुशामद से अपनी बात मनवाना। snubbed (स्न्ब्ट) = रूखा बरताव।

हिन्दी अनुवाद-मैंने उनको चटाई पर बिठाया, कुछ क्षण के लिए संसार की राजनीति पर बात की, और बोला, "मैं अनुमान लगाता हूँ, आप थोड़ा समय निकाल सकते हैं? मैं अपने चाचा की लड़की से पूछता हूँ कि क्या वह खाली है।" मैं रसोई के परदे को हटाकर अन्दर गया और वह वहाँ पर खड़ी थी। मैं दाँत निकालकर हँसा और उसकी ओर आँख मारी। वह एकदम शान्त खड़ी और वापस मेरी ओर दाँत निकालकर हँसी। हम मंच व्यवस्था के इस हिस्से का आनन्द ले रहे थे; हमने महसूस किया कि हमने पहले से ही शो करना शुरू कर दिया था। उसने अपने बालों को गांठ देकर बाँध लिया था, अपने ललाट पर एक छोटी सी सिन्दूरी बिन्दु से अपने आप को सजाया था, अपने चेहरे पर हल्के से एक पाउडर लगाया था और अपने आप को नीले रंग की सूती साड़ी से ढक रखा था-अत्यधिक तैयारी से उसने सादगीपन का एक प्रभाव उत्पन्न किया था। पाँच मिनट के शान्त इन्तजार के बाद, मैंने सिर हिलाया और वह मेरे पीछे बाहर आई।

सचिव और खजांची ने आश्चर्य से मुँह फाड़कर देखा । मैंने कहा, "यह मेरे मित्र हैं । बैठ जाओ।" वह मुस्कुराई और एक छोटी सी चटाई पर बैठ गई-शालीनता से थोड़ा दूर बैठी थी। मैं उस क्षण जान गया था कि उसकी मुस्कुराहट एक 'खुला तिल' थी उसके भविष्य के लिए। एक क्षण के लिए एक अजीब सी रुकावट आई थी और तब मैंने कहा, "यह मेरे दोस्त हैं। वे महाविद्यालय संगठन में एक विभिन्न प्रकार की कला का प्रदर्शन कर रहे हैं, और हम आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं कि आप उनके लिए कुछ कर सकोगी।"

उसने पूछा, "वैरायटी शो? आप और दूसरे क्या कार्यक्रम रख रहे हैं?" और उसने उच्चतम तरीके से अपनी भौंहें सिकोड़ी।
उन्होंने क्षमा माँगते हुए कहा, "कुछ विचित्र वेशभूषा के कार्यक्रम, नकल प्रदर्शन और इसी प्रकार के कुछ और कार्यक्रम।"
उसने कहा, "आप मेरा कार्यक्रम उनमें कैसे फिट करेंगे? आप मुझे कितना समय देना चाहते हैं?" वह अब कार्यक्रम का प्रभार ले रही थी।
उन्होंने अत्यधिक उलझन के साथ कहा, "एक घण्टा, डेढ़ घण्टा-कुछ भी जो आप चाहें।"

अब उसने उनको एक लम्बा उबाऊ भाषण दिया, "देखिए, नृत्य का कार्यक्रम विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों की तरह से नहीं है, इसे बनने में समय लगता है। यह कुछ इस प्रकार का है जैसे कोई प्रदर्शित कर रहा है और कोई देख रहा है, इसका विकास इस प्रकार से होता है।" वे उसकी भावनाओं से पूरी तरह से सहमत थे। मैंने कहने के लिए व्यवधान डाला, "उनका मुख्य विचार तुम्हें देखकर आने का है, और यह देखना कि आप कला का कौनसा हिस्सा इनको दिखा सकती हो, क्या आप हमें दिखाकर आभारी बनाएंगी?" वह निराशा और विनोद का भाव चेहरे पर लाते हुए बड़बड़ाई, थोड़ी हिचकिचाई और उसने हमें कोई जवाब नहीं दिया। "यह क्या है? वे आपके जवाब का इन्तजार कर रहे हैं । वे बहुत व्यस्त आदमी हैं।" "ओह नहीं, इन भद्र महिला को धकेलने की जरूरत नहीं है। हम इन्तजार कर सकते हैं।"

"कैसे.... कैसे..... अब व्यवस्था....बिना संगत के....बिना संगत के मैं कम ही पसन्द करती हूँ...." वह कह रही थी, और मैं बोला, "ओह, यह पूर्ण वस्त्रों के साथ का प्रदर्शन नहीं है। केवल थोड़ा सा-जब पूर्ण वस्त्रों के साथ प्रदर्शन होगा, हम संगत रख सकते हैं। आखिरकार, आप सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम देंगी।" मैंने उससे खुशामदी की और वे दोनों भी मेरे साथ शामिल हो गए थे, और रोजी हिचकिचाते हुए सहमत हो गई थी, कह रही थी, "यदि आप इतने इच्छुक हैं, मैं मना नहीं कर सकती हूँ। परन्तु मुझ पर दोष मत लगाना यदि यह अच्छा नहीं हो तो।" वह पर्दे के पीछे एक बार फिर से गई, प्लेट पर कॉफी लेकर आई, और इसे नीचे रख दिया।
उन भद्र व्यक्तियों ने औपचारिक विनम्रता के साथ कहा, "कॉफी के लिए परेशान क्यों हुए?" मैंने उनको उसे स्वीकार करने पर जोर डाला।

जैसे उन्होंने कॉफी पीनी शुरू की, रोजी ने अपना नृत्य शुरू किया, उस गाने के साथ जिसे वह धीरेधीरे गा रही थी। मैंने हाथ से बजाकर ताल देने की कोशिश की, जैसे कि मैं नृत्यकला का बड़ा जानकार उस्ताद था। उन्होंने आकर्षण के साथ देखा। वह अचानक रुकी, अपनी भौंहों से पसीना पोंछा, गहरी सांस ली, और वापस शुरू करने से पहले, मुझसे कहा, "ताल मत दो। इससे मैं गलत कर जाती हूँ।"
"ठीक है" मैंने कहा। अजीब खराब स्थिति में दाँत निकालते हुए प्रयास कर रहा था कि मैं रूखा बरताव नहीं कर रहा हूँ। मैंने फुसफुसाया, "ओह, वह एक छोटा है, आप जानते हैं।" उन्होंने अपना सिर हिलाया।
उसने अपना हिस्सा समाप्त किया और पूछा, "क्या मैं और दिखाऊँ? क्या मैं अपने 'नाचते हुए पैर'..... करके दिखाऊँ?" "हाँ, हाँ" मुझे खुशी हुई कि वह परामर्श ले रही थी, मैं इस पर जोर से चिल्लाया। "करती रहो । वे इसे पसन्द करेंगे।"

20. When they reovered from........... clamoring for all along. (Pages 155-156)

कठिन शब्दार्थ-raptures (रैपच्स) = अत्यधिक आनन्द, हर्षोन्माद, हर्षातिरेक। tomfoolery (टॉमफूलरि) = बहुत मूर्खता, मूर्खतापूर्ण कार्य या व्यवहार । clamour (also clamor) (क्लैम) = शोरशराबा।

हिन्दी अनुवाद-जब वे इस आकर्षक प्रभाव से वापस जागृत हुए, उनमें से एक बोला, "मुझे अवश्य यह स्वीकार करना पड़ेगा कि मैंने कभी भी भरतनाट्यम पर इतना ध्यान नहीं दिया, परन्तु इस महिला को देखकर शिक्षा मिली। मैं अब जान गया हूँ कि लोग क्यों इतने हर्षातिरेक हो जाते हैं।"

दूसरे ने कहा, "मेरा एकमात्र डर है कि वह हमारे इस उत्सव के लिए बहुत अधिक अच्छी है, परन्तु इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं दूसरे कार्यक्रमों को घटा दूंगा और जितना समय इसे चाहिए हम इसे सारा समय देंगे।" "हमें इसे एक अभियान अवश्य बनाना चाहिए कि जनता की रुचि को शिक्षित कर सकें।" मैंने कहा, "हमें जनता की रुचि का अनुमान नहीं लगाना चाहिए और इसे नीचे नहीं ले जाना चाहिए। हमें इसे ऊँचा उठाने का प्रयास अवश्य करना चाहिए और केवल श्रेष्ठ देना चाहिए।"

"मैं सोचता हूँ कि मध्यान्तर तक हम विभिन्न कार्यक्रम और सभी प्रकार के अधिक मूर्खता वाले कार्यक्रम रखेंगे। मध्यान्तर के बाद यह महिला सारा समय प्रदर्शन कर सकती है।"
मैंने उसकी ओर एक क्षण के लिए देखा मानो कि उसकी सहमति का इन्तजार कर रहा हूँ, और बोला, "यह कर लेगी अवश्य ही, हम आपकी सहायता कर बहुत खुश होंगे। परन्तु आपको तबला वादक और दूसरी संगत देनी होगी।" और इस प्रकार वह संगत भी ले ली जिसके लिए रोजी सारे समय शोर मचाती रही थी।

21. My activities suddenly......................would not work here. (Pages 156-157)

कठिन शब्दार्थ-soared (सो(र)ड्) = बहुत तेजी से बढ़ना । puffed up (पफ्ट अप्) = फूल जाना, सूज जाना। dispose (डिस्पोज) = निपटाना, अनचाही वस्तु को फेंक देना। humility (युमिलिटी) = विनम्रता, विनयशीलता। adulation (ऐड्यू'लेशन) = अत्यधिक प्रशंसा या आदर। discreetly (डिस्क्रीटलि) = सावधानी से। gratified (ग्रैटिफाइड) = प्रसन्नता और संतोष देना। velocity (व'लासटि) = वेग। conferring (कनफरिङ) = निर्णय लेने से पहले विचार-विमर्श करना, किसी को विशेष अधिकार या लाभ प्रदान करना। frowned (फ्राउन्ड्) = भौंहें तन जाना, त्यौरी चढ़ना।

हिन्दी अनुवाद-मेरी गतिविधियाँ अचानक बढ़ गईं। यूनियन का कार्यक्रम एक शुरुआत था। वह रॉकेट की तरह से बहुत तेजी से बढ़ी। उसका नाम जनता की सम्पत्ति बन गया था। अब मेरे लिए यह आवश्यक नहीं था कि मैं उसे अब जनता से परिचित करवाऊँ या उसका विस्तार से वर्णन करूँ। यह विचार ऐसा था जिस पर हँसा जा सकता था। मुझे भी जाना जाने लगा था क्योंकि मैं उसके साथ जाया करता था, मुझे दूसरे किसी और कारण से नहीं जाना गया था। वह इसलिए जानी जाने लगी थी क्योंकि उसमें स्वयं के अन्दर बुद्धि/प्रतिभा थी, और जनता को इसकी ओर ध्यान देना ही पड़ा। 

मैं अब उसके बारे में अच्छी तरीके से बात करने योग्य था-केवल अब ही। उस समय जब मैं यह विचार करता था कि मैंने उसे कैसे बनाया था, मैं फूल जाता था। मुझे अब वह विचार छोड़ना पड़ेगा कि मार्को भी उसे स्थायी रूप से नहीं दबा पाया था, किसी समय वह तोड़कर अपना स्वयं का रास्ता बना लेगी। मेरी विनयशीलता के वर्तमान प्रदर्शन से गलत दिशा में मत चले जाना, उस समय मेरी स्वयं की बधाई के लिए कोई सीमा नहीं थी। जब मैं उसे बड़े हॉल में देखता

था, हजारों आँखें उस पर केन्द्रित रहती थीं, मुझे कोई सन्देह नहीं था कि लोग अपने आपको या एक-दूसरे को कहते थे कि "वह देखो, वह आदमी परन्तु उसके लिए......" और मैं यह अत्यधिक प्रशंसा मेरे चारों ओर मेरे कानों में लहरों की तरह से टकराती थी, मैं यह कल्पना करता था। हर प्रदर्शन में मैं अधिकारस्वरूप.... पहली पंक्ति में बीच वाला सोफा बैठने के लिए लेता। मैंने इसे दे दिया था कि जहाँ कहीं मैं जाऊँगा वहीं मेरी सीट होगी, और जब तक मैं वहाँ नहीं बैलूंगा, नलिनी प्रदर्शन नहीं कर पाएगी। उसे मेरी प्रेरणादायी उपस्थिति की आवश्यकता थी। मैं सावधानी से अपना सिर हिलाया करता था, कभी-कभी मैं हल्के से मेरी हाथ की अंगुलियों को समय के लिए बजाया करता था। जब मैं उसकी आँखों से मिलता, मैं स्टेज पर उससे परिचित मुस्कुरा देता था। 

कभी-कभी मैं उसे किसी संदेश का इशारा करने के लिए अपनी आँखें और अंगुलियाँ काम में लेता था, कोई परिवर्तन सुझाता या उसके काम की समालोचना करता था। मैं इस तरीके को पसन्द करता था कि इस अवसर का अध्यक्ष मेरे साथ बैठता था, और मुझे कुछ कहने के लिए झुकता था। वे सभी मुझे बात करते देख पसन्द करते थे। वे लगभग प्रसन्न और संतुष्ट महसूस करते थे मानो कि वे नलिनी से स्वयं बात कर रहे थे, मैं अपना सिर हिलाता था, रोक के साथ हँसता था, और जवाब में कुछ कहता था, हमारे पीछे श्रोताओं को हमारी बातचीत का अनुमान लगाने के लिए छोड़ देता था, यद्यपि यह कभी भी इससे अधिक नहीं होता था, "हॉल भरा हुआ प्रतीत होता है।"

मैं हॉल के दूर के कोने में एक नजर डालता था, मानो कि भीड़ का निर्णय कर रहा हूँ और कहता था, "हाँ, यह भरा है" और तेजी से पीछे घूमता कि जो सम्मान को आवश्यक था कि मुझे आगे ही देखना है। कोई भी शो तब तक शुरू नहीं होता था जब तक कि मैं उस आदमी की ओर सिर नहीं हिला देता था जो कि पर्दे में से झाँक कर देख रहा था, और तब पर्दा ऊपर उठता था। मैंने कभी भी उस समय तक इशारा नहीं दिया था, जब तक कि मैं इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाता था कि सब कुछ व्यवस्थित था। मैं बिजली, माइक्रोफोन व्यवस्था के बारे में पूछताछ करता था और चारों ओर देखता था मानो कि मैं हवा का वेग माप रहा था, छत की ताकत, और मानो कि मैं आश्चर्य कर रहा था कि किसी घटना के फलस्वरूप खम्बे छत को सहारा दे लेंगे। 

इन सबके साथ मैं एक तनाव सा बना देता था, जो नलिनी के भविष्य की सहायता करती थी। जब कार्यक्रम प्रारम्भ होने की समस्त दशाओं से वे सन्तुष्ट हो जाते थे, तो आयोजक यह समझते थे कि उन्होंने एक कठिन उद्देश्य प्राप्त कर लिया था। अवश्य ही, वे नृत्य के लिए पैसा देते थे, और जनता अपनी सीट पर पैसा देकर ही वहाँ पर बैठती थी, परन्तु यह सबके बाद भी मैं उन पर कभी भी नहीं बचने वाला प्रभाव डालता था कि मैं उनको नृत्य प्रारम्भ करने की आज्ञा की शक्ति प्रदान कर रहा था। मैं एक सख्त आदमी था। जब मैं यह सोचता था कि कार्यक्रम पर्याप्त लम्बा चल गया था, मैं अपनी कलाई घड़ी की ओर देखता था और सिर को एक हल्की सी मनाही में हिलाता था और नलिनी समझ जाती थी कि अगले कार्यक्रम के साथ ही शो अवश्य समाप्त हो जाना चाहिए।

यदि कोई और आगे सुझाव देता था, मैं केवल उनकी ओर हँसकर टाल देता। कभी-कभी हॉल के पीछे की ओर से कागज की स्लिप आती थी, इस या उस कार्यक्रम की प्रार्थना के साथ, परन्तु मैं क्रोध में भौंहें तान लेता था जब कागज की स्लिप मेरी ओर लाई जाती थी कि लोग हताश हो जाते थे इस प्रकार की चीजों को आगे बढ़ाकर के। वे सामान्यतया क्षमा माँगते थे। "मैं नहीं जानता हूँ। कोई पीछे की बेन्च से..... यह केवल मेरे पास आई थी....." मैं उसे गुस्से से लेता, थका देने वाली सहिष्णुता से पढ़ता, और सोफे के बाईं ओर की भुजा में धकेल देता, यह कारपेट पर गिर जाती थी, किसी भुलावे के साथ । मैंने यह भी दिखाया कि इस प्रकार की चालाकियाँ कम लोगों को ही दिखें और यह कि वे यहाँ पर काम नहीं करेंगी।

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22. One minute before the......... uncle proved a difficult man. (Pages 157-159)

कठिन शब्दार्थ-deserve (डिजव) = योग्य। literal (लिटरल) = आदिम या मूल। methodically (म'थॉडिकलि) = सुव्यवस्थित रीति से। moping (मोपिङ) = उदासी में बेकार बैठे रहना। mortagaging (मॉगिजिङ्) = मकान खरीदने के लिए उधार लिया पैसा, आवास ऋण। stature (स्टैच(र)) = महत्ता, योग्यता के आधार पर अर्जित महत्त्व। inadequate (इन'ऐडिक्वट) = अपर्याप्त, नाकाफी, अयोग्य। demurred (डि'म्युअड) = शान्त, शर्मीली, विनीत। asylum (अ'साइलम) = मनोचिकित्सा केन्द्र शरण। adjournment (अ'जॉनमन्ट) = स्थगन।

हिन्दी अनुवाद-पर्दा गिरने के एक मिनट बाद, मैंने सचिव को तलाश किया और उसे आने के लिए सिर हिलाया। मैंने उससे पूछा, "क्या कार तैयार है? कृपया इसे भीड़ से अलग दूसरे दरवाजे पर लाओ। मैं उसे चुपचाप बाहर ले जाना चाहता हूँ।" यह एक झूठा वाक्य था। मैं वास्तव में देख रही भीड़ . में से उसके साथ चलकर जाना चाहता था। शो के बाद, लोग अभी भी सितारे की एक झलक पाने के लिए इधर-उधर घूम रहे थे। मैं उसके आगे या उसके साथ बिना किसी सम्बन्ध के चलता था। कार्यक्रम की समाप्ति पर वे उसे बड़ी फूलों की एक माला उपहार में देते थे, और उन्होंने एक मुझे भी दी थी। मैंने थोडा विरोध के बाद उसे स्वीकार कर लिया था। इसमें कोई तर्क नहीं है, आप क्यों मेरे लिए फूलों की माला लाकर धन बरबाद कर रहे हैं।" मैंने कहा, मैंने अपनी बाँह पर लापरवाही से इसे लटका दिया था। भीड़ में नाटकीय अन्दाज में इसे नलिनी को देकर कहता, "अच्छा, आप वास्तव में दो के योग्य हैं।" और मैं उसे मेरे लिए ले जाने देता था।

जब तक हम अपने कमरे के निजी स्थान पर नहीं पहुँच जाते थे, यह दिखावे का संसार बना रहता था, जब वह पाबन्दियाँ और औपचारिकताओं को फेंक देती और मुझे भावनात्मक गहरा आलिंगन देती और साथ में यह कहती, "यदि मैं सात जन्म भी ले लेती हूँ तो मैं तुम्हारा यह ऋण कभी वापस नहीं चुका पाऊँगी।" मैं गर्व से फूल जाता था जब मैं उससे यह सुनता था और इसे मेरा मूल बकाया के रूप में स्वीकार कर लेता था। सुव्यवस्थित तरीके से वह फूलों को एक गीले रुमाल में लपेटती जिससे कि वे सुबह ताजा रह सकें।

कार्यक्रम के दिनों में वह रात का खाना दोपहर बाद ही पका लेती थी। वह सरलता से एक रसोइया रखना वहन कर सकते थे, परन्तु वह हमेशा कहती थी, "आखिर, दो लोगों के लिए हम एक रसोइये को घर में बेकार नहीं बैठा सकते हैं। मैं अपने औरत के कर्तव्यों के सम्पर्क ढीले नहीं छोड़ना चाहती हूँ।" वह शाम के शो के बारे में दोपहर के भोजन के दौरान बात करती रहती थी, किसी व्यवस्था व पृष्ठभूमि की संगत की समालोचना करती रहती थी कि कैसे अमुक-अमुक साथ नहीं रख पाया था। वह अपने सन्ध्या के शो की यादों में पूरी तरह से खो जाती थी। कभी-कभी भोजन के बाद भी वह नृत्य का एक हिस्सा प्रदर्शित करती थी। और तब वह एक पुस्तक लेकर उसे तब तक पढ़ती रहती थी जब तक हम सो नहीं जाते थे।।

कुछ महीनों में मुझे अपने पुराने घर से जाना पड़ा। सेठ ने कानून का एक बिन्दु निकाल लिया और निर्णय से पहले सम्पत्ति का अधिकार पा लिया था। मेरा वकील मेरे पास आया और बोला, "इस के बारे में चिन्ता मत करो; इसका केवल मतलब है कि वह बकाया के साथ गृहकर भी चुकायेगा, यदि बाकी रहा है तो। आपकी माँ के हस्ताक्षरों की भी आवश्यकता पड़ेगी, परन्तु वह मैं ले लूँगा। यह ठीक वैसे ही है जैसे कि हम उसे घर गिरवी रख रहे हों। तुमको उसे किराया देना पड़ेगा-यदि तुम यहाँ रुकते हो तो वह भी नाममात्र का किराया।"

"किराया चुकाऊँ मेरे स्वयं के मकान का।" मैंने कहा। "यदि मुझे किराया देना पड़ेगा तो मैं इससे अच्छे घर को प्राथमिकता दूँगा। हमारे बढ़ते हुए कद के लिए यह मकान अपर्याप्त था। किसी भी मिलने वाले का सत्कार नहीं किया जा सकता है। कोई निजीपन भी नहीं है। किसी भी फर्नीचर के लिए भी स्थान नहीं है। मेरे पिताजी ने यह मकान किसी दुकानदार के लिए डिजाइन किया था, उस आदमी के लिए नहीं जो परिस्थिति
और घटनाक्रम परिस्थिति के अनुसार किसी विकसित होते हुए सितारे का प्रभारी हो। इससे और, आप यह बताइए कि आपकी वकालत का अभ्यास करने का स्थान कहाँ पर है?" मैंने नलिनी से पूछा जब वह बाहर जाने की बात पर शान्त हो गई थी। किसी प्रकार से वह इस मकान से गहरी जुड़ चुकी थी। यह वह स्थान था जिसने उसे पहले शरण प्रदान की थी।

वकील गाँव गया और कागजात पर मेरी माँ के हस्ताक्षर करवाकर वापस आ गया था। "उसने इसे किस तरह से लिया था?" मैं बिना पूछे नहीं रह सका था।
"बुरा नहीं, बुरा नहीं" स्थगन विशेषज्ञ ने कहा। "अच्छा, हम वास्तव में बड़े लोगों से वह उम्मीद नहीं रख सकते जैसे कि हम लोग अपना दृष्टिकोण रखते हैं। मुझे तर्क करके उसे प्रेरित करना ही पड़ा, यद्यपि आपके मामाजी थोड़े कठोर आदमी साबित हुए थे।"

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23. Four days later my mother's.................... .....my correspondence. (Pages 159-160) 

कठिन शब्दार्थ : solicitude (सॉलिसिट्युड) = ध्यान, फिक्र, ख्याल । ramshackle (रैमशैक्ल)... = पुरानी और टूटी-फूटी, जर्जर। rationalized (रैश्नलाइज्ड) = किसी कार्य का औचित्य स्थापन करना। flautist (फ्लॉटिस्ट्) = बांसुरी-वादक। ferreted out (फिरटि आउट) = खोज निकालना, पता लगाना।

हिन्दी अनुवाद-चार दिनों के बाद मेरी माँ का पत्र आया, उसने पीले रंग के कागज पर एक पेन्सिल से लिखा था "......मैंने अपने हस्ताक्षर खुशी से नहीं किये परन्तु इसलिए किये थे क्योंकि इसके बिना वह वकील वहाँ से नहीं जाता, और तुम्हारे मामाजी उसे शान्ति से नहीं रहने देते। यह सब मुझे भ्रमित कर रहा है। मैं इन सबसे परेशान हो चुकी हूँ। मैंने तुम्हारे मामाजी को बिना बताए हस्ताक्षर किये थे, जब वह बगीचे में दूर चले गए थे, जिससे कि वह वकील अपनी बिना किसी शारीरिक हानि के वहाँ से चला जाए। मुझे यह बताओ कि इन सबका क्या तात्पर्य है? 

तुम्हारे वकील ने यह बताया था कि तुम उस औरत के लिए एक नया मकान तलाश रहे हो। यदि ऐसा है तो, मैं मेरे पुराने मकान में रहने के लिए वापस आ जाऊँगी। आखिरकार, मेरी इच्छा है कि मैं अपने बाकी के दिन अपने स्वयं के मकान में बिताऊँ।" यह बहुत अच्छा था कि मेरी माँ ने अपना सारा गुस्सा अलग रखकर मुझे पत्र लिखा था। मैं उसकी चिन्ता से छू गया था। मैं उसके वापस आने की इच्छा से भी परेशान हो गया था। मैं इसे समझ सकता था, परन्तु मैंने इस विचार का विरोध किया था। यह मुझे अच्छा लग रहा था कि सेठ घर वापस ले रहा था और इसके साथ ही अपना सारा काम पूर्ण कर रहा था। किसको आवश्यकता थी इस प्रकार का जीर्ण-शीर्ण मकान लेने की? माँ को उस घर में रहने के कारण मुझे उस सेठ को किराया देना ही पड़ता। उसकी देखभाल कौन करेगा? 

मैं बहुत व्यस्त था। मैंने हर सम्भव तरीके से यह औचित्य स्थापित करने का हर सम्भव काम किया और उसके पत्र बिना कोई जवाब लिखे दूसरी ओर रख दिया था। मैं दूसरे घर में चला गया और बहुत व्यस्त हो गया था, और उस सारी भीड़ में मैं मेरी अन्तरात्मा के द्वारा शान्त कर दिया गया था। मुझे दुःख महसूस हो रहा था परन्तु मैंने इसका औचित्य मान लिया था;"आखिरकार उसका भाई उसके लिए प्रिय है, और वह उसकी देखभाल करेगा। वह यहाँ पर आकर एकदम अकेली क्यों रहे?"

न्यू एक्सटेंशन का वह मकान नवीन तरह का था और हमारी वर्तमान स्थिति को बनाए रख सकता था। यह दो मंजिल का था, एक बड़ा-सा भू-क्षेत्र था, लॉन, बगीचा और गैराज था। ऊपर की मंजिल में हमारे शयन कक्ष थे और एक विशाल हॉल था जहाँ नलिनी अपना नृत्य का अभ्यास करती थी। इसके गहरे नीले रंग की सिल्क की बुनी हुई बड़ी कालीन लगाई गई थी, उसके नृत्य करने के लिए संगमरमर की टाइल्स लगाकर स्थान छोड़ा गया था। मैंने एक स्थान नियत किया और एक कोने में पीतल की नृत्य करती हुई नटराज की मूर्ति लगाई। यह उसका कार्यालय था। 

अब मेरे पास संगीतकारों का एक स्थायी समूह था वे पाँच थे, एक बांसुरीवादक, तबलावादक आदि। उसका एक संगीत शिक्षक भी था जिसे मैंने कोप्पल से पता किया था, वह एक ऐसा आदमी था जिसने आधी शताब्दी तक अपने आपको शास्त्रीय पारम्परिक नृत्य में डुबो लिया और गाँव में अपने घर में रहता था। मैंने उसकी खोज की और उसे मालगुड़ी लेकर आया और अपने भू-क्षेत्र में उसे एक बाहरी मकान रहने के लिए दे दिया। हर प्रकार के लोग मकान में अन्दर-बाहर आते-जाते रहते थे। मेरे पास नौकरों का एक बड़ा स्टाफ था हमारी कार के लिए एक ड्राईवर, बगीचे के लिए दो बागवान, एक गोरखा संतरी हमारे दरवाजे पर कमर में अपनी कटार लगाए खड़ा रहता था, दो रसोईए क्योंकि अब हमारे मनोरंजन बढ़ना शुरू हो गये थे। जैसेकि मैंने कहा था, एक विविध जनसंख्या भू-क्षेत्र में से अन्दर-बाहर आती-जाती रहती थी; संगीतकार, उनके दोस्त, वे लोग जो मिलने का समय लेकर मुझसे मिलने आते थे, नौकर, उनके दोस्त और इसी तरह से दूसरे । नीचे वाले मकान में मेरे दफ्तर में एक सचिव बैठा इन्तजार करता रहता था, यह स्थानीय महाविद्यालय का एक युवा स्नातक था जो मेरे पत्र-व्यवहार देखता था।

24. I had three or four.......... ..........root in my mind. (Pages 160-161)

कठिन शब्दार्थ : intercept (इन्ट'सेप्ट) = एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते व्यक्ति या वस्तु को अवरुद्ध करना या पकड़ना, अंतरोधन करना। testimonial (टेस्टि'मोनिअल) = औपचारिक लिखित विवरण। cluttered (क्लट्ड) = अस्त-व्यस्त रूप से बिखरी हुई वस्तुएँ। obscure (अब'स्क्यू अ) = धुंधला या दुर्बोध । abruptly (अब्रप्टलि) = अप्रत्याशित ढंग से, रूखेपन से। supplicant (सप्लिकन्ट) = याचना करने वाला, याचक, प्रार्थी । knick-knack (निकनैक) = नुमाइशी वस्तुएँ । shifty (शिक्टि) = जो उसके विश्वसनीय न होने की छाप छोड़ें। darting (डाटिङ्) = तेजी से एक ओर जाना या भेजना। - resented (रि'जेन्टड्) = बुरा मानना या नाराज होना।

हिन्दी अनुवाद-मेरे पास मिलने वालों के तीन या चार स्तर थे। कुछ जिनसे मैं बरामदे में मिलता था; यह संगीतकार या भावी संगीतकार थे जो नलिनी के साथ एक मौका चाहते थे। मैं उनसे तुरन्त छुटकारा पाता था। इस प्रकार के दस लोगों से रोजाना मेरा साक्षात्कार होता था। वे बाहरी बरामदे में मुझसे बात करने के मौके का इन्तजार करते रहते थे। मैं उन पर अन्दर-बाहर आते समय मुश्किल से ध्यान देता था। वे मुझे देखकर सम्मान से उठ जाते और मेरा अभिवादन करते, और यदि वे बीच में मुझे रोकते मैं उनको सुनने का प्रदर्शन करता और तब कहता, "मेरे बाबू के पास अपना पता वहाँ पर छोड़ जाइए । यदि कुछ ऐसा होगा जो किया जा सकता है, मैं उससे कहूँगा कि वो आपको बुलावा भेज दें।" 

जब वे प्रमाण-पत्रों का पुलिन्दा आगे बढ़ाते मैं उनकी ओर हल्के से देखकर उनसे कहता, "अच्छा, अच्छा। परन्तु ऐसा कुछ भी नहीं है जो मैं अभी कर सकूँ। अपना नाम दफ्तर में दे जाइए" और मैं आगे बढ़ जाता था। मेरा बाहरी बरामदा अस्त-व्यस्त हुई बेंचों से भरा रहता था जिन पर लोग बैठते थे और मेरा इन्तजार करते कि मैं उनसे बोलने का मौका दे दूं। मैं उन लोगों पर कम-से-कम ध्यान देता था। मैं उन्हें अनुमान करता हुआ छोड़ जाता था जब मैं अपनी टेबल पर आता था। कभी-कभी अस्पष्ट से संगीतकार अपने नए गीतों के साथ आते थे जो विशेषतः नलिनी के फायदे के लिए बनाए गए थे। कभी-कभी जब मैं दफ्तर में टेबल पर बैठता था मैं इस बात पर ध्यान नहीं देता था कि वे झाँक कर अन्दर आते और बैठ जाते थे।

जब मैं उनसे छुटकारा पाना चाहता था मैं अपनी कुसी पीछे लेकर अचानक रूखेपन से अन्दर चला जाता था। अपने सचिव पर यह छोड़ देता था कि वह उसे विदा करेगा। कभी-कभी मैं यह निरीक्षण करता था कि बाहर कितनी बड़ी भीड़ मेरा इन्तजार कर रही थी, मैं यह हॉल में लगे शीशे के दरवाजे में से देखता था, और मैं पास के दरवाजे से नीतिगत तरीके से बाहर निकल जाता था, सीधे गैरेज में जाता और वहाँ से दरवाजे में सीधा प्रवेश करता, जबकि मिलने वाले मुझे निराशा से देखते थे। वह प्रत्येक से अपने आपको ऊँचा समझता था।

याचक या प्रार्थी के रूप में आने वालों के अलावा, कुछ अन्य लोग भी थे जो वास्तविक रूप से मिलने के लिए मेरे पास पहुंचे थे। वे उच्च स्तर के मिलने वाले थे। मैं उनसे हॉल में सोफा पर बैठाकर मिलता था और घण्टी बजाकर कॉफी भी पिलाता था। मैं अपने अन्तरंग मिलने वालों को दिन और रात कॉफी पिलाया करता था। अकेला हमारा कॉफी का बिल ही तीन सौ रुपये महीना बढ़ जाता था, जो कि एक मध्यमवर्गीय परिवार का खर्चा चलाने के लिए पर्याप्त था। हॉल में मिलने वाले लोगों हेतु खर्चीली व्यवस्था थी-कांसी की ट्रे, हाथीदाँत के सजावटी सामान और उनके बीच में नलिनी के साथ समूह फोटो। हॉल में बैठकर और चारों ओर देखकर मुझे संतुष्टि का अहसास होता था कि मैंने मंजिल पा ली है।

इन सबके बीच में नलिनी कहाँ पर थी? नजरों से दूर। वह दिन का अपना अधिकांश भाग संगीतकारों के साथ अभ्यास करती हॉल में बिताया करती थी। कोई भी ऊपर की मंजिल में पैरों का ठोकना और घुघुरुओं की झनझनाहट सुन सकता था। आखिरकार, वह वही जीवन जी रही थी जो उसने ख्वाब में दर्शन किए थे। मिलने वालों को हमेशा यह उम्मीद रहती थी कि वे घर में अन्दर-बाहर होते हुए उसकी एक झलक देख लें। मैं जानता था कि वे किसकी तलाश कर रहे थे, वे अपनी अविश्वसनीय और तेजी से अन्दर के दरवाजों में घूमती अपनी निगाहों से कुछ खोजते थे। परन्तु मैंने इस बात का ध्यान रखा था कि कोई भी उसे देखे नहीं। मेरा उस पर एकाधिकार था और किसी का भी उससे कोई ताल्लुक नहीं था । यदि कोई भटकता हुआ आकर उसके लिए पूछता तो मैं कहता, "वह व्यस्त है।" या "उसे परेशान करने की आवश्यकता नहीं है। आपने मुझे कह दिया यह पर्याप्त है।" मैं उससे मिलने का सीधा प्रयास करने वालों पर नाराज हो जाता था। वह मेरी सम्पत्ति थी। यह विचार मेरे मन में अपनी जड़ें जमाने लगा था। 

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25. There were, however.........sort of superiority. (Pages 161-163)

कठिन शब्दार्थ : eclectic (इक्लें कटिक) = विभिन्न दर्शनग्राही, ग्रहणशील, उदार। intimate (इनटिमेट) = घनिष्ठ, अंतरंग, अत्यधिक निजी और व्यक्तिगत। hobnob (हॉब्नॉब) = मेल-जोल रखना, साथ मदिरापन करना। immensely (ईमेन्सली) = अत्यधिक, बहुत ज्यादा। interloper (इन्टलोप) = अनाधिकृत व्यक्ति। fretted (फ्रेटड) = किसी विषय में चिन्तित और दु:खी होना। indignation (इनडिगनेशन) = मानसिक आघात और क्रोध, रोष।

हिन्दी अनुवाद-वहाँ पर, फिर भी, मेरे आन्तरिक क्षेत्र में कुछ दोस्त थे जिनको मैं उसके कमरे तक ऊपर ले जाता था। यह एक उदार समूह था। वे मेरे घनिष्ठ अन्तरंग थे; मेरे पास तात्कालिक रूप से कोई दोस्त नहीं थे : मेरी दोस्ती अब दूसरों के बाद खोजी जा रही थी। मैं दो न्यायाधीशों के साथ अन्तरंग सम्बन्ध में एवं चार प्रसिद्ध नेता उस क्षेत्र के जिसके क्षेत्र में दस हजार वोट किसी भी क्षण किसी भी कारण से आ सकते थे, दो बड़े कपड़ा मिल के मालिक, एक बैंक वाला, नगरपालिका अध्यक्ष और 'The Truth', दो साप्ताहिक के सम्पादक थे जिनमें नलिनी की समालोचना समय-समय पर आती रहती थी। यह आदमी मेरे हॉल में बिना किसी मुलाकात के निश्चितता लिए कभी भी आ सकते थे, कॉफी माँगते और जोर से पूछते, "नलिनी कहाँ है? ऊपर? अच्छा, मैं उससे एक क्षण के मिल लेता हूँ और जाता हूँ।" वे ऊपर जा सकते थे, उससे बात कर सकते, कॉफी मँगवा सकते और जितने समय तक वे चाहते रुक सकते थे। वे मुझे 'राज' कहकर सम्बोधित करते थे, जान-पहचान के रूप में। मैं उनसे मेल-जोल रखना पसन्द करता था क्योंकि वे धन और प्रभाव वाले लोग थे।

उनके अलावा, कभी-कभी संगीतकार या अभिनेता या दूसरे नर्तक नलिनी से मिलने आते और उसके साथ घण्टों-घण्टों तक बैठे रह सकते थे। नलिनी उनके साथ का अत्यधिक आनन्द लेती थी, और मैं प्रायः उनको उसके हॉल में पाता था, कोई कालीन पर लेटा रहता, कोई बैठा रहता, सभी बातें करते और हँसते रहते, उसी दौरान उनके लिए कॉफी और भोजन भी लाया जाता था। नलिनी उनका साथ अत्यधिक पसन्द करती थी। मैं प्रायः उनके पास जाकर उनसे बात करता-हमेशा मैं यह महसूस करता कि उस कलाकारों के समूह में मैं एक अनाधिकृत व्यक्ति था। कभी-कभी मुझे उन सभी को प्रसन्न और अकेला देखकर खीझ-सी आती थी। मैंने नलिनी को शयनकक्ष की ओर आने का इशारा किया, मानो कि कोई महत्त्वपूर्ण बात एकान्त में करनी हो और जब उसने दरवाजा बन्द किया मैं फुसफुसाकर बोला, "वे वहाँ पर कितने समय और रुकेंगे।"
"क्यों?" "वे यहाँ पर सारे दिन से हैं और इस तरह से सारी रात तक रह सकते हैं." "अच्छा, मुझे उनका साथ पसन्द है। यह हमारे लिए अच्छा है कि वे हमसे मिलने आते हैं।" "यह सब ठीक है। मैं उनसे जाने के लिए कैसे कहूँ? और मुझे उनके साथ रहकर प्रसन्नता होती है।"

"निश्चित रूप से। मैं इससे मना नहीं कर रहा हूँ। परन्तु याद रखो, तुम्हें आराम अवश्य ही करना है और आगे हमें ट्रेन की यात्रा भी करनी है। तुम्हें अपना सामान बाँधना है, अभ्यास करना है। याद रखना तुमने त्रिची के शो के लिए नए आइटम दिखाने का वादा किया था।" "यह करना सरल है।" वह बोली, मुडकर वह अपने मित्रों के पास वापस जाते, और मेरे लिए दरवाजा बन्द करते बोली। मैं चुपचाप कुढ़ता रहा। मैं उसे प्रसन्न रखना चाहता था परन्तु केवल अपने साथ में। कलाकारों के दल में शामिल विभिन्न प्रकार के इन लोगों से मैं पूर्णतया सहमत नहीं था। खरीददारी के बारे में बहत अधिक बात करते थे और नलिनी ने हमारे व्यवसाय के सारे रहस्य उनको बता दिए थे। वह इस प्रकार के लोगों को इकट्ठा करने का मौका कभी भी नहीं चूकती थी, जहाँ कहीं पर भी वह होती थी। वह कहती थी, "वे लोग वे हैं जिन पर सरस्वती माता का आशीर्वाद है, और वे अच्छे लोग हैं। मैं उनसे बात करना पसन्द करती हूँ।"

"तुम संसार को नहीं जानती हो-वे बहुत अधिक ईर्ष्यालु होंगे। क्या तुम नहीं जानती कि वास्तविक कलाकार कभी भी एक साथ नहीं आते हैं? यह लोग तुम्हारे पास आते हैं क्योंकि वे तुम्हारे से हल्के दर्जे के
"मैं ऊँचे और नीचे दर्जे की बातों से थक गई हूँ। हममें कौनसे सुर्खाब के पर लगे हैं?" उसने सचमुच क्रुद्ध होकर पूछा।
"अच्छा, तुम जानते हो, तुम्हारे से और भी मिलने वाले हैं उनकी तुलना में कि सैकड़ों को भी एक साथ मिला दिया जाए।" मैंने कहा। .
"उसमें और पैसा है।" वह बोली, "मैं इस प्रकार की श्रेष्ठता की परवाह नहीं करती हूँ।" 

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26. Gradually arguments..........familiarity with Nalini. (Pages 163-164) 

कठिन शब्दार्थ : crop up (क्रॉप अप) = बढ़ना। dilettantes (डिलिटैन्टि) = कला प्रेमी, शौकीन, पल्लवग्राही। itinerary (आइंटिनररि) = यात्रा कार्यक्रम। strenuous (स्ट्रेनयुअस) = श्रमसाध्य या प्रयत्न साध्य। auspices (ऑसपिसिज) = किसी व्यक्ति या वस्तु की सहायता व समर्थन में, के तत्त्वावधान में। aloof (अलूफ) = अलग-थलग।

हिन्दी अनुवाद-धीरे-धीरे हमारे बीच में तर्क-वितर्क बढ़ने लगे, जिन्होंने हमारे रिश्ते को दाम्पत्य कासा रूप दे दिया। उसका क्षेत्र विस्तृत होता जा रहा था। प्रथम व द्वितीय श्रेणी के कलाकार, संगीत शिक्षक, कस्बे के कला-प्रेमी, विद्यालय की बालिकाएँ जो कि अपने विद्यालय के कार्यक्रम के लिए विचार चाहती थीं, हर प्रकार के लोग उससे मिलने आया करते थे। जहाँ कहीं सम्भव होता मैं उनको वापस भेज देता, परन्तु यदि वे किसी प्रकार से निकल कर ऊपर सीढ़ियों में चले जाते थे, मैं इस बारे में कुछ भी नहीं कर सकता था। नलिनी उनको घण्टों तक रखती और मुश्किल से उनको वापस जाने देती थी।

हमारे पास सैकड़ों मीलों दूर से बुलावे आते थे। हमारे बक्से हमेशा तैयार और बन्द रहते थे। कभीकभी हम मालगुड़ी छोड़कर एक पखवाड़े तक वापस नहीं आते थे। हमारे कार्यक्रम हमें दक्षिण भारत के हर कोने में ले जाते थे, एक छोर पर केप कोमोरिन का अन्त और बॉम्बे की सीमा दूसरी ओर से और एक तट से दूसरे तट तक जाते थे। मैं एक नक्शा और पंचांग रखता था और हमारे कार्यक्रमों की योजना बनाने का प्रयास करता था। मैं आमन्त्रणों का अध्ययन करता और वैकल्पिक तिथियाँ सुझाता था, जिससे कि एक ही यात्रा कई कार्यक्रमों को समाहित रख सके।

प्रत्येक अवधि के लिए यात्रा कार्यक्रमों की व्यवस्था करना मेरी बहत सारी ऊर्जा ले लेता था। हम एक माह में करीब बीस दिन कस्बे से बाहर रहते थे, और मालगुड़ी में अपने दस दिनों के दौरान हम घर के नजदीक एक या दो तिथियों में कार्यक्रम कर देते थे और जो कुछ बच जाता था उसे आराम में गिना जा सकता था। यह एक श्रम-साध्य कार्यक्रम था, और, जहाँ कहीं पर भी मैं होता, मेरा सचिव मुझे प्रत्येक दिन आने वाली डाक के बारे में बताता और फोन के द्वारा मुझसे निर्देश प्राप्त करता था। मैं तीन महीनों के आगे का कार्यक्रम समर्पित करता था। मेरे पास एक बड़ा पंचांग था जिस पर मैं लाल स्याही से कार्यक्रम की तिथियों के निशान लगा देता, और सबसे पहले उसके अभ्यास कक्ष में लटकाता, परन्तु वह विरोध करती थी, "यह भद्दा लगता है। इसे दूर ले जाओ।"

"मैं तुम्हारे सामने एक विचार रखना चाहता हूँ कि अब तुम आगे कहाँ पर जा रही हो।"
"आवश्यक नहीं है।" वह चीखती थी, "मैं उन तिथियों को देखकर क्या करूँगी?" उसने इसे गोल करके मेरे हाथ में रख दिया था।"मुझे यह मत दिखाओ। इतने सारे कार्यक्रम देखकर यह केवल मुझे डरा देता है।" वह कहती थी। जब मैं उससे ट्रेन के लिए तैयार हो जाने के लिए कहता था, वह तैयार हो जाती थी; जब मैं उससे नीचे आने के लिए कह देता था, वह नीचे आ जाती थी; वह मेरे कहने पर गाड़ी के अन्दर-बाहर होती रहती थी। मैं नहीं जानता था कि उसने कभी यह गौर किया था कि हम किस कस्बे में थे या कौनसी सभा या किसके तत्वावधान में यह शो किया जा रहा था। मैं सोचता हूँ, यह सब एक जैसा था, चाहे से यह मद्रास या मदुरा शहर हो, या उटकमण्ड जैसा कोई सुदूर का पहाड़ी कस्बा हो। 

जहाँ कहीं पर रेल नहीं थी तो रेल के छोर से हमें लेकर जाने के लिए एक कार आ जाती थी। हमें कोई प्लेटफॉर्म पर मिलता था, बाहर इंतजार कर रही लियोजिन कार की ओर हमें ले जाता और हमें किसी होटल या बंगले में गाड़ी से ले जाता था। साथ चल रहे हमारे संगीतकारों का सक्रिय एक समूह के रूप में ले जाया जाता और कहीं पर आराम से रखा जाता था। मैं इस भाग्य को अच्छे मजाक में उनके आराम के बारे में बात करके करता था। "वे हमारे संगतकार हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि आपने उनके लिए भी उपयुक्त व्यवस्था की होगी।"
"हाँ, हाँ, श्रीमान। हमने उनके लिए दो बड़े कमरे आरक्षित किए हुए हैं।"

"आपको बाद में उनके लिए एक कार भेजनी होगी जो उनको यहाँ पर हमारे स्थान पर ला सके।" मैं हमेशा इस बिन्दु को बनाता था कि उन्हें एक साथ रखें और शो के दो घण्टे पहले उनको तैयार रखें। वह समूह समय का ध्यान नहीं रखता था, वे वाद्ययन्त्र बजाने वाले, वे सो जाते या खरीददारी के लिए चले जाते या कहीं पर बैठकर ताश-पत्ती खेलते - कभी भी घड़ी की ओर नहीं देखते थे। उनके साथ व्यवस्था करना भी एक कला थी - उनको अच्छे मूड में रखना पड़ता था; अन्यथा वे सारी शाम बर्बाद कर सकते थे और उसे मन या भाग्य पर दोष लगाकर थोप देते। मैं उनको अच्छा पैसा देता था। मैं उनकी देखभाल करने का प्रदर्शन करता, परन्तु अपने आपको मैं अलग-थलग रखता था। मैं इस बात का ध्यान रखता था कि वे कहीं नलिनी से परिचित नहीं हो जावें।

Bhagya
Last Updated on Aug. 24, 2022, 12:32 p.m.
Published Aug. 24, 2022