RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 1 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का परिचय

These comprehensive RBSE Class 11 Economics Studies Notes Chapter 1 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का परिचय will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Economics in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Economics Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Economics Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 11 Economics Chapter 1 Notes अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का परिचय

→ अर्थशास्त्र क्यों?
जब हम अपनी या अपने परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने हेतु वस्तुएँ खरीदते हैं तो हम उपभोक्ता कहलाते हैं। जब हम स्वयं के लाभ हेतु वस्तुएँ बेचते हैं तो हम विक्रेता कहलाते हैं। जब हम वस्तुओं का उत्पादन करते हैं या सेवा प्रदान करते हैं तो उत्पादक कहलाते हैं। जब हम कोई नौकरी करते हैं अर्थात् दूसरों के लिए कार्य करते हैं जिसके लिए पारिश्रमिक प्राप्त होता है तो हम कर्मचारी कहलाते हैं। जब हम भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों को सेवा प्रदान करते हैं तो नियोक्ता कहलाते हैं। धन प्राप्त करने के लिए जो क्रियाएँ की जाती हैं, उन्हें आर्थिक क्रियाएँ कहा जाता है।

→ हमारी इच्छाएँ असीमित हैं किन्तु आय सीमित है तथा हम अपनी सीमित आय से सभी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकते हैं, अतः हमारे सम्मुख चुनाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है जो अर्थशास्त्र का आधारभूत सबक है। अभाव सभी आर्थिक समस्याओं की जड़ है। यदि अभाव न हो तो कोई भी आर्थिक समस्या उत्पन्न न हो। संसाधनों का वैकल्पिक प्रयोग उन वस्तुओं के बीच चयन की समस्या को जन्म देता है, जिन्हें इनके द्वारा उत्पादित किया जा सकता है।। 

→ उपभोग, उत्पादन और वितरण
अर्थशास्त्र के अध्ययन को प्रायः तीन भागों में बाँटा जा सकता है : उपभोग, उत्पादन तथा वितरण। उपभोक्ता अपनी निश्चित आय और ज्ञात कीमतों को देखते हुए अनेक वैकल्पिक वस्तुओं में से किन वस्तुओं को खरीदे, इसका अध्ययन ही उपयोग कहलाता है। किसी व्यक्ति अथवा उत्पादक द्वारा संसाधनों की ज्ञात कीमतों पर उनका चुनाव तथा उनसे कैसे उत्पादन करे? यह उत्पादन का अध्ययन कहलाता है। इसी प्रकार देश में कुल उत्पादन अथवा राष्ट्रीय आय को मजदूरी, लाभ, लगान तथा ब्याज आदि ये किस प्रकार वितरित किया जाए? इसका अध्ययन वितरण कहलाता है।

आधुनिक अर्थशास्त्र में उपर्युक्त तीन परम्परागत विभाजनों के अतिरिक्त आधारभूत समस्याओं के अध्ययन को भी शामिल किया जाता है। आधुनिक अर्थशास्त्र के अध्ययन में उन मूलभूत कौशलों का समावेश है जो कई प्रकार के उपयोगी अध्ययनों के लिए आवश्यक हैं, जैसे-निर्धनता का मापन, आय का वितरण, आय अर्जन के अवसरों का शिक्षा से सम्बन्ध, पर्यावरण सम्बन्धी विपदाओं का हमारे जीवन पर प्रभाव आदि। 

RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 1 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का परिचय 

→ अर्थशास्त्र में सांख्यिकी
किसी भी अर्थव्यवस्था में मूलभूत समस्याओं के विश्लेषण हेतु आँकड़ों की जरूरत पड़ती है। आँकड़े संग्रह करने | का उद्देश्य इन समस्याओं के विभिन्न कारणों को जानना एवं उनकी व्याख्या करना है। इन समस्याओं के समाधान हेतु विभिन्न नीतियाँ बनायी जाती हैं। अतः आर्थिक विश्लेषण एवं नीतियों के लिए आँकड़ों का होना आवश्यक है। अतः आँकड़ों के संग्रहण, विश्लेषण एवं नीति निर्माण हेतु सांख्यिकी की आवश्यकता पड़ती है। 

→ सांख्यिकी क्या है? 
सांख्यिकी का सम्बन्ध आँकड़ों के एकत्रीकरण, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण से है। ये आँकड़े भौतिक शास्त्र, रसायनशास्त्र, मनोविज्ञान या किसी भी क्षेत्र से हो सकते हैं । अर्थशास्त्र के अधिकतर आँकड़े मात्रात्मक होते हैं, किन्तु अर्थशास्त्र में इनके साथ गुणात्मक आँकड़ों का भी प्रयोग होता है।

→ सांख्यिकी क्या करती है?

  • अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का विशेष महत्त्व होता है, सांख्यिकी की सहायता से किसी आर्थिक समस्या को आसानी से समझा जा सकता है। गुणात्मक तथा मात्रात्मक तथ्यों की सहायता से आर्थिक समस्या के कारणों को खोजा जा सकता है, जिनके आधार पर उनके समाधान हेतु निश्चित नीतियों का निर्माण किया जाता है।
  • सांख्यिकी की सहायता से आर्थिक तथ्यों को सांख्यिकीय रूप में व्यक्त किया जाता है, जिससे ये यथार्थ तथ्य बन जाते हैं. जो अधिक विश्वसनीय होते हैं। सांख्यिकी, आँकड़ों के समूह को कुछ संख्यात्मक मापों के रूप में संक्षिप्त करने में सहायता करती है। सांख्यिकी के द्वारा आँकड़ों के समूह के विषय में सार्थक एवं समग्र सूचनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।
  • प्रायः सांख्यिकी का प्रयोग विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। सांख्यिकीय विधियों की सहायता से योजनाओं एवं नीतियों के निर्माण के लिए भविष्य की प्रवृत्तियों का अनुमान लगाया जा सकता है, जिससे उपयुक्त आर्थिक नीतियों का निर्माण किया जा सकता है। वर्तमान में अनेक प्रकार की समस्याओं के विश्लेषण हेतु सांख्यिकी का प्रयोग किया जाता है तथा उन समस्याओं को हल करने हेतु उपाय ढूंढ़े जाते हैं। सांख्यिकी की सहायता से नीतियों का भी मूल्यांकन किया जा सकता है। आर्थिक नीतियों के निर्णय की प्रक्रिया में सांख्यिकी की एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
Prasanna
Last Updated on July 14, 2022, 5:34 p.m.
Published July 4, 2022