RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन

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RBSE Class 11 Chemistry Chapter 14 Notes पर्यावरणीय रसायन

→ पर्यावरणीय रसायन-विज्ञान की वह शाखा जिसमें पर्यावरण में होने वाली रासायनिक अभिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, अर्थात् पर्यावरण में पायी जाने वाली रासायनिक स्पीशीज की उत्पत्ति, परिवहन, अभिक्रियाओं, प्रभावों तथा उनके भविष्य का अध्ययन किया जाता है, उसे पर्यावरणीय रसायन कहते हैं।

→ पर्यावरण प्रदूषण-पर्यावरण की भौतिक, रासायनिक तथा जैव वैज्ञानिक अवस्था में वह परिवर्तन, जिससे मानव, अन्य जीवों, वनस्पति तथा सौन्दर्य प्रतीकों को हानि पहुँचती है, उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।

→ पर्यावरण प्रदूषण हमारे परिवेश में अवांछनीय परिवर्तनों (जो पौधों, जन्तुओं तथा मनुष्यों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं) के कारण होता है।

→ वह पदार्थ जो प्रदूषण उत्पन्न करता है, उसे प्रदूषक कहते हैं। 5. प्रदूषक दो प्रकार के होते हैं-जैव निम्नीकृत तथा जैव अनिम्नीकृत।

→ वायुमण्डल के प्राकृतिक संघटन में किसी प्रकार का परिवर्तन वायुमण्डलीय प्रदूषण कहलाता है।

→ वायुमण्डल का सबसे निचला क्षेत्र जिसमें मनुष्य तथा अन्य प्राणी रहते हैं, उसे क्षोभमण्डल कहते हैं । यह क्षेत्र समुद्र तल से 10 किमी. तक होता है। इसके आगे के 40 किमी. तक का भाग समतापमण्डल कहलाता है।

→ वायुमण्डलीय प्रदूषण में मुख्यतः क्षोभमण्डलीय तथा समतापमण्डलीय प्रदूषण का अध्ययन किया जाता है।

→ वायु प्रदूषण दो कारणों से होता है

  • प्राकृतिक कारण
  • मानवीय कारण।

RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन 

→ क्षोभमण्डलीय प्रदूषण में दो प्रकार के प्रदूषक होते हैं गैसीय वायु प्रदूषक तथा कणिकीय वायु प्रदूषक।

→ गैसीय वायु प्रदूषकों में सल्फर, नाइट्रोजन तथा कार्बन के ऑक्साइड एवं हाइड्रोकार्बन होते हैं, जो वनस्पतियों एवं जीवों पर हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं।

→ वायुमण्डल में उपस्थित गैसों (CO2, O3, क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) तथा जलवाष्प द्वारा सौर ऊष्मा को ग्रहण करने के कारण वायुमण्डलीय ताप में वृद्धि हो रही है, इसे भूमण्डलीय ताप वृद्धि (Global warming) कहते हैं।

→ CO2 के अतिरिक्त अन्य हरित गृह गैसें मेथेन, नाइट्रसऑक्साइड, CFC तथा O3 हैं।

→ जब वर्षा जल की pH 5.6 से कम हो जाती है, तो इसे अम्ल वर्षा कहते हैं।

→ अम्ल वर्षा में HNO3 तथा H2SO4 आदि अम्ल होते हैं जो पेड़-पौधों, संगमरमर (Marble) तथा धातुओं से बनी वस्तुओं आदि को नुकसान पहुंचाते हैं।

→ अम्ल वर्षा के कारण ताजमहल को भी क्षति पहुँच रही है क्योंकि मार्बल (संगमरमर) जो कि CaCO3 का बना होता है, अम्ल वर्षा में उपस्थित H2SO4 से आसानी से क्रिया कर लेता
CaCO3 + H2SO4 → CasO4 + H2O + CO2

→ वायु में निलंबित सूक्ष्म ठोस कण या द्रवीय बूंद कणिकीय प्रदूषक होते हैं।

→ कणिकाओं के आकार तथा उनकी प्रकृति के आधार पर इन्हें चार भागों में वर्गीकृत किया जाता है-धूम, धूल, कोहरा तथा धूम्र।

→ धूम-कोहरा (स्मॉग)-धूम तथा कोहरे से मिलकर बना होता है। यह दो प्रकार का होता है

  • अपचायक धूम कोहरा तथा
  • ऑक्सीकारक धूम कोहरा।

→ ऑक्सीकारक धूम कोहरे को प्रकाश रासायनिक धूम-कोहरा भी कहते हैं।

→ समतापमण्डल में उपस्थित ओजोन गैस सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी विकिरणों से हमारी रक्षा करती है।

→ वायुमण्डल में उपस्थित फ्रेऑन आदि के कारण ओजोन परत का लगातार क्षय हो रहा है, इसे ओजोन छिद्र कहते हैं।

→ जल प्रदूषण के स्रोत दो प्रकार के होते हैं

  • बिन्दु स्त्रोत तथा
  • अबिन्दु स्रोत।

→ जल प्रदूषण तीन कारणों से होता है

  • रोगजनक
  • कार्बनिक अपशिष्ट
  • रासायनिक प्रदूषक।

→ जल के एक नमूने के निश्चित आयतन में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों को विखण्डित करने के लिए जीवाणु द्वारा आवश्यक ऑक्सीजन को जैव रासायनिक ऑक्सीजन माँग (BOD) कहा जाता है।

→ पेयजल में उपस्थित आयनों जैसे फ्लुओराइड, लेड, सल्फेट तथा नाइट्रेट इत्यादि के अंतरराष्ट्रीय मानक निश्चित होते हैं, जिनसे अधिक सान्द्रता होने पर विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ हो जाती हैं।

→ भूमि या मृदा के भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक गुणों में इस प्रकार का परिवर्तन जिससे इसकी उपयोगिता कम हो जाए अथवा नष्ट हो जाए तथा जिसका मनुष्यों और अन्य जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़े, भूमि (मृदा) प्रदूषण कहलाता है।

→ मृदा प्रदूषण के स्रोत दो प्रकार के होते हैं

  • प्राकृतिक स्रोत
  • मानवीय गतिविधियों से प्रदूषण।

→ मृदा प्रदूषण मुख्यतः पीड़कनाशी, कीटनाशी तथा शाकनाशियों के कारण होता है।

→ औद्योगिक ठोस अपशिष्ट दो प्रकार का होता है

  • जैव अपघटनी तथा
  • जैव अनअपघटनी।

जैव अपघटनी अपशिष्ट सूत की मिलों, खाद्य संसाधन इकाइयों, पेपर मिलों तथा वस्त्र उद्योगों द्वारा उत्पन्न होते हैं। ऊष्मीय शक्ति संयंत्र, जो उड़न राख (Flyash) उत्पन्न करते हैं तथा लोहा एवं स्टील संयंत्र, जो वात्या भट्टी धातुमल एवं स्टील प्रगलन धातुमल उत्पन्न करते हैं, के द्वारा जैव अनअपघटनी अपशिष्ट उत्पन्न होते हैं।

RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 14 पर्यावरणीय रसायन

→ अपशिष्ट का प्रबन्धन उसके एकत्रण तथा निस्तारण द्वारा किया जाता है, जो कि अतिआवश्यक है।

→ रसायन विज्ञान तथा विज्ञान की अन्य शाखाओं का ज्ञान, जिसके प्रयोग से पर्यावरण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है, उसे हरित रसायन (ग्रीन केमिस्ट्री) कहते हैं।

→ दैनिक जीवन में हरित रसायन का उपयोग कपड़ों की निर्जल धुलाई, पेपर के विरंजन तथा विभिन्न रसायनों के संश्लेषण में किया जाता है।

→ पर्यावरण को सुरक्षित रखना मानव की जिम्मेदारी है अतः इसके लिए यथासंभव प्रयास करने चाहिए।

Prasanna
Last Updated on Oct. 21, 2022, 12:15 p.m.
Published Oct. 21, 2022