RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

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RBSE Class 11 Biology Chapter 15 Notes पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

→ जीव अथवा उसके किसी भाग में आकार, आकृति एवं भार में अनपलट बढ़त को वृद्धि कहते हैं। पादपों में अधिकतर वृद्धि शीर्ष क्षेत्रों में उपस्थित विभज्योतकी ऊतकों में पाई जाती है। मूल शिखाग्र एवं प्ररोह शिखाग्र में कोशिका विभाजन का अनुपालन करते हुए वृद्धि अंकगणितीय या ज्यामितीय हो सकती है। वृद्धि को तीन प्रमुख चरणों लैग, लॉग एवं जरावस्था में बांटा जा सकता है। जब कोशिका अपनी विभाजन क्षमता खो देती है तो यह विभेदन की ओर बढ़ जाती है। विभेदन संरचनाएँ प्रदान करता है जो उत्पाद की क्रियात्मकता के साथ जुड़ी होती हैं। कोशिकाओं, ऊतकों तथा सम्बन्धी अंगों के लिये विभेदन के लिए सामान्य नियम एक समान होते हैं। एक विभेदित कोशिका फिर विभेदित हो सकती है या फिर पुनः विभेदित हो सकती है। परिवर्धन वृद्धि एवं विभेदन का योग है।

→ पादप वृद्धि एवं परिवर्धन बाह्य एवं आन्तरिक दोनों कारकों द्वारा नियंत्रित होते हैं। अन्तरकोशिय आन्तरिक कारक रासायनिक तत्व होते हैं जिन्हें पादप वृद्धि नियामक (PGR) कहा जाता है। पौधों में पाँच प्रकार के PGR होते हैं—ऑक्सिन, जिबरेलिंस, साइटोकाइनिन्स, एब्सिसिक अम्ल तथा इथाइलीन। ये PGR पौधों के विभिन्न हिस्सों में उत्पादित किये जाते हैं । ये विभिन्न विभेदन एवं परिवर्धन की घटनाओं को नियंत्रित करते हैं। कोई भी PGR पौधों के कार्यिकी पर प्रभाव डाल सकता है। ठीक इसी प्रकार से ये प्रभाव विविध प्रकार के PGR से प्रकट होते हैं। ये PGR सहक्रियाशील योगवाही अथवा प्रतिरोधात्मक के रूप में कार्य कर सकते हैं। पादप वृद्धि एवं परिवर्धन प्रकाश, तापक्रम, ऑक्सीजन स्तर, गुरुत्व तथा अन्य बाहरी कारकों द्वारा प्रभावित होते हैं।

→ कुछ पादपों में पुष्पन प्रकाश की अवधि (दीप्तिकालिता) पर निर्भर करता है। दीप्तिकालिता के अनुसार पौधे अल्प प्रदीप्तिकाली पौधे, दीर्घ प्रदीप्तिकाली पौधे एवं तटस्थ प्रदीप्तकाली पौधे होते हैं। कुछ पौधे तापक्रम से प्रभावित होकर पुष्पन करते हैं जिसे वसन्तीकरण कहते हैं।

→ कुछ बीज बाह्य वातावरण के अनुकूल होने पर भी अंकुरित नहीं होते, ऐसे बीज प्रसुप्ति काल में होते हैं। प्रसुप्ति का कारण आन्तरिक कारकों पर निर्भर होता है। मोटा बीजचोल, कुछ रसायनों के कारण प्रसुप्ति होती है। इसे यांत्रिक अपघर्षण द्वारा हटाया जा सकता है।

RBSE Class 11 Biology Notes Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 

→ तना प्रकाश की ओर झुकता है तथा वृद्धि अधिक छाया की ओर होती है क्योंकि ऑक्सिन की सान्द्रता छाया की ओर अधिक होती है।

→ मनुष्य का मूत्र ऑक्सिन का प्राकृतिक स्रोत है।

→ आलू के पौधों में अल्प प्रदीप्तकाली अवस्था में कन्द बनते है।

→ पौधे में घावों का भरना ट्रोमेटिन (Traumatin) नामक फाइटोक्रोम के कारण होता है।

→ वृद्धि नापने का यन्त्र ऑक्जेनोमीटर कहलाता है।

→ पादप वृद्धि को सेकण्डों (seconds) में अंकित करने वाला यन्त्र क्रेस्कोग्राफ (Crescograph) कहलाता है।

→ ऑक्सिन ध्रुवीय संवहन (polar transport) दर्शाता है।

→ मेलिक हाइड्राइड (MH) एक वृद्धि रोधक है।

→ जिबरेलिन के प्रयोग से वर्नेलिन का बनना प्रेरित होता है।

Prasanna
Last Updated on July 26, 2022, 5:13 p.m.
Published July 26, 2022