RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन

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RBSE Class 11 Biology Chapter 15 Important Questions पादप वृद्धि एवं परिवर्धन


I. रिक्त स्थानों की पूर्ति के प्रश्न (Fill in the blanks type questions)

प्रश्न 1. 
परिवर्धन दो प्रक्रियाओं का योग है: वृद्धि एवं ......................... ।
उत्तर:
विभेदन

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प्रश्न 2. 
सजीवों के आकार तथा आयतन में स्थायी तथा ......................... परिवर्तन को वृद्धि कहते हैं। 
उत्तर:
अनुत्क्रमणीय

प्रश्न 3. 
संवहन एथा तथा कॉर्क एधा ......................... विभज्योतक के उदाहरण हैं। 
उत्तर:
पायवीय

प्रश्न 4. 
समय की प्रति इकाई के दौरान बढ़ी हुई वृद्धि को ......................... दर कहते हैं। 
उत्तर:
वृद्धि

प्रश्न 5. 
चार घातांकीय वृद्धि को ......................... द्वारा प्रकट किया जा सकता है। 
उत्तर:
W1 = W0ert

प्रश्न 6. 
वृद्धि के लिए जल, ऑक्सीजन एवं ......................... आवश्यक होते हैं। 
उत्तर:
पोषक तत्व

प्रश्न 7. 
पौधों की कुछ सजीव विभेदित कोशिकाएँ विशेष परिस्थितियों में विभाजन की क्षमता पुनः प्राप्त कर सकती है। इस क्षमता को ......................... कहते हैं। 
उत्तर:
निर्विभेदन

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प्रश्न 8. 
शीर्षस्थ प्रभाविता ......................... के कारण होती है। 
उत्तर:
ऑक्सिन्स

प्रश्न 9. 
पौधों में ......................... के प्रभाव से पर्व दीर्धन होता है। 
उत्तर:
जिबरेलिन

प्रश्न 10. 
पौधों में पुष्यन की क्रिया पर तापक्रम के प्रभाव को ......................... कहते हैं।
उत्तर:
बसन्तीकरण। 

II. सत्य व असत्य प्रकार के प्रश्न (True and False type questions) 

प्रश्न 1. 
सजीवों में वृद्धि बाहरी तथा निर्जीव पदार्थों में आन्तरिक होती है। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 2. 
सजीवों के आकार तथा आयतन में स्थायी तथा अनुत्क्रमणीय परिवर्तन जिसके कारण उनके भार में वृद्धि होती है, वृद्धि कहलाती है। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 3. 
पादप वृद्धि प्राय: अपरिमित है। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 4. 
एक ही पौधे में दो प्रकार की पर्ण पाये जाने को प्लास्टिसिटी कहते हैं। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5. 
मानव मूत्र से हेटेरोऑक्सिन प्राप्त किया गया था। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 6. 
शीर्ष कलिका में ऑक्सिन का संश्लेषण न होने से शीर्ष प्रभावित होती है। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 7. 
जिबरेलिन के प्रभाव से पर्व दीर्धन होता है। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 8. 
श्वसन क्लैमेक्टेरिक इथाइलीन की बढ़ी हुई मात्रा के कारण होता है। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 9. 
एसिटिक अम्ल एक स्ट्रेस हार्मोन है। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 10. 
दीप्तिकालिता का अनुभव (संवेदनशील) पुष्प करते हैं। (सत्य/असत्य) 
उत्तर:
असत्य

III. निम्न को सुमेलित कीजिए (Match the following)

स्तम्भ - I में दिये गये पदों का स्तम्भ - II में दिये गये पदों के साथ सही मिलान कीजिए-

प्रश्न 1. 

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. गार्नर तथा एलार्ड

(i) उच्च श्वसन दर

B. इथेफोन

(ii) जीर्णता

C. श्वसन क्लेमेक्टेरिक

(iii) दीप्तिकालिता

D. एसिसिक अम्ल

(iv) कृत्रिम रूप से फलों को पकाने में


उत्तर:

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. गार्नर तथा एलार्ड

(iii) दीप्तिकालिता

B. इथेफोन

(iv) कृत्रिम रूप से फलों को पकाने में

C. श्वसन क्लेमेक्टेरिक

(i) उच्च श्वसन दर

D. एसिसिक अम्ल

(ii) जीर्णता


प्रश्न 2. 

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. संवहन एवं कॉक एधा

(i) लम्बाई में वृद्धि

B. शीर्षस्थ विभज्योतक

(ii) सिग्मोइड ग्राफ

C. वृद्धि दर

(iii) पावीय विभज्योतक

D. Lt = L0 + rt

(iv) अंकगणितीय वृद्धि


उत्तर:

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. संवहन एवं कॉक एधा

(iii) पावीय विभज्योतक

B. शीर्षस्थ विभज्योतक

(i) लम्बाई में वृद्धि

C. वृद्धि दर

(ii) सिग्मोइड ग्राफ

D. Lt = L0 + rt

(iv) अंकगणितीय वृद्धि


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प्रश्न 3.

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. 2,4 - D

(i) जिबरेलिन

B. ऑक्सिन

(ii) कोशिका द्रव्य विभाजन

C. पर्व दीर्धन

(iii) खरपतवार का उन्मूलन

D. साइटोकाइनिन्स

(iv) फसलों के गिरने का विरोध


उत्तर:

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. 2,4 - D

(iii) खरपतवार का उन्मूलन

B. ऑक्सिन

(iv) फसलों के गिरने का विरोध

C. पर्व दीर्धन

(i) जिबरेलिन

D. साइटोकाइनिन्स

(ii) कोशिका द्रव्य विभाजन

 

प्रश्न 4. 

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. शीर्षस्थ प्रभाविता

(i) आनुवंशिकतः बौने पौधों का दीर्धीकरण

B. जिबरेलिन्स

(ii) जीर्णता एवं विलगन

C. एक्सिसिक अम्ल

(iii) इथाइलीन

D. क्लैमेक्टेरिक श्वसन

(iv) ऑक्सिन


उत्तर:

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. शीर्षस्थ प्रभाविता

(iv) ऑक्सिन

B. जिबरेलिन्स

(i) आनुवंशिकतः बौने पौधों का दीर्धीकरण

C. एक्सिसिक अम्ल

(ii) जीर्णता एवं विलगन

D. क्लैमेक्टेरिक श्वसन

(iii) इथाइलीन


प्रश्न 5. 

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. लायसैको

(i) साइटोकाइनिन

B. फ्लोरीजन

(ii) ऑक्सिन

C. कोकोनट मिल्क

(iii) बसन्तीकरण

D. एवीना प्रांकुर चोल

(iv) पुष्प निर्माण वाला हार्मोन


उत्तर:

स्तम्भ - I

स्तम्भ - II

A. लायसैको

(iii) बसन्तीकरण

B. फ्लोरीजन

(iv) पुष्प निर्माण वाला हार्मोन

C. कोकोनट मिल्क

(i) साइटोकाइनिन

D. एवीना प्रांकुर चोल

(ii) ऑक्सिन

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
पौधों में प्राथमिक वृद्धि किसके द्वारा होती है? 
उत्तर:
मूल व स्तम्भ के शिखान पर स्थित विभज्योतक। 

प्रश्न 2. 
वृद्धि के कुछ मापदण्ड बताइये।
उत्तर:
ताजी भार वृद्धि, शुष्क भार, लंबाई क्षेत्रफल, आयतन तथा कोशिकाओं की संख्या।

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प्रश्न 3. 
वृद्धि के चरण बताइये।
उत्तर:
तीन चरण होते हैं - विभज्योतकीय, दीर्धीकरण एवं परिपक्वता।

प्रश्न 4. 
वृद्धि दर किसे कहते हैं?
उत्तर:
समय की प्रति इकाई के दौरान बड़ी हुई वृद्धि को वृद्धि दर कहा जाता है।

प्रश्न 5. 
चरघातांकीय वृद्धि को किस प्रकार प्रकट करते हैं? 
उत्तर:
W1 = W0ert से।

प्रश्न 6. 
ऑक्सिन की खोज किसने व किससे की?
उत्तर:
एफ.डब्ल्यू. वेंट (F.W. Went) ने जई के अंकुर के प्रांकुरचोल शिखर से की थी।

प्रश्न 7. 
किसी वृद्धि निरोधक का नाम लिखिये। 
उत्तर:
एब्सिसिक अम्ल। 

प्रश्न 8. 
पौधों से प्राप्त किये गये दो ऑक्सिन का नाम लिखिये। 
उत्तर:
IAA एवं इनडोल ब्यूटेरिक अम्ल (IBA)।

प्रश्न 9. 
सर्वप्रथम कौन-से जिबरेलिंस की खोज की गई थी? 
उत्तर:
GA3

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प्रश्न 10. 
मूल वृद्धि तथा मूल रोमों को कौन-सा हार्मोन प्रोत्साहित करता है?
उत्तर:
इथोलिन।

प्रश्न 11. 
किसी कृत्रिम वृद्धि संदमक का नाम बताइये व उपयोग बताइये।
उत्तर:
MH (Maleic hydrazide), आलू के भण्डारण के समय छिड़काव किया जाता है।

प्रश्न 12. 
बीज प्रसुप्ति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
कुछ इस प्रकार के बीज जो बाह्य परिस्थितियों के अनुकूल होने पर भी अंकुरित नहीं हो पाते। ऐसे बीज प्रसुप्ति काल में होते हैं। ऐसे बीज आन्तरिक परिस्थितियों के नियंत्रण में होते हैं।

प्रश्न 13.
बीज प्रसुप्ति के क्या कारण हैं? 
उत्तर:
बीज प्रसुप्ति अपारगम्य एवं दृढ़ बीजावरण, एबसिसिक अम्ल, फीनॉलिक अम्ल, पैरा - एसकॉर्थिक अम्ल जैसे रासायनिक निरोधकों की उपस्थिति तथा अपरिपक्व भ्रूण जैसे कुछ कारणों से बीज प्रसुप्ति होती है।

प्रश्न 14. 
बीज प्रसुप्ति को किस प्रकार दूर किया जा सकता है?
उत्तर:
इसे प्राकृतिक एवं कृत्रिम उपायों से दूर किया जा सकता है, जैसे- बीजावरण के अवरोध को चाकू, सैंडपेपर जैसे यांत्रिक अपघर्षण या तीव्र हल्लन द्वारा हटाया जा सकता है। निरोधकों के प्रभाव को द्रुतशीलन परिस्थितियों या जिबरेलिक अम्ल एवं नाइट्रेट्स के उपयोग से भी हटाया जा सकता है।

प्रश्न 15. 
ABA क्या है जिसे स्ट्रेस हॉर्मोन भी कहते हैं? 
उत्तर:
यह एक टपीनॉइड है। 

प्रश्न 16. 
प्रोटीन अपघटन को किस हॉर्मोन द्वारा रोका जा सकता है?
उत्तर:
साइटोकाइनिन। 

प्रश्न 17. 
बीजों के अंकुरण के समय जिबरेलिन किसे प्रेरित करता है?
उत्तर:
जल अपघटनीय एंजाइमों के संश्लेषण को। 

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प्रश्न 18. 
पुष्पीय पौधे किस कारण गति प्रदर्शित करते हैं? 
उत्तर:
वृद्धि एवं स्फीत के कारण।

प्रश्न 19. 
बीजों के अंकुरण का प्रेरण व संदमन किस प्रकाश से होता है?
उत्तर:
क्रमशः लाल प्रकाश व उच्च लाल प्रकाश।

प्रश्न 20. 
वृद्धि दर बनाये रखने के लिये क्या होना चाहिए?
उत्तर:
उपचय की दर अपचय से अधिक होनी चाहिए। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
मेहन्दी की झाड़ियों को अधिक घनी बनाने के लिये माली उनकी शाखाओं के शीर्ष काट देता है, क्यों?
उत्तर:
जब मुख्य स्तम्भ के शीर्ष पर लगी कलिका वृद्धि करती रहती है तो मुख्य स्तम्भ के नीचे लगी पार्श्व कक्षीय कलिकाओं की वृद्धि नहीं हो पाती। इसे शीर्ष प्रमुखता या शिखाग्र प्राधान्यता (apical dominance) कहते हैं। शीर्ष कलिकाओं को काटते ही पार्श्व कलिकायें वृद्धि कर झाड़ियों को सघन बना देती हैं।

प्रश्न 2. 
बसंतीकरण को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
पौधों में शीत - उपचारित पुष्यन को वसंतीकरण कहते हैं। पौधों को पुष्पन से पूर्व शीत ऋतु या निम्न तापक्रम की आवश्यकता होती है, तभी उसमें पुष्प लगते हैं। यदि पौधों को निम्न ताप न मिले तो पौधे में कायिक वृद्धि ही होती रहती है।

प्रश्न 3. 
अल्प प्रदीप्तकाली व दीर्घ प्रदीप्तकाली पादप से क्या आशय है?
उत्तर:
अल्प प्रदीप्तकाली पादप: इस प्रकार के पौधों को निश्चित क्रांतिक दीप्तिकाल से कम अवधि में दीप्तिकाल उपलब्ध होने पर ही पुष्प उत्पन्न होते हैं।
दीर्घ प्रदीजकाली पादप: इनमें पुष्पन के लिये क्रांतिक दीप्तिकाल से दीर्घ अवधि का दीप्तिकाल आवश्यक है, इन्हें दीर्घ प्रदीप्तकाली पादप कहते हैं।

प्रश्न 4. 
वृद्धि हेतु आवश्यक दशाएँ क्या - क्या होती हैं? समझाइये।
उत्तर:
वृद्धि हेतु जल, ऑक्सीजन तथा पोषक तत्व आवश्यक होते हैं। पौधों के बढ़ते आकार को जल की आवश्यकता होती है। वृद्धि हेतु आवश्यक एंजाइमों की क्रियाशीलता हेतु जल एक माध्यम उपलब्ध कराता है तथा ऑक्सीजन उपापचयी ऊर्जा को मुक्त करने में मदद करती है। पौधों द्वारा पोषकों (स्थूल एवं सूक्ष्म आवश्यक तत्व) की आवश्यकता जीवद्रव्य के संश्लेषण तथा ऊर्जा के स्रोत के रूप में काम करने के लिये होती है।

इसके अतिरिक्त प्रत्येक पादप जीव के लिये इष्टतम ताप परिसर होता है, जो उसकी वृद्धि के लिये अत्यंत ही अनुकूल होता है। इस ताप के दायरे से किसी प्रकार का विलगाव उसकी उत्तरजीविता के लिये हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही प्रकाश एवं गुरुत्वाकर्षण भी वृद्धि की कुछ अवस्थाओं या चरणों को प्रभावित करता है।

प्रश्न 5. 
वृद्धि की कौन - कौन सी प्रावस्थायें हैं? 
उत्तर:
वृद्धि की मुख्य रूप से तीन प्रावस्थायें होती हैं - 

  1. कोशिका निर्माण अवस्था: इस अवस्था में विभज्योतकी कोशिकायें विभाजित होकर, नई कोशिकायें बनाती हैं।
  2. कोशिका दीधीकरण अवस्था: विभज्योतकी से बनी कोशिकाएं लम्बाई, चौड़ाई व आयतन में वृद्धि कर, अपने आकार को बढ़ाती हैं तथा
  3. कोशिका परिपक्वन अवस्था: दीर्घाकृत कोशिकाएं अपनी कोशिका भित्ति पर विभिन्न प्रकार के स्थूलीकरण के फलस्वरूप स्थायी ऊतक बनाती हैं।

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प्रश्न 6. 
इथाइलीन (Ethylene ) के कार्यों का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
इथाइलीन (Ethylene): इथाइलीन एक प्राकृतिक गैसीय हॉर्मोन है। पौधे के लगभग सभी भाग इथाइलीन निर्मित करते हैं। सामान्यत: इसकी उच्च सान्द्रता पत्तियों, सुषुप्त कलिकाओं व पुष्पों में पाई जाती है। फलों के पकने के साथ ही इथाइलीन का निर्माण भी बढ़ जाता है। इसकी बहुत कम मात्रा (0.1 ppm) भी पौधों में प्रभावकारी होती है। इथाइलीन के निम्न प्रभाव होते हैं -

  1. इसके प्रभाव से जड़ की उत्पत्ति, पार्श्व मूलों का निर्माण, मूल रोमों का निर्माण आदि प्रेरित होते हैं। अपस्थानिक जड़ों का निर्माण बढ़ जाता है तथा पादप में क्षैतिज वृद्धि बढ़ जाती है। इसके प्रभाव से प्ररोह व मूल की लम्बाई में वृद्धि संदमित होकर इनकी मोटाई में वृद्धि होती है।
  2. यह लम्बाई रोधक तथा तने के फूलने में सहायक एवं द्विबीजी नवोद्भिदों में अंकुश संरचना को प्रभावित करती है।
  3. यह जरावस्था या जीर्णावस्था (senescence) एवं विलगन (abscission) को मुख्यतः फलों व पत्तियों में बढ़ाती है।
  4. यह फलों को पकाने में अधिक प्रभावी है। फलों के पकते समय इथाइलीन की मात्रा बढ़ जाती है। इसी समय श्वसन की दर अचानक बढ़ी हुई पायी जाती है। इसे श्वसन क्लैमेक्टेरिक (respiratory climacteric) कहते हैं। 
  5. यह बीज तथा कलिका प्रसुप्ति को तोड़ती है, मूंगफली के बीज में अंकुरण को प्रारम्भ करती है तथा आलू के कंदों को अंकुरित करती है। 
  6. यह गहरे पानी के धान के पादपों में पर्णवन्त को तीव्र दीर्धीकरण के लिए प्रोत्साहित करता है। यह पत्तियों तथा प्ररोह के ऊपरी भाग को पानी के ऊपर रखने में मदद करता है।
  7. यह अनन्नास को फूलने तथा फल समकालिता (एक साथ फल लगने को) में सहायता करता है। आम को पुष्पित होने में प्रेरित करता है।
  8. यह अनेकानेक कार्थिकी प्रक्रियाओं को नियमित करता है। यह कृषि में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला PGR है।

आजकल इथेफोन (2, chloroethyl phosphoric acid) को कृत्रिम रूप से फलों को पकाने में काम लिया जाता है। इस पदार्थ से इथाइलीन गैस निकलती है जो फलों को पकाने के काम में आती है। भारत सहित अनेक देशों में फलों (आम, अंगूर, केला, पपीता, टमाटर आदि) को पकाने के लिए इथेफोन का प्रयोग औद्योगिक स्तर पर किया जा रहा है। इस प्रकार से पके फल रंग, रूप और सुगन्ध में प्राकृतिक फलों जैसे लगते हैं। इथाइलीन मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि करती है तथा नर पुष्यों की संख्या को कम करती है (जैसे खीरा में)।

प्रश्न 7. 
एसिसिक अम्ल के कार्यों को समझाइये।
उत्तर:
एसिसिक अम्ल (Abscissic acid or ABA)- पौधों की वृद्धि एवं परिवर्धन के पूर्ण सन्तुलन एवं नियन्त्रण हेतु वृद्धि वर्धक और वृद्धि रोधक दोनों प्रकार के पदार्थ आवश्यक हैं। इन दोनों प्रकार के पदार्थों को वृद्धि नियामक (growth regulator) पदार्थ कहते हैं। एविससिक अम्ल वृद्धि रोधक होता है।
यह अम्ल पौधों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। यह पादपों की प्रतिकूल वातावरणीय परिस्थितियों का सामना करने में सहायता करता है अतः इसे स्ट्रेस हॉर्मोन (stress hormone) भी कहते हैं।

कार्न्स एवं एडिकोट ने कपास के पुष्यों की कलियों से एक पदार्थ निकाला जिसका उन्होंने एसिसिन नाम रखा। इस पदार्थ का किसी भी पौधे पर छिड़काव करने से पत्तियों में विलगन हो जाता था। इसी प्रकार अन्य वैज्ञानिकों ने काष्ठीय पौधों की पत्तियों से डोमिन (Dormin) नामक पदार्थ प्राप्त किया जो कलियों की वृद्धि और बीजों के अंकरण का रोधन करता था। बाद में ज्ञात हुआ कि डोर्मिन और एचिमसिन एक ही पदार्थ हैं और इनका नाम एक्सिसिक अम्ल रखा गया। इसके निम्न कार्यिकीय प्रभाव होते हैं- 

  1. ABA पत्तियों में विलगन (abscission) उत्पन्न करता है। यह कलियों की वृद्धि को तथा बीजांकुरण को रोककर प्रसुप्तावस्था बनाये रखता है। 
  2. यह जीर्णता (senescence) को प्रेरित करता है। इस प्रक्रिया में प्रोटीन, क्लोरोफिल तथा RNA का तीव्र हास होता है।
  3. ABA कोशिका विभाजक एवं कोशिका परिवर्धन को अवरुद्ध करता है।
  4. यह रन्धों को बन्द करने में प्रभावी होता है जिससे वाष्पोत्सर्जन, की दर कम हो जाती है।

अतः पादपों की वृद्धि, विभेदन तथा परिवर्धन के लिये एक या अन्य PGR कुछ न कुछ भूमिका निभाते हैं। PGR की भूमिका एक तरह के आन्तरिक नियन्त्रण में है। अनेक बाहा कारक जैसे कि प्रकाश एवं तापक्रम पौधे की वृद्धि एवं परिवर्धन को PGR के माध्यम से नियंत्रित करते हैं। इन घटनाओं के उदाहरण बसंतीकरण पुष्पन, प्रसुप्तीकरण, बीज अंकुरण, पौधों में गति आदि हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
दीप्तिकालिता से आप क्या समझते हैं? दीप्तिकालिता के आधार पर पौधों की विभिन्न श्रेणियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पुष्पीय पादपों में निश्चित समय तक कायिक वृद्धि होने के बाद पादप जनन अवस्था में प्रवेश करते हैं व उनमें पुष्पन क्रिया प्रारम्भ हो जाती है। पादप के कायिक अवस्था से पुष्पन अवस्था में प्रवेश को अनेक कारकों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसमें से एक प्रमुख कारक प्रकाश की अवधि अर्थात् दीप्तिकालिता है।

दीप्तिकालिता का अध्ययन गार्नर तथा एलार्ड (Gamer and Allard) ने किया था। वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि पुष्पन को प्रभावित करने वाला क्रान्तिक कारक (critical factor) प्रकाश काल की अवधि है। दिन की वह लम्बाई जो पौधों में पुष्पन के लिये अनुकल हो तथा दिन की आपेक्षित लम्बाई अथवा आपेक्षिक दीप्तिकाल के प्रति पौधे की अनुक्रिया को दीप्तिकाल कहते हैं। अन्य परिभाषानुसार प्रकाश तथा अन्धकार अवधियों के अन्तरालों के प्रति पौधों की अनुक्रिया को दीप्तिकालिता कहते हैं।

दीप्तिकालिता अनुक्रियाओं के आधार पर पौधों को निम्न वर्गों में विभक्त किया गया है-

  1. अल्प दीप्तिकाली पादप या लघु दिवस पादप (Short day plants SDP): ऐसे पादप जो निश्चित क्रान्तिक दीप्तिकाल (critical photoperiod) से कम अवधि में दीप्तिकाल उपलब्ध होने पर पुष्पन करे, लघुदिवस पादप कहलाते हैं, उदा. गन्ना, डहेलिया आदि।
  2. दीर्घ दीप्तिकाली पादप या दीर्घ दिवस पादप (Long day plants = LDP): वे पादप जिनमें पुष्पन के लिये क्रान्तिक दीप्तिकाल से दीर्ष अवधि का दीप्तिकाल आवश्यक हो, दीर्घ दिवस पादप कहलाते हैं। उदा. पालक, मूली, चुकंदर आदि।
  3. तटस्थ प्रदीप्तकाली या दिवस उदासीन या निरपेक्ष पादप (Day neutral plants): वे पौधे जो लगभग सभी सम्भव दीप्तिकालों में पुष्पीकरण कर सकते हैं, दिवस उदासीन पौधे कहलाते हैं। उदा. टमाटर, ककड़ी, कपास आदि।

दीप्तिकाल का अनुभव पत्तियाँ करती हैं। परिपक्व पत्तियाँ दीप्तिकालिता के लिये, युवा और वृद्ध पत्तियों की तुलना में, अधिक संवेदनशील होती हैं। दीप्तिकालिता में पत्तियों में पाया जाने वाला फाइटोक्रोम (Phytochrome) वर्णक, प्रकाश का अवशोषण करता है और पुष्प निर्माण करने वाले हॉमोन फ्लोरीजन (Florigen) का संश्लेषण करता है।
RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 1

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प्रश्न 2. 
वृद्धि हॉर्मोन ऑक्सिन, जिबरेलिन व साइटोकाइनिन के कार्यों का विस्तार से विवरण दीजिए।
उत्तर:
ऑक्सिन्स (Auxins): इस शब्द को ग्रीक शब्द आक्सेन (अर्थात् बढ़ना) से लिया गया है। सर्वप्रथम मानव के मूत्र से ऑक्सिन a (auxentriolic acid) पृथक् किया गया। जिन हार्मोन्स में वृद्धि करने की क्षमता होती है, उनके लिए ऑक्सिन्स शब्द का प्रयोग किया जाता है। बाद में अंकुरित होने वाले मक्के के दाने से मिलने वाले तेल (com germ oil) से ऑक्सिन bauxenolonic acid) और पुनः मनुष्य के मूत्र से हेटेरोऑक्सिन (heteroauxin) अलग किये गये। हेटेरोऑक्सिन को इण्डोल - 3 - ऐसिटिक अम्ल (Indole - 3 - Acetic acid) कहा जाता है। यह पौधों में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला मुख्य ऑक्सिन है। कुछ अन्य प्राकृतिक ऑक्सिन हैं - इण्डोल - 3 - ऐसीटेल्डिहाइड, इण्डोल - 3 - पाइरुविक अम्ल इत्यादि। इसके अतिरिक्त संश्लेषित रासायनिक यौगिक भी ऑक्सिन की जैसे कार्य करते हैं। इनमें से मुख्य हैं - इण्डोल ब्यूटाइरिक अम्ल, α और ß नैथैलिन ऐसेटिक अम्ल, फिनाइल ऐसिटिक अम्ल, 2 - 4 डाइक्लोरोफिनोक्सी ऐसिटिक अम्ल (2,4 D), 2, 4, 5 ट्राइक्लोरोफिनोक्सी ऐसिटिक अम्ल इत्यादि।

पौधों में ऑक्सिन सभी स्थानों पर पाये जाते हैं किन्तु वृद्धि बिन्दुओं पर इसकी सान्द्रता अधिक होती है। इनका निर्माण सक्रियता से विभाजन करती हुई कोशिकाओं में होता है। इनका स्थानान्तरण ऊपर से नीचे की ओर या तलाभिसारी क्रम में धूवीय होता है। ये प्रायः स्तम्भ व मूल शीर्ष पर बनते हैं तथा वहाँ से क्रियाशीलता वाले भाग में आते हैं। 

ऑक्सिन्स के प्रभाव (Effects of auxins):
क्सिन की सान्द्रता का पौधों के विभिन्न भागों की वृद्धि पर निम्न प्रकार से प्रभाव होता है -
1. शीर्षस्थ प्रभाविता (Apical dorminance): शीर्षस्थ कलिका की उपस्थिति में पार्श्व अथवा कक्षस्थ कलिकाओं की वृद्धि पूर्णत: अथवा आंशिक रूप से निरुद्ध रहती है। इसे शीर्षस्थ प्रभाविता कहते हैं। शीर्ष कलिका द्वारा ऑक्सिन का संश्लेषण होता है जो नीचे की ओर स्थानान्तरित हो जाता है। इसके कारण पार्श्व कलिकाओं की वृद्धि संदमित हो जाती है। यदि शीर्षस्थ कलिका को हटा दिया जाए तो पार्श्व या कक्षस्थ कलिकाएँ विकसित होने लगती हैं (चित्र 15.14)। यह बात व्यापक रूप से चाय रोपण एवं बाड़ बनाने (हेज लगाने) में उपयोग की जाती है।

2. अनिषेकफलन (Parthenocarpy): संतरा, नींबू, अंगूर, केला आदि में बिना परागण के भी फलों का विकास हो सकता है। ये फल बीजरहित (seedless) होते हैं। यदि कली अवस्था में पुष्पों से पुंकेसरों को निकालकर वर्तिकान के ऊपर ऑक्सिन का छिड़काव कर दिया जाए तब बीजरहित फल बन जाते हैं।

3. प्रसुप्तावस्था नियन्त्रण (Control of dormancy): आलू के कन्द वर्ष भर प्राप्त होते रहते हैं, इसके लिए आवश्यक है कि उसका संग्रह इस प्रकार किया जाए कि कन्द की कलिकाओं का प्रस्फुटन न होने पाए। प्रस्फुटन होने से कन्द में संचित मण्ड समाप्त हो जाता है। ऑक्सिन का विलयन कन्द पर छिड़कने से कलिकाओं का प्रस्फुटन रुक जाता है तथा उन्हें लम्बे समय तक संग्रह किया जाता है।
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4. खरपतवार का उन्मूलन (Eradication of weeds): खेतों में प्राय: अनावश्यक पौधे उग जाते हैं। ये पौधे जल, खनिज इत्यादि पदार्थों के लिये फसल से प्रतियोगिता करने लगते हैं और फसल की अच्छी वृद्धि नहीं हो पाती। हार्मोन के द्वारा इन अनावश्यक पौधों को नष्ट किया जा सकता है। इस कार्य के लिए 2, 4 - D (2,4 Dichlorophenoxy acctic acid) नामक ऑक्सिन विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हुआ है।

5. फसलों के गिरने का निरोध (Prevention of lodiging): अनेक फसलें जैसे गेहूँ में दुर्बल तने दुर्बलता के कारण तेज हवा चलने पर. पौधा जड़ के पास से मुड़ जाता है। ऑक्सिन का विलयन छोटे पौधों के ऊपर छिड़कने से पौधों का नीचे का भाग शक्तिशाली हो जाता है और हवा में गिरने की कम सम्भावना रहती है।

6. कटे तनों पर जड़ विभेदन (Root differentiation on stem cutting): अनेक पौधे, जैसे- गुलाब में कलम लगाकर नया पौधा तैयार किया जाता है। यदि गुलाब की कलम के निचले सिरे को ऑक्सिन के घोल में डुबोकर गमले में लगाया जाए तो कटे भाग पर शीघ्र ही जड़ें निकल आती हैं। इस कार्य के लिये इण्डोल ब्यूटाइरिक अम्ल (IBA) विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध हुआ है।

7. पुष्यों की सघनता कम करना (Thinning of flowers): कुछ वृक्षों जैसे आम की कुछ किस्मों में एक वर्ष अत्यधिक पुष्प बनते हैं जिससे फलों की संख्या तो अधिक होती है परन्तु वे आकार में छोटे रह जाते हैं। इन वृक्षों में दूसरे वर्ष में पुष्पों की संख्या कम रह जाती है। NAA का छिड़काव करके पुष्पन क्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है।

8. पों का लघुकरण (Shortening of intermodes): नाशपाती, सेब आदि में लघु शाखाओं पर ही फलों का निर्माण होता है। इन पौधों में NAA के छिड़काव द्वारा दीर्घ शाखाओं के पों को लघुकरण करके लघु शाखाओं की संख्या में वृद्धि की जा सकती है।

9. अपरिपक्व फलों को झड़ने से रोकना (Prevention of premature fruit fall): सेब, नींबू, आम, टमाटर इत्यादि में वन्त के आधार पर बिलगन परत (abscission layer) बनने के कारण ये अपरिपक्व अवस्था में झड़ जाते हैं। 2, 4 - D, IAA, IBA इत्यादि के छिड़काव द्वारा उन्हें अपरिपक्व अवस्था में झड़ने से रोका जा सकता है।

10. ऊतक संवर्धन (Tissue culture): ऑक्सिन के अनुप्रयोग से ऊतकों व अंगों का कृत्रिम संवर्धन व्यापक रूप से किया जाता है। ऑक्सिन मूल निर्माण तथा कैलस विभेदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

11. अनन्नास में पुष्पन एवं फलन (Flowering and fruiting in pineapple): अनन्नास में फल निर्माण के समय को कम करके वर्ष भर उसमें पुष्पन एवं फलन कराया जा सकता है। NAA, 2, 4 - D इसमें सहायक है। इनसे लीची में भी पुष्पन कराया जा सकता है।

जिबरेलिन्स (Gibberellins): विभिन्न कवकों एवं उच्च पादपों से अब तक 100 से अधिक प्रकार के जिबरेलिन प्राप्त किये जा चुके हैं। इनको GA1, GA2, GA3, ......... GA100 आदि नामों से जाना जाता है। इनमें GA3, सबसे पहले खोजे जाने वाले तथा सामान्य रूप से पाये जाने वाले जिबरेलिन में से एक है।
RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 3
रासायनिक दृष्टि से जिबरेलिन, जिबरेलिक अम्ल (Gibberellic acid) होते हैं। इनमें एक गिबेन वलय (Gibbane ring) पाया जाता है। कुछ में गिबेन वलयों में 19 कार्बन तथा कुछ अन्य में 20 कार्बन परमाणु पाए जाते हैं।

जिबरेलिन के कार्यिकीय प्रभाव (Physiological effect of gibberellins):
1. पर्व दीर्घन (Internode elongation): जिबरेलिन पौधे में पर्व दीर्धन द्वारा पौधे की लम्बाई में वृद्धि को प्रेरित करते हैं। इस प्रकार ये अक्ष की लम्बाई बढ़ाते हैं। इनका उपयोग अंगूर के डंठल बढ़ाने में किया जाता है। जिबरेलिन्स सेब जैसे फलों को लम्बा बनाते हैं। यह पत्तियों के आकार में वृद्धि को भी प्रेरित करते हैं। GA3 को शराब उद्योग में मार्टिग (malting) की गति बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है। गन्ने के तने में कार्बोहाइड्रेट्स शर्करा के रूप में एकत्र रहता है। गन्ने की खेती में जिबरेलिन्स छिड़कने पर तनों की लम्बाई बढ़ती है, जिससे उत्पादन अधिक होता है।

2. बीजांकुरण (Seed germination): कुछ खाद्यान्नों के बीज मृदा से जल अवशोषित कर फूल जाते हैं। इनके भ्रूण जिबरेलिन संश्लेषण करते हैं जो एल्यूरोन परत (aleurone layer) में विसरित हो जाते हैं। यह α - एमाइलेज (α - amylase), प्रोटोएज (Protease), लाइपेज (lipase) तथा राइबोन्यूक्लिएज (ribomuclease) आदि एंजाइमों के संश्लेषण को प्रेरित करता है। ये एंजाइम भूणपोष में उपस्थित खाद्य पदार्थों का अपघटन (hydrolysis) कर देते हैं। इस प्रकार पाचन के बाद बने उत्पाद भ्रूण की वृद्धि में काम आते हैं।

3. आनुवंशिकतः बौने पौधों का दीर्धीकरण (Elongation of genetically dwarf plants): आनुवंशिकत: बौने पौधे में जिबरेलिन का निर्माण जीन की क्रियाशीलता पर निर्भर होता है। जब अप्रभावी जीन जिबरेलिन के निर्माण को रोक देती है तब पौधों में जिबरेलिन की यह कमी, जिबरेलिन देकर पूरी की जा सकती है। चुकन्दर, पत्ता गोभी, गाजर आदि के पौधे अत्यधिक बौने होते हैं अर्थात् इनमें रोजेट स्वभाव (rosette habit) होती है। इन्हें जिबरेलिन है। इस क्रिया को बोल्टिंग (bolting) कहते हैं।
RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 4

4. प्रसुप्ति भंग करना (Breaking of dormancy): अनेक वृक्षों की कलिकाओं तथा बीजों में पाई जाने वाली प्रसुप्ति को जिबरेलिन की उच्च सान्द्रता के द्वारा निष्प्रभावी किया जा सकता है।

5. शीत उपचार का प्रतिस्थापन (Substitution for cold treatment): कुछ द्विवर्षी पौधों में पुष्पन के लिए शीतकाल के कम तापमान की आवश्यकता होती है। जिबरेलिन देने से इन पौधों को शीतकाल के प्राकृतिक तापमान की आवश्यकता नहीं होती और वह केवल एक वर्ष में ही पुष्पन कर लेते हैं।

6. दीर्घ प्रदीप्तिकाली पौधों में पुष्पन (Flowering in long day plants): जिबरेलिन देने से दीर्घ प्रदीप्तिकाली पौधों में लघु अवधि (short photoperiod) में भी फूल बनने लगते हैं।

7. अनिषेकफलन (Parthenocarps): टमाटर, सेब, नाशपाती (near) आदि जैसे फलों में अनिषेकफलन जिबरेलिन द्वारा ऑक्सिन की अपेक्षा अधिक सुलभता से किया जा सकता है। इन्हें मुख्यत: बीजरहित अंगूरों (seedless grapes) को बनाने के काम में उपयोग में लाया जाता हैं। इसके अतिरिक्त पौधों में पुंजननता (maleness) का विकास करने में भी जिबरेलिन का उपयोग किया जाता है। जिबरेलिन के छिड़काव से किशोर शंकुवृक्षों में परिपक्वता तीव्र गति से होती है व बीज जल्दी तैयार हो जाता है।

साइटोकाइनिन्स (Cytokinins): साझ्येकाइनिन्स अपना विशेष प्रभाव साइटोकाइनेसिस (cytokinesis, कोशिकाद्रव्य विभाजन) पर डालते हैं। इसे काइनेटिन (एडिनिन का रूपान्तरित रूप एक प्युरीन) के रूप में आटोक्लेबङ्ग हेरिंग (एक मछली) के शुक्राणु से खोजा गया था।
नारियल का पानी भी कोशिका विभाजन करने में समर्थ पाया गया, यह नारियल का भूणपोष (endosperm) होता है। इसमें काइनेटिन जैसे अनेक पदार्थ होते हैं। लीथम एवं मीलर ने मक्का के अपरिपक्व बीजों से एक पदार्थ विमुक्त किया जिसका नाम जिएटिन (Zeatin) रखा। प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले साइटोकाइनिन में जिएटिन सर्वाधिक सक्रिय माना जाता है। साइटोकाइनिन का संश्लेषण पादपों में उन स्थानों में होता है जहाँ कोशिकाएं विभाजित होती रहती हैं, जैसे कि प्ररोह शीर्ष, मूल शीर्ष, विकासशील कलिकाएँ, तरुण फल इत्यादि। 

पौधों में साइटोकाइनिनन के निम्न प्रभाव दिखाई देते हैं - 
1. ये कोशिका विभाजन को प्रेरित करते हैं।

2. ये कोशिकाओं के दीर्धन को प्रेरित करते हैं। तम्बाकू की मूल कोशिकाएँ साइटोकाइनिन के प्रभाव से सामान्य की तुलना में चार गुना अधिक दीर्षित पाई गई।

3. इनका प्रभाव कोशिका विभेदन में भी होता है। ऑक्सिन के साथ मिलकर ये पौधों के कुछ अंगों के निर्माण को नियंत्रित करते हैं। उदाहरणार्थ यदि तम्बाकूकी मज्जा (pith) कोशिकाओं का संवर्धन ऐसे माध्यम में किया जाता है जिसमें शर्करा एवं खनिज लवण उपस्थित हों तब कैलस (अविभेदित कोशिकाओं का समूह) का विकास होता है। किन्तु यदि माध्यम में साइटोकाइनिन और ऑक्सिन का अनुपात बदलता रहे तब जड़/प्ररोह अर्थवा दोनों को विकसित किया जा सकता है। जब माध्यम में साइटोकाइनिन की मात्रा अधिक व ऑक्सिन की कम हो तो प्ररोह का विकास होता है। साइटोकाइनिन की मात्रा कम व ऑक्सिन की अधिक होने पर केवल जड़ों का विकास होता है। संवर्धन के ये प्रयोग आनुवंशिक इंजीनियरिंग में बहुत लाभदायक हैं क्योंकि नई किस्म के पौधे उत्पन्न करने में कोशिका संवर्धन काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है।

4. साइटोकाइनिन शीर्षस्थ प्रभाविता को कम करने तथा जीर्णता को स्थगित करने में सक्षम होता है।

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प्रश्न 3. 
निम्नलिखित में अन्तर बताइये 
(क) ऑक्सिन तथा जिबरेलिन 
(ख) वसन्तीकरण तथा दीप्तिकालिता।
उत्तर:
(क) ऑक्सिन तथा जिबरेलिन में अन्तर

ऑक्सिन (Auxin)

जिबरेलिन (Gibberellin)

1. यह शीर्ष प्रमुखता (apical dominance) को बढ़ाता है।

शीर्ष प्रमुखता पर कोई प्रभाव नहीं होता है।

2. ऑक्सिन को अधिक सान्द्रता से जड़ की वृद्धि निरुद्ध हो जाती है।

जिबरेलिन से जड़ की वृद्धि पर कोई प्रभाव नहीं होता है।

3. ऑक्सिन पुष्पन को प्रभावित नहीं करती है।

इससे वसन्तीकृत तथा दीर्घ प्रदीप्तकाली पौधों में पुष्पन की क्रिया तेज होती है।

4. यह बीज के अंकुरण तथा प्रसुप्ति को प्रभावित नहीं करती है।

यह बीज के अंकुरण को तीव्र करती है तथा प्रसुप्तिकाल को तोड़ती है।

5. यह मटर के बौने कटे पौधों (excised plant) में वृद्धि करती है परन्तु साबुत (intact) पौधे में नहीं।

यह बौने पौधे को लम्बा करती है परन्तु कटे हुए तने (stom cutting) पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता है।


(ख) वसन्तीकरण तथा दीप्तिकालिता में अन्तर

वसन्तीकरण (Vermalization)

दीप्तिकालिता (Photoperiodism)

1. इस क्रिया में पुष्पन तापमान से प्रभावित होता है तथा बीजों को शीत उपचार (cold treatment) देते हैं।

इस क्रिया में पुष्पन दीप्तिकाल से प्रभावित होता है। पौधे अल्प प्रदीप्तकाली तथा दीर्घ प्रदीप्तकाली होते हैं।

2. इस क्रिया में पौधे पुष्पन के लिये तैयार होते हैं।

इस क्रिया में पौधे पुष्पन की क्रिया दर्शाते हैं।

3. इसका उद्दीपन (stimulus) प्ररोह शीर्ष, भूण के शीर्ष की कोशिकाओं से प्राप्त होता है।

इसका उद्दीपन पत्तियों से प्राप्त होता है।

4. यह वनेंलिन (Vermalin) के कारण होता है।

यह फ्लोरीजन (Florigen) के कारण होता है।

5. ग्राफ्टिंग के द्वारा उद्दीपन एक से दूसरे पौधे में स्थानान्तरित नहीं किया जा सकता है।

ग्राफ्टिंग के द्वारा उद्दीपन एक पौधे से दूसरे पौधे में स्थानान्तरित किया जा सकता है।

6. वसन्तीकरण की क्रिया अधिक तापमान से प्रतिवर्तनीय (reversible) है।

एक बार मिला उद्दीपन प्रतिवर्तनीय नहीं है।

7. उद्दीपन को ग्रहण करने वाले ग्राह्य का अभी ठीक से पता नहीं है।

उद्दीपन फाइटोक्रोम (Phytochrome) द्वारा ग्रहण किया जाता है।

 

प्रश्न 4. 
ऑक्सिन, जिबरेलिन और साइटोकाइनिन हॉरमोन के कार्यों का तुलनात्मक विवरण लिखिये। 
उत्तर:
ऑक्सिन, जिबरेलिन और साइटोकाइनिन हॉरमोन के कार्यों का तुलनात्मक विवरण - 

कार्य

ऑक्सिन

जिबरेलिन

साइटोकाइनिन

1. संरचना विकास

प्रेरित नहीं करता है।

प्रेरित नहीं करता है।

प्रेरित करता है।

2. कोशिका विभाजन

सामान्यतया प्रेरित नहीं करता है।

सामान्यतया प्रेरित नहीं करता है, परन्तु कभी - कभी प्रेरित करता है।

सदैव प्रेरित करता है।

3. कोशिका दीर्धीकरण

प्रेरित करता है।

प्रेरित करता है, परन्तु दीर्धीकरण के साथ - साथ कोशिका विभाजन भी करता है।

प्रेरित नहीं करता है।

4. मूल का बनना

प्रेरित करता है।

प्रेरित नहीं करता है।

प्रेरित नहीं करता है।

5. बौने पादपों का विकास

नहीं करता है।

करता है।

नहीं करता है।

6. शीर्ष प्रभाविकता

करता है।

नहीं करता है।

नहीं करता है।

7. अनिषेक फलन

प्रेरित करता है।

प्रेरित करता है।

प्रेरित नहीं करता है।

8. प्रसुप्ति

प्रेरित करता है।

प्रेरित नहीं करता है।

प्रेरित नहीं करता है।

9. α - एमाइलेज सक्रियता

उद्दीप्त नहीं करता है।

उद्दीप्त करता है।

उद्दीप्त नहीं करता है।


विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न

प्रश्न 1. 
पादपों में प्रारूपिक वृद्धि वक्र कैसा है?
(a) हाइपरबोला कर्व 
(b) J - आकार का कर्व
(c) सिगमोइड कर्व 
(d) पैराबोला कर्व 
उत्तर:
(c) सिगमोइड कर्व 

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प्रश्न 2. 
नीचे दिया ग्राफ वृद्धि पैमाने एवं समय के बीच आलेखित किया गया है। इस ग्राफ में A, B, C क्रमश: हैं-
RBSE Class 11 Biology Important Questions Chapter 15 पादप वृद्धि एवं परिवर्धन 5
(a) चरघातांकी प्रावस्था (Exponential phase), लॉग प्रावस्था (Log phase) तथा स्थिर चरण प्रावस्था (Steady state phase) 
(b) स्थिर चरण प्रावस्था (Steady state Sices phase), लॉग प्रावस्था (Log phase) तथा लैग प्रावस्था (Lag phase) 
(c) मंद वृद्धि प्रावस्था (Slow growing phase), लैग प्रावस्था (Lag phase) तथा स्थिर चरण प्रावस्था (Steady state phase) 
(d) लैंग प्रावस्था (Lag phase), स्थिर चरण प्रावस्था (Steady state phase) तथा लघु गुणक प्रावस्था (Logrithmic phase) 
(e) लैग प्रावस्था (Lag phase), लॉग प्रावस्था (Log phase) तथा स्थिर चरण प्रावस्था (Steady state phase) 
उत्तर:
(b) स्थिर चरण प्रावस्था (Steady state Sices phase), लॉग प्रावस्था (Log phase) तथा लैग प्रावस्था (Lag phase) 

प्रश्न 3. 
बीजों में प्रसुप्ति किसके द्वारा हटाई जाती है-
(a) ऑक्सिन
(b) जिबरेलिन 
(c) इथाइलीन
(d) साइटोकाइनिन
उत्तर:
(b) जिबरेलिन 

प्रश्न 4. 
डॉ. एफ. बेन्ट ने निरीक्षण किया कि यदि प्रांकुर चोल को अलग कर उसे एक घण्टे के लिए अगार में रखा जाये तो अगार एक उत्पन्न करेगा यदि उसे ताजे कटे हुए प्रांकुर चोल ढूंठ के एक ओर स्थापित किया जाये। इस प्रयोग का क्या महत्त्व है?
(a) यह इस परिकल्पना का समर्थन करता है कि IAA ऑक्सिन
(b) यह ऑक्सिन के ध्रुवीय गमन को दर्शाता है
(c) इससे ऑक्सिन का पृथक्करण और सही पहचान सम्भव हुआ
(d) यह वृद्धिप्रोत्साहक पदार्थों की कम मात्रा के मात्रात्मक निर्धारण का आधार है 
उत्तर:
(c) इससे ऑक्सिन का पृथक्करण और सही पहचान सम्भव हुआ

प्रश्न 5. 
चाय बागानों में बहुधा प्रयोग किया जाने वाला एक पादप वर्धीकर हॉर्मोन कौनसा है?
(a) इथाइलीन
(b) एब्सिसिक अम्ल 
(c) जियेटिन
(d) इण्डोल - 3 - ऐसिटिक अम्ला 
उत्तर:
(d) इण्डोल - 3 - ऐसिटिक अम्ला

प्रश्न 6. 
फल और पत्तियों के समय पूर्व झड़ने को किसके उपयोग द्वारा रोका जा सकता है?
(a) GA3
(b) NAA/ऑक्सीजन 
(c) इथाइलीन
(d) जियेटिन 
उत्तर:
(b) NAA/ऑक्सीजन 

प्रश्न 7. 
ऑक्जिन के लिए जैव विश्लेषण (Bioussay) होता है-
(a) एवीना कर्वेचर टेस्ट 
(b) ग्रीन लीफ टेस्ट
(c) इवार्फ मेज टेस्ट 
(d) कोशिका विभाजन टेस्ट 
उत्तर:
(a) एवीना कर्वेचर टेस्ट

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प्रश्न 8. 
'एवीना प्रांकुर चोल परीक्षण' किसकी उपस्थिति ज्ञात करने के लिये किया जाता है?
(a) IAA
(b) GA 
(c) NAA
(d) BA 
उत्तर:
(a) IAA

प्रश्न 9. 
आपको एक कृत्रिम माध्यम में विभेदन की क्षमता वाला एक ऊतक दिया गया है। प्ररोहों और जड़ों दोनों को प्राप्त करने के लिए आप माध्यम में निम्नलिखित में से हॉर्मोनों के किस युग्म को मिलायेंगे?
(a) जिबरेलिन और एब्सिसिक अम्ल 
(b) IAA और जिबरेलिन 
(c) ऑक्सिन और साइटोकाइनिन
(d) ऑक्सिन और एसिसिक अम्ल 
उत्तर:
(c) ऑक्सिन और साइटोकाइनिन

प्रश्न 10. 
जिनेलिनों से बीजांकुरण का प्रोन्नयन हो सकता है क्योंकि इनसे
(a) कोशिका विभाजन की दर प्रभावित होती है 
(b) जलअपघटनी एन्जाइमों का बनना प्रभावित होता है 
(c) एसिसिक अम्ल का संश्लेषण प्रभावित होता है
(d) कड़े बीज आवरण में से जल का अवशोषण होता है 
उत्तर:
(b) जलअपघटनी एन्जाइमों का बनना प्रभावित होता है 

प्रश्न 11. 
सायटोकाइनिन एक हॉर्मोन होता है जिसका मुख्य कार्य है
(a) कोशिका विभाजन को प्रेरित करना व जीर्णता में विलम्ब करना 
(b) कोशिका विभाजन में भाग लेना 
(c) कोशिका की गति से सम्बन्धित
(d) इससे डॉर्मेन्सी होती है 
उत्तर:
(a) कोशिका विभाजन को प्रेरित करना व जीर्णता में विलम्ब करना 

प्रश्न 12. 
इथाइलीन है
(a) गैसीय हॉर्मोन
(b) गैसीय एन्जाइम 
(c) तरल, गैस मिश्रण 
(d) ठोस हॉर्मोन 
उत्तर:
(a) गैसीय हॉर्मोन

प्रश्न 13. 
मूल (Root) परिवर्धन किसके द्वारा बढ़ाया जाता है?
(a) एसिसिक अम्ल 
(b) ऑक्जिन 
(c) जिनेलिन
(d) इथाइलीन 
उत्तर:
(d) इथाइलीन

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प्रश्न 14. 
कॉलम - I और कॉलम - II  सही सुमेलित करें-

कॉलम - I

कॉलम - II

A. ऑक्जिन

1. हेरिंग स्पर्म DNA

B. सायटोकाइनिन

2. वृद्धि अवरोधक

C. जिब्रेलिन

3. शीर्ष प्रभाविता

D. इथाइलीन

4. एपीनेस्टी

E. एब्सिसिक अम्ल

5. एमाइलेज संश्लेषण का प्रेरण।


(a) A - 3, B - 1, C - 5, D - 4, E - 2 
(b) A - 4, B - 5, C - 1, D - 3, E - 2 
(c) A - 2, B - 1, C - 5, D - 3, E - 4 
(d) A - 3, B - 1, C - 5, D - 2, E - 4
(e) A - 4, B - 1, C - 5, D - 3, E - 2 
उत्तर:
(a) A - 3, B - 1, C - 5, D - 4, E - 2 

प्रश्न 15. 
निम्नलिखित में से वह कौनसा एक है जो जिब्रेलिनों के एक विरोधी के रूप में कार्य करता है?
(a) जीयेटिन
(b) एथीलीन 
(c) ABA
(d) IAA 
उत्तर:
(c) ABA

प्रश्न 16. 
निम्न में से किस पादप हॉर्मोन को स्ट्रैस हॉर्मोन भी कहते हैं?
(a) जिब्रेलिन
(b) काइनेटिन 
(c) ऑक्जिन
(d) एक्सिसिक अम्ल
उत्तर:
(d) एक्सिसिक अम्ल

प्रश्न 17. 
पौधों के पुष्पन होने में, दिन की लम्बाई का महत्व सर्वप्रथम किसमें प्रदर्शित किया गया था?
(a) कपास
(b) पिटूनिया 
(c) लेम्ना
(d) तम्बाकू 
उत्तर:
(d) तम्बाकू 

प्रश्न 18. 
बसन्तीकरण द्वारा पुष्पन किसमें उत्प्रेरित होता है?
(a) जमीकन्द
(b) हल्दी 
(c) गाजर
(d) अदरक 
उत्तर:
(c) गाजर

प्रश्न 19. 
पादप वृद्धि नियंत्रकों को प्रभावित करके, तापमान तथा प्रकाश पौधों में क्या नियंत्रित करते हैं?
(a) शीर्षस्थ प्रभाविता 
(b) पुष्पन
(c) रन्धों का बन्द होना 
(d) फलों का दीकरण 
उत्तर:
(b) पुष्पन

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प्रश्न 20. 
टमाटर के कुछ सामान्य नवोद्भिदों को अंधेरे कक्ष में रखा गया। कुछ दिनों के बाद वे वर्णकहीन (Albinos) के जैसे सफेद हुए पाये गये। उनका वर्णन करने के लिए आप निम्नलिखित में से किसका प्रयोग करेंगे?
(a) वर्णहीनता (Etiolated) 
(b) निष्पत्रित (Defoliated)
(c) उत्परिवर्तित (Mutated) 
(d) अन्तरारोहित (Embolised) 
उत्तर:
(a) वर्णहीनता (Etiolated) 

प्रश्न 21. 
पादपवर्णक क्या है?
(a) क्रोमोप्रोटीन
(b) फ्लैवोप्रोटीन 
(c) ग्लाइकोप्रोटीन
(d) लाइपोप्रोटीन 
उत्तर:
(a) क्रोमोप्रोटीन

प्रश्न 22. 
किसी हरे पौधे को जब प्रकाश में रखा जाता है तो वह प्रकाश के सोत की ओर मुड़ जाता है, इस क्रिया की सबसे अच्छी व्याख्या क्या है?
(a) उनके तना अग्रक प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं 
(b) उन्हें प्रकाश - संश्लेषण के लिये प्रकाश की आवश्यकता होती
(c) अंधकार की ओर कुछ ऑक्जिन संचित हो जाता है जिससे अधिक लम्बापन उस ओर प्रेरित होता है 
(d) प्रकाश, प्रदीप्त स्थान की कोशिकाओं को उद्दीपित कर लम्बाई में बढ़ता है। 
उत्तर:
(c) अंधकार की ओर कुछ ऑक्जिन संचित हो जाता है जिससे अधिक लम्बापन उस ओर प्रेरित होता है

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प्रश्न 23. 
निम्नलिखित में से कौन, जीवद्रव्य के संलयन को बढ़ाता अथवा प्रेरित करता है-
(a) पॉलीएथीलीन ग्लाइकॉल और सोडियम नाइट्रेट 
(b) IAA और काइनेटीन 
(c) IAA और जिबरेलिन 
(d) सोडियम क्लोराइड और पोटैशियम क्लोराइड
उत्तर:
(a) पॉलीएथीलीन ग्लाइकॉल और सोडियम नाइट्रेट

Bhagya
Last Updated on Aug. 19, 2022, 11:05 a.m.
Published Aug. 18, 2022