RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. 
श्रीलंका को स्वतंत्रता प्राप्त हुई-
(अ) 1947 में
(ब) 1956 में 
(स) 1948 में 
(द) 1950 में 
उत्तर:
(स) 1948 में

प्रश्न 2. 
बेल्जियम में डच भाषी क्षेत्र है-
(अ) ब्रूसेल्स 
(ब) वेलोन 
(स) फ्लेमिश
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(स) फ्लेमिश

प्रश्न 3. 
श्रीलंका में सिंहली भाषा को राजभाषा घोषित किया गया-
(अ) 1948 में
(ब) 1956 में 
(स) 1958 में 
(द) 1955 में 
उत्तर:
(ब) 1956 में 

प्रश्न 4. 
भारत में सम्पूर्ण देश की सरकार को कहते हैं-
(अ) केन्द्र सरकार 
(ब) राज्य सरकार 
(स) प्रान्तीय सरकार 
(द) स्थानीय सरकार 
उत्तर:
(अ) केन्द्र सरकार 

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प्रश्न 5. 
श्रीलंका में सबसे प्रमुख सामाजिक समूह है- 
(अ) तमिल 
(ब) जनजातीय समूह 
(स) गौंड
(द) सिंहली 
उत्तर:
(द) सिंहली

प्रश्न 6. 
यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ स्थित है? 
(अ) पेरिस
(ब) लंदन 
(स) जेनेवा 
(द) ब्रूसेल्स
उत्तर:
(द) ब्रूसेल्स

प्रश्न 7. 
शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का बंटवारा कहलाता है-
(अ) सत्ता का क्षैतिज वितरण
(ब) सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण 
(स) सत्ता का विभिन्न समूहों के बीच वितरण 
(द) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(अ) सत्ता का क्षैतिज वितरण

प्रश्न 8. 
बेल्जियम में केन्द्रीय और राज्य सरकार के अलावा तीसरे स्तर की कौनसी सरकार और होती है? 
(अ) पंचायती सरकार 
(ब) सामुदायिक सरकार 
(स) अल्पमत सरकार 
(द) डमी सरकार 
उत्तर:
(ब) सामुदायिक सरकार 

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प्रश्न 9. 
श्रीलंका में गृहयुद्ध का अन्त कब हुआ?
(अ) 1998 में 
(ब) 2002 में 
(स) 2009 में 
(द) 2014 में 
उत्तर:
(स) 2009 में 

प्रश्न 10. 
बेल्जियम की राजधानी ब्रूसेल्स के अधिकतर लोग कौनसी भाषा बोलते हैं? 
(अ) डच
(ब) फ्रेंच
(स) जर्मन 
(द) इतालवी
उत्तर:
(ब) फ्रेंच

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. सत्ता की .......... दरअसल लोकतंत्र की आत्मा है। 
2. उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के बँटवारे को सत्ता का ........... कहा जाता है। 
3. पार्टियाँ सत्ता के लिए आपस में ........... करती हैं। 
4. लोकतंत्र में व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे कई संगठित .......... भी सक्रिय रहते हैं।
उत्तरमाला:
1. साझेदारी 
2. ऊर्ध्वाधर वितरण 
3. प्रतिस्पर्धा
4. हित समूह 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन किसे कहते हैं? 
उत्तर:
साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन को एथनीक सामाजिक विभाजन कहते हैं। 

प्रश्न 2. 
श्रीलंका किस सन् में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना? 
उत्तर:
श्रीलंका सन् 1948 में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। 

प्रश्न 3. 
श्रीलंका में किस समुदाय का बहुसंख्यकवाद स्थापित है? 
उत्तर:
सिंहली समुदाय का। 

प्रश्न 4. 
श्रीलंका में किन दो समुदायों के मध्य संघर्ष जारी है? 
उत्तर:
सिंहली और तमिल समुदायों के मध्य। 

प्रश्न 5. 
श्रीलंका की तमिल समस्या के कोई दो कारण बताइए। 
उत्तर:

  • सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देना। 
  • सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित करना। 

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प्रश्न 6. 
बेल्जियम की राजधानी कौनसा शहर है? 
उत्तर:
बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स है। 

प्रश्न 7. 
सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क क्या है? 
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क है कि यह लोकतंत्र की आत्मा है। 

प्रश्न 8. 
शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता के बँटवारे को क्या कहते हैं? 
उत्तर:
शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता के वितरण को 'सत्ता का क्षैतिज वितरण' कहते हैं। 

प्रश्न 9. 
बेल्जियम में वर्तमान में कौनसी शासन प्रणाली है? 
उत्तर:
संघात्मक शासन प्रणाली।

प्रश्न 10. 
बेल्जियम कहाँ स्थित है?
उत्तर:
बेल्जियम यूरोप का एक छोटा-सा देश है। इसकी सीमाएँ फ्रांस, नीदरलैंड, जर्मनी और लक्समबर्ग से लगती हैं।

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प्रश्न 11. 
बेल्जियम में कितने भाषा-भाषी लोग रहते हैं? 
उत्तर:
बेल्जियम में 59% डच, 40% फ्रेंच और 1% जर्मन भाषी लोग रहते हैं। 

प्रश्न 12. 
बेल्जियम में तुलनात्मक रूप से कौनसे लोग ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं? 
उत्तर:
बेल्जियम में अल्पसंख्यक फ्रेंच लोग तुलनात्मक रूप से ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं। 

प्रश्न 13. 
श्रीलंका कहाँ पर स्थित है? 
उत्तर:
श्रीलंका एक द्वीपीय देश है, जो तमिलनाडु के दक्षिणी तट से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

प्रश्न 14. 
श्रीलंका में कितने जातीय समूह के लोग रहते हैं?
उत्तर:
श्रीलंका में सिंहली, श्रीलंकाई मूल के तमिल, भारतवंशी तमिल, ईसाई तथा मुसलमान जातीय समुदाय रहते हैं।

प्रश्न 15. 
भारत का पड़ोसी द्वीपीय देश कौनसा है? 
उत्तर:
श्रीलंका। 

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प्रश्न 16. 
बेल्जियम को समाज की जातीय बुनावट की दृष्टि से कितने क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
चार क्षेत्रों में-

  • राजधानी क्षेत्र-ब्रूसेल्स 
  • फ्रेंच भाषी क्षेत्र-वेलोनिया, 
  • डच भाषी क्षेत्रफ्लेमिश तथा 
  • जर्मन भाषी क्षेत्र।

प्रश्न 17. 
गृह-युद्ध से क्या आशय है?
उत्तर:
किसी मुल्क में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप ले ले कि वह युद्ध-सा लगे तो उसे गृह-युद्ध कहते हैं।

प्रश्न 18. 
सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी अलग-अलग समूहों में सत्ता के बँटवारे की प्रक्रिया है ताकि व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके।

प्रश्न 19. 
सामुदायिक सरकार से क्या आशय है?
उत्तर:
सामुदायिक सरकार कई भाषायी समुदाय के लोगों द्वारा चुनी गई सरकार है जो बिना किसी समूह को अधिक या कम महत्त्व दिये, कार्य करती है।

प्रश्न 20. 
युक्तिपरक तर्क किस बात को महत्त्व देता है? 
उत्तर:
युक्तिपरक तर्क लाभकारी परिणामों पर जोर देता है। 

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प्रश्न 21. 
सत्ता का नैतिक तर्क किस बात पर बल देता है? 
उत्तर:
सत्ता का नैतिक तर्क सत्ता के बँटवारे के अन्तर्भूत महत्त्व पर बल देता है। 

प्रश्न 22. 
सत्ता की साझेदारी का युक्तिपरक तर्क क्या है?
उत्तर:
सत्ता के लिए विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव को टालने के लिए, उन्हें सत्ता में हिस्सा दे देना चाहिए।

प्रश्न 23. 
सत्ता की साझेदारी का नैतिक तर्क क्या है? 
उत्तर:
अपनी लोकतांत्रिक भागीदारी के माध्यम से सभी समूह शासन व्यवस्था से जुड़ें। 

प्रश्न 24. 
सरकार के अलग-अलग अंग कौनसे हैं?
उत्तर:
सरकार के तीन अलग-अलग अंग होते हैं। ये हैं-

  • विधायिका 
  • कार्यपालिका और 
  • न्यायपालिका।

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प्रश्न 25. 
उन दो एशियाई देशों के नाम बताइये जिनमें दो भाषायी और जातीय समूहों में संघर्ष था। 
उत्तर:

  • श्रीलंका 
  • नेपाल। 

प्रश्न 26. 
लोकतंत्र का बुनियादी सिद्धान्त क्या है? 
उत्तर:
लोकतंत्र का बुनियादी सिद्धान्त यह है कि जनता ही सारी राजनैतिक शक्ति का स्रोत है।

प्रश्न 27. 
सत्ता के क्षैतिज वितरण से क्या आशय है? 
उत्तर:
एक ही स्तर की सरकार के तीनों अंगों-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा। 

प्रश्न 28. 
नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तर:
सरकार के तीनों अंगों के बीच सत्ता का बँटवारा होते हुए भी वे एक-दूसरे पर अंकुश रखने की शक्ति रखते हैं।

प्रश्न 29. 
सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण से क्या आशय है? 
उत्तर:
जब सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा होता है, तो इसे सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण कहते हैं। 

प्रश्न 30. 
बहुसंख्यकवाद कायम करने के लिए श्रीलंका सरकार द्वारा उठाये गये एक कदम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका सरकार ने 1956 ई. में एक कानून बनाया जिसके तहत सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I)

प्रश्न 1. 
बेल्जियम की जातीय बनावट को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
बेल्जियम में तीन भाषायी समूह रहते हैं। यहाँ लगभग 59% जनसंख्या डच भाषा बोलने वाले लोगों की है और यह फ्लेमिश क्षेत्र में रहती है, 40% जनसंख्या फ्रेंच भाषा बोलने वाले लोगों की है जो वेलोनिया (वेलोन) क्षेत्र में रहते हैं और 1 प्रतिशत जर्मन भाषा बोलते हैं । इसकी राजधानी क्षेत्र ब्रुसेल्स में 80 प्रतिशत लोग फ्रेंच भाषा बोलते हैं और 20 प्रतिशत लोग डच भाषा बोलते हैं।

प्रश्न 2. 
श्रीलंका की जातीय संरचना को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
श्रीलंका की जातीय संरचना-श्रीलंका में मुख्यतः तीन भाषायी समूह रहते हैं जिसमें 74% के लगभग सिंहली भाषा का, 18% के लगभग तमिल भाषा का और 7 प्रतिशत के लगभग लोग ईसाई हैं जो सिंहली तथा तमिल दोनों भाषाएँ बोलते हैं। सिंहली भाषा बोलने वाले अधिकतर लोग बौद्ध हैं और तमिल भाषा बोलने वालों में हिंदू तथा मुस्लिम दोनों हैं।

प्रश्न 3. 
श्रीलंकाई तमिल और भारतीय तमिल कौन हैं?
उत्तर:
मूल श्रीलंकाई तमिल जो कि श्रीलंका में पैदा हुए थे, उन्हें श्रीलंकाई तमिल कहा जाता है। श्रीलंका के भारतीय तमिल वे तमिल हैं जिनके पूर्वज औपनिवेशिक शासन के दौरान बागानों में कार्य करने वाले मजदूरों के रूप में वहाँ गये थे।

प्रश्न 4. 
जातीय समूह से क्या आशय है? ।
उत्तर:
किसी भी जातीय समूह के सभी सदस्य मानते हैं कि उनकी उत्पत्ति समान पूर्वजों से हुई है और इसी कारण उनकी शारीरिक बनावट और संस्कृति एक जैसी है अर्थात् किसी जाति की शारीरिक बनावट एवं सांस्कृतिक आदर्श समान होते हैं, वह जातीय समूह कहलाता है।

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प्रश्न 5. 
बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है? उस देश का नाम बताइए जहाँ बहुसंख्यकवाद है?
उत्तर:
बहुसंख्यकवाद का आशय बहुसंख्यक समुदाय को देश में मनचाहे ढंग से शासन करने का अधिकार देने से है। इसमें बहुसंख्यक अल्पसंख्यकों की इच्छाओं और आवश्यकताओं की अवहेलना करते हैं।

श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद की स्थिति देखने को मिलती है जहाँ सिंहलियों का वर्चस्व है। 

प्रश्न 6. 
श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा 
बहुसंख्यकवाद को बनाए रखने के लिए श्रीलंका की सरकार द्वारा कौन-कौन से कदम उठाये गये हैं?
उत्तर:
श्रीलंका के बहुसंख्यक सिंहली समुदाय ने सरकार में प्रभुत्व कायम करने की दृष्टि से 1956 में एक कानून पारित किया जिसके अनुसार-

  • सिंहली भाषा को राजभाषा घोषित कर दिया। 
  • सिंहली लोगों को सरकारी नौकरियों तथा कई और क्षेत्रों में प्राथमिकता देकर कई प्रकार की सविधायें दीं। 
  • बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया।

यही श्रीलंका का बहुसंख्यकवाद है जिसमें अन्य अल्पसंख्यकों की उपेक्षा की गई है। 

प्रश्न 7. 
विभिन्न स्तरों पर गठित सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी पर टिप्पणी लिखिये।
उत्तर:
विभिन्न स्तरों की सरकारों के बीच सत्ता की साझेदारी-शासन की सत्ता का विभाजन जब केन्द्र सरकार और प्रान्तीय सरकार के बीच किया जाता है तो उसे विभिन्न स्तरों के बीच सत्ता की साझेदारी कहा जाता है। सत्ता के ऐसे विभाजन को सत्ता का उर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। दोनों प्रकार की सरकारों को सत्ता का बँटवारा संविधान द्वारा किया जाता है। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II)

प्रश्न 1. 
श्रीलंका में हुए जातीय संघर्ष की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
श्रीलंका में सिंहली समुदाय व सरकार की बहुसंख्यकवादी नीतियों के विरोध में तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया। श्रीलंका में इन दोनों समुदायों के बीच पारस्परिक अविश्वास ने टकराव का रूप ले लिया जो गृहयुद्ध में परिणत हो गया। इसमें हजारों लोग मार जा चुके हैं। अनेक परिवार अपने देश से भागकर शरणार्थी बन गये हैं और लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो गई है। इस प्रकार श्रीलंका के जातीय संघर्ष ने वहाँ के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ पैदा कर दी हैं।

प्रश्न 2. 
सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है? यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
सत्ता की साझेदारी-सत्ता की साझेदारी अलग-अलग समूहों में सत्ता के बँटवारे की प्रक्रिया है ताकि व्यवस्था सुचारु रूप से चल सके।
सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता-

  • सत्ता की साझेदारी से विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव का अंदेशा कम हो जाता है। इसलिए राजनैतिक हिंसा और राजनैतिक अस्थिरता से बचने तथा राजनैतिक व्यवस्था के स्थायित्व हेतु सत्ता की साझेदारी आवश्यक है।
  • आधुनिक लोकतन्त्र में शक्ति जनता के हाथों में निहित होती है जो इसका प्रयोग निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा करती है। इस प्रकार सभी समूह सत्ता में भागीदारी के माध्यम से शासन व्यवस्था से जुड़े रहते हैं जिससे कार्यकुशलता बनी रहती है। 

प्रश्न 3. 
सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति विभाजन (सत्ता की साझेदारी) पर एक टिप्पणी लिखिये।
अथवा 
शासन के विभिन्न अंगों के बीच किस प्रकार सत्ता का बँटवारा होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सरकार के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता की साझेदारी-प्रत्येक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार के तीन अंग होते हैं-
(1) विधायिका, (2) कार्यपालिका और (3) न्यायपालिका। विधायिका का कार्य कानूनों का निर्माण करना है, कार्यपालिका उन कानूनों को लागू करती है और न्यायपालिका उनकी व्याख्या करती है तथा उन व्यक्तियों को दण्ड देती है जो कानून का उल्लंघन करते हैं।

सरकार के तीनों अंगों के कार्यों का इस प्रकार विभाजन इस बात को निश्चित करता है कि किसी एक अंग के पास असीमित शक्तियाँ एकत्रित नहीं होंगी तथा प्रत्येक अंग दूसरे अंगों पर नियंत्रण रखता है। इससे शक्ति सन्तुलन बना रहता है तथा शासन सुचारु रूप से चलता रहता है।

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प्रश्न 4. 
श्रीलंका में तमिलों की क्या माँगें थीं? उनके लिए तमिलों ने किस प्रकार संघर्ष किया? 
उत्तर:
श्रीलंका सरकार के समक्ष तमिलों की प्रमुख माँगें थीं-

  • तमिल को भी राजभाषा का दर्जा दिया जाए, 
  • शिक्षा तथा सरकारी नौकरियों में तमिलों को समान अवसर दिये जाएँ, तथा 
  • तमिलों के आबादी वाले क्षेत्रों को स्वायत्तता प्रदान की जाये।

श्रीलंका सरकार ने तमिलों की मांगों को ठुकरा दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि तमिलों के उग्रवादी संगठन और सरकारी सेनाओं में रुक-रुक कर युद्ध चलता रहा है जिसमें हजारों लोग मारे जा चुके हैं तथा बहुमूल्य सम्पत्ति नष्ट हो चुकी है।

प्रश्न 5. 
सत्ता के क्षैतिज वितरण और ऊर्ध्वाधर वितरण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सत्ता के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर वितरण में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-

  • क्षैतिज वितरण में सरकार के एक ही स्तर पर सत्ता का वितरण होता है जबकि ऊर्ध्वाधर वितरण में सत्ता का वितरण विभिन्न स्तरों में होता है।
  • क्षैतिज वितरण में एक ही स्तर पर सरकार के अंगों के बीच सत्ता का बँटकारा होता है जबकि ऊर्ध्वाधर वितरण में सरकार की शक्तियों का विभाजन विभिन्न स्तरों के बीच होता है। 
  • क्षैतिज वितरण में एक ही स्तर की सरकार होती है जबकि ऊर्ध्वाधर वितरण में उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारें होती हैं।

प्रश्न 6. 
विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता के बँटवारे के कोई दो उदाहरण दीजिये।
उत्तर:
सत्ता का बँटवारा विभिन्न सामाजिक समूहों-भाषायी और धार्मिक समूहों के बीच हो सकता है। उदाहरण के लिए-
(1) बेल्जियम में सामुदायिक सरकार-इसमें केन्द्रीय सरकार में दोनों प्रमुख भाषायी समुदायों को सत्ता में बराबर की भागीदारी दी गई और विशेष कानून निर्माण के लिए दोनों भाषायी समुदायों के सांसदों के बहुमत को अनिवार्य किया गया।

(2) भारत में आरक्षण की व्यवस्था-भारत आदि कुछ देशों के संविधान व कानून में इस बात का प्रावधान किया गया है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाये। भारत में यह आरक्षण की व्यवस्था द्वारा संभव किया गया है ताकि ये समुदाय स्वयं को शासन से अलग न समझने लगें। 

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निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
'सत्ता की साझेदारी जनतंत्र की आत्मा है।' बेल्जियम और श्रीलंका का उदाहरण देकर विवेचना कीजिए।
उत्तर:
एक अच्छा लोकतांत्रिक शासन वह है जिसमें समाज के विभिन्न समूहों के ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को राजनीतिक सत्ता में भागीदार बनाया जाये। इसे बेल्जियम और श्रीलंका के जनतांत्रिक स्वरूपों के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) बेल्जियम में जातीय समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी-बेल्जियम में विभिन्न भाषायी समुदायों (59% डच भाषा-भाषी, 40% फ्रेंच भाषा-भाषी तथा 1% जर्मन भाषा-भाषी समुदायों) के बीच सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था के तहत निम्नलिखित संवैधानिक प्रावधान किये गए हैं-

  • केन्द्र सरकार में डच और फ्रेंच-भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं जव दोनों भाषायी समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो। इस प्रकार किसी समुदाय के लोग एकतरफा फैसला नहीं कर सकते।
  • संविधान द्वारा केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों के सुपुर्द कर दी गई हैं। 
  • राजधानी क्षेत्र ब्रुसेल्स में दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है।

(2) श्रीलंका की जनतंत्रीय व्यवस्था-श्रीलंका में सिंहली, तमिल तथा मुसलमान जातियाँ पाई जाती हैं। 1956 में कानून के द्वारा तमिल को हटाकर सिंहली को श्रीलंका की राजभाषा घोषित कर दिया गया। यहाँ विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में अन्य समुदायों की उपेक्षा करते हुए सिंहलियों को प्राथमिकता दी गई है।

श्रीलंका में सत्ता की साझेदारी में बहुसंख्यक सिंहली समुदाय अल्पसंख्यक समुदायों पर प्रभुत्व कायम करने के लिए उन्हें सत्ता में हिस्सेदार नहीं बनाता है। इसका परिणाम वहाँ सिंहलियों और तमिलों में टकराव हुआ जो गृहयुद्ध में परिणत हुआ।

प्रश्न 2. 
बेल्जियम में दो प्रमुख भाषायी समुदायों में परस्पर संघर्ष के क्या कारण थे? इस समस्या का समाधान किस प्रकार किया गया?
उत्तर:
बेल्जियम में दो प्रमुख भाषायी समुदायों में संघर्ष के कारण-बेल्जियम में 59% डच भाषा-भाषी, 40% फ्रेंच भाषा-भाषी लोग रहते हैं। राजधानी ब्रूसेल्स में 80% फ्रेंच भाषा-भाषी तथा 20% डच भाषा-भाषी लोग रहते बेल्जियम में फ्रेंच भाषी समूह अधिक धनी व शक्तिशाली है। आर्थिक एवं शिक्षा के विकास के प्रश्न को लेकर डच भाषी समूह ने फ्रेंच भाषी समूह का विरोध किया। इस कारण 1950 से 1960 के दशक में परस्पर संघर्ष तथा तनाव बढ़ता चला गया।

समस्या का समाधान- इस संघर्ष के समाधान हेतु दोनों ने 1970 से 1993 के मध्य संविधान में निम्न चार संशोधन कर सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था को लागू किया है-

  • केन्द्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या बराबर होगी। विशेष कानून हेतु दोनों के बहुमत के समर्थन की आवश्यकता होगी।
  • केन्द्र सरकार की अनेक शक्तियाँ राज्य सरकारों को प्रदान कर दी गई हैं। 
  • राजधानी ब्रूसेल्स की सरकार में दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व दिया गया है। 
  • स्थानीय सरकारों को डचों, फ्रांसीसियों तथा जर्मन भाषा-भाषियों द्वारा मिलकर चुना जायेगा। 

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प्रश्न 3. 
लोकतंत्र को परिभाषित कीजिए। लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
लोकतंत्र की परिभाषा-अब्राहम लिंकन के शब्दों में, "लोकतंत्र वह शासन है जिसमें जनता का शासन हो, जनता के लिए हो और जनता द्वारा हो।" इस प्रकार शासन के प्रकार के रूप में लोकतंत्र उस शासन प्रणाली को कहते हैं जिसमें जनता अपने प्रतिनिधियों के द्वारा शासन करती है।

लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी निम्न कारणों से आवश्यक है-

  • समानता की पोषक शासन प्रणाली-लोकतंत्र में सभी नागरिकों को समान समझा जाता है तथा सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है।
  • सभी के हितों की सुरक्षा लोकतंत्र शासन में किसी वर्ग-विशेष के हितों का ध्यान न रखकर सभी नागरिकों के हितों की सुरक्षा की जाती है।
  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा-लोकतंत्र शासन प्रणाली में सभी नागरिकों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसलिए सभी को शासन के कार्यों में भाग लेने के समान अवसर प्रदान किये जाते हैं।
  • स्थानीय स्वशासन का विकास-लोकतंत्र में स्थानीय संस्थाओं के द्वारा जनता अपनी स्थानीय समस्याओं के समाधान का प्रयत्न करती है।
  • योग्य एवं कुशल शासन-सत्ता की साझेदारी योग्य शासन उत्पन्न करती है।

अतः समानता के पोषण, सभी के हितों की सुरक्षा, व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा, स्थानीय स्वशासन के विकास तथा योग्य एवं कुशल शासन हेतु लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी आवश्यक है।

प्रश्न 4. 
सत्ता का क्षैतिज वितरण किसे कहेंगे? इसकी क्या विशेषताएँ हैं। भारत का उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
सत्ता का क्षैतिज वितरण-शासन के विभिन्न अंग, जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। इसे हम सत्ता का क्षैतिज वितरण कहेंगे।
विशेषताएँ-

  • इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। 
  • ऐसे बँटवारे से यह सुनिश्चित हो जाता है कि कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित उपयोग नहीं कर सकता। 
  • हर अंग दूसर पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बनता है।

भारत में सत्ता का क्षैतिज वितरण-हमारे देश में कार्यपालिका सत्ता का उपयोग करती है लेकिन यह संसद के अधीन कार्य करती है। न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है पर न्यायपालिका ही कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए कानूनों पर अंकुश रखती है। इस व्यवस्था को 'नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था' भी कहते हैं।

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प्रश्न 5. 
सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण किसे कहते हैं? यह किस प्रकार कार्यान्वित होता है? उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण-जब सरकार को कुछ स्तरों में बाँटकर उनमें सत्ता का बँटवारा कर दिया जाता है तो उसे सत्ता का ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। इसमें एक सत्ता शीर्ष पर तो शेष उससे नीचे स्तर पर रहती है।

उदाहरण सहित सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण का कार्यान्वयन-
(1) इसमें सरकार के बीच विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा होता है। जैसे-पूरे देश के लिए एक सामान्य सरकार हो और फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकार रहे। पूरे देश के लिए बनने वाली ऐसी सामान्य सरकार को अक्सर संघ या केंद्र सरकार कहते हैं, प्रांतीय या क्षेत्रीय स्तर की सरकारों को हर जगह अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। भारत में हम इन्हें राज्य सरकार कहते हैं।

(2) हर देश में बँटवारा ऐसा ही नहीं है। कई देशों में प्रांतीय या क्षेत्रीय सरकारें नहीं हैं। लेकिन भारत की तरह, जिन देशों में ऐसी व्यवस्था है वहाँ के संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख होता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा किस तरह होगा। बेल्जियम में भी इसी प्रकार हुआ है लेकिन श्रीलंका में नहीं हुआ है।

(3) राज्य सरकारों से नीचे के स्तर की सरकारों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था हो सकती है। जैसे-भारत में नगरपालिका और पंचायतें ऐसा ही इकाइयाँ हैं।

इस प्रकार स्पष्ट है कि उच्चतर और निम्नतर स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के ऐसे बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है।

प्रश्न 6. 
दबाव समूह, राजनीतिक दल तथा अन्य संगठित हित समूह सत्ता में किस प्रकार भागीदारी करते हैं?
उत्तर:
दबाव समूह, राजनीतिक दल तथा अन्य संगठित हित समूह भी अनेक तरह से सत्ता में भागीदारी करते हैं। इसे हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं-
(1) विभिन्न प्रकार के दबाव-समूह और आंदोलनों द्वारा शासन को प्रभावित और नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। विभिन्न तरीकों से वे अपनी बात मनवाते हैं।

(2) लोकतंत्र में लोगों के सामने सत्ता के दावेदारों के बीच चुनाव का विकल्प होता है। समकालीन लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में यह विकल्प विभिन्न राजनीतिक दलों के रूप में उपलब्ध होता है। राजनीतिक दल सत्ता के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते हैं। राजनीतिक दलों की यह आपसी प्रतिद्वंद्विता ही इस बात को सुनिश्चित कर देती है कि सत्ता एक व्यक्ति या समूह के हाथ में न रहे। एक बड़ी समयावधि में देखें तो पाएंगे कि सत्ता बारी-बारी से अलग-अलग विचारधारा और सामाजिक समूहों वाली पार्टियों के हाथ आती-जाती रहती है। कई बार सत्ता की यह भागीदारी एकदम प्रत्यक्ष दिखती है क्योंकि दो या अधिक पार्टियाँ मिलकर चुनाव लड़ती हैं या सरकार का गठन करती हैं।

(3) इसी प्रकार लोकतंत्र में हम व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर कैसे कई संगठित हितसमूहों को भी सक्रिय देखते हैं । सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करके या नीतियों पर अपने सदस्य-वर्ग के लाभ के लिए दबाव बनाकर ये समूह भी सत्ता में भागीदारी करते हैं।

RBSE Class 10 Social Science Important Questions Civics Chapter 1 सत्ता की साझेदारी

प्रश्न 7. 
बहुसंख्यकवाद क्या है? श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद किस प्रकार फैला? इससे क्या समस्याएँ उत्पन्न हुईं? इसका क्या परिणाम हुआ?
उत्तर:
बहसंख्यकवाद-बहुसंख्यकवाद वह स्थिति है जिसमें बहुसंख्यक समुदाय अपने मनचाहे ढंग से देश का शासन कर सकता है और इसके लिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की जरूरत या इच्छाओं की अवहेलना कर सकता है।

श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद का उद्भव-सन् 1948 में श्रीलंका के स्वतंत्र राष्ट्र बनने के साथ ही वहाँ बहुसंख्यकवाद का उद्भव होना शुरू हो गया। सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना, चाहा। इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक-परस्ती के तहत निम्न प्रमुख कदम उठाए-

  • 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल भाषा की उपेक्षा करते हुए सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
  • विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता देने की नीति चलाई गई। 
  • नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।

श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद से उत्पन्न समस्याएँ-

  • श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद के चलते इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। 
  • उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं।
  • उन्हें लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं।
  • नौकरियों और फायदे के अन्य कामों में उनके साथ भेदभाव हो रहा है और उनके हितों की अनदेखी की जा रही है।

परिणाम-

  • श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद के कारण तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
  • श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियाँ बनाईं और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया।
  • 1980 के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम (सरकार) बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
  • श्रीलंका में दो समुदायों के बीच का यह टकराव गृहयुद्ध में परिणत हुआ। परिणामस्वरूप दोनों पक्ष के हजारों लोग मारे गये।
  • अनेक परिवार अपने मुल्क से भागकर शरणार्थी बन गए। 
  • लाखों लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो गई। 
  • गृहयुद्ध से श्रीलंका के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ पैदा हुई हैं। 2009 में इस गृहयुद्ध का अंत हुआ।
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Last Updated on May 12, 2022, 3:39 p.m.
Published May 12, 2022