RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम Important Questions and Answers.

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RBSE Class 10 Science Chapter 6 Important Questions जैव प्रक्रम

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. 
इथाइल अल्कोहल बनता है:
(अ) दहन में 
(ब) वायवीय श्वसन में 
(स) अवायवीय श्वसन में 
(द) किसी में भी नहीं 
उत्तर:
(स) अवायवीय श्वसन में 

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 2. 
श्वसन का मुख्य उद्देश्य है:
(अ) गैसों का विनिमय करना
(ब) ग्लूकोस के जारण से ऊर्जा उत्पन्न करना 
(स) भोजन का पाचन
(द) अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालना 
उत्तर:
(ब) ग्लूकोस के जारण से ऊर्जा उत्पन्न करना 

प्रश्न 3. 
मछली के हृदय में कोष्ठ होते हैं:
(अ) दो 
(ब) तीन 
(स) चार
(द) एक 
उत्तर:
(अ) दो 

प्रश्न 4. 
रुधिर के थक्का बनाने में सहायता करने वाली कोशिकाएँ हैं:
(अ) लाल रुधिर कणिकाएँ
(ब) श्वेत रुधिर कोशिकाएँ 
(स) प्लेटलेट्स कोशिकाएँ
(द) इओसीन
उत्तर:
(स) प्लेटलेट्स कोशिकाएँ

प्रश्न 5. 
मनुष्य की लार में पाये जाने वाला एन्जाइम है:
(अ) एमिलेस 
(ब) पेप्सिन
(स) ट्रिप्सिन
(द) लाइपेज 
उत्तर:
(अ) एमिलेस

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प्रश्न 6. 
एक स्वस्थ वयस्क में प्रतिदिन कितना लीटर आरम्भिक निस्वंद वृक्क में होता है:
(अ) 160 लीटर  
(ब) 170 लीटर 
(स) 180 लीटर 
(द) 190 लीटर
उत्तर:
(स) 180 लीटर 

प्रश्न 7. 
हीमोग्लोबिन पाया जाता है:
(अ) श्वेत रुधिर कोशिकाओं में
(ब) लाल रुधिर कोशिकाओं में 
(स) प्लेटलेट्स में
(द) लिम्फोसाइट्स में 
उत्तर:
(ब) लाल रुधिर कोशिकाओं में

प्रश्न 8. 
हृदय के किस प्रकोष्ठ की दीवार मोटी और मजबूत होती है? 
(अ) दायां आलिन्द 
(ब) बायां आलिन्द 
(स) दायां निलय 
(द) बायां निलय
उत्तर:
(द) बायां निलय

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
'जैव प्रक्रम' किसे कहते हैं? 
उत्तर:
वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं। 

प्रश्न 2. 
'भोजन' व 'पोषण' से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर:
जीव के लिए ऊर्जा के स्रोत को भोजन तथा उसे शरीर के अंदर लेने के प्रक्रम को पोषण कहते हैं।  

प्रश्न 3. 
'श्वसन' किसे कहते हैं?
उत्तर:
शरीर के बाहर से ऑक्सीजन को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में इसका उपयोग श्वसन कहलाता है। 

प्रश्न 4. 
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा वसा के पाचन से क्या प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रोटीन के पाचन से अमीनो अम्ल, कार्बोहाइड्रेट से ग्लुकोज तथा वसा से वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल प्राप्त होता है। 

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प्रश्न 5. 
ए.टी.पी. के एक अणु के विखण्डन से कितनी ऊर्जा प्राप्त होती है? 
उत्तर:
ए.टी.पी. में जब अंतस्थ फॉस्फेट सहलग्नता खंडित होती है तो 30.5KJ/mol के तुल्य ऊर्जा मोचित होती है।  

प्रश्न 6. 
कंठ में उपास्थि के वलयों के उपस्थिति महत्वपूर्ण क्यों है? 
उत्तर:
कंठ में उपास्थि के वलय यह सुनिश्चित करते हैं कि वायु मार्ग निपतित न हो। 

प्रश्न 7. 
प्रकाश - संश्लेषण की रासायनिक अभिक्रिया/रासायनिक सूत्र लिखिए। 
उत्तर:
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 1

प्रश्न 8. 
पौधों के जाइलम को निकाल देने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
चूँकि जाइलम एक संवहन ऊतक है, अतः इसे निकाल देने पर पादपों में जल तथा खनिज लवण का संवहन नहीं होगा और पौधा सूखकर नष्ट हो जाएगा।  

प्रश्न 9. 
'एंजाइम' क्या होते हैं? 
उत्तर:
एंजाइम कार्बनिक जैव उत्प्रेरक होते हैं जो विभिन्न जैव - रासायनिक क्रियाओं की दर को बढ़ाते हैं। 

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प्रश्न 10. 
'कवक अपना पोषण किस प्रकार प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
फफूंदी, यीस्ट तथा मशरूम आदि कवक भोज्य पदार्थों का विघटन शरीर के बाहर ही कर देते हैं और उसके बाद उसका अवशोषण कर पोषण प्राप्त करते हैं।

प्रश्न 11. 
किसी जीव द्वारा लिया जाने वाला भोजन तथा पाचन की विधि किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
जीव द्वारा किस भोजन का अन्तर्ग्रहण किया जाए तथा उसके पाचन की विधि उसके शरीर की अभिकल्पना तथा कार्यशैली पर निर्भर करता है। 

प्रश्न 12. 
अमीबा तथा पैरामीशियम की पोषण विधि में क्या अन्तर है? 
उत्तर:
अमीबा अनिश्चित आकार का होता है जो कोशिकीय सतह से अँगुली जैसे अस्थायी प्रवर्ध की मदद से भोजन ग्रहण करता है जबकि पैरामीशियम का आकार निश्चित होता है इसलिए भोजन एक विशिष्ट स्थान से ही ग्रहण किया जाता है। 

प्रश्न 13. 
क्षुद्रांत्र में भोजन के किन अवयवों का पूर्ण पाचन होता है? 
उत्तर:
प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और वसा।  

प्रश्न 14. 
मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है, जो से संबंधित है।  
उत्तर:
उत्सर्जन तंत्र।  

प्रश्न 15. 
किन्हीं दो एककोशिक जीवों के नाम लिखिए।  
उत्तर:
अमीबा एवं पैरामीशियम। 

प्रश्न 16. 
ऐसे दो पौधों का नाम लिखिए जो पौधों को बिना मारे उनसे पोषण प्राप्त करते हैं? 
उत्तर:

  • अमरबेल 
  • आर्किड।  

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प्रश्न 17. 
एककोशिक जीवों में भोजन किस अंग से प्राप्त किया जाता है? 
उत्तर:
एककोशिक जीवों में भोजन सम्पूर्ण सतह से लिया जाता है।  

प्रश्न 18. 
क्षुद्रांत्र के आन्तरिक स्तर पर पाये जाने वाले अंगुली जैसे प्रवर्ध को क्या कहते हैं? 
उत्तर:
क्षुद्रांत्र के आन्तरिक स्तर पर पाये जाने वाले अंगुली जैसे प्रवर्ध को दीर्घरोम कहते हैं।  

प्रश्न 19. 
अधिकांश कोशिकीय प्रक्रमों के लिए किसे ऊर्जा मुद्रा कहा गया है? 
उत्तर:
अधिकांश कोशिकीय प्रक्रमों के लिए ए.टी.पी. को ऊर्जा मुद्रा कहा गया है।  

प्रश्न 20. 
यदि कूपिकाओं की सतह को फैला दिया जाए तो यह लगभग कितने वर्ग मीटर क्षेत्र को ढक लेगी? 
उत्तर:
यदि कूपिकाओं की सतह को फैला दिया जाए तो यह लगभग 80 वर्गमीटर क्षेत्र को ढक लेगी।  

प्रश्न 21. 
उस प्राणी का नाम लिखिए जिसके शरीर में एक चक्र में केवल एक बार ही रुधिर हृदय में जाता है।  
उत्तर:
मछली के शरीर में एक चक्र में केवल एक बार ही रुधिर हृदय में जाता है।  

प्रश्न 22. 
किस यंत्र से रक्त दाब (Blood Pressure) नापा जाता है? 
उत्तर:
स्फाईग्मोमैनोमीटर नामक यन्त्र से रक्त दाब नापा जाता है। 

प्रश्न 23. 
'उत्सर्जन' किसे कहते हैं? 
उत्तर:
शरीर से अपशिष्ट उपोत्पादों को बाहर निकालने के प्रक्रम को उत्सर्जन कहते हैं।  

प्रश्न 24. 
रन्ध्रों को खोलने व बन्द करने का कार्य किसका है? 
उत्तर:
द्वार कोशिकाओं का। 

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प्रश्न 25. 
'पेप्सिन' क्या है? इसका क्या कार्य है? 
उत्तर:
पेप्सिन पाचक एंजाइम है जो प्रोटीन का पाचन करता है।  

प्रश्न 26. 
अलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी क्यों होती है? 
उत्तर:
अलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी होती है क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर भेजना होता है। 

प्रश्न 27. 
हृदय में 'वाल्व' क्यों पाये जाते हैं?
उत्तर:
हृदय में जब अलिंद या निलय संकुचित होते हैं तो वाल्व उल्टी दिशा में रुधिर प्रवाह को रोकना सुनिश्चित करते हैं।

प्रश्न 28. 
पादपों को जंतुओं की तुलना में ऊर्जा की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
पादप शरीर का एक बड़ा अनुपात अनेक ऊतकों को मृत कोशिकाओं का होता है। इसके परिणामस्वरूप पादपों को कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 29. 
मनुष्य के किस अंग में मूत्र का निर्माण होता है? 
उत्तर:
मनुष्य के वृक्क में मूत्र का निर्माण होता है। 

प्रश्न 30. 
प्रारम्भिक निस्यंद में पाये जाने वाले प्रमुख कोई चार पदार्थों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. ग्लूकोज 
  2. अमीनो अम्ल 
  3. लवण 
  4. जल।

प्रश्न 31. 
पादपों के कोई दो अपशिष्ट उत्पाद के नाम लिखिए। ये उत्पाद किस ऊतक में संचित रहते हैं? 
उत्तर:
रेजिन तथा गोंद। यह अपशिष्ट उत्पाद विशेष रूप से पुराने जायलम नामक ऊतक में संचित रहते हैं। 

प्रश्न 32. 
रोगी के शरीर से कृत्रिम विधि द्वारा उत्सर्जी पदार्थ को बाहर निकालने की क्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर:
रोगी के शरीर से कृत्रिम विधि द्वारा उत्सर्जी पदार्थ को बाहर निकालने की क्रिया को रक्त अपोहन (Haemo dialysis) कहते हैं।

प्रश्न 33. 
रक्त के छनाव को क्या कहते हैं? इसकी एक विशेषता बताइए। 
उत्तर:
रक्त के छनाव को लसिका कहते हैं। इसमें लाल रुधिर कणिकाएँ नहीं होती हैं। 

प्रश्न 34. 
यदि मनुष्य के डायफ्राम में छिद्र कर दिया जाये तो श्वसन क्रिया पर क्या प्रभाव पड़ेगा? 
उत्तर:
मनुष्य के डायफ्राम में छिद्र कर दिया जाये तो श्वास लेने की क्रिया बन्द हो जायेगी। 

प्रश्न 35. 
अवशिष्ट आयतन किसे कहते हैं?
उत्तर:
बलपूर्वक बहिःश्वसन (forced expiration) के पश्चात् फेफड़ों में बची हुई वायु की मात्रा को अवशिष्ट आयतन कहते हैं। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
अमीबा में पोषण विधि का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अमीबा में पोषण - अमीबा कोशिकीय सतह से अंगुली जैसी अस्थायी प्रवर्ध (कूटपाद) की मदद से भोजन ग्रहण करता है। यह प्रवर्ध भोजन के कणों को घेर लेते हैं तथा संगलित होकर खाद्य रिक्तिका बनाते हैं।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 2
खाद्य रिक्तिका के अन्दर जटिल पदार्थों का विघटन सरल पदार्थों में किया जाता है और वे कोशिकाद्रव्य में विसरित हो जाते हैं । बचा हुआ अपच पदार्थ कोशिका की सतह की ओर गति करता है तथा शरीर से बाहर निष्कासित कर दिया जाता है।

प्रश्न 2. 
पौधों द्वारा जो कार्बोहाइड्रेट प्रकाश संश्लेषण के बाद तुरंत प्रयुक्त नहीं होते हैं उनका क्या होता है? हमारे शरीर में इसके लिए क्या क्रियाविधि होती है?
उत्तर:
जो कार्बोहाइड्रेट प्रकाश संश्लेषण के बाद तुरंत प्रयुक्त नहीं होते हैं उन्हें मंड के रूप में संचित कर लिया जाता है। यह रक्षित आंतरिक ऊर्जा की तरह कार्य करता है तथा पौधे द्वारा आवश्यकतानुसार प्रयुक्त कर लिया जाता है। कुछ इसी तरह की स्थिति हमारे अंदर भी देखी जाती है, हमारे द्वारा खाए गए भोजन से व्युत्पन्न ऊर्जा का कुछ भाग हमारे शरीर में 'ग्लाइकोजन' के रूप में संचित हो जाता है।

प्रश्न 3. 
मरुद्भिद पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया अन्य पौधों से किस प्रकार भिन्न होती है?
उत्तर:
मरुद्भिद पौधे रात्रि में कार्बन डाइऑक्साइड लेते हैं और एक मध्यस्थ उत्पाद बनाते हैं। दिन में क्लोरोफिल ऊर्जा अवशोषित करके अंतिम उत्पाद बनाता है। जबकि अन्य सामान्य पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया दिन में ही पूर्ण हो जाती है।

प्रश्न 4. 
नाइट्रोजन पौधों के लिए किस प्रकार आवश्यक है? पौधे इसे किस प्रकार प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
नाइट्रोजन एक आवश्यक तत्व है जिसका उपयोग प्रोटीन तथा अन्य यौगिकों के संश्लेषण में किया जाता है। इसे अकार्बनिक नाइट्रेट या नाइट्राइट के रूप में लिया जाता है। इसे उन कार्बनिक पदार्थों के रूप में भी लिया जाता है जिन्हें जीवाणु वायुमंडलीय नाइट्रोजन से बनाते हैं। 

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प्रश्न 5. 
शिरा व धमनी में क्या अन्तर है?
उत्तर:
शिरा व धमनी में अन्तर:

 शिरा (Vein)

धमनी (Artery)

1. रुधिर को अंगों से हृदय में या हृदय की ओर लाती है।

रुधिर को हृदय से अंगों में ले जाती है।

2. फुफ्फुसीय शिरा के अतिरिक्त सब में अशुद्ध रुधिर होता है।

फेफड़ों में जाने वाली फुफ्फुसीय धमनी के अतिरिक्त सब में रुधिर होता है।

3. इसमें रक्त दाब कम होता है।

इनमें रक्त दाब उच्च होता है।

4. इनकी दीवार पतली होती है।

इनकी दीवार मोटी व लचीली होती है।

5. इनका बाह्य स्तर मोटा होता है।

इनका मध्य स्तर (Tunica Media) मोटा होता है।

6. इनकी गुहा बड़ी होती है।

इनकी गुहा संकरी होती है।

7. दीवार पतली होने के कारण खाली होने पर पिचक जाती है।

दीवार मोटी होने के कारण खाली होने पर पिचकती नहीं है।

8. धिकांश शिरायें सतह पर पाई जाती हैं।

अधिकांश धमनियाँ गहराई में पाई जाती हैं।

9. इनके भीतर कपाट होते हैं।

इनके भीतर कपाट नहीं होते हैं।

10. इनका रंग गहरा लाल या नीला होता है।

इनका रंग गुलाबी या चटक लाल होता है।


प्रश्न 6. 
एकल परिसंचरण तन्त्र किसे कहते हैं? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
एकल परिसंचरण तन्त्र (Single Circulatory System):
शरीर में एक चक्र में केवल एक बार ही रुधिर का हृदय में आना एकल परिसंचरण तन्त्र कहते हैं। इस प्रकार का परिसंचरण मछलियों में पाया जाता है। मछलियों के हृदय में केवल दो कोष्ठ होते हैं जिन्हें क्रमशः आलिन्द व निलय कहते हैं। अर्थात् एक आलिन्द व एक निलय होता है। यहाँ से रुधिर क्लोमों में भेजा जाता है जहाँ यह ऑक्सीजनित होता है और सीधा शरीर में भेज दिया जाता है। इस तरह मछलियों के शरीर में एक चक्र में केवल एक बार ही रुधिर हृदय में जाता है। 

प्रश्न 7. 
स्वपोषी पौधे किसे कहते हैं? पत्ती के अनुप्रस्थ काट का चित्र बनाइए।
उत्तर:
स्वपोषी (Autotrophs):
वे पौधे, जो क्लोरोफिल की सहायता से सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में जल व CO2 द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, स्वपोषी कहलाते हैं।
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प्रश्न 8. 
तरल संयोजी ऊतक किसे कहते हैं? इसके कार्य लिखिए। 
उत्तर:
रुधिर (Blood) को तरल संयोजी ऊतक कहते हैं। रुधिर के निम्न कार्य हैं

  1. रुधिर की लाल रुधिर कोशिकाओं में उपस्थित हीमोग्लोबिन द्वारा O2 व CO2 का परिवहन होता है। 
  2. रुधिर द्वारा पचित व अवशोषी पदार्थों का परिवहन विभिन्न कोशिकाओं तक किया जाता है। 
  3. ताप नियमन में सहायक होता है। 
  4. रुधिर में स्कंदन की क्षमता पाई जाती है, अतः चोट लगने पर अधिक रुधिर नहीं बहता। 
  5. हार्मोन का परिवहन । 
  6. रुधिर प्रतिरक्षा प्रदान करता है। 

प्रश्न 9. 
पैरामीशियम में पोषण विधि को समझाइए।
उत्तर:
पैरामीशियम एककोशिक जीव है। इसकी कोशिका का एक निश्चित आकार होता है तथा भोजन एक विशिष्ट स्थान से ही ग्रहण किया जाता है। भोजन इस स्थान तक पक्ष्माभ की गति द्वारा पहुँचता है जो कोशिका की पूरी सतह को ढके होते हैं।

प्रश्न 10. 
विभिन्न जंतुओं में क्षुद्रांत्र की लम्बाई किस पर निर्भर करती है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
विभिन्न जंतुओं में क्षुद्रांत्र की लंबाई उनके भोजन के प्रकार के अनुसार अलग - अलग होती है। घास खाने वाले शाकाहारी का सेल्युलोज पचाने के लिए लंबी क्षुद्रांत्र की आवश्यकता होती है। मांस का पाचन सरल है अतः । बाघ जैसे मांसाहारी की क्षुद्रांत्र छोटी होती है।

प्रश्न 11. 
पित्त रस क्या है? पाचन में इसकी भूमिका समझाइए। 
उत्तर:
यकृत द्वारा स्रावित पाचक रस को पित्त रस कहते हैं। पित्त रस पाचन में निम्न प्रकार से सहायक है-

  1. आमाशय से आने वाला भोजन अम्लीय होता है जिसे अग्न्याशयिक एंजाइमों की क्रिया के लिए क्षारीय बनाया जाता है। यह कार्य पित्त रस द्वारा किया जाता है।
  2. क्षुद्रांत्र में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है जिससे उस पर एंजाइम का कार्य करना मुश्किल हो जाता है। पित्त रस में उपस्थित पित्त लवण उन्हें छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। 

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प्रश्न 12. 
मनुष्य के रुधिर परिसंचरण तन्त्र में कौनसी दो विशेषताएँ मिलती हैं? 
उत्तर:
मनुष्य के रुधिर परिसंचरण तन्त्र में निम्न दो विशेषताएँ मिलती हैं

  1. O2 युक्त रुधिर तथा O2 रहित रुधिर हृदय तथा रक्त - वाहिनियों में कभी नहीं मिलता अर्थात् यह हमेशा पृथक् रहता है।
  2. रक्त शरीर में एक चक्र पूरा करने के लिए हृदय से दो बार गुजरता है | पहली बार शरीर का समस्त अशुद्ध रुधिर दाहिने आलिन्द तथा निलय में होकर फेफड़ों में जाता है तथा दूसरी बार फेफड़ों से फुफ्फुस शिराओं द्वारा शुद्ध रुधिर बायें आलिन्द में होकर बायें निलय में और वहाँ से एक महाधमनी द्वारा समस्त शरीर में आ जाता है।

प्रश्न 13. 
मानव हृदय की संरचना का नामांकित चित्र बनाते हुए वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हृदय एक पेशीय अंग है जो मुट्ठी के आकार का होता है। क्योंकि रुधिर को ऑक्सीजन व कार्बन डाइऑक्साइड दोनों का ही वहन करना होता है अतः ऑक्सीजन प्रचुर रुधिर को कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रुधिर से मिलने को रोकने के लिए हृदय चार । कोष्ठों में बँटा होता है। ऑक्सीजन प्रचुर रुधिर फुफ्फुस से हृदय में बायें आलिंद में आता है जहाँ से यह बायें निलय में स्थानान्तरित हो जाता है। बायें निलय से रुधिर शरीर में पंपित हो जाता है। इसी प्रकार विऑक्सीजनित रुधिर दायें आलिंद में आता है जहाँ से ये दाएँ निलय में स्थानान्तरित हो जाता है जो रुधिर को ऑक्सीजनीकरण हेतु फुफ्फुस में पंप कर देता है। आलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी होती है क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर भेजना होता है। हृदय के कोष्ठों में वाल्व पाए जाते हैं। जब आलिंद या निलय संकुचित होते हैं तो वाल्व उल्टी दिशा में रुधिर प्रवाह को रोकना सुनिश्चित करते हैं।
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प्रश्न 14. 
मानव में पाई जाने वाली रुधिर वाहिनियों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
मानव में तीन प्रकार की रुधिर वाहिनियाँ पाई जाती हैं:

1. धमनियाँ - ये वाहिनियाँ रुधिर को हृदय से शरीर के विभिन्न अंगों तक ले जाती हैं। इनमें रुधिर दाब के साथ बहता है इसीलिए इनकी दीवार मोटी एवं लचीली होती है।

2. शिराएँ - इनके द्वारा रुधिर शरीर के विभिन्न भागों से हृदय की ओर प्रवाहित होता है। इनकी दीवार पतली व पिचकने वाली होती है। अतः इनमें रुधिर का दाब बहुत कम होता है | रुधिर दाब कम होने के कारण इन शिराओं में स्थान - स्थान पर अर्धचन्द्राकार कपाट होते हैं जो रुधिर को उल्टी दिशा में बहने से रोकते हैं।

3. केशिकाएँ - किसी अंग या ऊतक तक पहुँचकर धमनी उत्तरोत्तर छोटी - छोटी वाहिकाओं में विभाजित हो जाती है जिससे सभी कोशिकाओं से रुधिर का संपर्क हो सके। सबसे छोटी वाहिकाओं की भित्ति एक कोशिकीय मोटी होती है और रुधिर एवं आस - पास की कोशिकाओं के मध्य पदार्थों का विनिमय इस पतली भित्ति के द्वारा ही होता है। केशिकाएँ तब आपस में मिलकर शिराएँ बनाती है तथा रुधिर को अंग या ऊतक से दूर ले जाती हैं। 

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प्रश्न 15. 
विषमपोषी (Heterotrophs) किसे कहते हैं? ये कितने प्रकार के होते हैं? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
विषमपोषी (Heterotrophs): प्राणी (मनुष्य सहित) जो अपना भोजन स्वयं नहीं बना सकते हैं और दूसरों पर भोजन के लिए परोक्ष या अपरोक्ष रूप से निर्भर रहते हैं, विषमपोषी कहलाते हैं। ये निम्न पाँच प्रकार के होते हैं -

1. शाकाहारी (Herbivores): वे जन्तु जो पौधों पर निर्भर रहते हैं, शाकाहारी कहलाते हैं। जैसे- गाय, बकरी आदि।

2.माँसाहारी (Carnivores): वे जन्तु जो दूसरे जन्तुओं को अपने भोजन के रूप में लेते हैं, माँसाहारी कहलाते हैं। जैसे- शेर, चीता आदि।

3.मृतजीवी (Saprophyte): बैक्टीरिया एवं फंजाई जैसे जीव, जो अपना भोजन सड़े - गले कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं, मृतजीवी कहलाते हैं।

4.परजीवी (Parasites): कुछ जीव पौधों और जन्तुओं को बिना मारे उनसे पोषण प्राप्त करते हैं, उन्हें परजीवी कहते हैं ।  जैसे- अमरबेल, नँ, लीच, फीताकृमि, आर्किड आदि ।

5.सर्वाहारी (Omnivores): वे जन्तु जो पौधे एवं जन्तु दोनों को भोजन के रूप में लेते हैं, सर्वाहारी कहलाते हैं। जैसे- चूहे, सूअर, मनुष्य आदि ।

प्रश्न 16. 
'दीर्धरोम' क्या होते हैं? इनका महत्त्व बताइए।
उत्तर:
क्षुद्रांत्र के आंतरिक आस्तर पर अनेक अँगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्धरोम कहते हैं। ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं। दीर्धरोम में रुधिर वाहिकाओं की बहुतायत होती है जो भोजन को अवशोषित करके शरीर की प्रत्येक कोशिका तक पहुँचाते हैं। वृहदांत्र में उपस्थित दीर्धरोम बिना पचे भोजन में से जल का अवशोषण कर लेते हैं।

प्रश्न 17. 
रुधिर एवं लसिका में अन्तर लिखिए। 
उत्तर:
रुधिर एवं लसिका में अन्तर: 

रुधिर (Blood)

लसिका (Lymph)

1. सामान्यतः लाल रंग का होता है।

यह रंगविहीन होता है।

2. लाल रक्त कणिकाओं (RBC) युक्त होता है।

इसमें RBC का अभाव होता है।

3. इसमें प्रोटीन की उच्च मात्रा उपस्थित होती है।

इसमें प्रोटीन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है।

4. पचित भोजन की मात्रा अपेक्षाकृत कम होती है।

पचित भोजन की मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है।

5. फाइब्रिनोजन अधिक होता है।

फाइब्रिनोजन की मात्रा कम होती है।

6. O2 अधिक।

O2 कम।

7. उपापचयी उत्सर्जी अन्तः उत्पाद कम होते हैं।

उपापचयी उत्सर्जी अन्तः उत्पाद अधिक होते हैं।

8. न्यूट्रोफिल्स की अधिकता।

लिम्फोसाइट्स की अधिकता।

9. यह सामान्य तरल संयोजी ऊतक है।

यह छना हुआ रुधिर है।


प्रश्न 18.
पेशियों में क्रैम्प उत्पन्न होने के कारण को समझाइए।
उत्तर:
कभी - कभी जब हमारी पेशी कोशिकाओं में ऑक्सीजन का अभाव हो जाता है, तो श्वसन क्रिया के दौरान पायरुवेट के विखंडन के लिए सामान्य पथ के स्थान पर दूसरा पथ अपनाया जाता है, यहाँ पायरुवेट एक अन्य तीन कार्बन वाले अणु लैक्टिक अम्ल में परिवर्तित हो जाता है। इसीलिए अचानक किसी क्रिया के होने से हमारी पेशियों में लैक्टिक अम्ल का निर्माण होने लगता है जिससे क्रैम्प उत्पन्न हो जाता है।

प्रश्न 19. 
जलीय जीवों की श्वास दर स्थलीय जीवों की अपेक्षा द्रुत क्यों होती है? 
उत्तर:
जो जीव जल में रहते हैं वे जल में विलेय ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं। क्योंकि जल में विलेय ऑक्सीजन की मात्रा वायु में ऑक्सीजन की मात्रा की तुलना में बहुत कम है, इसलिए जलीय जीवों की श्वास दर स्थानीय जीवों की अपेक्षा द्रुत होती है।

प्रश्न 20. 
'अति तनाव' किसे कहते हैं? इसके उत्पन्न होने के कारण तथा इसके दुष्परिणाम बताइए।
उत्तर:
उच्च रक्तदाब की स्थिति को अति तनाव भी कहते हैं। इसका कारण धमनिकाओं का सिकुड़ना है, इससे रक्त प्रवाह में प्रतिरोध बढ़ जाता है। इससे धमनी फट सकती है तथा आंतरिक रक्तस्रवणं हो सकता है।

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प्रश्न 21. 
यकृत के कार्य लिखिए। 
उत्तर:
यकृत के कार्य (Functions of Liver):

  1. यह पित्त रस का संश्लेषण करता है। 
  2. यकृत कोशिकाएँ यूरिया का संश्लेषण करती हैं। 
  3. यकृत कोशिकाएँ हिपेरिन नामक प्रोटीन का स्रावण करती हैं जो रुधिर वाहिनियों में रक्त को जमने से रोकता है। 
  4. वसा का पायसीकरण करता है।
  5. यकृत की कोशिकाएँ आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज की मात्रा को ग्लाइकोजन में बदलकर संग्रह कर लेती हैं। इस क्रिया को ग्लाइकोजिनेसिस कहते हैं।
  6. शरीर में उत्पन्न विषैले पदार्थों का निराविषकरण भी यकृत द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 22. 
बंद एवं खुले परिसंचरण तन्त्र की तुलना कीजिए।  
उत्तर:
बंद व खुले परिसंचरण तन्त्र की तुलना: 

बंद परिसंचरण तंत्र

खुला परिसंचरण तंत्र

1. ऐसा रुधिर परिसंचरण तंत्र जिसमें रुधिर बंद नलिकाओं में बहता है, बंद परिसंचरण तन्त्र कहलाता है।

वह रुधिर परिसंचरण तन्त्र जिसमें रुधिर पूर्ण रूप से बंद नलिकाओं में नहीं बहता है, खुला परिसंचरण कहलाता है।

2. इसमें रुधिर ऊतकों के सम्पर्क में नहीं रहता है।

इसमें रुधिर ऊतकों के सम्पर्क में रहता है।

3. इसमें रुधिर का प्रवाह तेज होता है।

इसमें रुधिर का प्रवाह धीमा होता है।

4.उदाहरण- मनुष्य, केंचुआ, खरगोश आदि।

उदाहरण- कीट, मकड़ी, कॉकरोच, सीपी आदि।


प्रश्न 23. 
रक्तदाब (Blood Pressure) किसे कहते हैं? सामान्य रक्तदाब का मान बताइए। इसे किस यन्त्र द्वारा नापा जाता है?
उत्तर:
रक्तदाब (Blood Pressure):
रुधिर वाहिकाओं की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। यह दाब शिराओं की अपेक्षा धमनियों में बहुत अधिक होता है। धमनी के अन्दर रुधिर का दाब निलय प्रकुंचन (संकुचन) के दौरान प्रकुंचन दाब तथा निलय अनुशिथिलन (शिथिलन) के दौरान अनुशिथिलन दाब कहलाता है। सामान्य प्रकुंचन दाब लगभग 120 mm (पारा) तथा अनुशिथिलन दाब लगभग 80 mm (पारा) होता है। रक्तदाब को स्फाईग्मोमैनोमीटर नामक यन्त्र द्वारा नापा जाता है।

प्रश्न 24. 
धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार हानिकारक है? समझाइए।
उत्तर:
फेफड़े का कैंसर दुनिया में मौत के सामान्य कारणों में से एक है। श्वास नली के ऊपरी हिस्से में छोटी - छोटी बालों जैसी संरचनाएँ होती हैं, जिन्हें सीलिया कहते हैं। ये सीलिया साँस लेते वक्त अंदर ली जाने वाली वायु से रोगाणु, धूल और अन्य हानिकारक कणों को हटाने में मदद करती हैं। धूम्रपान करने से ये बालों जैसी संरचनाएँ नष्ट हो जाती हैं, जिससे रोगाणु, धूल, धुआँ और अन्य हानिकारक रसायन फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं जो संक्रमण, खाँसी और यहाँ तक कि फेफड़ों के कैंसर का भी कारण बनते हैं।

प्रश्न 25. 
जंतुओं को ऑक्सीजन परिवहन के लिए श्वसन वर्णकों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
जैसे - जैसे जंतुओं के शरीर का आकार बढ़ता है, अकेला विसरण दाब शरीर के सभी अंगों में ऑक्सीजन पहुँचाने के लए अपर्याप्त होता है तथा उसकी दक्षता भी कम हो जाती है। इसलिए जंतुओं में फुफ्फुस की वायु से श्वसन वर्णक ऑक्सीजन लेकर, उन ऊतकों तक पहुँचाते हैं जिनमें ऑक्सीजन की कमी है। मानव में श्वसन वर्णक हीमोग्लोबिन है जो ऑक्सीजन के लिए उच्च बंधुता रखता है।

प्रश्न 26. 
अवायवीय श्वसन को रासायनिक समीकरण के माध्यम से समझाइए।
उत्तर:
अवायवीय श्वसन (Anaerobic respiration): यह श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। इस प्रकार का श्वसन यीस्ट (yeast), जीवाणुओं, परजीवियों तथा कुछ निम्न स्तर के जन्तुओं में होता है, जिन्हें वायुमण्डल की स्वतंत्र ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इस प्रकार ऑक्सीजन की कमी अथवा अनुपस्थिति में ग्लूकोस इथाइल अल्कोहल (ethyl alcohol) अथवा लैक्टिक अम्ल (lactic acid) में बँट जाता है जिससे कम मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है। इस क्रिया को शर्करा किण्वन (sugar fermentation) भी कहते हैं। 
(क)RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 5
(ख)RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 6

प्रश्न 27. 
वाष्पोत्सर्जन किसे कहते हैं? इसके महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
वाष्पोत्सर्जन (Transpiration): पौधे की सतह से जल-वाष्प के रूप में जल की हानि होने को वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) कहते हैं।
वाष्पोत्सर्जन का महत्त्व (Importance of Transpiration):

  1. वाष्पोत्सर्जन से कोशिकाओं के भीतर अनूकूलतम स्फीति बन जाती है। 
  2. वाष्पोत्सर्जन से पौधे के भीतर जल तथा खनिज लवणों की गति होती है। 
  3. वाष्पोत्सर्जन के द्वारा अधिक तापमान पर भी पौधा और पत्तियाँ ठण्डी बनी रहती हैं। 
  4. अतिरिक्त जल से छुटकारा पाया जा सकता है। 
  5. RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 28. 
श्वसन तथा प्रकाश - संश्लेषण में अन्तर लिखिए। 
उत्तर:
श्वसन तथा प्रकाश - संश्लेषण में अन्तर:  

श्वसन (Respiration)

प्रकाश-संश्लेषण (Photosynthesis)

1. इसमें शर्करा का विघटन होता है।

इसमें शर्करा का निर्माण होता है।

2. यह प्रकाश (दिन) और अंधकार (रात्रि) दोनों में होता है।

यह केवल प्रकाश (दिन) में होता है।

3. इसमें O2 का उपभोग तथा H2O व CO2 का उत्पादन होता है।

इसमें CO2 तथा H2O का उपभोग व O2 उत्पादन होता है।

4. यह सभी जीवित कोशिकाओं में होती है।

यह केवल पर्णहरित कोशिकाओं में होती है।

5. यह प्रत्येक कोशिका के कोशिकाद्रव्य व माइटोकॉण्ड्रिया में होती है।

यह केवल कोशिका के क्लोरोप्लास्ट में होती है।


प्रश्न 29. 
लसीका किसे कहते हैं? लसीका के कार्य लिखिए।
उत्तर:
लसीका (Lymph):
रुधिर कोशिकाओं की भित्ति में उपस्थित छिद्रों द्वारा कुछ प्लैज्मा, प्रोटीन तथा रुधिर कोशिकाएँ बाहर निकलकर ऊतक के अंतर्कोशिकीय अवकाश में आ जाते हैं तथा ऊतक तरल या लसीका का निर्माण करते हैं। यह रुधिर के प्लैज्मा की तरह ही है लेकिन यह रंगहीन तथा इसमें अल्पमात्रा में प्रोटीन होते हैं।

लसीका के कार्य:

  1. पचा हुआ तथा क्षुद्रांत्र द्वारा अवशोषित वसा का वहन लसीका द्वारा होता है। 
  2. लसीका अतिरिक्त तरल को बाह्य कोशिकीय अवकाश से वापस रुधिर में ले जाता है। 

प्रश्न 30. 
पादपों में धीमे वहन तंत्र के पाये जाने के कारण को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
पादपों में जंतुओं के समान पम्पिंग प्रणाली (जैसे हृदय) क्यों नहीं पायी जाती है?
उत्तर:
विभिन्न शरीर अभिकल्पना के लिए ऊर्जा की आवश्यकता भिन्न होती है। पादप प्रचलन नहीं करते हैं, और पादप शरीर का एक बड़ा अनुपात अनेक ऊतकों में मृत कोशिकाओं का होता है। इसके परिणामस्वरूप पादपों को कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए वे अपेक्षाकृत धीमे वहन प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 31. 
सामान्यतया जन्तुओं में किस प्रकार का श्वसन पाया जाता है? इसमें ऊर्जा उत्पादन को रासायनिक समीकरण से समझाइए।
उत्तर:
सामान्यतया जन्तुओं में वायवीय श्वसन पाया जाता है। यह श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है। इस प्रकार के श्वसन में वायुमण्डल की ऑक्सीजन की उपस्थिति में ग्लूकोस का विघटन होता है जिसके फलस्वरूप कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा अधिक मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
C6H12O6 + 6O2 →6CO2 + 6H2O + ऊर्जा 
अतः इस प्रकार के श्वसन में प्राणी अपने वातावरण से ऑक्सीजन लेता है और बदले में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है। 

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 32. 
दंतक्षरण किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
दंतक्षरण - दंतक्षरण या दंतक्षय इनैमल तथा डेंटीन के धीरे - धीरे मृदुकरण के कारण होता है। इसका प्रारम्भ तब होता है जब जीवाणु शर्करा पर क्रिया करके अम्ल बनाते हैं। इससे इनैमल मृदु या विखनिजीकृत हो जाता है। अनेक जीवाणु कोशिका खाद्य कणों के साथ मिलकर दाँतों पर चिपक कर दंतप्लाक बना देते हैं । प्लाक दाँत को ढक लेता है इसलिए लार अम्ल को उदासीन करने के लिए दंत सतह तक नहीं पहुँच पाती है। इससे पहले कि जीवाणु अम्ल पैदा करे भोजनोपरांत दाँतों में ब्रश करने से प्लाक हट सकता है। यदि अनुपचारित रहता है तो सूक्ष्मजीव मज्जा में प्रवेश कर सकते हैं तथा जलन व संक्रमण कर सकते हैं।

प्रश्न 33. 
विभिन्न जंतुओं के हृदय में कोष्ठों की संख्या में भिन्नता क्यों पायी जाती है? समझाइए। 
उत्तर:
जंतुओं में हृदय का कोष्ठों में बँटवारा ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर को मिलने से रोकने में लाभदायक होता है। इस तरह का बँटवारा शरीर को उच्च दक्षतापूर्ण ऑक्सीजन की पूर्ति कराता है। पक्षी और स्तनधारी जैसे जंतुओं को जिन्हें उच्च ऊर्जा की आवश्यकता है, यह बहुत लाभदायक है क्योंकि इन्हें अपने शरीर का तापक्रम बनाए रखने के लिए निरंतर ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं उन जंतुओं में जिन्हें इस कार्य के लिए ऊर्जा का उपयोग नहीं करना होता है, जैसे जल स्थल चर या बहुत से सरीसृप उनमें तीन कोष्ठीय हृदय होता है और ये ऑक्सीजनित तथा विऑक्सीजनित रुधिर धारा को कुछ सीमा तक मिलना भी सहन कर लेते हैं इसीलिए दूसरी ओर मछली के हृदय में केवल दो कोष्ठ ही होते हैं।

प्रश्न 34. 
प्लाज्मा किसे कहते हैं? इसका कार्य बताइए। 
उत्तर:
रुधिर के तरल माध्यम को प्लाज्मा/प्लैज्मा कहते हैं। इसमें रुधिर कोशिकाएँ निलंबित होती हैं। प्लाज्मा का कार्य प्लाज्मा भोजन, कार्बन डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजनी वर्ण्य पदार्थों का विलीन रूप में वहन करता है। 

प्रश्न 35. 
एटीपी का निर्माण किस प्रकार से होता है?
उत्तर:
अधिकांश कोशिकीय प्रक्रमों के लिए ATP ऊर्जा मुद्रा है। श्वसन प्रक्रम में मोचित ऊर्जा का उपयोग ए.डी.पी. (ADP) तथा अकार्बनिक फास्फेट से ए.टी.पी. अणु बनाने में किया जाता है।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 7
आंतरोष्मि प्रक्रम कोशिका के अन्दर तब इसी ATP का उपयोग क्रियाओं के परिचालन में करते हैं। 

प्रश्न 36. 
मनुष्य के आमाशय में श्लेष्मा की क्या भूमिका है? 
उत्तर:
आमाशय में श्लेष्मा की भूमिका आमाशय की जठर ग्रन्थियों द्वारा स्रावित जठर रस में HCl अम्ल तथा एंजाइम के साथ श्लेष्मा भी उपस्थित होता है। सामान्य परिस्थितियों में श्लेष्मा आमाशय के आंतरिक संस्तर की अम्ल तथा पाचक एंजाइमों से रक्षा करता है। इसी के कारण आहार नाल ऊतकों का पाचन नहीं हो पाता है।

प्रश्न 37. 
पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
चूँकि प्रकाशसंश्लेषण की क्रिया प्रारम्भ से अन्त तक हरितलवक या क्लोरोप्लास्ट में ही होती है और यह क्लोरोप्लास्ट पत्तियों के पेलीसेड तथा स्पंजी पैरेनकाइमा में भरे रहते हैं, इसलिए पत्तियों को प्रकाशसंश्लेषी अंग कहते हैं।

प्रश्न 38. 
रुधिर क्या है और इसका कौनसा घटक गैसीय परिवहन में सहायक है?
उत्तर:
रुधिर एक तरल संयोजी ऊतक होता है। इसमें एक तरल माध्यम होता है, जिसे प्लैज्मा कहते हैं, इसमें कोशिकाएँ निलंबित होती हैं | रुधिर के द्वारा शरीर के भीतर एक स्थान से दूसरे स्थान तक पदार्थों का परिवहन होता है।
शरीर में श्वसन गैसों (O2 एवं CO2) का परिवहन रुधिर की लाल रुधिर कोशिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन द्वारा किया जाता है। 

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प्रश्न 39. 
यदि रुधिर नलिकाओं से रुधिर दिखना प्रारम्भ हो जाए तो क्या होगा? इसको किस प्रकार रोका जाता है?
अथवा 
प्लेटलैट्स द्वारा अनुरक्षण प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
यदि रुधिर नलिकाओं से रक्तस्राव होने लगे तो शरीर में रुधिर की कमी हो जाएगी जिससे ऑक्सीजन व अन्य पदार्थों के वहन में कमी आने लगेगी। इसके अतिरिक्त रक्तस्राव से दाब में कमी आ जाएगी जिससे पंपिंग प्रणाली की दक्षता में कमी आ जाएगी। इसे रोकने के लिए रुधिर में प्लेटलेट्स कोशिकाएँ होती हैं जो पूरे शरीर में भ्रमण करती है और रक्तस्राव के स्थान पर रुधिर का थक्का बनाकर मार्ग अवरुद्ध कर देती हैं।

प्रश्न 40. 
प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रम की रासायनिक अभिक्रिया तथा इस प्रक्रम के दौरान होने वाली घटनाएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रकाशसंश्लेषण (Photosynthesis):
जल तथा कार्बन डाइऑक्साइड (H2O व CO2) द्वारा पर्णहरित युक्त पादप कोशिकाओं में प्रकाश की उपस्थिति में सरल कार्बनिक पदार्थों के निर्माण को प्रकाश - संश्लेषण कहते हैं। इसमें ऑक्सीजन एवं जल उप - उत्पाद के रूप में बनते हैं।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 8
इस प्रक्रम के दौरान निम्नलिखित घटनाएँ होती हैं:

  1. क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा को अवशोषित करना । 
  2. प्रकाश ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में रूपान्तरित करना तथा जल अणुओं का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में अपघटन ।
  3. कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन । 

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
रन्ध्र किसे कहते हैं? इनके खुलने एवं बन्द होने की क्रिया का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
रन्ध्र (Stomata):
पर्ण की अधिचर्म पर अनेक छोटे-छोटे छिद्र पाये जाते हैं, जिन्हें रन्ध्र कहते हैं। प्रकाशसंश्लेषण के लिए गैसों का अधिकांश आदान - प्रदान इन्हीं छिद्रों के द्वारा होता है। इन रन्ध्रों से पर्याप्त मात्रा में जल की हानि होती है अतः जब प्रकाशसंश्लेषण के लिए कार्बन डाइऑक्साइड की आवश्यकता नहीं होती है तब पौधा इन छिद्रों को बन्द कर लेता है। छिद्रों का खुलना और बन्द होना द्वार कोशिकाओं (Guard cells) पर निर्भर करता है। प्रत्येक द्वार/रक्षक कोशिका की बाह्य भित्ति पतली तथा भीतरी भित्ति मोटी होती है।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 9
द्वार कोशिकाओं में जब जल अंदर जाता है तो वे फूल जाती हैं और रंध्र का छिद्र खुल जाता है। इसी तरह जब द्वार कोशिकाएँ सिकुड़ती हैं तो छिद्र बंद हो जाता है।

प्रश्न 2. 
मानव के श्वसन तन्त्र का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य में, वायु शरीर के अंदर नासाद्वार द्वारा जाती है। नासाद्वार द्वारा जाने वाली वायु मार्ग में उपस्थित महीन बालों द्वारा निस्पंदित हो जाती है जिससे शरीर में जाने वाली वायु धूल तथा दूसरी अशुद्धियाँ रहित होती हैं। इस मार्ग में श्लेष्मा की परत होती है जो इस प्रक्रम में सहायक होती है। यहाँ से वायु कंठ द्वारा फुफ्फुस में प्रवाहित होती है। कंठ में उपास्थि के वलय उपस्थित होते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि वायु मार्ग निपतित न हो। फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाता है जो अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है जिसे कूपिका कहते हैं। कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 10

प्रश्न 3. 
मानव की श्वसन क्रिया की कार्यप्रणाली का वर्णन करें।
उत्तर:
फुफ्फुस के अंदर मार्ग छोटी और छोटी नलिकाओं में विभाजित हो जाता है जो अंत में गुब्बारे जैसी रचना में अंतकृत हो जाता है जिसे कूपिका कहते हैं | कूपिका एक सतह उपलब्ध कराती है जिससे गैसों का विनिमय हो सकता है। कूपिकाओं की भित्ति में रुधिर वाहिकाओं का विस्तीर्ण जाल होता है। जब हम श्वास अंदर लेते हैं, हमारी पसलियाँ ऊपर उठती हैं और हमारा डायाफ्राम चपटा हो जाता है, इसके परिणामस्वरूप वक्ष गुहिका बड़ी हो जाती है। इस कारण वायु फुफ्फुस के अंदर चूस ली जाती है और विस्तृत कूपिकाओं को भर लेती है | रुधिर शेष शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड कूपिकाओं में छोड़ने के लिए लाता है। कूपिका रुधिर वाहिका का रुधिर कूपिका वायु से ऑक्सीजन लेकर शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचाता है। श्वास चक्र के समय जब वायु अंदर और बाहर होती है, फुफ्फुस सदैव वायु का अवशिष्ट आयतनं रखते हैं जिससे ऑक्सीजन के अवशोषण तथा कार्बन डाइऑक्साइड के मोचन के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है।

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 4. 
निःश्वसन के दौरान निकाली गई कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा से अधिक होती है। समझाइए।
अथवा 
प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि श्वसन के दौरान हम कार्बन डाइऑक्साइड गैस बाहर निकालते हैं।
उत्तर:
प्रयोग - एक परखनली में ताजा तैयार किया हुआ चूने का पानी लेते हैं। इस चूने के पानी में नलिका के द्वारा मुँह से नि:श्वास द्वारा निकली वायु को चित्र (a) के अनुसार प्रवाहित करते हैं।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 11

हम देखते हैं कि परखनली में उपस्थित चूने का पानी तत्काल दूधिया (milky) हो जाता है। अब एक दूसरी परखनली लेते हैं। इसमें भी ताजा तैयार किया हुआ चूने का पानी लेते हैं। चित्र (b) के अनुसार एक पिचकारी की सहायता से वायु को चूने के पानी युक्त परखनली में प्रवाहित करते हैं। हम देखते हैं कि परखनली में उपस्थित चूने का पानी दूधिया रंग में परिवर्तित होने में अधिक समय लगता है। इससे यह सिद्ध होता है कि निःश्वसन के द्वारा निकाली गई कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वायु में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा से बहुत अधिक होती है। इसी कारण से परखनली (a) में उपस्थित चूने का पानी तत्काल दूधिया हो जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि श्वसन के दौरान हम CO2 गैस बाहर निकालते हैं। 

प्रश्न 5. 
हृदय रुधिर को किस प्रकार से पम्प करता है? नामांकित चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
मानव का हृदय एक पम्प के समान कार्य करता है क्योंकि हृदय के दोनों पार्वी भाग (दायां भाग व बायां भाग) परस्पर सम्पर्क में नहीं होते हैं अतः हृदय एक साथ दो पम्पों के समान कार्य करता है। दोनों भाग स्वतन्त्र रूप से किन्तु एक साथ कार्य करते हैं। ऑक्सीजन प्रचुर रुधिर फुफ्फुस से हृदय में बाईं ओर स्थित कोष्ठ - बायां आलिंद में आता है। इस रुधिर को एकत्रित करते समय बायां आलिंद शिथिल रहता है। जब अगला कोष्ठ, बायां निलय, फैलता है तब यह संकुचित होता है जिससे रुधिर इसमें स्थानान्तरित हो जाता है। अपनी बारी पर जब पेशीय बायां निलय संकुचित होता है, तब रुधिर शरीर में पंपित हो जाता है। ऊपर वाला दायां कोष्ठ (दायां आलिन्द) जब फैलता है तब शरीर से विऑक्सीजनित रुधिर इसमें आ जाता है। जैसे ही दायां आलिंद संकुचित होता है, नीचे वाला संगत कोष्ठ, दायां निलय फैल जाता है। यह रुधिर को दाएँ निलय में स्थानान्तरित कर देता है जो रुधिर को ऑक्सीजनीकरण हेतु फुफ्फुस में पम्प कर देता है। आलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी होती है क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर भेजना होता है। जब आलिंद या निलय संकुचित होते हैं तो वाल्व उल्टी दिशा में रुधिर प्रवाह को रोकना सुनिश्चित करते हैं।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 12

प्रश्न 6. 
पाचन किसे कहते हैं? मनुष्य में पाचन क्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पाचन (Digestion):
जटिल पोषक पदार्थों को जल अपघटन द्वारा सरल पोषक पदार्थों में बदलने की क्रिया को पाचन कहते हैं। 
मनुष्य में पाचन क्रिया: मनुष्य के पाचन तंत्र में एक लम्बी आहार नलिका होती है। इस आहार नाल के विभिन्न भागों में निम्न प्रकार से भोजन का पाचन होता है -

1. मुख (Mouth):
प्राकृतिक रूप से भोजन को एक प्रक्रम से गुजरना होता है जिससे वह छोटे - छोटे कणों में बदल जाता है। इसे दाँतों से चबाकर पूरा करते हैं। क्योंकि आहार नाल का आस्तर बहुत कोमल होता है, अतः भोजन को गीला किया जाता है ताकि इसका मार्ग आसान हो जाए। यह कार्य लाला ग्रंथि (लार ग्रंथि) द्वारा स्रावित लालारस/लार द्वारा किया जाता है। लार में एक एंजाइम होता है जिसे लार एमिलेस कहते हैं, यह मंड जटिल अणु को सरल शर्करा में खंडित कर देता है। भोजन को चबाने के दौरान पेशीय जिह्वा भोजन को लार के साथ पूरी तरह मिला देती है।

(2) ग्रसिका (Oesophagus):
आहार नली के हर भाग में भोजन की नियमित रूप से गति क्रमाकुंचक गति द्वारा होती है। इसी गति द्वारा मुँह से आमाशय तक भोजन ग्रसिका या इसोफेगस द्वारा ले जाया जाता है।

(3) आमाशय (Stomach):
आमाशय एक वृहत अंग है जो भोजन के आने पर फैल जाता है। आमाशय की पेशीय भित्ति भोजन को अन्य पाचक रसों के साथ मिश्रित करने में सहायक होती है। ये पाचन कार्य आमाशय की भित्ति में उपस्थित जठर ग्रंथियों के द्वारा संपन्न होते हैं । ये हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, एक प्रोटीन पाचक एंजाइम पेप्सिन तथा श्लेष्मा का स्रावण करते हैं। हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक अम्लीय माध्यम तैयार करता है जो पेप्सिन एंजाइम की क्रिया में सहायक होता है।

(4) छोटी आंत्र (Small Intestine):
आमाशय से भोजन अब क्षुद्रांत्र में प्रवेश करता है। यह अवरोधिनी पेशी द्वारा नियंत्रित होता है। क्षुद्रांत्र आहारनाल का सबसे लंबा भाग है, अत्यधिक कुंडलित होने के कारण यह संहत स्थान में अवस्थित होती है। विभिन्न जंतुओं में क्षुद्रांत्र की लंबाई उनके भोजन के प्रकार के अनुसार अलग - अलग होती है।

क्षुद्रांत्र कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के पूर्ण पाचन का स्थल है। इस कार्य के लिए यह यकृत तथा अग्नाशय से स्रावण प्राप्त करती है । आमाशय से आने वाला भोजन अम्लीय है और अग्न्याशयिक एंजाइमों की क्रिया के लिए उसे क्षारीय बनाया जाता है। यकृत से स्रवित पित्तरस इस कार्य को करता है ।

क्षुद्रांत्र में वसा बड़ी गोलिकाओं के रूप में होता है जिससे उस पर एंजाइम का कार्य करना मुश्किल हो जाता है। पित्त लवण उन्हें छोटी गोलिकाओं में खंडित कर देता है जिससे एंजाइम की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। अग्न्याशय अग्न्याशयिक रस का स्रावण करता है जिसमें प्रोटीन के पाचन के लिए ट्रिप्सिन एंजाइम होता है तथा इमल्सीकृत वसा का पाचन करने के लिए लाइपेज एंजाइम होता है।

क्षुद्रांत्र की भित्ति में ग्रंथि होती है जो आंत्र रस स्रावित करती है। इसमें उपस्थित एंजाइम अंत में प्रोटीन को अमीनो अम्ल, जटिल कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोस में तथा वसा को वसा अम्ल तथा ग्लिसरॉल में परिवर्तित कर देते हैं। पचित भोजन को आंत्र की भित्ति अवशोषित कर लेती है । क्षुद्रांत्र के आन्तरिक आस्तर पर अनेक अँगुली जैसे प्रवर्ध होते हैं जिन्हें दीर्घरोम कहते हैं, ये अवशोषण का सतही क्षेत्रफल बढ़ा देते हैं।

(5) बृहदांत्र (Large Intestine):
बिना पचा भोजन बृहदांत्र में भेज दिया जाता है जहाँ दीर्धरोम इन पदार्थों में से जल का अवशोषण कर लेते हैं। अन्य पदार्थ गुदा द्वारा शरीर के बाहर निकाल दिये जाते हैं।

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 7. 
मानव पाचन तन्त्र का नामांकित चित्र बनाइए। 
उत्तर:
मानव पाचन तन्त्र का चित्र:
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 13

प्रश्न 8. 
मानव उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र बनाइए। रुधिर से नाइट्रोजनी उत्सर्जी पदार्थों को बाहर निकालने की क्रियाविधि को समझाइए।
अथवा 
मानव उत्सर्जन तंत्र का नामांकित चित्र बनाते हए, मूत्र निर्माण की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
मूत्र बनाने का उद्देश्य रुधिर में से वर्ण्य पदार्थों को छानकर बाहर करना है। फुफ्फुस में CO2 रुधिर से अलग हो जाती है जबकि नाइट्रोजनी वर्ण्य पदार्थ जैसे यूरिया या यूरिक अम्ल वृक्क में रुधिर से अलग कर लिए जाते हैं। वृक्क में आधारी निस्पंदन एकक, फुफ्फुस की तरह ही, बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ होता है। वृक्क में प्रत्येक केशिका गुच्छ, एक नलिका के कप के आकार के सिरे के अंदर होता है। यह नलिका छने हुए मूत्र को एकत्र करती है।

प्रत्येक वृक्क में ऐसे अनेक निस्यंदन एकक होते हैं जिन्हें वृक्काणु (नेफ्रॉन) कहते हैं जो आपस में निकटता से पैक रहते हैं। प्रारंभिक निस्यद में कुछ पदार्थ, जैसे ग्लूकोस, अमीनो अम्ल; लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं। जैसे - जैसे मूत्र इस नलिका में प्रवाहित होता है इन पदार्थों का चयनित पुनरवशोषण हो जाता है। जल की मात्रा पुनरवशोषण शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा, पर तथा कितना विलेय वर्ण्य उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 14

प्रश्न 9. 
अपोहन किसे कहते हैं? इसकी क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
डायलिसिस (अपोहन):
कभी - कभी संक्रमण या उचित रुधिर आपूर्ति न होने या अन्य कारणों से वृक्क क्षतिग्रस्त होकर काम करना बन्द कर देता है। ऐसी स्थिति में रुधिर में नाइट्रोजनी अपशिष्ट उत्पादों (यूरिया) की मात्रा बढ़ जाती है। रुधिर से इन नाइट्रोजनी अपशिष्ट उत्पादों को निकालने के लिए कृत्रिम वृक्कीय युक्ति अपनाई जाती है जिसे अपोहन (Dialysis) कहा जाता है।

अपोहन की क्रियाविधि (Mechanism of Dialysis):
कृत्रिम वृक्क बहुत - सी अर्धपारगम्य आस्तर वाली नलिकाओं से युक्त होती है। ये नलिकाएँ अपोहन द्रव से भरी टंकी में लगी होती हैं। इस द्रव का परासरण दाब रुधिर जैसा ही होता है लेकिन इसमें नाइट्रोजनी अपशिष्ट नहीं होते हैं। रोगी के रुधिर को इन नलिकाओं से प्रवाहित कराते हैं। इस मार्ग में रुधिर से अपशिष्ट उत्पाद विसरण द्वारा अपोहन द्रव में आ जाते हैं। शुद्धिकृत रुधिर वापस रोगी के शरीर में पंपित कर दिया जाता है। यह वृक्क के कार्य के समान है लेकिन एक अन्तर है कि इसमें कोई पुनरवशोषण नहीं होता है।

प्रश्न 10. 
अंगदान एक उदार कार्य है। समझाइए।
उत्तर:
अंगदान एक उदार कार्य है जिसमें किसी ऐसे व्यक्ति को अंगदान किया जाता है जिसका कोई अंग ठीक से कार्य न कर रहा हो। यह दानदाताओं और उनके परिवार वालों की सहमति द्वारा किया जा सकता है। अंग और ऊतक दान में दानदाता की उम्र व लिंग मायने नहीं रखता। प्रत्यारोपण किसी व्यक्ति के जीवन को बचा या बदल सकता है। ग्राही के अंग खराब अथवा बीमारी या चोट की वजह से क्षतिग्रस्त होने के कारण अंग प्रत्यारोपण आवश्यक हो जाता है। अंगदान में किसी एक व्यक्ति (दाता) के शरीर से शल्य चिकित्सा द्वारा अंग निकालकर किसी अन्य व्यक्ति (ग्राही) के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है।

सामान्य प्रत्यारोपण में कॉर्निया, गुर्दे, दिल, यकृत, आँत, अग्न्याशय, फेफड़े और अस्थिमज्जा शामिल हैं। अधिकांशतः अंगदान व ऊतक दान दाता की मृत्यु के ठीक बाद होते हैं या जब डॉक्टर किसी व्यक्ति के मस्तिष्क को मृत घोषित करता है तब । लेकिन कुछ अंगों, जैसे - गुर्दे, यकृति का कुछ भाग, फेफड़े इत्यादि और ऊतकों का दान दाता के जीवित होने पर भी किया जा सकता है।

RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम

प्रश्न 11. 
जैव प्रक्रम किसे कहते हैं? जीवन का अनुरक्षण करने वाले महत्त्वपूर्ण/आवश्यक प्रक्रमों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जैव प्रक्रम (Life Process): वे सभी प्रक्रम जो सम्मिलित रूप से अनुरक्षण का कार्य करते हैं, जैव प्रक्रम कहलाते हैं। 
जीवन का अनुरक्षण करने वाले आवश्यक प्रक्रमों का वर्णन निम्न प्रकार से है- 

(1) पोषण (Nutrition): 
क्षति तथा टूट - फूट रोकने के लिए अनुरक्षण प्रक्रम की आवश्यकता होती है। अतः इसके लिए उन्हें ऊर्जा की आवश्यकता होगी। यह ऊर्जा एकल जीव में शरीर के बाहर से आती है। इसलिए ऊर्जा के स्रोत का बाहर से जीव के शरीर में स्थानान्तरण के लिए कोई प्रक्रम होना चाहिए। इस ऊर्जा के स्रोत को हम भोजन तथा शरीर के अन्दर लेने के प्रक्रम को पोषण कहते हैं। यदि जीव में शारीरिक वृद्धि होती है तो इसके लिए उसे बाहर से अतिरिक्त कच्ची सामग्री की आवश्यकता होगी। क्योंकि पृथ्वी पर जीवन कार्बन आधारित अणुओं पर निर्भर है अतः अधिकांश खाद्य पदार्थ भी कार्बन आधारित हैं। इन कार्बन स्रोतों की जटिलता के अनुसार विविध जीव भिन्न प्रकार के पोषण प्रक्रम को प्रयुक्त करते हैं।

(2) श्वसन (Respiration): 
शरीर के अन्दर ऊर्जा के स्रोतों के विघटन या निर्माण की आवश्यकता होती है जिससे ये अन्ततः ऊर्जा के एकसमान स्रोत में परिवर्तित हो जाने चाहिए। यह विभिन्न आणविक गतियों के लिए एवं विभिन्न जीव शरीर के अनुरक्षण तथा शरीर की वृद्धि के लिए आवश्यक अणुओं के निर्माण में उपयोगी है। इसके लिए शरीर के अन्दर रासायनिक क्रियाओं की एक श्रृंखला की आवश्यकता है। उपचयन - अपचयन अभिक्रियाएँ अणुओं के विघटन की कुछ सामान्य रासायनिक युक्तियाँ हैं। इसके लिए बहुत से जीव शरीर के बाहरी स्रोत से O2 प्रयुक्त करते हैं। शरीर के बाहर से O2 को ग्रहण करना तथा कोशिकीय आवश्यकता के अनुसार खाद्य स्रोत के विघटन में उसका उपयोग श्वसन कहलाता है।

(3) वहन तन्त्र (Transportation): 
भोजन एवं ऑक्सीजन का अन्तर्ग्रहण कुछ विशिष्ट अंगों द्वारा ही होता है, परन्तु शरीर के सभी भागों को इनकी आवश्यकता होती है। इस स्थिति में भोजन एवं ऑक्सीजन को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए वहन - तन्त्र की आवश्यकता होती है।

(4) उत्सर्जन (Excretion): 
जब रासायनिक अभिक्रियाओं में कार्बन स्रोत तथा O2 का उपयोग ऊर्जा प्राप्ति के लिए होता है, तब ऐसे उपोत्पाद भी बनते हैं जो शरीर की कोशिकाओं के लिए न केवल अनुपयोगी होते हैं बल्कि वे हानिकारक भी हो सकते हैं। इन अपशिष्ट उपोत्पादों को शरीर से बाहर निकालना अतिआवश्यक होता है। इस प्रक्रम को उत्सर्जन कहते, हैं। 

प्रश्न 12. 
प्रयोग द्वारा सिद्ध कीजिए कि प्रकाश - संश्लेषण क्रिया के लिए क्लोरोफिल की उपस्थिति आवश्यक होती है।
उत्तर: 
प्रयोग - सबसे पहले हम एक क्रोटन की चित्तीदार पत्ती को पौधे से तोड़कर पेन्सिल या किसी और चीज से पत्ती के हरे और सफेद भागों पर निशान लगा लेते हैं। अब इस पत्ती को कुछ देर पानी में उबालते हैं | एक पेट्रीडिश में ऐल्कोहॉल को डालकर इसमें उबाली गई पत्ती को डाल देते हैं। ऐल्कोहॉल में डालने से पत्ती में मौजूद क्लोरोफिल घुल जाता है और पत्ती रंगहीन हो जाती है। अब इस पत्ती को ऐल्कोहॉल से निकालकर अच्छी तरह से धो लेते हैं । अब इस पत्ती को एक ग्लास प्लेट के ऊपर रखते हैं और इसको आयोडीन के घोल से ढक देते हैं। थोड़ी देर बाद पत्ती को घोल से निकालकर और पानी से धोकर निरीक्षण करने से पता चलता है कि पत्ती के हरे रंग वाले भाग गहरे नीले रंग के हो जाते हैं, पर सफेद वाले भाग नीले नहीं होते हैं।
RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 6 जैव प्रक्रम 15
इसका कारण यह है कि पत्ती के हरे भाग में क्लोरोफिल मौजूद होने के कारण उनमें मण्ड (स्टार्च) का निर्माण होता है, इसलिए यह भाग आयोडीन घोल के कारण गहरे नीले हो जाते हैं क्योंकि आयोडीन घोल का यह गुण होता है कि यह मण्ड कणों (स्टार्च के कण) को नीला कर देता है। सफेद भागों में क्लोरोफिल न होने के कारण उनमें मण्ड या स्टार्च नहीं बनता, इसलिए वे भाग आयोडीन घोल के कारण नीले नहीं होते हैं। अतः यह सिद्ध होता है कि प्रकाश - संश्लेषण क्रिया के लिए हरितलवक (क्लोरोफिल) की उपस्थिति आवश्यक होती है।

Bhagya
Last Updated on May 10, 2022, 3:23 p.m.
Published April 29, 2022